एक सामान्य सा दिखने वाला जीवन भी अपने भीतर इस सम्पूर्ण सृष्टि का इतिहास छिपाए रहता है, "यथा पिंडे तथा ब्रह्मांडे" के अनुसार हर जीवन उस ईश्वर को ही प्रतिबिम्बित कर रहा है, ऐसे ही एक सामान्य से जीवन की कहानी है यह ब्लॉग !
Tuesday, June 15, 2021
पुलवामा का दर्द
Wednesday, June 9, 2021
वीर सावरकर पर फिल्म
आज श्री रामसुखदास जी की लिखी भगवद् गीता के अठारहवें अध्याय की व्याख्या पढ़ी। एक श्लोक में कृष्ण अर्जुन से कहते हैं, जिस ज्ञान से मनुष्य पृथक-पृथक सब भूतों में एक अविनाशी परमात्मा भाव को विभाग रहित समभाव से स्थित देखता है, उसी ज्ञान को तुझे सात्त्विक जानना चाहिए. ऐसे ही सात्विक ज्ञान को प्राप्त करना हर साधक के एकमात्र लक्ष्य होता है. जेन ऑस्टिन की पुस्तक “सेंस एंड सेंसिबिलिटी” पर बनी फ़िल्म का कुछ भाग देखा, वर्षों पहले यह पुस्तक पढ़ी थी। दोपहर को लेखन, शाम को योग, दिन इधर शुरू होता है उधर बीत जाता है। कल छोटी बहन के विवाह की वर्षगाँठ है, कुछ पंक्तियाँ लिखेगी उनके लिए। जून ने छत पर बने शेड के लिए चाइम मँगवाया है, कुछ देर में आने वाला है।
आज छोटी बहन से बात की, कल शाम उसके यहाँ शानदार पाँच कोर्स पार्टी हुई। कुल बाइस लोग थे। दो दशक से दो वर्ष अधिक हो गये विवाह को। आज गणतंत्र दिवस पर एक कविता प्रकाशित की ब्लॉग पर। सुबह असम से एक सखी का फ़ोन आया, पुत्र का विवाह तय हो गया है, अक्तूबर में होगा। मार्च में ‘रोका’ है। परसों माँ की पुण्यतिथि है, उनके लिए भी मन में कुछ पंक्तियाँ उमड़ रही हैं।
यहाँ उनका पहला गणतन्त्र दिवस बहुत अच्छा बीता। सुबह जल्दी उठे, आठ बजे ध्वजारोहण था। वे तैयार होकर समय से पूर्व ही पहुँच गये। सुबह ही एक छोटी सी कविता लिखी थी, उसे रिकार्ड करके व्हाट्सएप पर भेजा। पहली बार यहाँ के निवासियों से मिलना हुआ। उन्होंने अपना परिचय कराया। उसने एक कविता पढ़ी, जून को ध्वजारोहण करने का सौभाग्य मिला, उन्होंने सूट पहना था और तिरंगे का एक ब्रोच भी लगाया था कोट पर। कई लोग तो घर के वस्त्रों में ही उठकर आ गये थे। वहाँ मैसूर पाक भी बाँटा गया। लौटकर परेड देखने बैठे, पूरे मनोयोग से एक साथ पूरी परेड शायद वर्षों बाद देखी, झांकियाँ, नृत्य के कार्यक्रम, सेनानी, तथा सेना के उपकरण ! प्रधानमंत्री ने लोगों का स्वागत किया। दोपहर को नन्हा और सोनू आ गए, वे दोनों डाइटिंग कर रहे हैं, एक महीने का कोर्स है, दोनों का वजन घटा है. सबने मिलकर छत पर असम से लाया लकड़ी और बेंत का झूला लगवाया. फैमिली ट्री के लिए फोटो चुने. जून जिन्हें घर पर ही प्रिंट कर देंगे और फिर वे उन्हें फ्रेम में लगा देगें. शाम की चाय नन्हे ने बनाई, फिर सब रॉक गार्डन में टहलने गए, घर में चल रहा सिविल का काम अगले दो हफ्ते और चलेगा. इसके बाद वे वर्टिकल गार्डन का शुभारम्भ करेंगे. कल गेस्टरूम में एसी लग रहा है, परसों बेड भी आ जायेगा, मेहमान आएं, उसके पूर्व ही उनका कमरा तैयार होना चाहिए. घर में वाटर सॉफ्टनर भी लग गया है, यहां का पानी खारा होने के कारण स्टील के नलों पर सफेद निशान बन जाते हैं. बहते हुए पानी वाली बुद्धा की जो मूर्ति पिछले हफ्ते नन्हे ने भिजवाई थी, बहुत आकर्षक है पर उसमें से पानी छलक जाता है और कमरे के फर्श भीग जाता है, उसे वापस भिजवाना पड़ेगा.
