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Thursday, May 12, 2022

द लॉयन किंग

 

आज शाम को वे सोसाइटी के मुख्य द्वार की तरफ़ टहलने गए, जून जब तक बाहर से सब्ज़ी ख़रीद कर लाते, उसने फूलों की तस्वीरें उतारीं। घर पहुँचने के पाँच मिनट बाद ही मूसलाधार वर्षा आरंभ हो गयी, जाने कैसे कुदरत उन्हें हर बार सुरक्षित रखती आयी है। बालकनी में शीशे की छत के नीचे बैठ कर बारिश का एक वीडियो बनाया। आज स्वामी योगानंद जी पर एक डाक्यूमेंट्री फ़िल्म देखी। वर्षों पूर्व जब पहली बार उनकी पुस्तक पढ़ी थी तो मन प्राण एक अनोखे आनंद से भर गये थे। हफ़्तों तक उस पुस्तक का असर बना रहा था। आजकल सुबह-सुबह अनोखे स्वप्न आते हैं, एक दिन पहले एक साथ अनेक सुंदर चौपाये दिखे, फिर कीट और फिर विष्णु की सुंदर मूर्ति. एक दिन एक सुंदर महिला का चेहरा दिखा था, बिलुकल सजीव ! एक अन्य स्वप्न में वह किसी को बाबा कहकर संबोधित कर रही है. छोटे भाई से बात हुई, जो ओशो का साहित्य पढ़ता है. उसे नए-नए आनंददायक अनुभव होते हैं, वह बहुत खुश लग रहा था; उसका मन पूरी तरह परमात्मा के रंग में रंग गया है. 


कल सुबह नौ बजे नन्हा व सोनू आ गये और दिन भर उनके साथ रहे।  एक अच्छी फ़िल्म देखी, एक एनिमेशन फिल्म ‘द लायन किंग’, जिसमें शाहरुख़ खान ने भी आवाज दी है, सिम्बा की यह कहानी दिल को छू जाती है. कुछ बोर्ड गेम भी खेले और शाम को दूर तक टहलने गये। आज बड़ी भांजी की बिटिया के जन्मदिन पर ज़ूम मीटिंग थी। परिवार के छोटे-बड़े सभी सदस्यों ने अपनी शुभकामनायें दीं, उसने जन्मदिन पर एक कविता भेजी थी जो बालिका के नाना जी ने पढ़ी. आश्रम से सत्संग भी आजकल जूम पर ही होता है, तकनीक का कितना अच्छा उपयोग हो रहा है इस विपद काल में. आजकल हरसिंगार के फूल अपनी अनुपम छवि बिखेर रहे हैं, सुबह-सुबह सलेटी सड़क पर बिछे हुए सफेद पुष्पों की उसने कई तस्वीरें खींचीं। समाचारों में सुना असम में एक तेल कुएं में आग लग गयी है, स्थानीय स्तर पर उसे बुझा नहीं पाए तो सिंगापुर से एक विशेष टीम आयी है. नन्हे ने बताया, उनकी सोसाइटी को कन्टेनमेंट जोन बनाया जा सकता है. भारत में कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. एक अनुमान के अनुसार भविष्य में चालीस-पचास लाख लोग संक्रमित हो सकते हैं. भारत-चीन के मध्य सीमा पर हालात बिगड़ रहे हैं, देखा जाये तो इस समय सारी दुनिया में हालात काबू से बाहर होते जा रहे हैं. आज कुछ घर छोड़कर रहने वाले एक नब्बे वर्षीय बुजुर्ग से बात हुई, वह कॉमर्स मंत्रालय में एडिशनल सेक्रेटरी रह चुके हैं. उनकी स्मरण शक्ति बहुत अच्छी है. उनके पास यादों का जैसे एक खजाना है. 


इस बार भी इतवार के कारण बच्चे दिन भर साथ रहे. नन्हे ने ‘स्टार वार’ सीरीज  की एक फिल्म दिखाई. शंकर जी की बारात में जैसे भूत-पिचाश आते हैं, ऐसे अजीबोगरीब शक्लों वाले पात्र हैं इस फिल्म में. दोपहर को सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु का समाचार मिला था. आज भी दिन भर वही खबरें आती रहीं. अवसाद और तनाव के शिकार लोग कितने दुखी हैं भीतर. अभिनेताओं का जीवन कितना अकेलेपन से भरा होता है. मौसम आज बहुत अच्छा है, शीतल पवन बह रही है, न बादलों का शोर न ज्यादा गर्मी ही. विष्णु पुराण में प्रह्लाद की कहानी देखी, उसने कहा, स्वर्ग में देवता, धरती पर मानव व पाताल में असुर रहें और कोई किसी की सीमा में प्रवेश न करे और सब आनंद से रहें. एक और सुंदर बात सुनी, सुबह जब सत गुण बढ़ा हो, मानव देवता बनकर साधना करें, दोपहर को रजो गुण बढ़ने पर मानव बनकर काम करें और रात को तमस में असुर बनकर नींद में सो जाएँ. असुरों का सोना ही लाभकारी है. कल जून को श्री श्री की रिसर्च लैब में जाना है. स्लीप लैब पर वर्क शॉप है. जहाँ ईईजी का इंस्टालेशन भी होना है. 


कल जून ने बाबा की सातवीं बरसी पर निकट स्थित एक वृद्धाश्रम में कुछ सामान भिजवाया. शाम को नर्सरी से बारह पौधे भी लाये. उनकी स्मृति में लगाए इन पौधों को देखकर उनके स्मरण होता रहेगा. नैनी ने एक माली को बुलवाया है, जिसने बहुत ही कुशलता से पौधों को लगा दिया, वह बेला का एक पौधा भी लाया है, जिसे छोटे से लॉन में एक किनारे पर लगा दिया है. माली अच्छा है पर उसे पीने की आदत है, पता नहीं कितने दिन टिकेगा. टीवी पर आज विरोचन और सुंधवा की कहानी देखी जिसमें दोनों एक ही कन्या दीपावली के प्रति आकर्षित हैं. भगवान विष्णु और महादेवी को भी उनकी कथा में रस आ रहा है. प्रेम की नींव पर ही तो यह संसार खड़ा है. परसों इस वर्ष का पहला पूर्ण सूर्यग्रहण है, पिछले हफ्ते एओएल के एक स्वामी की एक वार्ता सुनकर सूर्य ग्रहण पर एक  लेख लिखा था, जो अमर उजाला में छपा है. सूर्य ग्रहण के कारण होने वाले प्रभावों का विस्तार से वर्णन है उसमें.                




Thursday, June 4, 2020

सोहराब मोदी की फिल्म


अभी-अभी टीवी ओर एक विशाल सभा देखी और भाषण सुना. देश का मिजाज बदल रहा है, जनता बदल रही है. उसे भरोसा है कि उनका नेता उन्हें सही मार्ग पर पर ले जा रहा है. आने वाले चुनाव में बीजेपी पुनः जीतकर आएगी, मोदी जी का आत्मविश्वास यह बता रहा है. 'सबका साथ, सबका विकास' का उनका मन्त्र देश को नई ऊँचाइयों की ओर ले जायेगा. उसने तीन दशक से भी ज्यादा पुरानी उस डायरी में कुछ अगले पन्ने खोले. 

कालेज जाने के लिए उसे बस का इंतजार करना होता था, जो कभी -कभी आती ही नहीं थी, इंतजार तब बोझिल लगने लगता था, उस समय यह राज नहीं पता था कि वर्तमान के क्षण में कैसे जिया जाता है. खाली खड़े-खड़े मन कभी अतीत और कभी भविष्य के चक्कर काटता और बेवजह ही थक जाता. दीदी उन दिनों घर के पास ही रहती थीं, कभी माँ और कभी वह रात्रि को उनके घर ही रह जाते, जीजाजी तब विदेश में थे. उस दिन कोहरा घना था, एक कुत्ता ज़मीन पर पड़ा अजीब सी आवाजें निकाल रहा था. एक बुढ़िया भी अक्सर उसे इस रास्ते पर मिलती थी पर उस दिन नहीं थी, शायद ठंड के कारण. कालेज से लौटते समय बस में बहुत भीड़ थी. एक महाशय संसार की झूठी, फरेब से भरी बातों और लोगों पर ठंडी साँस भर रहे थे. लोगों की हृदय हीनता और अनुसाशन हीनता पर भी पर स्वयं जनाब मूंगफली खा खाकर छिलके वहीं बस में ही फेंकते जा रहे थे. सड़क पर करते समय वह एक निजी बस से टकराते- टकराते बची. 

रात्रि का समय, पर नीरवता नहीं, माँ रेडियो पर नाटक सुन रही थीं जिसकी आवाजें उसके कमरे तक आ रही थीं. दोपहर को चाची जी आयी थीं उनके घर, उसे हँसी आती थी उनके बोलने के अंदाज पर, अब नहीं आती. जो जैसा है वैसा ही स्वीकारने की कला जो तब नहीं सीखी थी. गोर्की की एक कहानी उसने उस दिन पढ़ी थी, जिसमें ‘गरीब लोग’ का जिक्र जिस तरह हुआ है, उससे भी हँसी आ गयी, वह उसे खत भेजता है,  वह उसे भेजती है. वाह ! दोस्तोव्यस्की पर सारिका का विशेषांक पढ़कर कोफ़्त हुई थी उसे. व्हाइट नाइट्स का कितना असुंदर अनुवाद किया है, मात्र शब्दानुवाद.  मूल पढ़कर तो वह पागल ही हो गयी थी पर सारिका में पढ़ा तो उसका सौवां हिस्सा भी मजा नहीं आया. 

रविवार को सोहराब मोदी की मशहूर फिल्म 'पुकार' देखी सबके साथ.  इंसाफ प्रेम पर कुर्बान नहीं हो सकता. उसको ठुकरा सकता है. इंसाफ इंसाफ है, वह आँखें मींच कर चलता है, वह चेहरे नहीं पहचानता, यह तब की बात थी, गुजरे वक्त की, क्या आज भी ऐसा है ? आज तो पैसे के बल पर इंसाफ को खरीदा-बेचा जा सकता है, जाता है. 

