Tuesday, October 30, 2012

लौंग-इलाइची वाली तहरी



कल के बादल अभी घिरे हैं, कालेज गयी थी, लौटी तो देखा नन्हा फिर सोया नहीं था दोपहर को. जून को पत्र लिखा, गोंद नहीं थी सो सेलो टेप से चिपकाया, पर ठीक से नहीं हो पाया है. सारनाथ के बारे में अभी तक नहीं लिखा है, सिन्हा व सुधा मैम से कहा किताब के लिए पर उन्होंने नहीं दी, लड़कियों का हक है जिन पर उन किताबों पर भी अध्यापिकाएं अपना अधिकार जमा लेती हैं. उसने तय किया भविष्य में कभी उनसे कुछ नहीं मांगेगी. एक किताब खरीदी उसने, पर विशेष लाभ नहीं हुआ, खैर कुछ ही सही. कल से तीन दिनों के लिए कालेज बंद है. ढेर सारे काम करने हैं और पढ़ाई तो करनी ही है.

छुट्टी का पहला दिन कैसे शुरू हुआ और कैसे बीत गया वह स्वयं भी नहीं समझ पायी, सुबह का वक्त तो रोज ही व्यस्तता में गुजरता है, फिर नन्हे को पढ़ाने लगी, दोपहर का भोजन, उसे सुलाना और तीन बजे जब पढ़ने आई तो बिजली गायब, दस मिनट बिना बिजली के पढ़ा तो माँ ने ऊपर बुला लिया, घर का वातावरण सामान्य हो गया है. फिर ननद का फोन आया, उसकी किसी मित्र के यहाँ जाना है. तभी पोस्टमैन आ गया, जून के दो पत्र थे, पढते ही सुधबुध खो गयी पर उन्हें देर तक एन्जॉय करने का समय ही नहीं था, अर्थात वह फौरन उसे जवाब नहीं लिख सकी. वहाँ से लौटे तो आठ बज चुके थे. भोजन बनाया, पत्र लिखा..आम पत्र नहीं , प्यार का दस्तावेज, चालीस नम्बर का नहीं पैंतालीस...पिछले दिनों वह  नम्बर गलत डाल रही थी
शुभ प्रभात ! आज वह सुबह जल्दी उठ गयी है, रात को आशिक चन्द्र ग्रहण देखा था, मकान मालकिन के यहाँ गांव से कुछ महिलाएं आयीं थीं कल गंगा स्नान करने. अभी समाचार देखने के बाद टीवी बंद क्र रही थी कि पेन नीचे गिर गया, रिफिल बेकार हो गयी, कितना प्रयास करना पड़ रहा है उसे चंद पंक्तियाँ लिखने में. दक्षिण अफ्रीका में पुलिस कितनी बर्बर है, अभी महिलाओं पर लाठी चार्ज होते देखा समाचारों में.

जैसे नियमित वह लिख रहे हैं वैसे ही नियमित आजकल उसे खत मिल रहे हैं. माँ-पिता जी का भी पत्र आया है, उन्होंने लिखा है, अप्रैल में वे तीनों वहाँ आएंगे, इसकी प्रतीक्षा वे लोग कर रहे हैं. उसने सोचा तब की तब देखेंगे, अभी से कुछ नहीं कह सकती. उसने एक सप्ताह में एक विषय पढ़ने का निश्चय किया, ग्यारह बजे उसने बत्ती बंद कर दी.

तीन दिन बाद कालेज गयी, आरती मैडम जब लेक्चर दे रही होती हैं, उसे बहुत अच्छा लगता है, उनकी क्लास ही सबसे अच्छी होती है. और एक मेहरा मैम हैं, कल के लिए पढ़ने को कहा  है पर..कल या तो वह खुद अनुपस्थित हो जाएँगी या भूल ही जाएँगी. फिर भी उसे पढ़ना तो है ही. यह प्रथम पेपर है भी द्रौपदी के चीर की तरह कहीं भी इसका ओर-छोर दिखाई नहीं देता.

आज उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं लग रहा है, हल्का ज्वर सा लग रहा है, कालेज में थकान लग रही थी. सुबह अंगूर खाए, अच्छे लगे, बाकी चीजें कड़वी या फीकी लग रही हैं.

आज फिर वह सुबह कालेज चली तो गयी पर बीच में छोड़ कर आना पड़ा, बुखार बढ़ गया था. अब लगता है कुछ दिन घर पर ही आराम करना होगा.

आज स्नान किया उसने पूरे आठ दिनों बाद, अभी भी मुंह कड़वा है, पिछले आठ दिनों में मन में न जाने कितने बवंडर उठे हैं पर उन्हें याद करना क्या बहुत जरूरी है.

आज शिव रात्रि है, काफी ठीक महसूस कर रही है पर सब्जी में कोई स्वाद नहीं आ रहा. सोच रही है रात को खाना खुद ही बनाएगी. यहाँ खाने में विविधता नहीं है, रोज वही मसूर की दाल या मूंग मिली अरहर, इसके अलावा भी दुनिया में कुछ होता है, यहाँ लोग जानते ही नहीं. सब्जी भी वही आलू गोभी टमाटर, खूब भुनी हुई. वड़ी वाले चावल, गोभी वाले चावल, लौंग बड़ी इलाइची वाली तहरी, मूली, गोभी के परांठे..सब सपने की चीजें होकर रह गयी हैं. यहाँ खाने का मतलब पेट भरने से है, सच है आजादी से बढकर कोई वस्तु नहीं , अपने घर में वह आजाद थी, खुश, निर्द्वन्द्व कुछ भी करने को स्वतंत्र !



सारनाथ का टूर



कालेज में नागर मैडम ने कुछ आवश्यक बातें बतायीं, जो हर टीचर पहले भी कई बार दोहरा चुकी है, उसके बाद कोई टीचर नहीं आयी. एक बजे ही वह घर आ गयी थी, रास्ते में अखबार खरीदा और कम्पीटीशन सक्सेस. थोडा बहुत पढ़ते रहना चाहिए, आरती मैडम ने बताया कि यूजीसी परीक्षा की तैयारी करके अगले वर्ष जरूर देनी चाहिए. जून को भी लिखेगी इस बारे में और रही बात नवोदय स्कूल में नौकरी की तो वह  उसके लिए नहीं है. स्वप्ना से उसने सेंट्रल स्कूल के फार्म के लिए कहा है, अभी उसे कल की कक्षा में पढ़ने के लिए पढ़ना है.

फरवरी के पांच दिन बीत गए, आज कालेज में थोड़ी पढ़ाई जरूर हुई. अगले हफ्ते मंगल को उनका सारनाथ जाने का कार्यक्रम है, एक्टिविटी में वही फ़ाइल शेष रह गयी है. जून ने लिखा है कि अप्रैल में जीएम से छुट्टी मांगना उनके लिए बहुत मुश्किल होगा, सिर्फ पांच सीएल लेकर वह यहाँ आएंगे जससे अक्टूबर में ज्यादा छुट्टियाँ ले सकें. पर वह जो दम भरते हैं कि उसके लिए कुछ भी कर सकते हैं, देखें उसकी बात कहाँ तक मानते हैं.

सोमवार होने के बावजूद आज भी कालेज में वही हाल रहा, एक टीचर को छोड़ कर कोई क्लास में ही नहीं आई. कल सारनाथ जाना है.

