Friday, June 14, 2013

स्कॉटलैंड यार्ड-रोचक खेल


It is 12 noon, jun has sent a massage through his boss that he will come at 2 pm with their friend. Today early in the morning when they were in the bed, he called him to come with him to Dibrugadh and they left at 6.15 am. Nanha helped her a lot in washing clothes and other works. He is such an understanding child, loving and caring. And jun is also very compassionate and loving.. He never disappoints her, whatever and whenever she says a thing he tries to fulfill it.  She loves them both very very much. She prayed to God  to help  their friends. She wished them health and happiness.

Yesterday they were studying Assamese, when her friend called them, they wanted ‘business’ the board game, they went to give it and while she was sitting there she felt some sadness. They both were tired, so came back early. Nanha’s Birth day is just four days ahead and weather is excellent. They will celebrate it and make it a great occasion

9.10 am.Her morning chorus is complete and heart is filled with tender and soft fellings. Yesterday they went to TSK to celebrate nanha’s birthday. Really they enjoyed it. Jun was in good mood and Nanha was calm and happy. She was feeling so close to them. She wondered how she could be so rude to them on earlier occasions. They both are so loving and she is nothing without them. Seeing her friend suffering for her husband she finds some change in her attitude towards life. Emotions play a vital role in day to day life and one should spread only love and compassion through feelings not anger and hatred. she is at ease with herself  and jun. कल उनकी मारुति कार में ग्रिल भी लग गयी, बाहर से देखने में ठीक है पर अंदर से उतनी अच्छी नहीं लगती, सुरक्षा के दृष्टिकोण से देखें तो ठीक ही है. कल नन्हे ने “Scotland Yard” Board game  लिया, अभी उन्होंने इसे खेलना नहीं सीखा है, यकीनन यह एक रोचक खेल होगा. अभी तो उसे ‘असमिया’ का गृहकार्य पूरा करना है.



Tuesday, June 11, 2013

बगीचे के आम



‘आषाढ़ का प्रथम दिवस’ अर्थात जुलाई माह का शुभारम्भ, शुभ इसलिए की सुबह से ही वर्षा हो रही है, नन्हा सुबह साइकिल लेकर निकला ही था कि बूंदाबांदी शुरू हो गयी. सुबह-सुबह  टेनिस खेलने जाने से उसका मूड कितना ताजा रहता था, लेकिन एक तो अब स्कूल खुल जाने से दूसरे क्लब में बच्चों को अकेले जाने से मना कर दिया गया है. आज उसकी पहली बस छूट गयी, वह थोड़ा नाराज हो गया, ‘बाय’ कहे बिना ही चला गया, आज से तीन बजे आयेगा. ट्रांजिस्टर पर ‘फूलों की छाँव में’.. ‘प्यार के गाँव में’.. एक घर बनाने की कल्पना करने वाला एक गीत आ रहा है, ऐसा घर सिर्फ सपनों में मिल सकता है, यूँ अगर कोई चाहे तो उस सुख को जो ऐसा घर मिलने पर मिलेगा अपने  घर में महसूस कर सकता है. तलाश तो कर सकता है. कल सर्वोत्तम के दो-तीन पुराने अंक निकाले, अच्छा लगा कि पढ़ने के लिए इतना कुछ है घर में. कल रात को यश चोपड़ा की ‘इत्तफाक’ फिल्म देखनी शुरू की, पर कुछ देर ही देख पाए, ज्यादा अच्छी नहीं लगी. कास्टिंग में चित्रकला दिखाई जा रही थी उसमें.

कुछ मिनट पहले उसने पुरानी पड़ोसिन से बात की, वह अच्छी वक्ता है, उसे वकील होना चाहिए, बोलती कुछ ज्यादा है पर शब्दों का खजाना है उसके पास. मित्रता निभाना दुनिया में सबसे कठिन काम है शायद, हमें सामने तो उनकी तारीफ करनी होती है और बाद में आलोचना भी स्वतः ही होती है. नन्हा स्कूल गया है, शनिवार को उसने उसे स्कूल न जाने के लिए कहा था, पर आज सुबह जब तैयार होने के लिए कहा तो वह कन्फ्यूज्ड हो गया, उसे नन्हे को दुविधा में नहीं डालना चाहिए, सीधे-सादे शब्दों में सारी बात कहनी चाहिए. बड़े लोगों को तो मसलों को उलझाने में मजा आता है मगर बच्चों को इन दांवपेंच से दूर ही रखना चाहिए.