जब आदमी अकेला अनुभव करता है, वह सृजन कर सकता है. जब उसका एकांत भंग कर दिया जाता है, तब वह सृजन नहीं कर सकता, क्योंकि अब वह प्रेम का अनुभव नहीं करता. सभी सृजन प्रेम पर आधारित हैं. - लू शुन, उसे इस लेखक के बारे में आज भी कुछ नहीं पता, उसका यह विचार कहीं पढ़ा तो लिख लिया। 

तीन दशकों से भी अधिक का सफर...  उनके विवाह की सालगिरह है. जून शहर से बाहर गए हैं. आज दोपहर एक अनोखे अतिथि को भोजन खिलाया. ज्ञान और नीति, दोनों पर एक कहानी लिखी जा सकती है. एक बिहार का है दूसरी असम की. दोनों की पहचान फेसबुक पर हुई और दोनों के भीतर आध्यात्मिक, सेवा और समर्पण की भावना प्रबल है. नायक पेड़ों को भी नाम से बुलाता है और जीवन में एक उच्च लक्ष्य को लेकर चल रहा है. नायिका उसके प्रति श्रद्धा का भाव रखती है, उसके लक्ष्य में पूरे मन से सहयोग कर रही है. अपने परिश्रम से कमाई धन राशि का एक विशाल भाग वह उसके ज्ञान मन्दिर में दान करना चाहती है. अपने परिवार व समाज का आक्षेप सहकर भी वह यह कार्य करना चाहती है. ऐसे लोग ही समाज को दिशा देने वाले होते हैं. 





Saturday, September 21, 2019

नंदी हिल पर एक सुबह



आज बैसाखी है. बाहर तेज धूप है. कुछ देर में वे आश्रम जायेंगे, उससे पूर्व बाजार, जहाँ जून को थोड़ा काम है. घर का सामान खरीदने की जिम्मेदारी उन्हीं की है, उन्होंने संभाली हुई है. आज सुबह देर से उठे वे, कारण कल रात देर से सोये. कल शाम डेंटिस्ट के यहाँ पहुँचे तो क्लिनिक पर कोई नहीं था. आठ बजे तक का समय सामने की दुकान पर काफ़ी पीकर व स्नैप सीड पर फोटो ठीक करके बिताया. कल दोपहर को दोनों मित्र परिवार आये थे. उन्हें पुलाव खिलाया, पुरानी यादें ताजा कीं, भविष्य के लिए योजनायें बनायीं और दो घंटे का समय कैसे बीत गया, पता ही नहीं चला. असमिया सखी तीन दिन बाद अपने पुत्र के यहाँ जा रही है, जिसके यहाँ सन्तान का जन्म होने वाला है. आज सुबह व कल शाम को ओशो पर बनी एक डॉक्युमेंट्री देखी. उनके आश्रम में क्या चल रहा था, वह उससे अनभिज्ञ तो नहीं रहे होंगे. जीवन विरोधाभासों से भरा है. इंसान जब अपने भीतर के पशु को पूरी तरह से देख लेगा, तभी उसके भीतर नये मानव का जन्म होगा, शायद इसीलिए ऐसा करते रहें हों वे लोग.

आज सुबह वे चार बजे से भी पहले उठे. कल शाम को ही नंदी हिल जाने का कार्यक्रम नन्हे ने बनाया था. नहा-धोकर वे तैयार हुए और पांच बजे उसके मित्र की कार लेकर निकल पड़े. रास्ते में ही लालिमा दिखाई दी, अर्थात सूर्योदय तो हो चुका था. लगभग डेढ़-पौने दो घंटे की यात्रा के बाद सुंदर पर्वत आरंभ हो गये. घुमावदार चढ़ाई पर कार के टायर घिसने लगे और एक गंध हवा में भर गयी. सैकड़ों लोग वहाँ पहुँच चुके थे. मौसम ठंडा था. बादल, धुंध और कोहरे के कारण कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. पेड़ों से गिरती पानी की बूंदों ने सडकों को गीला कर दिया था. हवा ठंडी थी. उन्होंने जैकेट पहन लिए थे और सिर भी ढक लिए थे. ऊपर कई रेस्तरां थे. एक जगह बैठकर चाय पी और एक प्लेट सांबर बड़ा में से सबने आधा-आधा बड़ा खाया, जिसका स्वाद अच्छा था, क्योंकि यह सुबह का पहला भोजन था. जगह-जगह वाचिंग टावर बने थे. जिसपर चढ़कर सूर्योदय तथा नीचे की घाटी का दृश्य देखा जा सकता था. थोड़ी देर बाद वहाँ बन्दर आने लगे, जो आदमियों को देखकर जरा भी नहीं डर रहे थे. कुछ समय बिताकर वे वापस आये तो पता चला कि गाड़ी का एक टायर पंक्चर हो गया है. रास्ते में पंक्चर ठीक कराया, बीस मिनट लगे, वापसी में परांठे की एक प्रसिद्ध दुकान पर नाश्ता किया, आलू, मूली, गोभी और पिज़ा परांठे का नाश्ता !

पौने दो बजे हैं दोपहर के. आज ओशो की फिल्म का अंतिम भाग भी देख लिया. उन जैसे व्यक्ति दुनिया में हलचल मचाने के लिए ही आते हैं. वे सोये हुए लोगों के भीतर क्रांति के जागरण का बीज बोते हैं. कल उन्हें वापस जाना है, पैकिंग लगभग हो गयी है. आज बीहू है, यहाँ हर दिन ही उत्सव है. नन्हा ढेर सारा भोजन ऑन लाइन मंगवा लेता है. सोनू ने केक बनाया है. जून ने आम काटे और कल नंदी हिल से वापसी की यात्रा में लिए काले अंगूर धोकर खिलाये. शाम को नन्हे के एक परिचित के यहाँ जाना है. बनारस के रहने वाले हैं. सुबह उसका एक सहकर्मी परिवार सहित आया था. नीचे बच्चों के तैरने की आवाजें आ रही हैं. सोसाइटी के तरणताल पर दिन भर रौनक लगी रहती है.

आज वे घर वापस लौट आये हैं. सुबह चार बजे से थोड़ा पूर्व ही उठे. साढ़े पांच बजे एयरपोर्ट के लिए रवाना हुए और साढ़े छह बजे पहुँच गये. कल शाम नन्हा और सोनू ढेर सारा सामान ले आये साथ ले जाने के लिए. अंजीर की बर्फी के रोल स्वादिष्ट थे और रिबन पकौड़ा भी. साढ़े ग्यारह बजे कोलकाता पहुँचे अगली फ्लाईट के लिए. हिन्दू, टाइम्स ऑफ़ इंडिया पढ़ते हुए समय बीत गया. साढ़े तीन बजे वे घर पहुँच गये. ढेर सारे फूल खिले हैं बगीचे में. सामने वाला गुलाबी फूलों वाला पेड़ फूलों से पूरा भर गया है. घर आकर सफाई आदि करते-कराते सात बज गये. नैनी अपनी देवरानी को ले आई, माली की दोनों पत्नियों को भी बुला लिया, चारों ने मिलकर सफाई की व कपड़े धोये.     

Thursday, September 19, 2019

फूलों की तस्वीर






आज कामवाली नैनी की जगह उसकी भांजी काम करने आयी है, उन्हें भी बाद में एक सहायिका को नियुक्त करना होगा, इतने बड़े घर की देखभाल व सफाई के लिए कोई तो चाहिए होगा. जून नेट फ्लिक्स पर 'तीन' देख रहे हैं, अमिताभ बच्चन की फिल्म है यह. उसे फ़िल्में देखने का जरा भी मन नहीं होता अब, जगत ही नाटक लगने लगे तो किसी और नाटक की जरूरत ही नहीं रहती. यहाँ आने के बाद एक बार भी तैरने नहीं गयी, मौसम सदा ही ठंडा रहता है, भीगा-भीगा सा. लेखन कार्य भी बंद है. अपना घर अपना ही होता है, यह बात उनके मन को कितना संकुचित कर देती है, अपना तो यह सारा जहान है !

दोपहर के बारह बजकर दस मिनट हुए हैं. मौसम हल्का गर्म है, धूप तेज है. शाम को मॉल जाना है. वाशिंग मशीन की एएमसी करके अभी-अभी कर्मचारी गया है. कल रात देर से सोये, नन्हा नये घर के लिए खरीदने वाली वस्तुओं की सूची बना रहा था. सोनू देर से लौटी, उसके बाद साढ़े ग्यारह बजे वे सोने गये. सुबह मन्दिर के बाहर बैठने वाली मालिन से फूल लेने गये, छोटी-छोटी दो मालाएं और गुलाब के ढेर सारे फूल ! वह मर्फी की किताब के साथ कार्नेगी की एक पुस्तक भी पढ़ रही है. जीवन को जब तक कोई दिशा नहीं मिलती, वे नया सीखने में उत्सुक नहीं रहते. आत्मा का स्वभाव है जानना, वह हर पल नयी है और नया सीखना चाहती है. अभी क्रोम बुक नही खोली है, आज की पोस्ट लिखनी है.

