Sunday, March 29, 2020

राखी का उत्सव


आज मृणाल ज्योति में बच्चों के साथ दो दिन पहले ही राखी का उत्सव मनाया, बड़ा सा नीला कार्पेट ले गयी थी, जिसपे दो पंक्तियों में उन्हें बैठाया, जो इस समय धूप में सूख रहा है. वह खीर बनाकर ले गई और एक सखी आलू बोंडा, उन्होंने टीचर्स को भी राखियाँ बाँधी, तस्वीरें उतारीं. बड़ी ननद की राखी आज मिल गयी, उसकी भेजी राखियां भी सभी भाइयों को मिल चुकी हैं. कल सुबह ड्राइविंग टेस्ट देने जाना है. आज सुबह क्लब की प्रेसीडेंट के यहां अकेले कार लेकर गयी, वह तो उनका हाल-चाल पूछने गयी थी, पर उन्होंने क्लब का रजिस्टर, चेकबुक आदि सब सौंप दिया, टीचर्स डे के लिए भी चेक दिया, वे मृणाल ज्योति के टीचर्स के लिए अच्छा सा उपहार खरीद सकते हैं. परसों वह चेकअप के लिए बाहर जा रही हैं, एक हफ्ता लग जायेगा. इसी महीने मीटिंग है, कविता पाठ की प्रतियोगिता कराने में उसे सहायता करनी है. 

आज प्रातः भ्रमण से लौटते समय शब्द भीतर गूँज रहे थे, कविता के शब्द ! जैसे कोई जलप्रपात बह रहा हो ! सुबह-सुबह एक स्वप्न देखा, वह गाड़ी चला रही है( आजकल गाड़ी चलाने के स्वप्न अक्सर आते हैं) ड्राइवर साथ वाली सीट पर है, यानि अभी तक अकेले चलाना शुरू नहीं किया है. पीछे दो सखियाँ बैठी हैं. मंजिल आ गयी तो रुककर  वह उतर जाती है. पीछे गली में स्कूल ड्रेस पहने चार लड़कियाँ हैं जो आपस में लड़ रही हैं, वह उन्हें समझाती है, धमकाती है तो क्या देखा वे सभी एकजुट होकर उसे ही चोट पहुँचाने के इरादे से आने लगती हैं, तभी भीतर ख्याल आता है, इन्हें उसने ही तो रचा है.  वह खुद ही कार थी, स्वयं ही ड्राइवर, स्वयं ही यात्री और स्वयं ही लड़ाकू लड़कियाँ ! अपनी ही कृति से डरने की क्या जरूरत है, उठने के बाद भी यह भाव दृढ होता गया. परमात्मा स्वयं ही सब कुछ बना है, यानि आत्मा ही सब कुछ बनी है. वह ही वह सब ओर दिखाई देने लगी. जून ने जब कहा, उन्होंने जब अपने पुराने सहकर्मी श्री और श्रीमती पी को देखा, काफी ऊंची इमारत से कूदने का अभ्यास करते हुए तो उन्हें कहा, यह मन की ही रचना है, उनका मन उन दोनों को खतरा मोल लेने वाले साहसी  व्यक्तियों की तरह देखता है. कविता के शब्द अब याद नहीं हैं, वे तो अस्तित्त्व में विलीन हो गए लेकिन भाव भीतर हैं तो वे नए शब्दों को ढूंढ ही लेंगे स्वयं को व्यक्त करने के लिए. 

