Thursday, December 28, 2023

टाटा टी सेंटर

अभी-अभी उसने कुछ नये पौधों को पानी पिलाया है। मॉर्निंग ग्लोरी की पौध बहुत अच्छी तरह बढ़ रही है। इसे रोज़ पानी देना होता है। डहेलिया व पिटुनिया के जो पौधे धूप की तरफ़ हैं, वहाँ भी पानी दिया। नन्हे ने कुछ और गमले भेजे हैं, जून शिकायत कर रहे थे कि इतने सारे पौधों को पानी देते-देते वह पहले ही थक जाते हैं। आज पंचायत के दफ़्तर गये थे, वहाँ हिन्दी या अंग्रेज़ी समझने वाला कोई नहीं था, स्थानीय भाषा न जानने पर भी वह परेशान हो रहे थे।  कहने लगे, अपने प्रदेश में रहना कितना अच्छा होता। बाद में वे दोनों धूप में टहलने गये, जिसका रेशमी स्पर्श भीतर तक सहला रहा था, शाम तक वह सामान्य हो गये थे। इंसान का दिल बहुत नाज़ुक होता है, दुनिया की सबसे नाज़ुक वस्तु ! आज सुबह वे सोसाइटी के एक घर से सूखे मेवे ख़रीद कर लाये।उन्हें आश्चर्य हुआ, महिला की तराज़ू ठीक से काम नहीं कर रही थी, बस अंदाज़ से ही उन्होंने सामान तोल दिया था । 


रात्रि के नौ बजे हैं। बायीं तरफ़ के पड़ोस के घर से आवाज़ें आ रही हैं। उनके यहाँ रात का ख़ाना बनना इस समय शुरू होता है। एक दिन देर रात को उसकी नींद खुली, शायद ग्यारह बजे होंगे, सड़क पर कुछ लोग टहलते हुए ज़ोर-ज़ोर से बातें करते जा रहे थे। वह मन ही मन मुस्कुरायी, शायद निशाचर इन्हें ही कहते हैं।आज सुबह वे टहलने गये थे तो रास्ते में जीवन के लक्ष्यों के बारे में बात चल पड़ी । जून ने कहा, वह बिना किसी अधिक परेशानी के सहज जीवन जीना चाहते हैं और आरामदेह मृत्यु भी। यानी जीवन की अंतिम श्वास तक स्वस्थ रहना चाहते हैं। उनके शब्द  थे, जैसे कि चाय पीते-पीते लुढ़क गये !  उसे हँसी आयी, अर्थात आख़िर तक भी चाय नहीं छूटने वाली  ! उसने कहा, वह भी ऐसा ही चाहती है, पर इसके लिए कुछ करना तो पड़ेगा। नियमित व्यायाम, योग, प्राणायाम, सात्विक भोजन, अच्छी पुस्तकें पढ़ना, सेवा को भी स्थान देना होगा। वापस आते-आते सकारात्मकता से मन भर गया था। पौधों की निराई की, स्वाध्याय किया, दिन भर उत्साह बना रहा। आर्ट ऑफ़ लिविंग का अनुवाद कार्य किया, संयोजक ने कहा, एक दिन सभी अनुवादकों की भेंट गुरुजी से करवाने का प्रबंध वह कर रहा है।  


आज क्रिसमस का त्योहार है। उसने नापा के सेल्स ऑफिस में क्रिसमस की सजावट के चित्र उतारे। उनकी लेन में एक घर के सामने टॉय शॉप का पुतला लगा है, जहां बच्चे खिलौने ख़रीद सकते हैं। शहर में उनकी एक से अधिक दुकानें हैं।व्हाट्स एप और फ़ेसबुक पर अनेक संदेशों का आदान-प्रदान किया। नन्हे ने बताया, वे लोग टाटा टी सेंटर में चाय पीने गये, सोनू ने केक बनाये थे, जो वह अनाथ बच्चों के एक आश्रम में उनके लिए ले गई। यू ट्यूब पर ईसामसीह के जीवन पर आधारित एक फ़िल्म देखी, कितने दुख उन्हें दिये गये, उन्होंने सब स्वीकार किया। अद्भुत है उनकी जीवनगाथा, सुंदर हैं उनकी कहानियाँ, जो अपनी बात समझाने के लिए वे लोगों को सुनाते थे !  


आज का दिन विशेष रहा। शनिवार को वैसे भी साप्ताहिक सफ़ाई का दिन होता है, और साप्ताहिक विशेष स्नान का भी। ग्यारह बज गये थे जब सारे काम ख़त्म होने के बाद वह तैयार होकर सीढ़ियों से नीचे उतरी। अचानक देखा, सोनू के माता-पिता बैठे थे, नन्हा और वह किचन में चाय बना रहे थे। उसे आश्चर्य मिश्रित ख़ुशी हुई, कोरोना के बाद पहली बार किसी मेहमान के आने की ख़ुशी। सब ने मिलकर लंच में पुलाव, सब्ज़ी और रायता बनाया, डिनर में पास्ता, सूप व सलाद। 


आज इतवार का दिन भी सबके साथ बिताया। पंचायत के चुनाव की वजह से नैनी सुबह जल्दी आ गयी, उसे वोट देने जाना था। प्रातः भ्रमण के लिए जब वह निकली तब कोहरा छाया था। वातावरण बहुत मोहक लग रहा था। वापस आकर जून के साथ मिलकर दक्षिण भारतीय नाश्ता बनाया। दस बजे तक  नन्हा सभी को लेकर आया, साथ में माली भी था। दोपहर तक नये गमले तैयार करके पौधे लगाये। वह गया तो सभी ने मिलकर भोजन बनाया। कुछ बोर्ड गेम्स भी खेले, शाम को टहलने गये, और दिन कैसे बीत गया, इसका भान ही नहीं हुआ।


Thursday, December 14, 2023

लैवेंडर के बीज

आज ‘विजय दिवस’ मनाया जा रहा है। सन ७१ में आज ही के दिन बांग्ला देश का जन्म हुआ था। पाकिस्तानी सेना ने आत्म समर्पण कर दिया था। प्रधानमंत्री ने विजय चौक पर मशाल जलायी। उन्होंने ‘१९७१’ फ़िल्म देखी, भारत के कुछ सिपाही जो पाकिस्तान में रह जाते हैं, उनके दुखद प्रवास की कहानी। किसान आंदोलन अभी भी जारी है। आज कन्नड़ भाषा के कुछ और शब्द सीखे, बट्टा- वस्त्र, आदिगे- रसोई, चिक्का-छोटा।नये माली से कन्नड़ में बात की, एक वाक्य ही सही, इतवार से काम पर आएगा। नन्हे ने कुछ और गमले मँगवाये हैं, उनके टैरेस गार्डन के लिए।एक मून लाइट लैंप भी भेजा है, उसे चार्ज किया। रंग बदलती है उसकी सतह, बहुत सुंदर लगता है। 


आज पूरे नौ महीने बाद एक घंटे के लिए वे आश्रम गये, जो कोरोना के कारण इतने महीनों से बंद था। लोग बहुत कम थे। गुरुजी का सत्संग अभी एक महीने बाद ही आरम्भ होगा। ब्रिटेन में कोरोना का नया वेरियेंट मिला है, जो तेज़ी से फैलता है। वहाँ फिर से लॉक डाउन लग गया है। भतीजी को उसके जन्मदिन पर छोटी सी कविता भेजी, उसने छोटा सा थैंक्यू लिख कर जवाब दिया। कविता की कद्र कम को ही होती है शायद, कविता कोई क्यों लिखता है, शायद जब कोई खुश होता है तो ख़ुशी बाँटना चाहता है। नाश्ते में आज मूँगदाल के चीले बनाये। उसने सोचा है, शनिवार के दिन कोई न कोई चित्र बनाएगी। इतवार बच्चों के नाम रहता है। सोम से शुक्र हर दिन एक ब्लॉग को समर्पित रहेगा। इस तरह सभी पर बात धीरे-धीरे ही सही आगे बढ़ेगी। सुबह वे दोनों ननदों को याद कर रही थी, कि एक-एक करके उनके फ़ोन आ गये, टेलीपैथी इसी को कहते हैं शायद। सुबह नैनी आयी तो बहुत उदास थी। शायद घर में झगड़ा हुआ था। पीकर आये पति ने उसे चोट पहुँचायी थी। न जाने कितनी महिलाएँ इस तरह अत्याचार सहती हैं, जबकि वह कमाती है, छह घरों में काम करती है। बहुत खुश रहती है और मन लगाकर काम करती है।  


अभी नन्हे से बात हुई, कल इतवार है, वह दोपहर को पास्ता बनाने को कह रहा है। सोनू कुछ हफ़्तों के लिए माँ के घर गई है। आज सुबह सोलर पैनल की सफ़ाई की। नैनी आज पूर्ववत थी, उसे देखकर अच्छा लगा। बातों-बातों में जून ने कहा, वे बोर हो गये हैं। उसने सोचा, जो जगत से बोर हो जाएगा, वह यदि भीतर नहीं मुड़ा तो उसके जीवन में रस नहीं रहेगा। कोरोना ने न जाने कितने लोगों को बोर और उदास कर दिया है। 


नन्हा आया तो उनके भावी नये पड़ोसी बैठे थे। उन्होंने अपने घर के बारे में कई रोचक बातें बतायीं। उनका घर दुमंज़िला होगा, जिसमें स्वीमिंग पूल होगा और छत पर एक से अधिक बगीचे। होम थियेटर तथा एक बड़ा सा मंदिर। उनके सपनों का घर जब तक बन कर तैयार नहीं जाता, उन्हें शोर तथा अन्य असुविधाएं झेलनी पड़ेंगी, इसके लिए वह शुरू से ही क्षमा माँगने आये थे। 


सुबह सवा चार बजे नींद खुली। समय की धारा बहती जा रही है। वह नींद और सपनों में वक्त गुज़ार देते हैं अथवा तो इधर-उधर के कामों में। सुबह टहलते समय भ्रमण-ध्यान किया। शीतल पवन चेहरे को सहला रही थी, आकाश में तारे चमक रहे थे और वातावरण पूर्णतया शांत था। ऐसे में मन स्वतःही एकाग्र हो जाता है। आज उसने लैवेंडर के बीज बोए हैं। शायद एक हफ़्ते में पौध निकल आयें। नन्हे के भेजे हुए गमले आ गये हैं, इतवार को वह मिट्टी लेते हुए आएगा। जून ने कोकोपीट व खाद भी मँगवा दी है।नाश्ते के बाद वे वोटर कार्ड बनवाने पंचायत के दफ्तर गये, पर संबंधित महिला कर्मचारी नहीं मिली। शाम को पिताजी से बात हुई, वे तीन हफ़्तों बाद दिल्ली से घर लौट आये हैं। रास्ते का विवरण बताया, कैसे ढाबे पर रुके, पेट्रोल भरवाया, सब्ज़ियाँ ख़रीदीं। उन्हें मिले उपहारों के बारे में बताया। घर आकर वह बहुत खुश हैं। किसान आंदोलन ख़त्म होने का  नाम ही नहीं ले रहा है। पश्चिम बंगाल में बीजेपी अगले चुनावों की तैयारी में अभी से लग गई है।       