सारनाथ गयी, नन्हे को नहीं ले जा सकी जैसा उसने सोचा था. ले जाती तो कोई हर्ज नहीं होता पर यह उनकी नागर मैडम उसूलों से बंधी हुई जैसे एक नन्हे के जाने से...खैर प्रोग्राम अच्छा ही रहा, कभी-कभी बोरियत भी हुई लड़कियों के बेहिसाब गाना गाने से. मंदिर भी देखे, स्तूप भी और खंडहर भी, पर उनके बारे में लिखना भी तो है. संग्रहालय भी देखा. जितना स्वयं लिख सकती है वह तो एक-डेढ़ पन्ने का ही होगा..खैर शायद किसी किताब से थोड़ी सहायता मिल जाये. नन्हे के लिए दो-तीन किताबें खरीदीं उसने कहा था, ‘मेरे लिए पुस्तक लाइयेगा’. भोजन जितना ले गयी थी आधा भी खत्म नहीं हुआ था, एक भिखारिन को दे दिया. स्वप्ना, रीता, कविता और एक लड़की, वह खुद, इन पाँचों ने सभी कुछ साथ देखा. लिम्का पिया उसने, जून के साथ कहीं जाने पर वे लिम्का ही पीते थे. घर आते ही उसका पत्र मिला, वह  आस्ट्रेलिया जायेगा. लिखा है, क्या मंगाना है लिस्ट बना लो..वह उसे कितना चाहता है.  

मन परेशान है, आँखें बरसने को आतुर, घबराहट, आक्रोश, दुःख सभी कुछ एक साथ महसूस हो रहा है. जून का एक बहुत प्यारा सा खत मिला है, पर इस मन का क्या करे. खत मिला था तब बहुत खुश थी, पर नन्हे की परवरिश को लेकर एक ऐसी बात हो गयी है कि...समझ नहीं आता क्या होगा अब. कल सारनाथ जाने से पूर्व वह चने की उबली दाल रख गयी थी कि इसको छौंक लगाकर नन्हे को खिला दें, मकानमालिक के यहाँ ब्राह्मणों को खिलाने के लिए खूब मिर्च वाली पूरी-सब्जी बनी थी वह नहीं, पर शाम को आकर देखा तो दाल वैसे ही पड़ी थी, सुबह कालेज जाने से पूर्व वह किसी बर्तन को ढूँढ रही थी तो कटोरी में खराब दाल की महक आयी, तभी उसे फेंक देना चाहिए था, क्योंकि कालेज से वापस आकर पता चला कि वही दाल आज उसे खिला दी, उसे बहुत खराब लगा और उसने कह दिया कि ऐसा नहीं होना चाहिए था, इसी बात पर सभी नाराज हैं. हुआ करें नाराज, आज के बाद नन्हे को बासी तो नहीं खिलाएंगे न.






Monday, October 29, 2012

अदरक वाली चाय



परसों उसकी परीक्षा है, आठवीं कक्षा को विज्ञान में ‘चुम्बकत्व’ पढाना है, उसने सोचा, सिलसिलेवार प्रश्नों को याद करेगी तथा बोध प्रश्न भी. दूसरा पीरियड है सो ज्यादा इंतजार नहीं करना पडेगा, बारह बजे तक मुक्त हो जायेगी. अगले दिन वसंत पंचमी का अवकाश है. जून का पत्र आया है, उसे कई दिन कोई पत्र नहीं मिला यह सोच कर नूना को भी अच्छा नहीं लगा. पूरे पांच महीने हो गए उसे यहाँ आए हुए, अब दो ढाई महीने ही शेष हैं.

कल उसका बीएड का पहला प्रेक्टिकल हो गया, उसके हिसाब से तो ठीकठाक ही हुआ, अब देखें कैसे नम्बर आते हैं. कल गणित का है, जो परीक्षक आए हैं उनमें से एक गणित के हैं, आज वह थोड़ा ज्यादा सजग रहकर पढ़ाएगी, और समय का ध्यान रखते हुए जल्दी-जल्दी भी ताकि एक अन्विति तो पूरी हो जाये. परीक्षा तो जल्दी हो गयी थी, पर मैडम के आदेशानुसार दो बजे तक बैठा रहना पड़ा, कल की परीक्षा का समय जानने के लिए. टिफिन तो ले नहीं गयी थी, पहली बार कालेज कैंटीन में खाया पकौड़ा, स्वप्ना, कविता और उसने. सिर में दर्द कॉलेज में ही शुरू हो गया था, घर आयी तो बढ़ गया था, दवा ली, अब ठीक है. नन्हा आजकल खूब बातें करता है और गाना गाता है, टीवी पर जो भी सुनता है. पढ़ाई-लिखाई तो आजकल उसकी बिलकुल नहीं हो रही है, कल से उसे रोज एक घंटा पढ़ाएगी उसने मन ही मन सोचा. ननद अदरक वाली चाय दे गयी है, सिर में दर्द है यह पता चलने पर माँ-पिता व ननद सभी उसका बहुत ख्याल रख रहे हैं, वे सभी अन्ततः बहुत अच्छे हैं, वे जून के माता-पिता हैं, उसे भी ऐसे ही संस्कार मिले हैं, प्यार और स्नेह की शीतलता भी.
आज दूसरा प्रेक्टिकल भी हो गया, परीक्षक संतुष्ट नहीं थे, अब टीचर ने उन्हें जैसे बताया वैसे ही तो पढायेंगे न.. दो दिन छुट्टी है, परीक्षा के बाद कितना सुकून, लेकिन एक खालीपन सा लग रहा है, उसने सोचा कोई पत्रिका लाएगी. सभी को खतों के जवाब भी देने हैं.

आज धर्मयुग लायी, और नन्हे के लिए एक चित्र कथा खरीदी. नन्दन, पराग सभी उसे खरीदने को कहा पर वह कृष्ण का नाम सुनकर उसी को खरीदने की जिद कर रहा था. वसंत पंचमी का दिन अच्छा बीता, अब परसों से फिर कालेज और किताबें.

जून ने नवोदय स्कूल का फार्म भेजा है, शायद वह जानता नहीं है इन स्कूलों में अध्यापकों को वहीं रहना होता है. उसका एक पत्र तो पूरे एक महीने इधर-उधर घूमने के बाद मिला है, छब्बीस नम्बर का खत. आज कालेज की भूतपूर्व प्राचार्य श्रीमती सुन्दरी बाई के निधन पर शोक सभा थी, लड़कियों ने खूब शोर मचाया. एफिडेविट के लिए क्लर्क ने किस अजीब तरह का जवाब दिया पर नागर मैडम ने बहुत अच्छी तरह समझाया, वह अच्छी अध्यापिका ही नहीं अच्छी इंसान भी हैं. माँ का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, वह बहुत जल्दी घबरा जाती हैं, कराह कर बोलती हैं, जिससे सभी लोग समझें कि बहुत बीमार हैं, या बीमार होकर हर व्यक्ति सबका ध्यान आकर्षित करना चाहता है.

