सुबह के साढ़े दस बजे हैं. नन्हा व सोनू दफ्तर चले
गये हैं. रात को नींद खुल गयी थी, असमिया सखी की बेटी का एक चेक लाना भूल गयी, कहाँ
रखा होगा, इसके लिए मन में पुनः विचार आ गया. मन को इस गोल्डन रूल से समझाया, जो
होता है अच्छा होता है. जो दूध गिर गया है उसके लिए क्या पछताना. मन ने खुद को उस
दिन के लिए भी समझाया जब कोर्स के दौरान एक लड़की ने चेहरा धोने के लिए ठंडा पानी
माँगा था और उसने देने में एक पल के लिए आनाकानी की थी, क्योंकि गर्मी बहुत थी और
वह उसी समय खरीदकर लायी थी. स्वयं में ही व्यस्त रहने का जो सत्य कोर्स के दौरान
दिखाया था वह भी याद आया. भोजन के प्रति आसक्ति स्पष्ट दिखी जब नाश्ते के बाद गुड
डे बिस्किट अकेले खाया था. समूह में रहने का जो मौका कोर्स ने दिया उसका पूर्ण
उपयोग नहीं किया, सबके साथ रहकर भी वह अकेले ही रह रही थी. गुरूजी कहते हैं,
प्रवृत्ति और निवृत्ति साथ-साथ चलते हैं, जैसे श्वास का आना और जाना. जब वे ध्यान
में हों तब सब कुछ छोड़कर अकेले हो जाना है पर जब व्यवहार में हैं तब स्वयं को
भुलाकर दूसरे को ही प्राथमिकता देनी है. आज दोपहर जून की आँख का आपरेशन होना है.
रात्रि के आठ बजे हैं. आज का दिन व्यस्त रहा. सुबह छत पर
टहलने गयी, सूर्योदय की तस्वीरें उतारीं. बाद में जून के साथ नीचे उतरे ड्राइव वे
पर उसने चक्कर लगाये और जून बेंच पर बैठे रहे. उनकी आँख का आपरेशन कल ठीक से हो
गया था. आज बच्चे घर पर हैं. नाश्ते में मेथी के परांठे बनाये कुक ने. दस बजे चेकअप
के लिए नेत्रालय गये. साढ़े बारह बजे डेंटिस्ट के पास जाना था. काफी साफ-सुथरा व
आधुनिक उपकरणों से युक्त क्लीनिक बहुत प्रभावित करने वाला था. रिसेप्शनिस्ट से
लेकर डाक्टर, सहायक तक सभी का व्यवहार मधुर था. उसके दातों का फुल एक्सरे लिया.
डाक्टर ने कहा, एक दांत निकालना पड़ेगा, एक ब्रिज लगाना है, एक दांत इम्प्लांट करना
है. वापस आकर चार बजे दुबारा गये. डेंटिस्ट ने दांत निकाला और क्राउन के लिए दांत
को घिसा. वहाँ से एक शोरुम में गये जहाँ किचन तथा वार्डरोब के मॉडल देखे. दांत में
दर्द नहीं है. दो दिन बाद फिर जाना है. सोनू ने खिचड़ी बनाई है रात के खाने में.
टीवी पर पद्मावत फिल्म आ रही है, जो उनकी देखी हुई है.
आज सुबह नन्हा उन्हें 'तिंदी ताजा' ले गया जो बंगलूरू का
प्रसिद्ध रेस्तरां है, पर वहाँ लाइन लगी थी, सो एमटीआर पहुँच गये. सुबह अलार्म
सुनकर नींद खुली पर न तो उठी न ही सजगता रही, सो महीनों बाद स्वप्न आरम्भ हो गया.
मन स्वयं ही कल्पनाओं के जाल बुनता है और स्वयं ही उसमें फंस जाता है. सोनू घर को
ठीक-ठाक करने में लगी है. उसने कल बेहद स्वादिष्ट केक बनाया था ब्लू बेरी डालकर जो
जून लाये थे. उसने आज तेल लगाया और नूना को भी इसके लिए याद दिलाया. वह हर चीज का
ध्यान रखती है और ज्यादा वादविवाद में नहीं पडती. कम बोलती है और धीरे भी.
आज यहाँ छठा दिन है, अभी छह दिन और शेष हैं. सुबह नींद
जल्दी खुल गयी, नीचे टहलने गये तो अँधेरा था. चौकीदार सिर पर एक सफेद वस्त्र ओढे
बैठा हुआ सो रहा था. जून के आपरेशन को हुए आज चौथा दिन है. अज वह अपने पुराने जोश
में हैं. सिर पर पानी भी डाल लिया और किचन में कुक के साथ मिलकर पनिअप्प्म बनवाया.
आज शाम को उनका भी एक डाक्टर के साथ अपॉइंटमेंट है, नन्हे की कम्पनी के एप द्वारा किया
है. उसकी कम्पनी कितने लोगों का कितना भला कर रही है. कल शाम वे उनके नये घर गये
थे, घर अब साफ-सुथरा हो गया है, अगले कुछ महीनों में वहाँ इंटीरियर का काम आरम्भ
हो जायेगा. असम में सब कुछ पूर्ववत होगा, उसने सोचा नैनी को फोन करके घर की खबर
लेगी. बस पौने दो वर्ष उन्हें और वहाँ रहना है, फिर बंगलूरू ही उनका निवास बन
जायेगा. यह शहर सभी का स्वागत खुली बाहों से करता है.