Monday, September 28, 2020

सरोजिनी नायडू की स्मृति

सुबह नींद खुली तो सबसे पहले जून ने जन्मदिन की बधाई दी, फिर दिन भर शुभकामनायें मिलती रहीं. फेसबुक, व्हाट्सएप और फोन पर, नैनी और उसके परिवार के बच्चों ने कार्ड्स बनाकर दिए, उसकी सास ने पीले फूलों का एक गुलदस्ता दिया जिसमें चम्पा के भी दो फूल थे तथा . उसकी देवरानी ने एक दिन पहले ही लाल गुलाब का फूल देकर शुभकामना दी थी, कहने लगी सबसे पहले मेरी बधाई मिले इसलिए एक दिन पहले ही दे रही है. छोटी ननद ने एओल का गीत गाकर बधाई दी. अकेले ही टहलने गयी, जून को तीन दिनों के लिए पोर्ट ब्लेयर जाना है, तैयारी में लगे थे. वापस आकर प्राणायाम करने बैठी. जून ने माली को बुलवाया था पर वह नहीं आया सो थोड़ा सा क्रोधित थे, उनके क्रोध का आभास स्पष्ट हो रहा था योग कक्ष में बैठे हुए भी,  तरंगों का प्रसारण कितनी शीघ्रता से होता है. उनके दफ्तर जाने के बाद ध्यान किया. शाम की पार्टी की तैयारी की. दो मित्र परिवार आने वाले हैं. वह बंगाली सखी फोन करेगी ऐसी तो उम्मीद नहीं थी पर उसने व्हाट्सएप पर शुभकामनायें दीं, अच्छा लगा. शाम की योग कक्षा में सभी कुछ न कुछ बनाकर लाये थे, उन्होंने भजन गाये और ढेर सारे व्यंजन खाये. एकादशी थी पर उसने प्याज का प्रयोग कर लिया अनजाने में, किसी ने कुछ कहा नहीं पर उन्हें ज्ञात तो अवश्य हो गया होगा, प्रेम सारे नियमों से ऊपर होता है. इस जगत में प्रेम से बढ़कर कोई पावन वस्तु नहीं और प्रेम में होना ही आनन्द में होना है ! अर्थात परमात्मा में होना है ! इन साधिकाओं के प्रेम का कोई हिसाब नहीं, सभी एक से बढ़कर एक हैं. एक की तबियत ठीक नहीं थी फिर भी आयी थी, एक ने माँ शारदा के वचनों की छोटी सी पुस्तक तथा फूल दिए. इन सबका प्रेम देखकर लगता है, गुरु कृपा का पार पाना मुश्किल है. 


आज सुबह छह बजे जून अंडमान की यात्रा के लिए रवाना हो गए. उधर नन्हा और सोनू भी बीजिंग पहुँच चुके हैं. कई दिनों बाद मृणाल ज्योति गयी. वाइस प्रिंसिपल अस्वस्थ होने के कारण छुट्टी पर थी, प्रिंसिपल भी घर के कामों में व्यस्त थीं, उनकी आया लम्बी छुट्टी पर गयी हुई है. बाकी कई जन मिले, बच्चों को योग कराया. घर से लाये शकरपारे खिलाये. टीचर्स को मिठाई दी. जन्मदिन पर मिला फूलों का गुलदस्ता एक बच्चे को दिया, वह बहुत खुश हुआ. वापसी में आज़ार के बैंगनी फूलों से लदे वृक्षों के चित्र लिए. कल सुबह भी कैमरा लेकर जाना है, पूरे कैम्पस में बीसियों पेड़ों पर ये पुष्प खिले हैं. गुलमोहर पर भी बहार आयी है. पीछे वाली पड़ोसिन के यहां भी जाएगी, चम्पा का वृक्ष देखने. उसे मानसून पर कुछ बातें नेट पर मिलीं, उन्हें रोचक ढंग से लिखना है. छोटी भांजी का फोन आया, उसके जन्मदिन की कविता लिखनी है और गायत्री योग साधिकाओं के लिए भी यहां से जाने से पूर्व कुछ लिखना है. बिजली चली गयी है, सुबह से ही आ जा रही थी. आज मंत्रीमण्डल का गठन भी हो गया, मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के लिए पुरे जोश के साथ काम करने के लिए तैयार है. 


