Tuesday, April 26, 2022

मत्स्यावतार की कथा



वही कल का समय है, रातों को बादल बरसते हैं कुछ देर के लिए और सुबह से दोपहर तक बदली बनी रहती है। उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और बांग्ला देश में तूफ़ान ‘अंफन’ प्रवेश कर चुका है, कितनी हानि या तबाही हुई इसका पता तो कल ही चलेगा। ट्रंप ने चीन को कोरोना के लिए फिर ज़िम्मेदार ठहराया है, विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी उनके क्रोध का शिकार होना पड़ रहा है।  सारी दुनिया में करोड़ों लोग इस वायरस से प्रभावित हुए हैं, उनके रोज़गार छूटे हैं, घर छूटे हैं, प्रियजन भी छूटे हैं। इस महामारी का असर आने वाले कई वर्षों तक मानव को भोगना पड़ेगा।छोटी बहन से बात हुई, उसे यूएइ में कोरोना मरीज़ों की देखभाल करनी पड़ रही है, मरीज़ों की संख्या वहाँ भी बढ़ रही है। कहने लगी, यदि आइसीयू,में मरीज़ बढ़ गए तो उनके पास साधन नहीं हैं। आज ‘हिंदू’ पुस्तक को आगे पढ़ा, लेखिका विदेशी हैं पर संस्कृत का गहन अध्ययन उन्होंने किया है।उसमें सिंधु घाटी की सभ्यता की कहानी आरम्भ हो गयी है। पुस्तक के अनुसार बहुत महान थी वह सभ्यता जिसमें अन्य सभ्यताओं के साथ व्यापार होता था। इस सभ्यता का अंत कैसे हुआ और आर्य भारत में कहाँ से आए, यह रहस्य अभी तक सुलझा नहीं है । वेदों की रचना कब हुई, किसने की, यह भी ज्ञात नहीं है। सृष्टि रहस्यों से भरी है, वे थोड़े  वक्तों के लिए ही यहाँ आते हैं फिर कहाँ चले जाते हैं, कोई नहीं जानता। उस लोक और इस लोक में कोई एक साथ रह सके तभी वह बता सकता है पर यह राज है कि राज ही बना रहता है। कुछ लोग अपने समय व ऊर्जा का कितना अच्छा उपयोग कर लेते हैं। भगवान ने सभी को बुद्धि नामक यंत्र दिया है पर वे उसका उपयोग करना ही नहीं जानते। गुरूजी को कितनी सिद्धियाँ प्राप्त हैं पर वे कितने सरल और भोले बने रहते हैं, वह दुनिया में करोड़ों लोगों के दिलों में ज्ञान का प्रकाश फैला चुके हैं। आज एक पुरानी सखी से बीस मिनट बात की फ़ोन पर, पूरे अठारह मिनट वह बोलती रही, वह आर्ट ऑफ़ लिविंग के ऑन लाइन कोर्सेस भी कर रही है। जून ने शनिवार से एच आर के लिए होने वाले कोर्स के लिए एक घंटे के ऑन लाइन वर्कशॉप में भाग लिया। दोपहर को उन्होंने ‘पिंजर’ फ़िल्म देखी, अमृता प्रीतम की कहानी पर बनी यह फ़िल्म बहुत मार्मिक है। आज मंझली भाभी ने वहाट्सेप पर एक गीत गाया। कोरोना से लोगों की छिपी हुई प्रतिभाएँ बाहर निकल रही हैं। 


