आज कम्पनी के शेयर होल्डर्स की वार्षिक सभा है, ड्राइवर सुबह ही वह गिफ्ट बॉक्स दे गया जी सभी शेयर धारकों को मिलता है, जिसमें मिठाई, नमकीन, भुजिया, जूस, चॉकलेट सभी कुछ है. सुबह नींद खुलते ही जैसे भीतर किसी ने कहा, चाय में नशा होता है, उस नशे से ही मुक्त होना है. कल या परसों नींद से जगते समय दूध से आधा भर एक कप दिखाई दिया था. रात को किसी वक्त स्वप्न देखा, वह बाजार गयी है, कैमिस्ट की दुकान पर है, कोई दवा खरीद रही है, कम से कम डोज मांगी है, फिर दुकानदार से पूछा, यह नुकसानदायक है न, वह हामी भरता है. चाय में नशा होता है यह बात इस स्वप्न से जुड़ी है और जुड़े हैं वे चाय के कप, जो नींद में दिखे थे. परमात्मा कितने-कितने उपाय करके उसे इस आदत से, आसक्ति से छुड़ाना चाहता है. उसकी कृपाओं का अंत नहीं. आज पूरे दो हफ्तों बाद कार चलाई, अभ्यास छूट गया है और भीतर एक भय भी समा गया है इसलिये धीरे-धीरे ही चला ही पायी. ब्लॉग पर लिखा, कुछ पढ़ा भी और टिप्पणी की. जून अभी एक घण्टे बाद आने वाले हैं, सर में दर्द हो रहा है शायद निकोटिन के लिए, नौ बजे आधा कप बोर्नविटा लिया था. कल शाम क्लब में वरिष्ठ महिलाओं की मीटिंग थी, लौटते हुए सवा आठ बज गए थे, जून को भी डिनर पर जाना था, पर वह सबसे मिलकर जल्दी ही लौट आये. उन्हें भी आधी रात तक जगना पसन्द नहीं है. जीवन जब एक लक्ष्य को सम्मुख रखकर आगे बढ़ता है तो मार्ग में आने वाली बाधा स्वयं ही दूर होने लगती है. वे सत्य के पथ के राही हैं. नन्हे से बात हुई, वह नए घर में था, काम शुरू हो गया है, तीन महीने में उम्मीद है पूरा हो जायेगा. सोनू अपनी सखी से मिलने गयी है, हल ही में जिसके पिता की मृत्यु हो गयी है. सर्वेंट लाइन में झगड़ा हो गया था आज सुबह, कारण पूछा तो पता चला, किसी पियक्कड़ ने नशे में अपनी तीन-चार वर्ष की बेटी को भी दो-चार घूंट पिलाने का प्रयत्न किया. विरोध होने पर झगड़ा बढ़ गया. नरक क्या इससे कुछ अलग होगा.
टीवी पर इण्डिया-पकिस्ताम मैच हो रहा है. एशिया कप के दावेदार दो देशों के मध्य, हजारों लोग इस मैच को देख रहे हैं. कल से आश्विन माह का आरंभ हो रहा है. पहली बार पितृ पक्ष पर कुछ विशेष जानकारी ली और इसके बारे में लिखा. आज शाम फोन पर ज्ञात हुआ कि पीछे कुछ दिनों से बड़े भाई का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, इस समय वह अस्पताल में हैं, ईश्वर उन्हें शीघ्र स्वास्थ्य प्रदान करें. छोटा भाई भाभी टूर पर हैं, पिताजी अकेले हैं घर पर पर इस उम्र में भी वह अपना सारा काम स्वयं कर लेते हैं. सुबह बंगाली सखी के यहाँ गयी, उसकी माँ को अब वार्ड में शिफ्ट कर दिया हैं, पर उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा है.
वही कल का समय है. टीवी चल रहा है पर आवाज बंद है. जून फोन पर बात कर रहे हैं. उसने भी पिताजी से बात की. मंझला भाई वापस आ गया है, बड़े भाई को नर्सिंग होम में दाखिल करवा दिया है. उनको डेंगू बुखार है यह बात पक्की हो गयी है. उनके कान में भी कुछ दिन से समस्या थी पर अब वह ठीक है. भतीजी आज सुबह घर आ गयी है, वह घर से ही काम करेगी, पापा की सेवा भी जितना हो सकेगा, करेगी. जीवन में कभी-कभी बड़े कष्ट का अनुभव करना पड़ता है, ऐसे में भी जो मन की समता बनाये रख सके, वह साधक है. दोपहर को उसने भाई से बात की तो हीलिंग मेडिटेशन करने को कहा, बुखार जब बढ़ जाता है तब तो वह कुछ नहीं कर पाते होंगे. एक योग साधिका को भी बुखार है, उसे भी उसने श्वासों पर ध्यान देने को कहा. शारीरिक रोग उनकी परीक्षा लेने के लिए आते हैं या उनकी ही लापरवाही के कारण, कोई नहीं जानता. कर्मों के फल के रूप में भी रोग आते हैं और बाहरी वातावरण के कारण भी. उनकी मानसिक स्थिति कितनी मजबूत है इस पर भी निर्भर करते हैं. आज शाम को भी फॉलोअप हुआ, दीर्घ सुदर्शन क्रिया के बाद मन कितना शांत हो जाता है. गुरूजी की कृपा का कोई अंत नहीं, घर बैठे ही उन्हें फॉलोअप का वरदान प्राप्त हुआ है. दोपहर को बच्चे व महिलाएं भी आये योग करने, प्रसाद में उन्हें बगीचे का नारियल खिलाया. विज्ञान भैरव पर एक-दो प्रवचन सुने, अद्भुत ग्रन्थ है यह. ध्यान की एक सौ बारह विधियाँ शिव पार्वती को सिखाते हैं. सूत्रों के रूप में नहीं हैं, प्रश्रोत्तरी के रूप में हैं. सुबह क्लब की प्रेसीडेंट से फोन पर काफी देर तक बात हुई स्कूल के बारे में, वह बोलने से थकती नहीं हैं. दोपहर को सिर में हल्का दर्द था, नशा है जानते हुए भी चाय पी. संस्कार को मिटाना परमात्मा के भी हाथ में नहीं है.