आज शाम ‘वीर सावरकर’ पर बनी एक पुरानी फिल्म का पहला भाग देखा. देश को आजाद कराने के लिए क्रांतिकारियों ने कितने कष्ट सहे हैं. आज मोदी जी व अमित शाह को कितने लोगों के अपशब्द सुनने पड़ते हैं, देश को चलाने का काम करना काँटों का ताज पहनना है. दिल्ली के चुनावों में कुछ ही समय शेष रह गया है. इस बार चुनावी मुद्दा सीएए ही है, यदि मोदी जी जीतते हैं तो उनकी साख बढ़ेगी अन्यथा भी उनका प्रभाव घट तो नहीं सकता है. भारत को उनके जैसा दृढ इच्छाशक्ति वाला प्रधानमंत्री चाहिए. योग शिक्षिका ऋषिकेश से वापस नहीं आयी है. उन्हें घर पर ही साधना का क्रम जारी रखना होगा. वह मंगल व गुरुवार को ललितासहस्रनाम व विष्णु सहस्रनाम के पाठ में वह जा सकती है, यहां महिलाओं का एक समूह उसे आयोजित करता है.
आज शाम को आश्रम से एक स्वयंसेवक का फोन आया और बाद में संपादक के नाम एक पत्र, जिसका हिंदी में अनुवाद करना था, शाम तक करके भेज दिया. अनुवाद का पहला सेवा कार्य करके उसे ख़ुशी हुई. अभी-अभी नन्हे का भेजा कुछ सामान आया, ऐसा सामान जिसका नाम भी नहीं सुना था, कोल्ड प्रेस जूस आदि. सावरकर की फिल्म का दूसरा भाग भी देख लिया, उनकी भविष्यवाणी सही सिद्ध हो रही है.
आज शहर जाकर एक नई फिल्म देखी, पंगा, आजकल की लड़कियों के जीवन से जुड़ी हुई फिल्म. गुरुजी के एक ज्ञान पत्र का हिंदी अनुवाद किया. शाम को आश्रम गए. वहीं स्थित एक भोजनालय में कल रात हुए किसी कार्यक्रम के बाद फूल बिखरे हुए थे. सजावट घर के लोग अपना सामान समेट रहे थे पर बासी फूलों की उनके लिए क्या कीमत होगी, गुलदाउदी व गेंदे के सैकड़ों फूल और मालाएं वहां बिखरी हुई थीं. गुरूजी को अष्टावक्र गीता पर बोलते हुए सुना. कितना अनोखा ज्ञान है उनके पास, जीवन को धन्य करने वाले शब्द, ब्रह्म की सुंदर व्याख्या और उस तक पहुंचने के कितने सुंदर मार्ग ! अध्यात्म ही जीवन का सार है और परमात्मा ही जगत का सार !