आज नापा की तरफ़ से सब घरों में बगीचे से तोड़े गए आम वितरित किए गए, अभी कच्चे हैं, कुछ दिनों में पक जाएँगे। कितनी ही  बार सुबह टहल कर लौटते समय चटनी आदि के लिए अमराई से आम मिलते रहे हैं, एक रात तेज हवा चली थी तो सुबह ढेर सारे आम गिरे हुए मिले। विष्णु पुराण में आज मत्स्यावतार की कथा आरंभ हुई है, कितनी अद्भुत कथा है यह भी। प्रलय का दृश्य देखा, जिसमें मनु सप्तर्षियों को लेकर नौका में बैठते हैं। ‘श्री कृष्णा’ में कृष्ण के माटी खाने के प्रसंग आया, यशोदा का आश्चर्य देखने लायक़ था पर कुछ ही देर में वह सब भूल गयीं। परमात्मा के द्वारा सबके जीवन में न जाने कितनी बार चमत्कार हुए हैं, होते रहते हैं, पर मानव की स्मरण शक्ति बहुत कम है, बड़ी से बड़ी कृपा भी वह कुछ दिनों में भुला देता है और फिर से ईश्वर के द्वार पर ख़ाली झोली लेकर खड़ा हो जाता है। उपनिषद गंगा में आश्रम व वर्ण व्यवस्था पर चाणक्य की सुंदर व्याख्या सुनी। नैनी ने आज कहा, उसके बेटे को ओप्पो का फ़ोन चाहिए, ताकि वह दफ़्तर का काम कर सके।उसने सोचा, कल नन्हा आ रहा है वही ऑन लाइन मँगा  देगा। वैसे कल इतवार को कर्नाटक सरकार ने पूर्ण  लॉक डाउन घोषित कर दिया है, उनका आना शायद संभव नहीं होगा। 


Thursday, April 21, 2022

ध्रुव के प्रश्न


आज दोपहर पूरे दो महीने और तीन दिनों के बाद नन्हा और सोनू घर आए, अभी कुछ देर पहले  वापस गए हैं। शाम को वे उन्हें पार्क में ले गये पर वर्षा होने लगी, जल्दी ही लौटना पड़ा। नन्हे  ने एक बात कही कि उन्हें किसी के साथ घटी किसी भी घटना के लिए किसी के प्रति निर्णायक नहीं बनना चाहिए। उसे लगा, बच्चे उनसे कितने आगे होते हैं बौद्धिक रूप से, कार्य-कारण सिद्धांत के ऊपर उन्हें जाना है, चीजें अपने आप होती हैं, जब होनी होती हैं, हर घटना के पीछे क्यों ?ढूँढने जाने की ज़रूरत नहीं है। जीवन में जो भी घटता है उसके पीछे कोई न कोई कारण होता है, पर कौन सा कारण किस घटना कि पीछे है, कौन बता सकता है ? वैसे भी उन्हें व्यक्तियों के बारे में कोई राय बनाने का क्या अधिकार है, जो जैसा है वैसा है ! आर्ट  ऑफ़ लिविंग का पहला ज्ञान सूत्र भी तो यही है, ‘लोगों को जैसे वे हैं वैसे ही स्वीकारें’ उन्हें किसी व्यक्ति के बारे में कुछ भी कहने से पूर्व दस बार सोचना चाहिए। किसी की निंदा करना तो ग़लत है ही किसी के निर्णायक बनना और भी ग़लत है। अनजाने में ही वे अपने संस्कार वश ऐसा करते हैं और अपनी ऊर्जा भी गँवाते हैं। बाहर तेज हवा के साथ वर्षा हो रही है, बच्चे अब तक घर पहुँच गए होंगे। 


एक विशिष्ट महिला ब्लॉगर ने अपने स्पष्ट और सरल शब्दों में कोरोना वायरस के ख़तरे को लेकर भारतवासियों द्वारा लापरवाही भरा रवैया अपनाने पर एक ध्वनि संदेश में खेद व्यक्त किया है। उनकी वाणी में शिकायत भी है और सलाह भी, ख़तरा बढ़ गया है पर लोग बड़े आराम से सड़कों पर निकल रहे हैं जैसे लॉक डाउन हटते ही सब सामान्य हो गया  हो। आज सुबह बाहर वर्षा का भ्रम  हुआ पर आवाज़ बिजली की तारों से आ रही थी। हवा ठंडी थी, कहीं कहीं सड़कें भीगी थीं। सूर्योदय या सूर्यास्त आज दोनों नहीं दिखे, भ्रमण के दोनों समय उन्हें देखना व चित्र लेना उसका प्रिय काम होता है। आज चक्रों के बार में व्याख्यान सुना। विशुद्धि चक्र से ऊपर अद्वैत की यात्रा आरम्भ हो जाती है। आज्ञा चक्र पर असीम स्वरूप का अनुभव होता है पर अंतिम चक्र पर जब ‘स्वयं’ भी मिट जाता है तब परमात्मा की प्राप्ति होती है। अहंकार मिट गया पर अस्मिता अभी शेष है, उसे भी जाना होगा। समाचारों में सुना उड़ीसा में एक तूफ़ान आने वाला है। 


