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Tuesday, March 26, 2024

गुलाबी आकाश

गुलाबी आकाश 

आज ब्लॉग पर एक भी पोस्ट प्रकाशित नहीं की। पिछले कई वर्षों से ब्लॉगिंग जैसे जीवन का अंग बन गई है। कोई पढ़ता है या नहीं, इसकी परवाह किए बिना अपने दिल की बात कहने का यह एक मंच जो विज्ञान ने साधारण से साधारण व्यक्ति को प्रदान किया है, अतुलनीय है। इसके माध्यम से वह कितने ही लेखक-लेखिकाओं की रचनाओं का आस्वादन घर बैठे कर पाती है। डायरी में बंद शब्दों को एक नया आकाश मिल गया है जैसे। कुछ लोग पढ़ते भी हैं और टिप्पणी भी करते हैं, ऊर्जा का एक आदान-प्रदान जो इंटरनेट पर आजकल होता है, उसकी तुलना इतिहास की किसी भी घटना से नहीं की जा सकती। आज सुबह बड़े भाई ने नेट पर भाभीजी की पीली साड़ी वाली फ़ोटो ढूँढ कर देने को  कहा। कुछ समय उसमें गया। फिर छोटी बहन ने अध्यात्म से जुड़ा एक वीडियो भेजा और देखने का आग्रह किया, देखा, कुछ समझ में आया, कुछ नहीं। एक पहले की लिखी कविता टाइप की। परसों बहनोई जी का जन्मदिन है, उनके लिए कविता लिखनी है। आज सुबह टहलते समय पाँच तत्वों और शरीर के चक्रों के आपसी संबंध पर कितने विचार आ रहे थे। लिखने का समय नहीं निकाला, सो अब कुछ भी स्मरण नहीं है। परमात्मा स्वयं ही भीतर से पढ़ाते हैं, संत ऐसा कहते हैं, कितना सही है यह !


एक दिन और बीत गया। सुबह नींद समय पर खुली, कल रात नींद भी ठीक आयी। सुबह भ्रमण ध्यान किया। कितने सुंदर विचार आते हैं ब्रह्म मुहूर्त में। आकाश भी गुलाबी था। तस्वीरें उतारीं। आर्ट ऑफ़ लिविंग के ऐप के सहयोग से योग साधना की।नन्हे के भेजे तवे पर बने आलू पराँठों का नाश्ता ! एओएल के प्रकाशन विभाग के कोऑर्डिनेटर का फ़ोन आया, एक लेख में कुछ और जोड़ा गया है, अनुवाद पुन: लिखना है। शाम को पापा जी से बात हुई। पोती घर आयी हुई है नन्ही बिटिया के साथ, उसके रोने की आवाज़ उन्हें कभी-कभी आती है। पुत्र घर के काम में हाथ बँटाता है, जब बहू नातिन की देखभाल में लगी होती है, जिसकी पहली लोहड़ी मनाने की तैयारियाँ चल रही हैं। 


आज लोहड़ी है। वे शकरकंदी व कच्ची मूँगफली लाये निकट के बाज़ार से, जहाँ सड़क किनारे मकर संक्रांति पर बिकने वाले सामानों की ढेर सारी दुकानें लगी हुई थीं। सुबह नापा में भी यह पर्व मनाया गया। यहाँ इस दिन तिल और गुड़ से बनी मीठी वस्तुएँ खाने और खिलाने का रिवाज है। पूरे कर्नाटक में संक्रांति का उत्सव बड़े उत्साह से मनाते हैं। कल खिचड़ी का पर्व है। छिलके वाली उड़द दाल जून ने बिग बास्केट से मंगायी है।उनका  पतंग उड़ाने का ख़्वाब अभी पूरा नहीं हुआ है। पतंग नन्हे ने मंगाकर रखी है पर उसकी डोर नहीं मिली निकट के बाज़ार में। अलबत्ता मंदिर की भव्य सजावट देखने का अवसर मिल गया । आज सुबह भ्रमण के समय ‘स्पंद कारिका’ पर व्याख्या सुनी।जिसे आत्म-अनुभव न हुआ हो उसे अध्यात्म में रुचि कैसे सकती है ? वह इसे जाग्रत करे भी तो कैसे ? इसके लिए तो कृपा ही एकमात्र कारण कहा जा सकता है। परमात्मा की कृपा से ही उसके प्रति आस्था का जन्म होता है। 


आर्ट ऑफ़ लिविंग की तरफ़ से कुछ दिनों के लिए ऑन लाइन स्टे फिट कार्यक्रम चलाया जा रहा है। सुबह-सुबह उनके साथ व्यायाम और योगासन करने से शरीर हल्का लग रहा है। अब दो दिन ही शेष हैं। एक सखी ने दुलियाजान में बीहू उत्सव की तस्वीरें फ़ेसबुक पर पोस्ट की हैं। कितनी यादें मन में कौंध गयीं। वहाँ क्लब में बीहू बहुत उत्साह से मनाया जाता है। साज-सज्जा नृत्य-संगीत और पारंपरिक पकवान, सभी की तैयारी पहले से शुरू हो जाती है। पड़ोस वाले घर में दीवार उठनी शुरू हो गई है। आज पड़ोसिन अपनी कक्षा एक में पढ़ने वाली बिटिया को लेकर आयी थी, मकर संक्रांति का प्रसाद देने। तिल के लड्डू, छोटे वाले दो केले, पान, सुपारी, सिंदूर का छोटा सा पैकेट और दस रुपये का नोट। ऐसे ही एक तमिल सखी असम में दिया करती थी। नूतन पांडेय की लिखी हिन्दी किताब में असम की पृष्ठभूमि पर लिखी एक कहानी पढ़ी, यह पुस्तक असम से आते समय मृणाल ज्योति की प्रिंसिपल ने दी थी।टीवी पर वेदान्त की पाँच बोध कथाएँ सुनीं, पहली गधे की, दूसरी दसवाँ कौन, तीसरी शेर के बच्चे की, चौथी राजकुमार की और पाँचवीं राजा जनक की। सभी कहानियाँ बताती हैं कि सत्य क्या है, और लोगों द्वारा उसे क्या समझा जाता है।