आज पूरा एक सप्ताह हो गया उन्हें यहाँ आए हुए. नन्हे व सोनू का घर बहुत सुंदर है, सारी सुख-सुविधाओं से पूर्ण, उनका आपसी व्यवहार भी बहुत अच्छा है, भरोसे और सहयोग से भरा ! शाम को नेत्रालय जाना है, परसों डेंटिस्ट के पास. इंटीरियर डेकोरेटर के पास सप्ताहांत में. आज बड़ी भाभी की तीसरी बरसी है. समय जैसे पंख लगाकर उड़ता है. आज सुबह पांच बजे नींद खुली. सुंदर स्वप्न चल रहा था, मुस्कान थी चेहरे पर जब आँख खुली. फूलों की तस्वीरें उतारीं. कल शाम को एक जगह सुंदर फूल देखे थे, पर आज सुबह नहीं थे, माली ने कटिंग कर दी, पता नहीं कहाँ फेंके होंगे श्वेत व रक्तिम वे पुष्प ! जून ने कल रात ढेर सारा पुलाव बना दिया, नन्हा सुबह टिफिन में वही ले गया है. जाने से पूर्व घर भी ठीक-ठाक कर के जाता है, उसे जरा भी काम नहीं करने देता. उसे अँधेरे से डर लगता है, बचपन में ही यह डर उसके मन में बैठा होगा. उसके खुद के मन में भी कितने भय के संस्कार थे, जिनका सामना करने से वे समाप्त प्रायः हो गये हैं. जून आज सुबह भविष्य के लिए चिंतित थे जब वे वृद्ध हो जायेंगे. यह घड़ी पर्याप्त है जीने के लिए, न कोई भूत सताये न भविष्य  सताये..वर्तमान का यह पल ही पर्याप्त है ! नेट पर एक लेख पढ़ा मछली खाने को लेकर, लेखिका को एक रोग है जो व्यक्ति को कमजोर कर देता है. गेहूँ, चावल, दूध के बने पदार्थ उन्हें नहीं पचते. उसे इतने बड़े विश्व में इस पल अथवा तो ज्यादातर समय किसी से कुछ लेना-देना नहीं होता, वह अपने आप में ही प्रसन्न है ! कोई जवाबदेही न हो किसी के भी प्रति, यही तो सच्ची आजादी है ! यह आजादी जिसने एक बार अनुभव कर ली वह भला क्यों बंधना चाहेगा ! सेवा का बंधन भी नहीं, कर्त्तव्य का बंधन भी नहीं..सदा-सर्वदा मुक्त और अपनी आजादी में जो हो उसे होने देना..जो अस्तित्त्व कराए हो जाने देना !

दस बजे हैं सुबह के, आज असमिया सखी आने वाली है, कई बार पहले भी उसने कहा, अंततः वे लोग यहाँ आ रहे हैं. हो सकता है एक और मित्र परिवार भी आये. आज बहुत दिनों बाद दीदी का ब्लॉग पढ़ा. शाम को बड़े भाई से बात की, कल दोपहर वह परेशान हो गये थे, अकेलेपन का दंश और भाभी की उपस्थिति का अभाव उन्हें चुभ रहा था, पर स्वयं को स्वयं ही समझाकर वह उस स्थिति से बाहर आ पाए. मन का काँटा मन से निकलता है फिर उस कांटे को भी फेंक देना है. मौसम आज अच्छा है, बाहर का भी और मन का भी !

Monday, July 15, 2019

साईं भजन



जून शाम को आये तो उन्होंने टीवी पर एक फिल्म का कुछ अंश देखा, फिर आमिर खान की 'सीक्रेट सुपर स्टार' का भी. सोने गयी तो नींद का दूर-दूर तक पता नहीं था, पता नहीं चला बाद में कब नींद आई, सुबह फिर कोई देवदूत जगाने आया. आज इतवार है सो जून ने नया नाश्ता बनाया, 'पनिअप्पम तथा फिल्टर कॉफ़ी'. बाद में सभी से फोन पर बात की, हर इतवार को वे एक-डेढ़ घंटा इसी में बिताते हैं, हफ्ते भर के समाचार मिल जाते हैं. बगीचे में ढेर सारे फूल खिले हैं, फूलों का ही मौसम है यह फाल्गुन का महीना. दो दिन बाद शिवरात्रि है. उस दिन बीहुताली में ब्रह्माकुमारी का कोई कार्यक्रम भी होने वाला है. वह इस बार रात्रि जागरण करेगी, वैसे भी देर तक नींद कहाँ आती है. भीतर सुमिरन चलता रहता है चाहे आँख खुली रहे या बंद. कभी रूप बनकर, कभी गंध बनकर आस-पास ही कोई डोलता रहता है. अब वह जगाता भी है, पढ़ाता भी है. जून ने एक नयी डायरी दी है, उसमें विशेष अध्यात्मिक अनुभव लिख रही है आजकल. सुना है, कबीर पहले भगवान को पुकारते थे और फिर एक दिन भगवान उनके पीछे कबीर-कबीर कहकर पीछा करने लगे. कैसा अनोखा है प्रेम का यह आदान-प्रदान ! दोपहर को नन्हे और सोनू से बात हुई, वे दोनों भी प्रेम के एक बंधन में बंधे हैं, जहाँ अभिमान की गंध भी नहीं. प्रेम और अभिमान का साथ हो ही नहीं सकता, प्रेम तो समर्पण का ही दूसरा नाम है. जून बाहर टहलते हुए फोन पर अपने मित्र से बात कर रहे हैं. दोपहर को तीन छोटी लडकियाँ आयीं जिन्हें गणित पढ़ाया, फिर कुछ देर बैडमिंटन खेला. अब समय है 'अष्टावक्र गीता' पर गुरूजी की व्याख्या सुनकर ध्यान करने का. ध्यान मन के पार होकर ही किया जा सकता है, बल्कि मन के कारण ही ध्यान उपलब्ध नहीं होता. अमन अवस्था ही ध्यान है. ध्यान कार्य-कारण में नहीं आता. कार्य-कारण के कारण ईश्वर को नहीं पाया जा सकता है. कार्य-कारण का सिद्धांत जहाँ लागू होता है वहाँ नियति है, पर परमात्मा भाग्य से नहीं मिलता, अर्थात उनके कुछ करने से नहीं मिलता. परमात्मा कृपा से मिलता है. बल्कि परमात्मा सदा ही है, सब जगह है, उसे देखने की दृष्टि हमें जगानी है. परमात्मा सब सीमाओं के पार है. ध्यान उन्हें वह अवसर देता है कि वह दृष्टि अपने भीतर जागृत कर लें.  

कुछ देर पहले कम्पनी के आई टी विभाग से एक मकैनिक आया माउस बदलने, उसके पिता का कुछ समय पहले देहांत हो गया था, कहने लगा, माँ को योग सिखने के लिए लायेगा किसी दिन. कल सुबह स्कूल में बच्चों को योग के बाद ध्यान कराया, एक अध्यापिका ने धन्यवाद कहा, वह आजकल पहले की तरह क्रोध नहीं करती हैं. कल शाम क्लब में 'पैडमैन' थी, अच्छी फिल्म है, सामाजिक विषय को लेकर बनायी गयी. उसके बाद महिला क्लब की एक सदस्या का विदाई समारोह था. आज आसू ने 'बंद' का आवाहन किया है, कम्पनी के वाहन नहीं चल रहे हैं, जून अपनी गाड़ी लेकर दफ्तर गये हैं. ऐसे में थोडा सा डर तो बना ही रहता है, फ़ील्ड जाने वाली गाड़ियों को पत्थर मारने की घटनाएँ भी कभी-कभी हो जाती हैं. एक सखी ने अपने घर पर 'साईं भजन' रखा है, साईं बाबा को मानने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. उसने देखा है सभी भजनों में थोडा सा परिवर्तन करके साईं के नाम से गाते हैं. उसने मना कर दिया, क्योंकि वही समय शाम की योग कक्षा का होता है.


Sunday, January 13, 2019

जॉप नाउ और बिग बास्केट



आज सुबह नींद जल्दी खुली. प्रातः भ्रमण, प्राणायाम, व्यायाम सभी कुछ समय से हुआ. ठंडी हवा बह रही थी., जब वे टहलने गये. हल्के बादल भी हैं आकाश पर. गुलदाउदी के पीले पुष्प भी मिले फूल वाली मालिन से, हल्की सी फुहार चेहरे पर पड़ रही थी. नाश्ते में रागी का चीला बनवाया, जून ने जॉपनाउ से मंगवाया था रागी. नन्हा कल रात फिर देर से आया, सुबह उठते ही चला गया. इस समय हल्की धूप निकल आई है. रसोइया दोपहर का भोजन बनाकर चला गया है. महरी सफाई कर रही है. आज ब्लॉग पर दो पोस्ट्स सीधे ही लिखकर डालीं. कल पहली बार एक ब्लॉग पर मोबाइल पर लिखा था. कल विश्व विकलांग दिवस है. असम में होती तो व्यस्तता कुछ अलग होती. कल भतीजी का जन्मदिन है, उसके लिए कविता लिखी है. कल दीदी का फोन आया था, उन्हें नन्हे की मित्र के बारे में नहीं बताया है, एक दिन तो बताना ही होगा.

आज नन्हे का अवकाश है. सुबह का नाश्ता उसी ने बनाया और शाम की चाय भी. इस समय बाजार गया है. मौसम आज अच्छा है, धूप निकली है. कल रात को उसका एक मित्र अपनी पत्नी के साथ आया था, उन्हें पानी-पूरी खिलाई. जून को कल सुबह की प्रतीक्षा है, जब उनका प्लास्टर खोला जा सकता है. पिताजी व छोटे भाई से बात हुई, उसके विवाह की वर्षगांठ है, उसके लिए लिखी कविता उसे पसंद आई. तीन पोस्ट्स भी लिखीं, लिखने के लिए यहाँ समय मिल जाता है, क्योंकि घर का कोई विशेष काम नहीं करना होता. नन्हे का लाया एक खेल खेला, ‘कटान’, उसमें दस अंक मिले, पर एक जगह नियम के खिलाफ जाकर. कुछ देर अक्षय कुमार की फिल्म देखी ‘एयर लिफ्ट’. फिल्म काफी अच्छी है.