Saturday, October 27, 2012

छब्बीस जनवरी



सुधा मैडम से उसने कह तो दिया कि पता पास होने से ट्यूटर घर पहुंच जायेंगे पर..कितनी मुश्किल हुई होगी उन्हें घर ढूँढने में, शायद मिला भी न हो, आज आयेंगी तो पता चलेगा या फिर पाल मैडम से..वह भी क्या सोचेंगी न..कल रात भर परेशान रहा मन, वही कालेज के सपने...सिन्हा मैडम आयी हैं हमारे घर पर, वही जो बात बात पर इतनी परेशान हो जाती हैं. उन्हें चाय देने में इतनी देर लग रही है, पहले गुड़ की चाय बनाती हूँ और फिर प्लेट भी साफ नहीं है और टूट गयी है..किसी बात को लेकर मन कैसे बेचैन हो जाता है, हम बेबस हो जाते हैं उसके सामने, सोचने की कोशिश करती हूँ कि कुछ और सोचूं पर सिर के दोनों और की शिराएँ..जैसे लगता है कुछ दबा रहा है सिर को. भविष्य में कभी ऐसा काम नहीं करेंगे...कि किसी टीचर से वादा कर दिया हम आपका यह काम कर देंगे. उसने खुद से कहा इतना परेशान होने की आवश्यकता नहीं है, ईश्वर सहायता करेंगे और सब ठीक होगा...और सब ठीक हो गया, ट्यूटर मैडम के घर गया था और बात लगभगतय हो गयी. कल मैडम ने गणित का लेसन प्लान दुबारा लिखने को कहा. नन्हे को आज उसने बहुत दिन बाद डांटा ठीक से भोजन न करने के कारण.
जून का पत्र आया है, जल्दी-जल्दी लिखने पर भी इंतजार करना ही पड़ता है उन दोनों को, बड़ी ननद का भी, और छोटी बहन का भी, सो जवाब देने को तीन पत्र हो गए हैं, जब भी समय मिला, लिखेगी. कल एक नई जगह जाना है पढ़ाने ठीक से उसे रास्ता भी पता नहीं है, पर पहुंच ही जायेगी. अभी चार्ट बनाने का काम शेष है, माह के अंत में परीक्षा होते ही सारी व्यस्तता खत्म हो जायेगी. नन्हे को हेयरकट के लिए ले गयी थी, दस रूपये लिए, उसे ज्यादा लगे, अगली बार जायेगी तो पूछेगी. आज टीचर ने इंटरनल असेसमेंट किया कक्षा का..देखें क्या परिणाम आता है, कुछ भी हो उसे पता नहीं क्यों अब उतनी उत्सुकता नहीं है जैसे पहले हुआ करती थी.
जून के तीन पत्र आये हैं स्नेह से भरे हुए..छोटे भाई का पत्र भी आया है. कालेज गयी थी पहले पढ़ाने फिर अपने, काम थोड़ा सा था पर समय काफी लग गया, चुम्बक मिल गया जो उसे विज्ञान की कक्षा के लिए चाहिए था.
छब्बीस जनवरी इस बार कितनी चुपचाप आयी और जाने भी वाली है, सुबह बिजली न होने के कारण परेड भी नहीं देख सकी. फिर नन्हे को लेकर कालेज गयी वहाँ झंडा आरोहण देखकर कुछ अच्छा लगा..इस समय चित्रहार आ रहा है पर आवाज इतनी तेज है कि.. जैसे लाउडस्पीकर बज रहा हो, एक भी गीत गणतन्त्र दिवस से जुड़ा हुआ नहीं है. जैसे ऊटपटाँग गाने हैं वैसे ही दृश्य.


नन्हे की चिट्ठी



आज उसे तीन पत्र मिले, पिछले दिनों छाये उदासी के बादल छंट गए हैं और जो कुछ बचे थे बरस भी गए हैं. प्रेम मन को हल्का कर देता है. प्रेक्टिकलस् की तारीखें आ गयी हैं, अब जनवरी के अंतिम सप्ताह में होंगें. अब ठंड भी कम हो गयी है, धूप निकलती है पर वह तो धूप में बैठ नहीं पाती, उसने सोचा अब अगले वर्ष बैठेगी धूप में अपने ‘उनके’ साथ अपने घर में. इस डायरी में कुछ लिखने की आदत सी हो गयी है, यह उसने दी थी न, उसकी यादें जो हैं इसके साथ..और कभी उसने यह जानना चाहा कि वह क्या करती थी उसके बिना तो..आज मंझले भाई का पत्र मिला. बड़ी बुआ व फुफेरे भाई का नए वर्ष का कार्ड आया है, वही लिखाई, वही शब्द, वही तरीका इतने सालों में कुछ भी नहीं बदला है क्या उसमें ?

दस बजे हैं, अभी कालेज के लिए तैयार होना है. मौसम आज फिर बहुत ठंडा है. सुबह सिर धोया, कपड़े भी चार-पांच दिनों बाद. नन्हे को नहलाया, कल रविवार है शायद समय न मिल पाए. मकान मालकिन के पिता जी की तबियत ज्यादा खराब हो गयी है, उनके यहाँ चुप्पी छायी है. लगता है उनका अंत समय निकट है.
कल की आशंका सही निकली, सुबह नौ बजे वृद्ध सिधार गए, पूरा घर क्रन्दन से भरा हुआ  है. उनके घर में छोटे से बड़े सभी रो रहे हैं. औरतें ज्यादा रो रही हैं, सबसे छोटी नातिन के रोने की आवाज यहाँ तक आ रही है, उन्हें गंगा जी ले जाया रहा है, औरतें व बच्चे ऊपर आ रहे हैं, सीढियों पर रुदन कैसे गूंज रहा है, इसके सिवा कर भी क्या सकते हैं मृत्यु के सम्मुख. कल रात भर कोई नहीं सोया, सभी रोगी को घेर कर बैठे रहे जैसे मृत्यु को उनके पास नहीं आने देंगे पर...ऐसा भी कहीं होता है. नन्हा यहीं कमरे में है सुबह से, आज वह कालेज नहीं गयी, ननद बैंक गयी है. वह पापा को चिट्ठी लिख रहा है, “पापा, आप जल्दी से आ जाइये, मैं आपको बहुत याद करता हूँ, और आपका भी मन वहाँ पर नहीं लगता होगा. और आप  इस समय क्या कर रहे हैं, हम आपको चिट्ठी लिख रहे हैं ममा की तरफ से, उनका भी मन नहीं लगता है आपके बिना. प्रीति के नाना जी की तबियत ज्यादा खराब हो गयी है इसलिए हम ज्यादा नहीं बोल रहे हैं, आप ठीकठाक से हैं न पापा?

आज वह कालेज गयी पर दो बजे ही लौट आई, कल फार्म जमा करना है, जून के मित्र से नाम बदलवाने के लिए अफिडेविट बनवाने के लिए भी कह दिया है, विवाह पूर्व का नाम अब नहीं भरा जायेगा, उनके घर गयी, रंग-रोगन चल रहा था, अगले महीने उनके यहाँ विवाह है. जून का पत्र आज नहीं आया, मंझले भाई को भेजा पार्सल भी कहीं रास्ते में रह गया है.

आज कालेज में विशेष काम नहीं हुआ, फार्म वापस कर दिया गया पूरा करने के लिए, पर इंटरमीडियेट का रोल नम्बर वह नोट करके ले ही नहीं गयी थी, अब कल जाकर सिन्हा मैम की डांट खानी पडेगी. दो महिलायें आयीं थीं आज कक्षा में किसी रिसर्च वर्क के लिए, दो टेस्ट दिए, ‘मनोवैज्ञानिक परीक्षण’. एक तो वह दिन, ऊपर से जून का खत नहीं आया, फिर नन्हा भी पूर्ण स्वस्थ नहीं दिख रहा, बात कुछ जम नहीं रही है, पर...इतनी जल्दी परेशान नहीं होना चाहिए. आज आया है उनका खत बाईस नम्बर का और उसने भी इसी नम्बर का खत पोस्ट किया.



Thursday, October 25, 2012

सिविल डिफेंस- एक जरूरत



आज भी सुबह, दोपहर सब बिता कर समय के तीन बज गए हैं पर उसका पढ़ाई का क्रम  शुरू भी नहीं हो पाया है. जून का पत्र आज भी नहीं आया, अब कल आयंगे दो-तीन पत्र एक साथ..नन्हा अभी तक पूरी तरह ठीक नहीं हो पाया है, बात-बात पर रोता है और सुबह नाश्ता भी ठीक से नहीं किया उसने. अभी उठेगा तो खाना खायेगा. माँ मासी की बेटी के घर गयी हैं जिनकी डेथ हो गयी थी पर घर तो उन्हीं का कहायेगा न. उसने सोचा अब खत लिखना कुछ कम करके अपना ध्यान आने वाले इम्तहान की तरफ लगाना चाहिए. कॉलेज खुलते हैं बंद हो जाते हैं, पढ़ाई कुछ होती नहीं. पर इम्तहान में सिलेबस तो पूरा आयेगा न. पढ़ने को कितना कुछ है और लिखने को भी..आज से ही जुट जायेगी, बहुत आराम हो गया. प्रेक्टिकल का भी काम कुछ शेष है कम से कम वही पूरा कर ले सबसे पहले.

