कोरोना की रिपोर्ट
आज दिन भर ऐसा लगा जैसे कुछ अधूरापन है, जैसे कोई ज़रूरी काम रह गया है, जिसे करना था। सेवा का कार्य भी कई दिनों से नहीं किया, कल एक छोटा सा अनुवाद का काम आया था, सो कर दिया। सुबह समय से उठे, छह बजे से पहले टहलकर वापस आ गये थे। जून ने सोलर पैनल की सफ़ाई की, वर्षा हुए कई हफ़्ते हो गये हैं, सब तरफ़ धूल जम गई थी। पड़ोस में जो घर बन रहा है, उसके कारण धूल अधिक आती है। यहाँ पानी कुछ खारा है, पानी को कोमल करने के लिए मशीन लगायी है, उसमें हर महीने पच्चीस किलो नमक डालना पड़ता है।आज उसमें तथा बर्तन धोने की मशीन में भी नमक भरा।नाश्ते में दलिया बनाया, जिसमें बाबा रामदेव की सलाह पर सात-आठ पदार्थ मिलाये हैं, गेहूं का दलिया, छोटे चावल, मूँग छिलका दाल, अलसी, अजवायन, सफ़ेद तिल और ओट्स ! चाहें तो ज्वार या मकई का दलिया भी मिला सकते हैं। बनाते समय हरी सब्ज़ियाँ तो डालते ही हैं। बहुत पौष्टिक है और स्वादिष्ट भी। एक पुस्तक पढ़नी शुरू की है, लिविंग ऑन द एज, अच्छी लग रही है।
आज शाम को हम टहल कर लौटे तो पड़ोसिन श्रीमती दत्ता पीछे के बरामदे में मिलीं। सहज ही पूछ लिया, आप टहलने नहीं गयीं, तो उन्होंने बताया, उनकी बहू की रिपोर्ट पॉज़िटिव आयी है। एक जन्मदिन की पार्टी में गई थी, वापस आकर गले में ख़राश लगी, आज तो तेज बुख़ार भी था। आर एंटीज़न की रिपोर्ट तो फ़ौरन मिल गई। आर टी पी सी यानी ‘रियल टाइम ट्रांसमिशन चेन’ की रिपोर्ट आज आनी थी। ज़रूर पॉज़िटिव आयी है, क्योंकि उनके घर के आगे बैरियर के रूप में फीता लगा दिया गया है, और घर का फ़्यूमिगेशन भी किया गया। अब उन्हें ख़ुद भी बहुत सावधान रहने की ज़रूरत है। रात्रि भ्रमण के लिए नहीं गये। इस समय यहाँ कई घरों में कोरोना के मरीज़ हैं।आज नाश्ते में मकई के आटे में बगीचे से तोड़ी पालक मिलाकर रोटी बनायी। मौसम अब गर्म हो गया है, एसी चलाने लायक़ गर्म। आज दोपहर को एक और घर को सैनिटाइज करने की आवाज़ आ रही थी। शायद कोई और मरीज़ मिला है। कल यहाँ पर आर टी पी सी टेस्ट के लिए कैंप लग रहा है,शायद कुछ और निकल आयें। देश व दुनिया में तेरह करोड़ लोग इससे ग्रसित हो चुके हैं।
सुबह जब वे घर से निकले, आकाश में चाँद तारे खिले हुए थे।वातावरण शांतिदायक था खुली हवा में टहलते समय कितने सुंदर विचार आते हैं। हवा, धरती, सूरज और आकाश के साथ एक्य का अनुभव हो रहा था। वापस आकर छत पर योग साधना की, ऊपर विशाल गगन था पर बादलों के कारण सूर्योदय नहीं दिखा।रोज़ सुबह सबसे पहले घर से बाहर निकल जाने वाले पड़ोसी छत पर टहल रहे थे, उनके घर से न कोई बाहर जा सकता है, न कोई आ सकता है।कभी अपने ही घर में नज़रबंद होना पड़ेगा, ऐसा किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था। उनसे बात हुई तो कहने लगे, बहू को स्वाद व सुगंध का कुछ पता नहीं चल रहा है।
संध्याकाल का भ्रमण नहीं हुआ। हिम्मत करके मास्क पहनकर रात्रि भ्रमण के लिए निकले। सड़क ख़ाली थी, केवल एक व्यक्ति अपने कुत्ते को घुमाने लाया था।लोग फिर से अपने घरों में बंद रहने को बाध्य हो गये हैं। श्रीमती दत्ता ने बताया कि उनके परिवार में बहू को छोड़कर सभी की रिपोर्ट नेगेटिव आयी है। उन्होंने अपने पोते को कहा दिया है, माँ बाहर गई है। वह फ़ोन से बात कर लेता है। छोटे भाई की रिपोर्ट भी पॉज़िटिव है, पापाजी को भी बुख़ार हो गया है। भाभी अभी तक ठीक है, भाई ने बताया, वह नियमित शंख बजाती है और गरम पानी में नींबू और शहद डालकर रोज़ सुबह पीती है। ईश्वर उसकी रक्षा करेंगे। उसे ही दोनों मरीज़ों की देखभाल करनी है। शाम को छोटी बहन का फ़ोन आया, उसे नाइट ड्यूटी पर जाना था, थोड़ी चिंतित थी।
सुबह पापाजी से बात हुई, उन्हें भी कोरोना हो गया है। पर बुख़ार होने पर भी सुबह की चाय स्वयं बनायी। भाभी नाश्ता-खाना ऊपर रख जाती है। दीदी से बात हुई, वह आजकल ब्रेनविटा खेलती हैं, अभी तक अंत में एक कंचा नहीं आ पाया है। यू ट्यूब पर उसका हल देखकर सीखने से ही आयेगा शायद। आज गर्मी कल से अधिक है। उनका एसी काम नहीं कर रहा है, शायद उसका कंप्रेसर ख़राब हो गया हो। आज शाम को श्रीमती दत्ता को इतने वर्षों में पहली बार छत पर देखा। दत्ता जी को भी खांसी व बदन दर्द की शिकायत हो गई है, पुत्र की तबियत भी ठीक नहीं है।