Thursday, November 26, 2020

जामुनी फल

 

वही कल का समय है. आज अफ़ग़ानिस्तान-वेस्टइंडीज के मध्य मैच चल रहा है. कल पाकिस्तान का मैच है जिसे विश्व कप फाइनल में पहुंचने के लिए बांग्लादेश को 350 रन से हराना होगा, जो एक असम्भव कार्य है. चीन का सस्ता सामान भारत में बिक रहा है जिससे यहां के व्यापारियों को नुकसान हो रहा है, इस मुद्दे को आज के तेनालीरामा में दिखाया जा रहा है, शायद यह समस्या उन दिनों भी रही हो. आज योग साधिकाओं ने शिव तांडव पर नृत्य किया. दिन भर की गर्मी के बाद उसी समय तेज बौछार भी पड़ने लगी, जैसे प्रकृति भी उनके आनंद में सम्मिलित होने आ गयी हो. एक साधिका का जन्मदिन था, वह मिष्ठान लेकर आयी थी, उसे वह लाल कोटा की साड़ी उपहार में दी, जो स्कूल से विदाई के समय उसे मिली थी. सभी को जामुन भी दिए, मीठे और जामुनी रंग के रसीले फल, जो इस वर्ष दोनों पेड़ों में बहुतायत से हुए हैं. जून को नैनी के घर से मछली की गंध ने कल रात्रि परेशान किया, नूना की सूंघने की क्षमता शायद घट गयी है या किसी दिव्य गंध की अनवरत उपस्थिति से उसे जरा भी असुविधा नहीं हुई. जीवन कितना रहस्यों से भरा है न ! सुबह परिवार के एक सदस्य के अवसाद के बारे में व्हाट्सएप पर एक सन्देश देखा, अवसाद से शरीर भी अस्वस्थ हो गया है. उससे फोन से बात की. अन्य सभी को बताने के लिए पारिवारिक ग्रुप पर भी लिख दिया, सभी ने उसके स्वास्थ्य की कामना की, फोन किया, जो मिलकर आ सकते थे, वे गए भी. ऐसे वक्त में ही परिवार के महत्व का पता चलता है, हृदय से निकले हुए सहानुभूति और अपनत्व के शब्द मन को हल्का कर देते हैं. जीवन में बहुत कुछ सहना पड़ा है उसे, किसी को भी सहना पड़ सकता है, फिर भी परमात्मा पर अटूट विश्वास सारे दुखों से पार ले जा सकता है. छोटे भाई के गॉल ब्लैडर के ऑपरेशन का भी पता चला. एक दिन दफ्तर में उसे तेज दर्द हुआ, स्टोन काफी दिनों से था.  


आज नई सरकार का पहला बजट पहली बार महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रस्तुत किया. विपक्ष उसका विरोध कर रहा है, उन्हें सदा की तरह सरकार से कई मुद्दों पर शिकायत है. सुबह एक परिचिता के यहाँ गयी, जहां गुरु ग्रन्थ साहिब का अखंड पाठ  चल रहा था, पूरे अड़तालीस घण्टे चलने वाला था. बताया गया, पाँच पाठी होते हैं और हर कोई दो घण्टे तक पाठ करता है. यदि मध्य में किसी को कोई परेशानी होती है तो अन्य पाठी उसकी जगह दस मिनट के लिए पाठ करता है. 