Friday, December 1, 2023

क्वार्ड बाइक का रोमांच

रात्रि के साढ़े आठ बजे हैं, सब तरफ़ सन्नाटा है, केवल पंखे की हल्की सी आवाज़ आ रही है। दिन भर शोर सुनने की आदत हो गई है, उनके घर के दायें-बायें दोनों तरफ़ के घरों में काम चल रहा है। धूल व शोर से बचने के लिए वे दिन भर खिड़कियाँ बंद करके रहते हैं, पर इस समय खुली हैं।अचानक फ़ोन की घंटी बजी, एक विज़िटर को अप्रूव किया, अमेजन डिलीवरी है शायद, नन्हे ने कुछ भेजा होगा। घर बैठे ही ख़रीदारी करने की जो सुविधा मिली है आजकल, सभी उसका पूरा लाभ उठा रहे हैं। पहले ही उसके लिए रंग और कैनवास की तीन कॉपी मंगाकर रख दी हैं नन्हे ने । वे अभी कुछ देर पहले टहल कर आये हैं। हवा ठंडी थी, दिसम्बर का मध्य आ चुका है, पर यहाँ अभी तक चाहे एक नंबर पर ही सही, पंखा चलता है। उससे पहले डिनर में सूप और मुकरु लिए। दोपहर को लेखन का कुछ कार्य किया, छोटे भांजे के लिए एक कविता भी लिखी। पिटुनिया के दो पौधे मुरझा गये थे, उन्हें बदला, पीछे वाले बगीचे में भी काम करवाया, उन्हें दवा-पानी दिया। पौधे भी बच्चों की तरह होते हैं, ध्यान न दें तो पनप नहीं पाते। सुबह धनिया और पालक के बीज बोए, शायद एक हफ़्ते में अंकुर निकल आयेंगे।आज एक पुरानी परिचिता को फ़ोन लगाया, देर तक बातें हुईं, और अचानक शाम को एक अन्य परिचिता का फ़ोन अपने आप आ गया। वे जो देते हैं, वह लौटकर उनके पास ही आता है, यह सही है, उसे ऐसा लगा। 


आख़िर आज कामवाली आयी, घर की सफ़ाई भली प्रकार से हुई।दोपहर को मुख्य घटनाओं का ज़िक्र करते हुए उसने जाते हुए वर्ष का लेखा-जोखा लिखा। योग वसिष्ठ का अध्ययन पुन: आरम्भ किया है। यह दुनिया एक स्वप्न ज़्यादा  कुछ नहीं है, ऐसा ही तो होना भी चाहिए। यह एक खेल है, एक लीला है, आनंद का प्रस्फुरण है, तरंगों का उठना-गिरना है, रस है जो अबाध बह रहा है। इसमें ज़्यादा फँसने की ज़रूरत नहीं है। अघोरा, घोरा और घोरतारा शक्तियों का खेल, शब्दों का एक मायाजाल, जिनसे वे व्यर्थ ही प्रभावित होते रहते हैं। शब्द जहां से निकलते हैं, वहाँ पहुँच जाओ तो चैन ही चैन है।  


आज का इतवार काफ़ी अलग रहा। सुबह टहलने गये तो वॉकिंग मैडिटेशन किया, पता ही नहीं चला, पचास मिनट कैसे बीत गये। वापस आकर कुछ पंक्तियाँ लिखीं, कल टाइप करेगी। बच्चे दस बजे के बाद आये। दोपहर के बाद नन्हा क्वार्ड बाइक चलाने ले गया। काफ़ी रोमांचक अनुभव था। जून ने थोड़ी दूर तक ही चलायी। वह और नन्हा एक गाँव में गये, ऊँची-नीची कच्ची सड़क पर लगभग आधा घंटा चलायी।ढेर सारी तस्वीरें खींची। एक कार्यक्रम में टीवी पर सुना, कल राजकपूर का जन्मदिन है और शैलेंद्र की पुण्यतिथि। दोनों ने कई फ़िल्मों में साथ काम किया था। शाम को छोटी बहन से बात हुई, उसकी दोनों बेटियाँ क्रिसमस की छुट्टियों में घर आयी हैं। छोटी स्टैटिसटिक्स में एमएसी कर रही है, बड़ी जॉब कर रही है, संगीत भी सीख रही है और वह एक सप्ताह के लिए भारत भी आना चाहती है।देश से दूर रहकर देश की ज़्यादा याद आती है। यहाँ भी क्रिसमस की चमक नज़र आने लगी है। सामने वाली लाइन में दो घरों में लाइट और स्टार लग गये हैं। शाम को रोज़ की तरह सूडोकू हल किया, अब अभ्यास होने के कारण अधिक समय नहीं लगता, पहले दस से बीस मिनट उसमें लग जाते थे। एक सखी का फ़ोन आया, उसके बेटे की कोर्ट मैरिज हो गई है, सामाजिक विवाह अगले वर्ष होगा। वक्त बदलता है तो प्रथाएँ भी बदल जाती हैं। किसानों के आंदोलन का आज बीसवाँ दिन है, सरकार का कहना है वह बात करने के लिए तैयार है, यदि वे सुझाव लेकर आयें।    


Saturday, October 14, 2023

मॉर्निंग ग्लोरी के फूल


अभी-अभी वे रात्रि भ्रमण से लौटे हैं। हवा ठंडी थी और सुकून देने वाली, पत्तों की सरसराहट सुनायी दे रही थी। आज छोटे भाई-भाभी के विवाह की सालगिरह है, उनके लिए एक कविता लिखी, उन्हें पसंद आयी, फ़ेसबुक पर पोस्ट करने को कहा है, ताकि और लोग भी पढ़ सकें। रचना की पूर्णता तो पाठकों के पढ़ने पर ही होती है।नन्हा घर  लौटने वाला होगा, वह असम से पिटुनिया और डहलिये के पौधे ला रहा है। सोनू अभी दो महीने वहीं रहेगी, ऐसा उसने कहा है, पर उसे लगता है, वह जल्दी ही लौट आएगी। बंगलूरू के मौसम में रहने के बाद कोई और कहीं क्यों रहना चाहेगा। उससे फ़ोन पर बात की तो बहुत मासूम और छोटी लग रही थी, माँ के पास जाकर शायद सभी बच्चे बन जाते हैं। 


आज सुबह नन्हा माली को लेकर आया। साथ में दस बड़े गमले, चार बोरी मिट्टी, खाद वह पौध भी लाया। उन्होंने कल ही कोकोपीट भिगो दिया था। दोपहर तक सारा काम हो गया। अब कुछ ही महीनों में उनका बगीचा फूलों से भर जाएगा। बड़े भाई से बात हुई, पापा जी कुछ दिनों के लिए उनके घर आये हैं। वे बहुत खुश हैं, पोती भी उनका बहुत ध्यान रख रही है। रात्रि भोजन के बाद जब निकले तो वर्षा होने लगी थी। छाते लेकर गये, हवा थी पर ठंड जरा भी नहीं थी। यही बात बैंगलोर के मौसम को अच्छा बनाती है, दिसम्बर में भी स्वेटर की ज़रूरत नहीं है। यहाँ टेक्निकल सुविधाएँ भी बहुत हैं। उनकी ईवी की सर्विसिंग होनी है, टाटा मोटर्स वाला आदमी कल ख़ुद ही आकर ले जाएगा, फिर परसों छोड़ जाएगा। 


कल दोपहर बारह बजे बड़ी ननद व ननदोई आ गये थे । कितनी बातें की उन्हींने, पुराने दिनों की और वर्तमान की भी। समय कैसे बीत गया पता ही नहीं चला। शाम को उन्हें नापा में घुमाया, हरियाली और साफ़-सफ़ाई देखकर बहुत खुश थे, जगह-जगह तस्वीरें खिंचवाईं। वर्षों बाद कभी देखेंगे तो उन्हें यह दिन याद आ जाएगा। सुबह भी उन्हें भ्रमण के लिए ले गये।नाश्ते के बाद कार में दूर तक झील और जंगल दिखाने ले गये। दोपहर के भोजन के बाद वे अपनी बहन के यहाँ चले गये। समाचारों में सुना, सरकार और किसानों में आज जो समझौता वार्ता होनी थी, नहीं होगी। अभी तक किसान आंदोलन पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है।शायद अब सरकार को कठोरता अपनानी होगी। अनिश्चित काल तक तो यह आंदोलन नहीं चल सकता।


मॉर्निंग ग्लोरी के जो बीज उसने बोए थे उनमें अंकुर निकल आये हैं। असमिया सखी से बात हुई, उसकी बिटिया वापस आ गई हैं, अब आगे की पढ़ाई यहीं से करेगी। दीदी ने कहा, नार्वे में उनकी पोती का स्कूल खुला था, पर बंद करना पड़ा। पहले एक बच्चे को फिर टीचर को कोरोना हो गया। अमेरिका में भी कोरोना थमने का नाम नहीं ले रहा है। भारत में केस घट गये हैं। आज छोटे भांजे का जन्मदिन है, कॉलेज का एक छात्र जो पिछले दस महीनों से घर पर रहकर पढ़ाई करने पर विवश है।कैसे होंगे उसके मन के भाव, वह अपनी आज़ादी को मिस तो करता होगा। देवों के देव में दिखाया गया कि जब लक्ष्मी जी को अहंकार हो जाता है, तब उसका दुष्परिणाम उन्हें भी भुगतना पड़ता हैं। आज नैनी काम पर नहीं आयी, दूसरी पहले से ही एक सप्ताह के लिए गाँव गई है। जून कुछ कामों के न हो पाने के कारण परेशान हो गये। जब उसने कहा, उसे तो भीतर वाले की फ़िक्र है, तो उन्होंने भी चिंता छोड़ दी तथा दिन भर हल्के मूड में ही बने रहे। संग का असर होने लगा है। 


Friday, September 8, 2023

झील के तट पर


रोज़ की तरह वे प्रात: भ्रमण के लिए गये और विशेष बात यह हुई कि वापस आकर कुछ देर साइकिल भी चलायी। नाश्ते के बाद सोसाइटी के पीछे वाली सड़क पर जून दूर तक कार चलाकर ले गये तो एक जगह गुलदाउदी के फूलों का खेत देखा। खिली हुई धूप में फूलों का रंग बहुत शोख़ लग रहा था, ढेर सारी तस्वीरें खींचीं। आज गुरुजी की ज़ूम मीटिंग थी, आयुष तंत्र की दवाओं पर शोध तथा उनके प्रचार के लिए। उसे ट्रांस्क्रिप्शन का काम करना था, फिर हिन्दी में अनुवाद भी। पापाजी को वह वार्तालाप अच्छा लगा, जो उसने उनके साथ की बातचीत पर लिखा था। कल बड़े भाई का जन्मदिन है, उसने उनके लिए भी एक कविता लिखी है। छोटे भाई की नातिन नयी मेहमान अभी अस्पताल से घर नहीं आयी है। पापाजी अभी कुछ दिन वहीं रहेंगे। छोटी भाभी ने अपनी माँ के साथ बिटिया और उसकी बिटिया की तस्वीर भेजी है, चार पीढ़ियों की एक साथ फ़ोटो बहुत सुंदर लग रही है। 


वर्ष के अंतिम माह का प्रथम दिन ! आज सुबह के सभी काम हो जाने के बाद वे निकट स्थित एक झील पर गये, कुछ जल पक्षी तैर रहे थे  और किनारे पर बैंगनी रंग के जंगली फूल शोभित हो रहे थे। तट पर लगे वृक्षों का सुंदर प्रतिबिंब झील के पानी में पड़ रहा था। दोपहर को छोटी बहन से बात हुई, उसे आज सुबह एक स्वप्न आया, गुरुजी ने अपने मस्तक का तिलक उसके मस्तक से स्पर्श कराया है, उसके माथे में सनसनी हो रही थी । वाक़ई यह बहुत सुंदर अनुभव है, इसे अनमोल मानना चाहिए। गुरु से किसी का संबंध अपनी आत्मा से संबंध जैसा होता है। 


रात्रि का समय है। कुछ देर पूर्व सोनू से बात हुई, कल वे लोग ब्रह्मपुत्र में क्रूज़ पर जा रहे हैं, ‘उमानंद’ द्वीप भी जाएँगे। उसे याद आया, पिछले वर्ष वे भी गये थे। अगले दिन वे डैफ़ोडिल नर्सरी भी जाने वाले हैं, जहां से उनके लटकाने वाले गमलों के लिये पिटुनिया के पौधे लेंगे। आज नापा स्थित एक किसान से जून ताजी पालक ख़रीद कर लाये। समाचारों में सुना, केरल और तमिलनाडु में एक और तूफ़ान आने की चेतावनी दे दी गई है। 