अतीत के पृष्ठ - उस दिन उसने एक पत्र लिखा तो उसमें उस अनुभव के बारे में भी लिख दिया जो हुआ था कुछ देर पूर्व ! अद्भुत ! अनोखा ! शांत और प्रिय ! ईश्वर ने उसके प्रेम का प्रतिदान उपहार देकर दिया. शायद वह बिना किये ही ‘ध्यान’ का पहला अनुभव था, उस समय ‘ध्यान’ से वह अपरिचित थी. उसके बाद भी एक कविता सहज ही लिखे जाने का जो अनुभव हुआ वह भी कम रोचक नहीं, सरोजिनी नायडू की स्मृति उसे सदा आ जाती है ऐसे वक्त पर, और चौड़ा मस्तक भी. कुछ अरसा पहले वह छोटी बहन के साथ एक वृद्ध अध्यापक के पास अंग्रेजी पढ़ने जाती थी, वह उसकी दुविधा और चिंता कितनी अच्छी तरह समझते थे, तभी उन्होंने कहा था, तुम्हारा मस्तक चौड़ा है.  स्नेह का एक बोल मन को फूल सा हल्का मगर शक्ति में चट्टान सा दृढ बना देता है. उस दिन वह बेहद प्रसन्न थी, उत्साह से लबरेज उसका प्याला छलका जा रहा था, जैसे सारा जहाँ उसके लिए पूजा की वस्तु बन गया हो. अगला पेपर फ्लूइड डायनामिक्स का है, उसने सोचा मानसून कब आएगा. 


Thursday, September 24, 2020

विश्वनाथ मंदिर

 

दोपहर के ढाई बजे हैं, आज नेट नहीं चल रहा और हिंदी लिखने का सॉफ्टवेयर भी काम नहीं  कर रहा, सो लिखने का काम नहीं हो पाया. अब मकैनिक आया है, कम्प्यूटर चेक कर रहा है और एक अन्य व्यक्ति टेलीफोन ठीक कर रहा है. मौसम आज भी बदली भरा है. सुबह इतनी तेज बारिश हो रही थी कि वे टहलने नहीं जा पाए. उसने टीवी खोला तो पता चला आज प्रधानमंत्री का आगमन काशी में हुआ है. वह विश्वनाथ मन्दिर पहुँच चुके हैं, जिसकी बहुत मान्यता है. वह गर्भ गृह में पूजा-अर्चना के लिए बैठे हैं, अशोक द्विवेदी जी उन्हें आचमन करा रहे हैं. योगी जी पीछे हाथ जोड़कर खड़े हैं. वे सभी देश के विकास का संकल्प ले रहे हैं. भारत को विश्व पटल पर एक आदर्श देश के रूप में स्थापित होते हुए  देखने का संकल्प लिया जा रहा है. काशी को उन्होंने अपना चुनाव क्षेत्र चुना है तो इसके पीछे कोई कारण होना ही चाहिए. यह अति प्राचीन नगरी है, जहाँ शिव का अति प्राचीन मंदिर है. इसे आधुनिक काल के अनुरूप स्वच्छ व सुंदर बनाने का काम भी सरकार की तरफ से चल रहा है. उसे वे दिन याद आने लगे जब वे काशी में रहते थे और विश्वनाथ के दर्शन हेतु जाया करते थे. उस समय वहां बहुत भीड़, फूल-पत्तियों के ढेर और कीचड़ हुआ करता था. शायद अब जब उन्हें वहाँ जाने का अवसर मिले तो सब कुछ बदला हुआ होगा. 


रात्रि के पौने आठ बजे हैं. मौसम आज गर्म है, अब दिनोंदिन और गर्म होता जायेगा. जून ने उनके सामान को बंगलूरू ले जाने के लिए पैकर्स से बात करना आरंभ कर दिया है. वे कुछ गमले और पौधे भी ले जायेंगे. आज सन्ध्या योग कक्षा में सभी महिलाओं को उसने आश्रम से लायी गुरूजी की तस्वीर भेंट की. वे चने की मिठाई भी लाये थे, खिलाई. योग साधना करते समय सहज ही ध्यान लग रहा था, आज सुबह उठने से पूर्व कैसा विचित्र अनुभव हुआ, बिना हाथ उठाये वस्तु को उठाने का अनुभव. आँख बन्द किये हुए पढ़ने का अनुभव. सब कुछ कितना रहस्यमय है. जब से बैंगलोर से आयी है, एक विचित्र सी गंध का अनुभव होता है. जून को स्टोर से कोई दुर्गन्ध आ रही थी जबकि उसे उसका पता ही नहीं चल रहा था, जबकि फूलों की गन्ध अनुभव कर पा रही है. आज भूटान यात्रा का विवरण टाइप किया, आयल की हिंदी पत्रिका में छपने के लिए देना है. बहुत दिनों बाद एक कविता भी लिखी और एक अन्य पोस्ट. इतने दिनों बाद कम्प्यूटर पर काम करना अच्छा लग रहा है. 