तीसरी छुट्टी भी बीतने को है, मजे-मजे से दिन बीत रहे हैं आज भी पढ़ाई निल, जून को ठीक से पढ़ने के लिए कहती है और खुद कुछ नहीं सोचती. आज उसने उसके लिए तीन रुमाल लिए, उस दिन अपने लिए पाँच लिए थे. जिनमें से चार शेष हैं. बहुत पैसे खर्च हो रहे हैं, हिसाब कभी लिखा नहीं, अब थोड़ा ध्यान रखेगी. अभी फ़ीस भी जमा करनी होगी एक बार शायद जनवरी में ही फार्म भरने से पूर्व. सोनू आज फिर ठीक से खा-पी नहीं रहा है पता नहीं उसे क्या हुआ है, उसे घाट तक घुमाने ले गयी थी, नाव पर बैठने की जिद कर रहा था, जून का खत आया है, उसने एक हाउस प्लान भी भेजा है तीन कमरों का, मकान बनवाना है यह बात उसके जहन में है, कल उनके विवाह की वर्षगाँठ है, एक अच्छा सा खत लिखने का वादा किया है नूना ने.

‘किसी विरोधी का सामना करना पड़े तो उसे प्रेम से जीतिए’
आज उसने बस यह लिखा है.

कल का दिन इसी तरह छाँव-धूप में बीत गया. कभी उदासी तो कभी खुशी...जून को, माँ-पिता को व दीदी को पत्र लिखे. आज उसे स्कूल जाना है, कहीं ऐसा न हो कि वह तीन दिन अनुपस्थित रही हो, अब जो भी हो वहीं जाकर मालूम होगा. उसकी सहपाठिनी सीमा भी नहीं ही गयी होगी वरना आती जरूर. उन्हें यात्रा पर एक वृतांत भी लिखना है, सारनाथ जाने पर ही लिखेगी. नन्हे को लिखने को कहो तो एक ही लाइन लिख कर थक जाता है.

न कल और न आज ही उसका खत आया, सो 
उदासी के बादल छंटे नहीं हैं, आज दिन भर अजीब व्यस्तता में बीते. कालेज में सिर्फ दो पीरियड हुए, शेष समय यूँ ही बिताया, ‘सिविल डिफेन्स’ का कार्यक्रम देखते हुए. कार्यक्रम अच्छा था पर मन में अभी भी एक प्रश्न है कि उसका सिविल डिफेंस का पेपर अच्छा था फिर..? शायद कल सर्टिफिकेट मिल जाये. आज चार लेसन प्लान बनाने आवश्यक थे, दो आज के व दो कल के लिए पर तीन ही बन पाए हैं, उसने सोचा कल कॉलेज देर से जायेगी, तीसरा पीरियड है और छठा. कल जून का पत्र आयेगा...उम्मीद पर दुनिया टिकी है. कल सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले उसे पत्र लिखेगी फिर लेसन प्लान.

आज बहुत दिनों के बाद पत्र आया, पर जैसा उसने चाहा था वैसा नहीं...नहीं तो, बिलकुल वैसा ही है. अंतिम पंक्ति में उसका यह लिखना  truth is only that juun loves nuunaa  सारी बातें कह गया. इतने दिनों से मन पर जो बोझ सा रखा था वह कुछ तो हटा है पर पूरी तरह नहीं...पिताजी का पत्र आया है उन्हें पार्सल मिल गया है.


Saturday, October 20, 2012

बच्चे मन के सच्चे



पिछली बार उसने शिकायत की थी सो इस बार जून पहले से उसके लिए नए वर्ष की कत्थई डायरी रखकर गए हैं, पहले पन्ने पर शुभकामना भी लिख दी है. उसकी यह पंक्ति पढकर मन कुछ स्थिर हुआ है वरना नए वर्ष का पहले दिन इतना उलझन भरा है कि बस.. सब कुछ गड्डमड्ड हो रहा है सुबह से. ऊपर से लाइट भी गायब है. बिजली है मगर उनके यहाँ तार हिल जाने से नहीं आ रही. एक तो इतनी देर से आँख खुली, सारी परेशानी तभी से शुरू हुई, सर में हल्का दर्द भी है, शायद घर से बाहर निकलने पर खुली हवा में ठीक हो जाये. चुपचाप आंख बंद करके बैठी रहे ऐसा ही मन हो रहा है इस समय, पर नन्हे ने ठीक से नाश्ता नहीं किया है, उसने सोचा उसके न रहने पर भी तो ऐसे ही करता होगा. उठो लेट तो सभी काम लेट हो जाते हैं, ग्यारह बजे हैं, बारह बजे वह स्कूल जायेगी, तैयार होने में उसे विशेष देर नहीं लगती. कल रात जून को स्वप्न में देखा, क्लब में है, वह नन्हे को लेकर पैदल ही क्लब जा रही है. वहाँ नए साल का कार्यक्रम है. कल रात नव वर्ष की पूर्व संध्या पर टीवी पर उन्होंने दो अच्छे कार्यक्रम देखे, शायद इसी का परिणाम था यह स्वप्न.

कल दिन की शुरुआत जितनी उलझन भरी थी अंत उतना खराब नहीं था. जून को पत्र लिखते लिखते ही मन हल्का हो गया. उसके प्यार ने हर बार उसे डूबने से बचा लिया है. उसके स्नेह की कोई सीमा नहीं, भले ही उसने वादे न किये हों पर...आज उसका भी पत्र आयेगा. कल गोपिराधा में आठवीं में बहुत दिनों बाद गणित पढ़ाया, ठीक था मगर आज कल से भी अच्छी तरह पढ़ाना होगा, ज्यादा बड़ी प्रमेय है आज. ननद का जन्मदिन है आज, वह शाम को उसे उपहार दिलाने ले जायेगी. कल बड़ी बुआजी का पत्र आया बहुत दिनों के बाद. फुफेरी बहन को चौथा बच्चा हुआ, बेटी, लेकिन उसकी मृत्यु हो गयी, यह पढ़कर उसे दुख नहीं हुआ, बहन भी अजीब स्थितियों का शिकार हो गयी है. कितनी बार दर्द सहेगी, बुआजी भी उसे समझाती नहीं हैं.  
कल जून के चार पत्र आए और विवाह की वर्षगाँठ के लिए एक कार्ड भी. वह तिनसुकिया गए उस कार्ड को लेने. आज गुरु गोविन्द सिंह की जयंती के उपलक्ष में अवकाश है. सुबह से ठंड काफी है, दोपहर को धूप निकली. कल शाम से सोनू की तबियत कुछ ठीक नहीं है, इस समय सोया है, माथा गर्म है, पर उसके पास क्रोसिन भी तो नहीं है.