केरल में आये चक्रवात बुरेवी का असर बैंगलुरु में भी पड़ा है। आज सुबह से ही बादल बने हुए हैं। कुछ देर वर्षा भी हुई, इस मौसम में पहली बार स्वेटर निकाला। शाम को गुरुजी का लाइव सत्संग था, असम में सोचा करती थी, आश्रम जाकर सत्संग में भाग लेगी, पर एक वर्ष होने को है, अभी तक आश्रम सबके लिए खुला नहीं है। उनके बताये ध्यान वे रोज़ ही करते हैं। आज विश्व विकलांग दिवस है, मृणाल ज्योति में अच्छी तरह मनाया गया, उसने तस्वीरें देखीं, एक अध्यापक ने फ़ेसबुक पर वीडियो भी पोस्ट किया था। उस वे कई दिवस याद आ रहे थे, जब वह महिला क्लब की अन्य महिलाओं के साथ बच्चों के लिए उपहार लेकर जाती थी। कल रात्रि अजीब सा स्वप्न देखा। मन को यह बोध हुआ कि नाम-रूप दोनों भ्रम हैं। दोनों क्षणिक हैं, उनके प्रति आसक्ति दुख को उत्पन्न करने वाली है। इस जगत में कुछ भी स्थायी और स्वतंत्र नहीं है, सभी कुछ आपस में एक-दूसरे पर आश्रित है। 


आज नेवी डे है। मौसम आज भी ठंडा रहा दिन भर, हल्की वर्षा भी हुई।अगले हफ़्ते एक दिन के लिए  बड़ी ननद  और ननदोई आ  रहे हैं। उसी दिन शाम को नौ बजे आश्रम के स्वामी प्रणवानंद जी का ऑन लाइन कार्यक्रम है। शाम को एक पुराने परिचित की बिटिया का फ़ोन आया, एम डी की उसकी परीक्षा अब मार्च या अप्रैल में होग, कोविड के कारण ही यह देरी है। जबकि उसका छोटा भाई एक वर्ष की पढ़ाई कर चुका है। आज बौद्ध धर्म पर एक दो व्याख्यान सुने। शून्यता की परिभाषा समझ में आयी। वेदान्त का ब्रह्म ही बौद्धों का शून्य है। सुबह के भ्रमण में मन को शून्य पर टिकाने का अभ्यास सहज ही होता है। हल्का अंधकार होता है हर तरफ़ सन्नाटा, कुछ भी नहीं होता जो ध्यान खींचे। योग साधना के समय आजकल शंख प्रक्षालन के आसनों के कारण देह हल्की रहती है।


Wednesday, August 2, 2023

देव दिवाली की चमक

आज एक दिन और गुजर गया। जीवन कैसे पल-पल बीत रहा है। उन्हें यहाँ आये हुए एक वर्ष हो गया है। एक भविष्यवाणी के अनुसार उसके हाथ में साढ़े पंद्रह वर्षों का समय है। कितना कुछ करना है, करना था पर इधर दिन निकलता है उधर रात हो जाती है। सुबह-सुबह टहलते समय कितने सारे सुंदर विचार मन में उग रहे थे, पर अब एक भी याद नहीं है। उसी समय आकर लिख लेना ही उचित होगा। कल एक निकट संबंधी ने जून से ज़मीन ख़रीदने के लिए आर्थिक सहायता माँगी थी, पर दिन भर विचार करने के बाद शाम को उन्होंने अपनी असमर्थता जता दी। ज़मीन-मकान में पैसे लगाना अक़्लमंदी नहीं है। पहले ही दो जगह उन्होंने पैसे लगाये हुए हैं, जिसका जरा भी लाभ नहीं मिल रहा, यह वह जन स्वयं ही बता चुके थे। 


इस समय रात्रि के नौ बजे हैं। आज पहली बार उसने ज्वार के आटे का चीला बनाया, दीदी से बात हुई तो उन्होंने कहा, वह सिंघाड़े तथा कोटू के आटे का चीला भी बनाती हैं। पापा जी ने कहा, उन्होंने ‘कारवाँ’ पर दूसरी बार सारे गीत सुन लिए हैं। उनसे बात की तो अध्यात्म पर चर्चा हुई। उसने कुछ प्रश्न पूछे, जिसके उत्तर रिकॉर्ड कर लिए हैं, उन्होंने कुछ शेर भी सुनाये। उनके जन्मदिन पर यह बातचीत लिखकर एक तोहफ़े के रूप में उन्हें प्रस्तुत करेगी।सड़क पार सामने वाले घर में गृह प्रवेश की पूजा हो रही है। हरी -नीली-लाल बत्तियों से घर को और गेंदे के फूलों से द्वार को सजाया है।यह पूजा यहाँ रात भर चलती है शायद। आज तुलसी विवाह भी है। देव उठावनी एकादशी है। कितनी अद्भुत है भारत की संस्कृति; जहां  भगवान का विवाह एक पौधे से करते हैं, इसी के माध्यम से तुलसी की महत्ता बतायी गई है, उसके गुणों से परिचय कराया है। आज ‘महादेव’ में देवी ने अपने मन की पीड़ा बतायी तो शंकर भगवान एक बालक के रूप में आकर रोने लगे, वह अपनी पीड़ा किससे कहें ! अद्भुत गाथा है शिव-पार्वती की।


आज सुबह से ही यहाँ घने बादल छाये हैं, हवा भी तेज है। सुबह वे टहलकर आये तो बूँदे गिरने लगीं।चेन्नई में आये ‘निवार’ तूफ़ान का असर यहाँ पर भी हुआ है। बंगाल की खाड़ी से उठे इस तूफ़ान के कारण पुदुचेरी व आंध्र प्रदेश में भी भीषण वर्षा हो रही है। पापाजी से जो वार्तालाप उन्होंने किया था, उसे आज टाइप किया, एक साक्षात्कार के फ़ॉर्मेट में। लिखते समय रिकॉर्ड की हुई अपनी ही आवाज़ सुनी, जो स्वयं को ही पसंद नहीं आयी। अन्यों के कानों को कितना कष्ट देती होगी। उसे अपनी वाणी पर बहुत ध्यान देना चाहिए। इसी प्रकार अपनी लिखावट पर भी। दोनों ही मन की स्थिति को दर्शाते हैं। जून को जो वह लंबे लंबे भाषण देती है, वह उनके कानों को कितने अप्रिय लगते होंगे। उन्हें अपने बारे में कितनी ख़ुशफ़हमियाँ अथवा तो ग़लतफ़हमियाँ होती हैं, यही एक शब्द है जिसका विलोम भी वही अर्थ देता है। हर ख़ुशफ़हमी एक ग़लतफ़हमी ही तो होती है।  नन्हा व सोनू असम गये हैं, हवाई अड्डे पर कोविड के लिए उनकी जाँच हुई,  फ़्लाइट में भी काफ़ी सावधानी बरती गई। दोपहर को आर्ट ऑफ़ लिविंग का एक छोटा अनुवाद कार्य किया। गुरु जी पत्रकारों को संबोधित करने वाले हैं। वे बतायेंगे कि कोविड से बचने के लिए आयुर्वैदिक दवाओं तथा अन्य उपायों के द्वारा रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम होने से कैसे रोका जा सकता है। पिछले कुछ दिनों की तरह आज भी उसने कुछ कन्नड़ शब्द सीखे, प्रतिदिन कुछ शब्द सीखते-सीखते उन्हें भाषा समझ में आने लगेगी।  


कल देव दिवाली है। गुरुनानक देव का जन्मदिन भी।  उसे कुछ वर्ष पूर्व बनारस के घाटों पर देखी देव दिवाली स्मरण हो आयी। जब नौका में बैठकर उन्होंने सभी घाटों पर जलाये गये लाखों दीपकों का दर्शन किया था। शाम से ही सांस्कृतिक कार्यक्रम भी चल रहे थे और भव्य गंगा आरती भी देखी थी। सुबह उठते ही एक सुखद समाचार मिला, छोटा भाई नाना बन गया है। पापा जी भी भाई-भाभी के साथ पोती के घर गये हैं।जून का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, शारीरिक से अधिक मानसिक, वे अपने काम के दिनों की व्यस्तता में कितना खुश रहते थे। सेवा निवृत्ति के बाद संभवतः यह उदासी स्वाभाविक है उस व्यक्ति के लिए जो दिन-रात अपने कार्य के प्रति समर्पित रहा हो, जिसने और कुछ करने के बारे में सोचा ही न हो। उसने उन्हें कुछ सुझाव दिये पर जब तक कोई बात ख़ुद के दिल से न निकली हो उस पर अमल करना आसान नहीं है।    


रात्रि के नौ बजे हैं। आज का दिन काफ़ी जीवंत रहा। सुबह के भ्रमण व साइकिल चलाने के बाद वे जंगल की तरफ़ कार द्वारा लंबी ड्राइव पर गये। पहली बार गुलदाउदी के फूलों का विशाल बगीचा देखा। धूप में फूलों का रंग बहुत शोख़ लग रहा था। आकाश में कार्तिक पूर्णिका का चंद्रमा अपनी पूरी दमक के साथ सुशोभित है। टीवी पर देव दीपावली का आँखों देखा हाल देखा। मोदी जी का भाषण भी सुना। घाटों पर ग्यारह लाख से अधिक दीपक जलाये गये हैं। वाराणसी में काफ़ी बदलाव आ रहा है। गंगा का पानी स्वच्छ हो गया है।सारनाथ में भी लेजर शो दिखाया जाए


Wednesday, July 19, 2023

ध्वनि की ऊर्जा

आज शाम से ही वर्षा हो रही है। कुछ देर पहले नन्हे से बात हुई, उसने बताया दिवाली का उत्सव वे अभी तक मना रहे हैं। आज सुबह एक मित्र परिवार ने उन्हें नाश्ते पर बुलाया था, दोपहर को उन्होंने पड़ोसियों को लंच पर आमंत्रित किया, शाम को पुन: उन दोनों को एक सहकर्मी के यहाँ दिवाली की चाय पर जाना था। रात को नौ बजे से उनका नृत्य अभ्यास है, जो एक मित्र के विवाह के अवसर पर उन्हें करना है। आज दीदी ने वर्ष भर पूर्व  उनके साथ की गई हिमाचल की यात्रा का विवरण भेजा, पढ़कर वे सारे दृश्य आँखों के सम्मुख आ गये। उसने सोचा, वह भी डायरी में लिखे यात्रा विवरण को टाइप करके उन्हें भेजेगी । बड़ी ननद के विवाह की वर्षगाँठ पर उसने एक कविता लिखी ।कल एक सखी के माँ-पापा के लिए श्रद्धांजलि स्वरूप एक छोटा सा आलेख लिखा था, उसने अपने परिवार जनों की प्रतिक्रियाएँ भेजी हैं, अब तक बीस आ चुकी हैं। उनका परिवार बहुत बड़ा है। उसे महसूस हुआ, शब्दों में कितनी ताक़त होती है। 


सुबह वे टहलने निकले तो भोर का तारा गाढ़े नीले आकाश पर दमक रहा था। हवा शीतल थी। रात की रानी की सुगंध दूर से ही आ रही थी। मुख्य सड़क के मध्य में एक लंबी क़तार में इनके पौधे लगे हैं। योगासन के अभ्यास के दौरान छत से दिखा सूर्योदय का दृश्य अनुपम था। उसी दौरान पुन: गायत्री परिवार के लाल बिहारी जी का मनोमय कोष की साधना पर दिया व्याख्यान सुना। उनकी वाणी में कितनी प्रखरता है, बहुत गहरी साधनाएँ उन्होंने की हैं। बाद में एक परिचित, जो इसी सोसाइटी के  निवासी हैं, मिलने आये थे, तमिलनाडु के हैं। हर सुबह दौड़ लगाते हुए मिलते हैं। वे सात बार विपासना का कोर्स कर चुके हैं। उनसे बात करते हुए उसे अपने विपासना अनुभव याद आ रहे थे, उसके लिए एक बार ही यह अनुभव करना पर्याप्त है।  


