Friday, November 29, 2013

परियों के किस्से


इतवार भी बीतने वाला है, जैसे कल शनिवार बिना कुछ कहे-सुने बीत गया. सुबह घर के कार्यों में और दो-तीन फोन करने में बीती, दोपहर सुस्ताने में और शाम कुछ देर फिल्म देखी, फिर एक मित्र परिवार आ गया और रात उसकी नादानी के कारण थोड़ी परेशानी में, जल्दी काम करने के प्रयास में थोड़ा सा हाथ जो जला लिया, सुबह देर से उठी, पर दर्द नहीं था. कल रात और आज सुबह भी आचार्य गोयनका जी की बातें बहुत याद आयीं और मन जल्दी ही संयत हो गया. इतवार के सारे काम निपटाते-निपटाते दो बज गये. नाश्ते में डोसा बनाया था, अभी-अभी बड़ी बहन का फोन आया, उसने उनके घर आने का वादा भी कर दिया है, उनकी यात्रा में केवल दो सप्ताह रह गये हैं, फ़िलहाल तो नन्हे के इम्तहान में सिर्फ एक सप्ताह रह गया है. इस वक्त मन शांत है जीवन सार्थक है यदि जीने का कोई लक्ष्य हो, दोपहर बाद टीवी देखते-देखते महसूस हुआ जून और नन्हा उसके अस्तित्त्व के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं, वे हमेशा उसके साथ हैं, इसलिए कभी-कभी वह उनकी उपेक्षा कर जाती है, पर वे उसके लिए v.v.v.i.p. हैं. आज आखिर नैनी की रजाई बन ही गयी, उस दिन सपने में देखा था, उसके दोनों बच्चे नीले रंग की रजाई पिछले गेट से ला रहे हैं,, कौन कहता है, सपने बस सपने ही होते हैं.   

आज बहुत दिनों बाद पीटीवी सुन रही है, जो चैनल वह देखती थी वहाँ उर्दू की बजाय कश्मीरी या पख्तो भाषा में गजलें आ रही हैं. गजलें उसे हमेशा से अच्छी लगती आई हैं. बेहद मीठी भाषा में एक गजल आ रही है पर भाषा कठिन है और अब एल टीवी पर यह गजल... ‘कभी बेकसी ने मारा..कभी बेबसी ने मारा...’
जून का फोन आया है, वह आज देर से आएंगे. कल रात उन्होंने उसे अचम्भित किया यह कहकर कि कल वह income tax के rules के बारे में उसे बतायेंगे. विपसना के बारे में उनका घर आने वाले मेहमानों से बात करना और रात देर तक इधर-उधर की बातें करना अच्छा लगा. अच्छा लगता है इतवार दोपहर को साइकिल से जाकर अख़बार लाना और पढ़ना, शामों को नियमित खेलने जाना. वह अनुशासित हो रहे हैं. पहले इतवार को उनका उनका सबसे बड़ा काम होता था आराम. आज पत्रों के जवाब भी देने हैं, वक्त भी है और मूड भी, वैसे वह मूड की प्रतीक्षा नहीं करती, पत्र लिखना अच्छा लगता है और जवाब तो देना ही चाहिए हर पत्र का जो उनके पास आया है. उनके बगीचे में पत्ता गोभी के साथ इन दिनों टमाटर बहुत हो रहे हैं. फूलों की भी बहार है.

आज नन्हे के स्कूल में पुरस्कार वितरण समारोह था, उन्हें भी बुलाया गया था, पिछले वर्ष के लिए नन्हे को पुरस्कार मिला है. बच्चों ने बहुत अच्छे कार्यक्रम प्रस्तुत किये. एक छोटी लडकी बहुत तन्मयता से नाच रही थी उसके नृत्य में एक अजीब सी कशिश थी.

कहाँ खो गये क्या हो गये
वे मीठे बचपन के दिन
परियां जब सचमुच होती थीं
भूतों के किस्से सच्चे थे
खुशियों का कोई मोल नहीं था
आंसू भी अपने लगते थे

नन्हा आज घर पर है, सुबह से उसे पढ़ा रही थी, समय कैसे बीत गया पता ही नहीं चला, इस समय वह टीवी देख रहा है अभी जून के आने में कुछ मिनट हैं. उसकी परीक्षाओं के बाद उन्हें जाना है, मार्ग में परेशानियाँ तो आएँगी ही छोटी-मोटी और उन्हें सहने के लिए अभी से खुद को तैयार करना होगा, और भी कई छोटे-बड़े लक्ष्य हैं जिन्हें पाना है. जिन्दगी के ये अनमोल पल यूँही गंवाने के लिए नहीं हैं. कभी अपने आप से जो वादे किये थे उन्हें पूरा करना है. खुद की तलाश में जो सफर अभी अधूरा है उसे भी. जीवन का अर्थ सही मायनों में तलाशना है. अपने इर्द-गिर्द जो कुछ भी है उसे बेहतर और बेहतर बनाना है. अपने परिवेश को परिजनों को और अपने आपको भी इस जग में सही और सार्थक ढंग से स्थापित करना है.



Wednesday, November 27, 2013

सेंस एंड सेंसिबिलिटी- जेन ऑस्टेन का नावेल


एक पल में ही मन चंचल हिरणों का सा छलांग लगता कहाँ से कहाँ पहुंच जाता है और आचार्य गोयनका जी का कहना है ‘’मन पर नजर रखो, एक विचार भी यदि शुद्ध नहीं है तो बीज पड़ गया जिसका फल तो मिलेगा ही, हर क्षण केवल शुद्ध और सद् विचारों का को ही बोओ तो कर्म भी ऐसे ही होंगे. कर्म की जड़ विचार ही तो है सो फल भी कड़वा ही मिलेगा अगर बीज कड़वे विचार का बोया है’’. विपश्यना हजारों साल पहले भारत में फली-फूली फिर लुप्त हो गयी और उसकी वजह से आज धर्म के नाम पर अधर्म का बोलबाला है. उस दिन अख़बार में भी इसके बारे में उसने पढ़ा-

Vipasana means insight. It is a simple practical process of mental purification through introspection and self conducted psychoanalysis. By observing oneself one becomes aware of the conditioned reactions and the prejudices that cover one’s mental vision, hiding reality and producing suffering. As the layers of inner tensions begin to peel off through vipassana, one learns to dissolve the negativeness of anger, fear, hatred, greed, jealousy and selfishness and manifest instead truly human qualities of compassion, tolerance, sympathy and humility and at the same time gain insight into the true nature and purpose of human existence.