इस क्षण मन की शांत सरिता में जैसे किसी ने कंकर मार दिया है. लहरों का शोर विचारों का बिखराव दर्शाता है. मन पर कब किस बात का क्या असर होगा कहना कठिन है, जो मन पर नियन्त्रण रखने में समर्थ है वह  स्थित प्रज्ञ है. आज हल्की-हल्की सी धूप निकली है. कल शाम माली ने गुलदाउदी के लिए गमलों को तैयार कर दिया. कल शाम उसकी असमिया सखी ने पूछा, क्या बंगाली सखी का पत्र आया है, कल शाम उसके यहाँ आम खाने और ढेर सारी इधर-उधर की बातें करके बेहद अच्छा लगा उसे आभार जताने के लिए फोन करना चाहती थी पर शायद उनका फोन खराब है. इतना लिखने के बाद कलम रुक गयी, विचारों की गाड़ी को ब्रेक लग गया है, सच तो यह है कि मन शांत है पहले की तरह. यह डायरी भी एक मित्र की तरह होती है, एक ऐसे मित्र की तरह जिससे सब कुछ कहा जा सके पर वह कोई शिकायत नहीं करता. जो मन को शांत कर देता है, अपने कोमल हाथों के स्पर्श से. जिसके साथ जीना आसान हो जाता है और  कड़वाहटें मीठे बोलों में घुल जाती हैं.




   


रघुबीर यादव का अभिनय


It is 9.25 AM, Nanha has gone to school after about  1 and1/2 months summer vacations.  He was very happy and looking smart in his new school dress. It is raining since morning, when jun went to Dibrugadh with his friend. Last evening they went to their place, she is rigid like anything but nuna did not say any thing. Yesterday they got two letters, one is from her younger sister, She has sent a long and interesting letter. She seems to be very happy, another was from her elder sis-in-law. Today is weekly dusting day, when sweeper cleans cobwebs etc. इतने दिनों बाद घर में सन्नाटा है, नन्हा यदि घर पर होता तो अब तक कई सवाल कर  चुका होता. आज सुबह वह रघुबीर यादव की नकल बहुत अच्छी तरह कर रहा था.  ‘आसमान से गिरा’ फिल्म आज भी ‘छुट्टी-छुट्टी’ में दिखाई जाएगी वह खुद तो देख नहीं पायेगा सो उससे पूछ रहा था. कल शाम वे उसे छोडकर एक घंटे के लिए किसी के घर गये थे. He was quite comfortable and when they came back he was wearing SUPERMAN dress. Jun just laughed. He told her so many things of his office. He is having a workload even then He willingly went to Dibrugadh

Today she managed without nanni. Yesterday it was all mess up in the morning. She had to wash clothes cause, Mina, her helper did not come. She was tired when jun came, he helped her and afterwards when he went back, she read silly stories of  women’s era. Then in the evening madam came and she asked them to wrire an essay on their township. Her friend called her and thanked for their help and she felt sorry for her views about her…but at that moment it was truth. Her language is bad enough to make laugh anyone who reads it. Today they will go to TSK to buy Nanha’s shoes and his Birthday dress. मौसम आज भी सुहावना है और मन शांत. कल शाम फोन से उसकी तेलुगु सखी से बात हुई, शायद उनका राजस्थान तबादला रुक गया है, पिछले दो दिनों से अख़बार नहीं पढ़ पायी है, यूँ भी हेड लाइंस तो इतनी पुरानी होती हैं, टीवी पर कई बार सुनी हुईं, ताजा अख़बार पढने का सुख यहाँ नहीं है लेकिन और बहुत सी बातें हैं, जिनके कारण यहाँ रहना उन्हें अच्छा लगता है.