बाहर से कुछ आवाज़ें आ रही हैं। उनकी बैठक की दीवारों में पानी के रिसाव के निशान दिख रहे थे, इस समस्या से छुटकारे के लिए बाहर दीवारों के पास खुदाई का काम चल रहा है, एक बार फिर से जलनिरोधी प्लासतर करना होगा। आज दिन में दो बार ‘सावधानी हटी और दुर्घटना घटी’ । एक प्याला टूटा और खाने की मेज़ पर पानी से भरा गिलास उलट गया। दोनों बार दाहिने हाथ से, अर्थात हाथ पर मन का नियंत्रण नहीं था और मन पर ख़ुद का। नन्हा और सोनू विवाह में पहुँच गये हैं, उसके मित्र ने लिंक भेजा है, चाहे तो वे भी यहाँ से सम्मिलित हो सकते हैं।’देवों के देव’ में कार्तिकेय और गणेश के मध्य प्रतिस्पर्धा होने वाली है। गणेश ही विजयी होंगे, कार्तिकेय के मन में एक गहरा घाव है जो इंद्र ने उसे दिया है अथवा उसके जन्म की घटनाओं के कारण उसे मिला है। वह कई बार कैलाश छोड़कर जा चुके हैं, कोई न कोई उन्हें मनाकर वापस लाता है। 


सुबह वे जल्दी उठे। उठने से पूर्व उसे लगा जैसे किसी ने कहा हो, ध्वनि एक ऊर्जा है। प्रात: भ्रमण के दौरान इसी बात पर मनन करते हुए मंत्र जाप किया। हर शब्द  की तरंगों का शरीर पर असर होता है।ओम के उच्चारण का अति प्रभाव होता है, इसीलिए इस पर इतने शोध हो रहे हैं। हज़ारों वर्षों से ऋषि यह कहते आये हैं। शरीर तरंगों से बना है, तो ध्वनि की तरंगें उसे प्रभावित करें इसमें आश्चर्य भी क्या है ? भीतर निरंतर एक गुंजन चल रही है, उसे सुनें या ना सुनें, वह हो ही रही है। वह ध्वनि कहाँ से आ रही है, क्या वह प्राण ऊर्जा की गति के कारण है, जैसे बिजली की तारों से एक ध्वनि आती है। इस देह में न जाने कितने रहस्य छिपे हैं। गुरुजी के भगवद्गीता पर दिये प्रवचन का एक अंश सुना। वे गूढ़ विषयों को भी सरल भाषा में समझा देते हैं। शाम को एक निर्देशित ध्यान किया था, मन कितना हल्का हो गया था उसके बाद। जून को भी अच्छा लगा। अब वह पुन: कर रहे हैं। उन्हें अपने आप ध्यान के लिए बैठे देखकर अच्छा लगा। उन्हें ध्यान के महत्व का ज्ञान हो रहा है।  


आज साप्ताहिक सफ़ाई का दिन था। सुबह सर्दियों की ठंड के साथ शुरू हुई। तापमान चौदह डिग्री था, वे जैकेट आदि से मुस्तैद होकर निकले। दोपहर को धूप निकल आयी थी। फूलों के चित्र उतारे, जो धूप में और भी शोख़ लग रहे थे। शाम को सूर्यास्त के चित्र  फ़ेसबुक पर प्रकाशित किए। आर्ट ऑफ़ लिविंग के अनुवाद कार्य के बाद  दोपहर को ब्लॉग पर लेखन  व पठन कार्य, लिखा कम, पढ़ा अधिक। हिमाचल की यात्रा का वृतांत पिताजी व दीदी दोनों को अच्छा लगा। नन्हे के मित्र ने विवाह के बाद एक उपहार भेजा है, बहुत बड़ा सा पैकेट है। उन्होंने अनुमान लगाया, उसमें क्या हो सकता है। 

   


Thursday, July 13, 2023

दिवाली के दीपक

दिवाली के दीपक 

रात्रि के पौने नौ बजे हैं। आज मौसम ठंडा है। सुबह वे टहलने गये तो तापमान सत्रह डिग्री था, जैकेट पहनकर नहीं गये थे, शुरू में ठंड लगी फिर तेज चलने से गर्माहट आ गई; साइकिल चलाने से तो ठंड भाग ही गई।आज विज्ञानमय कोष के बारे में सुना। अथाह ज्ञान है शास्त्रों में। मानव शरीर में कितना बल, ज्ञान और शक्ति का भंडार छुपा  है। इसी देह में जन्म लेकर कोई मानव देवता बन जाता है। अवतारी पुरुष, संत, साध्वी स्त्रियाँ सभी के पास तो वही मानव देह तथा मन, बुद्धि है, जिसे साधकर कोई भी चाहे तो अपने जीवन को उन्नत कर सकता है। दोपहर को कपूर तथा सिट्रेनेला की सुवास डालकर पहली बार मोमबत्तियाँ बनायीं। दिवाली पर जलकर वे प्रकाश तथा सुगंध  फैलायेंगी। उत्सव को तीन-चार दिन ही रह गये हैं। उनके पड़ोसी हुसूर जाकर ढेर सारे पटाखे लाए हैं, उन्हें लाने की ज़रूरत ही नहीं है, देख-सुन कर ही काम चल जाएगा। कुछ पिछले वर्ष के बचे हुए हैं। बहुत दिनों बाद छोटी बहन से बात हुई, कुछ उदास थी, पर हर दुख उन्हें आगे ले जाता है। गुरू माँ से ‘गुरु गीता; का पहला भाग सुना। कह रही थीं, यदि रात को स्वप्न आते हैं तो मन अभी भी विचारों से मुक्त नहीं है। उसे स्वप्न तो आते हैं पर कुछ न कुछ सिखाने के लिए, किसी न किसी समाधान के लिए। छोटी भांजी के जन्मदिन पर एक कविता लिखी।


आज धन तेरस है। सुनील इलेक्ट्रीशियन ने छत पर व गैराज में बिजली की झालरें लगा दी हैं। दिवाली के विशेष भोज सूची भी बनाकर वे दिवाली की ख़रीदारी करने गये और इसी एरिया में स्थित वृद्धाश्रम में मिठाई देने भी। फ़ेसबुक पर उसकी कविता की पापा जी ने सुंदर शब्दों में तारीफ़ की है। महादेव में गणेश को गज का सिर लगा दिया गया है, कितनी विचित्र गाथा है गणपति के जन्म की और शिव से उनके प्रथम मिलन की।वैसे शिव से मिलने के लिए सभी को अपना सिर कटवाना ही पड़ता है। 


आज नरक चतुर्दशी है यानि छोटी दिवाली, कल के लिए बैठक में विशेष सजावट की है। विशेष भोज की भी थोड़ी बहुत तैयारी कर ली है।बच्चे सुबह-सुबह आ जाएँगे। अभी फ़ोन किया तो पता चला वे घर से बाहर दिये जला रहे थे। छोटी बहन से बात की, वे लोग भी घर में लाइट लगवा रहे थे। आज वह प्रसन्न थी, इंसान का मन कितना नाज़ुक होता है। आत्मा दृढ़ होती है, जिसे कुछ भी छू नहीं पाता।


सुबह समय पर उठे, वातावरण में जैसे उत्साह फैला हुआ था। नन्हा व सोनू आये तो उन्हें रवा इडली का नाश्ता करवाया। दोपहर को पंजाबी छोले-चावल व आलू-परवल की लटपटी सब्ज़ी। शाम को विधिवत दिवाली की पूजा की, बाहर दीपक जलाये। एक-दूसरे को उपहार दिये। जून के लिए लाल सिल्क का कुर्ता लाए हैं वे और उसके लिए भी सिल्क की एक ड्रेस। वर्षों से इसी तरह उत्सव मानते आ रहे हैं, पर हर बार एसबी कुछ जैसे नया-नया सा लगता है। दीपकों के प्रकाश में सबके चेहरे कैसे किसी अनजानी ख़ुशी से दमकने लगते हैं। रात के भोज में नन्हे के कुछ मित्र आये। वे अपने साथ पटाखे लाये थे, सभी मिलकर बाहर जलाते रहे। उसने पनीर मसाला, सूरन के कोफ़्ते, ग्वारफली व आलू की सब्ज़ी, रायता और पुलाव बनाया, मिठाइयों की पूरी एक क़तार थी, पर सभी की ज़्यादा रुचि आतिशबाजी में थी।कुल मिलकर यादगार दिवाली रही। 


आज गोवर्धन पूजा है, अर्थात गायों की वृद्धि के लिए कामना करने का दिन, प्राचीन  काल में पशु धन से ही किसी की सपन्नता का भान होता था। आज साइकिल के गियर आये, एक्स बॉक्स पर कार रेस का गेम खेला। दोपहर को बच्चे वापस चले गये। शाम को तेज वर्षा हुई थी पर रात होते-होते रुक गई। इस समय पड़ोसी के यहाँ से बम फूटने की आवाज़ें आ रही हैं।संभवत: दिवाली के पटाखे अभी तक समाप्त नहीं हुए हैं और न ही उनका जोश ! 


Wednesday, July 5, 2023

पीले रंग की साइकिल


पीले रंग की साइकिल 


जीवन एक शांत नदी की धारा की तरह सुचारू रूप से चल रहा है। आज दोपहर को उसने गणेश जी की पाँच छोटी मूर्तियों पर रंग भरना आरंभ किया। महादेव में समुद्र मंथन हो गया है, किंतु अमृत का बँटवारा अभी शेष है। गायत्री के संस्थापक आचार्य राम शर्मा जी की पुस्तक “चेतन, अचेतन व सुपर चेतन” एक बार फिर पढ़नी आरंभ की है, जो वर्षों पूर्व महिला क्लब की एक एक वरिष्ठ महिला ने भेंट में दी थी। वह कहते हैं, विचार प्राणशक्ति की स्फुरणा है, यदि प्राणशक्ति प्रबल है तो विचार भी सुदृढ़ होंगे। 