लो फिर आ गया मधुर वसंत !
वायु में फैली मृदु सुवास पुष्पों ने बिखेरा स्मित हास
हृदयों में बौराया उजास
नयनों में छाया है विलास
पत्तों का रम्य नृत्य निरख
अमराई की मद गंध परख
भ्रमरों ने दीं कलियाँ चटख

बसंत की आहट सुनकर  कल रात को उन्होंने चिप्स बनाने के लिए आलू काट कर रखे थे पर सुबह धूप नदारद थी, इस समय बैठक में पंखे के नीचे सूख रहे हैं आलू चिप्स.

Jane Austen's “Sense and Sensibility”  is a very interesting novel. She was reading it since last 4-5 days and was fully engrossed in it. Marianne and Elinor both sisters are so loving but Elinor is more mature sometimes. She found Marianne nearer to her heart. Yesterday she could not open the diary because in the morning as soon as she finished her work, opened the book and at  afternoon book was with her and in the evening also… when she got some time, they were with her, Mrs Dash wood,Mrs Jennings all of those interesting people… Today at 8 o'clock the book is finished, it has a happy ending and so she is. After so many years she read a book with so eagerness. Tomorrow or on Monday perhaps will return the book and will get another book of Jane Austen. Today there is budget  in parliament, June is happy to here some reduction in tax rate.


Monday, November 25, 2013

दूब घास पर दो कदम


उगती हुई सुबह और डूबती हुई शाम दोनों मन, प्राण को ऊर्जा से भर देती हैं. सुबह गुलाबी सूरज का मुखड़ा सलेटी बादलों से झांकता नजर आया जब जून सुबह बस स्टैंड गये थे और अभी शाम को बगीचे में काम करने के बाद नन्हे का इंतजार करते हुए झूले पर बैठकर वह नीले आकाश में चमकते पीले चाँद को देख रही थी. ठंडी मंद हवा सहला रही थी और आसमान में चमकता पहला तारा जैसे कोई संदेश दे रहा था. आज बहुत दिनों बाद मिट्टी में काम किया, अच्छा लगा, यह अलग बात है कि खुरपी से काम शुरू करते ही हाथ में चोट लगा ली. माली ने कल से आना शुरू किया है, पहली बार दूब घास को मशीन से काटा, सर्दियों में सूख गयी है, दो तीन महीने बाद एकदम हरी हो जाएगी. आज सुबह ही सुबह छोटी बहन और छोटे भाई से बात की, बहन के यहाँ नया मेहमान आने वाला है और भाई का मकान बनना शुरू हो गया है. माँ-पिता दिल्ली में हैं. कल शाम क्लब में एक बच्चे के साथ, जिसका नाम पारिजात था, बाहर घास पर बैडमिंटन खेला, कोर्ट खाली नहीं था.

कुदरत में सुंदर रंग बिछे
अनगिन गंधों के खिले फूल
धरती पर अनुपम चित्र खिंचे
ह्रदयों में कैसे बिंधे शूल

सुमनों उर से उल्लास उड़ा 
तितली पंखों से चुरा उमंग
भ्रमरों के गुंजन को भर के
थिरका मन ज्यों जल में तरंग

कल ‘बंद’ था और आज नन्हे की स्कूल बस नहीं आई, जून कार से ले गये हैं. कल दिन भर बादल और सूरज आँख मिचौनी खेलते रहे, एक बार तो मूसलाधार वर्षा भी शुरू हो गयी, बंद सुबह ४ बजे से शाम के ७ बजे तक था, सो कहीं जा भी नहीं सकते थे. कुछ देर नन्हे को पढ़ाया, पहली बार इस मौसम में मेथी पुलाव बनाया. सुबह फोन पर कुछ सम्बन्धियों से बात की, एक का लहजा वही पुराना था, इन्सान यदि बदलने की कोशिश करे तभी तो बदलेगा न जैसे वह ब्रिटिश ऑफिसर  MRA ज्वाइन करने के बाद बदल गया था Mr Jordine. MRA के चार सिद्धांत भी अनुकरणीय हैं – Absolute Honesty, Absolute Purity, Absolute Unselfishness, Absolute Love कई बार इन्हें याद करके अपने को संयत किया किया पिछले दिनों उसने.

आज इस वक्त सुबह से पहला मौका है जब वह स्थिर महसूस कर रही है, कल दोपहर बाद से ही सिर भारी था, शायद यह किसी हारमोन की करामत है कि पता नहीं क्या है दिल खोया-खोया सा ही रहता है, किसी जगह टिक कर बैठता नहीं, रात को कुछ देर ध्यान में बैठी तो अच्छा लगा. कुछ देर पहले बाहर गयी तो देखा उनकी नैनी अपनी रजाई को बाहर धूप में रख रही थी, उसे देखकर बहुत आश्चर्य हुआ, रजाई के नाम पर कुछ थिगड़ों को जोड़ा हुआ था, उसने सोचा कि उन्हें नई रजाई बनवा कर देगी, कल बाजार जाकर धुनिया को कहकर आएगी. कल सोमवार है, उसका व्यस्ततम दिन.. पूरे हफ्ते का, उम्मीद है कल से सब ठीक हो जायेगा, जिसकी शुरुआत अभी से हो गयी है.

अभी तक स्वीपर नहीं आया है, घर गंदा पड़ा है... अब इस बात पर इतना परेशान होने की क्या जरूरत है, आदत सी बना ली है उसने परेशान होने की और रहने की भी, हर वक्त एक अह्सासे कमतरी का शिकार खुद को बनाये रखना कहाँ तक ठीक है, हर पल यह अहसास कि समय का, अपने दिमाग का सदुपयोग नहीं कर रही है, चाहिए तो यह कि जिस वक्त जो काम करे खुशी के अहसास के साथ, शायद हारमोनों का असर कम हो रहा है. खुदबखुद दिल हैरान परेशान हो जाता है और फिर खुदबखुद ही खुश होने के उपाय सुझाता है, मन का भी यह कैसा रंगीन अजीब करिश्मा है.  आचार्य गोयनका जी कहते हैं इसी मन को तो साधना है तभी धर्म जीवन में उतरेगा. धर्म को धारण करना है न कि उसकी पूजा करनी है. मन को विचारों से मुक्त करना है...किसी भी तरह के तुच्छ विचार को दिल में जगह नहीं देनी है. बीज यदि शुद्ध होगा तो फल स्वयंमेव अच्छा होगा. 