आज राखी है, सभी भाइयों से बात हुई, पिताजी व चाची जी से भी, दोनों ननदों से भी. व्हाट्सएप पर बहुत लोगों को संदेश भेजे, फेसबुक पर राखी की कविता पोस्ट की. सुबह वर्षा में भीगे, जून ने भी वर्षा का आनंद लिया, बगीचे में पानी भर गया था, अभी भी बाहर काफी पानी भरा है, वर्षा जो सुबह से लगातार हो रही थी, इस समय रुक गयी है. टीवी पर मूक और बधिर  व्यक्तियों के लिए समाचार आ रहे हैं. साइन लैंगुएज में उद्घोषिका को समाचार दिखाते हुए देखना मन में विपरीत भावों को एक साथ जगा गया. अच्छा भी लगा उसे इस कुशलता से पढ़ते हुए देखकर, साथ ही दुःख भी कि जो लोग सुन नहीं सकते, कितनी बड़ी संपदा से वंचित रह जाते होंगे. टीवी पर ‘मन की बात' शुरू हो गयी है. प्रधानमंत्री राखी व जन्माष्टमी की शुभकामनायें दे रहे हैं. आज संस्कृत दिवस भी है, भारत इस बात का गर्व करता है कि तमिल पुरातन भाषा है और संस्कृत वेदों से लेकर आज तक ज्ञान का प्रसार करती आ रही है. केरल में आपदा आयी है, पर सेना के जवान पूरी मुस्तैदी से जुटे हैं. प्रधानमंत्री अटलजी के कार्यों के बारे में बता रहे हैं. उन्होंने संसद में तथा देश में कई सुधारों के द्वारा परिवर्तन किया. तिरंगा फहराने का अधिकार सामान्य लोगों को दिया. इसी महीने राष्ट्रीय खेल दिवस है, जकार्ता में एशियन गेम्स चल रहे हैं, अब भारतीय खिलाड़ियों को कई पदक मिलते हैं, देश का माहौल बदल रहा है. 

Tuesday, March 24, 2020

पंद्रह अगस्त



बहुत दिनों के बाद फाउंटेनपेन से लिखना कुछ विचित्र लग रहा है, जून के जन्मदिन पर उन्हें यह उपहार में मिला है, पर वह एक दिन भी इससे लिख नहीं पाए, सो उसके पास आ गया है. स्टाइल की बॉडी और सुनहरे निब वाला यह पेन काफी एहतियात मांगता है, इसमें स्याही नहीं भरनी पड़ेगी, बल्कि कार्टिलेज लगेगी. पन्द्रह अगस्त का उत्सव उन्होंने सोल्लास मनाया, सुबह टहलने गए तो आकाश पर इंद्रधनुष का छोटा सा टुकड़ा दिखा, मानो तिरंगा वहां भी फहर रहा हो. बच्चों के स्कूल गयी तो प्रेसीडेंट ने कुछ बोलने को कहा, तिरंगे के महत्व के बारे में कुछ शब्द कहे जो यकीनन पुरे हृदय से कहे गए थे. उसके बाद क्लब की महिलाओं के साथ वे अस्पताल गए, मरीजों को मिठाई के डिब्बे वितरित किये गए, जो उनके परिजन ही खाने वाले हैं. घर आकर आस-पास के बच्चों और महिला-पुरुषों के साथ लॉन में झंडा फहराया, लड्डू बांटे. दोपहर के भोजन में जून ने बहुत सहायता की, उन्होंने दो घंटों में  लगभग सभी कुछ बना लिए, बाद में नैनी ने रोटी और चावल बनाये. एक बजे से मेहमान आने लगे. जून के दफ्तर की दो सहकर्मियों ने मदद की, एक सखी सदा ही सहायता के लिए सदा ही तैयार रहती है. टीवी पर अटलबिहारी बाजपेयी की नाजुक हालत के बारे में बताया जा रहा है, उनके राजनितिक जीवन के बारे में चर्चा हो रही है, भारत की राजनीति में उनका बहुत योगदान है. उनकी खूबी थी सबको सुन्ना, सबको साथ लेकर निर्णय लेते थे , उनके विरोधी भी उनका सम्मान करते हैं. पोखरण का बम विस्फोट उनके कार्यकाल में हुआ था. उनका कोई भाषण सुने ऐसा मन होता है. 

