Friday, January 31, 2020

तेनालीरामा का पुत्र


आज सुबह जब वे उठे तो वर्षा हो रही थी, रात्रि को ही आरम्भ हो गयी थी. ड्राइव वे पर ही छाता लेकर कुछ देर टहलते रहे, फिर योग कक्ष में आ गए. कल शाम वहां एक दर्जन योग साधिकाएं थीं, कमरा पूरी तरह से भर गया था, उसने सोचा कमरे के बाहर गैलरी में भी चटाई बिछा कर दो लोगों का स्थान बन सकता है. कल मुख्य सड़क से होकर ट्रेनर ने कार को बाजार की तरफ ले जाने को कहा. सड़क पर पानी भरा था, एक बार उसमें गाड़ी रुक गयी, उसे डिफेंसिव ड्राइविंग करने की जरूरत नहीं है, ऐसा ट्रेनर ने कहा, एक कंट्रोल उसके पास भी है. दोपहर को तीसरे गियर पर गाड़ी चलाई. लर्नर लाइसेंस  के लिए अगले महीने की डेट आयी है, एक परीक्षा देनी होगी डिब्रूगढ़ जाकर. उसने मॉक टेस्ट दिया, कुछ ही प्रश्नों के उत्तर नहीं आते थे. अभ्यास करते-करते आ जायेंगे जैसे एक दिन गाड़ी चलना अभ्यास में आ जायेगा. कुछ देर पहले जून के भूतपूर्व अधिकारी की पत्नी का फोन आया, अधिकारी का गॉल ब्लेडर का ऑपरेशन होना था, लेप्रोस्कोपी करते समय आंत में छिद्र हो गया, हालत बिगड़ने से ओपन सर्जरी करनी पड़ी, अभी भी एक प्रक्रिया शेष है. अभी छह हफ्ते और वहां रहना पड़ेगा .उनका परिवार वहां पहुँच गया है. कल मृणाल जयति के एक टीचर का फोन आया, वह भोजन के बाद आम खा रही थी, जून ने कह दिया दो बजे के बाद फोन करें.  बाद में पता चला उसके पिता का देहांत हो गया, कभी भी किसी के फोन को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए. भीतर का मौन खो नहीं सकता पर कभी-कभी विस्मृत हो जाता है. नन्हा अगले हफ्ते सिंगापुर जा रहा है, जून उसी दिन बंगलूरू से वापस आ रहे होंगे, वह इतवार को जा रहे हैं. 

टीवी पर तेनाली रामा धारावाहिक आ रहा है. जिसमें उसका पुत्र भी हो चुका है, जो अपने माता-पिता की बातों को सुन सकता है, उनका जवाब देता है. दर्शक सुन पाते हैं पर वे नहीं सुन पाते. आज योग कक्षा में एक साधिका अपनी माँ को भी लायी थी, उसकी बेटी आज नहीं आयी. शाम को एसी व पंख चलाने के बावजूद कमरे में काफी गर्मी थी, शायद कल पुनः वर्षा हो जाये. 