आज पढ़ने या लिखने के नाम पर शून्य है, यहाँ तक कि न पत्र लिखा न पढा. आज एक कार्ड आया छोटे भाई के फादर इन ला का, इसका हिंदी अनुवाद ठीक सा नहीं लगता. सुबह नाश्ता बना रही थी कि पता चला सात तारीख तक स्कूल-कालेज सब बंद है. उसे अपनी पढ़ाई सलीके से शुरू कर देनी चाहिए, टीचर्स के सहारे रहकर तो कोर्स पूरा हो नहीं सकेगा. आए दिन स्कूल-कालेज बंद रहते है आजकल, या फिर इसी वर्ष ऐसा हो रहा है. शुरू से ही छुट्टियाँ ही छुट्टियाँ, एक तरह से अच्छा ही है नन्हे के लिए और उसके लिए भी, ज्यादा दिन उसे छोड़कर नहीं जाना पड़ा है. पर यह भी लगता है कि इस कारण परीक्षाएं देर से न हों. दोपहर को सोनू को सुलाया, लाइट नहीं थी सो ऊपर छत पर चली गयी किताब लेकर, आधा घंटा भी नहीं हुआ होगा की लाइट आने पर नीचे आयी, नन्हा जगकर रो रहा था, वह उसे ढूँढ रहा था, उसकी तबियत ठीक न होने के कारण ही शायद देर तक सो नहीं पाता. इस समय रात्रि के नौ बजने वाले है, नन्हा खेल रहा है, बच्चे थोड़ी सी उर्जा भी बचा कर रखना नहीं चाहते.





Friday, October 19, 2012

बड़ा दिन ठंडा सा



आज उसने तीन फाइलों का काम खत्म किया, अभी फाइनल का लेसन प्लान बनाना है. बैठे-बैठे उसकी कमर अकड़ गयी है, काफी देर से कुर्सी पर बैठी है और कपड़े सिलने में भी सीधा बैठना पड़ा, कितने ही सलवार-कमीज की सिलाई खुल गयी थी वही ठीक करती रही. लिखने का काम अभी भी बहुत है. शेष पढ़ाई तो बिलकुल नहीं हो रही है. लाइब्रेरी से कुछ किताबें ली थीं, उनसे भी नोट्स बनाने हैं.

इतवार के कारण कल टीवी पर महाभारत आया, सभी के साथ नन्हा भी बहुत शौक से देख रहा था. उन्हें एक परिचित परिवार के यहाँ जाना था, दो घंटे तो लग ही गये. आज कालेज शायद बंद है, अब न भी हो तो क्या, वह तो नहीं गयी है, लिखने का काम आज तो पूरा कर ही लेना चाहिए. आज सुबह उसने जून को पत्र लिखा, पोस्टमैन भी एक घंटे में आ जायेगा. आज उन्होंने दोपहर का भोजन जल्दी बना लिया है, अब कोई चिंता नहीं. सिर्फ लिखना और आराम करना दिन भर..पढ़ना-लिखना बस...एक बजे नन्हे को सुलाएगी, अभी बारह बजे हैं.
आज जून के पत्र और ग्रीटिंग कार्ड्स मिले, हमेशा की तरह मधुर से पत्र..ऐसा लगता नहीं कि उससे दूर है...या उससे दूर रहने की आदत पड़ गयी है. धीरे धीरे सम्बन्धों में स्थिरता आती है, फिर यह भौतिक दूरी मायने नहीं रखती. इतनी दूर रहकर भी वे एक-दूसरे को उसी तरह समझ सकते हैं जैसे पास रहकर. छोटी बहन का पत्र आया है, वह खुश है. माँ-पिताजी का पत्र भी आया है, छोटा भाई भी गुड़िया का पापा बन गया है. उसने सोचा आज ही जवाब दे दे तो ठीक रहेगा, फिर बाद में उपहार भेजेगी, एक स्वेटर या फ्रॉक !

अब रात को ठंड बढ़ गयी है, आज से रजाई लेनी होगी. अभी तक कम्बल से ही काम चल रहा था. परसों कालेज खुल रहे है. मेजर का काफी कार्य हो गया है, अब चार्ट बनने का काम शेष है, कल बाजार जाकर चार्ट पेपर खरीदेगी. आज क्रिसमस है, बड़ा दिन, पर उनके लिए आज का दिन बड़ा किसी भी तरह से तो नहीं है. मन बेचैन है, एक घुटन सी महसूस कर रहा है, और माहौल भी वही है कल का सा बेचैनी भरा. कल उसने जून को अधूरा पत्र लिखा अब उसका पत्र आने पर ही पूरा करेगी.

साल का अंतिम दिन और साल का अंतिम रविवार भी. कल से नववर्ष का शुभारम्भ हो रहा है और उसका मन हर वर्ष की तरह कई मधुर कल्पनाओं से ओत-प्रोत है...जून की स्मृति भी है तो..स्नेह की मधुर यादों के साथ उन्हें एक अच्छा खत लिखेगी और पुराने वर्ष के सभी पत्रों के जवाब भी देने हैं न...नए वर्ष में नए खत नए जवाब..!

Thursday, October 18, 2012

नए वर्ष का स्वागत



दिसम्बर का प्रथम दिवस, सर्दी जितनी होती है इस महीने में उतनी नहीं है. सम्भव है इस महीने में ठंड बढ़े. आज बड़े भाई का जन्मदिन है. आज उसने कक्षा आठ को अंकगणित में समानुपात पढ़ाया, उनका कोर्स बहुत कम हुआ है, और छात्राएं भी होशियार नहीं लगीं, गलती छात्राओं की कम, अध्यापकों की अधिक है. गणित के वह टीचर..लगातार पान चबाते हुए...क्या प्रभाव डाल पाएंगे विद्यार्थियों पर. वितृष्णा सी होती है देखकर..खैर, किसी तरह ग्यारह दिन और पढ़ाना है.

अभी तक जून के पहुंचने की कोई खबर नहीं आयी है, उसे चिंता होने लगी है. पता नहीं क्या बात है, उसके मन में विचारों की श्रंखला चलने लगी, वह ठीक तो होगा, क्या उसे यह बात पता होगी कि उसका कोई समाचार उन्हें नहीं मिल रहा है. फिर भीतर से किसी ने कहा कि परसों यानि सोमवार को उसका पत्र अवश्य आयेगा. उसने मन ही मन ढेरों शुभकामनायें उसके स्वास्थ्य के लिए कीं, उसकी खुशी के लिए कीं और मन हल्का हो गया. आज ही उसे पता चला कि जब अगले शनिवार तक उसके गणित के सत्रह पाठ हो जाएंगे और विज्ञान के ग्यारह, उसी दिन अध्यापन का अंतिम दिन है.

इतने दिनों से डायरी नहीं खोली, आज जाकर अवसर मिला है, अध्यापन फ़िलहाल तो समाप्त हो गय है. अब सोमवार से पढ़ाई शुरू होगी. आज माँ-पिता व छोटे भाई-भाभी के पत्र आये हैं. छोटी बहन का पत्र आया था, उसे जवाब लिखा है, पता नहीं उस पर क्या प्रतिक्रिया होगी. काकू की तबियत अभी तक ठीक नहीं हुई है, उसने सोचा कि उसे एक कार्ड भेजेगी. जीजाजी भी नहीं होंगे सो दीदी का पत्र तो आने से रहा. उसकी ननद भी जो बैंक की तरफ से ट्रेनिंग में गयी हुई थी, आजकल में लौटने वाली है.

आज बहुत दिनों बाद थ्योरी की कक्षाएं हुईं, कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था. सुबह से वे खाली थे, फिर अंतिम दो कक्षाएं हुईं, सुधा मैम का लेक्चर अच्छा था, आरती मैम का विषय बहुत उबाऊ था, और किसी दिन पढातीं तो शायद ऐसा न होता पर दिन भर प्रतीक्षा करते करते मन थक चुका था. कल कालेज में गेम्स होंगे, पीटी करवानी होगी, उसने अपना नाम तो दे दिया है. परीक्षा की तारीखें आ गयी हैं, १५ अप्रैल से शुरू होंगी और अप्रैल के आखिर तक चलेंगी संभवतः. मई में वे अपने घर जायेंगे.