Monday, June 10, 2013

सुपरमैन - बच्चों का मित्र


At last her friend told her about her late sister, she was married and had a five year old  son. On Saturday afternoon her husband told them about the death of her sister, they went to meet them but they were unable to talk so they did not ask anything. Grief makes man helpless, she can not help her in this matter more, she said, will come in the afternoon. Today again it is raining continuously. Yesterday jun was in good humor, he made her laugh, she likes when he is in jolly mood, otherwise also she does like him. In the morning they shared a joke also, it is too good but it happens rarely. She thought it was her fault most of the time, Because when he notices her slight sadness. He withdraws himself, and situation worsens.  So she should remain happy and at ease with herself. they did not get a single letter last week but today she has to write some. So happy were they yesterday that they played ‘Business’ together and saw India quiz on TV. In the evening they visited some friend house but their small child was too naughty to handle, they came back early.

Nanha is having slight temperature he is dull, just now his friend came and now she thinks he will be all right. Yesterday they ate fried peanuts and then rice flakes with milk, may be peanuts were not fresh, she will not use that again.

कल सुबह जब लिखने बैठी तो नन्हे ने सुपरमैन का कैसेट चला दिया, and he was insisting her to watch it, so no more writing and in the afternoon her friend called them, she was not feeling well, so she and Nanha went on bicycle to her place. It was pleasant ride, weather was good and roads were barren. They came back after three hours. It is about to eleven now, since morning she is on her feet doing this and that…routine works like ironing, dusting, preparing lunch etc. And most tiring was answering telephones call, she is feeling now exhausted, weather was stuffy in the morning but pleasant at this moment. Nnha;s school was to reopen today but due to some Assam bandh or something like that it is still closed. Her friend is worried about her husband’s  health, yesterday jun went Dibrugardh with them to see the Doctor.


Friday, June 7, 2013

बाम्बे-कुची कुची


फिर एक अन्तराल, पिछले हफ्ते यात्रा के कारण नहीं लिख सकी, इन्टरव्यू सामान्य रहा, उसने जैसा सोचा था वैसा ही. उसके बाद मन ही नहीं हुआ. उसने बहुत सोचा बाद में कि खुद में विश्वास बढ़ाने के लिए क्या-क्या करना होगा, पर एक सूक्ति पढकर मुस्करा दी.

कल उसने नौ पत्र लिखे, संबंधियों और मित्रों को. नन्हे ने आज घर के काम में उसकी सहायता की, क्लब मीट खत्म हो गयी है और वह सारी सुबह  घर पर था. शाम को पुरस्कार वितरण समारोह है, उन्हें क्लब जाना है.

आज मौसम सुहाना है, नन्हा अपने किसी मित्र के यहाँ गया है, और यही वक्त है डायरी खोलने का, यूँ पिछले दिनों भी खोली पर हर मिनट पर होने वाले नन्हे के सवालों के कारण दो लाइनों से ज्यादा नहीं लिख सकी. पिछले हफ्ते वे तिनसुकिया गये, नन्हे को क्लब में छोडकर. उसे हल्का गुलाबी टॉप मिल ही गया और काले कपड़े पर क्रीम कलर के फूलों वाला स्कर्ट भी.  शनिवार को क्लब गये बच्चों ने बाम्बे फिल्म के ‘कुची कुची’ गाने पर नृत्य किया था. रविवार को गर्मी बहुत थी पर परसों से वर्षा हो रही है. इतवार की सुबह से उसने गुलदाउदी की कटिंग्स लगाने का कार्य शुरू किया है, उसकी बंगाली सखी नहीं है पर उसके दिए फूलों के पौधे तो हैं. बड़ी ननद का पत्र आया है उन्हें पार्सल मिल गया है, स्वेटर पसंद आये लिखा है. एक पत्र बुआ जी का भी आया. परसों उसकी पुरानी पड़ोसिन का जन्मदिन था, उन्होंने यहीं मनाया उसका जन्मदिन, उन्हें अच्छा लगा होगा.

Feeling great in green top and white creased pant. Weather is also pleasant and mind is in tune with it. Last night she felt some uneasiness and jun woke up. She was in trans or something like that maybe it was due to the book she was reading in the evening. But soon she slept and dream t of relatives, bua and chichi were angry with her,  father was sad and looking indifferent. Anyway.. night has gone and morn has come with all of its beauty. So many days are passed without writing a poem, today she thought, mood is poetic …but…to write is not that easy. Yesterday she translated one page of GGM's address to Oil Indian. She thought rather wished it might be up to the mark. Earlier whenever she did the translation work, jun had helped her. Yesterday one good thing also happened, their Assamese teacher came and they studied more grammar. Then she rang her asamiya friend, but her husband answered her questions, he was slow on phone otherwise they cannot understand him, he speaks very fast.