रात्रि के साढ़े आठ बजे हैं। सोने से पूर्व का अंतिम कार्य है दिन भर का लेखा-जोखा लिखना, बरसों पुरानी आदत है सो डायरी और कलम जैसे अपने आप ही हाथ में आ जाते हैं। कर्नाटक में लॉक डाउन हटा लिया गया है पर शाम सात बजे से सुबह सात बजे तक आवागमन रुका रहेगा। एक ही दिन में आज डेढ़ सौ संक्रमित व्यक्ति मिले हैं। आज विष्णु पुराण में दिखाया गया कि ध्रुव को भगवान के दर्शन हो गए। छह वर्ष की आयु में इतना बड़ा संकल्प ! वह विष्णु भगवान से पूछता है, जीवन क्या है ? संसार क्या है ? परिवार क्या है ? आदि आदि। भगवान कहते हैं, जीवन एक वरदान है, एक उपहार, एक सौभाग्य भी ! संसार परमात्मा का साकार रूप है ! परिवार में वे लोग आते हैं जिनके प्रति हमारा मन आत्मीयता महसूस करे।  इस तरह तो सारा संसार  ही  उनका परिवार है।कम से कम एक भक्त के लिए तो ऐसा ही होना चाहिए।  जून को एओएल से नया काम मिला है, कल उनकी मीटिंग है।    


Tuesday, April 12, 2022

सपनों की दुनिया

आज देश के नाम प्रधानमंत्री का सम्बोधन था, कहा, चौथा लॉक डाउन होगा पर नए नियमों के साथ। उन्होंने देश को आत्म निर्भर बनाने की बात भी कही। सुबह उठी तो भीतर मौन था, एक शांति भरा मौन ! गुरूजी के लिए दोपहर को एक कविता लिखी, कल उनका जन्मदिन है, एओएल के हिंदी विभाग में काम करने वाले एक साधक ने उसे सजा दिया है। उसे भविष्य में अन्य कविताएँ भी भेजेगी। चाहे तो फ़ेसबुक पर एक पेज बना सकती है, जहाँ उनके लिए लिखी कविताएँ पोस्ट कर सके। जून छोटी भांजी के लिए लिखी कविता को सुंदर बना रहे हैं, जो अपना जन्मदिन गुरूजी के जन्मदिन के साथ साझा करती है। आज महाभारत में दुर्योधन भी मारा गया। अश्वत्थामा की मणि छिन गयी और उसे उसी पीड़ा के साथ अमर रहने का शाप मिल गया, इतना कठोर दंड ! 


शाम को टहलने गए तो मास्क लगाया था, जून को कठिनाई होती है; पर अभी कोरोना का डर गया नहीं है, न ही कोई दवा आयी है इसके इलाज के लिए। आज काव्यालय के संस्थापक कवि का मेल आया, उनकी एक पुस्तक आयी है, उनकी कविताओं को पढ़कर वह कुछ पंक्तियाँ उन्हें नियमित भेज रही है, उन्हें अच्छा लगा। वाक़ई उनकी हर कविता में एक नया अन्दाज़ है। आज शाम से पूर्व उन्होंने आधा घंटा योग व पुस्तकालय कक्ष में बैठकर पढ़ने के लिए और रात्रि में सोने से पूर्व कुछ समय बालकनी में  बैठने के लिए निकाला है , ताकि उनके घर का हर कोना आबाद रहे। कहीं सुना था कि घर के वे कोने जहाँ कोई नहीं जाता, नकारात्मक ऊर्जा से भर जाते हैं। आज सुबह नींद खुली उससे पूर्व एक स्वप्न में मृणाल ज्योति में खुद को पाया, उसका फ़ोन कहीं छूट गया है, जून से कहा फ़ोन करें, तब विचार आया यह स्वप्न है और नींद खुल गयी। दो दिन पहले एक विचित्र स्वप्न देखा था, जिसमें बहुत सारे हाथी हैं, जीवित भी और चारों तरफ़ आलमारी में उनके छोटे-बड़े चित्र भी। एक हाथी उसे कुचलने के लिए बढ़ता है पर ज़रा भी भय नहीं लग रहा, वह उसके पैरों के नीचे है पर कोई दर्द नहीं हो रहा फिर एक बच्चे के साथ उड़ जाती है, उड़ते समय देह में नहीं है पर साथ में जो बच्चा है उसका गोरा चेहरा और काले बाल स्पष्ट दिखे।