आज जून का पत्र आया है. शाम को बाजार गयी थी, लौटी है कुछ देर पूर्व ही, मन-मस्तिष्क थका हुआ है. कल कालेज में कुछ नहीं हुआ सिवाय बातों के. आज सोचा है देर से जायेगी. सिर्फ ‘बागवानी’ होगी और सम्भवत ‘जनसंख्या’ का पीरियड हो, पर उसे बाद में नोट किया जा सकता है. वह नए वर्ष के लिए कुछ कार्ड्स लायी है.

नववर्ष के शुभागमन के साथ ही
तुम्हारे सौभाग्य का उदय हो...
चलते चलो
जीवन के पथरीले पथ पर
दर्द जितना अधिक हो
सुख उतना ही ज्यादा होता है उसके मिटने पर
तपकर ही निखरोगे
जीवन की धूप में तपकर
निखार आएगा
नए वर्ष में स्वप्न देखो
तारों को छूने के
तभी आकाश तक पहुंच पाओगे
जीवन के इस समुद्र में
तैर कर पार हो जाओगे
चलना, तपना, तैरना और स्वप्न पूर्ण करना
क्या चारों पर्यायवाची नहीं..?

Wednesday, October 17, 2012

छोटा सा स्कूल



उसने एक हफ्ते बाद लिखना शुरू किया तो अहसास हुआ कि पिछले कई दिनों से खुद को खुद की खबर नहीं है. बीएड की ट्रेनिंग का मुख्य भाग अध्यापन कार्य चल रहा है. फोन आया है कि जून इसी माह आ रहे हैं, उसका मन उत्साहित है. नन्हा भी खबर सुनकर हँसने लगा था. उसने उन दिनों की कल्पना भी आरम्भ कर दी है, शंकालु मन कहने लगा यदि न आ पाए तो..उसने मन को झटक दिया और विश्वास से भीतर कहा, ऐसा नहीं होगा. उसने उन दिनों के लेसन प्लान अभी से बना कर रखने का निश्चय भी किया, तब समय मिले न मिले.

कल वह आ गए अड़तालीस घंटे की ट्रेन की यात्रा करके, लगभग पौने दस बजे, वह नीचे कमरे में ही थी. दिन भर एक खुमारी सी छायी रह मन पर, कल रात भी एक बजे तक बातें ही करते रहे. शाम को वे गंगा घाट तक गए थे. कल उसका चौथा पीरियड है, दोपहर को बारह बजे जाना होगा. आज टीवी पर नेहरु जन्मशताब्दी के उपलक्ष में कुछ कार्यक्रम आएंगे..पर कब आएंगे, समय का तो पता नहीं है उसे. नन्हा बहुत खुश है और उसने वादा किया है कि माँ का कहना मानेगा.

और आज वह चल भी गया. एक दिन उनका फोन आया कि वह आ रहे हैं, तब से लेकर  आज तक दिन कैसे बीते पता ही नहीं चला. एक खुमारी...मदहोशी सी और भी जाने क्या...जिसे प्यार कहें या..? प्यार ही तो है जो उन्हें बांधता है इतना. उसने सोचा वह ठीक ही कहता है कि.. वह सभी कुछ तो ठीक कहता है. कल रात उसने कितनी बातें याद दिलायीं. उसे एक एक बात याद है... वह कैसे उसे मिला था, कैसे उसने उसे पहली बार देखा था और भी जाने क्या क्या .अब चला गया है..निर्मोही..नहीं, इतना चाहने वाला कभी निर्मोही हो सकता है?

चुनाव परिणाम आने शुरू हो गए हैं. कर्नाटका में कांग्रेस  आगे है, उत्तर प्रदेश में काफी पीछे है. जून को उसने आज दूसरा खत लिखा, जाने से पहले वह उसकी डायरी में एक पत्र लिख गए थे जो बाद में उसने पढ़ा. कल सुबह वह घर पहुँचेगे और कल ही टेलीग्राम भी भेजेंगे और शायद पत्र भी. चुनाव परिणाम सुनने में उसे इतना आनंद आ रहा है जितना एक अच्छी फिल्म या धारावाहिक में भी नहीं आता. नन्हा इस वक्त लिखने में मस्त है.

आज बहुत दिनों बाद अपने कालेज गयी, शायद इसी कारण या कल रात या कल दिन में देर तक टीवी देखते रहने के कारण आँखों में दर्द हो रहा है. पता नहीं क्या होगा...अर्थात चुनाव का परिणाम. कल उसे फिर पढ़ाने जाना है वहीं गोपीराधा में. यह पेन चलते चलते रुक क्यों जाता है?
आज जून का टेलीग्राम नहीं आया, कल आए या परसों. माँ-पिता व दीदी के पत्र मिले. बड़े  भाई बनारस के पास तक आकर भी उससे मिलने नहीं आए, खैर..उसने सोचा अब कभी भी उन्हें कोई शिकायत नहीं लिखेगी, शायद वह उससे नाराज हो गए हैं. कल उन्हें एक जन्मदिन कार्ड भेजेगी. नन्हे को आज दिन में सोने के लए कहा तो भाग गया, बिलकुल ही बात नहीं सुनता है, उसे जबरदस्ती सुलाया है. माँ के भांजे आए हैं उल्हासनगर से, पिछले डेढ़-दो घंटे से बातें कर रहे हैं, ठहरे कहीं और हैं, उसने सोचा पता नहीं वे रात का खाना यहीं खायेंगे या पता चल जाता तो..वह तैयारी कर लेती. ध्यान फिर बंट गया, उसके दो लेसन प्लान बेकार जायेंगे शायद..कल के दो मिलाकर उन्नीस होंगे और अगर कल दो और मिल गए तो इक्कीस, फिर बचेंगे दस आर्य महिला के लिए. यूनिट टेस्ट का भी एक लेसन प्लान होगा.

कल दिन भर व्यस्त रही सो लिख नहीं पायी. आज दस बजे ही घर आ गयी थी. कल से उसे साढ़े दस बजे जाना है, साढ़े ग्यारह बजे से क्लास है. आज क्लोजिंग डे होने के कारण रुक्मिणी विद्यालय हायर सेकेंडरी स्कुल जल्दी बंद हो गया था. स्कूल के नाम पर कुछ कमरे ही तो हैं वहाँ. एक घर है उस में कुछ बच्चों को लेकर स्कूल चल रहा है. पन्द्रह दिसम्बर तक उसे यहाँ जाना है. तेरह दिन मिलेंगे. समझ नहीं आ रहा टेस्ट कहाँ लेना होगा. भविष्य बताएगा. अगर यहीं ले लें तो भी क्या हर्ज है? कल तो पहला दिन होगा, छोटी सी क्लास है सिर्फ तेरह लड़कियों की. एक दिन में एक का नाम याद करे तो पूरी कक्षा के नाम याद हो जायेंगे. आज जून का पत्र आना चाहिए, नहीं टेलीग्राम, पत्र आने में तो एक सप्ताह लग एकता है. उसने सोचा थ्योरी की पढ़ाई भी जो इतने दिन से छूटी हुई है शुरू कर देनी चाहिए आज से ही. और साथ ही मेजर की कॉपी के लिए पूर्णिमा मैम से कहना होगा. आज एक दो जगह पत्र भी लिखने हैं.

Tuesday, October 16, 2012

चिट्ठी आयी है



सप्ताह का चौथा दिन है, पत्र नहीं आया है, शायद एक साथ मिलें. बड़ी ननद का पत्र आया है वह एक सप्ताह बाद आ रही है, उसी दिन उसका कालेज भी खुल रहा है. कहीं से रेडियो पर बजती पंक्तियाँ उसके कान में पडीं-

फिर दबे पाँव तेरी याद चली आई है
खुदबखुद आने लगा फिर उसी महफिल का ख्याल
जिंदगी मुझको कहाँ आज फिर ले आई है...