आज शाम को आकाश पर बादलों के सुंदर रूप-रंग देखने को मिले। सारा आसमान जैसे रंगों से सराबोर हो गया था।वे टहलने गये थे तथा कुछ फल भी ख़रीदने थे, जून जब दुकान में गये, तो उसने तस्वीरें उतारीं। सुबह-सुबह मन ने यह निर्णय लिया था कि प्रकृति के सौंदर्य के चित्र खींचना और उन्हें प्रकाशित करना यदि इस भाव से हो कि इससे वातावरण में सात्विकता का प्रसारण होगा तो यह भी पूजा का एक कृत्य है। उनके सभी कार्य ईश्वर के लिए हों तो वे यज्ञ स्वरूप हैं। शाम को नन्हे का फ़ोन आया, वे लोग रात को आयेंगे। ठीक आठ बजे वे पहुँच गये। उसके लिए एक पीले रंग की सुंदर लेडीज़ साइकिल लाए हैं। सुबह या शाम वह सुविधानुसार उसमें अभ्यास कर सकती है। साइकिल पर बैठकर हवा को चेहरे पर महसूस करना उसे बचपन में बहुत भाता था। कक्षा सात में थी जब पहली बार पिताजी की बड़ी साइकिल पर सीखना शुरू किया था। अब वर्षों से नहीं चलायी है पर एक बार कोई सीख ले तो भूल नहीं  सकता। जून के पास भी नन्हे की गियर वाली साइकिल है। सोनू उसके लिए लाल छोटे फूलों वाला गाउन भी लायी है। उन्हें एक मित्र के विवाह में सम्मिलित होने कुर्ग जाना है। उसके लिए नृत्य का अभ्यास कर रहे हैं। कोई महिला कोरियोग्राफ़र हैं जो ऑन लाइन अभ्यास कराती हैं। आज सुबह उठी तो दिल में एक हल्की सी ख़लिश थी एक कामना की, जब भी वे आत्मा से नीचे उतर कर अनात्मा के साथ अपनी पहचान बना लेते हैं, तभी भीतर असंतोष उभरता है। बाद में चिंतन-मनन के द्वारा भीतर ही समाधान मिल गया। कर्ता भाव से ही मन बंधन में बंधता है। यही दुख का कारण है। स्वयं को परमात्मा का एक अंश मानकर कर्म होते देना है, पर फल की इच्छा नहीं रखनी। स्वयं को वह परदा मानना है जिस पर दृश्य आ रहे हैं और जा रहे हैं। देह के भीतर उत्पन्न होने वाले स्फुरण को उत्पन्न होते व अस्त होते हुए देखना ही आत्मा की तरफ़ कदम बढ़ाना है; जिसे कोई व्याकुलता नहीं होती, चाहे कितने ही स्फुरण उत्पन्न होकर नष्ट हो जायें, वह सदा पूर्ववत ही रहती है। सुबह साइकिल भी चलायी, बहुत हल्की चलती है। नाश्ते में मकई की रोटी खाकर बच्चे चले गये , उन्हें अपने तीन मित्रों के यहाँ जाना था। शाम को नन्हे का भेजा मोमबत्ती बनाने वाला बॉक्स खोला, जिसमें पूरी विधि लिखी है तथा शीशे की बोतलें भी दी गई हैं, जिसमें वे मोम को पिघलाकर डालने वाले हैं। पापा जी से बात की, अब वे स्वस्थ हैं। उन्होंने ट्रम्प व बाईडेन की बातें भी की। टहलने गये तो वही वृद्ध व्यक्ति मिले, उनका ड्राइवर उनकी बहुत शिकायत कर रहा था। उसे पता ही नहीं है, उनकी शिकायत करके वह अपना ही नुक़सान कर रहा है। 


रात्रि भ्रमण हो चुका है। वापस आकर मोबाइल हाथ में लिया तो समय का पता ही  नहीं चला। इधर-उधर करते-करते बहुत समय ले लेता है, जब कि उस समय का कुछ और उपयोग भी किया जा सकता है। आज सुबह तन्मात्रा पर जानकारी ली, पाँच तत्वों की जो सूक्ष्म शक्तियाँ हैं, इनकी इंद्रियजनित अनुभूति को तन्मात्रा कहते हैं। अभी भी पूर्ण रूप से स्पष्ट नहीं हुआ है। शब्द, स्पर्श आदि का सूक्ष्म रूप है या स्थूल रूप यह तन्मात्रा। जब वे कोई शब्द सुनते हैं तो मन में जो भाव उत्पन्न होता है वह है तन्मात्रा या वह शब्द है। कोई विशेष गंध न होकर शायद गंध मात्र को ही तन्मात्रा कहते हैं।इंद्रियों और तन्मात्राओं के मिश्रण से जो अनुभूति होती है, उसे ही पाने के लिए मनुष्य के विविध विचार और कार्य होते हैं। वह आजकल ‘मन’ के बारे में पुस्तक पढ़ा रही है, अंततः मन की साधना ही तन्मात्रा की साधना है।  


Thursday, June 29, 2023

गणपति की मूर्तियाँ

गणपति की मूर्तियाँ


आज पहली तारीख़ है, सभी को मासिक भत्ता दे दिया। कामवालियाँ, दूधवाला, फूलवाली, पेपरवाला, माली सभी को, पानी का बिल आना अभी शेष है। जून मोबाइल पर दिवाली पर देने के लिए मिठाई देख रहे हैं। ऑन लाइन के जमाने में दुकानें भी मोबाइल पर दिख जाती हैं। ‘देवों के देव’ में महादेव और कार्तिकेय के सुंदर संबंध के दृश्य देखे, बिना आसक्त हुए रिश्तों को निभाना आये तो इससे सुंदर कुछ भी नहीं ! पार्वती  को एक पुत्री की प्राप्ति हुई है, जिसका नाम अशोक सुंदरी है, यह बात पहले उसे ज्ञात नहीं थी। आज छोटी ननद से बात की, उन्होंने योग शिक्षक से योग सीखना आरंभ किया है, शाम को घर पर आकर एक घंटा अभ्यास कराता है। योग को जीवन का अंग बनाये बिना स्वस्थ रहना कठिन है। दोपहर को पिता जी से बात की। उन्हें बीच-बीच में बायें कूल्हे में दर्द होता है। छोटे भाई ने बताया, हफ़्ते में एक बार उन्हें इंजेक्शन लगाने नर्स आएगी। सुबह एक अजीब सा स्वप्न देखा। जिसमें ख़रगोश थे जो अपने बच्चों के पीछे भाग रहे थे और उनका अवशेष भक्षण कर रहे थे। पता नहीं क्या अर्थ है इसका, बाद में पढ़ा, ख़रगोश को स्वप्न में देखना शुभ माना जाता है। मन तो शंका करने में सिद्धहस्त है, नये विचार करने लगा, सो उठने में देर हो गई, जबकि हर स्वप्न जगाने के लिए आता है।  


दोपहर को एक उपहार मिला, सोनू ने भेजा है।जिसमें  गणपति की मूर्तियाँ बनाने के लिए सभी सामग्री दी गई है। प्लास्टर ऑफ़ पेरिस, मोल्ड और रंग ब्रश आदि भी। पहली बार वह गणेश की मूर्ति स्वयं बनाने वाली है। पिता जी का स्वास्थ्य अब बेहतर है, उन्होंने फ़ेसनुक पर उसकी एक कविता पर टिप्पणी की, इसी से पता चलता है। मंझले भाई का तबादला दिल्ली हो गया है, उसे डेढ़ वर्ष और जॉब में रहना है। इसके बाद वह भी सेवानिवृत्ति के विश्राम भरे सरल जीवन का आनंद लेगा, जैसा  वे आजकल ले रहे हैं। जून शाम को गरिष्ठ पराँठे खाना चाहते थे, उसने जरा सा टोका तो वह ख़फ़ा हो गये, बाद में उन्हें खिलाए पर एक बार मूड बिगड़े तो सही होने में थोड़ा समय तो लगता ही है। उसके पास अब मूड रहा ही नहीं, जो है भीतर सदा एकरस है ! 


सुबह नींद जल्दी खुली, जब वे टहलने गये, आकाश में तारे खिले थे, भोर का तारा बहुत चमकीला था और चंद्र दर्शन भी हुए। गुरुजी के प्रति मन कृतज्ञता से भर गया, भीतर समता स्थिर होती जा रही है, सब उन्हीं की कृपा है। शाम को उन्होंने शक्ति ड्राप तथा कबासुर औषधि व धन्य लक्ष्मी तरु के बारे में बताया। यह भी कि हर तरह के भय से मुक्ति ही साधना का परम लक्ष्य है। गायत्री परिवार के किन्हीं लालबिहारी जी से आनन्दमय कोष के बारे में सुना, बहुत अच्छा बोलते हैं। जे कृष्णामूर्ति को भी सुना, किसी ने उनसे पूछा, वह असंतुष्ट है, किसी भी तरह से उसे अपने भीतर की असंतुष्टि का जवाब नहीं मिला। जवाब में जे के ने  कहा, ज़्यादातर लोग असंतोष की इस भावना को पनपने ही नहीं देते, वे किसी न किसी उपाय से इसे दबा देते हैं। हम बहुत थोड़े से ही संतुष्ट हो जाते हैं पर यदि इसे जलती हुई ज्वाला बना लें तो एक दिन इसका उत्तर मिल ही जाता है। अब सवाल यह है कि क्या उसके भीतर की वह आग अब भी जल रही है या शांत हो गई है? वास्तव में एक बार यह आग किसी के भीतर जलती है तो सदा के लिए जलती रहती है। हाँ, इसे एक दिशा मिल जाती है। यह दुख का कारण नहीं रह जाती , एक गहरे संतोष का कारण बन जाती है। पर वह सन्तोष ऐसा नहीं है कि जिसे सदा के लिए अपने पास रख लिया जाये। यह तो फूल की तरह है, या प्रातः समीरण की तरह, यह अपने होने का अहसास भी देता है और सदा अप्राप्य भी बना रहता है। एक यात्रा है जो सदा ही चलती रहती है। 


Wednesday, June 28, 2023

शनि ग्रह का वलय

आज शाम को वे सोसाइटी के छोटे से सुपर मार्केट गये, नारियल, चना मसाला और टमाटर लेने थे। कल यहाँ पहली बार कंजका मनानी है। बच्चे भी आयेंगे। कल ही दशहरा भी है। पीछे वर्ष असम में मनाया था यह उत्सव। आज सुबह वे घर के बाहर थे और दरवाज़ा अंदर से बंद हो गया। जाली वाले दरवाज़े के क़ब्ज़े खोलकर आना पड़ा, बाद में उसे पुन: लगवा दिया, पर उस आधे घंटे में उसे खोलने के कितने सारे उपाय अपनाए। आज जून के केश उसने ख़ुद ही छाँट दिये। सोनू ने जून के लिए मण्डल कला पर एक पुस्तक तथा स्केच पेन का एक सेट भेजा है, जिसमें सुंदर डिजाइन बने हैं, जिनमें रंग भरने हैं। उन्होंने रंग भरना आरंभ भी कर दिया है।  


दशहरे का पर्व सोल्लास मनाया। सुबह पूजा का प्रसाद बनाया। प्राणायाम करते समय मनोमय कोष के बारे में सुना, ज्ञान का कोई अंत नहीं है।रावण की शिव स्तुति सुनी। महादेव का एक अंक देखा, जिसमें देवी काली का रूप धरती हैं, महादेव उनका क्रोध शांत करने के लिए नीचे लेट जाते हैं। एक सखी का साईं बाबा का भजन सुना, उसने आज ही रिलीज़ किया है यू ट्यूब पर। नन्हा और सोनू एक मित्र के साथ आये। दोपहर को महीनों बाद पनीर टिक्का बनाया। शाम को सूर्यास्त की तस्वीरें उतारीं, उससे पूर्व सुडोकू हल किया, अख़बार में पहेलिययाँ हल करना खबरें पढ़ने से भी ज़्यादा अच्छा लगने लगा है। दिन कैसे बीत जाता है, पता है नहीं चलता।  


अक्तूबर समाप्त होने वाला है, पर मौसम आज गर्म है। नीचे के कमरे ठंडे रहते हैं। देवों के देव, में कार्तिकेय का जन्म हो गया है, पर अभी वह अपने माता-पिता के पास नहीं आया है, जो जगत के भी माता-पिता हैं। दीपावली की सफ़ाई के शुभारंभ करने का  समय आ गया है। कुछ देर पूर्व टहलने गये तो बादलों में छिपे चंद्रमा के दर्शन हुए। कल शरद पूर्णिमा है। नन्हे ने टेलीस्कोप से वीनस देखने को कहा था, पर अभी आकाश पूरी तरह निर्मल नहीं हुआ है।कल रात्रि एक अद्भुत स्वप्न देखा, अनाहत चक्र पर कुछ तेज-तेज घूम रहा था, जैसे कोई चक्की चला रहा हो, फिर आज्ञा चक्र पर सुंदर दृश्य दिखने लगे। मानव के भीतर कितने रहस्य छिपे हैं। जे कृष्णामूर्ति को सुनना एक अलग ही अनुभव है। वह चीजों को बहुत गहराई से देखते हैं। दो दिनों से गायत्री परिवार के एक साधक को सुनना आरम्भ किया है, वह बिहारी हैं और उनका बोलने का ढंग बहुत रोचक है। वह प्राणायाम के गूढ़ रहस्यों के बारे में बताते हैं। इस विश्व में अनंत ज्ञान है, हम कुछ भी नहीं जानते, पहले ये वाक्य शब्द मात्र थे, अब प्रत्यक्ष हो रहे हैं। जून ने ‘सूटेबल बॉय’ देखना शुरू किया है, नेटफ़्लिक्स पर। वर्षों पूर्व उसने विक्रम सेठ की यह पुस्तक पढ़ी थी। कुछ पात्र बहुत अच्छे लगे थे। उनके पड़ोस में एक नया घर बनना आरम्भ हुआ है, अब शोर सुनने का अभ्यास भी डालना पड़ेगा।