आज शाम महिला क्लब की कमेटी की मीटिंग थी. इस बार ज्यादातर महिलाएं असमिया हैं, वे हिंदी या अंग्रेजी में नहीं बोल रही थीं. उसे याद आया भूतपूर्व प्रेजिडेंट के समय पर सभी भाषाओँ का समान प्रयोग होता था. वक्त के साथ हर चीज बदलती है. वैसे नई सेक्रेटरी ने बखूबी संचालन किया. अगले महीने की क्लब की मासिक मीटिंग के लिये कार्यक्रम की रूपरेखा बनानी थी. इस बार कमेटी के सदस्यों को भी भाग लेना है. तय हुआ सारा कार्यक्रम मानसून थीम पर आधारित होगा. उसके लिए यह अंतिम अवसर होगा. बरसात पर कितनी ही सुंदर कविताएं व मनोरंजक गीत मिल सकते हैं. दोपहर को एक कविता लिखी, बल्कि एक विशेष भाव दशा में लिखी गयी जैसे अपने आप ही, देर शाम तक वह भाव दशा रही, पर नींद में रह पायेगी, पता नहीं. 


उसने दशकों पुरानी डायरी खोली - उस दिन एक और पेपर देकर वापस आ रही थी. एक सखी ने पूछा, कैसा हुआ, कहना चाहिए था अच्छा नहीं हुआ पर स्वभाव वश कह दिया अच्छा ही हो गया, पर इतना तो तय है कि पेपर उतने में से ही आता है जितना वह पढ़ती है, बस कुछ चीजें वह सरसरी तौर पर पढ़ती है. लौटते समय बस मिल गयी थी. एक मुसलमान ग्रामीण की मूर्खता या अज्ञानता पर आश्चर्य हुआ थोड़ा सा, क्योंकि यह उसकी ही गलती नहीं उसके परिवेश तथा उसके आस-पास के लोगों की भी है. एक सात-आठ साल की बच्ची ने रोना शुरू कर दिया कि उसके बापू उसे बस में बैठाकर नीचे चले गए हैं. वह डर रही होगी कहीं वह छूट न जाएँ. शायद पहली बार बस में बैठी थी, पर कौन जानता है वह क्यों रो रही थी ? पर उसके रोने में एक लय थी, धीरे-धीरे बच्चों की मासूम आवाज़ में वह रोना लोगों को खल नहीं रहा था. एक अन्य छोटी सी बच्ची उसके पास बैठी थी, जिसकी माँ घूँघट निकाले थी, वह उसकी अंगुली पकड़ लेती थी कभी- कभी, पर इतनी देर में वह एक बार भी मुस्कुरायी नहीं. कितनी ही बार उसने नूना की ओर देखा होगा, पता नहीं बड़ी होकर क्या बनेगी !   


Wednesday, September 23, 2020

गार्लिक ब्रेड

 

आज एक ऐतिहासिक दिन है. महीनों से इस दिन की प्रतीक्षा सारा देश कर रहा था, बल्कि विश्व के कई देश कर रहे थे, जहाँ भी भारतीय मूल के लोग रहते हैं अथवा जो देश भारत के मित्र हैं. बीजेपी ने भारी बहुमत से विजय हासिल की है तथा एनडीए एक बार फिर पांच वर्षों के लिए भारत को एक मजबूत सरकार देने वाला है. वे सुबह से ही चुनाव परिणाम पर नजर रखे हुए हैं. सुबह कम्पनी बाग घूमने गए, लोगों का एक हुजूम था वहाँ. कुछ लोग दौड़ रहे थे, कुछ योगासन कर रहे थे, कुछ टहल रहे थे , कुछ तस्वीरें उतार रहे थे. उन्होंने भी विशाल वृक्षों के चित्र लिए, आलूबुखारा व एक बेल खरीदी. वापसी में चचेरे भाई से मिलने का प्रयत्न किया, घर पर नहीं था, जिस दुकान पर चाय पीने आता है वहाँ भी देखा, पर नहीं मिला. उसकी कहानी भी बहुत विचित्र है पर मानव जीवन और यह सृष्टि सदा से ही विचित्रताओं से भरी है. वापस आकर नाश्ता किया फिर छोटी ननद की ससुराल गए. उसकी सासूमाँ बहुत स्नेही महिला हैं. उसके ज्येष्ठ के पुत्र से मिले जिसके पिताजी चाहते हैं वह उनकी दुकान संभाले, वह बीसीए करने के बाद घर आया हुआ था. वह निर्णय नहीं ले पा रहा है कि उसे क्या करना चाहिए. ढेर सारे फल खरीद कर जब वे वापस लौटे तो चुनाव परिणाम आने शुरू हो गए थे. एग्जिट पोल को सही सिद्ध करती हुई विजयमाल नरेंद्र मोदी जी के गले में सुशोभित हो गयी है. छोटी भाभी ने स्वादिष्ट मैंगो शेक बनाया व घर के बने आलू चिप्स भी तले. उन्होंने फल खाये और टीवी पर अमित शाह व नरेंद्र मोदी के भाषण सुने. कांग्रेस की हार पर अफ़सोस भी जताया, क्योंकि एक मजबूत विपक्ष भी लोकतंत्र के लिए अति आवश्यक है. 