परसों रात उसे नींद नहीं आ रही थी, किन्तु बाद में उसकी स्मृति ही सुला पायी. एक बार बहुत वर्ष पहले एक बार ऐसे ही उसकी याद सताई थी, लगा था कि इस क्षण उन्हें निकट होना चाहिए था दुनिया में कुछ हो न हो..दूरियां कम होनी ही चाहिए थीं उस एक क्षण. यह क्या मानसिक दुर्बलता है ? नहीं, यह मानसिक शक्ति है, क्योंकि यही तो प्रेम है, प्रेम में शक्ति है मीलों दूर बैठा प्रिय भी निकट महसूस होता है.

आज कई दिन बाद, एक सप्ताह बाद पत्र मिला है, पढ़कर.. अच्छा लगा ही और मन जैसे उत्साह से भर गया है. जून ने बड़ा सा खत लिखा है, उसे भी लिखना है आज तो मुश्किल लगता है. आठ बजे खाना बनाने जायेगी, नन्हा भी अक्सर उसके साथ किचन में जाता है, फिर तो साढ़े नौ कैसे हो जायेंगे पता ही नहीं चलेगा. उसके बाद उसे ब्रश कराने, सुलाने में भी कम समय नहीं लगता, उसका बीएस चले तो खेलता ही रहे. आज वह बीएड की दो किताबें भी लायी है, उसे आठ गतिविधि फाइलें भी बनानी हैं. धीरे-धीरे सब हो जायेगा,उसने मुस्कुरा कर खुद से कहा.

आज फिर उसके सिर में दर्द है, शरीर में जैसे एक घड़ी लगी है, नियमित हर महीने उसे ऐसा दर्द होता है. सुबह आठ बजे से एक बजे तक कालेज में थी, लौट कर सोने गयी तब से हो रहा है. मन कैसा बोझिल है. पिछले कुछ दिनों से तनाव से घिरी रहती है, कारण क्या है समझ नहीं पाती, कालेज में जितने समय रहती है सब ठीक रहता है, घर आते ही एक अजीब सी घुटन महसूस होती है, जून के खत पहले जल्दी जल्दी आते थे अब देर से आते हैं शायद यही कारण हो या फिर...दो तारीख से अध्यापन आरम्भ हो रहा है, काम इतना ज्यादा है और लेसन प्लान अभी एक भी चेक नहीं हुआ है. दो को उसके तीन पीरियड होंगे. कल गोपीराधा स्कूल भी गयी थी, जहाँ उसे पढ़ाने जाना है. अच्छा लगा, लडकियां भी अनुशासित लगीं. माँ-पिता का पत्र भी कई दिनों से नहीं आ रहा है, वहाँ का कोई समाचार नहीं मिला है, पता नहीं क्यों सब चुप बैठे हैं.

आज सुबह जून को खत लिखा, उसकी याद बहुत आती है इन दिनों. उसे कितने तो पत्र लिखे हैं उसने, पर ज्यादा उदासी भरे ही, क्यों होता है ऐसा यह वह भी जानता है और वह भी... वह भी उसे सब कुछ लिख देता है. पास होने पर वे कभी भले ही दूर हो जाएँ पर दूर होने पर...बिलकुल पास होते हैं. अब जब तक छुट्टियाँ हैं ऐसा ही रहेगा,फिर अध्यापन में व्यस्त होने पर मन शांत रहेगा, एकाग्र रहेगा कालेज की ओर. तभी अचानक यह गीत बज उठा-
तुम मेरे पास होते हो, कोई दूसरा नहीं होता..

आज श्रीमती गाँधी की पाँचवीं पुण्यतिथि है, जब उनका देहांत हुआ था लगता था कि देश का क्या होगा, पर धीरे-धीरे समय के साथ लोग और देश उनके बिना भी रहना सीख गए हैं. इसी तरह घर मेंहोगा, सभी लोग जाने वाले के बिना भी रहना सीख जायेंगे, सीख गए हैं. कल उसे कालेज जाकर तीसरा लेसन प्लान चेक करवाने जाना है और परसों से टीचिंग शुरू है, नवम्बर तो फिर जल्दी बीत जायेगा, दिसम्बर में जून आएंगे. 

Monday, October 15, 2012

जहाज का मॉडल



कालेज में आज उसका दिन ठीक रहा, पूर्णिमा मैडम उसे बहुत अच्छी लगीं, आरती मैडम थोडा दूरी बर्तती हैं, और सिन्हा मैडम भी कम नहीं हैं. शाम को बिजली भी दो बार गयी ऊपर से उमस भरी गर्मी, छोटा सा माचिस की डिब्बियों सा घर, साफ हवा को तरस जाता है मन, कितना याद आता है तब अपना घर खुला–खुला...यहाँ तो..सर्दी का मौसम शायद इतना परेशानी भरा नहीं होगा. सोनू थोड़ा सा खाना खाकर ही सो गया है.

आज पूरा दिन व्यस्तता में ही बीता, आराम भरी व्यस्तता, सुबह के काम तो वही रोज के थे फिर टीवी और तब खोजवां गए, तायी जी के घर, आजकल वह ज्यादा मेहरबान हो गयी हैं. विवाह के इतने वर्षों में दूसरी बार उनके घर गयी, खाना खिलाया और आइसक्रीम. नन्हा सो गया है, कल कालेज की छुट्टी है.

लगभग दो हफ्ते बाद वह लिख रही है. कल शाम नीचे कमरे में तरह-तरह की गंध भरी थीं. सब्जी बनाने की, मिटटी के तेल की, इतवार के कारण सब देर तक वहीं बैठे थे. घुटन सी हुई, कमरे में हवा आने-जाने के लिए मात्र एक खिडकी है, अगर पृरा कमरा एक गंध से भर जाये तो जल्दी मुक्त नहीं हो सकता. कभी कभी धुआँ भर जाता है, क्योंकि अंगीठी या लकड़ी पर भी कभी-कभी खाना बनाते हैं यहाँ. सोचा, ऊपर सोते हैं पर वहाँ भी उमस थी, जैसे इस समय है, सुबह के पौने छह बजे हैं पर हवा का नाम नहीं. बनारस में हवा की बहुत कमी है, वायु प्रदूषण है यहाँ, साँस लेने में खास तौर से इस घर में घुटन सी महसूस होती है. सब कुछ बंद-बंद, पता नहीं कितने पुराने बने हैं ये मकान, इतने सटे-सटे और पतली सी गली में.
कल जून का एक तार मिला, वह  बहुत जल्दी घबरा जाता है. उसन सोचा वह वहाँ अकेला है, वह उसे ऐसी कोई बात नहीं लिखेगी जिससे वह परेशान हो जाये. आज वह कालेज से जल्दी लौट आयी, तीन अध्यापिकाएँ छुट्टी पर थीं. यह पता चला कि अगले हफ्ते कालेज में प्राथमिक उपचार की ट्रेनिंग दी जायेगी.

