Thursday, May 31, 2012

नामकरण संस्कार


इस समय टीवी पर ‘गंगा प्रदूषण मुक्ति’ अभियान दिखाया जा रहा है, जो वाराणसी में राजीव गाँधी द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया जा रहा है. प्रधानमंत्री इस परियोजना के प्रतीक का अनावरण कर रहे हैं. उसे याद आ रहे हैं वे दिन जब पूरे परिवार के साथ वह गंगा भ्रमण के लिये जाती थी, जो भी मेहमान उनके यहाँ आते थे, उन्हें भी गंगा दर्शन के लिये ले जाना होता था. पानी तब इतना दूषित नहीं था.
आज इतवार है, अभी तक का समय खट्टा-मीठा बीता है और यह इस बात का प्रतीक है कि अभी जीवन में स्पदंन है. बिना कोई परेशानी आये, सीधे-सीधे जीवन का पथ तय होता जाये तो आनंद ही क्या. कल शाम वे नवजात शिशु से मिलने गए थे जो कल ही घर आया है, अभी तक उसका नाम नहीं रखा गया है, नामकरण संस्कार होने पर ही नाम रखेंगे उसकी माँ ने बताया, नूना को थोड़ा आश्चर्य हुआ, उसने तो अभी से नाम सोच रखा है. कल वह फिर जायेगी उसके लिये उपहार लेकर, आज तो बाजार बंद है. वे घर लौटे तो दो परिवार उनसे मिलने आये हुए थे. रात को स्वप्न में वह अमेरिका पहुँच गयी थी, और छोटी बुआ को भी देखा. सुबह नींद देर से खुली, पर जून ने बिना कोई जल्दबाजी किये आराम से ही ऑफिस जाने की तैयारी कर ली. उसकी यही बात नूना को बहुत भाती है, वह कभी भी घबराता नहीं है, न दूसरे को ही इसका अनुभव करने देता है.

कल टीवी पर व्ही. शांताराम की प्रसिद्ध फिल्म देखी, ‘झनक झनक पायल बाजे’ उसे तो बहुत अच्छी लगी, पर जून को ऐसी फ़िल्में अच्छी नहीं लगतीं शायद, वह बीच-बीच में उठ कर चला जाता था. रात दस बजे फ़्रांस में हुए ‘इंडिया फेस्टिवल’ की समाप्ति पर एक विशेष कार्यक्रम था, कितना मन था उसका देखने का पर यह जून है न जो, उसे नींद आती है दस बजे ही, बेड में आने के बाद चाहे ग्यारह, बारह बजे तक जगता रहे.
   

Tuesday, May 29, 2012

काली घटाएं ठंडी हवाएं


वर्षा आज भी हो रही थी, सुबह जब वे उठे और इस समय भी शीतल मधुर बयार बह रही है. बादलों की मनोहर घटा छाई है. कल रात उसे फिर से नींद नहीं आ रही थी, किसी करवट चैन नहीं आ रहा था, सीधा भी नहीं लेटा जा रहा था. पता नहीं कितने बजे होंगे, जून भी जग गया था, सुबह एक स्वप्न देख रही थी, उसे ही देखा, सोते-जागते उठते-बैठते एक यही ख्याल तो है जो मन पर छाया रहता है, कि कब आयेगा वह, कौन सा दिन, कौन सा पल होगा कितनी लंबी प्रतीक्षा है यह. आज वह हिंदी लाइब्रेरी की सब किताबें वापस ले गया है, कुछ नई किताबें लाने के लिये. गीता के सभी अध्याय पूरे पढ़ लिये हैं अब कल से दुबारा आरम्भ से पढ़ेगी. छत्तीस दिन में पूरी होगी या चालीस दिन में. सासु माँ कभी-कभी सुनती हैं सामने बैठकर.

कल माँ का पत्र आया, मंझले भाई का और चचेरे भाई का भी. दो-तीन दिन वर्षा अपना रूप दिखा कर विश्रामगृह में चली गयी है. बहुत दिनों बाद आज कुछ अधिक कपड़े धोए, महरी काम पर नहीं आयी, बीमार है या..किन्तु विशेष परेशानी नहीं हुई, यूँ कहें जरा भी परेशानी नहीं हुई, अब वह इस स्थिति में रच-बस गयी है, नौ महीने कोई कम तो नहीं होते, कितनी-कितनी अनुभूतियाँ हुई हैं इन महीनों में, अब तो एक माह से भी कम समय रह गया है. कल शाम से जून कुछ परेशान सा था, आमतौर पर वह हमेशा खुश रहता है, खीझता नहीं किसी बात पर, कभी-कभी ऐसा होने पर उसे बहुत अजीब लगता है, पर वह जानती है उसका दोष नहीं है, घटना विशेष ने उसके मन को प्रभावित किया होता है, पर आज सुबह वह खुश-खुश विदा हुआ है, शायद जोराजान फील्ड जायेगा.
   