सुबह मौसम सुहाना था. वे रजवाहे के किनारे-किनारे टहलने गए. सड़क सीमेंट की बनी है व साफ-सुथरी थी. इस मोहल्ले में भी सड़क पक्की हो गयी है. वापसी में वर्षा होने लगी, ठंडक बढ़ गयी. पिताजी अपने नियमों के अनुसार काम करते हैं, हिसाब-किताब भी पूरा रखते हैं. किस दिन गैस सिलेंडर लगाया था, इसकी डेट भी नोट करते हैं. नए प्रयोग करने से भी हिचकिचाते नहीं हैं. उनके जीवन से काफी कुछ सीखा जा सकता है. जून ने उन्हें मालिश के लिए तेजस तेल लाकर दिया है, वह स्वयं ही मालिश कर पा रहे हैं. आज घर पर गार्लिक ब्रेड बनी थी, जिसे पुलअपार्ट ब्रेड भी कहते हैं, साथ में मायोनीज की चटनी भी. नाश्ते के बाद टीवी पर मोदी जी की तकरीर फिर से सुनी. बीजेपी को तीन सौ तीन सीटें मिली हैं और एनडीए को तीन सौ बावन. पास ही की दुकान से वे मिठाई लाये, छोटे भाई ने दिल्ली के लिए भी मिठाई खरीद दी है. एक रात वे मंझले भाई के यहाँ बिताकर परसों असम वापस जा रहे हैं. दोपहर को दाल माखनी, रात को पनीर, इतना गरिष्ठ  भोजन वे घर पर नहीं करते हैं. शाम को टेलर से गुलाबी सूट लेकर आये, उसने वादा निभाया और समय पर सिल दिया. दोपहर को चचेरी बहन अपने दोनों बच्चों को लेकर आयी, दोनों बहुत प्यारे बच्चे हैं. उसने अपने पति व उसके काम के बारे में बातें बतायीं, उसे पथरी की समस्या हो गयी है, जबकि स्वयं उसे थायराइड की समस्या हो गयी है. देर रात्रि को दोनों भतीजियां आ रही हैं पर वे उसने सुबह ही मिलेंगे. 


सवा आठ बजने को हैं, आज उनकी यहाँ अंतिम सुबह है. सुबह का टहलना छत पर ही हुआ. मौसम आज गर्म है, धुप बहुत तेज है. वे आगे की यात्रा पर जाने के लिए तैयार हैं. चचेरा भाई भी उस दिन मिल नहीं पाया था, सुबह-सुबह स्वयं ही आ गया है. उसकी बहन  ने कल उसे बताया होगा, कल शाम वह अपने ममेरे भाइयों से भी मिलकर आई, तीन वर्ष बाद उसका आना हुआ है. 


आज वे पूरे एक महीने बाद घर वापस आये हैं, हवाई अड्डे से बाहर निकलने पर हरियाली ही हरियाली नजर आयी. ड्राइवर ने बताया महीने भर यहाँ वर्षा होती रही है. घर में कहीं चीटियों, कहीं चीटों और तिलचट्टों ने अपना घर बना लिया है. धूल, मिट्टी व मकड़ी के जाले तो हैं ही. दोनों नैनी व मालिन आ गयी हैं, मिलकर सफाई करेंगी. जून सब्जियां व फल लाने बाजार चले गए हैं। बाहर से कोयल के कूजन की आवाज लगातार आ रही है. 


अतीत के पन्ने खोले - उस दिन लाल स्याही से इतना ही लिखा था, माँ उसे कितना प्यार करती हैं, कितना ख्याल रखती हैं वह उसका ! कल शाम भी और आज सुबह भी ! 

  

उसका मन बस में नहीं है इस वक्त, यहाँ-वहाँ, इधर-उधर सारे संसार की सैर करता पागल मन ! वह नास्तिक होती जा रही थी, किन्तु अभी-अभी उसके मस्तिष्क में यह विचार कौंध गया कि इससे भयानक स्थिति क्या होगी ? ईश्वर का स्मरण मात्र ही पवित्रता को स्मरण करना है. शुभ, सुंदर, अच्छा, सत्य, प्रिय यही तो ईश्वर है. समय-असमय जो कुविचार उसे घेर लेते हैं उनसे त्राण पाने का एक अचूक साधन ! हे ईश्वर ! उसे ले चल ! उस राह पर जो पवित्र है, वह ... स्थिर मना, स्थितप्रज्ञ बन सके, अचंचल, दृढ बने. ऐसी भक्ति उसका मन करे कि तेरा दर्शन चहुँ और हो, और तब हे ईश्वर ! वह वह सब नहीं करेगी जो अब न चाहते हुए भी कर जाती है, कभी अनजाने में कभी जानबूझ कर. उसे अपनी शरण में ले, वह उसका चरवाहा बने, भटक जाये इससे पहले वह उसे संभाल लेगा, सहेज लेगा. उसने ईश्वर को धन्यवाद दिया. 