आज रविवार का दिन अन्य दिनों की अपेक्षा व्यस्त गुजरा। कर्नाटक का राज्योत्सव दिवस है आज, जून ध्वजारोहण के कार्यक्रम में शामिल होने गये। कम ही लोग आये थे। उसने गमलों की देखभाल की, फूलों के नये पौधे लगाये। नैनी से सिट आउट का फ़र्श धुलवाया। दोपहर तक बच्चे भी आ गये। वे आज दिवाली के लिए दिये भी लाये। शाम को नयी गाड़ी की पूजा की। नारियल फोड़कर, धूप दिखाया, कपूर जलाकर आरती की। चॉकलेट का प्रसाद बाँटा। आम के पत्ते से गंगाजल का छिड़काव किया। पूजा के बाद सब टहलने गये, और वापस आकर टेलीस्कोप से शनि ग्रह के दर्शन किए, उसका वलय भी दिख रहा था। महादेव में कार्तिकेय ने युद्ध जीत लिया है, तारकासुर की मृत्यु हो गई। महादेव जब पुत्र को समझाते हैं, तो उनकी भाव मुद्रा में अत्यंत स्नेह भरा होता है।रात्रि भोजन में खीरा, टमाटर, गाजर के सैंडविच बच्चों ने ही बनाये। अब वे घर पहुँचने वाले होंगे। 


Tuesday, June 27, 2023

रंग और ब्रश




रात्रि के नौ बजने वाले हैं। आज मौसम अपेक्षाकृत गर्म है। कहीं से एक बच्चे के रोने की आवाज़ आ रही है, जो सदा ही उसे विचलित कर देती है। शायद वह गिर गया हो, या उसे किसी बात पर डांट पड़ी हो। असम में कितनी बार बाहर जाकर रोते हुए बच्चों को हंसाने की कोशिश करती थी, वहाँ आसपास कई बच्चे थे। यहाँ तो घरों में बहुत ध्यान रखा जाता है पर बच्चे तो आख़िर बच्चे हैं ! अचानक इस समय कैसी हवा चलने लगी है, वातावरण का कितना अधिक प्रभाव मानव के मन पर पड़ता है। सुबह उठे तो बारिश के कारण देर से टहलने जा पाये, ऐसे में सारी दिनचर्या उलट-पलट जाती है। परसों उन्हें रक्त की सामान्य जाँच कराने जाना है। जून को बढ़ती हुई उम्र में होने वाली परेशानियों का भय सताने लगा है, जबकि नूना के मन में तो उम्र का ख़्याल भी नहीं आता।समय भी तो एक भ्रम ही है, जब सब कुछ माया ही है तो फिर डर किस बात का ! शाम को वह छत पर थी, नीचे कामवाली  जा रही थी, उसने बुलाकर कल सुबह जल्दी आने के लिए कहा, पर वह हिन्दी नहीं जानती, पता नहीं क्या समझा होगा। उसी समय सब्ज़ी वाला ट्रक आया था, जून लेने गये, पर कोई भी सब्ज़ी ताज़ी नहीं थी। सुबह वह वर्षों बाद बालों में लगाने वाले दो क्लिप लायी, कोरोना की मेहरबानी से बाल लंबे हो गये हैं। शाम को पिताजी से बात हुई, मंझला भाई मिलने आया था, नया सोफा और नया मैट्रेस मँगवाया है। उनका स्वास्थ्य पूरी तरह ठीक नहीं है फिर भी वह बहुत खुश थे। जून ने पेंटिंग के लिए नये फ़्लैट ब्रश माँगा कर दिये हैं। वह उसका बहुत ध्यान रखते हैं। दोपहर को एक चित्र बनाया, रंगों को कागज पर उड़ेलने में कितना आनंद आता है, इसका पता ही नहीं था। कला कोई भी हो ह्रदय को आनंदित करती है। देवों के देव में लेखा दूसरी पार्वती बनाकर आयी है। कथा अति रोचक हो गई है।  


आज शाम वे नन्हे के घर आ गये हैं, कल  सुबह यहाँ से जाँच के लिए रक्त का नमूना ले जाने के लिए लैब से कोई व्यक्ति आएगा। रात्रि भोजन जल्दी कर लिया ताकि बारह घंटों से कुछ अधिक का उपवास हो जाये। सोनू अपनी एक सखी के लिए केक बना रही है। शाम को छोटी बहन से बात हुई, वे लोग नवरात्रि की पूजा की तैयारी के लिए बाज़ार जाने वाले थे। विदेश में रहकर भी वे सभी उत्सव बहुत विधि से मनाते हैं। सुबह उठे तो आज भी वर्षा हो रही थी, समाचारों में सुना हैदराबाद में अति भीषण वर्षा हुई है, सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। 

सुबह एक विचित्र स्वप्न देखा, जो बहुत कुछ सिखा रहा है। घर का पिछवाड़ा देखा, वहाँ एक माली भी काम कर रहा है। दीदी को देखा, उन्हें सचेत किया, पीछे गंदगी है। जिसमें सड़ी और कटी हुई सब्ज़ियाँ हैं, जिन्हें पानी से भरे एक टब में डाल दिया, पता नहीं क्या अर्थ था इस स्वप्न का, फिर गूगल पर स्वप्न फल में पढ़ा तो पता चला कि अपने किसी कृत्य को स्वीकारा, जिस पर पछतावा था। मन कुछ हल्का हुआ, उसके पूर्व मन आत्मग्लानि से भर गया था। सपने तो सपने ही हैं पर वे प्रतीकों के रूप में कितना  कुछ कह देते हैं। सुबह उठी तो नन्हे ने पूछा, आप योग अभ्यास करेंगी, उसके टीचर ने बहुत अच्छी तरह आसन कराये, एक घंटा कैसे बीत गया, पता ही नहीं चला। उसके बाद पैथोलॉजिकल लैब के एक कर्मचारी ने आकर रक्त लिया। उसके बाद नाश्ता किया, नन्हे ने लंच भी पैक करवा दिया था। वापस घर आकर सफ़ाई करवायी, स्नान, पूजा, ध्यान  के बाद भोजन किया, अच्छा बना था। 


उनकी जाँच की रिपोर्ट आ गई है, सब कुछ सामान्य है। आज अष्टमी तिथि है, सुबह सरस्वती देवी को समर्पित कुछ पंक्तियाँ लिखीं। भीतर भाव उमड़ रहे थे सो दो कविताएँ और लिखीं। यदि अतीत मार्ग में न आये और भविष्य की कोई कल्पना मन न कर रहा हो  तो वर्तमान के गर्भ से ही कर्म का जन्म स्वतः होता है। जब मन पूरी तरह से जगा हो, तभी कला का जन्म हो सकता है। जे कृष्णामूर्ति को कहते हुए सुना था, मृत्यु के क्षण में सारे अतीत की मृत्यु हो जाती है, और ध्यान भी वही है। हर पल यदि ध्यान में रहना है तो अतीत की स्मृति नहीं रहनी चाहिए, जो वर्तमान में बाधा बने। वर्तमान से आँख मिलानी हो तो अतीत का पर्दा आँख पर नहीं रहना चाहिए।  मँझली भांजी ने दिवाली के लिए तोरण और कलात्मक  दिये भेजे हैं, वह ऐसी कई वस्तुएँ बनाती है।  


Monday, June 26, 2023

जे कृष्णामूर्ति की बातें

रात्रि के दस बजने वाले हैं। आज सोनू का जन्मदिन है, नन्हा और वह  शाम को आ गये थे। सोनू बटर स्कॉच केक, सेवईं और चाकलेट्स लायी थी। उसने कोफ़्ते और शाही पनीर बनाया। कुछ देर के लिए वे सब टहलने गये, हवा शीतल थी और वातावरण शांत था। आज वे यहीं रहेंगे, अभी तक किसी कार्य में लगे हैं। नूना ने दोपहर को एक छोटे से सुडौल, अंडाकार पत्थर पर रंगों से चित्रांकन किया, अन्य उपहारों के साथ सोनू को दिया। नन्हे ने अपनी एक पुरानी मोटर साइकिल यात्रा के बारे में रोचक और रोमांचकारी संस्मरण सुनाया। जब वह एक मित्र के साथ उसकी पुरानी बाइक पर चेन्नई से बैंगलुरु आ रहा था,  जिसकी हेडलाइट ने काम करना बंद कर दिया था । किस तरह एक ऑटो की लाइट के सहारे वे लोग अपनी यात्रा पूरी कर पाये थे। जून ने आज एक सलाहकार से बात की, उसने कुछ सुझाव दिये हैं। पिछले कुछ दिनों से वह कुछ परेशान रहने लगे हैं। वर्षों तक इतना व्यस्त रहने के बाद आराम का यह जीवन उन्हें रास न आये, यह स्वाभाविक भी है। रात को नींद नहीं आती। उन्हें अधिक व्यस्त रहना होगा। संभवत: उन्हें अपनी पसंद का कोई काम मिल जाये तो ही उनकी समस्या  का हल हो सकता है। 


आज सुबह उठे तो वर्षा हो रही थी, टीवी के सामने कार्पेट पर बाबा रामदेव को देखकर योग-प्राणायाम का नियमित अभ्यास किया, बाद में वर्षा थमी तो टहलने गये। पेड़ों और पौधों पर पानी की बूँदें अति मनहर लग रही थीं, मोबाइल से कुछ चित्र उतारे। दिन में ‘डाक्टर डूलिटिल’ फ़िल्म देखी, जो नन्हे ने दो दिनों के लिए किराए पर ली थी। बड़ी मज़ेदार फ़िल्म है, जिसमें एक दिन डाक्टर को जानवरों की भाषा समझ में आने लगती है। चूहा, उल्लू, कुत्ता, गिलहरी और न जाने कौन-कौन से प्राणी उससे बात करने  लगते हैं। शाम को वर्षों बाद एक बार फिर टाल्सटाय की ‘पुनरूत्थान; पढ़नी आरंभ की, कितना दुख व कितनी निर्धनता थी उस काल में, आज भी है पर आज लोगों को हर तरह की सूचना मिल रही है, जिससे वे अपने जीवन में बदलाव ला सकते हैं। जून ने सलाहकार की बात मानी तो रात को उन्हें अच्छी नींद आयी, दिन भर वे काफ़ी ऊर्जावान बने रहे। उन्होंने पिता जी को डॉ ऑर्थो तेल भेजा है, जोड़ों के दर्द के लिए लाभकारी है। नन्हे ने दो कैनवास बुक भिजवायीं हैं, कल से वे चित्रकला का अभ्यास करना भी आरंभ करेंगे। उसने फोटोग्राफी के लिए कुछ टिप्स वाले वीडियोज़ भी भेजे हैं। 