आज दोपहर वे मृणाल ज्योति गए, वहां पीने के पानी की समस्या का जायजा लिया. जून उनकी सहायता करना चाहते हैं, वः कम्पनी को एक प्रस्ताव भेजेंगे. उस पानी में लौहतत्व बहुत ज्यादा है, जो वे लोग ट्यूबवेल से निकालते हैं. उसने सोचा, काश उनकी यह समस्या वर्तमान उच्चाधिकारी के रहते रहते हल हो जाये. आज सुबह ड्राइविंग स्कूल गयी, लाइसेंस के लिए अगले हफ्ते फार्म भरना है, फिर जाना होगा. आज सुबह उठने से पूर्व एक स्वप्न चल रहा था, फिर उसी जन्म का स्वप्न, जिसके कारण बचपन से ही वैसी परिस्थितियां जीवन में आयीं. किसी एक जन्म में जो भक्त होता है, दूसरे में डाकू भी हो सकता है. उनके भीतर हर तरह के संस्कार मौजूद हैं, वे किसे प्रश्रय देते हैं यह उनके ऊपर है. आत्मा दोनों की साक्षी है. इस समय मौसम ठंडा हुआ है, दोपहर को बहुत गर्मी थी. कल दिन भर अटलजी के बारे में समाचार सुने, उनकी अंतिम यात्रा टीवी पर देखी. उनकी भाषण देने की कला अद्वितीय थी, सोच अद्धभुत थी. उन्हीं से सीखकर नरेंद्र मोदी देश का नेतृत्व कर रहे हैं. विपक्ष में रहकर भी उन्होंने बहुत योगदान दिया. कल तिनसुकिया जाते व आते समय उनके जीवन पर आधारित कार्यक्रम  देखा. सुबह उनके बारे में लिखा. उसे लगता है अगले चुनाव में बीजेपी पुनः जीतकर आएगी और उसमें अटलजी का भी हाथ होगा, लोग उन्हें भूल नहीं सकते ! कल इतवार है, वे राखियाँ बनाएंगे. 

दोपहर बाद का समय है, तापमान सैंतीस डिग्री पहुँच गया है, जून को इतनी धूप में फील्ड जाना था, वह पूरे उत्साह से गए. सुबह स्कूल में भी तेज धूप के कारण योग का अभ्यास कम समय के लिए करवाया. आज फेसबुक पर राखी बनाते हुए व झंडा लिए बच्चों के चित्र पोस्ट किये, अच्छा काम , अच्छा लगता है सभी को ! 