Yesterday when jun brought  club bulletin, it was there, her add for tuition in clear letters. Today morning she got one call from one parent, for his daughter of class four. She referred him to her friend, then she called to ask, when did she decided to give tuition. Nanha came back late after playing tennis with him friends, There is no more coaching now.

Today weather is clear , no more clouds after  4-5 days of heavy rain. Last night and today morning news she heard about  grim condition of flood in Assam. They are safe here in this small town. Last night they saw one Hindi film after so many months. Earlier in the evening there was no current and they were invited by one family to have have dinner with them, they were so kind but she could not properly thank them for their love and helping hand.




   

बाल कृष्ण का नृत्य


कल सुबह वह व्यस्त थी, ढेर सारे कपड़े इकट्ठे हो गये थे, वाशिंग मशीन न हो तो समय और श्रम कई गुना बढ़ जाते. आज भी ग्यारह बजने वाले हैं, नन्हा रिहर्सल में गया है, वह  क्लब में होने वाली ‘चिल्ड्रेन मीट’ में समूह नृत्य में भी भाग ले रहा है, मौसम आज भी ठंडा है, बल्कि समाचारों में सुना, उत्तर भारत में भयंकर गर्मी पड़ रही है और  ज्यादा वर्षा से गुवाहाटी में जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. कहीं बाढ़ तो कहीं भीषण गर्मी, भारत देश अद्भुत है. उसकी बंगाली सखी को उसका पत्र पढकर कैसा लगा होगा, वह जोर से हंस भी सकती है और उदास भी हो सकती है. अब उसे लिखना छोडकर उन सबके लिए फुल्के सेंकने चाहिए, उसने सोचा. आजकल ऐसा ही होता है, डायरी में दिल की बात लिखने के करीब आते-आते  ही इसे बंद कर देना पड़ता है.

दोपहर के दो बजने को हैं. नन्हा आज भी रिहर्सल में गया है और वहीं से खेलने चला जायेगा. जून रोज की तरह ऑफिस में हैं, वह पिछले आधे घंटे से कल का अख़बार पढ़ रही थी और फिर एक बिजनेस पत्रिका के पन्ने पलटती रही, उसकी रूचि का इसमें कुछ नहीं मिला. एक नॉवेल The Humbler Creation पड़ा है पर समय नहीं है अभी, दो बजे से वह इम्ब्रायडरी करते हुए कुछ देर टीवी देखती है, वैसे देखती कम, सुनती ज्यादा है. अपने जन्मदिन तक उसे यह कुरता पूरा करना था पर अब शायद इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि उसी दिन उन्हें सिलचर जाना है, TGT centrl school की पोस्ट के इन्टरव्यू के लिए आज सुबह ही जून ने फोन करके बताया. अब उसे अपनी किताबें भी निकालनी होंगी, गणित, केमिस्ट्री और फिजिक्स की किताबें. आज सुबह उसने तल्ख भाषा का प्रयोग किया और जून को  नाराज किया, पर बाद में बहुत पछताती रही, लेकिन वह कोशिश करेगी कि अपनी भाषा को जून के लिए और सबके साथ भी मधुर रखे. आज असमिया टीचर का फोन आया वह भी नाराज थीं, उन्हें किसी ने बताया क्यों नहीं, कुछ दिन क्लास नहीं होगी, शाम को वे पहले उनके घर जायेंगे और फिर क्लब, नन्हे को कविता पाठ में भी भाग लेना है, उसके लिए वहाँ से कविता लिखकर लानी है.