Tuesday, January 2, 2024

जूलियस सीज़र का कैलेंडर

रात्रि के पौने नौ बजे हैं। वैसे तो चारों ओर शांति है, पर कहीं दूर से किसी के घर कोई मशीन चलने की आवाज़ आ रही है। यहाँ दाँये-बायें, आगे-पीछे कोई न कोई घर बनता ही रहता है, फिर उसमें इंटीरियर का काम शुरू हो जाता है। यह तो अच्छा है कि शाम को छह बजे के बाद शोर नहीं कर सकते, शायद किसी ने विशेष अनुमति ली होगी। मौसम आज ज़्यादा ठंडा नहीं है। बहुत दिनों बाद पंखा चलाया है। रात्रि भ्रमण के समय देखा, आकाश पर चाँद खिला था, कल पूर्णिमा है, आकाश निर्मल था और हवा सुखदायी। उधर उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ रही है, और हो भी क्यों न, दिसंबर का अंतिम सप्ताह है।आज हज़रत यूसुफ़ के बारे में एक वीडियो देखा, मिस्र की पुरानी सभ्यता के बारे में रोचक जानकारी मिलती है। उन्हें कितनी तकलीफ़ें सहनी पड़ीं, पर ईश्वर पर उनका भरोसा अटूट था। परमात्मा सभी के भीतर चेतना और संकल्प शक्ति के रूप में मौजूद है। इच्छा, क्रिया व ज्ञान की शक्तियाँ जो मानव के भीतर हैं, परमात्मा की देन हैं। मन जो भी सोचता है, बुद्धि उसे साकार करके दिखाती है। 


नन्हे ने कहा है नये वर्ष के दिन वे सभी पिकनिक के लिए पिरामिड वैली जाएँगे। आज किसानों की सरकार से हुई बातचीत का क्या नतीजा निकाला, पता नहीं है। ईश्वर करे, नया साल शुरू होने से पहले ही किसान अपना आंदोलन वापस ले लें। आज जून एक पेंटर को लाये थे, बेंत व लकड़ी के फ़र्नीचर पर उसने टचवुड लगाया। लगभग हर साल दिसम्बर में वह ऐसा करवाते हैं, इसीलिए वर्षों बाद भी फ़र्नीचर चमकता रहता है। आज सोसाइटी की तरफ़ से पानी डालने वाला आदमी आया तो धनिये की नन्ही पौध पर तेज बौछार कर उसे छितरा दिया। उसने ग़ुस्से का अभिनय किया ताकि वह आगे ऐसा न करे। नाटक ही करना है तो पूरे जज्बे के साथ करना चाहिए, वरना ज़िंदगी एक ख़्वाब से ज़्यादा तो नहीं ! 


वर्ष का अंतिम दिन ! बाहर बच्चों के खेलने की आवाज़ें आ रही हैं। आज संभवतः देर तक जागकर वे नव वर्ष का स्वागत करेंगे। उन दोनों का तो वही प्रतिदिन का सा कार्यक्रम है। यह समय कुछ लिखने-पढ़ने का है। वर्षों पहले टीवी पर ढेर सारे कार्यक्रम देखते थे, अब इच्छा नहीं होती। उसे याद आया, हज़रत यूसुफ़ की कहानी में देखा था, अब्राहम को जब अपने पुत्र इस्माइल को बलिदान करने को कहा गया तो वह राज़ी हो गये। उन्हें अपना पुत्र वापस मिल गया जब वे उसे छोड़ने को राज़ी थे। जब कोई जगत से चिपका रहता है तो जगत उसे नहीं मिलता। जब त्याग देता है तो वह पीछे-पीछे आता है। ‘तेन त्यक्तेन भुंजीथा’ का यही तत्पर्य है। वे श्वास छोड़ते हैं तो अगली श्वास भीतर भर जाती है। जब रिश्तों पर पकड़ ढीली हो तो वे अपने आप ही क़रीब होने का अहसास करा देते हैं। नन्हे ने बताया, सोनू को दो दिन से सर्दी लगी हुई थी। उसकी माँ को भी आँख में कुछ समस्या का पता चला है, डाक्टर ने आँख का व्यायाम करने को कहा है। वे लोग कल सुबह आयेंगे और सब मिलकर घूमने जाएँगे। आज जून के पुराने अधिकारी का फ़ोन आया, उन्हें कोरोना हो गया था, उनके पुत्र को भी।उन्होंने अपने दो अन्य मित्रों से भी बात की, नये साल में कुछ दिनों तक यह आदान-प्रदान चलता रहेगा। उसने नेट पर पढ़ा, चार हज़ार साल पहले भी नया साल मनाने की प्रथा बेबीलोन में थी। पर उस समय यह वसंत के आगमन पर २१ मार्च को मनाया जाता था। जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व पैंतालीसवें वर्ष में पहली बार प्रथम जनवरी को नया वर्ष मनाने की प्रथा की शुरुआत की। 


Wednesday, June 2, 2021

पके केले के पकोड़े


 आज वे खादी की दुकान में गये, मल्लेश्वर स्थित यह दुकान बहुत बड़ी थी और वस्त्रों के अलावा कई कलात्मक वस्तुएं भी वहाँ थीं। नन्हा और सोनू सवा दस बजे ही आ गये थे जब वह और जून पड़ोसी के यहाँ बीहू का विशेष जलपान करने गये थे। आर्ट ऑफ़ लिविंग के लिए उनका रिज्यूमे ठीक करने में सोनू ने सहायता की , फिर उसे भेज भी दिया। गुरुजी के लिए कुछ सेवा कार्य करने का उनका स्वप्न संभवतः निकट भविष्य में पूर्ण होगा। गुरु जी का लगाया प्रेम का बीज अब फूल बनने की ओर कदम रख रहा है। उन्हें इस कार्य को करके ख़ुशी होगी, परमात्मा की इस दुनिया में परमात्मा के कुछ काम आ सकें वह भी तो उसकी इच्छा से ही होना संभव है। कल दीदी का फ़ोन आया, वह विटामिन डी तथा कैल्शियम लेने के कारण अब काफ़ी ठीक हैं। जून को सर्दी लग गयी है, पिछले दो-तीन दिनों से ठंड बढ़ गयी है। उन्हें गले में हल्का दर्द है। कल हो सका तो वे धूप निकलने के बाद ही टहलने जाएँगे। नन्हे ने एक बिजली से चलने वाला लाइटर भिजवाया है, जिससे मोमबत्ती या अगरबत्ती जला सकते हैं।  