Monday, March 23, 2020

नारियल का पानी


वही कल वाला समय है. रात्रि का भोजन भी बन गया है, शाम का नाश्ता भी हो गया है, दोपहर की योग कक्षा भी हो गयी है. आज आठ महिलाएं आयी थीं, अच्छा लगता है उन्हें आसानी से प्राणायाम करके शांत होकर बैठते हुए देखना. ताजे नारियल का प्रसाद दिया जो बगीचे से तुड़वाया था, उसका पानी बहुत मीठा था, कोई भी कोल्ड ड्रिंक उसका मुकाबला नहीं कर सकता. आज तीनों कविताओं को सजा कर पीडीएफ बना दिए, ब्लॉग पर दो पोस्ट प्रकाशित कीं. सुबह ध्यान किया, मन कितना शांत है आज. ध्यान अनमोल है, इस जीवन का सबसे कीमती अनुभव है ध्यान ! हल्का सात्विक भोजन खाने से तन भी कितना हल्का अनुभव कर रहा है. आज सुबह से एक भीनी-भीनी गन्ध भी श्वासों में महसूस हो रही है, जिसका स्रोत कहीं नजर नहीं आता. जून ने फोन पर बताया नौ दर्जन राखियां खरीद ली हैं, ताकि उसे बनानी न पड़ें। बच्चों को सिखाने के लिए, पहले का जो सामान पड़ा है, उससे कुछ तो बना ही लेंगे. आज दोपहर क्लब की प्रेसीडेंट को मृणाल ज्योति की सहायता राशि बढ़ाने के लिए कहा, वह मान गयी हैं, अगले महीने कमेटी मीटिंग में प्रस्ताव रखेंगी ऐसा उन्होंने कहा. उन्हें मनाना ज्यादा मुश्किल नहीं था. आज शाम को सत्संग है. शाम के पांच बजे हैं, कुछ देर पहले एक कविता बन गयी, एक पंक्ति का सन्देश पढ़ा था यूनिवर्स के नोट्स में, वे जीवित हैं, यही सबसे बड़ा चमत्कार है. वाकई जीवन अपने आप में ही अंतिम उद्देश्य है. जीवन का और भला क्या उद्देश्य हो सकता है. आज भरवां शिमला मिर्च व लौकी की सब्जी बनाई है, जून की पसन्द की. दोपहर बाद वह आ गए, सदा की तरह ढेर सारा सामान लाये हैं दिसम्बर में उनकी दुबई यात्रा के लिए भी एक ड्रेस. दिल्ली में उनके दर्जी ने इस बार कह दिया, आपका वजन बहुत बढ़ गया है, आजकल टहलने का समय बढ़ा दिया है. टीवी पर सुना केरल में भारी वर्षा से बाढ़ का खतरा बढ़ गया है, देश के कई भागों में वर्षा के मौसम में तबाही मच जाती है. यमन में एक बस पर हुए हमले में कई बच्चे मारे गए व घायल हो गए, दुनिया में दुःख और हिंसा बढ़ती जा रही है. मोदी जी ने बायो फ्यूल पर रौशनी डाली, यह सरकार हर क्षेत्र में नए-नए प्रोजेक्ट शुरू कर रही है, अगली बार यह और मतों से जीतकर आने ही वाली है. दो दिनों का अंतराल ! सीपीएम के पूर्व नेता सोमनाथ चटर्जी का कोलकाता में देहांत हो गया है. संसद के अध्यक्ष काल में उन्होंने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देशहित में काम किया, भारत उन्हें सदा याद रखेगा. परसों मृणाल ज्योति की वार्षिक सभा थी, सुबह ही वे चले गये थे और तीन बजे लौटे. जून की भी एक आवश्यक मीटिंग थी, दोपहर बाद ही वे घर आये. कल बच्चों ने स्वतन्त्रता दिवस के लिए तिरंगे झंडे बनाये. आज सुबह स्कूल में योगासन का क्रम लिखित रूप में दे दिया ताकि उसकी अनुपस्थिति में वे लोग आसानी से योग अभ्यास करवा सकें. आज दोपहर तेज वर्षा हुई, हफ्तों पहले बच्चों ने जो नावें बनाई थीं, आज उन्हें तैराने का अच्छा मौका हाथ लगा. सुबह स्कूल जाते समय सहअध्यापिका ने कहा, खेत सूख रहे हैं, पानी ही नहीं है, ड्राइवर ने भी यही कहा, और आज ही इतना पानी बरसा है कि सारे खेत पानी से लबालब हो गए होंगे. हिमाचल प्रदेश व केरल में बाढ़ से नुकसान भी हो रहा है. आज विशेष तरीके से सब्जी बनाई थी, सब ठीक था पर बाद में देर तक गैस पर रह गयी, थोड़ी सी जल गयी है. स्वतन्त्रता दिवस व जून के जन्मदिन के लिए कुछ मित्र परिवारों को फोन पर आमन्त्रित किया है, परसों दोपहर एक बजे तक वे सभी आएंगे. उसने मन ही मन उन सामानों की लिस्ट बनायी जो को-ऑपरेटिव स्टोर से लाने हैं.

Saturday, March 21, 2020

नीम का दातुन


जून आज फिर गोहाटी जा रहे हैं, वहीं से दिल्ली जायेंगे.  सुबह वे जल्दी उठे, नाश्ते में अप्पम बनाये. दूर रहने वाले सभी परिवार जनों से फोन पर साप्ताहिक बात भी हो गयी. उन्होंने पिछले पांच दिनों से एक नए दूध वाले से दूध लेना शुरू किया है, आज पुराने वाले को पैसे देकर विदा कर दिया. उसे अच्छा नहीं लगा इसके पीछे राग ही तो है. एक दिन तो उन्हें भी यहां से जाना ही है तब सभी छूट जायेंगे. आत्मा अपने स्वरूप में टिकी रहे तो वहाँ कोई हलचल होती ही नहीं। उनके हर भाव, विचार और हर कर्म का फल उन्हें प्राप्त होने ही वाला है.अब इस बात का ध्यान रखना है कि भीतर व्यर्थ के संकल्प न जगें, वे किसी के भी निर्णायक न बनें. उनकी वाणी कठोर न हो, आवाज ऊंची न हो, उसमें शिकायत का स्वर न हो. उसने ड्राइविंग ट्रेनर से फोन पर शिकायत की  की और उसने सिखाते समय डांटकर उसका प्रतिदान दे दिया, यहां सभी कुछ लौटकर आने ही वाला है। देते समय ही उन्हें ध्यान रखना होगा. अपने भाग्य के निर्माता वे स्वयं ही हैं. जीवन में हर कदम पर न्याय है, एक महान शक्ति इसके पीछे कार्य कर रही है, यहां भूल-चूक होने का सवाल ही नहीं है. अभी-अभी नन्हे से बात की, उसने बताया पहले जिस कंपनी को इंटीरियर का काम दिया था, उन्हें मना कर दिया है, अब उनकी पहचान की एक दूसरी डेकोरेटर को नए घर का कार्य दिया है. 