पौने नौ बजे हैं सुबह के, सफाई कर्मचारी नहीं आया है, कुछ देर पहले उसकी पत्नी आयी थी. ग्यारह वर्ष उनके विवाह को हो गए हैं. दो पुत्र हैं व एक पुत्री. दो पुत्र पहली पत्नी के हैं, जिसकी मृत्यु होने के बाद इनका विवाह हुआ. पांच बच्चों को संभालती है. पति की शिकायत कर रही थी, किसी के साथ चक्कर है, चार-चार दिनों तक घर नहीं आता है. वैसे घर में सब कुछ लेकर देता है, पर कौन पत्नी है जो पति को इस तरह देख सकती है. उसे हिम्मत दिलाने के लिए कुछ शब्द कहे. अपने मन को शांत करने के लिए पूजा करने को कहा तो कहने लगी वे लोग क्रिस्तान हैं. माथे पर लाल बिंदी, साड़ी, मांग में सिंदूर.. वह पूरी हिन्दू लग रही थी. कानपुर में मायका है. पति ने विवाह से पहले बताया भी नहीं कि धर्म परिवर्तन कर लिया है. उससे बात चल ही रही थी कि नैनी की सास भी अपना दुखड़ा लेकर आ गयी. घर के दोनों जवान बेटों ने कल रात नशा करके बहुत झगड़ा किया, दोनों ज्यादा नहीं कमाते पर नशा करने के लिए पैसे जुटा लेते हैं. घर का मुखिया कमाकर लाता है तो घर का खर्च चलता है. वह अपनी बात कहकर थोड़ा शांति प् लेती है, पहले उसकी बात सुनकर वह बेटों को समझाती थी, पर उस समय वादा करने के बाद वे कुछ दिनों बाद फिर वही करते हैं. अजीब गोरखधंधा है यह दुनिया, सुना है गोरखधंधा शब्द का जो अर्थ लगाया जाता है वह गलत है, अब इसका उपयोग नकारात्मक रूप में नहीं किया जा सकता। आज गर्मी बहुत ज्यादा है. सुबह टहल कर आये तो घर में बिजली नहीं थी, लॉन में बैठकर आसन व प्राणायाम किया. मोबाइल पर सदगुरू के मधुर वचन सुने. पहले उनकी आवाज में एक सहज भोलापन झलकता था, जब वे छोटे थे. अब उम्र के साथ-साथ एक परिपक्वता आ गयी है. इसी महीने गुरू पूर्णिमा भी है. 

Monday, January 27, 2020

आंतरिक मौन


आंतरिक मौन 



समय की कीमत जो जानता है, विचार की कीमत जो जानता है, वह और तरह से जीएगा. परिवार, मित्र, जीवन, प्राण, सभी धन हैं. इतनी संवेदना भीतर जगे कि इस जगत को त्यागपूर्वक भोगें. आजकल नियमित ध्यान नहीं होने के कारण मन चंचल रहता है, अनुशासित होकर कम से कम आधा घन्टा ध्यान करना होगा. ग्यारह बजने वाले हैं, जून आज आयल फील्ड गए हैं, आने में शायद देरी हो सकती है. आज नासिकाग्र पर मीठी सी गन्ध का अनुभव हो रहा है. गन्ध पृथ्वी का गुण है. पहले नाद सुनाई देता था जो आकाश का गुण है, फिर प्रकाश दिखता था, जो अग्नि का गुण है. साधना काल के बहुत आरंभ में पूरे शरीर में प्राणों का प्रवाह होता प्रतीत होता था, जो वायु का गुण है. अब वे भी सब होते रहते हैं पर गन्ध प्रमुख है. इन्हें ही तन्मात्रा कहते हैं शायद. कल शाम को क्लब की कमेटी की मीटिंग है, उसे एक और सदस्या के साथ मिलकर चाय-नाश्ते  का इंतजाम करना है. सुबह से ही तैयारी करनी होगी. 

रात्रि के आठ बजे हैं. टीवी पर इंग्लैण्ड-भारत एक दिवसीय क्रिकेट मैच का प्रसारण हो रहा है. भारत के सामने ३२२ रन का विशाल लक्ष्य रखा है. आज शाम  लर्नर ड्राइविंग लाइसेंस के लिए फार्म जमा कर दिया. घर आने से पूर्व वे नदी तक गए. सूर्यास्त का सुंदर दृश्य कैमरे में कैद किया. नदी में पानी बहुत बढ़ गया है. सर्दियों में लोग जहाँ पिकनिक मनाते हैं, रेत के वे मैदान पानी में डूब गए हैं. आज सुबह ड्राइविंग की थ्योरी क्लास थी, वर्षा बहुत तेज होने लगी, टीचर की आवाज सुनाई देना बंद हो गयी. आधा घन्टा सभी ने प्रतीक्षा की, वर्षा रुकी तो क्लास पुनः आरम्भ हुई. दस क्लासेस के बाद लर्नर लाइसेंस मिलेगा. आज सुबह एक योग साधिका अपने माँ-पिता को लेकर आयी थी. वह उन्हें प्राणायाम के लिए प्रेरित करे, ऐसी उनकी मंशा थी. इसी बीच चाची जी का फोन आया और प्रेसीडेंट का भी. पहला फोन बीच में काटना पड़ा, शायद सामान्य हाल-चाल जानने के लिए ही किया होगा. छोटे भांजे से बात हुई, वह क़ानून की पढ़ाई करने कालेज पहुँच गया है, परिवार में पहला वकील बनेगा. आज बगीचे से चार नारियल तुड़वाये हैं एक वर्ष और उन्हें ताजा नारियल पानी पीने को मिलेगा. कल  मीटिंग ठीक से हो गयी. 