सुबह उपनिषद गंगा में ‘सत्यकाम’ की कहानी देखी, शाम को विष्णु पुराण में ‘ध्रुव’ की। दोपहर को जून ने ‘रजनीगंधा; लगायी यू ट्यूब पर, अमोल पालेकर की फ़िल्म। शिव सूत्र सुना, पढ़ा भी। शाम से मन की समता हटी नहीं है, पहले जून की थोड़ी सी नाराज़गी से मन कैसा व्याकुल हो जाता था, अब वह पुरानी बात हो गयी है। हर कोई अपने सुख-दुःख का निर्माता है, यदि वे नहीं चाहते कि दुखी हों तो संसार की कोई भी बात उन्हें दुखी नहीं कर सकती और यदि उन्होंने तय ही कर लिया है कि उन्हें दुखी रहना है तो छोटी से बात को भी कारण बना सकते हैं। मई आधा बीत गया है, कोरोना संकट कम नहीं हो रहा है। 


रात्रि के साढ़े आठ बजे हैं, वह सिट आउट में बैठकर लिख रही है। हवा बंद है, कुछ देर पूर्व हल्की बूँदा-बाँदी हुई पर गर्मी कम नहीं हुई। कुछ देर पूर्व रात्रि भोजन के बाद वह टहलने गये तो एक घर से गुरूजी की आवाज़ में निर्देशित ध्यान की आवाज़ आ रही थी; कदम वहीं थम गए। एक घर से बाँसुरी की आवाज़ रोज़ आती है, कोई रात को अभ्यास करता है । सभी लोग घर में हैं तो ध्यान, संगीत आदि में समय बिता रहे हैं; इतना तो शुभ हुआ है लॉक डाउन के कारण। कल रात उसने जून से कहा, उसकी बातों को गंभीरता से न लें, आगे आने वाले सोलह वर्षों में ( उसे लगता है इतना ही जीवन शेष है) उसकी किसी भी बात को उन्हें सत्य मानने की ज़रूरत नहीं है, क्यंकि सत्य क्या है यह जिसको पता चल जाता है उसके लिए शेष सब असत्य हो जाता है। ‘ब्रह्म सत्यं जगत मिथ्या’ उक्ति तब हक़ीक़त नज़र आती है।  


Wednesday, April 6, 2022

उपनिषद गंगा


लॉक डाउन का तीसरा दौर  प्रारम्भ हो गया है। अब संक्रमण की दर बढ़ गयी है, भारत में अड़तालीस हज़ार व्यक्ति संक्रमित हो चुके हैं। अमेरिका में यह संख्या भारत से कहीं ज़्यादा है। रात्रि के सवा नौ बजे हैं, नन्हे से बात हुई, खाना बनाने की आज उसकी बारी थी, कह रहा था अभी वे लोग मेड व कुक को नहीं बुलाएँगे। खुद काम करने की आदत हो गयी है। घर भी साफ़ रहता है। अच्छा है, अपन हाथ, जगन्नाथ ! सुबह टहलते समय कुछ सुंदर जंगली गुलाबी पुष्प देखे थे, शाम को देखने गए तो वे सो गए थे, फूलों में इतना संज्ञान होता है, प्रकाश का स्पर्श उन्हें जगाता और सुलाता है। आज महाभारत में देखा भीष्म पितामह तीरों की शैया पर हैं, द्रोणाचार्य उनके पास आकर कहते हैं, वह उनसे पहले जाएँगे, कैसे महावीर थे वे लोग, मृत्यु का ज़रा भी भय नहीं था उन्हें ! जून को आर्ट ऑफ़ लिविंग के अनुसंधान विभाग में सेवा का कुछ काम मिल गया है। 