Friday, November 22, 2013

वसंत पंचमी


आज ‘सरस्वती पूजा’ है यानि वसंत पंचमी, गुरुदेव रवीन्द्रनाथ के शांति निकेतन में इस दिन को बहुत उल्लास से मनाते हैं, ऐसा उसने कई जगह पढ़ा है, पीले वस्त्रों में सजी बंगाली बालाएं रवीन्द्र संगीत पर नृत्य करतीं व रंग उड़ाती कितनी आकर्षक लगती होगीं. नन्हे का स्कूल आज बंद है, और इस वक्त वह अपने एक सहपाठी ‘लामा’ के साथ ‘सरस्वती पूजा’ देखने गया है, बाहर बच्चों के झुंड, खासतौर से छोटी लडकियां साड़ी, लहंगा पहने पूजा देखने आ जा रही हैं. सुबह एक स्वप्न देख रही थी फिर अलार्म सुनाई पड़ा, आज ‘कुकड़ू कूं’ की जगह ‘धत तेरे की’ सुनाई पड़ रहा था. नन्हे की लापरवाही की वजह से उसे आज डांट खानी पड़ी, वह इतना क्रोध कर सकती है अब सोचकर ही अजीब लग रहा है, उस वक्त भी मन में यह विचार आ गया था कि क्रोध उन दोनों के लिए हानिकारक है, पर कभी-कभी वह इतना नासमझ बन जाता है कि...वैसे आमतौर पर समझदारी भरे काम ही करता है. कल शाम खेलते समय जून भी क्रोधित हो गये थे, जब वह  अच्छा नहीं खेल रही थी, इसका अर्थ यह हुआ, उसे जो मिला उसने आगे बढ़ा दिया, क्या हर बार हमारे क्रोध का कारण यही तो नहीं होता. कल रात जून ने कहा, उन्हें वसंत पंचमी के दिन बचपन में घर पर बनने वाला भोजन खाने का मन है, सो आज उनका मीनू है, चने की दाल की भरवां रोटी, चावल की खीर, साथ में उनके बगीचे में उगी पत्ता गोभी की सब्जी.

कल नन्हा दो बार सरस्वती पूजा देखने गया, तिलक लगाकर लौटा, उसने नहाए बिना ही पूजा भी कर ली, असत्य कहते समय उसे थोड़ी भी हिचकिचाहट नहीं हुई, अपनी सुविधा के लिए छोटे-मोटे झूठ बोल लेने चाहिये, जिससे किसी का कोई नुकसान न हो, ऐसा वह घर में उनसे ही सीखता आया है. आजकल यहाँ आकाश में दिन में कई बार फाइटर प्लेन उड़ते रहते हैं. नन्हा अक्सर बाहर जाकर उन्हें देखने का प्रयत्न करता है, मशीनों से उसका लगाव है. उसने बगीचे में झांककर देख, शाम को पानी देना होगा, माली आज सातवें दिन भी नहीं आया है, उस दिन फूलों के पौधे लाने के लिए पैसे लेकर गया था, शायद वह पैसे उसने कहीं और खर्च कर दिए या फिर बीमार पड़ गया हो.

“वैलेंटाइन डे”, सुना और पढ़ा है कि इस नाम के एक सन्त हुए थे, जो राजा क्लाडियस के हुक्म के बावजूद सिपाहियों की शादी करवाया करते थे. जो भी हो यह प्यार की स्मृति दिलाने का दिन है, पति-पत्नी हों या प्रेमी-प्रेमिका. अभी कुछ देर एक साधु बहुत मालाएं वगैरह पहने और एक औरत पड़ोसिन के घर से निकले, उसे लगा कहीं उनके घर न आ जाएँ, पर वे नहीं आये. कल उसने ‘राजा हिन्दुस्तानी’ देखी, अच्छी फिल्म है. आज क्लब में लेडीज क्लब का विशेष कार्यक्रम ‘हसबैंड नाईट’ है पर जून को वहाँ जाना पसंद नहीं है, वैसे ठीक भी है, अगर ख़ुशी न मिले तो जाने में कोई तुक नहीं. आज जून ब्रह्मपुत्र मेल में उनकी टिकट बुक कर आये हैं यानि की यात्रा पर जाने में एक महीना शेष है.

आज धूप ने दर्शन दिए हैं, सुबह गेट का ताला खोलने गयी तो सामने चाय बागान के ऊपर हल्के गुलाबी बादल दिखाई दिए, पतझड़ में झड़ गयी पत्तियों के कारण काले हो गये पेड़ और सलेटी आकाश, एक सुंदर दृश्य था. ‘जीवन यदि कुछ मूल्यों पर आधारित हो तभी सच्चे सुख का अनुभव किया जा सकता है’, कुछ देर पहले टीवी पर ब्रह्मकुमारी प्रजापति ईश्वरीय ज्ञान संस्था की हीरक जयंती के अवसर पर हुए मुख्य कार्यक्रम के कुछ अंश देखे, उसे विवाह पूर्व अपने घर के उस कमरे की याद हो आयी जब मंझला भाई ब्रह्म कुमारी आश्रम जाकर वहाँ से पुस्तकें तथा वहाँ के सिखाये योग, क्रियाओं आदि के बारे में बताता था. सामने एक मोमबत्ती रखकर उसकी ओर देखकर ध्यान करता था. ‘राजयोग’ आदि शब्द सम्भवतः तभी प्रथम बार उसने सुने थे. कल दीदी व काकू से बात की, उन्होंने कल ही उसे पत्र भी लिखा है, टेलीपैथी इसे ही कहते हैं.