सुबह के साढ़े आठ बजे हैं, ड्राइवर के आने का इंतजार है. प्रतीक्षा के इन पलों को रचनात्मक बना लिया जाये तो समय क्षण भर में कट जाता है. आज सुबह से भीतर के मौन को अनुभव कर पा रही है वह, कितना मधुर है यह सन्नाटा ! आज का गुरूजी का सन्देश भी यही कहता है कि  मन के द्वंद्व को समाप्त करने की कोशिश से वह और बढ़ेगा क्योंकि उसे ऊर्जा मिलेगी, बल्कि उसे आत्मा का आश्रय लेकर समाप्त कर देना चाहिए. आत्मा में परम् विश्राम है. परमात्मा में क्या होगा यह तो वही जानता है ! आत्मा व परमात्मा दो हैं या एक, इसका निश्चय आज तक नहीं हो पाया. वे एक ही होने चाहिए. भीतर जो अनन्त मौन है वह परम् मौन ही कहा जा सकता है. कुछ देर पूर्व क्लब की अध्यक्षा का फोन आया. स्कूल के लिए नयी अकाउंटेंट मिल गयी है, उसका इंटरव्यू लेना है, उसे भी जाना होगा. आज भीतर सन्नाटा है तो बाहर भी मौन छाया है. नैनी व सफाई कर्मचारी चुपचाप अपना काम कर रहे हैं. बाहर उनके घर के पांच बच्चों में से इस समय कोई भी नहीं रो रहा है. 






