रात्रि के नौ बजने वाले हैं, कमरे में शीतल सुगंधित पवन बहकर आ रहा है।प्रातः सूर्योदय के सुंदर दृश्य भी देखे थे, कुदरत मानव को लुभाने के कितने अवसर जुटाती है पर वह है कि अधिकतर समय कमरों में बंद ही रहता है; न हो तो कुदरत के सौंदर्य को बिगाड़ने के फेर में लगा रहता है। सड़क चौड़ी करने के नाम पर कितने पुराने पेड़ काट दिये गये, जिन्हें बड़ा होने में वर्षों लगे थे, उन्हें एक दिन में ही धूल धुसरित कर दिया गया। नाश्ते में सहजन के पत्तों के पराँठे बनाये, जो घर आते सड़क किनारे के एक पेड़ से उसे आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने तोड़े थे। सहजन का वृक्ष भी प्रकृति का एक और वरदान है, इसके पत्ते, फूल और फल सभी गुणों से भरे हैं । दोपहर को एओएल का अनुवाद कार्य भेजा, समन्वयक ने कहा उसकी एक तस्वीर भी चाहिए, टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने माँगी है। नन्हे की दी ‘माइकल ए सिंगर’ की पुस्तक ‘सरेंडर एक्सपेरिमेंट’ आगे पढ़ी, बहुत अच्छी है। नन्हे को इस तरह की पुस्तकों में रुचि है, पिछली बार उसने ‘कुंडलिनी’ नाम की एक पुस्तक दी थी; वर्षों पहले उसने इस्कॉन की पुस्तकें पढ़ना शुरू किया था, पर बाद में कॉलेज की पढ़ाई और मित्रों के साथ से सब छूट गया; पर उसे यक़ीन है एक दिन वह भी आत्मा की खोज में अवश्य जाएगा, हरेक को जाना ही पड़ता है।
सोनू ने नये कुशन कवर भेजे हैं, जिस पर सुंदर गुलाबी फूल बने हैं। उनका फ्रिज भी आज ठीक हो गया। पहली बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया में उसके फ़ोटो के साथ आयुर्वेद पर लेख छपा है। कल से उन्होंने रात्रि भोजन का समय बदल दिया है, रात्रि भोजन और सोने के मध्य कम से कम दो घंटे का अंतर होना चाहिए, ऐसा कितनी ही बार स्वास्थ्य विशेषज्ञों से सुना है। गहरी नींद लाने के लिए सोने से पहले योग निद्रा करना भी अच्छा है। शाम को गुरु जी का सत्संग सुना। उन्होंने कहा, व्यक्ति को चिंता नहीं चिन्तन करना चाहिए, अपने मन की गहराई में बसे ईश्वरीय प्रेम पर सदा भरोसा करना चाहिए। छोटे भांजे के लिये एक कविता लिखी, परसों उसका जन्मदिन है। आज एक पुरानी डायरी को विदा दे दी, इसी तरह एक-एक करके पुरानी वस्तुओं को विदा देनी है, ताकि अंतिम यात्रा तक बिलकुल ख़ाली हो जाये मन !
आज का दिन विचित्र अफ़रातफ़री में बीता। जिसकी शुरुआत कल रात साढ़े ग्यारह बजे से ही हो गई थी; जब अचानक उनकी नींद कुछ आवाज़ें सुनकर खुली। पहले लगा जैसे कुछ समान कहीं गिरा हो, पर जब रुक-रुक कर आवाज़ें आने लगीं तो समझ में आया कहीं इलेक्ट्रिकल फ़ॉल्ट है, एक-एक करके फ्यूज उड़ रहे हैं। जून नीचे गये तो पता चला, सॉकेट बॉक्स में चिंगारी निकल रही है, उन्होंने मेन स्विच बंद कर दिया। नीचे से आवाज़ें आनी बंद हुईं तो ऊपर भी आवाज़ें आयीं, फिर कुछ देर में सब शांत हो गया। कुछ भी समझ नहीं आया तो वे सो गये। पर सुबह साढ़े तीन बजे पुन: आवाज़ें आने लगीं, इस बार ऊपर का बोर्ड भी जलने लगा था। उन्हें पहले ही सारे घर का मेन स्विच बंद कर देना चाहिए था। पर कहते हैं न ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि’ ! ख़ैर, सुबह वे अपने निर्धारित समय पर उठे, छह बजे इलेक्ट्रीशियन आया। दो-तीन घंटे लग गये पुन: बिजली बहाल होने में। इस बीच काफ़ी कुछ ख़राब हो गया। किचन की चिमनी, गूगल होम, होम ऑटोमेशन, मॉडेम, मेश आदि ख़राब हुए हैं। इसका कारण मेन न्यूट्रल में कुछ ख़राबी थी, जिसका ख़ामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। दिन भर कई लोग आते रहे, अभी चिमनी वाला कल आएगा। आज एक और समस्या हुई, लैप टॉप का चार्जर भी ख़राब हो गया है, अब डेस्क टॉप पर काम करना है।
आज वेलेंटाइन डे है, पुरानी लिखी एक कविता पोस्ट की, सोचा, अगले साल अवश्य ही नयी लिखेगी। सुबह कुछ पंक्तियाँ लिखीं थीं, पर टाइप नहीं कर सकी। दो दिन से नेट काम नहीं कर रहा। आज नन्हे ने नया राउटर लगा कर दिया है, पर डेस्क टॉप में नहीं आ रहा है।हॉट स्पॉट से लेना होगा। रात का देखा एक स्वप्न याद रह गया, जिसमें एक पुराने परिचित परिवार के एक सदस्य काफ़ी अस्वस्थ हैं, उन्हें बुलाया है।बच्चों के लिए सुबह नाश्ते में अप्पम बनाये। लंच में घर में उगायी पालक की सिंधी सब्ज़ी, यानी साई भाजी । शाम को वे चले गये, आज उन्हें एक महीने के लिए एक मित्र के घर में शिफ्ट होना है, उनके अपने घर में सिविल का काम होना है। मित्र अपने काम के सिलसिले में बाहर गया हुआ है। प्रकृति हर समस्या का हल पहले से ही निकाल देती है।