आज का इतवार भी बीत गया, अब गिने-चुने इतवार रह गए हैं उनके पास असम में. शाम को छोटी ननद से बात हुई, ननदोई का तबादला भदोही हो गया है, ट्रेन से अप डाउन करेंगे. नन्हे का जन्मदिन आने वाला है, उसके लिए लड्डू बनाये और चिवड़ा-मूंगफली जो उसे बहुत पसन्द है, उसी दिन जून बंगलूरू जा रहे हैं.  शाम को उन्हें एक विवाह के रिसेप्शन में जाना है. लौटने में दस भी बज सकते हैं. कल वह कुछ सखियों को घर पर बुला रही है, जिनके साथ इतने वर्षों तक कितने ही आयोजनों में भाग लिया. आज दोपहर को कल की लन्च पार्टी के लिए कोफ्ते बनाये और बड़े भी. शाम को जून ने सांगरी की सब्जी बनाई. कल वे कुछ गेम्स भी खेलने वाले हैं. भारत सेमी फाइनल हार गया. अब विश्वकप के लिए चार वर्षों का इंतजार करना होगा. आज बहुत दिनों के बाद कश्मीर पर एक कार्यक्रम देखा, गाँवों की तरक्की के लिए सरकार पंचायतों को सीधी मदद दे रही है. वहां के युवा भी सेना और पुलिस में भर्ती होने के लिये आगे आ रहे हैं. धरती का स्वर्ग कहा खजाने वाला यह भूभाग पुनः शांति और समृद्धि का समय देखे हर भारतीय की यही कामना है. पाकिस्तान को एक न एक दिन इस सत्य को स्वीकारना होगा कि भारत से मित्रता करके ही उसका लाभ है. नन्हे के जन्मदिन पर लिखी कविता की पिताजी ने तारीफ की और बहुत सुंदर शब्दों में प्रतिक्रिया लिखी. उनकी भाषा बहुत अच्छी है और भावनाओं की गहरी समझ भी है, आत्मा की झलक जिसे मिली हो वह गहराई तक महसूस भी कर सकता है और व्यक्त भी कर सकता है. 


कालेज के उन दिनों में जब महादेवी वर्मा की ‘प्रतीक्षा’ पढ़ी थी, उसकी कुछ पंक्तियाँ भा गयीं- 


जब इन फूलों पर मधु की 

पहली बूँदें बिखरी थीं 

आँखें पंकज की देखीं 

रवि ने मनुहार भरी सीं

.....


वे कहते हैं उनको मैं

अपनी पुतली में देखूं 

यह कौन बता जाएगा 

किसमें पुतली को देखूँ ?


Tuesday, November 24, 2020

पका हुआ कटहल

 

आज इस मौसम की अधिकतम गर्मी है ऐसा लग रहा है. योग कक्ष में दो पंखे चलाए और एसी भी. कल से आधा घन्टा देर से आने को कह दिया है. तीन नई साधिकाओं ने आना आरंभ किया है. सुबह वह मृणाल ज्योति गयी, पहले बच्चों को फिर टीचर्स वर्कशॉप में बड़ों को योग कराया. कल भी जाना है, कल वह उन्हें अस्तित्त्व के सात स्तरों के बारे में बता सकती है. देह, प्राण, मन, बुद्धि, स्मृति, अहंकार और आत्मा ! मानव को स्वयं के आत्मा होने की स्मृति नहीं रहती, कभी देह मानकर सुखी-दुखी होते हैं, कभी प्राण मानकर भूख-प्यास से पीड़ित होते हैं तो कभी मन के साथ एकात्म होकर शोक और मोह का शिकार होते हैं. अपनी मान्यताओं के कारण अन्यों को नीचा देखते हैं. अहंकार का शिकार होकर स्वयं को संसार से पृथक मानते हैं. आत्मा निर्विकार है, वह कभी बदलती नहीं है. यदि कोई व्यक्ति अपनी किसी समस्या से परेशान होता है तो वह उसका हल नहीं ढूंढ पाता, अन्य व्यक्ति झट उसका हल बता देता है, जबकि यदि वही समस्या उसके साथ  घटी हो तो वह परेशान हो जाता है, स्वयं को उसका हल नहीं बता पाता. इसका कारण है स्वयं से चिपकाव, उन्हें अपने तन, मन को एक साधन मानकर उसका उपयोग करना है, तब वे मित्र बनेंगे. वे स्वयं को जानें कि किस तत्व के बने हैं. प्रेम, उत्साह, आनंद, शक्ति व ज्ञान आत्मा का स्वभाव है. ध्यान और योग से वे एक अपने भीतर एक ऐसी स्थिति का अनुभव करते हैं जो सहज है. उसी सहज अवस्था में आकर वे जीवन के सहज आनंद का अनुभव कर सकते हैं और उनके माध्यम से चारों ओर भी आनंद का प्रसार होता है. एक परिचिता का फोन आया, उसकी सासु माँ अस्पताल में हैं, शाम को वे देखने गए, उसने उनके लिए प्रार्थना करने को कहा. कितनी सुंदर थी उसकी सास पर मृत्यु, रोग और जरा ने सब बदल दिया. परिवर्तन इस जगत का नियम है.   