Monday, May 28, 2012

अमलतास के फूल


आज मौसम कितने दिनों बाद अपने सुन्दरतम रूप में है. सुबह पांच बजे ही वे उठ गए थे. अमलतास के फूल जो वे लाए थे अपने साथ प्रातः भ्रमण से लौटते समय, उनसे बैठक कैसी खिल गयी है. कल इतवार था सुबह सबने मिलकर सफाई की, सबसे कम काम उसने किया. जून के अनुसार इन दिनों में ज्यादा थकान होना अच्छा नहीं उसके लिये..उसका स्नेह दिन-प्रतिदिन उसके लिये बढ़ता ही जा रहा है. कल रात वे अपने कॉलेज के दिनों की स्मृतियाँ बाँट रहे थे कि जून ने ऐसा कुछ कहा, वह खो गयी उसके सच्चे मोती के समान स्वच्छ निर्मल स्नेह में. स्वयं भी तो उसे एक क्षण के लिये नहीं भूलती, वह घर पर हो या बाहर उसका मन उसकी ही बात सोचता रहता है सब कार्य करते हुए, सबसे बातें करते हुए भी.

कल उसने सब पत्रों के जवाब लिख दिये, आज हो सकता है, माँ का पत्र आये. आज भी मौसम अच्छा है सुबह जून जब ऑफिस गए तो वर्षा तेज हो गयी थी अब थम गयी है. कल संध्या वे अस्पताल गए थे, कितना छोटा और प्यारा सा था उसकी सखी का बेटा, उसके सिर पर रेशमी, काले, घने बाल थे. घर आकर वह कितनी देर उसके बारे में सोचती रही, और सोचती रही कि उसके घर आने वाले नन्हे मेहमान के बारे में, जैसे-जैसे दिन नजदीक आ रहे है, मन में एक अजीब सी उत्सुकता व बेचैनी बढ़ती जा रही है. पर एक विश्वास है उनके मनों में, कि जो भी होगा, अच्छा होगा, सब ठीक होगा.

Saturday, May 26, 2012

पानी चला गया


कल सुबह पौने नौ बजे पानी व बिजली दोनों नदारद हो गए कुछ घंटो के लिये, वापस आये सवा  तीन बजे, कुछ पानी हमेशा गर्म पानी की टंकी में रहता है सो काम किसी तरह चल गया. कम पानी से काम चलाना कोई उनकी महरी से सीखे, आधी बाल्टी पानी में उसने सारे बर्तन धो दिए फिर उनके इस्तेमाल के लिये कहीं से एक बाल्टी पानी ले आयी. जून ने उसे फिर समझाया कि मनुष्य में हर परिस्थिति में रहने की, सामंजस्य बिठाने की ताकत होनी चाहिए. कल दोपहर गर्मी की वजह से वह बहुत परेशान हो गयी थी.
आज सुबह वे सो ही रहे थे कि उनके पड़ोसी के द्वारा मालूम हुआ कि उनकी पत्नी ने बीती रात साढ़े बारह बजे बेटे को जन्म दिया है, नूना ने सोचा उसका जन्मदिन छह जून को मनाया जायेगा, वह उसे देखने जायेगी,
वह जून के साथ अस्पताल गयी थी उसकी सखी ने बताया कि अंत में आपरेशन करना पड़ा. जून कहता है कि उसके साथ ऐसी कोई समस्या नहीं होगी, काश ! ऐसा ही हो, उसने सोचा. देह का दर्द तो सहा जा सकता है पर मन का भय कहीं ज्यादा है. आजकल उसे रात भर में नींद बहुत कम आती है. उसकी मानसिक असहजता बढ़ गयी है, वह जल्दी-जल्दी अधीर हो जाती है. जून उसे समझाता है पर प्रश्न यह है कि उसे दुःख है ही क्या ? सिवाय उसके मन की दुर्बलता के, और इसे और कोई दूर नहीं कर सकता जब तक कि वह स्वयं न चाहे.


Friday, May 25, 2012

पर्यावरण का अर्थ


सुबह साढ़े चार बजे नींद खुली, धूप इतनी तेज थी कि लग रहा था छह बज गए हैं. कल शाम जून इस मौसम में पहली बार तैरने गया. वापस आकर उसे लग रहा था कि नूना को, दिन भर बाहर रहकर दुबारा उसे छोड़कर जाना अच्छा नहीं लगा. हो सकता है अनजाने ही उसका मन उदास हो गया हो, उसे संध्या के वक्त घर पर देखने की आदत जो पड़ गयी है. उसे लगा कि बिना किसी विशेष कारण के उसे उदास नहीं होना था. वह इतना संवेदनशील है भावुक है कि उसकी आँखें देखकर ही मन की बात पढ़ लेता है.
आज पांच जून है, विश्व पर्यावरण दिवस, पहली बार जब यह शब्द सुने थे, तो कितनी बेचैन थी इसके बारे में अधिक से अधिक जानने को, पर्यावरण का सही अर्थ जानने को भी. आज सुबह उसकी मित्र सुबह साढ़े चार बजे अस्पताल गयी है, जाने कैसी होगी वह, क्या हाल होगा , कल शाम वह उसे मिली थी, खुश थी. अगले कुछ हफ्तों में उसे भी एक दिन जाना होगा. जून कल भी तैरने गया था. आज उसने चौहदवें अध्याय में सत्व, रज और तम गुणों के को धारण करने वाले मानवों की प्रकृति के विषय में पढ़ा. सत्व गुण की प्रधानता ही ईश्वर के समीप होने का चिह्न है और तमोगुण की अधिकता उससे विपरीत होने का. 