Wednesday, November 20, 2013

द लॉन मोअर मैन


आज सात तारीख है, उसने सोचा,  जून के आने पर उसे ‘विश’ करना है. सात तारीख आने पर कुछ याद दिला देती है. चाहे किसी भी माह की हो. आज यूँ भी बड़े दिनों बाद धूप निकली है, पर ठंडी हवा भी बह रही है. कल शाम तापमान १० डिग्री था, ढेर सारे वस्त्र पहन कर वे टहलने गये, उसका काम आज जल्दी हो गया है, सोचा वह किताब पढ़ेगी जो कल लाइब्रेरी के चिल्ड्रेन सेक्शन से लायी है, “Little Woman”, नन्हे को सुनाने के लिए अच्छी रहेगी. कल फिर उसने सोने में सवा दस बजा दिए, वह दीर्घ सूत्री है, किसी काम को जल्दी से समाप्त नहीं करता, आराम-आराम से करता है, शायद अपने चाचा पर गया है, जिसे वह ठीक से पहचानता भी नहीं. कल मंझले भाई का पत्र बहुत दिनों बाद आया, लिखता है ‘’ग्रह दशा कुछ ठीक नहीं चल रही है, इन्सान को अपने अच्छे-बुरे कर्मों का फल यहीं भोगना पड़ता है’’.

चलो उठ खड़े हों, झाड़ें सिलवटों को
मन के कैनवास को फैला लें क्षितिज तक
प्यार के रंगों से फिर कोई खूबसूरत सोच रंग डालें
बांटे आपस में हर शै जो अपनी हो
चलो आँखें बंद करें, गहरे उतर जाएँ
जानें पर्त दर पर्त अंतर्मन को
आत्मशक्तियाँ जागृत होकर एक हो जाएँ
अपना छोटे से छोटा सुख भी साझा हो जाये
चलो कह दें, सुना दें मन की हर उलझन
समझ लें, गिन लें दिल की हर धडकन
अपना सब कुछ सौंप कर निश्चिंत हो जाएँ
विश्वास का अमृत पियें
चलो करीब आयें, जश्न मनाएं
मैं और तुम से ‘हम’ होने की याद में
कोई गीत गुनगुनाएं
खुली आँखों से सपने देखें
मौसम की मस्ती में डूबे उतरायें !

परसों सुबह नन्हा घर पर था, दुसरे शनिवार को उसका स्कूल बंद रहता है. शाम को उसने चाट बनाई महीनों अथवा वर्षों बाद. वर्षा हो रही थी, सो टहलने भी नहीं जा सके, घर पर ही कैसेट लगाकर थिरकन कम व्यायाम किया. अच्छा लगता है गाने की या सिर्फ संगीत की लय पर शरीर को ढीला छोड़ देना. कल सुबह कड़कती ठंड में इतवार के सारे कार्य किये, शाम को क्लब में फ्लावर शो था, वे देखने गये. फिर एक मित्र के यहाँ, उसकी सखी ने बहुत स्वादिष्ट समोसे खिलाये, घर पर  ही बनाये थे, उनके बेटे का रोना भी बदस्तूर हुआ, वह अपने हाथ से सिले सूट के बारे में बताने का लोभ संवरण नहीं कर पाई, कभी-कभी ऐसी बचकानी हरकतें कर ही बैठती है. पर कल एक और अच्छी बात हुई भारत का जिम्बाब्वे को हरा कर फाइनल में पहुंच जाना. हफ्तों बाद कल ‘मालाबार हिल’ भी देखा. सबा ने शिवम को कैसे अपने दिल की बात कही होगी और अब उसके भाई का क्रोध, सुमन लेकिन अच्छी लग रही थी. आज सुबह धूप निकली है, वह यहीं गुलाब के पौधों के पास बैठी है, पड़ोसिन से बात हुई, वह तिनसुकिया से सिल्क की दो साड़ियाँ लायी है, खुश है, लेकिन साड़ियों से मिलने वाली ख़ुशी कितनी क्षणिक होती है न. सुबह गोयनका जी ने बताया, हमारे मन की ऊपरी पर्त भले ही स्वच्छ, साफ दिखाई दे भीतर राग-द्वेष , लोभ, क्रोध का विशाल साम्राज्य है, परत दर परत उसे उघाड़ते जाना है और साफ करते जाना है.

‘The Lawnmower man’ यही नाम था, कल शाम क्लब में दिखाई गयी फिल्म का, जो रोमांचक थी, अद्भुत थी और कुछ कुछ डरावनी भी. एक सीधा-सादा आदमी अपने दिमाग की छुपी ताकत को पाकर कैसे शक्तिशाली बन जाता है. कम्प्यूटर की शक्ति का कमाल, विभिन्न रंगों से अनोखे आकार बनते हैं पर्दे पर, एक के बाद एक सुंदर चित्र बनते हैं. इंसानी कल्पना की उड़ान की कोई सीमा नहीं, हर बार ऐसा कुछ देखने पर बेहोशी की अवस्था में हुआ उसका अनुभव याद आ जाता है. नीले रंग, अजीब सी आवाजें और कोई लक्ष्य पूरा करने की चाह...मानव मस्तिष्क में क्या-क्या रहस्य हैं, अभी भी मानव जान नहीं पाए हैं. नन्हे को कल स्कूल में कबड्डी खेलते वक्त चोट लग गयी, कहता है अब कभी जूते उतार कर कबड्डी नहीं खेलेगा. अभी-अभी उसने खिड़की से झांक कर देखा, बादलों को परे कर सूरज निकल आया है जिसमें फ्लाक्स और गुलाब के फूलों पर गिरी बूंदें चमक रही हैं.