रात्रि के आठ बजे हैं, तेनाली रामा में पिछले कुछ दिनों से रानियाँ केवल महिलाओं की सहायता से  राजकाज चला रही थीं, पर आज रामा अपनी सूझबूझ से पुरुषों को भी दरबार में जगह दिलाता है. सृष्टि का नियम यही है, यहां दो पहियों के बिना गाड़ी आगे नहीं बढ़ती. एक में ही जो दो को देख लेता है वह द्वंद्व से मुक्त हो जाता है, जगत में व्यवहार करते समय ही उसे दो का सहारा लेना पड़ता है. आज दोपहर नैनी से पका कटहल कटवाया, बहुत मीठा है, जून को इसकी गन्ध पसन्द नहीं है. सुबह भ्रमण से वापस आकर इस मौसम में पहली बार हरी घास पर गिरे हुए जामुन उठाये  ताजे और मीठे... नन्हे का फोन आया दोपहर को, उसे जन्मदिन की कविता के बारे में बताया, जो सुबह अनायास ही लिखी गयी. कभी कोई भाव इतना तीव्र होता है कि अपने आप ही शब्दों में पिरो लेता है स्वयं को. श्रद्धा सुमन में बाल्मीकि रामायण का अगला अंश लिखा, गुह भरत से कहते हैं, इस वन को तुम घर के बगीचे जैसा ही समझो, अर्थात कोई संकोच न करो. जबकि कुछ देर पूर्व ही वह उस पर सन्देह भी कर रहा था. मानव मन ऐसा ही है पल में टोला पल में माशा ! आज सुबह वर्षा का एक वीडियो भी बनाया.  


और उस पुरानी डायरी की बात... उस दिन के पन्ने पर लिखी सूक्ति थी, बुढ़ापे की झुर्रियां आत्मा पर न पड़ने दो.  पिताजी ने कहा, बुढ़ापे की झुर्रियां शरीर पर भी मत पड़ने दो !  उन्होंने उस दिन उससे उसके स्वास्थ्य तथा आहार के बारे में बातचीत की. वह कह रहे थे कि वह नौकरी में गुलाम हो गये हैं, वह थक गए हैं, पर पापा, रिटायरमेंट के बाद आप काम की तलाश करेंगे, बिना कुछ किये आप रह ही नहीं सकते, इतवार काटना तो मुश्किल होता है आपके लिए. 

उसे पढ़कर आश्चर्य हुआ, क्या कभी ऐसी बात भी हुई थी !   


Tuesday, November 17, 2020

शिव सूत्र

 

नैनी का बेटा आज जामुन के वृक्ष पर लकड़ी फेंक कर जामुन गिराने का प्रयास कर रहा था, इसका अर्थ है कुछ ही दिनों में जामुन पकने और स्वयं गिरने आरंभ हो जाएंगे। जून कुछ  समय पहले पैदल ही क्लब चले गए हैं। एक्सेंच्योर कंपनी का एक प्रेजेंटेशन है जो कंपनी को डिजिटल करने की दिशा में सहायता करने वाली है। वर्षा होने लगी है, वापसी में उन्हें किसी से लिफ्ट लेनी होगी। अब लगभग दो माह और रह गए हैं उनके कार्यकाल में। आज से छत्तीस वर्ष पूर्व वे उत्तर प्रदेश से असम आए थे, और जीवन का अगला पड़ाव कर्नाटक में बनेगा। आज प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब दिया, विरोधी पार्टियां उनकी बातों को समझने में ज्यादा रुचि नहीं दिखाती हैं, ऐसा लगता है मात्र विरोध करना ही उनका ध्येय है।अमित शाह  कश्मीर गए हैं, वहाँ अमरनाथ यात्रा शुरू होने वाली है। हज यात्रा में भी इस वर्ष काफी यात्री जाएंगे, महिलाएं भी काफी संख्या में अकेले जा रही हैं।  योग कक्षा  में एक साधिका ने कहा, उसका दस वर्षीय पुत्र बहुत चंचल है और उसकी बात नहीं सुनता। उसने कहा, बच्चे हों या बड़े, कोई भी जन आदेश लेना नहीं चाहते, देह छोटी हो पर आत्मा तो सबके भीतर समान है, उसे भी अपनी स्वतंत्रता और आत्मसम्मान उतना ही प्रिय है जितना किसी वयस्क को। उससे अनुरोध तो किया जा सकता है पर माने या न माने इसका फैसला उस पर ही छोड़ना होगा। माता-पिता को उसे यह तो बताना  होगा कि क्या करने से उसका लाभ है और किस काम से उसे ही हानि होगी, बाकी उसकी बुद्धि पर छोड़ देना चाहिए। वह यह सब बताती रही पर याद ही नहीं रहा, कि  जून को जाना है। उन्होंने शिकायत की तो उसने कहा, एक माँ को समझा रही थी। वह उस समय तो चुप हो गए पर अवश्य नाराजगी भीतर ही रह गई होगी। ऊर्जा एक बार कोई रूप धारण कर लेती है तो जब तक उसे निष्कासन का मार्ग न मिले नष्ट नहीं होती। साक्षी भाव से उसे देखना पहला तरीका है और झट स्वयं में लौट जाना दूसरा।  