आज नैनी नहीं आई सो साढ़े दस बजे उसके काम खत्म हुए हैं, कुछ देर के लिए पड़ोसिन भी आ गयी, उसकी चाबी पतिदेव के पास रह गयी थी, फोन करके उसने चाबी मंगाई, कल नन्हे का अंतिम कार्यक्रम है ‘ग्रुप डांस’, आज सुबह एक सखी ने बताया, सिलचर में इन्टरव्यू कैसा हो सकता है, उसकी एक मित्र हाल ही में देकर आयी है. कल से ही स्वयं को हल्का अस्वस्थ महसूस कर रही है, शायद यह मौसम का असर है या फिर आने वाले इन्टरव्यू का जिसके लिए वह स्वयं को थोड़ा भी तैयार नहीं पा रही है, उन महिला से बात करने के बाद तो और भी कम. भगवान ही जानता है, क्या होगा. कल वे बच्चों के नृत्य देखने क्लब गये थे, नन्हा कृष्णसखा के रूप में बहुत सुंदर लग रहा था, पर उसके ग्रुप को कोई इनाम नहीं मिला, हाँ, ‘स्किट’ में उनके ग्रुप को एक पुरस्कार मिला है.  



Wednesday, June 5, 2013

टेनिस की कोचिंग


कल शाम वे घर पर ही रहे, जून एक साथ पांच धर्मयुग ले आये हैं, जिनमें से एक से वह प्रश्न पूछ रही थी, नन्हे को इस तरह के ‘प्रश्नोत्तरी’ कार्यक्रम में बड़ा मजा आता है. कल ‘बकरीद’ का अवकाश है, वह बंगाली परिवार को विदाई भोज पर बुला रही है.

आज धूप बेहद तेज है, नन्हा साढ़े सात बजे आया तो चेहरा धूप से तमतमा रहा था, पर दोपहर को ढाई बजे पुन टेनिस कोचिंग में जाने को तैयार था. इस समय नाश्ता कर रहा है और अपने दोस्तों की बातें बता रहा है, वह अपने जन्मदिन का इंतजार अभी से करने लगा है. आज खाना बनाने का अवकाश है, कल रात को हुए भोज से काफी सारा खाना बच गया है. कल का दिन उन्हें सदा याद रहेगा. सुबह अच्छी थी, दोपहर भी, पर शाम होते ही जब गर्मी में किचन में खड़े होकर पसीना टपका तो थोड़ी उलझन हुई, जून को भी दो-तीन बार बाहर जाना पड़ा, सामान लाने फिर एक मित्र के यहाँ पौधों को पानी देने, जो बाहर गये हुए हैं. इसी सब में एक मित्र परिवार मिलने आ गया, खैर, यह सब हुआ सो हुआ, उनकी दो सॉस की बोतलें टूट गयीं, जो उसने घर पर बनाया था. जून को भी और उसे भी देर रात तक अफ़सोस रहा, पर बीच में रात पड़ गयी और ‘रात गयी बात गयी’ यह कहावत शत-प्रतिशत सही है, अब उन्हें थोड़ा सा भी दुःख नहीं है. यूँ भी उम्र ने इतना तो सिखा दिया है कि दुखी होकर किसी का भला नहीं होता.

आज सुबह मुसलाधार वर्षा हुई, मौसम सुहावना हो गया है, नन्हे के क्लब जाने के बाद वह हल्की फुहार में बाहर टहलती रही कुछ देर, बहुत भली लग रही थीं बूंदें चेहरे पर, हवा भी ठंडी थी. इतनी गर्मी के बाद वर्षा कितनी राहत दे रही है. कल उसकी पुरानी पड़ोसिन वापस आ रही है, वे उन्हें लेने जायेंगे और खाने पर भी बुलाएँगे. आज नन्हे की नई कक्षा की सारी किताबों व कापियों पर कवर चढ़ाने का काम जून पूरा कर देंगे. आज जून के दफ्तर में एक विदाई पार्टी है, वह पूछ कर गये हैं, क्या उनके लिए मिठाई ले आयें, लेकिन उसे मिठाई जरा भी पसंद नहीं है आजकल. सोचकर भी अच्छा नहीं लगता. वैसे भी यहाँ की दुकानों पर क्या शानदार मिठाइयाँ बनती हैं ! नन्हे के आने की आवाज आई, सो उसने लिखना बंद किया.

आज फिर वर्षा की झड़ी लगी हुई है, आज सुबह उठने में थोड़ी देर हुई, यूँ भी घर कुछ बिखरा-बिखरा सा था, ठीक-ठाक करते, खाने की तैयारी करते काफी समय हो गया. कल शाम वह बंगाली सखी से मिलने गयी जो अपनी चचेरी बहन के यहाँ रह रही है, कल वे लोग चले जायेंगे. अब जैसे-जैसे उनके जाने का वक्त आ रहा है, उसे उदासी का अनुभव हो रहा है.