आज जून के पैर का प्लास्टर खुल गया है, पर अभी दो हफ्ते उन्हें और यहाँ रहना है. नन्हा अस्पताल ले गया था, फिर घुटने पर लगाने के लिए एक बेल्ट देने आया, जिसका नाम ‘रॉम नी बेल्ट है. वे लोग दुबई भी नहीं जा रहे हैं. छोटी बहन को बताया तो वह कुछ परेशान हुई, पर उन्हें व्यक्ति, वस्तु तथा परिस्थिति पर अपने मन की ख़ुशी को निर्भर नहीं करना है. आज ब्लॉग पर एक त्वरित रचना पोस्ट की.

शाम के पांच बजे हैं, अभी भी धूप निकली है यहाँ. असम में अँधेरा हो गया होगा. जून बेड पर व्यायाम कर रहे हैं. कल रात्रि साढ़े ग्यारह बजे तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता का देहांत हो गया. कल शाम से ही उनकी सम्भावित मृत्यु की खबर टीवी पर आ रही थी. वह पिछले दो महीने से अस्पताल में थीं. जयललिता ने राजनीति में कदम रखने से पूर्व फिल्मों में भी काम किया था. हिन्दी की एक फिल्म में भी धर्मेन्द के साथ उन्होंने एक भूमिका निभाई थी, जो वह इस समय मोबाईल पर देख रही है. इस समय बचपन में सुना एक गाना, क्या मिलिए ऐसे लोगों से जिनकी सूरत छिपी रहे, नकली चेहरा सामने आये, असली सूरत छिपी रहे...बज रहा है. यहाँ नेट की स्पीड बहुत ज्यादा है.

पिछले दो दिन कुछ नहीं लिखा. सुबह से शाम कैसे हो जाती है और समय कहाँ चला जाता है, पता ही नहीं चलता. आज भी दोपहर के दो बज चुके हैं. कहीं पढ़ा था कि उम्र के साथ-साथ काम करने की गति कम हो जाती है, इसलिए उम्रदराज लोगों को समय सदा जल्दी भागता हुआ लगता है. जून विश्राम कर रहे हैं, सुबह नाश्ते में उन्होंने स्वयं बनारसी तरीके से चिवड़ा-मटर बनवाया, चाय नन्हे ने बनाई, उसने केवल फल काटे. नन्हा शनिवार होने के बावजूद दफ्तर चला गया है, शाम तक आएगा. एक फिल्म लगाकर गया था, B4G, एक बड़े दैत्य की कहानी थी, जो आदमियों को सपने देता है. अद्भुत कल्पना और फोटोग्राफी है फिल्म में. मौसम आज अच्छा है, न ठंड न गर्मी, धूप खिली हुई है. सुबह मीनाक्षी मन्दिर के बाहर से सुंदर फूल मिले, पीले और लाल फूलों की एक माला भी ! आज उन्हें बाजार जाकर फल लाने हैं इससे पहले कि नन्हा बिग बास्केट में आर्डर कर दे.


Friday, December 7, 2018

द जंगल बुक



शाम के सात बजे हैं, पहली बार ऐसा हुआ है जब जून और वह घर में अकेले हैं. नन्हा दफ्तर गया है, और उसकी मित्र अपने किसी रिश्तेदार से मिलने. भांजा अपने हॉस्टल चला गया है. उसकी मित्र ने कहा है जब वे वापस घर जायेंगे, उसकी माँ उनसे मिलने आयेंगी. अगले वर्ष के आरम्भ में ही नन्हा और वह विवाह बंधन में बंध जायेंगे. सुबह भी पांच बजे उठे. नन्हे ने सभी के लिए दक्षिण भारतीय नाश्ता बाहर से मंगवा लिया था, इडली, डोसा, पोंगल तथा हलवा. आज PPT पर थोड़ा काम किया. जून का कहना है वह पूर्व निर्धारित तिथि को वापस नहीं जा रहे हैं, पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाने के बाद ही वह वापस जायेंगे. अगले माह पहले सप्ताह में प्लास्टर खुलेगा, उसके बाद जून की इच्छा के अनुसार सम्भवतः वे दुबई भी जा पायें. छोटी भांजी का मेल आया, वह भी दुबई जा रही है, सो बहुत खुश थी कि वहाँ उनसे भी मिलेगी. आज उसके पास समय है पर भीतर कुछ कहने को नहीं है. न ही कुछ जानने को है, जिसे जानकर सब कुछ जान लिया जाता है, उसे जानने के बाद भीतर कैसा मौन छा जाता है. इस संसार में यूँ तो जानने को बहुत कुछ है पर जो संसार एक स्वप्न से ज्यादा कुछ नहीं, उसे जानकर भी क्या लाभ हो सकता है. कुछ देर योग साधना करना ही सबसे उत्तम है !

रात्रि के आठ बजे हैं. आज सुबह नींद देर से खुली. प्रातः भ्रमण की जगह सांध्य भ्रमण किया. छत पर टहलने गयी तो सूर्यास्त होने ही वाला था. बादलों का रक्तिम रंग आकाश को अनोखे रंगों से दहकाता जा रहा था. वापस आकर बालकनी से देखा आकाश गुलाबी हो गया था. कैमरे से कुछ तस्वीरें लीं जो जून ने फेसबुक पर प्रकाशित कर दी हैं. आज रात्रि भोजन में काले चने की सब्जी बनाई है, जो नन्हे को बहुत रुचिकर है. दाल व मेथी की जो बड़ी वह साथ लाये थे उसे डालकर कुम्हड़े की सब्जी भी. साथ ही छोटी कटी सब्जियों का सादा सूप. आज से रसोइया छुट्टी पर जा रहा है, कल से दूसरा आएगा. दोपहर को छोटी बहन ने एक चित्र पूरा करके व्हाट्सएप पर भेजा, जो शायद वह कई दिनों से बना रही थी. टेक्नोलोजी ने दूरियाँ मिटा दी हैं. सुबह से एक बढ़ई घर में काम करता रहा, जो कल भी आएगा. नन्हे ने कलात्मक वस्तुओं से घर को सुन्दरता से सजाया है, खुला स्थान भी काफी है. आज सुबह नन्हे के साथ नेत्रालय भी गयी, डाक्टर ने परीक्षण किया पर PVD के कारण दायीं आँख के सामने जो काला घेरा दिखाई देता है, उसका कोई इलाज नहीं है, समय के साथ वह अपने आप ही कम हो जायेगा.

आज फिर बढ़ई आ गया है. शाम तक काम चलेगा. जून कुछ देर के लिए विश्राम करने शयन कक्ष में गये हैं. सुबह काफी देर तक वह दफ्तर का काम करते रहे. उन्हें घर बैठे खरीदारी करने का साधन ‘जॉप नाउ’ मिल गया है, अमेजन तो है ही. सुबह तिल भूने, अभी मूंगफली भूननी है गुड़ भी मंगाया है, वे गजक बनाने वाले हैं. कल रात देर तक ‘द जंगल बुक’ देखी, जिसका थोड़ा सा शेष भाग आज सुबह देखा. बहुत अच्छी फिल्म है. छोटा मोगली एक सखी की बिटिया की याद दिला रहा था, उसके हाव-भाव में कुछ समानता तो अवश्य है. उसके पास पढ़ने के लिए इस समय कोई प्रिय पुस्तक नहीं है. यहाँ रखी एक पुस्तक The deep work पढ़ना शुरू करेगी और करना भी. समय को व्यर्थ ही गंवाया जाये अथवा उसका सार्थक उपयोग किया जाये यह तो उन पर ही निर्भर करता है. दोपहर के बारह बजने को हैं. आजकल उसे ऐसा लगने लगा है उसे कुछ भी ज्ञान नहीं है, न ही कुछ जानने को शेष रह गया है. भीतर कैसा सन्नाटा है, पर ऊर्जा जो मौन के रूप में प्रकट होती है वही तो मुखरित होगी और वह ऊर्जा तो अनंत है, चाहे जितना उपयोग करें उसका. परसों बड़े भाई का जन्मदिन है, उनके लिए एक कविता लिखेगी.



Thursday, February 8, 2018

बोलती आँखें


अगस्त का प्रथम दिन ! आज जून यात्रा पर गये हैं पांच दिनों के लिए. जिस शहर में वे गये हैं, सौभाग्य से दीदी-जीजाजी भी वहाँ आये हुए हैं, कल शाम को उनसे मिलेंगे. दोपहर के चार बजे हैं. नैनी काम कर रही है. आज सुबह वह भी अस्पताल गयी थी. डाक्टर ने कहा, उसके बदन में खून की कमी है, अब बच्चे को रखना ही एकमात्र उपाय है. भगवान ने उसे भी इस कृत्य से बचा लिया है. आने वाली आत्मा का स्वागत करना होगा. आज सुबह उसकी देवरानी आई थी, घर के काम में सहायता करने. उसे जब कहा रात के डेढ़-दो बजे एम्बुलेंस के लिए नहीं जगाएगी, वह बुरा मान गयी. माँ बनने वाली स्त्री के मन में कितने डर होते हैं. वह मन में सोचती होगी कि पुत्र न हुआ तो क्या होगा. उसे इन लोगों के साथ सहानुभूति से काम लेना होगा. बच्चों को भी प्रेम से स्वीकारना होगा. परमात्मा जब उन्हें स्वीकार रहा है तो वे कौन हैं ?