Thursday, May 24, 2012

स्वप्न की नदी


कल रात भी रिमझिम पानी बरसता रहा, इतवार की सुबह भीगी-भीगी थी, वे उठकर घूमने गए, मोतिया का एक पौधा दिखा, फूल खिले थे, एक टहनी उससे पूछकर ली, अपने घर के बगीचे में लगाने के लिये. जून सब्जी लाने माँ को लेकर बाजार जाने वाला है, यहाँ का बाजार उनके लिये नया सा होगा कुछ सब्जियां भी नयी होंगी, स्क्वैश, भात करेला आदि वहाँ नहीं मिलते. कल बड़ी बहन का जन्मदिन है, नूना ने सोचा, बहुत दिनों से उनका खत नहीं आया.

कल रात स्वप्न में दौड़ती भागती एक नदी को देखा जो खेतों के बीच से जा रही थी. दोनों ओर ऊँचे-ऊँचे कगार तथा जिस ओर वह खड़ी थी अपनी पड़ोसिन उड़िया मित्र के साथ, पुराने मकानों के अवशेष थे. फिर देखा कि उनका तबादला हो गया है, सामान की पैकिंग कर रहे हैं वे, ये स्वप्न उन्हें जगाने के लिये ही आते हैं, नींद खुल गयी, उठकर पानी पिया, फिर देर तक नींद नहीं आ रही थी. भीतर की हलचल अब कितनी स्पष्ट महसूस होती है, जिस ओर करवट ले उसी ओर, बस अब एक माह की प्रतीक्षा और है. बाबूजी भी आज वापस जा रहे हैं.
अभी कुछ देर पूर्व भगवद्गीता का तेरहवां अध्याय पढ़ते हुए उसे कल रात्रि को जून के साथ हुई बातें याद आ गयीं, नित्य पढ़ती है पर उसका मन अभी भी दुर्बल है, जून की कितनी अधिक आश्रित है है वह उसके स्नेह की उसके दुलार की. धीरे-धीरे पढ़ते-पढ़ते सबल होगा मन, अवश्य.. एक दिन. वह कल दोपहर जल्दी आ गया, उसे दिगबोई जाना था, फिर देर शाम को लौटा.



   

Wednesday, May 23, 2012

जन्मदिन पर वर्षा


मन का भी यह अजीब रवैया है कि जिसको वह सदा आनंदित देखना चाहता है उसी को पल में उदास भी कर देता है. आज जून को नूना के कारण उदास होकर जाना पड़ा है, क्या वह समझ पाएगा कि ऐसा उसने क्यों किया. आज सुबह वे पांच बजे ही उठ गए थे. आज उसने जन्मदिन पर एक कार्ड भी दिया अपने हाथों से बनाया. बहुत स्नेह छुपा था उसमें और भी कितने उपहार दिए. पर आज उसे अपने कुछ बीते हुए पुराने जन्मदिन याद आ रहे थे, सुबह स्वप्न में छोटे भाई, बहन को देखा, माँ को भी देखा और देर तक उस स्वप्न की स्मृति बनी रही और जून ने सोचा कि उसे उसके दिए उपहार अच्छे नहीं लगे और वह उदास होकर चला गया. बाद में नूना ने सोचा इस समय वह ऑफिस में होगा शायद कहीं बाहर भी जाना पड़ा हो. जियोलॉजीकल लाइब्रेरी या सेंट्रल स्कूल. उसने सोचा जब वह घर आयेगा और उसे प्रसन्न देखेगा तो सहज हो जायेगा, वह उसकी प्रतीक्षा करने लगी उसके जाने के फौरन बाद से ही.

वह बचपन से हर जन्मदिन पर प्रार्थना करती है कि उस दिन वर्षा हो, चाहे दो-चार बूंदें ही गिरें और सदा उसकी इच्छा पूरी होती आयी है. भगवान अब भी उसकी बात सुनते हैं, कल रात हुई वर्षा इसका प्रमाण है, जबकि वह उनकी कही एक भी बात नहीं मानती. कल का दिन बहुत अच्छा रहा, सभी के पत्र व कार्ड मिले.

