Tuesday, May 22, 2012

स्वप्न में पुलिस स्टेशन


सुबह के आठ बजे हैं, अभी तक वे सब सो रहे हैं. उसने भगवद्गीता का सातवाँ अध्याय पढ़ा. सत्य है हर बार पढ़ने पर उसे यही लगता है जैसे पहली बार पढ़ रही हो. कितने ही वाक्य उसकी समझ से बाहर हैं पर लोकप्रिय गीता में चुने हुए आसान श्लोकों का अर्थ दिया है जिससे बहुत सहायता मिलती है. कल छोटे भाई का पत्र आया जन्मदिन की शुभकामनाओं सहित. कल रात जून और उसने बहुत देर तक बातें कीं. जून ने कहा कि उसका सब कुछ नूना का है, सपने भी, यह संभव है न अपना सब कुछ किसी को सौंप देना, पर यहाँ किसी को देने का प्रश्न ही नहीं है, खुद को ही देना है. कल जन्म दिन पर वह उसे एक प्रेम का दस्तावेज देने वाला है. कल वे स्टूडियो भी जायेंगे तस्वीर उतरवाने  पूरे एक वर्ष बाद
रात को एक स्वप्न देखा, अच्छा सा था. वे बस में सफर कर रहे हैं. दो-तीन लडकियाँ भी हैं उसी बस में, शायद उनके पास कोई स्मगलिंग का सामान है या वे कोई अवैध काम करती हैं. बस में एक पुलिस वाला भी है सादे वेश में, वह उन्हें बातों में लगाकर कई सवाल पूछता है और सीधे पुलिस स्टेशन ले जाता है, सभी यात्रियों को भी साथ में जाना पड़ता है, फिर स्वप्न टूट गया. 

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