आज सुबह पौने चार बजे ही उसकी नींद खुल गयी, चारो तरफ शांति थी। जून साढ़े पाँच बजे उठे, जब वे टहलने गये तो दिन अभी निकला नहीं था, मौसम ठंडा था।नाश्ते के बाद कुछ देर धूप में भी निकले। जून को बाल कटवाने थे सो पैदल ही सोसाइटी के मुख्य द्वार तक बढ़ते गये। सड़क के दोनों ओर बोगेनवेलिया के रंग-बिरंगे सुंदर फूल खिले थे, कई तस्वीरें उतारीं। असम में जून के ड्राइवर का काम कर चुके एक जन का फ़ोन आया, उसने बताया अगले हफ़्ते सीएए के ख़िलाफ़ कोर्ट में सुनवायी है, अब तक जो शांति बनी हुई है, वह उसके बाद बनी रहेगी, कहा नहीं जा सकता। कई दिनों बाद आज घर में सिविल का काम नहीं हुआ, ब्लॉग पर एक पोस्ट लिखी। शाम को वे निकट स्थित गाँव के मंदिर में गये। जो दक्षिण भारतीय वास्तुकला के अनुसार बना हुआ हनुमान जी का सुंदर मंदिर है। वापसी में यहाँ के एकमात्र छोटे से नए खुले रेस्तराँ में एक कप कॉफी के लिए रुके, पके हुए केले के पकोड़े पहली बार चखे।बुद्ध की पुस्तक समाप्त होने वाली है। बुद्ध अमर हैं, युगों बीत जाएँगे और लोग उनसे ज्ञान प्राप्त रहेंगे। बुद्धम शरणम गच्छामि ! संघम शरणम गच्छामि ! धम्मम शरणम गच्छामि !


आज वे लालबाग गये थे, जहां गणतंत्र दिवस पुष्प प्रदर्शनी चल रही थी।  कल से आरम्भ हुई है और छब्बीस जनवरी तक रहेगी। ग्लास हाउस में स्वामी विवेकानंद की स्मृति में सुंदर पुष्प सज्जा की गयी है। बड़े भाई, भतीजी, नन्हा, सोनू, उनके एक मित्र दम्पति तथा वे दोनों, सभी ने फूलों का आनंद लिया। उन्होंने फूलों के गमले लिए, पिटूनिया, पोइनसेटिया और गुलदाउदी के फूलों के गमले । लाल बाग का इतिहास बहुत पुराना है, हैदर अली ने इसकी नींव रखी थी। कई एकड़ में फैले इस बाग में दूर तक फैले लॉन हैं, हज़ारों क़िस्म के वृक्ष हैं, सुंदर बगीचे हैं, बंगलूरू की शान यह वनस्पति उद्यान साल भर किसी न किस प्रकार के फूलों से भरा रहता है। उससे पूर्व जून अपना सूट सिलने देने गये। बड़ी ननद का फ़ोन आया था, छोटी बिटिया का विवाह तय हो गया है। दो माह के बाद होगा।  


आज सुबह वे आश्रम गये, ‘अतिरुद्र होम’ चल रहा था। हजारों की भीड़ थी। शाम को नन्हा आया था, उसे बुखार हो गया है। लालबाग में उस दिन फूलों को ताजा रखने के लिए अथवा किसी कारण से पानी की फुहार छोड़ी जा रही थी, शायद वह ज्यादा भीग गया। बाग में पुस्तकों की एक प्रदर्शनी भी लगी हुई थी, उसने पड़ोस में रहने वाले बच्चों के लिए बाल पुस्तकें ख़रीदीं थीं आज उन्हें दीं। आज शाम को योग कक्षा में आने वाली एक साधिका उनके घर आयी थीं, अब से वह नियमित यहाँ आकर उसके साथ ही शाम को एक घंटा योग साधना करेंगी। इस माह के अंतिम सप्ताह में गुरुजी भगवत गीता के अठारहवें अध्याय पर प्रवचन देंगे। जिसमें अर्जुन कृष्ण से पूछते हैं, सन्यास क्या है? और त्याग क्या है? सन्यास और त्याग दोनों का ही अर्थ कुछ छोड़ना है , पर उनमें अंतर क्या है और उनका मर्म क्या है । 


आज सुबह देर से उठे, ठंड कुछ ज्यादा थी, अब जैकेट पहननी पड़ती है सुबह के वक्त। ‘ओल्ड पाथ वाइट क्लाउड्ज़’ आज पूरी पढ़ ली, बुद्ध ने अपनी मृत्यु की घोषणा पहले ही कर दी थी । मशरूम की सब्ज़ी खाने के बाद उनका स्वास्थ्य बिगड़ा और वह उनका अंतिम भोजन था। जैसे उनका जीवन भव्य था वैसे ही उनकी मृत्यु भी ! साल के वृक्षों ने उन पर फूल बरसाए और कुशीनारा के जन-जन ने उनके लिए अश्रु बहाए। आज भी ब्लॉग पर लिखा, लिखने का क्रम कुछ आरम्भ हुआ है। 


आज वे पुनः आश्रम गये, वहाँ बहुत भीड़ थी , हजारों की भीड़ । कल से संयम कोर्स शुरू हुआ है, शायद उसी में भाग लेने पूरे भारत से साधक यहाँ आए हैं। सदा की तरह गुरुजी ने सरल ढंग से हर प्रश्न का उत्तर दिया। बुद्ध पुरुषों से ही इस धरा की शोभा है। जून आज दोपहर को नन्हे के लिए आयुर्वेदिक दवा देकर आए, सितोप्लादि नाम है दवा का, सर्दी जुकाम में काम करती है। औषधि यदि समय पर ले ली जाए तो रोग जड़ नहीं पकड़ पाता। ‘ऐन विद एन ई’ का अंतिम भाग भी देख लिया, अंत भला तो सब भला ! आज माँ-पापा का स्मरण हो रहा है, उनके कारण ही उसका इस जगत में अस्तित्व है अर्थात इस देह व मन का, जिसके माध्यम से वह व्यक्त हो रही है। उसकी असली पहचान तो अब मिली है, एक शांत, अनंत प्रेम, जो चेतन है, जो मन और बुद्धि  के माध्यम से व्यक्त हो सकता है। जो इस देह के माध्यम से सत्कर्म  कर सकता है। जो इस जगत में अच्छाई का संदेश दे सकता है। जो किसी का निर्णायक नहीं है। जो प्रेम बदले में कुछ नहीं चाहता क्योंकि अनंत में कुछ भी मिलाओ अनंत ही रहेगा। अनंत से कुछ भी निकलो अनंत ही रहेगा। ऐसा प्रेम नित नूतन है। 