आज बुद्ध पूर्णिमा है, उनके वचन पढ़े, उनके उपदेशों पर आधारित दो आलेख भी लिखे। कल भागवद में कपिल मुनि द्वारा अपनी माँ देवहूति को दिये गये सांख्य शास्त्र के ज्ञान के बारे में पढ़ा था। सुबह गहरे ध्यान का अनुभव हुआ। दोपहर को वाणी का दोष हुआ तो कितनी शीघ्रता से जगाया किसी ने भीतर से। सुबह उठने से पूर्व कोई वाणी भीतर से कह रही थी, तुम वही हो ! ज्ञान उन्हें मुक्त करता है और गुरू भी ज्ञान स्वरूप है। आज नैनी काम पर नहीं आयी, उसने पूर्णिमा का उपवास रखा है ! कल असम से उसकी पुरानी नैनी का फ़ोन आया था। उनके योग ग्रुप की एक महिला का फ़ोन भी आया, जिन्हें कोर्स करने के लिए उसने बहुत बार कहा था आख़िर उन्होंने ऑर्ट ऑफ़ लिविंग  का बेसिक कोर्स ऑन लाइन किया, बहुत खुश थीं। 


आज सुबह टहलने गए तो रात की वर्षा के बाद सड़कें भीगीं थीं। मधु मालती की एक बेल और कंचन का एक वृक्ष पूरे खिले थे, उनकी तस्वीरें उतारीं। टीवी कार्यक्रम ‘उपनिषद गंगा’ में आज का अंक दारा शिकोह पर था, जिसने उपनिषदों का अध्ययन किया था। उसकी मृत्यु का दृश्य देखा, वह आत्मा का ज्ञान पाकर भीतर से मुक्त हो गया था। ‘महाभारत’ में कर्ण ने अर्जुन को मारने का अवसर गँवा दिया क्योंकि सूर्यास्त हो गया था, वह नियमों के अनुसार युद्ध करना चाहता है, संभवतः वह अर्जुन को मारना नहीं चाहता, वह जान चुका है कि अर्जुन उसका सगा भाई है। उसका जीवन कितने विरोधाभासों से घिरा है।


आज का एक दिन एक तरह से उसके लिए बहुत ख़ास है। पूरे पचपन दिनों के बाद वह जून के साथ कार से सोसाइटी के मुख्य गेट से बाहर गयी। उन्होंने एक नर्सरी से गमलों के लिए पौधे ख़रीदे। वहाँ एक भोली-भाली सी लड़की मिली, भुवनशोम की नायिका जैसी। सुबह  छोटी भांजी के स्नातक होने पर पूरे परिवार की एक ज़ूम मीटिंग हुई, अच्छा लगा। शाम को दो पुराने मित्र परिवारों को भी ज़ूम पर देखा। गुरूजी की संजय दत्त से बातचीत का वीडियो देखा। मोबाइल और कम्प्यूटर सबके जीवन का अभिन्न अंग बनते जा रहे हैं। 


आज नैनी एक फार्म हाउस से, जहाँ उसका पति काम करता है, ताज़ा हरा कुम्हड़ा, आँवला और कच्चे आम लायी। कुम्हड़े की सब्ज़ी, आम की मीठी चटनी और आँवले का अचार उसने बना लिया है। शाम को निकट स्थित खेत से कच्चा कटहल लाए, पहले तो माली तोड़ने को तैयार नहीं था, कहने लगा पकने पर यही दो सौ में बिकेगा, यहाँ सभी इसे पका हुआ खाते हैं। गाँव के निकट रहने के कितने लाभ हैं।