आज मौसम खुशनुमा है और नन्हा ठीक है, उसकी आँखें भी जो कल शाम को लाल हो गयी थीं, अब ठीक हैं, सो उसका मन भी खुश है. कल दोपहर चार पत्र लिखे, जून ने पार्सल भी बना दिया. सुबह एक सखी का फोन आया उसे कुछ दिनों के लिए उनका धोबी चाहिए.  





Tuesday, June 4, 2013

बेबी'ज डे आउट


कल रात समाचारों में सुना कि भूतपूर्व प्रधानमन्त्री श्री मोरार जी देसाई का निधन हो गया, जून का ऑफिस आज बंद है. परसों उन्हें घर जाना है, सो आज ही तैयारी कर लेंगे. एक वर्ष बाद यात्रा करने का विचार ही मन को आनन्दित कर रहा है. नन्हे की वार्षिक परीक्षा ठीक चल रही है, आज तीसरा पेपर है. उसने घड़ी की ओर देखा, लिखित परीक्षा हो चुकी होगी, मौखिक चल रही होगी. उसका रोल नम्बर देर से आता है, सो वह बैठे-बैठे कल की तरह बोर हो रहा होगा या मन ही मन “ब्रेकफास्ट सॉंग” याद कर रहा हो. कल दिन भर गर्मी थी पर शाम होते होते बादल इकट्ठे होने शुरू हो गये, रात भर पानी बरसता रहा, वे दूसरे कमरे में सोये थे पर उमस के कारण नींद ठीक से नहीं आयी, जून उठते ही बोले, वह रात भर नहीं सो पाए, नन्हा भी कैसे चुप रहता बोला, मुझे रात भर ठंड लगती रही. आज वे अपने कमरे में ही सोयेंगे, खुला हवादार कमरा है यह. मदर टेरेसा पर डेसमंड डेजी की किताब पढ़कर उसके मन में भी कुछ करने की प्रेरणा जगी है, रात को सोते समय ये विचार स्पष्ट होते हैं पर दिन भर के कामों में जाने कहाँ गम हो जाते हैं. फिर भी घर से आकर छोटी सी ही सही शुरुआत अवश्य करेगी.

वे यात्रा से लौट आये हैं, इस बार बनारस पहले से कहीं ज्यादा अस्वच्छ लगा. उस घर में लोग भी बहुत हो गये हैं, गर्मी भी काफी थी सो वे तीनों ही वहाँ परेशान से रहे, आने से एक दिन पहले नौका विहार का आनन्द लिया जो सदा याद रहेगा, फोटोग्राफ भी अच्छे आये हैं, काशी विश्वनाथ मन्दिर भी देखा जो बहुत प्राचीन है और बहुत विशाल भी, इसी कारण तो बनारस अपनी अस्वच्छता तथा भीड़भाड़ के बावजूद पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. वे वापस आए तो उसकी पुरानी पड़ोसन बस स्टैंड पर लेने आई थी, उसका स्वागत दिल को छू गया, वह  कल कोलकाता जा रही है इलाज कराने, इंशाल्लाह वह बिलकुल ठीक हो जाये और अगले साल तक उसकी मनोकामना पूर्ण हो. कल दोपहर वह अपनी बंगाली सखी के घर गयी, वे लोग सदा के लिए दिल्ली जा रहे हैं, पहले-पहल यह खबर सुनकर वह बहुत उदास हुई थी, पर अब मन संभल गया है.

नन्हे की टेनिस की कोचिंग चल रही है, सुबह पांच बजे जाता है और दोपहर बाद भी. स्कूल बंद है सो समय ही समय है उसके पास. कल वह दोपहर को अपना एक कुरता काढ़ने में व्यस्त थी, शाम को लाइब्रेरी गये वे. आज सुबह समय निकाल कर बेडरूम की दोनों अलमारियां साफ़ कीं. दोपहर को गेस्टरूम की करने का इरादा है, फिर रह जाती है स्टोर व  किचन की सफाई तथा डाइनिंग रूम के शेल्फ की सफाई, इतवार तक पूरा घर स्वच्छ दिखेगा. नन्हा इस वक्त पडोस के मित्र के यहाँ गया है.