Wednesday, February 17, 2021

छोटी दीवाली

 

कल का पूरा दिन घर को व्यवस्थित करने में ही निकल गया। मेहमानों का कमरा अभी भी  शेष है। आज आखिरी कार्टन भी खोल दिए। योग कक्ष में किताबें लगा दी हैं, कमरा अच्छा लग रहा है। अब शाम को यहाँ बैठकर स्वाध्याय व साधना दोनों किए जा सकते हैं। आज सुबह सिट आउट यानि शयनकक्ष के बाहर बड़ी बालकनी या बरामदे में आसन किए। चार-पाँच दिनों के बाद दीवाली है, इस नए घर में उनकी पहली दीवाली ! नन्हा कुछ लोगों को बुलाने वाला है। आजकल यहाँ शाम होते ही काले बादल छा जाते हैं और मूसलाधार वर्षा आरंभ हो जाती है। इस समय सिर में हल्का दर्द हो रहा है, नया शहर, नई दिनचर्या एडजस्ट होते-होते कुछ समय तो लगेगा। 


आज सुबह पाँच बजे से कुछ पहले ही उठे। एक नए इलाके की तरफ टहलने गए। पार्क नंबर छह व सात देखा। पूरे नापा में चौदह पार्क हैं, सभी सुंदर हैं। एक-एक करके वे सभी में जाएंगे और सुंदर तस्वीरें उतारेंगे। इस समय उसकी आँखें अश्रुओं से भरी हैं, पता नहीं कौन सी पीड़ा है, क्या दुख है, साथ ही एक मुस्कुराहट भी रह-रह कर आ रही है अधरों पर, कौन है जो यह क्रीड़ा कर रहा है ? सुबह टहलने गई तो दोनों पैर जैसे  अकड़े हुए थे, चलने में श्रम प्रतीत हो रहा था, गति भी कम हो गई थी। वापस आकर योगासन किए। नन्हा व सोनू उठ गए थे। हरसिंगार के फूल चुने। जून इडली का नाश्ता  ले आए। नौ बजे वे बच्चों को उनके घर छोड़ते हुए डेन्टिस्ट के पास गए। बाएं गाल में अंतिम दांत पर मसूढ़ा चढ़ गया था, उसने थोड़ी सी सर्जरी की, टांके लगाए। अगले हफ्ते फिर जाना है। दोपहर का भोजन सोनू ने अच्छी तरह से मेज पर लगाया था। आज सुबह असम से नैनी ने फोन किया, एक-एक करके घर के सभी सदस्यों ने बात की। उसके ससुर की तबीयत ठीक नहीं है।  दो दिन बाद दीवाली है, कल बिजली की लड़ी लगाने इलेक्ट्रिशियन आएगा। शाम को टहलते समय जून को पैरों की जकड़न के बारे में बताया तो उन्होंने कहा यह मन की उदासी के कारण है, और कोई बात  नहीं, कोई इंसान दूसरे की पीड़ा का अनुभव कैसे कर सकता है ? हर कोई स्वयं से ही पूरा भरा होता है ! परमात्मा सब जानता है, उससे कुछ भी छिपा नहीं है, कोई कर्म उदय हुआ है। 


आज दोपहर से ही बाहर बिजली की झालर आदि लगाने का काम चल रहा है। कल छोटी दीवाली है, सोनू की चचेरी बहन व भाई-भाभी आए हैं, वे लोग भी परसों आएंगे। नन्हे ने पार्टी की पूरी तैयारी कर ली है। भोजन बाहर से ही बनकर आएगा, पूरी व रोटी यहाँ बनेगी।सुबह भी पैरों में जकड़न महसूस हो रही थी। शायद हार्मोन्स की समस्या हो, जरूरत से ज्यादा भावुक होना और जल्दी थकान होना इसके लक्षण हैं। जून ने आज पैरों व हाथों में तेल लगाया, उनमें सेवा भाव बहुत है पर उसे जगाना पड़ता है, वरना उन्हें उसकी बात सुनने की भी फुरसत नहीं रहती कभी-कभी। 


वे धीरे-धीरे नए घर में रहने के अभ्यस्त हो रहे हैं। लगभग रोज शाम को भोजन के बाद सोसाइटी में स्थित छोटे से सुपर मार्केट जाकर एक-दो जरूरी समान ले आते हैं। एक महिला उसे चलाती हैं, हिंदी बोल लेती हैं। शाम को टहलने गए तो तेज वर्षा होने लगी, दस मिनट का ही रास्ता था पर घर आते-आते काफी भीग गए, आकर देखा, एक व्यक्ति उनके गैरेज में बारिश से बचने के लिए खड़े हैं। जून ने कुछ देर उनसे बात की, कह रहे थे तीन करोड़ में आपका घर बिक सकता है। आज सुबह सूर्योदय देखते हुए छत पर योगाभ्यास किया। अंग्रेजी अखबार के साथ हिंदी का एक अखबार राजस्थान पत्रिका भी लेना शुरू किया है, कुछ देर पढ़ा। दोपहर बाद डाइनिंग हॉल में बिजली की दो लड़ियाँ लगाईं। शाम को ग्यारह दीपक जलाए, कल्याण के पर्व अंक में दीपावली उत्सव के बारे में  विस्तृत जानकारी पढ़ी। इस बार पूजा का समान नहीं ला पाये हैं अभी तक। रंगोली के लिए रंग भी नहीं हैं। यहाँ वे बाजार से काफी दूर हैं। उत्तर भारत में जिस उत्साह से दीवाली मनाते हैं वैसा यहाँ नहीं है। आज सुबह वे पड़ोसियों को शाम के भोज के लिए निमंत्रित करने गए। उनके पुत्र सैकड़ों के पटाखे जलाता है ऐसा उन्होंने बताया। 


उस पुरानी डायरी के पन्ने पर उसने कहीं से एक सूक्ति लिखी थी, “स्वप्न से भागना नहीं, जागना है। स्वप्न में भागकर भी तो स्वप्न में ही रहेंगे; किन्तु स्वप्न से जागकर स्वप्न ही नहीं रह जाएगा। आज लगता है, जीवन भी तो एक स्वप्न ही है जो वे देखे ही जा रहे हैं, जाग कर पुन: सोने का अभिनय करते हुए। 