 

आज सुबह तेज बारिश हो रही थी, वे बरामदे में ही टहलते रहे, फिर वहीं चटाई बिछाकर सूर्य नमस्कार व आसन किए। सुबह का योग दिन भर मन को  ऊर्जा से ताजा रखता है। एक अनुपम गंध जाने कहाँ से आ रही है, परमात्मा की शक्ति व कृपा अपार है व उसका रहस्य कोई नहीं जान सकता। परमात्मा ने उसे साम, दाम, दंड, भेद हर तरह से समझाया है कि वह हर तरह की आसक्ति का त्याग कर दे।  छोटी बहन कनाडा में है, सुंदर तस्वीर भेजी है। दीदी ने उसकी रचनाओं पर टिप्पणी की है, वह सदा उन्हें पढ़ती हैं। आज ‘शिव सूत्र’ पढ़े। मातृका के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा। संस्कृत के बावन अक्षर ही बावन शक्ति पीठ हैं। अघोरा , घोरा और महाघोरा  तथा बैखरी, मध्यमा, पश्यन्ति और परा वाणी के संबंध में भी। ज्ञात हुआ साधना के द्वारा उन्हें शब्दों के पार जाकर उस स्रोत तक पहुंचना है जहाँ से शब्द निकलते हैं। उस योग साधिका ने आकर कहा, उसे एक ही दिन में अपने पुत्र में परिवर्तन दिखाई दिया है, उसका खुद का हाथ का दर्द भी आसन करने से ठीक हो गया है। योग का ऐसा परिणाम देखकर बाकी सबको भी अच्छा लगता है। 

 

आज दोपहर को तेज गर्मी के बावजूद बच्चों ने पूरे मन से सुंदर चित्र बनाए। क्रिकेट विश्व कप में भारत का मैच इंग्लैंड के साथ है, जो बहुत अच्छा खेल रहा है। भारत अब तक एक भी मैच नहीं हारा है, कहीं उसकी यह विजय यात्रा थम न जाए। आज चार  महीनों के बाद मोदी जी का सम्बोधन ‘मन की बात’ में सुना, जिसमें वह सभी देशवासियों को प्रेरित करते हैं, आज जल संरक्षण पर बात की, अपनी केदारनाथ यात्रा का जिक्र किया और भी कई मुद्दों पर बात की, पर सबसे अच्छी बात थी, उनकी भावनाएं इतनी पवित्र हैं और वह एक राजनीतिज्ञ से अधिक एक लेखक, कवि या दार्शनिक लगते हैं, वह सुधारक भी हैं और प्रेरक भी। उन्हें पत्र लिखकर यह सब बताने का मन हुआ, आज कई बार उनकी बातें सुनकर हृदय छलक आया। उनके हृदय में इतनी करुणा और इतना विश्वास है कि भारत जैसे विशाल देश के सुदूर गावों में रहने वाले लोग भी उनसे एक जुड़ाव महसूस करते हैं। सुबह सभी परिवार जनों से भी फोन पर साप्ताहिक  बातचीत हुई। छोटी भतीजी एओल का बेसिक कोर्स कर रही है, वह घर से बहुत दूर जॉब करने जाती है, भाई को उसकी सुरक्षा की चिंता के कारण कुछ तनाव तो होता होगा । माँ-पिता दोनों का ही रोल उन्हें निभाना है । सुबह अमलतास की कुछ और तस्वीरें उतारीं।   