दोपहर के दो बजने को हैं. आज सुबह ओस से भीगी घास पर चलते हुए मन में कितने सूक्ष्म भाव जग रहे थे. नेट पर प्रेमचन्द की दो कहानियाँ पढ़ीं, नहीं.. सुनीं, कितनी उम्दा पेशकश है, बहुत स्पष्ट आवाज है. आज मिनी ट्रक ड्राइवर अपनी गाड़ी में दूधवाले के यहाँ से गोबर लाने का काम कर रहा है, दो बार वे ला चुके हैं, शायद इस बार अंतिम हो. इतनी तेज धूप में वे लोग काम कर रहे हैं. माली ने दूब घास की पौध भी लगा दी है जो वह नर्सरी से लायी थी. नन्हे ने बताया उसकी नई मित्र घर पर ही थी जब मासी का परिवार आया. उसने अपने फ़्लैट मेट के बारे में भी कहा कि वह सामान्य नहीं है. उसे सुनकर धक्का लगेगा, ऐसा उसने कहा, पर उसे भीतर जरा भी हलचल नहीं हुई. लोग जैसे हैं वैसे हैं, चीजें जैसी हैं, वैसी हैं..वे इस दुनिया को वह जैसी है वैसी ही स्वीकार लें तो व्यर्थ के झंझटों से बच जाएँ. नन्हे की मित्र अन्य संप्रदाय की है. इस वर्ष के अंत तक का समय उन्होंने दिया है एक दूसरे को जानने-समझने के लिए. आज की पीढ़ी रिश्तों को भी प्रोफेशन की तरह निभाती है, प्रोबेशन पीरियड चल रहा है ऐसा कहा था उसने. उसे हँसी भी आई और भीतर विचार भी आया, कब तक चलेगा यह रिश्ता.

रात्रि के दस बजने को हैं, जून यहाँ होते तो इस समय वे सो चुके होते पर आज पूना में वह भी जाग रहे होंगे इस वक्त. क्लब में फिल्म देख रही थी तब उनका फोन आया था. पूना में एक पुराने मित्र परिवार से मिले. उसे भी क्लब में एक पुराने परिचित मिले. जून के आने पर घर भी आएंगे. फिल्म अच्छी थी, शाहिदा का रोल जिसने निभाया है वह लड़की नन्ही सी बहुत प्यारी है, उसकी आँखें बोलती हैं. कुछ देर पहले नैनी डेटोल मांगने आयी. उसके ससुर को फिर चोट लग गयी है, नशे में साईकिल से गिर गया होगा. सुबह एक सखी का फोन आया, स्कूल खुल गया है, जहाँ वह सप्ताह में एक बार योग सिखाने जाती है. अगले हफ्ते से जाएगी. सुबह देर तक साधना करने के बाद मन कितना शांत रहता है. आज एक अनोखा अनुभव भी हुआ, अचानक सभी के भीतर ईश्वर की ज्योति के दर्शन होने लगे. जून से फोन पर बात की तो अपनी ही आवाज इतनी मधुर लग रही थी और जून की और भी ज्यादा, वे दूसरों को जो तरंगे भेजते हैं, वही लौटकर वापस आती हैं, जैसे कि वे खुद से ही बात रहे होते हैं. परमात्मा ने यह सृष्टि कितनी अनोखी बनाई है. यहाँ प्रेम ही प्रेम है. यदि कोई महसूस करने वाला हो. यहाँ एक आधार है, जिसका कोई कुछ नहीं कर सकता. अविकारी है वह, अजर, अमर, अविनाशी, अखंड, कालातीत और भी बहुत कुछ ! उस परमात्मा को प्रेम से ही जाना जा सकता है !

रात्रि के नौ बजे हैं. दिन के सभी कार्य हो चुके हैं. रात्रि का, विश्राम का समय है. कुछ देर पहले अख़बार पलटा, पहेली हल की. जून का फोन आया, परसों वह आ रहे हैं, उसी शाम को ही उनके दो मित्र जो यहाँ आये हुए हैं, भोजन पर आयेंगे. इतने दिनों की शांति के बाद चहल-पहल हो जाएगी. फिर इसी सप्ताहांत में छोटी बहन का परिवार व नन्हा आ जायेंगे. आज बगीचे में काम किया. दोपहर को टालस्टाय की अन्ना केरेनिना पढ़नी आरम्भ की है. रोज की तरह ब्लॉग पर लिखा, ध्यान किया. परमात्मा में होना कितना सुखद है, आनंददायक है वह परमात्मा !  

    

Monday, June 27, 2016

आल इज वेल


भजन अभ्यास करने का उद्देश्य है कि आत्मा परमात्मा का अनुभव करे. मन की शांति, देह की निरोगता, सौभाग्य... ये सारी बातें अपने आप ही होने लगती हैं. कल रात टीवी पर कुछ नये कार्यक्रम देखे, सोने गयी तो पीछे वाली लेन से लाउडस्पीकर पर तेज आवाज में बजते गीतों के कारण नींद में व्यवधान पड़ा. सोने-उठने में जैसा अनुशासन जून रखते हैं, वह नहीं रख पाती. आज बाजार जाना है. मृणाल ज्योति के शिक्षकों के लिए नये वर्ष का उपहार- डायरी व पेन, ‘अंकुर’ के बच्चों के लिए भारत व विश्व के मानचित्र तथा घर के लिए सब्जियां व फल खरीदने हैं.

सद्गुरु के वचन अनमोल हैं, वह कहते हैं, साधक चलती-फिरती आग हैं जो सारी बुराइयों को जला कर रख कर देती है, जो बर्फ को पिघला देती है. वे भूल गये हैं कि जीता-जागता प्रकाश उनके भीतर है. मन का विक्षेप, मन की उद्वगिनता तथा मन की कमजोरी तभी उन्हें प्रभावित करती है, जब वे अपने स्वरूप को भूल जाते हैं. श्रद्धा से उनमें समाधि का उदय होता ही है. वीरता के क्षणों में भी पूर्ण होश रहता है. परमात्मा के प्रति समर्पण भी समाधि है ! दृष्टा में पहुंचना ही साधक का लक्ष्य है. वे अगले महीने यहाँ आने वाले हैं. उनके बारे में वे जो भी जानते हैं, उसे ठीक से लिख लेना होगा.


कल माँ की पुण्य तिथि थी. नौ वर्ष हो गये उनके देहांत को. कल भी मंझले भाई ने उन्हें स्वप्न में देखा, उसने भी कई बार उन्हें स्वप्न में देखा है. ऐसे ही एक दिन उनका जीवन भी स्वप्न हो जायेगा. वे भी किसी के स्वप्न में आने वाली छाया मात्र रह जायेंगे. उससे पूर्व उन्हें अपने सत्य स्वरूप को जान लेना है, जान ही लेना है. इस मायामय जगत के आकर्षण इतने लुभावने हैं कि मन टिककर बैठना ही नहीं चाहता, कामनाओं के जाल में इस तरह उलझा हुआ है कि..यश की कामना, समाज के लिए कुछ करने की कामना...अच्छा बनने की कामना..वे एक क्षण को भी कामना से मुक्त नही होते हैं. समाधि के क्षणों में भी कोई जगा रहता है, सबीज समाधि हुई न, कोई रहता है जो उस सुख को अनुभव कर रहा है, दृष्टा बना ही रहता है. उसकी साधना में जैसे एक समतल स्थान आ गया है. सत्संग में जाना भी छूट गया है. सद्गुरु की वाणी सुनती है, पढ़ने का क्रम भी कम हो गया है. लेकिन मन तृप्त है. कोई विक्षेप नहीं है, इसी बात का भरोसा है कि सद्गुरु हर क्षण उनके साथ हैं, वे उनकी आत्मा हैं, वे भीतर का प्रकाश हैं, जो कभी भी कहीं भी नष्ट नहीं हो सकता, तो फिर भय कैसा ? जो उन्हें चाहिए वह पहले से ही मिला हुआ है और जो व्यर्थ है वह मिले या न मिले, क्या फर्क पड़ता है. टाइम पास ही तो करना है इस जगत में, समभाव से निकाल करना है, कोई नया कर्म बंधन बांधना नहीं है, पुराने खत्म होते जाते हैं. कोई आशा नहीं, कोई अपेक्षा भी नहीं, जीवन सहज गति से चलने वाली धारा की तरह बहा जा रहा है. कल क्लब में 3 इडियट्स है, इस फिल्म की बहुत तारीफ़ सुनी है. समाज में कुछ परिवर्तन लाएगी यह फिल्म, यह उम्मीद की जा सकती है. न लाये तो भी कोई हर्ज नहीं, इस सुंदर जगत को जो भी और सुंदर बनाये उसकी प्रशंसा होनी ही चाहिए ! बड़ी ननद की बड़ी बेटी के sms भी सुंदर हैं, नन्हे की कम्पनी का newsletter भी सुंदर है ! उन्होंने सभी को सिंगापुर की तस्वीरों का लिंक भेजा है, देखें, कौन-कौन देख पाता है !

Monday, May 18, 2015

फ्लोटिंग कैंडल्स




आज सुबह वह उठी तो रात देखे दो स्वप्नों की स्मृति मन पर छायी थी, एक में माँ को मृत्यु शैया पर देखा, उनका बदन गुलाबी हो चुका है, तलवे तथा हथेलियाँ तो लाल ही हैं. डाक्टर ने जवाब दे दिया है और उनके देखते-देखते वह उन्हें चेताते हुए दम तोड़ देती हैं. वह कुछ देर स्वप्न  में रोई पर शीघ्र ही नींद खुल गयी और भान हो गया. दूसरे स्वप्न में वे एक यात्रा में हैं ट्रेन की खिड़की से एक विषैला सर्प अंदर आ जाता है वह उसका फन पकड़ कर उसे मारने में सफल होती है, सभी डर रहे थे, यह स्वप्न सम्भवतः उस द्वंद्व के कारण था जिसे लेकर वह रात को सोयी थी. दिन में उन्होंने ‘कांटे’ फिल्म देखी, बहुत अच्छी तो नहीं लगी पर कुछ का अभिनय अच्छा था. नन्हा दिगबोई में है. कल क्लब में मीटिंग थी, उसने नये वर्ष की शुभकामनाओं वाली कविता पढ़ी, एक सदस्या ने ‘फ्लोटिंग कैंडल्स’ बनाना सिखाया. वापस आई तो एक मित्र परिवार मिलने आया हुआ था, उसने चिवड़ा-मटर बनाया, नमक कुछ अधिक हो गया. आज सभी संबंधियों को उन्होंने नये वर्ष के कार्ड भी भेज दिए.