Tuesday, January 19, 2021

कभी अलविदा न कहना

 

आज की दोपहर कितनी अलग थी. बारह बजे के थोड़ी देर बाद ही सभी एक-एक करके आने लगे. पूरी डाइनिंग टेबल खाद्य पदार्थों से भर गयी. सुंदर साड़ी का उपहार दिया सबने मिलकर, अच्छी-अच्छी बातें कीं, परमात्मा की कृपा का अनुभव अब कइयों को होने लगा है. एक साधिका ने अपनी भावनाओं को कविता के माध्यम से व्यक्त किया. एक अन्य ने परमात्मा का स्मरण किया, तीसरी ने आशीष माँगा, परमात्मा के प्रति आत्मा का प्रेम ऐसा ही होता है, आत्मा पर जब परमात्मा के इश्क का रंग चढ़ता है तो वह भावविभोर हो जाती है. एक सखी ने कहा, उसका पुत्र ग्याहरवीं में आ गया है, आजकल पढ़ने में उसका मन नहीं लग रहा है. उसे कहा है, बेटे को लेकर आये एक बार. कुछ वर्ष पूर्व उससे योग सीखने आया करता था, शायद अपने दिल की बात कहे. आज इनमें से चार साधिकाओं के लिए लिखी कविताएं उन्हें भेज दीं. शेष सभी के लिए भी हो सका तो कुछ पंक्तियाँ लिखेगी. 


रात्रि के नौ बजने वाले हैं, आज सुबह से ही टीवी चैनलों पर हाऊडी मोदी के बारे में चर्चा चल रही थी. यह कार्यक्रम अब आरम्भ हो गया है. पहले सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे हैं. भारतीय संस्कृति का सुंदर  चित्रण अमेरिकन इंडियन कर रहे हैं. वे भी वर्षों पूर्व ह्यूस्टन गए थे, जहाँ यह कार्यक्रम हो रहा है. थोड़ी देर में मोदीजी  भाषण देंगे, बाद में ट्रम्प भी आएंगे. आज दोपहर सन्डे योग क्लास में बच्चों को सब सामान बाँट दिया, जो हर हफ्ते वे इस्तेमाल करते आ रहे थे. भविष्य में उन्हें घर पर ही योग करना है, यह बताया पर वह जानती है, कुछ ही दिनों में वे भूल जायेंगे. शाम को एक सखी अपनी बिटिया के साथ आयी, उसे कुछ किताबें दीं. एक अन्य सखी को तीन गमले. नन्हे से बात हुई, सोनू की मौसी व उनकी बेटी उनके  यहाँ कुछ दिनों के लिए आये हैं.


आज स्कूल में विदाई समारोह था, टीचर्स, बच्चों सभी ने गीत गाए, उपहार दिया. प्रिंसिपल ने मानपत्र पढ़ा, अच्छा लगा इतनी भावनाओं को उमड़ते देखकर, आँखों में अश्रु भी छलक आये दो एक बार... पिछले छह वर्षों से वहाँ जा रही थी. स्कूल से वापस आकर कुछ देर कश्मीर पर खबरें सुनीं. पाकिस्तान वहाँ मानवाधिकारों के लिए बेवजह ही इतना शोर मचा रहा है, जबकि उसके अपने देश में कितने राज्यों में लोग पीड़ित हैं. राजनीतिज्ञ जब तक संवेदनशील न हो वह आम जनता का दर्द समझ नहीं पाता और संवेदनशील लोग राजनीति में जाते ही नहीं, जाएँ भी तो टिक नहीं पाते. भारत का सौभाग्य है कि उसे मोदी जी जैसे नेता मिले हैं  आज के दौर में. यदि भारत और अमेरिका मिल जाएँ तो आतंकवाद का मुकाबला किया जा सकता है. कल शाम क्लब में विदाई कार्यक्रम है, आज पैकिंग का कोई भी कार्य नहीं हुआ, एक कमरे को छोड़कर सभी कमरे अभी भी पूर्ववत हैं, लगता ही नहीं कि एक महीने से भी कम समय में घर पूरी तरह खाली हो जायेगा. अगले महीने के तीसरे सप्ताह में वे बैंगलोर में होंगे. 


शाम के सवा चार बजे हैं. परसों शाम भाई पांच बजे के बाद ही आया. ढेर सारी मिठाई लाया है. कल योग साधिकाएं आयीं थीं, उन्हें उसका पटना से लाया ‘खाजा’ खिलाया और पेड़े भी. परसों क्लब में हुआ विदाई कार्यक्रम यादगार रहा. अनेक सदस्याओं ने अपने विचार और भाव प्रस्तुत किये. कविताएं पढ़ीं, कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये. योग ग्रुप की महिलाओं का कार्यक्रम ‘योग नृत्य’ सबसे अनोखा था, अंत में वे सभी भावविभोर हो गयीं, आँखें नम हो गयीं, दर्शकों की भी और कलाकारों की भी. घर लौटने में नौ बज गए थे, कितनी तस्वीरें खींचीं सबके साथ, एक सुखद स्मृति बन गया है वह दिन. कल शाम को सीएमडी की पत्नी का विदाई समारोह है, उनके लिए कविता लिखी है, सुबह पूर्व प्रेसीडेंट का फोन आया,  उन्होंने बतायीं कई बातें, सम्भवतः वह उन्हें कालेज के वक्त से जानती हैं। आज सुबह पिताजी के लिए रॉकिंग चेयर की जानकारी ली, जो वे उनके अठ्ठासीवें जन्मदिन पर भेजना चाहते हैं. फुफेरे भाई से बात हुई, भाभी का अपेंडिक्स का आपरेशन हुआ है कल, फुफेरी बहन के बारे में बताया, एक जगह उसका रिश्ता होते-होते रह गया. जीवन में जो वे चाहते हैं सब तो नहीं होता, पर उसके साथ तो ऐसा ही है. परमात्मा उसके साथ है हर पल, जो भी होता है वही होना होता है., वही होना ठीक भी होता है. जीवन कितना सरल हो जाता है यदि कोई सदगुरू राह दिखाने वाला मिल जाये ! 