पिछले दो दिन कुछ नहीं लिखा, कल बच्चे आये थे, देर रात वापस गए, परसों की बात याद नहीं है, और वे पिछले जन्मों को याद करने का प्रयत्न करते हैं. आज वे सोसाइटी में स्थित एक घर से अक्की रोटी लाये, अक्की रोटी यानि चावल के आटे की रोटी ! जून कल सामान्य जाँच कराने अस्पताल जाने वाले हैं, दिन भर लग जायेगा. आज पहली बार श्लोक पाठ में सम्मिलित हुई. कई बार मन में यह विचार आया है कि सही उच्चारण करके श्लोक पाठ करना सीखे, ईश्वर ने यह इच्छा पूरी करने का सुअवसर भी दे दिया है. गुरूजी भी कहते हैं, संस्कृत के श्लोक, मन्त्र आदि का उच्चारण मात्र ही ऊर्जा को ऊपर उठा देता है. आज सासु माँ की सातवीं पुण्यतिथि है, वे ‘शांति धाम’ गए जो यहां से निकट ही स्थित एक वृद्धाश्रम है. जहां तीस महिलाएं और दस पुरुष आश्रमवासी हैं. वहां का वातावरण अच्छा था. हरियाली और साफ-सफाई थी, पर ऐसी जगहों पर एक अजीब सी उदासी भी रहती है. वह भी झाँक रही थी. न जाने किन परिस्थितियों में उन्हें घर से बाहर आश्रम में आना पड़ा हो. आश्रम के लिए कुछ सामग्री देकर व कुछ समय बिताकर वे लौट आये.
Wednesday, June 2, 2021
पके केले के पकोड़े
आज सुबह पौने चार बजे ही उसकी नींद खुल गयी, चारो तरफ शांति थी। जून साढ़े पाँच बजे उठे, जब वे टहलने गये तो दिन अभी निकला नहीं था, मौसम ठंडा था।नाश्ते के बाद कुछ देर धूप में भी निकले। जून को बाल कटवाने थे सो पैदल ही सोसाइटी के मुख्य द्वार तक बढ़ते गये। सड़क के दोनों ओर बोगेनवेलिया के रंग-बिरंगे सुंदर फूल खिले थे, कई तस्वीरें उतारीं। असम में जून के ड्राइवर का काम कर चुके एक जन का फ़ोन आया, उसने बताया अगले हफ़्ते सीएए के ख़िलाफ़ कोर्ट में सुनवायी है, अब तक जो शांति बनी हुई है, वह उसके बाद बनी रहेगी, कहा नहीं जा सकता। कई दिनों बाद आज घर में सिविल का काम नहीं हुआ, ब्लॉग पर एक पोस्ट लिखी। शाम को वे निकट स्थित गाँव के मंदिर में गये। जो दक्षिण भारतीय वास्तुकला के अनुसार बना हुआ हनुमान जी का सुंदर मंदिर है। वापसी में यहाँ के एकमात्र छोटे से नए खुले रेस्तराँ में एक कप कॉफी के लिए रुके, पके हुए केले के पकोड़े पहली बार चखे।बुद्ध की पुस्तक समाप्त होने वाली है। बुद्ध अमर हैं, युगों बीत जाएँगे और लोग उनसे ज्ञान प्राप्त रहेंगे। बुद्धम शरणम गच्छामि ! संघम शरणम गच्छामि ! धम्मम शरणम गच्छामि !