कल रात्रि वे सोये ही थे कि बड़े भैया का फोन आया, दोपहर तीन बजे चाचाजी का देहांत हो गया. आत्मा ने अशक्त देह को त्याग दिया. मंगलवार को चौथा है, इतनी दूर से वह ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना ही कर सकती है. जून नन्हे को लाने दिगबोई गये हैं. उसके स्कूल की प्रदर्शनी तीन दिनों तक चलने वाली है, यह बात उन्हें पहले पता ही नहीं थी. मित्र के घर रहना उसे अच्छा लग रहा है, यह बात उसने फोन पर दो-तीन बार बतायी. कल मौसम बेहद ठंडा था, वर्षा हो रही थी, आज धूप खिली है. कल वे बहुत दिनों बाद लाइब्रेरी भी गये, Don Moraes की पुस्तक Indian Journeys लायी है, अवश्य ही यह पुस्तक रोचक होगी. कल सुबह पिताजी से बात हुई, वह चाचाजी के यहाँ जाने वाले थे. छोटे चचेरे भाई के बारे में बड़ी भाभी ने जो बताया काश वह सच न हो. उसे नशे की आदत पड़ गयी है ऐसा उन्होंने कहा, जो बेहद दुखद समाचार है.

वर्ष का अंतिम दिन, धूप खिली है, फूल मुस्का रहे हैं जैसे वे सदा ही करते हैं. वह इन सर्दियों में पहली बार बाहर लॉन में बैठकर लिख रही है, इसकी प्रेरणा एक सखी से मिली जिसने कहा कि कल नये वर्ष के पहले दिन की पिकनिक उनके लॉन में मनाते हैं प्रकृति के सान्निध्य में. नन्हे की छुट्टियाँ चल रही हैं. इस पूरे वर्ष का लेखा-जोखा करें तो उन्हें यह ज्ञान के पथ पर ले जाने वाला वर्ष रहा है. ईश्वर की निकटता का अनुभव हुआ है और कई अच्छी पुस्तकें भी पढ़ीं. नन्हे का हाई स्कल का रिजल्ट आया, जून का प्रोजेक्ट शुरू हुआ, उसने संगीत की पहली परीक्षा दी. आने वाला वर्ष भी उन्हें ज्ञान के मार्ग पर दृढ़ करे. ईश्वर को वे अपना बनाये रखें. परहित की भावना प्रबल हो, विकारों से मुक्त हों, स्वार्थी न बनें, अपने कर्त्तव्यों को निबाहें और ध्यान से वर्तमान  में रहें. तभी नूतनवर्ष उन सभी के लिए मंगलमय होगा. गुलाब के सुंदर फूलों की तरह उनकी सुवास ही सबको मिले, वाणी शुभ हो. मनसा, वाचा, कर्मणा वे कभी भी डिगे नहीं, चूके नहीं, कृष्ण को अपना मीत बनाया है यह एक पल को भी न भूलें तभी होगा जून , नन्हा और उसके लिए नया वर्ष मंगलमय...विदा जाते हुए वर्ष और स्वागत नये वर्ष.

Friday, February 27, 2015

श्यामा तुलसी


कल शाम को जून नन्हे से नाराज थे, नूना ने कहा प्यार से समझाना चाहिए पर जो प्यार की भाषा ही न समझे उसे समझाने का कोई दूसरा तरीका खोजना ही पड़ेगा. अभी भोजन नहीं बनाया है और किचन में गैस लीक को ठीक करने कारीगर आ गये हैं. उसे एक सखी के यहाँ जाना था, जून भी आज फ़ील्ड गये हैं, पर अब सम्भव नहीं लगता.

अप्रैल का अंतिम दिन, सुबह वे वक्त से उठे, ‘क्रिया’ की. जून दफ्तर जा रहे थे कि खुले जाली वाले गेट से पूसी अंदर आ गयी, उन्हें बुरा लगा होगा क्योंकि दफ्तर जाकर उन्होंने फोन पर कहा. पिछले दिनों नन्हे के जवाब देने के कारण और फोन पर देर-देर तक बात करने के कारण वह परेशान थे ही. परिवार में आपसी सद्भाव, प्रेम व सौहार्द के साथ-साथ अनुशासन भी बहुत जरूरी है, अन्यथा सभी सदस्य अपनी मनमानी करके अपनी-अपनी राह चलने लगते हैं. रही पूसी व उसके तीन बच्चों की बात तो उन्हें कुछ सोचना होगा. उनका फोन खराब है सो छोटी ननद से बात नहीं हो पायी, उसे art of living कोर्स किये दो दिन हो गये हैं, यकीनन खुश होगी. पार्लियामेंट में आज गुजरात मुद्दे पर १८४ के अंतर्गत बहस जरी है, सरकार तो बच ही जाएगी लेकिन गुजरात कब बचेगा इसकी किसी को चिंता नहीं है. जब तक वहाँ के निवासियों को सद्बुद्धि नहीं आएगी हिंसा का दौर चलता ही रहेगा. कल शाम वे क्लब एक फिल्म देखने गये अभिनेत्री के आते ही उठ गये बहुत ही भद्दे वस्त्र पहने थी और आवाज भी भद्दी निकाल रही थी. आज क्लब में अशोका फिल्म है शायद ठीक लगे. सुबह गुरुमाँ को सुना स्वयं को खोजना ही अध्यात्म है. ध्यान में भी एक विचार गहरे विचरता है कि ध्यान चल रहा है, पर कर्ताभाव से मुक्त हुए बिना ‘उसकी’ झलक नहीं मिलती. कल रात लेकिन देह का ठोसपना गायब होता लगा, तरंगों का अनुभव हुआ.   

मई महीने का आरम्भ हो चका है. कल दिन भर वर्षा होती रही पर अज धूप निकली है. स्टोर की सफाई (मासिक) करवायी और बाएं तरफ की पड़ोसिन के यहाँ से लाकर काली तुलसी का एक पौधा लगाया. नन्हा वहाँ पूसी के बच्चों को छोड़ने गया था, पर वह उनमें से दो को वापस ले आयी है, तीसरे का पता नहीं. जून ने कहा है अब पूसी वहाँ नहीं रह सकती.

आज उसका मन अद्भुत शांति से परिपूर्ण है, बाबाजी ने ध्यान की विधि इतने सरल शब्दों में बताई जो दिल को छू गयी. वह उनके सच्चे हितैषी हैं जो उत्थान की बात करते हैं, किस तरह वे अपने मन को ईश्वर की ओर लगायें, सुख और शांति उनके सहज मित्र हो जाएँ, ज्ञान, प्रेम और आनंद स्वरूप अपने मूल को वे खोज सकें और उसमें स्थित रह सकें. उन्नत विचार, उन्नत भाव मानव को सहज बनाते हैं. आदर्शों को सामने रखते हुए, मन, वचन, काया से सद्कर्म करने हैं, तभी वे सुखी होंगे.



Friday, June 13, 2014

सांध्य भ्रमण


आज शनिवार है, दस बजने में कुछ समय शेष है और यही है उसके लिखने का समय. कल शाम को एक सखी के साथ क्लब में ‘करीब’ देखी, आधी फिल्म देखकर जब वे लौट रहे थे तो उसने बताया कि उसे पैदल चलना और रास्ते में दिखने वाले फूल-पौधे, घास, पेड़ सब बहुत अच्छे लगते हैं, वह खुश थी पर घर जाकर उसने फोन किया, एक मित्र की कार का टायर पंक्चर होने से एक्सीडेंट हो गया, वे लम्बी यात्रा करके नई कार ला रहे थे, सभी सुरक्षित हैं पर गाड़ी को काफी क्षति पहुँची है. हर क्षण जीवन में कुछ न कुछ घटित होता रहता है लेकिन स्वप्न मानकर इन सब स्थितियों का सामना करने का माद्दा मानव में तभी आता है जब उसके विवेक का तीसरा नेत्र खुला हो, तब दुःख होता है जरूर पर कम होता है और उसका असर भी देर तक नहीं रहता.. उनके साथ घटी उस घटना को वे भी आज तक नहीं भूल तो नहीं पाए हैं पर उस वक्त भी उन्होंने समझ से काम लिया था और व्यर्थ की चर्चा से बच गये थे.

फिर एक अन्तराल, लिखने का अभ्यास बीच-बीच में छूट जाता है फिर एक दिन प्रेरणा होती है और कोरे पेज भरने लगते हैं. आज सुबह कई कार्यों के बारे में सोच रही थी जो करने हैं, कपड़ों की आलमारी सहेजना, फ्रिज की सफाई, बैठक की साज-सज्जा और रुमाल बनाने हैं जिनके लिए कपड़ा पिछले महीने लाई थी. माह का आज अंतिम दिन है, सुबह-सुबह छोटी बहन को जन्मदिन की बधाई दी. फोन से बात करके लगता है भेंट हो गयी, पत्रों का जमाना अब पीछे छूट गया, न किसी के पास पत्र लिखने का समय है न पढ़ने का. कल घर बात करके पता चला छोटे भाई को वायरल फीवर हो गया है. कल वे जून के जन्मदिन के लिए टीशर्ट खरीदने गये पर उन्हें कोई पसंद ही नहीं आई. आज सुबह जे कृष्णामूर्ति की किताब में पढ़ा, “जैसे-जैसे लोग बड़े होते जाते हैं, उनके मस्तिष्क मृत होते जाते हैं, वे संवेदनहीन बनते जाते हैं जिज्ञासा करना छोड़ देते हैं. शरीर की मृत्यु से पूर्व ही ज्यादातर मस्तिष्क की मृत्यु हो चुकी होती है.. ऐसा मन जो अपनी आदतों का गुलाम है, पलायनवादी है, संकुचित है मृतक के समान है. शब्द भी अपना असर न छोड़ें न ही यह दुनिया और उसके कार्यकलाप, न ही हर दिन को नया दिन मानने की और उत्साह पूर्वक उसका सामना करने की आकांक्षा, तब मानना पड़ेगा कि मन हार मान चुका है. उसे भी लगता है मानव वही है जो वह सोचता है. जो वह आज है वह उसके अतीत के विचारों का परिणम है और जो वह आज सोचती है वैसी ही भविष्य में होगी. परमात्मा ने उसे यह अवसर दिया है और उसे इसका सच्चाई और कृतज्ञता पूर्वक लाभ उठाना चाहिये.