Friday, January 24, 2020

कर्म का बंधन


 कल दोपहर पहली बार अकेले कार चलायी। सुबह गैराज से गाड़ी निकाली और वापस डाली, पर अभी बहुत अभ्यास करना है. संकरी जगह से कैसे गाड़ी निकाली जाती है, और ट्रैफिक में से कैसे बाहर लायी जाती है, इसे सीखने में काफी समय लगेगा, लेकिन अभ्यास तो जारी रखना होगा. शाम को भजन सन्ध्या थी. उसके पूर्व अस्पताल गयी. एक सखी दो दिनों से एडमिट है. उसका पुत्र युवा हो गया है पर मानसिक रूप से बालक है. शारीरिक रूप से भी आत्मनिर्भर नहीं है. चौबीस घण्टे उसका ध्यान रखना पड़ता है. घर में सास-ससुर भी आये हैं. काम का बोझ ज्यादा है. रात को नींद पूरी न होने के कारण उसका स्वास्थ्य बिगड़ गया. आज गुरू माँ को सुना, पित्त की अधिकता से कितने रोग हो जाते हैं. कफ व वात बिगड़ने से भी षट क्रियाओं को करके शरीर को शुद्ध किया जा सकता है. आज सुबह सुंदर वचन सुने, ‘सुख और दुःख के ताने-बाने से बुना है जीवन, यह जानकर उन्हें दोनों से ऊपर उठना है. राम चाहते तो वन जाने से मन कर सकते थे, पर उन्हें वन जाने में दुःख प्रतीत नहीं होता था. वह राजमहल में रहकर सब सुख भोग चुके थे, वहाँ कोई सार नहीं है, यह जान चुके थे. कर्म का फल सदा के लिए नहीं रहता, कोई भी दुःख आता है जाने के लिए. इसलिए दुःख के कारण आये बुरे वक्त को साधना के द्वारा काट लेना चाहिए.’ जो घट चूका वह खुद के ही कर्मों का फल मिलना था, वर्तमान में भूख-प्यास व नींद के अलावा कोई दुःख है ही नहीं. प्रकृति उनकी परीक्षा लेती है पर श्रद्धा रूपी देन भी उन्हें परमात्मा से मिली है. श्रद्धा को मजबूत करने के लिए ही प्रकृति उनके सामने नयी-नयी परिस्थितियाँ लाती है. जब वे दृढ रहते हैं तो प्रकृति सहायक बन जाती है. शाम के साढ़े छह बजने को हैं. सदगुरू कितनी सरलता से कर्म बंधन से मुक्त होना सिखा रहे हैं. उन्होंने कार्य सिद्धि के तीन उपाय बताये, पहला है प्रयत्न, दूसरा है जो प्राप्त करना है, वह मिला ही हुआ है, यह विश्वास. तीसरा है धैर्य. जैसे बीज हमें मिला है, उसे पोषित करना है. कार्य को सिद्ध करने के लिए, कार्य को सिद्ध हुआ मानकर ही प्रयत्न करने से मन सन्तुष्ट रहता है. यह रहस्य है. परमात्मा को पाना है तो यह मानना है कि वह मेरे पास है, और उसके बाद सत्संग, साधना आदि करना है. सुखी है मानकर जो बढ़ता जाता है, वह सुखी ही रहता है. साधन व साध्य में भेद नहीं मानना है. योगी है मानकर योग करने से योग सिद्ध होता है. मानसिक शांति ज्ञान से ही मिलती है. इसी माह गुरू पूर्णिमा है, गुरूजी के लिए एक कविता लिखेगी. प्रेम, ज्ञान सभी कुछ परमात्मा की देन है, जब कोई यह जान लेता है तो खुद के साथ-साथ समाज के लिए भी उपयोगी बन जाता है. उनके जीवन से एक महक फैलेगी तो वे भी सुखी रहेंगे औरों को भी उनसे सुख मिलेगा ! पिछले दो दिन कुछ नहीं लिखा, इस समय पौने ग्यारह बजे हैं, भोजन बन गया है. जून थोड़ी देर में आने वाले हैं. भागते हुए समय से कुछ मिनट निकाल कर खुद से बात करने का सुअवसर ! आज एक वरिष्ठ रिश्तेदार का जन्मदिन है, पर सुबह भूल ही गयी, उन्होंने स्वयं ही याद दिला दिया, उम्र ने उन्हें परिपक्व बना दिया है. कल क्लब की एक सदस्या से बात की, उनके लिए कुछ लिखा और संबन्धी के लिए भी, उन्होंने वाह ! वाह ! कहकर तारीफ़ की है, पर उसे उसका प्रतिदान लिखने में ही मिल गया. हिंदी लेखन प्रतियोगिता में उसे पुरस्कार मिला है, लिखने वाले कम हैं शायद इसलिए.. उत्सव मनाना अहंकार को पोषित करना ही हुआ न. तारीफ होने पर जो प्रसन्नता का अनुभव करता है वही अपमान होने पर दुःख का भी अनुभव करने वाला है. मन जब इससे ऊपर उठ जाता है, संकल्प रहित हो जाता है. तब संसार नहीं रहता, यानि पल भर में ही इस संसार से मुक्त हुआ जा सकता है. परमात्मा जो अचल, घन, चेतन स्वरूप है, उसमें टिका जा सकता है.