आज इतवार है, सुबह नाश्ता करके दोनों चले गये, नन्हा अपनी आर्ट क्लास में और जून कार को गैराज ले गये हैं. कल शाम वे उन्हें अपने दफ्तर ले गये नन्हे को कम्प्यूटर गेम खिलाने. आज मौसम गर्म है, मई शुरू हो गया है पर कल उन्होंने पहली बार एसी चलाया. शाम को जब टहलने गये तो गेस्ट हॉउस से घर तक का रास्ता बोझिल लगने लगा, जैसे-जैसे गर्मियां बढ़ती जाएँगी शामों को टहलना मुश्किल होगा, फिर रात्रि भ्रमण या प्रातः भ्रमण ही उचित होगा. नन्हे की टेनिस कोचिंग के कारण सुबह जल्दी उठने की आदत पड़ती ही जा रही है. कल शाम वे ‘बेबी’ज डे आउट’ का कैसेट भी लाये, अच्छी फिल्म है, छोटे से बच्चे का अभिनय काबिले तारीफ है.

कयामत का दिन


ठंडी, शीतल मंद पवन, आकाश पर छाये काले कजरारे बादल..गीला-गीला सा या कहें भीगा- भीगा सा मौसम.. मगर उसका दीवाना मन.. इधर-उधर क्यों तक रहा है, स्थिर नहीं है कुछ परेशान सा कुछ हैरान सा...सारा काम हो गया है. अभी अभी ‘कुरान’ में ‘जोसेफ’ एक कहानी पढ़ी, अच्छी लगी. कल उसके कुछ अन्य अध्याय पढ़े थे, उसमें न्याय का दिन यानि  ‘कयामत का दिन’ और नास्तिक लोगों पर उस दिन होने वाले न्याय का यानि उन्हें नर्क में धकेले जाने का बार-बार जिक्र आता है. सच्चे धार्मिक लोगों को जन्नत मिलेगी. खैर.. यह  नामालूम स उलझन क्यों है, शायद इसका कारण है वह किताब जो उसे अपनी ओर खींच रही है, जो कल वह लाइब्रेरी से लायी थी, जिसे रात को पढ़ना शुरू किया पर नन्हे को सुला ने के लिए कहानी सुनाते खुद भी सो गयी. कल नन्हे की कक्षा का असेम्बली कार्यक्रम है, इस वर्ष का अंतिम कार्यक्रम, वह तैयारी करके सोया है.

आज मार्च का अंतिम दिन है, कल रात की मुसलाधार वर्षा से तो लगता है यहाँ वसंत के बाद सीधा सावन ही आ जाता है. बाहर बगीचे में फूलों के पौधे तेज पानी की बौछार की कारण नीचे बिछ गये हैं. रात भर आराम के बाद सूरज महाशय भी  गये हैं ताकि ठंड से सिकुड़े पेड़-पौधों को थोड़ी गर्मी त मिले. कल पंजाबी दीदी का खत आया, उन्हें उसी वक्त अस्पताल जाना था, एक परिचित की नवजात शिशु कन्या के जन्म पर, ठीक से पढ़ा नहीं खत उस वक्त. अभी पढ़ा तो पता चला, मई में उनके दूसरे बेटे का विवाह है, बुलाया है. कल शाम को ही पड़ोसिन ने मेडिकल गाइड मांगी, उसे पता चला है कि हृदय का कोई रोग हो गया है.

अप्रैल का महिना आरम्भ हुए आज चौथा दिन है, और उसकी डायरी को खबर तक नहीं.. इस बार ऐसा संयोग हुआ है क चैत्र का महिना भी पहली अप्रैल से ही आरम्भ हुआ, यानि राम नवमी नौ को ही पड़ेगी. इस महीने उन्हें घर जाना है, नैनी भी छुट्टी पर गयी है, खुद काम करने में थोड़ी परेशानी तो होती है, पर नन्हे की वार्षिक परीक्षा आने वाली है, दोपहर को उसे पढ़ाते वक्त कोई व्यवधान नहीं होगा, अपनी सुविधा से वह काम कर सकती है, ईश्वर जो करता है अच्छा ही करता है, यह बात और है कि इन दिनों वह उससे दूर होती जा रही है. इतवार को उसने इडली बनाई, जून ने एक मित्र को बुलाया था. शाम को एक मित्र परिवार आया, कुछ भी हो हर इन्सान को मैत्री की आवशयकता होती है, मित्रों की छोटी-मोटी कमियों की ओर ध्यान न देकर उनकी अच्छाइयों की ओर ध्यान देना चाहिए, तभी दोस्ती बनी रह सकती है, और तभी सुख दे सकती है अन्यथा एक चुभन.   