 

वर्षों पूर्व..  उस दिन लिखा था, जीवन क्या है ? क्या मात्र सुख या आनंद का स्रोत ! क्या  सुख प्राप्त करने का प्रयत्न  ही जीवन का मात्र लक्ष्य है ? क्या खुश रहना ही अपने आप में एक महत कार्य है ? क्या भविष्य की योजनाएं बनाना और कठिन परिश्रम करके उन्हें सफल करने का प्रयत्न करना महत्वपूर्ण है या कि .. शायद महत्व इस बात का है कि  किसी का जीवन दूसरों की कुछ भलाई कर सकता है या नहीं । फिर यदि वे सुंदर भविष्य के लिए कुछ करते हैं तो वह उचित ही है। किन्तु वह जो अपना बहुमूल्य समय व्यर्थ कर रही है इसके लिए उसे  ग्लानि भी नहीं होती, होती भी है तो न के बराबर। यद्यपि वह अच्छी तरह जानती है कि  उसका कर्तव्य क्या है, पर भीतर ही कोई भावना है जो कहती है, बस प्रसन्न रहो ! उसके आसपास के लोगों में कोई नहीं कहता कि  यह ठीक नहीं, या  ठीक है पर यह सब कुछ नहीं, यदि वह अपने आपको चमकाएगी नहीं, पॉलिश नहीं करेगी, ज्ञान प्राप्त  नहीं करेगी, जो पढ़ा है उसे दोहराएगी नहीं तो कुंद हो जाएगी पत्थर की तरह। तब कोई महत्व नहीं होगा, सब एक तरफ कर देंगे, छाँट देंगे या वह पीछे रह जाएगी। जीवन काम है सँवारने का,  पॉलिश करने का टेढ़े-मेढ़े पत्थर को सुडौल बनाने का ! 

 


Thursday, November 5, 2020

चोर और चोरी


आज जून वापस आ गए हैं, हैदराबाद के प्रसिद्ध बिस्किट का एक डिब्बा लाए हैं। तेनाली राम में राज्य के क्रोध ने सब मर्यादाएं तोड़ दी हैं। कहा भी जाता है, क्रोध क्षणिक पागलपन ही होता है, जो व्यक्ति को उसकी स्मृति ही भुला देता है, उसे याद ही नहीं रहता वह कौन है, कहाँ है, किससे बात कर रहा है ? आज योग दिवस के लिए उसने एक इ-कार्ड बनवाया है जून ने बना दिया है।इसी के लिए एक बैनर बनाने का काम सेक्रेटरी कर रही है । योग कक्ष में एक साधिका मिल्क मेड से बना केक लायी। उसने बताया, कुछ दिन पूर्व  घर में चोरी हो गई थी, वे लोग क्लब गए थे, रात को बारह बजे लौटे तो आलमारी खुली थी, लगभग छह -सात हजार रुपये गायब थे, पर सोना, वस्त्र आदि सब वैसे ही रखे थे। चोर पिछले दरवाजे से आया, जाली काटकर हाथ डालकर उसने दरवाजा खोल लिया, उस पर ताल नहीं था, आगे कुछ भी बंद ही नहीं था, वह आराम से कमरे में जाकर ,अलमारी भी खोल पाया क्योंकि चाबी भी उसी में लगी हुई थी। चोरी नहीं होगी यह मानकर वे कितने लापरवाह हो जाते हैं। एक तरह से यह चोर उन्हें सुरक्षा का पाठ भी पढ़ा गया। वे भी जीवन में इसी तरह जीते चले जाते हैं मानो कभी कुछ गलत उनके साथ हो ही नहीं सकता और मनमाना जीवन जीते हैं। मन पर सजगता का ताला न लगा हो तो जीवन एक बिना पतवार की नाव की तरह इधर-उधर डोलता रहता है। दो धाराओं को जो एक-दूसरे के विपरीत चलना चाहती हैं, उन्हें बांधकर एक ही तरफ ले जाना है, उनका लक्ष्य सम्मुख हो तो जागरूकता बनी रहेगी, बीच-बीच में आने वाली विपदाएं उन्हें और सजग बनायेंगी।