Tuesday, September 15, 2020

पीली चमेली

 

आज सुबह वे निकट की सोसायटी में टहलने गए, शायद अंतिम बार, अगली बार यहाँ आने पर उनका ठिकाना नए घर में होगा. नाश्ते के बाद ही यहाँ आ गए. बैठक में बैठे-बैठे ही बाहर की हलचल पता चलती रही है. इक्का-दुक्का कारें ही जाती हैं, क्योंकि उनका घर मुख्य सड़क पर है. दायीं ओर एक गोदाम है जो कुछ वर्षों बाद तोड़ दिया जायेगा. क्लब हॉउस में काम चल रहा है, शायद कुछ वर्ष लगें. आजकल जीवन की नदी एक सपाट, समतल भूमि पर बहती प्रतीत हो रही है. शहर से दूर इस शांत इलाके में रहना, जो आश्रम के नजदीक है, भला लग रहा है. अब  शाम के पौने चार बजे हैं, रात्रि वे यहीं बिताने वाले हैं. मौसम सुहावना हो गया है. आकाश में बादल गरज रहे हैं, यानि वर्षा किसी भी क्षण हो सकती है. आज भी दिन भर कोई न कोई आता ही रहा. दोपहर के भोजन के पश्चात आधा घन्टा विश्राम करने गए पर लेटते ही घण्टी बजी. नन्हे ने तेल की बॉटल रखने के लिए सफेद पत्थर की एक ट्रे मंगवाई थी.  किचन के श्वेत स्लैब पर रखी हुई अच्छी लग रही है. जून फोन पर उस अधिकारी से बात कर रहे हैं जो दफ्तर में उनका काम देख रहे हैं. कविता के ग्रुप में इस बार का शब्द है ‘गति’, पिछले कई दिनों से कोई कविता नहीं लिखी है. 


आज गृह प्रवेश की पूजा है और दोपहर को प्रीति भोज. पहली बार नए घर में सोने पर नींद तो आयी, पर स्वप्न भी आते रहे. कल दिन भर अकारण ही मन दुविधा में था, शायद कोई कर्म उदित हुआ है. सासु माँ का स्मरण हो आया, जाने-अनजाने उन्हें उनके कारण कभी जो भी दुःख हुआ होगा, उसका भी स्मरण हो आया. सुबह साढ़े तीन बजे एक स्वप्न देखकर एक बार नींद खुली,  किसी उत्सव का दृश्य देखा, कुक परांठे बना रहा है, बुआजी कहती हैं, उन्हें सौंफ का पराठाँ खाना है. दीदी व माँ भी हैं जो सभी मेहमानों की देखभाल कर रही हैं. मन दिन में भी स्वप्न रचता है और रात्रि में भी. करवट बदल कर पुनः सो गयी. एक घन्टे बाद उठकर देखा, आकाश गुलाबी था, कमरे से बाहर निकलते ही सूर्योदय की तस्वीर उतारी. बाद में निकट गांव में स्थित मन्दिर तक टहलने गए. फूलों की मालाएं खरीदीं. घर के द्वार पर सुगन्धित फूल लगाए, सारा घर बेल की सुवास से भर गया है. मौसम अभी तक तो ठीक है, दिन में तेज गर्मी होने वाली है. नन्हा और सोनू अभी तक नहीं आये हैं. उन्होंने इस घर की साज-सज्जा में बहुत श्रम किया है. पूरे घर में आटोमेशन से बिजली व पंखे चलते हैं. संगीत भी ओके गूगल कहकर बजा सकते हैं, जगह-जगह स्पीकर लगा दिए हैं. कहीं भी काम करते रहें तो संगीत या कुछ भी सुन सकते हैं. कुछ देर पूर्व क्लब की भूतपूर्व प्रेजिडेंट का स्मरण हुआ, तत्क्षण उनका फोन भी आ गया. उन्हें भी घर की तस्वीरें भेजी हैं. अपने घर मन रहने का अनुभव कैसा होता है, अब कुछ-कुछ अहसास हो रहा है. आज से एक्ज़िट पोल शुरू हो गए हैं, बीजेपी जीत रही है. 


