कल दोपहर डेढ़ बजे वे
जोरहाट पहुँचे, नन्हे को(RRL-जोरहाट )रीजनल रिसर्च प्रयोगशाला – जोरहाट में कई स्कूलों
के कुछ अन्य विद्यार्थियों के साथ आने का निमन्त्रण मिला था. इन सभी बच्चों ने हाई
स्कूल की परीक्षा में अच्छे अंक पाए थे. उनके ठहरने का इंतजाम जून के एक परिचित ‘क्षेत्रीय
अनुसन्धान प्रयोगशाला’ के एक वैज्ञानिक द्वारा RRL के सामने बने ‘अनुपमा विवाह भवन’
में किया गया है. काफी अच्छी साफ-सुथरी जगह है. सभी तरह का आराम है. नन्हा बेहद
खुश है, उसकी कई छात्रों से जान-पहचान भी हो गयी है. कल रात वह दूसरे कमरे में
सोया, अब वह अपना ख्याल स्वयं रख सकता है. कहीं से पूजा की घंटियों की आवाज आ रही
है. सुबह जून साढ़े पांच बजे उठे, सभी ने स्नान आदि किया, नन्हा चला गया तो
उन्होंने क्रिया की. जून को भी उन परिचित से मिलना था, उनके जाने के बाद उसने कुछ
देर ‘ध्यान’ किया पर दो बार व्यवधान पड़ा, सो अब प्रयास छोड़कर तैयार हो गयी है. कुछ
देर बाद वे बाजार जायेंगे. घर से दूर कुछ समय बेफिक्री से बिताना अच्छा है
कभी-कभी. अब श्लोकों क ध्वनि आ रही है, भारत भूमि इतनी पावन है कि इसके हर कण में
प्रभु का वास है !
आज उन्हें यहाँ आये
तीसरा दिन है. नन्हा प्रसन्न है. कल उन्हें वैज्ञानिकों से मिलने का मौका मिला.
प्रयोगशालाओं को देखा. आज प्रैक्टिकल ट्रेनिंग है, शाम को अभिनन्दन व पुरस्कार
समारोह है. लगभग साढ़े पांच तक सभी कार्यक्रम सम्पन्न हो जायेंगे. वे उसी समय घर के
लिए प्रस्थान करेंगे.
कल रात लगभग सवा नौ
बजे वे वापस आये जोरहाट से. जून ने बहुत धीरे-धीरे कार चलायी. रास्ता कुछ जगहों पर
काफी खराब था. कुछ जगह काफी अच्छा भी था. वापस आकर भोजन बनाया, सोते-सोते साढ़े दस
बज गये, सो सुबह छह बजे उठे. टीवी पर श्री श्री को देखा, कह रहे थे, अभिमान, क्रोध
और लोभ अथवा कामना करनी है तो उसी एक की करो, मन के सब भावों को उस एक से जोड़ दो
फिर देखो जीवन में भक्ति अपने आप उदित होगी और भक्ति के पीछे-पीछे सुख, शांति, और
हृदय की शुद्धता, सौम्यता भी ! उनको सुनकर हृदय स्वर्गिक आनंद का अनुभव करता है,
उनकी भाषा सुंदर है, हाव-भाव सुंदर हैं, उनकी आँखों में कितनी गहराई है, समुद्र से
गहरी और प्रेम भरी आँखें ! नन्हा कल शाम को वापस आना नहीं चाहता था, जिद कर रहा था
सो जून को क्रोध आया, पर थोड़ी देर बाद ही संयत भी हो गये. उनमें एक धैर्य और दृढ़ता
है जो दिनों-दिन और तीव्र हो रही है. वह नन्हे और उसका बहुत ख्याल रखते हैं और बहुत
गहरे जुड़े हैं. उन्हें अपने कार्य का, अपने लक्ष्यों का, अपने मन का पूरी तरह पता है.
वह चाहते हैं कि नन्हा और वह उनकी बात का मान रखें और ऐसा उन्हें करना ही चाहिए.
उनके प्रेम का प्रतिदान वे और कैसे दे सकते हैं. उसका मन उनके प्रति पूर्णतया
समर्पित है और आत्मा कृष्ण के प्रति. कृष्ण उसका जीवनधन है, उसका सर्वस्व, उसके
अस्तित्व का प्रमाण, वह उसका हितैषी है, शुभचिंतक और सुहृदयी, वह उसकी अंतर आत्मा
है. उसका नाम उसके पोर-पोर में अंकित है. उसके प्रति वह अपने भीतर इतना प्रेम
उमड़ते अनुभव करती है कि उसकी गूँज तक उसे सुनाई देती है. उसका नाम लेते ही आँखें
नम हो जाती हैं. वह प्रियतम है, अनुपम है और मधुमय है. वही जानने योग्य है, मानने
योग्य है, एक उसी की सत्ता कण-कण में व्याप्त है, वही चैतन्य हर जड़-चेतन में समय
है. उसी का प्रकाश सूर्य आदि नक्षत्रों में है. उसी का प्रकाश है जो आँखें बंद
करते ही उसे घेर लेता है !
आज ‘जागरण’ में
दीपावली के त्योहार का आध्यात्मिक अर्थ बताया गया. मन के विकारों को घर के कूड़े-करकट
की तरह निकाल फेंके, ज्ञान के दीपक अपने अंतर में जलाएं. स्वयं प्रसन्नता रूपी
प्रसाद ग्रहण करें तथा अन्यों को भी दें. नये विचारों को नये वस्त्रों की तरह धारण
करें. उसने प्रार्थना की, दीवाली सबके लिए शुभ हो, उसके अंतर में सभी के लिए प्रेम
दिनोंदिन बढ़ता रहे, वह सबमें अपनी आत्मा को व सबकी आत्मा में स्वयं को देखे. कृष्ण
उसके आराध्य बनें रहें, उनके चरण कमलों में उसका मस्तक सदा अवनत रहे. सद्गुरु के
प्रति उसकी श्रद्धा और भक्ति में विकास हो. सद्गुरु से जो बंधन बंधा है वह अटूट
है. अध्यात्म के क्षेत्र में सीमाओं की कोई जगह नहीं है, वहाँ सब कुछ अनंत
है...निस्सीम, मुक्त और परम..उनकी कृपा से ही उसे इस अनन्तता का अनुभव हुआ है.