आज का पूरा दिन महिला क्लब के नाम था। शाम को साढ़े पाँच बजे क्लब जाना था और रात को आने में दस बज गए। कार्यक्रम अच्छा रहा, फैशन परेड भी। कविताएं भी सभी को अच्छी लगीं, जो तीन सदस्याओं की विदाई के अवसर पर दोपहर को लिखी थीं। नैनी दो  हफ्ते के लिए परिवार सहित गाँव गई है, कामरूप से कोलकाता, वहाँ से आंध्र प्रदेश, चार दिन में पहुंचेंगे वे लोग। उसकी जगह मालिन काम करने आएगी। धोबी ने, जो उनके यहाँ पिछले तीन दशक से काम कर रहा है, बताया, उसके पिता को सन अठहत्तर में कंपनी से धोबी घाट पर काम करने की मंजूरी मिली थी , तभी से वे कागज उसने संभाल कर रखे हैं, अब वह वृद्ध हो गया है, सब काम अपने पुत्र को सौंप कर अपना कर्त्तव्य पूरा करेगा। 


आज ‘योग दिवस’ है, सुबह वे सामूहिक योग कार्यक्रम में भाग लेने गए। बाद में वह मृणाल ज्योति गई। अगले महीने दो दिन की टीचर्स वर्कशॉप है, उसे भी योगदान देना है।  सुबह ‘क्रिया’ के बाद ऐप में  गुरुजी का संदेश पढ़ा, उनके भीतर एक गीत है, जिसे उन्हें ही गाना है, और उसे गाने के बाद ही उन्हें चैन  मिलेगा। शायद उसी का असर था, स्नान करते समय स्वत: ही भीतर पंक्तियाँ उभरीं और उन्हें पहले ही प्रयास में बिना लिखे वीडियो बनाया, व्हाट्सएप पर डाला। एक साधिका ने फ़ेसबुक पर डाल दिया है। शाम के कार्यक्रम की तैयारी हो चुकी है। एओल की एक योग शिक्षिका भी आने वाली हैं। 


पौने नौ बजे हैं रात्रि के, अभी अभी नन्हे से बात हुई, वे लोग उनके भविष्य के घर से लौट रहे थे, वहाँ अभी भी कुछ कार्य शेष है। शाम को एक सखी के यहां गई, अगले महीने वे सब कहीं घूमने जाएं ऐसा कार्यक्रम बनाया। उसके वृद्ध  पिताजी काफी अस्वस्थ हैं, एक रात से ज्यादा वे लोग उन्हें  छोड़कर रह नहीं सकते। सुबह बंगाली सखी के यहाँ गई थी, उसने अच्छी तरह स्वागत किया बिल्कुल पहले की तरह। बगीचे से एक अनानास मिला, एक तो गिलहरी ने काट लिया, आधा ही शेष था। आज मूसलाधार वर्षा हुई, इतनी तेज कि  सामने वाला पूरा बरामदा भी पानी से भर गया। मानसून देश के कई राज्यों तक पहुँच चुका है। एक ब्लॉग के वार्षिक उत्सव में उसकी रचना को चुना गया है, कई लोगों ने पढ़ी। एक सीनियर ब्लॉगर उसकी तस्वीरें भी पसंद करती हैं फ़ेसबुक पर। लेखक के लिए एक सुहृद पाठक से मिलना सुखद होता है। लाइब्रेरी से दो किताबें लीं, एक रॉबिन शर्मा की दूसरी नेल्सन मंडेला की आत्मकथा, जो बहुत  रोचक है;  उनका बचपन  अफ्रीका के एक गाँव में बीता था बिल्कुल प्रकृति के निकट।  


.. बरसों पुरानी डायरी के के पन्ने पर पढ़ा -


किसी सूनी शाम को 

हथेलियों पर ठोड़ी टिकाये 

लिखने वाली मेज पर बैठे 

कोई बात फड़फड़ायी होगी तुम्हारे मन में 

लिखो फिर काट दो 

तकते रहो  निरुद्देश्य दीवार को 

अपनी आवाज को 

सुनने का प्रयत्न करो