दोपहर के साढ़े बारह बजे हैं, बाहर तेज धूप है. पिछले दिनों धूप में गाड़ी चलाने के कारण पसीना निकलने से घमौरी निकल आयी थी, अब काफी आराम है. कल शाम नीम की एक टहनी तोड़कर नीम के दातुन बनाये, उसके पत्ते भी चबाये. एलोवेरा का एक पत्ता भी तोड़कर रखा है. घर में जड़ी-बूटी होते हुए भी वे उसका लाभ नहीं उठा पाते. भोजन में भी मिर्च-मसाले बंद हैं. कल शाम योग-कक्षा में तीन-चार साधिकाओं ने अपनी स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं के बारे में बात की. उसे तो पूर्ण स्वस्थ होना ही पड़ेगा ताकि वह उन्हें कुछ सलाह दे सके. शरीर स्वस्थ रहे इसके लिए नियमित दिनचर्या पहली आवश्यकता है . अभी-अभी वजन घटाने के कुछ वीडियो देखे, डाउनलोड कर लिए, ये उसके भी काम के हैं औरों के भी. आज दोपहर की कक्षा में ये आसन करवाये जा सकते हैं, कमर की चर्बी से तो सभी परेशान हैं. कल रात को एक दुःस्वप्न देखा, आग भी थी और भोजन के प्रति आसक्ति का जिक्र भी. धृति शक्ति को उपयोग में लाना होगा, धृति वह शक्ति है जो उनके भीतर समस्त धैर्य चुक जाने के बाद भी रहती है. वैसे उसने तो कभी आने धैर्य के भंडार को पूरा कभी खर्च किया ही नहीं. स्वयं को स्वतन्त्र मानने का भ्रम  ही है जब तक मन आसक्त है. जून का जन्मदिन आने वाला है, उनके लिए कविता लिखनी है, छोटे भाई का जन्मदिन भी इसी महीने है. मृणाल ज्योति का वार्षिक अधिवेशन भी आने वाला है, हर साल की तरह इस बार भी एक कविता लिखेगी. कल दोपहर मृणाल ज्योति में हिंदी कक्षा लेने जाना है. साइन लैंगुएज में हिंदी सिखाने का पहला अनुभव, नेट पर कितने लोगों ने उपयोगी वीडियो बनाकर पोस्ट किया है, जो भी जानकारी चाहिए ली जा सकती है. 

शाम के चार बज कर पचपन मिनट हुए हैं. आज सुबह उठी तो वर्षा हो रही थी. बगीचे से कटहल के बीज उठाये फिर छाता लेकर टहलने गयी. साढ़े सात बजे कर का अभ्यास, ट्रेनर ने कहा, अभी बहुत सीखना होगा, दो-तीन जगह गलतियां कीं. वर्षा के कारण भी कुछ असुविधा महसूस की. दीदी से बात करे ऐसा मन हुआ फिर याद आया जीजा जी का जन्मदिन आने वाला है, उसी दिन करेगी. आज बाबा रामदेव जी ने कहा, मन में कोई कामना उठे तो कभी भी राजसिक अथवा तामसिक आलंबन नहीं लेना चाहिए , सात्विक ही लेना चाहिए. दोपहर को देर तक कम्प्यूटर पर बैठने के बाद थकान लगी तो ध्यान का आश्रय लिया. कल शाम को योग कक्षा में कमरा पूरा भर गया था, एक साधिका अपनी बेटी व माँ को लेकर आयी, सभी ने एडजस्ट कर लिया. ज्ञान और प्रेम जहाँ हों वहां कोई कमी नहीं रह सकती. सद्गुरु कहते हैं, हर घटना के पीछे ज्ञान है, हर वस्तु के पीछे अनन्त और हर व्यक्ति के पीछे प्रेम है.  यदि कोई ऐसा अनुभव करे तो उसे कुछ भी  प्रभावित नहीं कर सकता.