अगस्त महीने का आरम्भ हुए तीन दिन हो गये हैं. But she could not write earlier. Today in the morning when she was reading “Ramayana” by R.K. Narayana based on Tamil Ramayana composed by “Kamban” , one known  lady,who is principal of a school, rang her and asked about joining her school, said that she had told her earlier about her wish to work in school. But Nuna said, no, it was she who had asked her. But now she has made her mind and is interested in teaching. Lady  was not at home, in fact she had not reached home when she rang her to tell her affirmation. She likes doing something more useful than sitting and passing time in this or that. Of course she will not leave music or reading books. Last evening they went to a birthday party, but the main topic of discussion was the train accident occurred on Monday night near Jalpaigudi between Avadh-assam and Brahma putra express. Many people died and many got injured. When she heard the news on TV, she was shocked and could forget it only while practicing music in her teacher’s place.


Friday, June 6, 2014

मेरे अपने- मीनाकुमारी की यादगार फिल्म


उसने स्वयं से कहा, अगर उसे ईश्वर पर अटूट विश्वास है तो जीवन में आने वाली मुसीबतों से घबराना नहीं, शरीर व मन के साथ तो ऊंच-नीच लगा ही रहेगा किन्तु आत्मा के सच्चे अविनाशी रूप को कोई बीमारी, कोई विपदा नहीं मिटा सकती और वास्तव में वह वही है, सो घबराने या थकहार कर बैठ जाने के बजाय उसे अपनी बिखरी हुई शक्तियों को समेटना होगा और जो कुछ जीवन में आये उसे बिना किसी दुविधा के स्वीकारना होगा.

Today is her birthday. Younger brother rang her and she talked to him. Bhabhi, father, didi also called. Jijaji has resigned from his uae job and will live with his family now. Elder brother also wished. She called younger sister. They all love her and care for her. In the evening few friends came. Nanha made one birth day card for her in computer and jun gave the loveliest card. He was so caring and loving last some days. He understands her worries and weaknesses.

Life is like a river, somewhere full of energy and velocity, broad and pure, somewhere narrow and still. These days river of her life is not flowing its full speed, one friend says it is age and her over activity, but she thinks it is the disease. Jun says low blood pressure or low hemoglobin is not a disease. God only knows what is root cause of her problem. Whatever comes in way is will of god so accept it wholeheartedly. On Wednesday when she first experienced the pain she could not accept it that it is happening to her and then came other symptoms.she realized the reason of her fatigue and tiredness, the slow walking and dullness. She was weak but did not have courage  to accept this.

कल जून का आरम्भ हो गया, आज दीदी का जन्मदिन है वे उन्हें इ-मेल से शुभकामनायें भेज रहे हैं. पिछले बुधवार को उसे स्वास्थ्य सम्बन्धी जो दिक्कत शुरू हुई थी अब पूरे एक हफ्ते बाद समाप्त हुई सी लगती है. अगल हफ्ते से नन्हे का स्कूल बंद हो रहा है, तब उसके दिन अच्छे व्यतीत होंगे उसके साथ पढ़ते-पढ़ाते, कम्प्यूटर पर काम करते व टीवी देखते. कल दोपहर बाद मीनाकुमारी की एक बहुत अच्छी फिल्म देखी, ‘मेरे अपने’.

जीवन का लक्ष्य है, एकमात्र लक्ष्य है सत्य की प्राप्ति, किन्तु वे, कहना चाहिए ‘वह’ कितनी आसानी से असत्य का सहारा ले लेती है, इसका मकसद दूसरों को दुःख या चोट पहुंचना नहीं  बल्कि चोट से बचाना ही होता है, फिर भी असत्य तो असत्य ही है. आज ३ जून की सुबह एक बार फिर वह अपने आप से वादा करती है कि किसी भी रूप में ( चाहे शहद या औषधि के रूप में ही ) असत्य का प्रयोग नहीं करेगी. आज बगीचे से आम व खीरे तोड़े, अभी घर में सजे फूलों को भी बदलना है, घर में बगीचा होना कितना लाभकारी और शुभ होता है. यहाँ से जाने के बाद भी वे अपने घर में पौधे अवश्य लगायेंगे. आजकल जी टीवी पर भागवद कथा सुनाई जा रही है, व अगली बनारस यात्रा में ‘भागवद पुराण’ लेकर आएगी, इसमें कई सुंदर कथाये हैं और ज्ञान के आख्यान हैं. ईश्वर भक्ति व प्रेम के कारण ही भारत इतना विशाल व विविधताओं के होते हुए भी एक सूत्र में बंधा है. यहाँ हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में यह मानता है कि जीवन क्षण भंगुर है और सुख-दुःख का कारण मानव की भोक्ता बनने की प्रवृत्ति है. असल में सब माया जाल है सच्ची शांति पाने के लिए मानव को द्रष्टा बनना होता है. जैसे स्टेज पर कोई नाटक चल रहा हो और दर्शक मूक द्रष्टा व श्रोता बनकर देखा करते हैं वैसे ही स्वयं भी उसी नाटक का पात्र होते हुए भी मानव को सारे जीवन को एक नाटक की तरह लेना चाहिए. अपने रोल को बखूबी निभाने की कला भर सीखनी चाहिए उसमें डूबकर स्वयं को व्यथित व हर्षित नहीं करना चाहिए.


   

Monday, May 19, 2014

द स्टुपिडस - एक मजेदार फिल्म


नये वर्ष का शुभारम्भ उनकी देर रात तक चलने वाली पार्टी से हुआ, वे सभी मित्र के यहाँ थे जब घड़ी ने बारह बजाए एक और वर्ष शुरू हुआ. घर लौटते-लौटते पौने एक बज गये थे, सुबह देर से आरम्भ हुई, नाश्ते के बाद चाय बागान में घूमने गये, ठंडी हवा बह रही थी. दोपहर बाद लॉन में बैठकर एक मित्र परिवार के साथ कैरम खेला, थोड़ी देर एक फिल्म देखी. जून के स्वेटर की शुरुआत की. हारमोनियम पर गला साफ किया, शाम होते होते जब ठंड बढ़ गयी थी, मफलर लपेट कर टहलने भी गये. यानि कुल मिला कर नये साल का पहला दिन विभिन्न गतिविधियों से भरपूर रहा.

आज ठंड बहुत बढ़ गयी है, नौ बजने को हैं पर अभी तक कमरे से बाहर निकलने का मन नहीं हो रहा. नन्हे ने star movies पर एक हास्य फिल्म देखी - The Stupids. उसे मगन होकर हँसते हुए देखना अच्छा लगा. परसों से उसका स्कूल भी खुल रहा है. अगले महीने उसकी परीक्षाएं हैं, नूना को उसे ज्यादा समय देना होगा. उसने क्लब की पत्रिका के लिए कविताएँ भेज दी हैं. कल लाइब्रेरी से वह चार नयी किताबें लायी, एक mills and boons भी, जून के दिल्ली जाने के बाद समय थोड़ा ज्यादा मिलेगा, तो किताबें साथ देंगी. उस दिन एक सखी को उनके घर से जाने के बाद सर्दी-जुकाम हो गया तो उसने फोन करके पूछा, एलर्जी वाली कोई वस्तु तो उन्होंने स्प्रे नहीं की थी, उसे अच्छा नहीं लगा, खैर, अस्वस्थ होने वाले को सब माफ़ है.

It is a pleasant morning, she has taken bath, washed her hair and feeling good, has prepared lunch also, jun is going today, he will have early lunch. Nanha is busy with his ever going home work. Last evening they played badminton after many weeks, nanha and she have decided to play it regularly. They went for a walk and then to a friend’s house, she is still having some cold. Read some lines from the book, “ The meaning of culture” it is a difficult book but she likes difficult books, they attract her even though she can not understand them.


Yesterday only jun gave her this new dairy, so she decided to fill the empty pages with new poems which she will write from time to time. She got her Bengali friend’s letter after a long gap, who is in London and when one is far from country he remembers it more. Today is Idul-Juha, she will make some sevian as they cooked  in Good Morning India. Got up  at  5 with jun, did exercise had healthy breakfast of grapes(black one which he brought from Delhi with cheeku) and oats. Read few mind stimulating pages from, “The Learning of Culture” written by John Cowper Powys. It tells one should keep some time for intellectual thinking and not always be busy in worldly matters as she was in last few days, even she did not get time for her favorite magazines and news papers. Now onward she will try to make balance in physical,mental, spiritual and intellectual aspects of life. Yesterday evening she got the prize for ‘walkathon’ that was a great walk, she wanted to win and win only. 

Tuesday, May 6, 2014

एक रोमांचक फिल्म- एयर फ़ोर्स


Roof repairing work is going on since morning and creating loud noises. There telephone is still ie out of order. Weather is sunny and she has done most of the morning jobs. Got up early in the morning, first thing was jun‘s lovely good morning and then she saw a pitch black bird perhaps koel in their backyard, she was sitting on the cloth line, she flew after few moments, beautiful it was ! today she heard Mirza Galib CD but due to Nanha’s screen saver could not continue till end. Yesterday evening she again spoke harshly with jun and nanha but after that felt her mistake, today she will be aware every moment what, whom and why she is speaking. Now she has some time to solve the crossword in English magazine.