वे रात्रि भ्रमण से लौटे तो संध्या काल से आसमान में छितराये बादल अचानक बरसने लगे। शरद ऋतु आरम्भ हो चुकी है, पर  सावन अभी भी टिकने के मूड में है। मनमौजी मन की तरह मौसम कब क्या रुख़ लेगा, कहना मुश्किल है। शाम को नवरात्र के अवसर आश्रम से प्रसारित होने वाला  कार्यक्रम सुना, देखा, ‘त्रिपुरा रहस्य’ पर चर्चा सुनी और फिर गुरु जी का प्रभावशाली उद्बोधन। बाद में भजन भी हुए और शास्त्रीय कलाओं का प्रदर्शन भी। आर्ट ऑफ़ लिविंग कितने क्षेत्रों में कितनी तरह से अपना योगदान दे रहा है। जून के एक मित्र के पुत्र का विवाह अगले वर्ष अप्रैल में होना तय हुआ है, आज ही फ़ोन पर निमंत्रण मिला, ताकि समय रहते वे टिकट करवा लें। आज उसने नीले फूलों की एक पेंटिंग बनायी। दोपहर को जे कृष्णामूर्ति को सुना, वह कहते हैं, देखने वाला ही देखा जाता है। यानी मन ही मन को देखता है और मन ही मन के ख़िलाफ़ हो जाता है। मन ही जगत को देखता है, जो मन का ही हिस्सा है और जगत के ख़िलाफ़ हो जाता है, यानि अपने ही ख़िलाफ़ ! उनका हर विरोध अंततः अपने ही विरुद्ध होता है। इस जगत की दुर्दशा वास्तव में उनकी ही दुर्दशा है यानि उस मन की जो वास्तव में वे नहीं हैं। वे जो वास्तव में हैं उसे यह जगत छू भी नहीं सकता। वह सदा निर्विकार है। वे उसी में टिके रहें तो आनंदित हैं। उनकी सारी तुलना व्यर्थ है, उनकी सारी पीड़ा व्यर्थ है, क्योंकि उनके सिवा वहाँ कोई दूसरा है ही नहीं, एक खेल चल रहा है और अज्ञान वश उन्हें इसका भान ही नहीं होता ! 



Friday, April 21, 2023

वृद्धा योग शिक्षिका


कुछ देर पूर्व वे रात्रि भ्रमण से लौटे हैं, हवा ठंडी थी, शाम भर वर्षा होती रही थी। जाने कहाँ से बादल इतना जल लेकर आते हैं और अचानक किसी स्थान पर धरा को भिगो कर चले जाते हैं। प्रकृति की लीला को कौन समझ सका है। भगवद गीता में कृष्ण कहते हैं, वही पंच भूतों के स्रोत हैं। देवों के देव में देखा, पार्वती की तपस्या अपने अंतिम चरण में पहुँच गयी है। उन्होंने वनस्पति का आधार भी छोड़ दिया है और केवल वायु के आश्रय रहकर तप कर रही हैं। जब कि वे कुछ घंटे भी भोजन के बिना नहीं रह पाते। बहुत सामान्य है उनका जीवन, पर उस विराट से मिलने की आस रखते हैं। दुर्गाष्टमी आने वाली है। गुरु जी ने बहुत सुंदर व्याख्या की है दुर्गा के नौ रूपों की। उनके एक व्याख्यान का हिंदी में ट्रांस्क्रिप्शन किया।  वह कहते हैं, शैल पुत्री किसी अनुभव की पराकाष्ठा से उत्पन्न हुई ऊर्जा है। ब्रह्मचारिणी अनंत में व्याप्त ऊर्जा है। चंद्र घंटा सौंदर्य का अनुभव करने वाली शक्ति का प्रतीक है। कुषमाँडा ऊर्जा से परिपूर्ण होने की अवस्था है। स्कंद माता मातृ शक्ति है। कात्यायनी ज्ञान की देवी है। कालरात्रि रात्रि के समान विश्राम देने वाली, सिद्धीदात्री सिद्धियों को देने वाली तथा महागौरी सक्षम बनाने वाली तथा मुक्ति प्रदायिनी है। 


परसों बड़ी भांजी का जन्मदिन है। सीए होते हुए वह अंग्रेज़ी में तीन छोटे उपन्यास लिख चुकी है, चौथा लिख रही है। वेब साइट खोल ली है। जो ऑन लाइन पुस्तक छपवाना चाहते हैं, उनकी मदद करना चाहती है। उसका दाँया और बाँया दोनों मस्तिष्क सजग हैं, गणित और अर्थशास्त्र जैसे रूखे-सूखे विषय में पारंगत है और लेखन जैसे सरस विषय में भी। बेटी, भांजी, एक समर्पित पत्नी, फ़रमाबरदार बहू, एक बिटिया की वात्सल्यमयी माँ, बहन, मौसी, बुआ सब है। उसके अगले दिन सोनू का जन्मदिन है, वह समझदार और सबका ध्यान रखने वाली है। प्राणी, पौधा, अपना या पराया, किसी में कोई भेद नहीं करती। सहेलियों से बनाकर रखती है और रिश्तेदारों का हालचाल लेती रहती है। अपना ऑफिस का काम भी मन  लगाकर करती है। घर व वस्त्रों को सलीके से रखती है। कितना कुछ है उनके जन्मदिन पर कविता लिखने के लिए। 

 

नैनी गाँव से अपने खेत की एक लौकी और मूँगफली लायी है, जिसे उन्होंने एयर फ्रायर में भून कर खाया।आज गुरुजी के लेख का अनुवाद किया, जिसमें रामायण के प्रतीकात्मक गूढ़ अर्थ को समझाया था। अभी-अभी उनका लाइव सत्संग सुना, कह रहे थे, पर्व इसलिए आते हैं कि रोज़मर्रा के जीवन में उलझा हुआ मानव कुछ समय देवाराधना के लिए निकाल सके। आज सुबह चार बजे एक स्वप्न देखा, पापा जी कह रहे हैं, उन्हें ठंड लग रही है। शाम को उनसे बात हुई तो पता चला, उस समय उन्हें वाक़ई ठंड लग रही थी। उन्हें हल्का बुख़ार हो गया था, दवा ले ली थी, अब ठीक हैं। उन्होंने दीपक चोपड़ा के एक वीडियो के बारे में बात की, जिसमें नब्बे साल की एक वृद्ध महिला योग सिखा रही हैं। शाम को वे टहलने गए तो अक्सर मिलने वाले एक नब्बे वर्षीय एक वृद्ध से बात हुई, अपने रंगून प्रवास के बारे में बता रहे थे, वे वहाँ पाँच साल रहे थे और रोज़ झील के चक्कर लगाते थे। यहाँ रोज़ शाम को उनका नौकर उन्हें कार में घुमाता है, फिर एक जगह कार रोककर वे प्रकृति के नजारों को देखते हैं और कभी-कभी कुछ देर छड़ी लेकर कुछ कदम चलते हैं। वृद्धावस्था में देह साथ नहीं देती, वे गर्मी में भी मोज़े पहने रहते हैं; पर बातों में उत्साह से भरे होते हैं। चेतना कभी वृद्ध नहीं होती, इसलिए कभी-कभी बूढ़े बिलकुल बच्चों जैसे हो जाते हैं। 


Tuesday, April 11, 2023

सफल हुई तलाश


सुबह के साढ़े दस बजे हैं। जून को कल रात ठीक से नींद नहीं आयी, इसलिए आराम कर रहे हैं। मौसम धूप भरा है। कल दोपहर उन्होंने सोसाइटी के एप अड्डा पर संदेश देखा, नन्हे की एक बिल्ली काफ़ी ऊँचाई से गिर गयी है और नीचे कहीं मिल नहीं रही है। उसे चोट लगी होगी और डर कर छुप गयी है। शाम को पाँच बजे बात हुई तो पता चला अभी तक नहीं मिली है, उसकी आवाज  में काफ़ी चिंता थी, पालतू पशु परिवार के अंग जैसा हो जाता है। उन्होंने निश्चय किया कि वहाँ जाना चाहिए। अभी आधे रास्ते तक ही पहुँचे थे कि पता चला, मिल गयी है, घर पहुँचे तो वे उसे लेकर डाक्टर के पास जा रहे थे। वहीं सांध्य भ्रमण किया, शाम की चाय पी और गुरु जी द्वारा  निर्देशित ध्यान किया, फिर ‘देवों के देव’ देखा, जिसमें पार्वती अब बड़ी हो गयी हैं, पर उनकी भेंट अभी महादेव से नहीं हुई है।वह शिव को पाने के लिए साधना करना चाहती है, पर वे सफल नहीं होने दे रहे हैं ।प्रतीक्षा करते-करते उन्होंने खाने की मेज सजा दी, रसोइया ख़ाना बनाकर चला गया था। साढ़े आठ बजे दोनों बच्चे वापस आए; बताया, बिल्ली को रीढ़ की हड्डी में मामूली चोट लगी है, एक इंजेक्शन भी डाक्टर ने लगा दिया है । खाने की मेज पर उन्होंने सुबह का पूरा क़िस्सा सुनाया। लगभग ग्यारह बजे वे दोनों अपने-अपने ऑफिस के काम में व्यस्त थे, कि नीचे वाले फ़्लोर से एक फ़ोन आया, आपकी बिल्ली फंस गयी है। उन्होंने देखा, मुख्य शयन कक्ष की खिड़की से निकल कर वह पाइप के सहारे सातवीं मंज़िल पर चली गयी है।और रो रही है, उसे उतारने का कोई साधन नहीं था। एक घंटा तक कई उपाय आज़माते रहे पर आख़िर वह नीचे गिर गयी, पर उसकी गति शायद दीवार से टकराने से कम हो गयी थी, सो ज़्यादा चोट नहीं लगी। वे लोग उसी समय से बिना कुछ ग्रहण किए लगातार बेसमेंट में उसे ढूँढते रहे, आख़िर वह एक कार के नीचे पीछे वाले पहिए पर चढ़ी मिली। शायद वह डर कर या थककर सो गयी होगी।  कहते हैं न मुसीबत कभी अकेले नहीं आती।एक नकारात्मक घटना दूसरी नकारात्मक घटना को जन्म देती है। पिछले हफ़्ते ही वे लोग कोरोना के भय से मुक्त हुए थे।जीवन में ऐसी घटनाएँ इंसान को मजबूत बनाने के लिए होती हैं। रात्रि भोजन करने में काफ़ी देर हो गयी सो उस दिन वे वहीं रुक गए। वे पूरे सात महीने बाद वहाँ गए थे, कोरोना के कारण जाना ही नहीं हुआ था। नन्हे ने टीवी पर आशुतोष राणा का दिनकर लिखित ‘रश्मि-रथी’ के तीसरे सर्ग का पाठ सुनवाया, उन्हें कंठस्थ था, प्रस्तुतीकरण बहुत प्रभावशाली था। जब नन्हे ने कहा, वे लोग नियमित योग सीख रहे हैं, जून ने उन्हें इड़ा, पिंगला व सुषुम्ना नाड़ी के बारे में बताया। कुछ दिन पहले गुरुजी से  वेगस नाड़ी के बारे में भी सुना था जो शरीर में सबसे लम्बी नाड़ी है और कई अंगों से जुड़ी है।प्राणायाम के द्वारा इन नाड़ियों को शुद्ध रखा जा सकता है।  


आज टाटा की नयी इलेक्ट्रिक कार आ गयी है; नील हरित रंग यानी मोर के रंग की। शाम को नन्हा और सोनू भी आ गए, रात्रि भोजन  के बाद सब ड्राइव पर गए। दस बजे वे लोग वापस चले गए। आज वर्षों पूर्व की डायरी का एक पन्ना पढ़ा, कितनी मधुर यादें हैं और कितनी मीठी कश्मकश। उस वक्त जो तलाश भीतर चल रही थी, वह अब पूरी हो गयी है। कितना ठहराव आ गया है मन में। आज शाम को तेज वर्षा हुई, थे कि सारी खिड़कियाँ बंद करनी पड़ीं। शाम को पापा जी से बात हुई, उन्हें ट्रांज़िस्टर पर विविध भारती सुनने में कठिनाई हो रही थी। उन्हें ऑल इंडिया रेडियो का एक एप ‘न्यूज़ ऑन एयर’ डाउन लोड करने को कहा है, जिस पर रेडियो कभी भी सुना जा सकता है। 