Monday, June 3, 2013

श्वेत कंचन फिर झरा


कल शाम को चली तेज हवा और रात को हुई वर्षा के कारण आंगन, लॉन और बाहर गेट तक का रास्ता पत्तों, धूल मिट्टी से अटा पड़ा है, साढ़े नौ से ऊपर हो गये हैं लेकिन स्वीपर का अता-पता ही नहीं है. घर में भी धूल की परत फर्श को मैला कर रही है. और ऐसी ही एक हल्की उदासी या कहें तल्खी की परत उसके मन पर छायी है जो नन्हे के बचपने के कारण हुई है या इस बात से की वे ही कहीं चूक गये हैं जो वह थोड़ा लापरवाह हो गया है और काम समय पर नहीं करता है. अभी-अभी उसकी बंगाली सखी का फोन आया, उसने ‘लेमन-राईस’ के बारे में पूछा है, बातों बातों में उसने यह भी बताया कि वह अपनी माँ की पुरानी डायरियां  पढ़ती है. जब घर जाती है.  

कल दोपहर को जब खाना खाकर जून और वह सो रहे थे, बेल बजी, स्वीपर आया था घर तो साफ हुआ ही, ड्राइव वे और घर के पीछे का नाला भी, लेकिन उनकी सपनों भरी मीठी नींद खराब हुई, सपने से उसे याद आया कि कल रात की तरह ज भी उसे एक सपना आया, कल के स्वप्न में ‘रूम ऑफ़ इटरनल लाइट’ था और आज तो एक डाक बंगला था, लोहे के दो बड़े गेट, आधुनिक किचन और चाय पीने वाली दो मेहमान लडकियाँ. बहुत दिनों बाद उसे स्वप्न सुबह उठने के बाद याद रहे हैं. कल के स्वप्न में था विषैला भोजन...शायद ‘चन्द्रकान्ता’ का असर रहा हो. वह पिछले हफ्ते लाइब्रेरी से ‘कुरान’ पर भी एक पुस्तक लायी थी, पर अभी तक ऐसा कोई वाक्य नहीं मिला जिसे डायरी में लिखे. आज नन्हे का मैथ्स टेस्ट है, तैयार हो गया है सुबह जल्दी उठा यह सोचकर कि आधा घंटा पढ़ेगा पर अब इधर-उधर करके समय यूँ ही बिता रहा है. 
आज पूरे एक सप्ताह बाद लिखने का सुयोग हुआ है, पिछला हफ्ता ‘होली’ के नाम था, पहले दो-तीन दिन तो होली के पकवान बनाने में बीते, एक दिन नमकीन भुजिया, दुसरे दिन मठरी, तीसरे दिन शकरपारे और गुझिया फिर होली की पार्टी. अगले दिन पतंगबाजी, लेकिन हवा ने साथ नहीं दिया तो कैरम खेला. फिर एक दिन आराम. मौसम सुहाना है जैसा वसंत का होता है, जब फूलों की खुशबु से भरी हवा बहा करती है. उनके घर के सामने वाला सफेद कंचन का पेड़ पूरा भर गया है, तेज हवा सूखे पत्तों व फूलों की पंखुड़ियों को साथ उड़ा कर लाती है और भूमि सफेद हो जाती है. आजकल रोज ही ऐसा होता है. आज शाम उसे लेडीज क्लब की सेक्रेटरी से मिलने जाना है, उस दिन जो लेख लिखकर दिया था फिल्मों के गीतों के बदलते हुए ट्रेंड पर उसी के बारे में कुछ बात करनी है. कल शाम उसने लकड़ी की बैलगाड़ी पर पुष्प सज्जा की जो जून को बहुत पसंद आयी. तीसरा स्वेटर भी बनाना शुरू कर दिया है.