Tuesday, November 19, 2013

लौह पुरुष- सरदार वल्लभ भाई पटेल


आज बहुत दिनों बाद सुबह लॉन में धूप में बैठकर लिख रही है, हल्की हवा भी बह रही है जो प्रातः उठने पर बर्फीली थी पर अब सूर्य के उगने से उसका दंश कम हो गया है. बहुत दिनों से बड़ी बहन का खत नहीं आया, एक बार उन्हें लिखा था, अब पहले की सी कंपाने वाली ठंड नहीं पडती पर इस बार पूरे देश में बल्कि सम्पूर्ण विश्व में ठंड बहुत है. उधर ऑस्ट्रेलिया में तापमान ५० डिग्री तक पहुंच गया है. पहले दूध वाला आया फिर स्वीपर, सो वह घर के अंदर चली गयी. कुछ देर पूर्व एक धारावाहिक का अंश देखा, उसकी नायिका एक लेखिका है, भावुक और सच्चे प्रेम की आकांक्षी, अंत अच्छा था. जैसे उसकी और जून की नाराजगी का अंत कल अच्छा हुआ, कल उन्होंने परेड देखी, नन्हे ने बाहर झंडा भी फहराया और आटे का एक तिरंगा भी बनाया है. दोपहर को ‘सरदार’ फिल्म देखी, लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल का जीवन कितना महान था. उन्होंने देश की आजादी के बाद सारे राज-रजवाड़ों को एक करने में, एक राष्ट की स्थापना में अमूल्य सहयोग दिया. परेश रावल ने पटेल की भूमिका अच्छी बनाई. ‘दो आँखें बारह हाथ’ भी कुछ देर देखी, अच्छी कहना उपयुक्त नहीं होगा, ऐसी फ़िल्में अब कभी नहीं बनेगीं. शाम को पड़ोसिन के यहाँ से मिली ब्रोकोली बनाई सबको बहुत पसंद आई.

पिछले दो दिन फिर यूँ ही निकल गये, नन्हे के स्कूल न जाने से कल सुबह उसी के साथ व्यस्त रही. परसों भी उसकी बस एक घंटा लेट आई थी, सेन्ट्रल स्कूल के बस ड्राइवरों की हड़ताल आज भी जारी रही और शायद कुछ दिन और चलेगी. नन्हा आज पड़ोसी की गाड़ी में गया और वापस अपने मित्र के साथ आया. सुबह एक सखी का सुंदर बगीचा देख कर आयी थी सो आज शाम अभी कुछ देर पहले उसने भी बगीचे में काम किया. उसने बहुत स्वादिष्ट गाजर का हलवा खिलाया, जून को बताया तो उनके मुंह में पानी भर आया. परसों दोपहर वह ‘ऊर्जा संरक्षण’ पर कविता या कहें तुकबन्दी करने की कोशिश करती रही, तीन ‘नारे’ भी लिखे हैं, जो आज जून ने भिजवा दिए हैं, देखें इस मशक्कत का क्या परिणाम निकलता है.

कभी ओस से भीगी घास पर पाँव पड़े
जो ठंडक दिल में समा गयी
वही मेरे और तुम्हारे मन के बीच पुल बन गयी है
कभी फूलों के झुरमुट में सिकुड़ा तन
उनकी रंगत और खुशबु समेटे नयन
तुम्हारे स्वप्न उकेरने लगे...  
ग्यारह बजने वाले हैं और अभी खाने में फिनिशिंग ट्चेज शेष हैं, पर सुबह से इधर-उधर के कामों को निपटते हुए अब थोड़ी थकन सी महसूस होने लगी है. नन्हा और पड़ोस का उसका मित्र आज साइकिल से स्कूल गये हैं, बसों की हड़ताल लम्बी खिंचती चली जा रही है. थक तो काफी गये होंगे, चार-पांच किमी दूर है उनका स्कूल, सवा नौ बजे निकले थे आधे घंटे में पहुंच गये होंगे. सुबह एक अजीब सा स्वप्न देखा, अब कुछ भी याद नहीं है पर वह फीलिंग याद है जिसने उसे उठा दिया, फिर ‘जागरण’ सुना, बाद में ध्यान करते समय मन केन्द्रित नहीं कर पाई, वे आवाजें भी तब और स्पष्ट सुनाई देने लगती हैं वैसे जिनकी तरफ ध्यान भी नहीं जाता.

कल दोपहर वह बैकडोर पड़ोसिन के साथ बैडमिंटन खेलने क्लब गयी, अच्छा लगा पर जून के साथ जाना और खेलना उसे ज्यादा पसंद है, उसने सोचा, देखे, यह दोपहर का रूटीन कितने दिन चलता है, वैसे उसकी पड़ोसिन अच्छा खेलती है और वह उससे कुछ सीख सकती है. फिर cycling का अपना आनन्द है, कुछ दिन यही सही. आज सुबह गोयनका जी ने बताया, धर्म जब तक धारण न किया जाये उस पर चर्चा करना व्यर्थ है. कल उसकी एक सखी आई थी जो अपनी चचेरी, ममेरी बहनों की खूब बातें बताती है, इधर उसकी कजिन्स तो कभी भूलकर भी याद नहीं करतीं या कहें वह ही नहीं करती. कल दोनों बहनों को पत्र लिखे जून ने भी, वे यकीनन खुश होंगीं.

Sunday, November 17, 2013

नेता जी की जन्म शताब्दी


रात्रि के आठ बजने वाले हैं, आज सुबह से ही व्यस्तता ने घेरा हुआ है, इस वक्त थोड़ा सा रुक कर सुस्ताने का मन हो रहा है. सुबह से ग्यारह बजे तक रोजमर्रा के कामों में व्यस्त रही. आज जून की पसंद की भरवां टमाटर की सब्जी बनाई थी. दोपहर को कुछ देर ‘संडे’ पत्रिका पढ़ी, फिर गुलाबी कपड़े के तीन रुमाल काटे और नन्हे के आने के बाद कल की पिकनिक के लिए पनीर  मसाला बनाने की शुरुआत की. जिसमें डेढ़ घंटा लगा. शाम को टहलने गये और वह गैस से कुकर  उतर कर रखना भूल गयी आग बहुत धीमी थी फिर भी लौकी-वड़ी की सब्जी पानी सूखने से बुरी तरह जल गयी. जून ने अपना स्पेशल बूंदी का रायता बनाया है और चखने के लिए पनीर मसाला तो है ही.

पिकनिक से वापस आकर रात के खाने की तैयारी करके और नहा धोकर आराम से बैठने के बाद अच्छा लग रहा है, नन्हा अपना बचा हुआ होमवर्क पूरा कर रहा है. विशेष थकान भी नहीं है, सुबह ७.२० पर वे घर से चले थे, कुल मिलाकर पिकनिक अच्छी रही, कुछ फोटो भी खींचे. नदी का पानी ठंडा था और उसमें देर तक बैठे रहने से ठंडक का अहसास भीतर तक हो रहा था, किनारे पर बिछी थी स्वच्छ रेत.. सभी खुश थे.