आज वे लालबाग गये थे, जहां गणतंत्र दिवस पुष्प प्रदर्शनी चल रही थी। कल से आरम्भ हुई है और छब्बीस जनवरी तक रहेगी। ग्लास हाउस में स्वामी विवेकानंद की स्मृति में सुंदर पुष्प सज्जा की गयी है। बड़े भाई, भतीजी, नन्हा, सोनू, उनके एक मित्र दम्पति तथा वे दोनों, सभी ने फूलों का आनंद लिया। उन्होंने फूलों के गमले लिए, पिटूनिया, पोइनसेटिया और गुलदाउदी के फूलों के गमले । लाल बाग का इतिहास बहुत पुराना है, हैदर अली ने इसकी नींव रखी थी। कई एकड़ में फैले इस बाग में दूर तक फैले लॉन हैं, हज़ारों क़िस्म के वृक्ष हैं, सुंदर बगीचे हैं, बंगलूरू की शान यह वनस्पति उद्यान साल भर किसी न किस प्रकार के फूलों से भरा रहता है। उससे पूर्व जून अपना सूट सिलने देने गये। बड़ी ननद का फ़ोन आया था, छोटी बिटिया का विवाह तय हो गया है। दो माह के बाद होगा।
आज सुबह वे आश्रम गये, ‘अतिरुद्र होम’ चल रहा था। हजारों की भीड़ थी। शाम को नन्हा आया था, उसे बुखार हो गया है। लालबाग में उस दिन फूलों को ताजा रखने के लिए अथवा किसी कारण से पानी की फुहार छोड़ी जा रही थी, शायद वह ज्यादा भीग गया। बाग में पुस्तकों की एक प्रदर्शनी भी लगी हुई थी, उसने पड़ोस में रहने वाले बच्चों के लिए बाल पुस्तकें ख़रीदीं थीं आज उन्हें दीं। आज शाम को योग कक्षा में आने वाली एक साधिका उनके घर आयी थीं, अब से वह नियमित यहाँ आकर उसके साथ ही शाम को एक घंटा योग साधना करेंगी। इस माह के अंतिम सप्ताह में गुरुजी भगवत गीता के अठारहवें अध्याय पर प्रवचन देंगे। जिसमें अर्जुन कृष्ण से पूछते हैं, सन्यास क्या है? और त्याग क्या है? सन्यास और त्याग दोनों का ही अर्थ कुछ छोड़ना है , पर उनमें अंतर क्या है और उनका मर्म क्या है ।
आज सुबह देर से उठे, ठंड कुछ ज्यादा थी, अब जैकेट पहननी पड़ती है सुबह के वक्त। ‘ओल्ड पाथ वाइट क्लाउड्ज़’ आज पूरी पढ़ ली, बुद्ध ने अपनी मृत्यु की घोषणा पहले ही कर दी थी । मशरूम की सब्ज़ी खाने के बाद उनका स्वास्थ्य बिगड़ा और वह उनका अंतिम भोजन था। जैसे उनका जीवन भव्य था वैसे ही उनकी मृत्यु भी ! साल के वृक्षों ने उन पर फूल बरसाए और कुशीनारा के जन-जन ने उनके लिए अश्रु बहाए। आज भी ब्लॉग पर लिखा, लिखने का क्रम कुछ आरम्भ हुआ है।
आज वे पुनः आश्रम गये, वहाँ बहुत भीड़ थी , हजारों की भीड़ । कल से संयम कोर्स शुरू हुआ है, शायद उसी में भाग लेने पूरे भारत से साधक यहाँ आए हैं। सदा की तरह गुरुजी ने सरल ढंग से हर प्रश्न का उत्तर दिया। बुद्ध पुरुषों से ही इस धरा की शोभा है। जून आज दोपहर को नन्हे के लिए आयुर्वेदिक दवा देकर आए, सितोप्लादि नाम है दवा का, सर्दी जुकाम में काम करती है। औषधि यदि समय पर ले ली जाए तो रोग जड़ नहीं पकड़ पाता। ‘ऐन विद एन ई’ का अंतिम भाग भी देख लिया, अंत भला तो सब भला ! आज माँ-पापा का स्मरण हो रहा है, उनके कारण ही उसका इस जगत में अस्तित्व है अर्थात इस देह व मन का, जिसके माध्यम से वह व्यक्त हो रही है। उसकी असली पहचान तो अब मिली है, एक शांत, अनंत प्रेम, जो चेतन है, जो मन और बुद्धि के माध्यम से व्यक्त हो सकता है। जो इस देह के माध्यम से सत्कर्म कर सकता है। जो इस जगत में अच्छाई का संदेश दे सकता है। जो किसी का निर्णायक नहीं है। जो प्रेम बदले में कुछ नहीं चाहता क्योंकि अनंत में कुछ भी मिलाओ अनंत ही रहेगा। अनंत से कुछ भी निकलो अनंत ही रहेगा। ऐसा प्रेम नित नूतन है।