दोपहर के तीन बजे हैं. यदि भाई का काम बैंक में जल्दी खत्म हो गया तो उसे वे लोहे के पाइप से बना पुल दिखाने ले जायेंगे. वापस आकर महिला क्लब की मीटिंग में जाना है. जहाँ कम्पनी की भूतपूर्व प्रथम महिला का विदाई समारोह है, जून सुबह ही उनके लिए लिखी कविता को प्रिंट करवा कर ले आये थे. आज संयुक्त राष्ट्र की सभा में मोदी जी का भाषण होना है जिसका सभी देशों को इंतजार है. दोपहर को कुछ देर एक सन्त का उद्बोधन सुना, ज्ञान सूचना के रूप में तो मिलता है पर जीवन में फलित नहीं होता.
पौने ग्यारह बजे हैं सुबह के. आज ‘मन की बात’ आने वाला है. कल वे अंतिम बार अरुणाचल प्रदेश गए थे. भाई को गोल्डन पगोडा और रोइंग दिखाया. मोदी जी लता मंगेशकर की बात कर रहे हैं, आज उनका जन्मदिन है. आज से नवरात्र आरम्भ हो रहे हैं. वह कह रहे हैं क्या बालिकाओं का सम्मान करके लक्ष्मी पूजा नहीं की जा सकती ? ‘एग्जाम वारियर’ उनकी पुस्तक पढ़कर अरुणाचल की एक बालिका ने उन्हें पत्र लिखा है. नडाल व डेनियल के मध्य हुए टेनिस मैच का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, हारने के बाद डेनियल ने नडाल की तारीफ़ की, योग्यता और विनम्रता यदि किसी में एक साथ होती है तो लोग उससे प्रभावित होते हैं. प्लागिंग का जिक्र भी उन्होंने किया, इस छोटे से भाषण में वे कितने ही विषयों पर जानकारी भी देते हैं और प्रेरित भी करते हैं.
प्रधानमंत्री तमिलनाडु गए हैं और तमिल भाषा की तारीफ़ कर रहे हैं. आज सुबह वे देर से उठे, अलार्म नहीं लगाया था. भाई चार बजे से उठकर तैयार था. उसने कहा, जब नींद खुले तब ही उठना चाहिए. वह बहुत शांत स्वभाव का है. सब कुछ स्वीकार कर लेता है. दो दिन पूर्व जून ने कहा, उन्होंने दफ्तर की एक जूनियर सहयोगिनी व उसके पति को खाने पर बुलाया है। उसने कहा, एक बार उससे पूछ कर बुलाना चाहिए था. तब से वह कुछ चुप से थे, पर आज बादल छंट गए और उनका मन पूर्ववत हल्का हो गया है. गुरूजी कहते हैं, ढाई दिन से अधिक कोई भी भावना मन पर टिक नहीं सकती, इसलिए यदि कोई उदास है तो उसे प्रार्थना में अपना समय बिताना चाहिए, ढाई दिन बाद स्वयं ही मन बदल जाता है. वह बेहद स्नेहिल स्वभाव के, दृढ प्रतिज्ञ व्यक्ति हैं, उनके निर्णय हमेशा अटल होते हैं. उनका मन सरल है तथा सबका सहयोग करने को सदा तत्पर रहता है. इन दिनों उसे लिखने का समय मिल गया और स्वयं को गहराई से परखने का भी, वह कल्पनाओं में ज्यादा विचरण करती है.
अक्तूबर का महीना आरम्भ हो गया है. भाई बैंक से वापस आया, अल्पाहार करके फिर वह कार्य करने वापस चला गया, जो सर्वर से कनेक्टिविटी न मिल पाने के कारण ही शेष रह गया था. लखनऊ से एक अन्य ऑडिटर ने जब बताया कि कनेक्शन मिल गया है तो बच्चों की तरह खुश हो गया. दोपहर को एक बजे भोजन के लिए आया तो बताया, भाभी को कल फोन नहीं किया तो वह रो रही थी और बच्चों से इसकी शिकायत की. इंसान का मन कितना नाजुक होता है, जरा सी भी उपेक्षा, चाहे वह काल्पनिक ही क्यों न हो, सहन नहीं कर पाता। कल उसे वापस जाना है. जून आजकल नेटफ्लिक्स पर पाकिस्तानी सीरियल देखते हैं. उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद का खालीपन खलता होगा सम्भवतः। इतने वर्षों तक व्यस्त रहने के बाद एकाएक यह खालीपन अवश्य ही खलने वाला है. पैकिंग का काम आगे बढ़ रहा है. आज बच्चों के नर्सरी स्कूल में विदाई समारोह था, कार्यक्रम अच्छा था. अभी एक विदाई कार्यक्रम शेष है।
आज गाँधी जयंती है. टीवी पर ‘ताशकन्द फाइल्स’ दिखाई जा रही है, जिसमें शास्त्री जी की मृत्यु के रहस्य पर प्रकाश डाला गया है. फिल्म के अनुसार उनकी मृत्यु का कारण उन्हें विष देना था न कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा था. वास्तविकता क्या है कोई नहीं जानता, जो जानते थे उन्होंने इसे छुपाया. सुभाषचंद्र बोस की मृत्यु के सही समय को भी कोई नहीं जानता। श्यामाप्रसाद मुखर्जी की मृत्यु भी ऐसे ही जेल में हो गयी थी. राजनीति में जीवन-मरण साजिशों से घिरे होते हैं. इसी माह के तीसरे सप्ताह में वे यहाँ से चले जायेंगे, शायद ही फिर कभी लौटना हो. चौंतीस वर्षों का यहां का जीवन एक सुखद स्वप्न बनकर कभी-कभी याद तो आएगा पर नयी जगह, नए लोगों के साथ एक नया जीवन भी शुरू हो जायेगा. भविष्य में बहुत कुछ करने को है और बहुत कुछ सीखने को है. परमात्मा शिक्षक बनकर उन्हें सिखाने के लिए नई-नई परिस्थितियों का निर्माण करते हैं. जीवन कितना रहस्यमय है !
वर्षों पूर्व उन दिनों जब स्कूल में नया-नया पढ़ाना आरम्भ किया था, एक दिन लिखा है - सोच समझ कर नहीं भावनाओं में बहकर कह रही है पर यदि सोच-समझकर भी कहती तो भी यही कहती, इतना सुख ! क्या स्वर्ग में भी इससे अधिक सुख मिलता होगा ! क्यों होता है ऐसा, क्यों कोई इतना अपना लगता है, क्यों अपना अस्तित्त्व तक बेमानी लगता है किसी की अनुपस्थिति में. जो बातें किसी को ज्ञात हों, उसे न भी ज्ञात हों तो क्या अंतर पड़ता है , इतना विश्वास .. इतना प्रेम .. यही तो है ! प्रिंसिपल मैडम बहुत अच्छी हैं, वह जितनी कठोर हैं उससे अधिक नम्र। उनका मन उसके जैसा है कुछ-कुछ.. पर वह अनुभवी हैं. शायद स्कूल की प्रिंसिपल ने उस दिन उसकी तारीफ़ की होगी.