Tuesday, May 22, 2012

स्वप्न में पुलिस स्टेशन


सुबह के आठ बजे हैं, अभी तक वे सब सो रहे हैं. उसने भगवद्गीता का सातवाँ अध्याय पढ़ा. सत्य है हर बार पढ़ने पर उसे यही लगता है जैसे पहली बार पढ़ रही हो. कितने ही वाक्य उसकी समझ से बाहर हैं पर लोकप्रिय गीता में चुने हुए आसान श्लोकों का अर्थ दिया है जिससे बहुत सहायता मिलती है. कल छोटे भाई का पत्र आया जन्मदिन की शुभकामनाओं सहित. कल रात जून और उसने बहुत देर तक बातें कीं. जून ने कहा कि उसका सब कुछ नूना का है, सपने भी, यह संभव है न अपना सब कुछ किसी को सौंप देना, पर यहाँ किसी को देने का प्रश्न ही नहीं है, खुद को ही देना है. कल जन्म दिन पर वह उसे एक प्रेम का दस्तावेज देने वाला है. कल वे स्टूडियो भी जायेंगे तस्वीर उतरवाने  पूरे एक वर्ष बाद
रात को एक स्वप्न देखा, अच्छा सा था. वे बस में सफर कर रहे हैं. दो-तीन लडकियाँ भी हैं उसी बस में, शायद उनके पास कोई स्मगलिंग का सामान है या वे कोई अवैध काम करती हैं. बस में एक पुलिस वाला भी है सादे वेश में, वह उन्हें बातों में लगाकर कई सवाल पूछता है और सीधे पुलिस स्टेशन ले जाता है, सभी यात्रियों को भी साथ में जाना पड़ता है, फिर स्वप्न टूट गया. 

Monday, May 21, 2012

बारिश के मौसम में सूखा


आज भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरु की पुण्य तिथि है. वही रोज का समय है, उतनी ही धूप वैसी ही गर्मी. पता नहीं वर्षा रानी किस दिन रिमझिम करती आएगीं. कल टीवी पर मौसम का हाल देखा था तो उसमें वर्षा होने के आसार बताए थे पर अभी तक तो दूर-दूर तक बादलों का कोई पता नहीं है. माँ की तबियत बेहतर है, उन्हें परहेज करने के लिये कहा है  डॉक्टर ने पर वह ऐसा नहीं करती हैं और इसीलिए अस्वस्थ रहती रहती हैं. उनके साथ मकान मालिक बूढ़े बाबूजी भी आये हैं, जो किताब पढ़ रहे हैं, खुशमिजाज हैं बाबूजी. जून ने कल शाम कई दिनों के बाद किताब खोली, वह स्वयं को दूसरे कामों में व्यस्त रखता है और उसे पढ़ाई का समय नहीं मिल पाता.  

टीवी पर नेहरु जी पर कुछ कार्यक्रम देखे, उन्होंने सोचा कि उनकी आत्मकथा वे अपने घर में रखेंगे और गाँधी जी की भी. पता नहीं उनके ट्रांजिस्टर में क्या खराबी आ गयी है कि डिब्रूगढ़ रेडियो स्टेशन के प्रोग्राम भी नहीं पकड़ता, वह सुबह आठ बजे के समाचार भी नहीं सुन पायी और सीलोन के कार्यक्रम भी स्पष्ट सुनाई नहीं देते हैं, जून से कहकर उसे दिखाना होगा उसने सोचा. आज भी मौसम वैसा है, वर्षा तो जैसे स्वप्न हो गयी है. कल रात उसे अजीब सा अहसास हुआ, सारे तन में गर्मी भर गयी किसी करवट चैन नहीं आ रहा था, फिर धीरे धीरे सब शांत हो गया. जून को भी उसके साथ देर तक जगना पड़ा. 



Friday, May 18, 2012

प्याज की रोटी


कल चचेरे व फुफेरे दोनों भाइयों के पत्र आये, फूफा जी की अस्वस्थता के बारे में लिखा था, उसे याद आया बचपन में बच्चे बुआ के कहने पर उनकी सिगरेट छिपा देते थे, पर वे किसी न किसी तरह ढूँढ ही लेते थे. उसने जून की नीली पैंट ठीक कर दी है, पहले भी एक बार की थी, उसने सोचा कि उसे एक और पैंट जरूर ही सिलवानी चाहिए, आज वह  तिनसुकिया गया है, वाराणसी से सभी जन आ रहे हैं उन्हें लाने. नूना ने कितना कहा कि हेलमेट पहन कर जाओ, रास्ता लम्बा है, मोटरसाइकिल पर तय करना है पर माना ही नहीं, बच्चों की सी जिद करता है कभी कभी. रात बेहद गर्मी थी पर इस वक्त बादल हैं, वह जरूर भीग गया होगा.
घर कितना भरा-भरा सा है, कल वे आ गए थे. ट्रेन सिर्फ ढाई घंटा लेट थी. जून बिल्कुल भीग गया था पर स्टेशन पर पहुंचने के बाद वर्षा रुक गयी थी. दिन भर वह व्यस्त रही न अपनी सुध थी न उसकी. बातों में घूमने में टीवी देखने में समय सबके साथ कैसे बीत जाता है पता ही नहीं चलता. जून को बहुत काम करना पड़ता है पर वह चेहरे पर जरा भी शिकन लाए बिना बिना थके सब करता  है. प्याज की रोटी के लिये माँ प्याज काटते-काटते बातें भी करती जा रही थीं. उनकी तबियत पूरी तरह ठीक नहीं है. 