Wednesday, January 22, 2020

ड्राइविंग की एबीसी



जुलाई का महीना यानि आषाढ़ का महीना अर्थात वर्षा का मौसम ! आज सुबह से ही बादल बने हैं. वे छाता लेकर टहलने गए पर खोलना नहीं पड़ा. पिछले छह दिन उड़ीसा में बिताने  के बाद घर आकर ऐसा लगा, जैसे बहुत दिनों बाद लौटे हैं. यहाँ का मौसम या पानी का असर, सिर में हल्का दर्द है, पर स्वयं को उससे अलग कर पाना अब सहज हो गया है. सुबह ड्राइविंग की, दोपहर को भी, आज सातवां दिन है, पर अभी तक ए बी सी का क्रम ठीक से नहीं आया है, शायद कुछ दिनों का गैप हो गया इसलिए. गाड़ी चलना इतना कठिन नहीं है पर इतना सरल भी नहीं. सजगता इसकी पहली शर्त है. स्टीयरिंग को हल्के से पकड़ना है, क्लच दबा कर ब्रेक लगाना है, गाड़ी को गति देकर गियर बदलना है , दाएं-बाएं मोड़ते समय सिगनल देना है . ये सब बातें याद रखनी हैं. शाम को मीटिंग है, स्कूल में नया खजांची आया है, पता चला है, पहले का हिसाब ठीक नहीं है, इतने वर्षों में किसी ने ध्यान नहीं दिया. कल शाम जून को देर तक टीवी देखने के लिए उसने टोका, जैसे उन्होंने वैदिक चैनल देखने के लिए उसे मना किया था. यह बदले का कृत्य था सम्भवतः, जून सुबह तक चुपचाप थे. जो जैसा है उसे उसे वैसा ही स्वीकारना होगा. वह इस ज्ञान में स्थित रहना चाहती है . अध्यात्म को जीना चाहती है अतः उसे साक्षी भाव से ही इस जगत को देखना है. हर कोई अपने स्वभाव से प्रेरित होकर कृत्य कर रहा है. उसे भी अपने स्वभाव में रहना है. सत्य और अहिंसा के सूत्र को पकड़ कर रखना है. किसी को बदलने की इच्छा ही हिंसा है. परमात्मा जैसे सभी को बेशर्त स्वीकारता है, वैसे ही  उन्हें भी सिवाय प्रेम के किसी को कुछ भी नहीं देना है. 

आज महीनों बाद रद्दीवाला पुराने अख़बार लेने आया, उन्हें लग रहा था शायद वह बीमार है या कहीं चला गया है. उसने बताया डायबिटीज के कारण वजन बहुत घट गया है, पहले उसका शरीर बहुत भारी था. आज सुबह ही उन्होंने अपना वजन देखा था, बढ़ गया है. नैनी की तबियत ठीक नहीं है उसकी देवरानी काम पर आयी. कार धोने वाले की जगह उसके भाई ने कार धोयी, पता चला वह अपने पिता को लेकर गांव गया है, चाचा का देहांत हो गया है. धोबी ने भी कहा वह गांव में अपने चाचा से मिलकर आया है. उसे लगा उनसे कहीं ज्यादा अच्छी तरह ये लोग रिश्ते निभाना जानते हैं. कल शाम मीटिंग में हिसाब किताब  देखा, पुराने ट्रेजरर ने पैसों का काफी हेर-फेर किया है. खुद पर इतने आक्षेप लगते देखकर भी वह भावहीन दशा में चुपचाप बैठा था  और हर्जाना भरने को भी तैयार हो गया. 

वही कल का सा समय है, आज बादल छंट गए हैं, धूप नजर आ रही है. सुबह ड्राइविंग का अभ्यास किया, ज्यादातर समय सेकेण्ड गियर में ही चलाया. बाद में ट्रेनर ने कहा, अपने आप बिना कहे ही गियर बदलना चाहिए था. अब पहले से ज्यादा भरोसा आ गया है, इतवार की सुबह अकेले भी जा सकती है. आज बहुत दिनों बाद एक कविता लिखी. समय का अश्व जैसे तीव्र गति से दौड़ रहा है. नन्हा दो दिन के लिए पूना गया था, आज लौट आया है. भूटान यात्रा का संस्मरण आगे नहीं बढ़ा, वहां का इतिहास पढ़ रही है पर इतनी मोटी किताब है यह कि इसका आर-पार ही नजर नहीं आ रहा है. धार्मिक और राजनितिक रूप से भूटान में एक ही व्यक्ति का शासन चलता आ रहा है, अर्थात वहां के आध्यात्मिक नेता ही शासक रहे हैं. अंध विश्वासों और मिथकों के मध्य वहां की जनता आज भी जैसे एक रहस्य को जी रही है. अभी-अभी एक सखी का फोन आया, विशेष बच्चों के स्कूल के अध्यापक-अध्यापिकाओं के लिए होने वाली वर्कशॉप में वह उसकी मदद करेगी. 