... और आश्चर्य हुआ कि वर्षों पूर्व भी उसने उस दिन यही लिखा था, “गॉड इज विथ हर ! आज ही हुआ वह जैसा उसने सोचा था... ईश्वर उसका कितना ख्याल रखता है. उसका रखवाला अपनी नन्ही मित्र का कितना ख्याल रखता है ! थैंक गॉड ! रात्रि के ग्यारह बजे हैं, नींद भी आ जाएगी कुछ ही देर में पर सोने से पहले अगर मन में सपने सोच ले जो रात को देख सकेगी तो ... दिन भर ठीक रहा.. कल इतवार है और उसकी परछाई जो बिस्तर पर पड़ रही है अच्छी लग रही है”.


Tuesday, July 21, 2020

विनोबा भावे के विचार


शाम के पौने पांच बजे हैं. बाहर धूप है, पंखे के बिना बैठना नहीं भा रहा है. आज नवरात्रि की सप्तमी तिथि है. कल कन्या पूजन करेंगे. सुबह नैनी व माली की बेटियां बीहू नृत्य की ड्रेस पहनकर आयीं, स्कूल के कार्यक्रम में जा रही थीं. उसने उनकी तस्वीरें उतारीं. अभी कुछ देर पहले मालिन आयी आशीर्वाद लेने, किसी ने उसे कह दिया है कि आज के दिन बड़ों का आशीर्वाद लेना चाहिए. उसने मन ही मन प्रार्थना की परमात्मा इन सबको ढेर सारी खुशियाँ दे. सुबह उठने से पूर्व जैसे कोई भीतर कह रहा था, उन्हें किसी को बदलने की आवश्यकता नहीं है, वे जैसे हैं अति प्रिय हैं. सभी अपने-अपने संस्कारों के अनुसार कर्म करते हैं , यदि उन्हें वे संस्कार कष्ट देते हैं तो वे खुद ही उन्हें बदलने का प्रयास कर सकते हैं परमात्मा भी आकर यह काम नहीं कर सकता. बगीचे में जैसे बैंगन, आलू, भिंडी सभी कुछ जैसे बीज हों वैसे ही उगते हैं. वे यदि किसी को दोषी  देखते हैं तो वह दोष उनमें भी होता है. यदि वे स्वयं को आत्मा देखते हैं तो अन्यों को भी निर्दोष ही देखेंगे. परमात्मा के सिवा जब इस जगत में कुछ है ही नहीं तो कौन दोषी और कौन निर्दोष ! 

कुछ देर पहले नन्हे से बात की वह नए घर में था, काफी काम हो गया है पर काफी कुछ बाकी भी है. दो सप्ताह बाद वे वहाँ जा रहे हैं, शेष कार्य उनके जाने के बाद होगा. आज रामनवमी भी है और बैसाखी भी, बीहू का अवकाश भी शुरू हो गया है. उन्हें इस समय का अच्छा उपयोग करना है. सुबह अष्टमी की पूजा का कार्यक्रम ठीक रहा. मौसम आज भी गर्म है. पीछेवाली सब्जी बाड़ी में मजदूर काम कर रहे हैं, सीवर की पाइप बदलनी है जो इलेक्ट्रिकल विभाग के लोग जब खुदाई करने आये थे टूट गयी थी. छोटा भाई बहुत दिन बाद घर गया है. पिताजी के साथ तस्वीर भेजी है, वह बहुत शांत लग रहे हैं. सामने वाले लॉन में माली सफाई कर रहा है. कल रात आंधी बारिश के बाद ढेर सारे पत्ते गिरे. सुबह टहलते समय देखा, बस स्टैंड के पास एक फूलों वाले पेड़ की बड़ी सी डाल टूटकर गिरी हुई थी. बाद में नैनी ने बहुत से फूल लाकर सजा दिए. दोनों ननदों से बात की, दोनों का स्वास्थ्य नासाज था, नियमित दिनचर्या व व्यायाम कितने जरूरी हैं स्वस्थ रहने के लिए ! 

आज बाबा रामदेव का दीक्षा दिवस है, छोटे-छोटे बच्चों को अष्टाध्यायी के सूत्र सुनाते हुए देखा टीवी पर. उनके गुरुकुल में सैकड़ों बच्चे संस्कृत सीख रहे हैं. लता मंगेशकर ने पीएम के द्वारा गायी पंक्तियों को गीत बनाकर रिकार्ड किया है. प्रधानमंत्री के रूप में वह उनके सम्मान के पात्र हैं, उन्हें रशिया का एक पुरस्कार भी मिला है. 

उसने विनोबा भावे का यह विचार पढ़ा- दूसरों को प्रेम करने से ही प्रेम मिलता है. वर्षों पहले लिखा  था इसे पढ़कर, कल शाम पिताजी की टाई ढूंढते समय वह बिलकुल यही बात सोच रही थी. यह दुनिया एक दर्पण है कोई जो कुछ करता है वही उन्हें दिखाई देता है. सब लोग एक जैसे होते हैं, थोड़ा बहुत अंतर हो तो हो, नीचे गहराई में सबका मन भरा हुआ है लबरेज प्याले की तरह छलक पड़ने को आतुर ! वैली ऑफ़ फ्लावर का सुंदर पोस्टकार्ड मिल गया टाई ढूंढते- ढूंढते उसके लिए ! उसे लगा, यह किसी और की बात है, पिताजी कभी टाई भी बांधते थे, यह तो जरा भी याद नहीं आता. 