आज नन्हे का एक मित्र भी आया था, जो उसके साथ कालेज में था। दोपहर को जब बाक़ी लोग विश्राम करने लगे तो वे दोनों ड्रोन उड़ाने चले गए;  कुछ समय बाद उससे संपर्क टूट गया। दो घंटे खोजने के बाद पता चला कि पिछली गली में एक विला की छत पर गिरा था। इलेक्ट्रिशियन को फ़ोन करके उसकी सीढ़ी मँगवाई, क्योंकि विला का मालिक दूसरे शहर में था। शाम काफ़ी हो गई थी, कुछ फल खाकर वे लोग वापस चले गये। उसने दीदी के विवाह की वर्षगाँठ के लिए कविता लिखी।


Thursday, March 9, 2023

ब्रह्म कमल की भीनी गंध

आज ईवी के लिए चार्जिंग स्टेशन लग गया, टाटा मोटर्स ने लगाया है। सप्ताह के अंत तक गाड़ी के आने की सम्भावना है। नन्हे का मंगाया रंगों का डिब्बा आ गया, ब्रश, व ट्रे भी हैं, जिनसे वह खुद असेंबल किए जहाज़ पर रंग करने वाला है। उसे भी एक चित्र बनाने की प्रेरणा हो रही है। उसने उसके लिए नया मॉनिटर और एक पुराने कंप्यूटर का सेटअप कर दिया है, कल से वह उस पर ही लिखेगी।’मन की बात’ में मोदी जी ने और कई प्रेरणास्पद बातों के अलावा कहानी सुनाने की कला पर ज़ोर दिया और एक कहानी भी सुनायी। नन्हा व सोनू दही व बैगन की बनी एक विशेष सब्ज़ी लाए थे, उन्होंने काले चने व पूड्डू बनाये। एक नयी फ़िल्म देखी ‘एनोला होम्स’ अच्छी लगी, जो शरलक होम्स की बहन है और उसकी तरह जासूस भी। शाम को सद्गुरू को सुना जो जीवन के बारे में, अंतर्दृष्टि और चेतना के बारे में बता रहे थे। देवों के देव में महादेव व सती के विवाह का एपिसोड देखा। शिव को ज्ञात है कि भविष्य में क्या लिखा है, पर उसे रोका नहीं जा सकता। वह सती को यह अधिकार देते हैं कि वह अपने निर्णय स्वयं ले। उनके आपसी विवाद और  मनुहार की कथाएँ बहुत रोचक हैं। 


गैराज में रखे गमलों में श्वेत बड़ा सा नाइट क्वीन फूल खिल गया है, जिसे ब्रह्म कमल भी कहते हैं, सिर्फ़ रात को खिलता है और सुबह होने से पूर्व मुरझा जाता है। भीनी-भीनी गंध होती है। उसने कहीं पढ़ा था कि ब्रह्म कमल के फूल में ब्रह्मा और नारायण का वास है, और इसके कारण नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है व सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है। जहाँ यह होता है, वहाँ सुख, समृद्धि और सौभाग्य भी बना रहता है सुबह से कई बार वर्षा हुई। सुबह घर से चार कदम दूर थे कि बूँदे गिरने लगीं, जैसे उनके घर पहुँचने का इंतज़ार ही कर रही थीं। प्रकृति कई बार उनका साथ देती है । नन्हे को बुख़ार हो गया है, गंध आ रही है सो कोरोना नहीं है। फिर भी उसने टेस्ट कराने के लिए रक्त का सेंपल दिया है। जून कह रहे हैं वह दिन भर उसके बारे में ही सोचते रहे। शाम को फ़ोन पर बात की तो वह सामान्य लग रहा था। सोनू ने आधे दिन की छुट्टी ले ली है, वह उसका ध्यान रख रही है। उसने एक ब्लॉगर लेखिका की एक पुस्तक मँगवायी है,अटकन-चटकन, अच्छी लग रही है। 


अक्तूबर का महीना यानि पूजा का महीना शुरू हो गया है। मौसम काफ़ी गर्म था आज। शाम को पिताजी से बात हुई, वह कारवां पर पुराने हिंदी गाने सुन रहे हैं, कह रहे थे उन्होंने गांधी जी की पोती का साक्षात्कार भी सुना। उसने भी आज सुबह बापू और शास्त्री जी के विचारों और उनके दर्शन के बारे में सुना। एक कविता लिखी और एक छोटा सा आलेख भी। नन्हे का करोना टेस्ट नेगेटिव आया है, उसे सर्दी-जुकाम ही था। वह काफ़ी आराम महसूस कर रहा था, जैसे सिर से कोई भूत उतर गया हो। आज देवों के देव में सती ने आत्मदाह कर लिया, शिव अत्यंत दुखी हैं, वह अपना ईश्वरत्व भुला बैठे हैं। वह एकांत में चले गए हैं। नंदी ने पत्थर के बैल का रूप धर लिया है और वह उनकी प्रतीक्षा कर रहा है। एक वही है जिसने उन्हें कभी नहीं छोड़ा। 


आज रविवार है, सुबह दो घंटे माली से पौधों की देखभाल करवाने में लगाए। नन्हा व सोनू आज नहीं आए, सोनू की तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही थी। कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या विश्व में साढ़े तीन करोड़ से अधिक हो गयी है। मृतकों की दस लाख से ज़्यादा। शाम को गुरु जी का कराया ध्यान बहुत प्रभावशाली था। हृदय क्षेत्र में ध्यान करने पर कैसी शून्यता का अनुभव होता है। शिव सूत्रों में भी ध्यान के कितने तरीक़े मिल जाते हैं। आजकल लाओत्से तथा बुद्ध पर लिखी एक पुस्तक भी पढ़ रही है। जीवन एक अनुभव का नाम है, और उनकी ज़िम्मेदारी है कि इस अनुभव  को लाजवाब बनाएँ। दीपक चोपड़ा की बातें जैसे दिमाग़ की खिड़की खोल देती हैं। आत्मा में ही सारा विश्व स्थित है। शरीर आत्मा की चेतन शक्ति से स्वस्थ रह सकता है। 


Friday, February 10, 2023

बिजली की कार


सुबह अभी अंधेरा ही था जब वे प्रातः भ्रमण से लौट आए। योग साधना के बाद दीपक चोपड़ा का ‘चेतना’ के बारे में एक बहुत अच्छा वीडियो सुना।मुख्य विषय था कि यह जगत किस पदार्थ से बना है और चेतना क्या है ? कह रहे थे, उनके पाँच वर्ष के पोते ने उन्हें एक बार यूनिवर्स के बारे में बताया था कि वह दूसरे आयाम से बना है। आगे जे कृष्णामूर्ति का ज़िक्र किया और आइंस्टीन व टैगोर के मध्य हुए एक वार्तालाप का ज़िक्र भी किया, जब १९३० में वे दोनों मिले थे; जिसमें टैगोर कहते हैं, मनुष्य का व्यक्तित्व अनंत ब्रह्मांड को समाहित करता है। ऐसा कुछ भी नहीं हो सकता है जो मानव व्यक्तित्व द्वारा समाहित नहीं किया जा सकता है, और यह साबित करता है कि ब्रह्मांड का सत्य मानव का सत्य है। नाश्ता करते समय महादेव का अगला अंक देखा, कथा अत्यंत रोचक होती जा रही है। सती ने उन्हें स्वीकार कर लिया है पर महादेव ने अभी तक सती को नहीं स्वीकारा है. 

कल रात ओशो की किताब पढ़ी थी, सुबह तक उसकी सुवास शेष थी, जो एक कविता की शक्ल में प्रकट हुई.  ‘माँ’ पर  लिखी एक कविता भी आज पोस्ट की। मंझली भांजी का जन्मदिन है, कुछ पंक्तियाँ उसके लिए भी लिखीं. किसान आंदोलन पर दो वीडियो देखे, एक पक्ष में दूसरा विपक्ष में. हरियाणा व पंजाब की सरकारों को मंडी से बहुत आमदनी होती है, इसलिए वे इस बिल का विरोध कर रहे हैं, अन्य कोई राज्य यह विरोध नहीं कर रहा है. आज ‘कोना’कार वाले टेस्ट ड्राइव के लिए आये थे, सब ठीक था पर दो-तीन जगह हंप पर गाडी नीचे से टकराई. यह गाड़ी कोरिया की है, अभी वे तय नहीं कर पाए हैं कि कौन सी कार खरीदें. आज नंन्हा एक नया बोर्ड गेम लाया, ‘युद्धभूमि’, बहुत सरल है, बच्चों का कोई खेल हो जैसे. वह कई पार्ट्स जोड़कर  एक प्लेन बना रहा है, उस पर पेंट करने के लिए रंग और ब्रश मंगवाए हैं. दोपहर को वह ममेरी बहन का सामान लेकर आया, उसे स्टोर में रखवा दिया है. कोरोना के कारण कई बच्चे घर से काम करने के कारण अपने-अपने घरों को वापस जा रहे हैं. अब सम्भवतः वह अगले वर्ष के प्रारम्भ में लौटेगी. चार बजे वह बाइक से वापस गया तो रास्ते में बारिश आ गयी. कार होती तो भीगने से बच गया होता. 

रात्रि भ्रमण के लिए निकले तो देखा खेल के मैदान में बड़ा सा स्क्रीन लगाकर आई पी एल मैच दिखाया जा रहा था. कुछ लोग कृत्रिम घास पर नीचे बैठे थे, कुछ खड़े थे. उनके वृद्ध पड़ोसी भी बहुत रूचि से हर मैच देखते हैं, चाहे वह दिन या रात में किसी भी वक्त हो, क्रिकेट, फुटबॉल या टेनिस किसी का भी हो. आज सुबह से सिर में हल्का दर्द था, पर उसके कारण न तो दिनचर्या में कोई खलल पड़ा, न ही दवा लेनी पड़ी. देह से पृथकता का अनुभव होना शायद इसे ही कहते हैं. नन्हे ने उसकी सुविधा के लिए कम्प्यूटर के लिए नया मॉनिटर भेजा है. माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस सॉफ्टवेयर भी खरीद लिया है. पिता जी को कविताओं की इ- बुक ‘शब्द’ भेजी,  कहने लगे, संसार में भी थोड़ा  ध्यान लगाए. कोविड के कारण पार्लियामेंट का सेशन आठ दिन पहले ही समाप्त हो गया है. किसानों का आंदोलन जारी है. उनके सुधार के बिल तो पास हो गए हैं. श्रमिकों के लिए भी कई कानूनों में सुधार किया गया है. 

सुबह वेदांत पर चर्चा सुनी, स्वामी सर्वप्रियानंद कितनी अच्छी तरह माया, जीव व ब्रह्म के बारे में बता रहे थे. ब्रह्म ही माया के कारण जगत प्रतीत होता है; जैसे आकाश वास्तव में शून्य है पर नीला प्रतीत होता है. ध्यान की गहराई में जब ज्ञाता, ज्ञान और ज्ञेय तीनों एक हो जाते हैं. तब जो अनुभूति होती है, वह ब्रह्म है. जब जानने वाला तो हो पर जानने को कुछ न हो, तब जो जानना होगा, वह ब्रह्म है. जो कुछ जाना जा सकता है और जो कुछ जाना नहीं जा सकता, उन दोनों के पार है वह ! आज सुबह टाटा मोटर्स का आदमी आकर चेक ले गया ई वी के लिए. पिताजी को बताया तो उन्होंने कहा भविष्य में बिजली की गाड़ियाँ ही चलेंगी, उन्होंने भविष्य को देखकर कार का चुनाव करने के लिए नन्हे व जून को  बधाई दी.