Today is Assam bandh for 24 hours called by All Assam Student Union, it means they have to sit at home whole time, of course they can go for a walk in the evening. Jun said, he will make sindhi curry today. Nanha is bit upset because he could not see “Disney Hour”

उनकी वापसी की टिकट भी रिजर्व हो गयी है. कल जून ने घर फोन करके पता किया. उसने सोचा, अब वहाँ सभी को उनके आने का इंतजार होगा. एक महीना दस दिन बाद उनकी उड़ीसा यात्रा का शुभारम्भ होगा. कल शाम एक मित्र परिवार डिनर के लिए आया, उन्होंने नये सोफे की तारीफ बहुत संयत तरीके से की. अगले बुधवार को उसकी एक सखी का जन्मदिन है, जिसे अब स्कूल में परेशानी नहीं होती, उसका आत्मविश्वास देखकर उसे भी काम करने का मन होता है, एक थोड़ी सी झिझक ही तो उसे रोक रही है. उसे नये साल में निर्णय ले लेना चाहिए नई जिन्दगी का. अभी भी बहुत से काम करने शेष हैं. हिंदी का कार्य अधूरा रह गया है, उसे भी पूरा करना है. नई कविताएँ लिखनी हैं और एक सतत प्रयास भी स्वयं को एक सार्थक जिन्दगी देने का !

सुबह किसी छोटी सी लडकी ने फोन पर उसे happy birth day कहा और फोन कट गया, आज न तो उसका जन्मदिन है और न ही पहले किसी नन्ही लडकी ने उसे विश ही किया है, जरूर वह फोन किसी और के लिए होगा पर उस वक्त तो उसके होठों पर मुस्कराहट दे ही गया. नन्हे को सुबह जब देर हो रही थी तो स्वयं ही कहने लगा कल से जल्दी उठेगा. कल उसको कुछ बातें जिन्दगी के बारे में समझायीं, जो उसके बचपन में किसी ने कहीं हों उसे याद नहीं पड़ता. कहकर गया है उसके स्कूल में फिजिक्स प्रोजेक्ट वर्क कराया जा सकता है शायद वह देर से आये. बरामदे में रखी रॉकिंग चेयर पर बैठकर लिखना अच्छा अनुभव है, हवा ताजी मिलती है और हरियाली आँखों को सुकूं देती है, कानों में न जाने कितने पंछियों की आवाजें सुनाई देती हैं, फूलों की सुगंध भी नासापुटों को..उसे याद आया पॉट प्लांट्स को वार्षिक खुराक देने के लिए माली से कहना है. कल वह गुलाबी स्वेटर पूरा हो गया जो वह ननद के होने वाले बच्चे के लिए बना रही थी.

पिछले दो दिन कुछ नहीं लिखा, शनिवार को जून के एक मित्र दोपहर के भोजन पर आने वाले थे, सारी सुबह उसी की तैयारी में बीती, दोपहर को टीवी पर क्रिकेट मैच और शाम को क्लब में ‘असमिया’ फिल्म Adajaya, आजकल क्लब में साल में एक बार होने वाला ‘फिल्म समारोह’ चल रहा है. इतवार की शाम भी मेहमान आये, सुबह तो साप्ताहिक सफाई में निकल जाती है. गोभी के पौधों के लिए कागज की टोपियाँ भी बनायीं.

कल शाम क्लब में AIR FORCE देखी, it was a fantastic फिल्म. आज वहाँ ‘चाची चार सौ बीस’ दिखाई जाएगी. आज सुबह भी जून के ‘शुभ प्रभात’ ने उसे उठाया, नन्हे को भी वही उठाते हैं और आजकल दोनों कमरों की नेट उतारना, रजाई रखना भी उन्होंने अपने जिम्मे ले लिया है. उसे नन्हे के लिए टिफिन और सबके लिए नाश्ता बनाने के अलावा कोई काम नहीं होता, यहाँ तक कि सुबह की चाय भी अक्सर वही बना लेते हैं.

कल गुरुनानक जयंती के उपलक्ष में अवकाश था, जून के दफ्तर में भी और नन्हे के स्कूल में भी. दोपहर को वे दोनों कम्प्यूटर की reformatting करवाने में व्यस्त थे, उसने वह टोपी व मोजा पूरा किया, आज नया set शुरू करना है, उस दिन पिता ने फोन पर बताया  कि सासुमा के लिए भी हाफ स्वेटर बनाना है, जिसके लिए ऊन उन्हें तिनसुकिया से मंगवानी होगी. शाम को एक जन्मदिन में गये, एक सखी की बातों से उसका एक नया ही पक्ष देखने को मिला, she is rather bold but..इस तरह की बातें अपने तक ही रखना ठीक है. खैर, आज नैनी के हाथ में चोट के कारण डस्टिंग व सब्जी काटने के काम भी उसके जिम्मे आ गये, काम निपटाकर उसे कुछ भूख का अहसास हुआ तो ख्याल आया, ओवन में मूंगफली भूननी है, नहीं तो जैसा यहाँ का मौसम है कुछ ही दिनों में खराब हो जाएगी. सुबह वे उठे तो काफी ठंड थी, जून ने सभी के लिए स्वेटर निकाल दिए, लगता है सर्दियों के कपड़े निकालने का वक्त आ ही गया है. पिछले हफ्ते कोई पत्र नहीं आया, उसे ख्याल आया,  उनके घर जाने की बात सुनकर किसी ने पत्र द्वारा कुछ नहीं कहा, फिर सोचा, कि दुनिया में सब, सब कुछ अपने ही लिए तो करते हैं न, याज्ञवल्क्य ने मैत्रेयी को हजारों साल पूर्व ही यह बता दिया था, वे भी तो अपनी ख़ुशी से जा रहे हैं न !




Saturday, April 5, 2014

गोद्ज़िला का सीडी


आज वर्षा नहीं हो रही है, वातावरण में उमस सी है. सुबह साढ़े चार बजे वे उठे, उसने पढ़ाया, जून बाहर से अमरूद तोड़ कर लाये, पता नहीं किसने लगाया होगा यह वृक्ष जिसके मीठे फल वे खा रहे हैं. वर्षों बाद उनका लगाये नींबू, संतरे व आड़ू के पेड़ भी किसी और को फल देंगे. ध्यान के लिए आजकल सुबह समय निकालना मुश्किल होता है, सो मन किसी न किसी बात पर पल भर के लिए ही सही झुंझला जाता है, स्वयं को समझाना कितना मुश्किल है !

कल सुबह एक मित्र परिवार आया था, उन्हें घर जाना था, जाने से पूर्व नाश्ता यहीं करवाया तथा साथ ले जाने के लिए कुछ बनाकर भी उसने दिया. दोपहर को KSKT देखी, अंत बहुत दर्दनाक है, लेकिन दोनों के परिवार वालों को यही सजा मिलनी चाहिए थी. उसके एक दांत में अमरूद का बीज फंस जाने से दर्द हो रहा था, आज एक्सरे कराने जाना है. पर उसे लगता है, एक दांत निकलवाने के बाद भी यह दर्द पूरी तरह से चला जायेगा ऐसा नहीं है, इसलिए उसे सही देखभाल और सफाई के द्वारा ही दांतों को ठीक रखना चाहिए. कल शाम वे क्लब गये, रेफरेंस बुक्स की प्रदर्शनी लगी थी, इतनी मोटी-मोटी किताबें और दाम सैकड़ों, हजारों में..वे सिर्फ देखकर आ गये. वैसे भी कम्प्यूटर आ जाने के बाद वैसी किताबों की आवश्यकता नहीं रह जाती. नन्हा कल शाम बेहद चुप-चुप था, बाद में गोद्ज़िला का CD देखते देखते ही सामान्य हो गया, उसका उदास चेहरा नूना से देखा नहीं जाता. शायद ऐसा ही जून को उन दिनों लगता होगा जब विवाह के बाद शुरू-शुरू में घर की याद आने से वह  चुप हो जाती थी और उन्हें उसकी चुप्पी नागवार गुजरती थी. जो प्रेम करते हैं वे प्रियपात्र की उदासी को सहन नहीं कर सकते. जून को इस माह के अंत तक एक पेपर लिखकर भेजना है. व्यस्तता उन्हें प्रसन्न रखती है.

उसे आश्चर्य हुआ कि तिथियों के मामले में इतनी लापरवाह कैसे हो गयी, उसने जून से कहा परसों पन्द्रह अगस्त है सो आज ही उन्हें मित्रों को उस दिन लंच के लिए निमंत्रित कर देना चाहिए. डायरी खोली तो पता चला अभी चार दिन हैं पन्द्रह अगस्त आने में. नन्हा अपना प्रिय कार्यक्रम ‘डिजनी आवर’ देख रहा है. उसने कुछ देर पूर्व लाला हरदयाल की पुस्तक में पढ़ा, धर्म के नाम पर हजारों लोग मारे गये, धर्म ने लाभ के बजाय हानि ही पहुंचाई है. मानव रहस्य दर्शी है, और भगवान से बड़ा रहस्य कौन है, इसलिए तो इतने सारे धर्मों का उदय हुआ. वह खुद भी तो प्रकृति की इस अनुपम सुन्दरता को देखकर इस विशाल ब्रह्मांड को बनाने वाले के प्रति श्रद्धा से भर जाती है. उसका भगवान इस संसार का नहीं है, वह तो ऊर्जा का अंतिम स्रोत है जिससे यह सब हुआ है.


आज उसकी छात्रा ने कहा, अब वह नहीं आयेगी, पिछले दो वर्षों से हिंदी पढ़ाने का क्रम अब टूट जायेगा. उसे वाकई अच्छा लगा, हिंदी व्याकरण का ज्ञान इसी कारण उसे भी हुआ. उसके मन में एक स्वप्न है हफ्ते में दो दिन ही सही छोटी-छोटी लडकियों को पढ़ाये, यह कार्य उसके मन का होगा और इससे समय के सदुपयोग के साथ आत्म संतोष भी मिलेगा. अगले हफ्ते से नन्हे का स्कूल भी खुल रहा है. उसे कम्प्यूटर कोर्स करने का भी मन है. काम करना और अर्थपूर्ण काम करना उसकी जरूरत है सही मायनों में जीवन कार्य का ही दूसरा नाम है.