उसने अतीत के झरोखे से झाँका, उस दिन डायरी के पन्ने की सूक्ति थी - झूठ इंसान को जलील कर देता है - महात्मा गाँधी . पढ़कर लगा, उसके उस झूठ के क्या परिणाम होंगे, कौन से झूठ के, यह नहीं लिखा, बचपन से उस दिन तक एक ही झूठ तो नहीं बोला होगा. छोटे थे वे लोग तो गाते थे, ‘झूठ बोलना पाप् है, नदी किनारे सांप है’.  फूल लायी थी  उस दिन चमेली के पीले सुवासित फूल, जिनकी माला बनाकर वह गले में पहन लेती थी, भीनी-भीनी सी खुशबू देर तक साथ रहती थी. बाहर से रेडियो की आवाज आ रही थी, दरवाजा ठीक से बन्द किया तो कम हो गयी. कल ‘विचार बिंदु’ में बापू के विचार सुने. कितने अच्छे थे बापू और वह ? उन्होंने कहा था, हँसी मन की गिरह खोल देती है, अपने ही नहीं दूसरों के मन की भी. हँसी उसकी सहेली है, यह उसने कहा था. पर उस वक्त उसे क्या हो जाता है, काश उस वक्त वह आइना देख पाती, पत्थर भी उससे सजीव लगता होगा. और फिर उसे याद आयी वह बात जो बरसों से भूली हुई थी, यानि परसों उसका इम्तहान है ! 


सोच एक दायरे में घूमती है बस और वह चक्कर लगाने लगती है गोल गोल ... न उधर न इधर कहीं कोई उत्थान नहीं, कभी कोई बात चुभ जाये या कोई बात न भी हो आँसूं पता नहीं कहाँ से आते हैं, आते चले जाते हैं ! फिर उसने सोचा,  पिताजी का बिछौना लगा दे. 


Tuesday, September 8, 2020

बारिश की बौछार

 

आज सुबह घर से निकलने के लिए तैयार थे पर न ओला मिली न उबर, काफी देर इंतजार किया फिर नन्हे के मित्र ने कहा, उसकी कार ले जाएँ. आधे घण्टे में ही पहुँच गए. रास्ता बहुत सुंदर है, सड़क भी अच्छी है, गांव से गुजरते हुए, मन्दिरों के दर्शन करते सोसायटी के पिछले गेट से वे घर पहुँचे तो जाली के दरवाजे लेकर कारीगर खड़े थे. जो उनकी प्रतीक्षा ही कर रहे थे. थोड़ी देर में एसी लगाने दो मकैनिक भी आ गए. दोपहर तीन बजे तक दोनों काम हो गये. कुछ देर विश्राम करने के बाद वे वापस आ गए. कुछ देर पूर्व नीचे शॉप में गयी तो शीशे का दरवाजा इतना साफ था कि खुला समझकर टकरा गयी, ध्यान कहीं और था. दोपहर को योग वशिष्ठ पढ़ा था जिसमें चेतना के जागरण के सिवा और कोई बात ही नहीं है. स्वयं के प्रति सजग व्यक्ति को जगत के प्रति असजग तो नहीं हो जाना चाहिए. नन्हे ने गृहप्रवेश के निमन्त्रण के लिए  सुंदर इ कार्ड बनाया है. पंडित जी व कैटरर को उसने एडवांस भी दे दिया है. कल रात्रि गुरूजी का एक वीडियो देखा, ‘कला’ के बारे में समझा रहे थे. बहुत सुंदर विधि से उन्होंने कला व कविता की परिभाषा बताई. सुबह सोमनाथ में दिए उनके प्रवचन को सुना, अमृत के समान मधुर हैं उनके बोल ! इस बार की कविता का विषय है ध्यान, उसने सोचा व्हाट्सएप कविता ग्रुप में ‘ध्यान’ पर लिखी कोई पुरानी कविता पोस्ट करेगी. 

शाम को घर वापस आ रहे थे कि अचानक तेज बूंदें पड़ने लगीं, विंड स्क्रीन पर लगातार चल रहे वाइपर के बावजूद सड़क साफ नहीं दिखाई दे रही थी. जून आज भी नन्हे के मित्र की कार लेकर आये.  दोपहर को एसी यूनिट के सिलसिले में दो मकैनिक आये. उन्हें दीवार में हुए छेद को सीमेंट से बन्द करना था, छत से रस्सी के सहारे लटक कर उन्होंने यह काम किया, काफी खतरा था इसमें. इसके अलावा माइक्रोवेव ओवन भी आयी और तकिये भी, अक्टूबर में जब वे यहां आएंगे अपने साथ कुछ सामान लाना ही शेष रहेगा. किताबें, वस्त्र, कलात्मक वस्तुएं, गमले और कुछ फर्नीचर. आज पहली बार यहां के डिपार्टमेंटल स्टोर में गयी, एक महिला चला रही थी, साथ में थी उसकी दुबली, लंबी बिटिया.  कुछ छोटे-मोटे सामान खरीदे, दो रातें उन्हें यहाँ बितानी होंगी. दोनों बिल्लियां सो रही हैं, दफ्तर जाते समय नन्हा उन्हें खाना-पानी देकर बालकनी में बन्द कर देता है, ज्यादातर समय सोती रहती हैं. योग वशिष्ठ पढ़ते समय कैसी अनुभूति होती है. इस संसार में सारा भय, विषाद और दुःख तभी तक है जब तक मन है, यानि आत्मा नहीं है. एक ही आत्म तत्व विभिन्न रूपों में प्रकट हो रहा है, जब तक यह ज्ञान दृढ नहीं हो जाता, दुःख से छुटकारा नहीं हो सकता. आज दोपहर को उनके पड़ोसी आये थे, वह बहुत शांत स्वभाव के व्यक्ति हैं सुबह साढ़े तीन बजे उठ जाते हैं, टहलने जाते हैं, और घर आकर प्राणायाम करते हैं. 