वह पत्र लिख रही थी कि थकान महसूस हुई कुछ देर आंख बंद करके लेटी रही और फिर लिखने में लग गयी. कल ही आए पिता जी के अच्छे से पत्र का जवाब भी देना है, उसने सोचा नन्हे के दाखिले की बात हो जाये तब लिखेगी. वे लोग मंझले भाई के पास गए थे, उसके घर नन्हीं गुडिया आयी है, उसने सोचा वह उनके लिए एक कार्ड भेजेगी. आज कालेज में छुट्टी हो गयी. उर्दू को द्वितीय भाषा बनाने के विरोध में सभी कालेज बंद करवा दिए गए, पता नहीं कल भी खुलता है या नहीं. कल सुधा मैडम ‘भारत का संविधान’ में से टेस्ट लेंगी. पूर्णिमा मैम अपने बारे में इतना कुछ बताती हैं, अपना सब कुछ कि...उसे लगता है यह अच्छा नहीं है, छात्राओं से इतना घुल-मिल जाना, सिन्हा मैम की पारिवारिक समस्या के बारे में, नागर मैम की तबियत के बारे में, और अपने पिताजी की आँखों के मोतियाबिंद के बारे में बताती रहीं, हर व्यक्ति कितना पीड़ित है.
कल से कालेज बंद है पर उसे बहुत सारा काम करना है, कल एक चैप्टर ही हो पाया. अभी लिखने बैठी ही थी कि बिजली चली गयी, बनारस की समस्याओं में से एक. उसे ‘एस यू पी डब्ल्यू’ का प्रोजेक्ट भी बनाना है, जिसके लिए ताई जी के यहाँ जाना है, उनकी बेटी हस्तकला जानती है. गणित का काम फैकल्टी ऑफ एडुकेशन आने के बाद ही होगा. वह मन ही मन बाकि कामों का भी हिसाब लगती रही, जब तक बिजली न आ जाये कुछ और किया भी तो नहीं जा सकता.

कल उसने जून से फोन पर बात की, कितनी स्पष्ट ..पता नहीं उसने क्या सोचा हो, कितनी मीठी लग रही थी उसकी आवाज, कहा भले ही न ही पर...प्यार ही तो था वह सब. आज बापू की एक सौ बीसवीं जयंती है, कल गाँधी फिल्म देखी, उनकी महानता पर मन झुक गया. आज बदली है गगन में, वह छत पर बैठी है, नन्हा सो रहा है, अभी कुछ देर पहले ही वह भी उठी है, सुबह ही स्वप्न देखा, जब वह बारहवीं में पढ़ती थी उस समय का, सारी स्मृतियाँ सजीव हो गयीं.

आज सुबह ग्यारह बजे वे ताई जी के यहाँ पहुंच गए, शाम को लौटे. उसे एक जहाज का मॉडल बनाना है, काफी बन गया है, बाकी उनकी बेटी बना देगी. वह कॉलेज भी गयी, प्रोजेक्ट के लिए जो चार्ट आदि बनाने हैं, उसके बारे में जानकारी लेने. वापसी में चचेरी बहन के लिए एक फ्रॉक खरीदा, घर आने के बाद उसे लगा कि दुकानदार ने ज्यादा दाम लिया है, मन भारी हो गया पर उसने सोचा इससे मुक्त होना ही होगा, जो हुआ सो ठीक है, कल इसे पार्सल कर देगी. ननद को एक कार्ड लाने को भी कहा है. उसे हल्की भूख महसूस हुई, पर अगले ही पल लगा नहीं, कुछ खाने का मन नहीं है, उसे आश्चर्य भी हुआ कि खाने का वक्त होने पर भूख अपने आप खबर देने लग जाती है. उसने सोचा जून भी तो इस वक्त आकर शाम का टिफिन ले रहे होंगे. 

Saturday, October 13, 2012

गुलाम अली का जादू



परसों जून का जन्मदिन था, कल उसके नाम नूना के पिताजी का शुभकामना कार्ड मिला, परसों उसकी छोटी बहन का मिला था. बनारस से कोई समाचार नहीं मिला है न ही कोई कार्ड या पत्र. उसे समझ नहीं आता कि वह क्यों उससे छोटी-छोटी बातों पर विरोध करने लगती है, यह अच्छी प्रवृत्ति नहीं है, विशेषकर जून के लिए, उसे दुःख होता होगा. सोनू आज स्कूल गया है, मौसम सुहाना है, सावन का महीना है आखिर, ट्रांजिस्टर की बैटरी नई लानी है और चिवड़ा, पर अब अगले महीने ही खरीदेंगे. जून ने उसे सौंपी है घर का कार्य चलाने की जिम्मेदारी. आखिर आज गेस्ट रूम की ट्यूब लाइट ठीक हो गयी, वह स्नानघर में थी कि दरवाजे की घंटी बजी, नैनी ने तीन बार घंटी सुनने पर दरवाजा खोला.  

कल शाम वे एक मित्र परिवार के यहाँ गए, होना चाहिए था क वे प्रसन्न होकर लौटते पर जून उदास हो गए. वहाँ भी बनारस की बातें हुईं. जून को माँ-पिता की बहुत फ़िक्र रहती है, वह चाहते हैं कि उसे व सोनू को वहीं रहना चाहिए, चाहे दाखिला हो या नहीं. आज भी महरी नहीं आयी, काम करने के लिए अपने लड़के को भेज दिया है, उसने सोचा, उसकी तबियत सचमुच खराब है या सिर्फ बहाना बना रही है इसका पता कैसे चले. वर्षा लगतार हो रही है, सुबह सोनू के स्कूल जाते वक्त भी और उसकी छुट्टी के वक्त भी, उसे न भेजूं ऐसा जून ने कहा पर घर में रहकर उसकी शरारतें बढ़ जाती हैं, स्कूल बच्चों के लिए बहुत जरूरी है, कल दोपहर फिर वह सो नहीं रहा था, बहुत मनाने पर सोया.

गुलाम अली को बहुत दिनों बाद सुन रही है. “मेरे होठों को तब्बसुम दे गया..धोखा तुझे....”तीन-चार बार दोहराते हैं इस एक पंक्ति को. “तूने मुझको ख्वाब जाना देख ले सेहरा हूँ मैं...”किचन से बर्तनों की खड़खड़ाहट आ रही है लगता है नैनी आ गयी है. नन्हे ने आज पहली बार कि स्कूल नहीं जाएगा, नींद आ रही है, सुबह-सुबह खूब गहरी नींद आती है न, बेड छोड़ने का मन नहीं करता होगा. कल उसको e सिखाया a से छुट्टी हुई, कल बड़ी ननद की भेजी राखी मिली पर पत्र नहीं था उसमें. जून कल शाम घर आए तो दो मित्र साथ थे, काफी खुश लग रहे थे, सुबह तक भी उनका मूड ठीक था, वह ही बिना वजह नाराज हुई.

आज 'भारत बंद' का आह्वान विपक्षी पार्टियों ने किया है. उन्होंने फिर से टिकट करायीं थीं और थोड़ी बहुत परेशानी झेल कर परसों वे बनारस पहुंच गए, उसी दिन कॉलेज गयी, फ़ीस जमा की, दाखिला हो गया. कल पहली बार बीएड की कक्षा में गयी. जून कल ही वापस चले गए. कुछ विषयों में पढ़ाई आरम्भ हो चुकी है. उसने तय किया है, एक हफ्ते में पिछला सब नोट कर लेगी. पढ़ाई विशेष कठिन नहीं लग रही है.

कल जून को पहला पत्र लिखा इस बार का. इस समय पौने आठ हुए हैं, नन्हा परेशान हो रहा है, क्योंकि उसे पढ़ने के लिए कह रही है, बहाना बना रहा है कि नींद आ रही है. उसे लगता है घर पर वह पढ़ नहीं पायेगा, उसे भी किसी स्कूल में भेजना होगा. आज एक सप्ताह हो गया कालेज जाते, नहीं पांच दिन, बीच में एक दिन छुट्टी थी. अब परसों फिर अवकाश है, तीज के कारण. नन्हे ने आज सुबह कितनी बार कहा, “आज कालेज मत जाइये”, जाते समय हाथ भी नहीं हिलाया. शाम को वापस आने पर भी बोला, “आप कभी मत जाइयेगा”. कल जून को दूसरा पत्र लिखा था, सुबह जल्दी उठी थी कि जून को खत पोस्ट करना है पर हो नहीं पाया. शाम को अंग्रेजी अखबार भी आया था, पर पिता ने मना कर दिया, उन्हें पता नहीं था कि उसने ही देने के लिए कहा था.