Today something is somewhere wrong ! Jun is losing his temper on small things. She does’nt know why, but she is feeling it and… आज सुबह वे वक्त पर उठे थे पर उनके दफ्तर जाने से पूर्व उसने पत्रिकाओं के बारे में कुछ कहा था, शायद उसी बात का असर हो. शाम को खेल में भी उनका मन नहीं था, खैर, कभी-कभी ऐसा सबके साथ होता है. नन्हे के कल से टेस्ट हैं, वह पढ़ रहा है.

दो-तीन दिनों तक तेज धूप निकलने के बाद आज मौसम फिर सर्द है, बादल हैं, एक दो बार सूरज उनकी ओट से झाँका भी तो धूप में गर्माहट नहीं थी. अभी-अभी नैनी का छोटा बेटा अंग्रेजी पढकर गया है, उसे अल्फाबेट आ गया है और कुछ शब्द लिखने भी आ गये हैं, लेकिन उसके पास क्लास १ की कोई पुस्तक नहीं है जिससे सिलसिलेवार पढ़ाई की जा सके, आज उसे छोटे-छोटे   वाक्य लिखने को दिए हैं. दोपहर खाने पर आये तो जून का मन ठीक था, वह खुश थे, सम्भवतः कल उन्हें फील्ड भी जाना पड़े. नन्हे के आज दो टेस्ट हैं, उसकी टीचर के कहने पर तेल लगाना भी सीख गया है. आजकल रामायण में हनुमान जी द्वारा सीता का पता लगा कर आने की कथा चल रही है, कल से ‘युद्ध कांड’ आरम्भ होगा, और रामायण समाप्त होने पर वह फिर से ‘भगवद् गीता’ पढ़ेगी जो जीने की कला सिखाने में पूर्णतया सक्षम है.

जून आज ‘हाफजान’ गये हैं, शाम को आएंगे, बहुत दिनों बाद उसे लंच अकेले ही खाना है, सो जब पेट में चूहे कूदने लगेंगे तभी खाएगी, जो भायेगा वही और जितना भायेगा उतना. कल शाम को वे एक मित्र परिवार के यहाँ गये, वहन एक और परिवार मिला, MR थोड़े शर्मीले स्वभाव के लगे बड़े भाई की तरह बच्चों से तुतलाकर बात करने वाले, MRS काफी एक्टिव थीं, डेढ़ साल की बच्ची की माँ को शायद ऐसा ही होना पड़ता है. नन्हे ने सब बच्चों को टाफी दीं, जो कई दिनों से इकट्ठी कर रहा था. शाम को बैडमिंटन भी खेला, अब उसकी रूचि इसमें बढ़ गयी है.


पिछले दो दिन जून और नन्हे दोनों की छुट्टी थी, परसों नेता जी के जन्मदिवस की, उनकी जन्म शताब्दी मनाई जा रही है इस बरस. उसने सोचा तो लगा नेता जी के विषय में वे कितना कम जानते हैं. उस दिन उन्होंने स्टोर की सफाई की और ‘माचिस’ देखी. उसे बहुत अच्छी नहीं लगी यह फिल्म. शाम को नन्हा एक मित्र के जन्मदिन में गया और वे अपने मित्र के यहाँ. कल दिन भर बूंदा-बांदी होती रही, मौसम बेहद ठंडा था, लंच में डोसा बनाया उसने. पड़ोसिन ने अपने बगीचे से ब्रोकोली भेजी, जो शाम को बनाई. जून ने अपनी पसंद की दो मिठाइयाँ बनायीं, गुलाब जामुन और बेसन के लड्डू. लेकिन उसे मिठाई खाना ज्यादा पसंद नहीं है पर जून चाहते हैं, उनकी तरह वह भी मिठाई बहुत शौक से खाए, कभी-कभी उसे लगता है वह भूल ही गये हैं इन्सान जीने के लिए खाता है न कि खाने के लिए जीता है. बरसों से चलती आ रही, शायद आगे भी चलती रहेगी, उनकी नोक-झोंक का विषय अक्सर भोजन ही होता है. आज भी मौसम बेहद ठंडा है, सुबह-सुबह छोटी बहन को फोन किया, उसकी विवाह की सालगिरह है आज. नन्हा बहुत सोचने के बाद आखिर स्कूल चला गया है, बहादुर लड़का है, इतने दिन मना करने के बाद आज आखिर टोपी और दस्ताने भी पहने. 

Sunday, November 10, 2013

स्माल वंडर - एक मजेदार कार्यक्रम


कल जून ने उसे बैडमिंटन का अभ्यास कराया, थोड़ी ही देर में थक गये, उनके अनुसार कम से कम एक महीने के ऐसे अभ्यास के बाद ही उसे प्रतियोगिता में खेलने का विचार बनाना चाहिए, लेकिन आज दोपहर उसे जाना है, हार भी हुई तो क्या, कम से कम एक शाम कुछ अलग तरह से बीतेगी. आजकल वे रोज शाम को small wonder देखते हैं, उन्हें खूब हंसाता है यह सीरियल, सोमवार से शुक्रवार तक हर रोज. आज माली ने खीरे, करेले और भिन्डी के बीज लगा दिए. उसका ध्यान आवाज पर गया तो याद आया, कारपेंटर आया है, बेडरूम में मच्छरदानी के लिए दो और रॉड लगाने के लिए, नन्हे के अकेले सोने के कारण उन्हें एक सिंगल नेट भी खरीदनी पड़ेगी. वह बड़ा हो रहा है और उसे भी आजादी पसंद है, आजकल रात को खुद किताब पढकर सोता है. मगर उसे सुबह जगाना वैसा ही मशक्कत का काम है जैसा पहले था.