अतीत के पन्ने .....कॉलेज की अंतिम परीक्षा का प्रथम दिन है. कितनी ख़ुशी होती है जब किसी वस्तु को वे अंतिम बार विदा देते हैं. जैसे आज वह पहले कोर्स को दे देगी. कल पढ़ाई के बीच में थोड़ा सा विश्राम लेने के लिए निर्मल वर्मा की एक सशक्त कहानी पढ़ी, किसी विदेशी कहानी जैसे लगती है. 

पहली परीक्षा के बाद सात दिन का अंतराल था. दिन भर पढ़ाई की, शाम को टीवी पर फिल्म थी ‘गमन’, अच्छी थी, एक समस्या प्रधान फिल्म. 


दिन भर किताबों में बीता पर शाम को यहाँ क्लब का वार्षिकोत्सव था, अच्छा लगा सिर्फ एक नाटक को छोड़कर, उस नाटक की कथावस्तु एक घटिया नारेबाजी जैसी बनकर रह गयी, जो लोगों को हँसा जरूर सकती है पर कुछ सोचने पर विवश नहीं कर सकती. पढ़कर उसे वे वर्ष याद आ गए, दो-तीन नाटकों में उसने भी अभिनय किया था. एक का निर्देशन भी. उस दिन नाटक और लेख प्रतियोगिता का पुरस्कार उसे भी मिला था. उसकी पढ़ाई पूरी होने वाली थी, अब तो आत्मनिर्भर होना था, यही लक्ष्य था उसका अब नौकरी ढूंढना. शमे फिरोजा प्रोग्राम में सुना था कि जिंदगी बेमकसद हो तो जिंदगी नहीं रहती. एक सीधी सच्ची राह चुन कर उस पर चलते जाना है जैसे एक दिन एक जिन्न ने आदमी से कहा उसे खजाना पाना है तो इस रास्ते पर सीधा चलता  जाये, दांये-बांये देखा तो पत्थर बन जायेगा. 


Monday, September 7, 2020

संसार वृक्ष

 संसार वृक्ष 

आज वे घर वापस आ गए हैं. दिन में तेज वर्षा हुई, उस समय वे कवि सम्मेलन में भाग लेने के लिए आश्रम के शंकरा हॉल में बैठे थे, कवि सम्मेलन अच्छा रहा, जून ने उसकी कविता रिकार्ड भी की.  वहां से बद्रिकाश्रम विशाल में गए, जहाँ गुरूजी से भेंट करने के लिए प्रतीक्षा की. शाम को एक अन्य कक्ष में उनसे मिलवाने ले जाया गया. सुबह से ही गुरूजी अति व्यस्त थे. दर्शन लाइन में सभी से मिलने में उन्होंने घण्टों लगाए थे. उसके पूर्व वे रूद्र पूजा में बैठे थे. शाम को भी मिलने वालों का ताँता लगा रहा. गुरुद्वार पर हर कोई कुछ न कुछ मांग लेकर जाता है, पर जब उसकी उनसे भेंट का वक्त आया, उसने कहा, गुरूजी आप असम आये थे, उन्हें शायद भूल गया हो,  हजारों जगह वह जाते हैं. कोई जवाब देते इसके पूर्व दो लड्डू दिए तब तक पीछे वाली साधिका आगे आ गयी थी. बाद में सभी को एक साथ सम्बोधित किया तो कहा, शुभ विचारों को जितना हो सके लिख कर फैलाना चाहिए, वापस जाकर उसे ब्लॉग्स पर लिखना फिर आरम्भ करना है. आश्रम में बिताये ये तीन दिन उन्हें सदा प्रेरणा देंगे कि मन को संकीर्ण न बनाएं, दृष्टिकोण विशाल हो और मन व्यर्थ के चिंतन से मुक्त रहे. उनका हर नकारात्मक विचार उनके ही विरुद्ध उठाया गया एक शस्त्र होता है और हर सकारात्मक विचार ऊपर चढ़ने के लिए एक सीढ़ी। लक्ष्य है निर्विचारिता... जहाँ चेतन सत्ता सहज ही अपने आप में टिकी होती है. यह जगत एक खेल है और आज तक जो भी उनके साथ घटा है एक स्वप्न से अधिक कुछ नहीं. भगवद गीता का पन्द्रहवां अध्याय भी कहता है कि इस संसार वृक्ष को असंगता की दृढ़ तलवार से काटना है, विचार करने पर इसकी असलियत सामने आ जाती है. यहां से किसी सुख की आशा करना पानी से मक्खन निकलने जैसा व्यर्थ प्रयास है जिसमें श्रम भी होता है और कुछ हाथ भी नहीं आता. शनिवार को उन्हें गृह प्रवेश की पूजा करवानी है , नन्हे ने पंडित जी से बात कर ली है. 