नूरजहाँ- मलिकाए तरन्नुम


आज मौसम मेहरबान है, बादलों ने कम से कम अपनी सूरत तो दिखाई है. पाकिस्तान रेडियो से नूरजहाँ का गाया अच्छा सा गाना आ रहा है. “हमारी सांसों में आज तक वह हिना की खुशबू महक रही है...पता नहीं क्यों उसे पकिस्तानी गाने बहुत अच्छे लगते हैं, यही नहीं उनके कई और भी कार्यक्रम उसे बहुत पसंद आते थे. उसने अमृत लाल नगर का उपन्यास 'मानस के हंस' पढ़ना शुरू किया है जो संत तुलसीदास के जीवन पर आधारित है. कल टीवी पर सत्यजित रे द्वारा निर्देशित एक धारावाहिक देखा “कलाकृति” जो बहुत अच्छा था. दो हफ्ते बाद उसका जन्म दिन है और लगभग पचास दिन बाद उसका जो आजकल अपनी उपस्थिति कितनी तीव्रता से व्यक्त करता है.
सुबह उठते ही जून ने उसे याद दिलाया कि आज का दिन कितना विशेष है. आज से चार वर्ष पहले इसी दिन वह उससे मिलने आया था,वह तब हॉस्टल में थी. पूरा दिन उन्हें साथ रहना था. पहली बार वे घूमने गए थे. उसका साथ कैसी अनजानी, उस समय तक बिल्कुल नयी, अछूती अनुभूतियों से भर देता था. पल-पल झिझक भरा स्पर्श, पास-पास आने की चेष्टा करते हुए वह दूर-दूर रहना. वे बहुत खुश थे. एक दूसरे की समीपता में खुश रह सकते हैं ऐसा अहसास हुआ था. उसी का तो परिणाम है यह उनका जीवन भर का अटूट बंधन. जून की बातें उस दिन जितनी मोहक थीं आज उससे कहीं ज्यादा ही हैं. फिर भी उस दिन का महत्व तो है.

Thursday, May 17, 2012

बारिश में भुने भुट्टे


कल घर से पत्र आया है, वे लोग २२ मई को यहाँ पहुँच रहे हैं. जून उस दिन उन्हें लेने तिनसुकिया जायेगा. पिछले वर्ष भी इन्हीं दिनों वे यहाँ थे पर इस वर्ष उनके आने का कारण कुछ विशेष है. कल उसने रवीन्द्र नाथ टैगोर का उपन्यास ‘नौका दुर्घटना’ पढ़ना आरम्भ किया, इस उपन्यास पर अवश्य कोई फिल्म बनी होगी, कितने उतार-चढ़ाव हैं कहानी में. सुबह समाचारों में सुना कि बांग्लादेश में मतदान के दौरान हिंसा की कई घटनाएँ हुई. उसने सोचा कैसे होते होंगे वे लोग जो हिंसक हो जाते हैं.. पथराव, गोली, विस्फोट से उन्हें अपने मारे जाने का भी भय नहीं होता.
उस दिन रवीन्द्रनाथ टैगोर की सवा सौंवी जयंती थी, सारे कार्यालय बंद थे, सो जून दिन भर घर पर था. वे सुबह जल्दी उठकर सूर्योदय देखने गए, उसके बाद भी बहुत दूर तक चलते गए. शाम को बाजार गए, जून ने उसके जन्मदिन के लिये कुर्ते का कपड़ा खरीद कर दिया, अगले दिन में दोनों ने मिलकर सिला. एक अच्छी बात हुई कि टीवी ठीक हो गया कुछ मजदूर बुलाए और उनकी सहायता से एंटीना फिर से लगाया. उन्होंने बहुत दिनों बाद फिल्म देखी. कल जून सब्जी लेने गया तो भुट्टे भी लाया उसे नूना की पसंद का बहुत ख्याल है. बारिश में आग पर भुने भुट्टे कितनी स्मृतियाँ जगा देते हैं बचपन की, जब एक दूसरे के मुँह पर लगी कालिख देख कर वे हँसते थे, और उनकी सुगंध भी दूर तक फ़ैल जाती थी. मौसम आज भी गर्म है या कहें कि इस हफ्ते भी गर्म है पिछले हफ्ते की तरह. पता नहीं कब बरसेंगे बादल और भीगेंगे खेत, खलिहान, घर की छतें, सड़कों के किनारे के पेड़.    