कल रात अचानक कहीं से बादल आ गये और हर वर्ष की तरह बीहू पर वर्षा हो ही गयी है, बादलों से भरा आकाश, नीलिमा को पूरा ढक लिया है जैसे, सूर्य देव को भी हफ्तों बाद अवकाश  मिला है. इस समय वे एक मित्र परिवार का भोजन पर इंतजार कर रहे हैं, जून और नन्हा उनकी अहमदाबाद की यात्रा की योजना बना रहे हैं, मार्च में होने वाली उनकी यात्रा की मानसिक तयारी अभी से शुरू हो गयी है. यात्रा मन, प्राण को नई शक्ति से भर देती है, एक नई उमंग और जोश से भी, वर्ष में एक बार तो सभी को यात्रा करनी चाहिए.  उस दिन शनिवार को उनका बैडमिंटन का गेम अच्छा रहा, सौभाग्य से उसकी पार्टनर अच्छी थी, उन्होंने छह गेम जीते और winner रहे, लौटने में काफी देर हो गयी थी. जून ने खीर बनाकर रखी थी और डिनर के लिए सब्जी भी बना दी थी, नन्हा और वह दोनों उसकी ख़ुशी में शामिल थे. कल इतवार था, दोपहर को अमोल पालेकर की एक फिल्म देखी, अगले दो दिन बीहू का अवकाश है. वे क्लब जायेंगे, जहाँ बीहू मनाया जायेगा.

कल वे तिनसुकिया गये थे, शाम को नन्हे ने नैनी के बेटे की सहायता से आग जलाई, उन्ही की लेन में रहने वाले एक नये पड़ोसी भी पहली बार आए, मिसेज बहुत बात करती हैं, पतिदेव बीच- बीच में कुछ कह देते हैं. आज सुबह वैक्यूम क्लीनर की सहायता से सारे घर की सफाई की. इस वक्त नन्हा tell me why पढ़ रहा है और जून इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि कब बत्ती बंद हो.

आज धूप आंख-मिचौली खेल रही है, कभी सूर्य बादलों के पीछे छिप जाता है और सुबह के वक्त ही शाम का अहसास होने लगता है, थोड़ी ही देर में झाँकने लगता है. ठंड भी बढ़ गयी है. बहुत दिनों से उसने कोई खत नहीं लिखा है. भाई-भाभी से फोन पर बात की, निहारिका की आवाज भी सुनी, अभी वह एक साल की हुई है और बोलने भी लगी है. कल शाम एक परिवार आया, वे एक दिश खरीद रहे हैं, और जून की सहायता चाहते हैं, आज सुबह नींद देर से खुली, देर होने पर जल्दी ही झुंझलाहट हो जाती है, ऐसी बातों पर भी जिन पर वैसे कभी ध्यान भी नहीं जाता है. उसने जून की मनपसन्द त्रिदाली बनाई है, पालक+बथुआ का साग भी. बहुत दिनों बाद पड़ोसिन से फूलों पर बात हुई, उसे लिली के बल्ब और अगले सीजन में गुलाबों की दो कटिंग्स चाहिए, अच्छा लगता है यह सोचकर कि उनके बगीचे में भी ऐसा कुछ है जो देने लायक है. माली आया और जल्दी ही चला गया, शायद उसे भी मौसम ने परेशान किया हो. कल घर स से दो पत्र आए और पिता के बनाय दो कार्ड भी मिले, इसके अलावा पुराने परिचितों के भी कार्ड्स मिले, नये साल पर वर्ष में एक बार ही सही, सब  कोई याद तो कर लेते हैं एक-दूसरे को और यह संदेश दे देते हैं कि हम भी हैं इसी धरती पर कहीं न कहीं. उसे ध्यान आया, जनवरी आधा बीत गया और उसने कुछ लिखा नहीं, परसों पिकनिक पर जाना है, शायद वहीं या रास्ते में ऐसा कुछ हो की कविता खुदबखुद फूट पड़े. आज दोपहर सूट की कटिंग करनी है, बहुत दिन हो गये हैं इस इंतजार में कि कहीं से कोई सहायता मिल जाएगी, पर ईश्वर भी उसकी सहायता करते हैं जो अपनी सहायता खुद करता है.




Tuesday, November 5, 2013

.कैक्ट्स के फूल


नये वर्ष का प्रथम सोमवार ! नन्हे ने इस साल अलग सोना शुरू किया है, उसी कमरे में उसका अलग पलंग बिछता है. उसके लिए यह एक बड़ा अनोखा काम है, पर इसकी वजह से वे नेट नहीं लगा पा रहे हैं, गुड नाइट से मच्छर भगाने होते हैं

आज दिन की शुरुआत बेहद अटपटे ढंग से हुई है, अभी वह नींद में ही थी कि फोन की घंटी बजी, सुबह-सुबह किसका फोन होगा अभी सोच ही रही थी कि घंटी बंद हो गयी. जून उसके लिए चाय बनाकर लाये और अपनी मीठी-मीठी समझदार बातों से उसके उखड़े हुए मूड को सीधा करके ही दफ्तर गये. आज उनके विवाह की साल गिरह है सो मन तो खुश है ही, और इस साल एक खास बात और है कि उन्हें एक दसरे को जानते हुए दो दशक हो गये हैं. उसने खुद को विश किया कि आज का दिन और यह पूरा साल खुश रहे ताकि जून भी खुश रहें और उनका बेटा भी. इस वक्त सुबह के दस भी नहीं बजे हैं, किचन का काम अधूरा है पर लॉन में पसरी धूप देखकर वह यहाँ हाले दिल सुनाने आ गयी है. कल शाम क्लब में Independence Day देखी, बहुत अच्छी फिल्म है, रोमांचक, विस्मयकारी, amazing फिल्म. देखते-देखते लग रहा था वे किसी दूसरी ही दुनिया में पहुंच गये हैं. उसको भी हल्की सर्दी का अहसास हो रहा है, अक्सर एक हल्की सी कमजोरी का अहसास घेर लेता है, शायद उसी का असर मन पर हो रहा हो जो चीजों को उनके सही परिप्रेक्ष्य में नहीं ले पा रहा है.

कल शाम उन्होंने मित्रों के साथ ‘दिलजले’ फिल्म देखकर व गाजर का हलुआ खाकर विवाह की वर्षगाँठ मनायी, एक अच्छा भला परिवार कैसे एक नेता के कहने पर आतंकवादी होने का आरोप लगाकर बर्बाद कर दिया जाता है. वाकई नेता ऐसा कर सकते है पहले वह यकीन नहीं करती थी पर अब लगता है इस दुनिया में सब सम्भव है. कल उन्होंने कुछ पुराने खत भी पढ़े, प्रेम में लिखे खत.. कभी तो बचकाने लगते हैं पर उनमें उस तीव्रता का अहसास हर शब्द पर होता है, जो उन दोनों ने एक सा महसूस किया था और उस वक्त की सच्चाई थी. कभी कभी उसके मन में जो संशय उठता है कि कहीं... शायद वह बौद्धिकता की उपज हो, आधुनिकता का आवरण ओढ़ने की कोई दबी हुई आकांक्षा का.. मन यह क्यों न माने कि छलावा यह नहीं बल्कि वह था.