रात्रि के आठ बजे हैं. आज भी दिन भर नए घर में  बीता, कोई न कोई हर घंटे आता  रहा. नन्हा आज जल्दी आया गया है, कह रहा है, कल दिन  भर वह व्यस्त रहेगा. विदेश से कोई टीम आ रही है जिसे उनकी कम्पनी में इन्वेस्ट करने के लिए एक प्रेजेंटेशन देना है, फिर अपने क्लाइंट से मिलाने ले जाना है. सुबह सात बजे उसे दफ्तर पहुँचना है और रात को दस बजे लौटेगा. आज रात को तैयारी भी करनी है, यानि नींद मुश्किल से तीन या चार घंटे की ही हो पायेगी. उसे लगा आज के ये युवा  आधुनिक तपस्वी हैं और देश के विकास में इनका भी हाथ है. आज दोपहर को एसी भी आ गया. जो दो व्यक्ति उसे लेकर आये थे, जून ने उनसे कहा कि ऊपर पहुँचा दें. एक मंजिल तक तो वे ले गए पर इतनी भारी यूनिट को जब दूसरे तल्ले पर ले जाने को कहा तो मना कर दिया. जून को क्रोध आ गया, पर थोड़ी ही देर में वह शांत हो गए और अपनी भूल का उन्हें अहसास भी हो गया. उसने देखा है, नन्हे को कितने ही व्यक्तियों से ना सुननी पड़ता है पर वह शांत बना रहता है. आज व्हाट्सएप पर कवि सम्मेलन की तस्वीरें आयी हैं, गुरूजी के साथ उसकी एक तस्वीर है, कविता पाठ करते हुए भी, कितनी मधुर स्मृतियाँ हैं  ये ! आज नैनी भी आयी थी, नन्हे ने कितने ही सामान मंगवाए हैं,  जिनके ढेर सारे खाली कार्टन आदि उसने बाहर रखे. नयी सीढ़ी भी आ गयी है और आयरन टेबल भी. 


....वह कालेज गयी थी परीक्षा का प्रवेश पत्र लेने, पर नहीं मिला था, अगले दिन फिर गयी, केवल तीन दिन रह गए हैं पहले पेपर में. उस दिन प्रवेश पत्र मिल गया, अब किताबें और किताबों के बीच उसका मस्तिष्क ! वापसी में कितनी तेज हवा चल रही थी, धूल भरा अंधड़ उसे बिलकुल अच्छा नहीं लगता. बस में किसी के पास रेडियो था. ‘चलते चलते यूँ ही कोई मिल गया था’, आल इंडिया रेडियो से यह गाना बजना शुरू हुआ था कि सूचना आयी, किसी कारण वश यह गाना आपको नहीं सुनवा सकेंगे, यह आवाज सुनाई दी. कोफ़्त हुई बेहद पर इसके बदले जो गीत बजा वह था, मेरी याद में तुम न आँसूं बहाना, मुझे भूल जाना.. हँसी आ गयी खन से ! 


आगे पढ़ा ... आज पहली अप्रैल है, ग्रीष्म ऋतु की शुभारम्भ बेला या दिवस. कल रजाई नहीं ली, और आज से सर्दी को रोकने वाली इस मोटी मैक्सी को छुट्टी और स्वेटर, स्कार्फ को भी. वह इतनी भद्दी दिखती है कि कोई जब कह देता है आज उसके वस्त्र अच्छे लग रहे हैं तो उसे लगता है कि वह स्वयं को सांत्वना दे रहा है. आज उसे यह पढ़कर सहानुभूति हो रही है उस उम्र की लड़कियों के प्रति, स्वयं के प्रति इतनी कठोरता.. अपनी मूर्खता पर भी उसे उन दिनों बहुत भरोसा था.