Tuesday, May 15, 2012

श्र्द्दावान लभते ज्ञानं


जून उसके लिये हिंदी अनुभाग से दस किताबें लाया है, ज्यादातर उपन्यास हैं, कुछ कहानियों की किताबें हैं. इन्हें पढ़ लेने पर वह और भी लाएगा. नूना बहुत खुश है इन्हें पाकर. कल शरत चन्द्र की  एक कहानी पढ़ी, शाम को विमल मित्र की डेढ़ कहानी, दूसरी पूरी नहीं पढ़ पायी, रात को जून ने कहा, उसे नींद आ रही है, बत्ती बुझा दो. उसे पता नहीं क्यों पढ़ने के नाम पर जोरों से नींद आने लगती है, पर बत्ती बंद होने के बाद आधे से एक घंटा वह जगता रहा था. सुबह उठकर जून के जाने के बाद उसने वह कहानी पढ़नी शुरू की, काम वाली महरी तब तक आयी नहीं थी, पढ़ते-पढ़ते कब उसकी भी आँख लग गयी उसे भी नहीं पता, एक बार उठने का ख्याल आया तो मन ने कहा अभी काम वाली आकर घंटी बजाएगी, पर उसे आना ही नहीं था, फिर उठ कर भोजन बनाया जून के आने में आधा घंटा शेष था. फिर स्नान किया और रोज का गीता पाठ किया, पढ़ा, “ईश्वर को केवल श्रद्धा से जाना जा सकता है, उसके विषय में तर्क करने से कुछ हाथ नहीं आयेगा, वह है, यह मानना होगा पूरे मन से. संशय ग्रस्त मन कभी रास्ता नहीं पा सकता, संशय से ऊपर रहकर अपने आप में व ईश्वर की सत्ता में विश्वास रखकर वे कहीं अधिक सबल हो सकते हैं.      

Thursday, May 10, 2012

बेल्जियम फिश


अप्रैल की अंतिम सुबह कितनी ठंडी है. वर्षा बदस्तूर जारी है. रीडर्स डाइजेस्ट के हिंदी संस्करण ‘सर्वोत्तम’ में उन्होंने साथ-साथ एक लेख पढ़ा, ‘बॉब ग्रीन’ का लिखा हुआ- मेरी बेटी का पहला साल, लेखक ने अपने अनुभवों का कितना मोहक व सजीव चित्रण किया है कि पढ़ते-पढ़ते वे भी अपने भविष्य के सपनों में खो गए. एक किताब ‘The Voyage out’ जो पिछले चार-पांच दिनों से वह पढ़ रही थी, समाप्त हो गई, नायिका rechel का दुखद अंत हुआ, शायद वह विवाह और बच्चों के लिये नहीं बनी थी, वह कुछ और ढूँढ रही थी. नायक के प्रति वह सहानुभूति नहीं जगा पायी. टीवी पर उन्होंने ‘सत्यजित रे’ द्वारा निर्देशित एक नाटक देखा सुखांत, जो बहुत अच्छा था
आज मई दिवस है. एक हफ्ते की वर्षा के बाद आज सूर्य भगवान ने दर्शन दिए हैं. सुबह आँखें खोलीं तो धूप जैसे उनमें भरती जा रही थी. पूरा कमरा रोशनी से खिला हुआ था. पर दो घंटे बाद ही कितना अँधेरा हो गया, बादल घिर आये, यहाँ का मौसम पल-पल मिजाज बदलता है. टीवी पहले से बेहतर हुआ लगता है, चित्र हार देखा और आशा भोंसले का साक्षात्कार भी, जो उन्हें बहुत अच्छा लगा. आज शाम क्लब में पेट्रोलियम मिनिस्टर का सम्बोधन है जून वहाँ जायेगा और नूना अपनी मित्र के पास, वह भी उसी की तरह पहली बार माँ बनने वाली है. उनके सुख और परेशानियाँ एक सी हैं. उसी ने कार्ड्स का एक नया खेल सिखाया था “बेल्जियम फिश”. 
अब वह सुबह जल्दी उठकर टहलती है या शाम को धुंधलका होने के बाद. दिन में बाहर निकलना उसे अच्छा नहीं लगता, कुछ लोग देखने लगते हैं. वजन बहुत बढ़ गया है, सभी कपड़े टाइट हो गए हैं. उन दोनों को दो महीने बाद की उस घटना का इंतजार है जो उनके जीने के ढंग को काफी हद तक प्रभावित कर सकती है. उनके नन्हें मेहमान का आना.
उस दिन इतनी मेहनत से बूस्टर लगाया था, पर उसमें कुछ खराबी आ गयी है अब फिर घंटो की मेहनत और कुछ लोगों के सहयोग से उसे उतारना होगा. कल उन्होंने दोनों घरों पर पत्र लिखे जो पोस्ट करने के लिये जून को देना वह भूल गयी है. आजकल वह अकेले ही लाइब्रेरी जाता है उसके लिये एक साथ चार किताबें लाया है. इतवार होने के कारण कल दोपहर का खाना उसने ही बनाया सिंधी पुलाव व भरवां भिन्डी की सब्जी. शाम को जब वह घर पर नहीं था नूना ने उसका एक पुराना पत्र पढ़ा, कितनी यादें सजीव हो गयीं. वे एक दूसरे का पर्याय बन गए है, एक-दूसरे के बिना अस्तित्त्व की कल्पना करना भी असह्य है, वह चाहती है कि जून और आगे बढ़े, परिश्रमी, और हिम्मती बने, अपने कार्य में कुशलतम बने और पढ़े, सारी जिंदगी उसके सामने पड़ी है, और यही उम्र है जब कितना भी उड़ेंलते जाओ मन से उत्साह कम नहीं होता.