सुबह एक परिचिता का फोन आया कि शनिवार को लेडीज क्लब की ओर से होने वाले बैडमिंटन गेम में भाग ले, न कहना तो उसने सीखा नहीं है और कहा भी तो स्वयं को अनाड़ी बता के, खैर..अब उस दिन तीन बजे जाना है. आज बैंगन का भरता बनने में काफी समय लग गया. सुबह उठते ही जब ‘जागरण’ के लिए टीवी खोला तो DD I पर योगाभ्यास पर एक कार्यक्रम आ रहा था, साढ़े छह बजे वह खत्म हुआ तो फूल खिलाने वाली एक अनोखी कैक्टस प्रजाति ‘मेजाम्बिस’ पर एक फिल्म देखी, छोटे-छोटे पत्थरों के आकार के पौधे और उनमें खिले बड़े आकार के सुंदर रंगीन फूल बहुत अच्छे लग रहे थे, इस दुनिया में इतनी अनोखी और सुंदर वस्तुएं हैं कि कोई चाहे तो सारी जिन्दगी इसी में बिता दे. कल उन पुराने तेलगु मित्र का कार्ड आया, जून ने भी फौरन उन्हें भेजने के लिए कार्ड पर  लिखा we remember you all ! जून चाहे उनसे (यहाँ जब वह थे) विरोध करते रहे हों किसी बात पर दिल ही दिल में, सबके लिए स्नेह है उनके मन में. कल उसे समझा रहे थे..इन्सान को अच्छे बनने का प्रयत्न करना चाहिए.. और क्षमा बड़न को चाहिए.. आज उन्हें फील्ड जाना था पर नहीं गये किसी प्रॉब्लम की वजह से जो वेल साईट पर उठ खड़ी हुई है.





गाजर का हलुआ


नव वर्ष का प्रथम दिवस ! इस समय रात्रि के नौ बजने वाले हैं, वे लोग टीवी समाचार का इंतजार कर रहे हैं. नन्हे की तबियत ठीक नहीं है, गोहाटी में उसे सर्दी लग गयी थी, इसलिए आज स्कूल नहीं गया लेकिन नये साल का स्वागत करने में वह उन दोनों से आगे रहा, कल रात वह देर तक नहीं जग सकी और पुराना वर्ष कब नया बन गया पता ही नहीं चला. जबकि नन्हे ने जगकर सारे प्रोग्राम देखे, सवा बारह बजे अपने आप टीवी बंद किया और सुबह ड्राइंग रूम भी सजाया. शाम को दो-तीन मित्र परिवारों को चाय पर बुलाया था. टीवी पर असम में पिछले दो-तीन दिनों से हुए बोडो उग्रवादियों के हमलों पर रिपोर्ट आ रही है, एकाएक ही बम विस्फोट की वारदातें बढ़ गयी हैं, उनकी यात्रा शांति पूर्ण रही, यही सोचकर संतोष हुआ उसे. आज उसने सेवइयों की खीर बनाई और उम्मीद की कि उसकी मिठास सारे साल उनके साथ रहेगी.

टीवी पर सीताराम केसरी के सीपीपी लीडर चुने जाने की चर्चा हो रही है. नन्हा आज दिन भर अस्वस्थ रहने के बाद अब ठीक लग रहा है, शाम को उसके पेट में दर्द था, वे बाजार से नींबू और सोडा लाये. आज सुबह वह देर से उठी, जून को नाश्ता देने के बाद फिर सो गयी, रात को साढ़े बारह बजे तक टीवी पर hello new year देखकर देखकर सोयी थी. पर इस रतजगे का असर दिनभर बना रहा, दोपहर को ‘उपमन्यु चटर्जी’ की किताब पढ़ती रही, फिर शाम को वे घूमने गये. जून का कहना है, उनके घर पर आ जाने के बाद उसे कोई निजी कार्य नहीं करना चाहिए, सब काम ऐसे हों जो वे दोनों मिलकर कर सकें.

जून आज फ़ील्ड ड्यूटी पर हैं, सो देर से आएंगे. नन्हा भी खेलने गया है, आज वह कल से बेहतर है. नूना भी इस वक्त हल्का महसूस कर रही है, तन और मन दोनों से हल्का, पता नहीं अपने आप ही कभी मन ख़ुशी से भर उठता है, बेबात मुस्कुराने लगता है और कभी छोटी सी बात भी मन को भारी कर जाती है. शायद हारमोंस का कोई खेल हो. उसने अपने मन को संयमित करना भी तो छोड़ दिया है. योग-ध्यान किये हफ्तों हो गये हैं. आज सुबह वक्त से नींद खुल गयी, बाहर कोहरा बेहद घना था, बाद में धूप में वह टहलने गयी थी. शाम को इतनी ठंड बढ़ जाती है कि घर में बैठकर मूंगफली खाना और टीवी देखना ज्यादा अच्छा लगता है. माली ने धनिये के बीज डाले, डायन्थस और फ्लाक्स के पौधे अच्छी गति से बढ़ रहे हैं. अभी-अभी पेड़ से एक सूखा पत्ता पीठ पर गिरा लॉन में धूप चारों ओर बिछी हुई है और नीचे घास पर ध्यान से देखने पर नन्हे कीट रेंगते हुए दिख रहे हैं, शायद वे भी धूप का आनन्द उठा रहे हैं.


कल शाम जून का स्वेटर पूरा हो गया, आज वह पहन कर भी गये हैं, कल शाम साढ़े छह बजे वे आये, तिनसुकिया से ढेर सा समान लाये, लाल गाजर और खोया भी, उनके विवाह की वर्षगाँठ पर गाजर का हलुआ जो बनाना है उनके प्रेम की तरह मीठा...कल क्लब में लंच है वे शायद ही जाएँ, कहीं दूर से फोन की घंटी की आवाज लगातार आ रही है.