Thursday, July 9, 2020

भोर का आकाश


कल शाम बच्चों के स्कूल में अध्यापिकाओं का साक्षात्कार था। उसे भी बुलाया गया था, इंटरव्यू लेने का पहला और एक बिलकुल नया अनुभव था और स्वयं को परखने का एक स्थल भी. मेज के इस तरफ बैठी है, यह भाव आया तो भीतर के सूक्ष्म अहंकार का बोध हुआ. प्रश्न पूछते समय खुद को ही लगा, वाणी में अभी भी मधुरता नहीं आयी है. एक क्षण के लिए भीतर हलचल भी हुई, जो बाद में व्यर्थ ही प्रतीत हुई. परमात्मा उन्हें उनसे बेहतर जानते हैं. वह उन-उन परिस्थितियों में भेजते हैं जहाँ से वे चाहें तो सीखकर आगे बढ़ सकते हैं. यह सृष्टि उसी परमात्मा का विस्तार है, वह सर्वज्ञ है और यदि कोई आत्मा उसकी ओर कदम बढ़ाती है तो वह उसे स्वीकार करता है. जैसे धूल से सन हुआ शिशु माँ की तरफ हाथ बढ़ाता है तो माँ उसे झट गोद में उठा लेती है, वह अपने वस्त्रों की परवाह नहीं करती. शिशु को साफ-सुथरा करती है, वैसे ही परमात्मा उन्हें निखारता है. वह प्रेरणाएं भेजता है  जिन्हें वे सुनी-अनसुनी कर देते हैं, पर वह असीम धैर्यशील है. वह बार-बार अपनी ओर खींचता है, क्योंकि उनकी अभीप्सा उसने भांप ली है. संस्कारों के कारण या पूर्व कर्मफल के कारण वे उस पथ से विमुख हो जाते हैं ,पर उसका हाथ उन्हें कभी नहीं छोड़ता. कल एक स्वप्न में स्वयं को कहते सुना कि  जून के जीवन में सच्चाई बढ़ रही है. वह भोजन के प्रति भी पहले के जैसे आग्रही नहीं रहे. परमात्मा उनके हृदय पर भी अपना अधिकार कर रहा है. आज दोपहर मृणाल ज्योति जाना है, सेवाभाव से बच्चों को पढ़ाना है. संध्या को श्लोक उच्चारण का अभ्यास करना है. शेष समय में लिखना-पढ़ना. व्यर्थ अपने आप छूट जाता है जब वे सार्थक  को पकड़ लेते हैं. 

घर के बायीं तरफ वाले मैदान में बीहू नृत्य की शूटिंग चल रही है. कभी संगीत की आवाज आती है कभी ‘कट’ की और सब थम जाता है. छोटी लड़कियाँ भी हैं और बड़ी भी. अप्रैल में तो यहाँ चारों ओर ढोल की थापें सुनाई देती हैं, इस बार मार्च से ही बीहू आरंभ हो गया है. जून दो दिन के लिए आज टूर पर गए हैं. दोपहर को क्लब गयी थी,  शाम के आयोजन की तैयारी चल रही थी, एक अन्य सदस्या भी आयी थी, जो पहले बहुत बीमार रहा करती थी, एक वर्ष पूर्व योग करना आरंभ किया और अब पूर्ण स्वस्थ है. उसने ज्ञान के पथ पर कदम रख दिया है और तेजी से आगे बढ़ रही है.  नैनी भी ढेर सारे फूल लेकर वहाँ आयी और चार गुलदान सजा दिए, वह इस कार्य में दक्ष हो गयी है. घर पर भी शाम के लिए उसने कुछ व्यंजन बनाये हैं.अगले हफ्ते महिला क्लब की तरफ से कम्पनी की एक महिला उच्च अधिकारी का विदाई समारोह है. वह उनसे वर्षों पहले एक बार विदेश में मिली थी. उसके बाद दो-तीन बार क्लब की मीटिंग में. नई प्रेसीडेंट ने कहा, उनके लिए कुछ लिखना है. 

और अब उस पुरानी डायरी का एक पन्ना - रात्रि के ग्यारह बजने वाले हैं. सुचना और प्रसारण मंत्रालय के ‘नाटक व गीत विभाग’ के ‘दुर्गे कला केंद्र’ के कलाकारों का नृत्य-गीत देखकर बहुत अच्छा लगा. सचमुच नृत्य और संगीत में जादू है, लोक नृत्य का तो कहना ही क्या, उसके पाँव थिरकने लगते हैं धुन सुनते ही, अफ़सोस कि उसने कक्षा सात के बाद कभी नृत्य नहीं किया. कल उसे दादाजी के घर जाना है. किताबें और एक ड्रेस लेकर जाएगी. फिर उसके कमरे में छोटी बहन रहेगी. परीक्षाएं इतनी नजदीक हैं और उसकी पढ़ाई अभी तक गति नहीं पकड़ पायी है. खैर ! अब वह क्या कर सकती है, ऐन वक्त पर उसका पागल मन धोखा दे जाता है. उसे तो केवल नीला आसमान, फूल, नदी, छोटे बच्चों की मुस्कान... देखकर ही ख़ुशी मिलती है. 

बिलकुल वही अनुभूति, बल्कि उससे भी अच्छी ! इस समय वह दादी जी के घर पर है. आस पड़ोस की छोटी-छोटी बच्चियाँ मिलने आयीं, ये सब बहुत अच्छी हैं, भोली.. मगर दुनिया इन्हें ऐसा रहने कहाँ देगी. वह सबसे छोटी रेणु उसने कैसा चुटकुला सुनाया.. एक ने कहा, आप क्यों आजकल हर वक्त सपने बुनती हैं ! ...और दादाजी ने भी एक चुटुकुला सुनाया, कहा, वे वैष्णव हैं सो एक अंडा खाएंगे और फूफा जी यदि आएं तो उन्हें दो खिला देना. कल सम्भवतः बुआ जी आएं. शाम को उसकी घड़ी खो गयी, सारा कमरा ढूंढ लिया तो मिली बड़े सन्दूक के पीछे. चचेरे भाई ने कहा, एक दिन पता चल जाये कि सुबह पांच बजे आकाश में तारों की स्थिति या प्रकाश कितना है तो रोज समय पर उठने में आसानी होगी. उसने सोचा, वह भी कल जल्दी उठेगी और आकाश दर्शन करेगी. 

Sunday, June 28, 2020

श्री श्री और बाबा


आज बापू की पुण्यतिथि है, टीवी पर सर्वधर्म प्रार्थना का प्रसारण किया जा रहा है. बापू का जीवन भी पुण्यशाली था और मृत्यु भी, शहीद दिवस के रूप में उनकी पुण्यतिथि मनायी जाती है. स्कूलों के बच्चे मधुर स्वरों में गीत व भजन गा रहे हैं, गीत अत्यंत भक्तिभाव जगाने वाले हैं. आज सुबह गांधीजी की आवाज में उनके भाषण सुने. दूरदर्शन के अभिलेखागार में उनके वीडियो सुरक्षित रखे गए हैं. उनके हृदय में हर व्यक्ति के लिए प्रेम था, चाहे वह किसी जाति, किसी धर्म का हो. इस समय बहाई प्रार्थना कही जा रही है. परमात्मा से की गयी कोई प्रार्थना व्यर्थ नहीं जाती. अब कुरान का पाठ किया जा रहा है. कल रात तारिक अहमद को सुना, जो पाकिस्तानी हैं पर उसके सबसे बड़े आलोचक भी हैं. हिंदुस्तान की तारीफ करते हैं. कल शाम को अचानक तेज वर्षा व आंधी आयी. एक योग साधिका ने कहा, गुरूजी का कोई सन्देश दे वह उन्हें घर जाने से पूर्व, वह साधिका हिंदी में कविता लिखती है और गाती भी अच्छा है. आज धोबी अपने बगीचे से नारियल और ढेर सारा हरा  धनिया लाया था, उसने भी दो पत्ता गोभी तोड़ कर दीं.