   

Tuesday, May 8, 2012

आम की चटनी


कल वह मेडिकल चेकअप के लिये गयी थी. सभी कुछ सामान्य है, डॉक्टर ने ऐसा बताया. पर ढेर सारी दवाएं दे दी हैं. कितने महीने हो गए हैं दवाएं खाते, टॉनिक व विटामिन के कैप्सूल हैं पर उसे अच्छा नहीं लगता लाल-पीली गोलियाँ निगलना. माँ का पत्र आया था, सड़क दुर्घटना में मौसेरे भाई की अकाल मृत्यु की खबर थी. भाभी व बच्चों की सूरतें बार-बार सामने आती रहीं, कभी-कभी मृत्यु कितनी कठोर हो जाती है.
आज सुबह पानी नदारद था, गर्म पानी वाले नल में थोड़ा पानी था सो गर्मी के बावजूद उसे उसी पानी से नहाना पड़ा. सुबह ठंडक थी, वह कुछ देर घर के बाहर टहलती रही, जून सो रहा था. आजकल वह बहुत हौले-हौले बात करता है, उससे या उसके माध्यम से आने वाले मेहमान से. अब उसे बैठ कर फूल काढ़ने में दिक्कत होती है. यहाँ टीवी को चलाने के लिये बूस्टर लगाना पड़ता है, कल ही वह लाया है इतने दिनों से शांत पड़ा टीवी शायद अब बोलने लगे.
जून के आने का समय होने को है. आते ही वह उसका हाल पूछता है, कल बहुत दिनों बाद वह मोटरसाइकिल पर बैठी, जून ने बहुत धीरे-धीरे चलाई ताकि उसे कोई परेशानी न हो. कल वह अम्बियाँ लाया था जिसकी चटनी बनाने जब वह पड़ोस में गयी तो वह टीवी का एंटीना लगाने के लिये पाइप ले आया. एक-डेढ़ घंटे के प्रयास के बाद आखिर एंटीना व बूस्टर दोनों लग गए और इतने दिनों बाद टीवी देखा, परिणाम बहुत अच्छा तो नहीं था क्योंकि पाइप की लम्बाई कुछ कम थी.


Monday, May 7, 2012

अप्रैल फूल


उस दिन अप्रैल की पहली सुबह थी. उन दोनों ने एक दूसरे को अप्रैल फूल बनाया और खूब हँसे. पिछली शाम आंधी आयी थी और हल्की बूंदाबांदी भी हुई, लेकिन सुबह वैसे ही गर्म थी. रात वह अजीब-अजीब स्वप्न देखती रही, बीच बीच में नींद टूट जाती थी, उमस भी थी कमरे में, उठकर जून ने पंखा चलाया पर उसके बाद भी असुविधा में थे तन-मन दोनों. संभव है दिन में सो लेने के कारण ऐसा हुआ हो, या जैसे-जैसे दिन नजदीक आ रहे हैं, दिक्कतें कुछ तो आयेंगी ही. वह पिछले कई दिनों से एक नॉवल पढ़ रही थी. कितनी सूक्ष्मता से दो जोड़ों के चरित्र का चित्रण लेखक ने किया है. कल शाम उन्होंने आपने विवाह की एल्बम देखी और एक पुराना खत पढ़ा, बहुत हँसे अपनी उन दिनों की दीवानगी पर. जून आजकल हर वक्त उसका ध्यान रखने का प्रयत्न करता है, वह खुश है और स्वस्थ भी. उसे घर का काम करने का भी शौक है, इतवार को कपड़े धोने में उसे मजा आता है. दोसे बनाने हों तो तैयारी में सिवाय दाल-चावल भिगोने के उसे और कुछ नहीं करना पड़ता. उसे पीसने के लिये व चटनी बनाने के लिये वे अपने दक्षिण भारतीय मित्र के यहाँ जाते हैं, व बनाने के लिये वह तैयार रहता है.