Sunday, January 19, 2020

विश्व योग दिवस



आज का दिन काफी व्यस्त रहा और काफी अलग भी. प्रातः भ्रमण के समय फूलों से लदे वृक्षों की तस्वीरें उतारीं, बाकी दिन घर आने की जल्दी होती है सो वे कैमरा लेकर नहीं जाते. बड़े भाई से बात हुई वे एक प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र में नौ दिन रहकर आये हैं, उन्हें काफी हल्कापन महसूस हो रहा है. देह में जहाँ कहीं भी दर्द आदि थे, चले गए हैं. दोपहर को सन्डे योगा क्लास के बच्चों के साथ स्वच्छता अभियान चलाया, घर के सामने तथा बायीं ओर की सड़कों से कई थैले भरकर कूड़ा उठाया, कुछ दिन ये सड़कें साफ रहेंगी फिर आते जाते लोग इन्हें बेहोशी में गन्दा कर देंगे. बच्चे बेहद खुश थे, जब वे वापस आये तो उन्हें पंक्ति में खड़ा कर हाथ धुलवाए, नैनी ने नाश्ता तैयार कर दिया था. श्रमदान के बाद भोजन का अलग ही स्वाद आता है. जून काफी दिन पहले अमूल लस्सी का क्रेट लाये थे, उन्होंने भी बांटने में सहयोग किया. सुबह वह दो सखियों के साथ को ऑपरेटिव से विश्व योग दिवस के लिए आवश्यक सामान लेने गयी, महिला क्लब में भी वे इस दिवस पर कार्यक्रम कर रहे हैं. कल से वे योग प्रोटोकाल के अनुसार अभ्यास भी आरंभ करने वाली हैं. उस दिन सुबह भी बीहू ताली में सामूहिक योग किया जायेगा. क्लब की एक सदस्या से फोन पर बात करके परिचय लिया, उनकी विदाई कविता लिखने के लिए. 

सुबह नींद खुलने से पूर्व स्वप्न में पशुओं की खाल की बात हो रही थी, कल शाम की मीटिंग में कुछ महिलाओं को भोजन का मीनू बनाते समय जो शब्द सुने थे, शायद उन्हीं का परिणाम था यह स्वप्न, या किसी पूर्व जन्म की स्मृति से उपजा था, कौन जाने !  सुबह की दिनचर्या अभी समाप्त हुई ही थी कि ड्राइवर आ गया, ड्राइविंग का अभ्यास किया, अब कुछ-कुछ समझ में आने लगा है. कल विश्व योग दिवस है. उसे चार कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर मिल रहा है. परमात्मा की कृपा है. 

आज इतवार है. जून थोड़ी देर के लिए दफ्तर गए हैं. लन्च में विशेष कुछ बनाना नहीं है, सलाद व फल. शाम को उनके पूर्व वरिष्ठ अधिकारी को बुलाया है. वे लोग इसी महीने के अंत में सदा के लिए गोहाटी जा रहे हैं. आज सुबह एक्वा गार्ड का मकैनिक आया, कुछ दिन खराब रहने के बाद आज से मशीन ठीक हो गयी है. यहां पानी में आयरन ज्यादा है. परसों सुबह उन्हें उड़ीसा की यात्रा पर निकलना है. बगीचे में माली काम कर रहा है, उसका पूरा परिवार ही कुछ न कुछ सहयोग कर रहा है. दो दिन पहले नशा करके उसने बहुत उत्पात मचाया, जून ने तो उसे जाने को कह दिया था, पर वे लोग यहां रहना चाहते हैं. सुधरने का वादा पहले भी कई बार कर चूका है पर मन को जब किसी वस्तु की आदत पड़ जाती है, तो वह बिना सोचे-समझे उस कार्य को करना आरम्भ कर देता है, चाहे वह कार्य उसके या देह के लिए हानिकारक हो. मन जब स्वयं को बदलना आरम्भ करता  है तो पुराने संस्कार उसे रोकते हैं. वह छूटना चाहते हुए भी आदत का गुलाम होकर उसी कार्य को दोहराने लगता है. सजगता यदि एक क्षण के लिए भी न रहे तो मन दुर्बल हो जाता है. तमस की अधिकता के कारण भी मन सजग नहीं रह पाता। सजग मन ही सात्विक कर्मों में लगाता है. उसने सोचा, ये सब बातें उसे इस जन्म में कौन बताएगा, जिन्हें ज्ञात हैं वे भी मन को कहाँ साध पाते हैं ?