Friday, May 4, 2012

कहो न आस निरास भई


आज उसे डॉक्टर के पास जाना था. सामान्य जाँच के लिये. हो सकता है अब हर दो हफ्ते बाद जाना पड़े. सुबह किचन की सफाई भी की. कल बाकी घर की सफाई की थी, हमेशा की तरह जून ने दीवारों, छत के कोनों की और उसने फर्श की. कमरे की सजावट में थोड़ा फेरबदल भी किया. आज बरामदे में हैंगिग फ्लावर पॉट लगाने के लिये हुक लगाने कुछ लोग आये थे. उसने कल्पना में उनमें लटकते फूल देखे और फिर कल लाइब्रेरी से लाई किताब पढ़ने लगी.
होली आयी और चली भी गयी. हर वर्ष की तरह यादें छोड़ गयी, कुछ खट्टी कुछ मीठी. आज गुड फ्राइडे है, इसी दिन ईसा को सूली पर चढ़ना पड़ा था. दो हजार से अधिक वर्ष हो गए इस घटना को पर आज भी व्यथित होते हैं लोग इसे याद करके.
सहगल का गीत, ‘कहो न आस निरास भई’ सुनते हुए उसने अधूरी चादर पुनः काढ़नी शुरू की है. अच्छा लगता है उसे फूल काढ़ना और सहगल के पुराने गीत सुनना भी. अभी कुछ देर पूर्व जून आया था, उसके स्नान के लिये गर्म पानी रख कर जाना भूल गया था, इसीलिए आया था. कितना ध्यान है उसे नूना का.

Thursday, May 3, 2012

अ हैंडफुल ऑफ़ राइस


कल शाम को एक छोटी सी बात ने उसे परेशान किया और उसकी चुप्पी से जून भी उदास हो गया. दोनों ही कुछ देर करवटें बदलते रहे पर वह जानती है कि वे एक दूसरे की खुशी से खुश होते हैं और एक दूसरे के दुःख से दुखी...जैसे प्यार की कल्पना उन्होंने की है वैसा ही स्वच्छ, निर्मल, स्नेहिल, उदार प्यार उनके मध्य बहता है. हर क्षण वे साथ साथ जीते हैं. तो थोड़ी ही देर में सारी दूरी मिट गयी थी और हँसी लौट आयी थी. उन्होंने वादा किया कि भविष्य में ऐसा नहीं होने देंगे. उनके बीच कोई गलतफहमी नहीं रहेगी. होगी सिर्फ स्नेह की अटूट धारा व हँसी की डोर. जून जब हँसता है उसकी आँखें भी हँसती हैं और नूना को बहुत अच्छी लगती हैं.
आज उसके ऑफिस जाते ही उसने वह किताब उठा ली जो पिछले सात-आठ दिनों से पढ़ रही थी. A handful of rice  अंतिम अध्याय रह गया था. स्नान में देर हुई पर पढ़कर खत्म किया, किचन में झाड़ू लगाया. बाकी  घर की सफाई करने तो सफाई कर्मचारी आता है. कल जून को फिर तिनसुकिया जाना है और उसे कुछ घंटे अकेले रहना होगा पर गए बिना गुजारा भी तो नहीं है. उसने रोड टैक्स भी जमा नहीं किया है वैसे तो वह छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखता है, इसके लिये भी डिब्रूगढ़ जाना होगा यानि आधा दिन और लगेगा.  

Wednesday, May 2, 2012

दीवार पर पोस्टर


कल दिन भर वर्षा होती रही. तेज मूसलाधार वर्षा ओलों के साथ, पर बीच-बीच में दो तीन बार धूप भी निकली थी. अजीब है यहाँ का मौसम. रात भर भी बादल बने रहे होंगे. आज भी हैं पर बरस नहीं रहे, कल शाम जून गया था एक विदाई समारोह में भाग लेने, वह नहीं गयी, अब वक्त-बेवक्त उसका हर कहीं मोटरसाइकिल पर जाना तो ठीक नहीं है न. वैसे वह सामान्य महसूस करती है. उठने-लेटने में थोड़ी परेशानी होती है. उसने बाल धोए थे जो अभी तक गीले हैं, कल रात तेल लगाने में जून ने मदद की. उसने अपना हेयर स्टाइल थोड़ा बदला है पता नहीं जून को कैसा लगे, कल वह कह रहा उसने सीवन गलत जगह निकाली है अपने मूल स्थान पर नहीं.
शाम को वे टहलने गए. हवा ठंडी थी. मौसम स्वच्छ था. सब कुछ पेड़-पौधे, आकाश, अस्त होता हुआ सूर्य, धुली-धुली सड़क, एक दर्शनीय दृश्य बना रहे थे. कचनार के फूलों से लदे पेड़ देखे और कई घरों के सामने खूबसूरत लॉन, जिनमें तरह-तरह के फूल लगे थे. वे दूर तक निकल गए, उसे इस तरह जून के साथ शामों को घूमना बेहद पसंद है. अब कुछ ही दिनों तक वह इस तरह घूम सकती है उसके बाद..उसके बाद वे रात को ही जाया करेंगे उसने सोचा. कल जून ने उनके कमरे में बेड के बांयी ओर की दीवार पर एक सुंदर पोस्टर लगाया जो वे कोलकाता से लाए थे.