आज नए वर्ष के प्रथम माह का अंतिम दिन है. अब जून को सात माह का समय और यहाँ अपने विभाग प्रमुख के रूप में व्यतीत करना है. आज शाम को एक योग साधिका को विदाई दी, वह सूजी का हलवा बना कर लायी थी, शेष सभी लोग भी कुछ न कुछ बनाकर लाये थे. नूना ने उसके लिए लिखी कविता पढ़ी. दोपहर की कक्षा में दस लोग थे, दो नई लड़कियों ने आना शुरू किया है जो बहुत मन से योग अभ्यास करती हैं. सुबह आसन किये, कुछ ही दिनों में शरीर हल्का लगने लगा है. पिछले दिनों यात्रा आदि के कारण नियमित व्यायाम न करने से वजन भी बढ़ गया है. 

दोपहर के साढ़े चार बजे हैं, आज टीवी पर कुछ नए चैनल देखे. यूट्यूब पर एक वीडियो देखा जिसमें स्वस्थ रहने के लिए कुछ काम की बातें थीं. सुबह उठकर गर्म पानी पीना है, कुछ देर टहलना है. शंख प्रक्षालन के आसन नियमित करने हैं. भोजन के डेढ़ घण्टे बाद पानी पीना है . नमक कम, सफेद चीनी व मैदा नहीं खाना है. भोजन चबाकर खाना है. रीढ़ की हड्डी को सीधा रखना है. नाभि व छाती के मध्य की दूरी को बढ़ाकर रखना है. भोजन करते समय नीचे बैठना है अथवा सीधे बैठना है. भोजन स्वयं से ऊपर रखना है. दिन में सोना भी ठीक नहीं है.  रामदेव बाबा पर एक कार्यक्रम भी देखा. आज सुबह श्री श्री व रामदेव बाबा को संगम तट पर एक साथ योग करते हुए देखना एक अभूतपूर्व अनुभव था. दोपहर को लॉन की धूप में विश्राम किया, पैरों पर धूप पड़ रही थी और सिर छाया में था. इसी तरह जीवन में भले संघर्ष हो पर मन में विश्राम हो वह जीवन सार्थक है. बड़ी भांजी के लिए आज सुबह कविता लिखी, अपनेआप ही भीतर उतर आयी हो जैसे, सोचा नहीं था कि लिखनी है. 

Saturday, June 20, 2020

पासीघाट के सन्तरे


आज इतवार था, सुबह के सभी कार्य, प्रातः भ्रमण, योग आदि बड़े इत्मीनान से किये, बिना किसी जल्दबाजी के. नाश्ते में अप्पम बनाये ढेर सारी हरी सब्जियां डालकर. बगिया में हरे प्याज, गाजर, गोभी आदि हो रही हैं. यह अंतिम वर्ष है जब वे सब्जियां उगा रहे हैं, अगले वर्ष से महानगर में सम्भवतः फूल ही उगा पाएंगे या सजाने के लिए गमलों में कुछ हरे पौधे. दोपहर को बच्चों को योग सिखाया साथ ही गणित भी, उन्हें बहुत आनंद आया. एक लड़का बहुत उदास था, अगली कक्षा में उसका दाखिला अभी तक नहीं हुआ है, बच्चों के लिए स्कूल जाना कितना जरूरी है , उससे बात करके लगा. एक बच्चे का पैर सूजा हुआ था, उसे अभी तक इलाज नहीं मिला, माता-पिता को सन्तान के प्रति ज्यादा सजग होना चाहिए पर... शाम को एक बाल फिल्म का एक अंश देखा. एक किशोरी अपनी सखियों के साथ सागर तट पर जाती है पर घर पर बताकर नहीं आयी है, सबके माँ-पिता कुशंकाएँ करने लगते हैं. मन कितनी जल्दी भयभीत हो जाता है, आत्मा अभय है सदा एक सी ! 

अभी वे रात्रि भ्रमण से लौटे, पिटूनिया के फूलों  का लाल रंग हल्के प्रकाश में सुंदर लग रहा था. आज दोपहर छोटी बहन से वीडियो कॉल पर बात हुई. वह मेथी काट रही थी, वीडियो कॉल पर बात करो तो लगता ही नहीं कि हजारों मील की दूरी है, उसका घर जैसे पड़ोस में आ गया हो. बताया, उसकी छोटी बिटिया विदेश पहुँच गयी है. बहनोई विदेश जाने वाले हैं, उनके लिए लिखी कविता का अंतिम भाग समझ में नन्हीं आया, ऐसा बताया. परमात्मा को भीतर या बाहर अनुभव किये बिना समर्पण का गीत गाया नहीं जाता. शाम को भगवद्गीता के एक श्लोक का भावार्थ सुना, आचार्य प्रद्युम्न कितनी अच्छी तरह भक्ति भाव में डूबकर गीता की व्याख्या करते हैं. कर्मयोग, भक्तियोग, ज्ञानयोग को बहुत सरलता से परिभाषित कर देते हैं. उसके पहले प्रेसीडेंट से मिलने गयी, उनका गला खराब है, पर क्लब का काम करने का उनका उत्साह देखते ही बनता है. उनके लिए विदाई कविता लिखनी है. दोपहर को पावर ऑफ़ नाउ का एक और अध्याय पढ़ा.उनके भीतर एक छाया शरीर भी होता है जो पीड़ा से ही पोषित होता है. पुराने नकारात्मक संस्कार तथा घटनाएं जब कभी जागृत हो जाती हैं तब वह शरीर मुखर हो जाता है और वे स्वयं को भूल जाते हैं, अपने स्वरूप से डिग जाते हैं. उसके भीतर भी हीन भावना, ईर्ष्या, अहंकार तथा दम्भ के रूप में पुराने संस्कार हैं, जो अचेत होने पर उभर आते हैं. दुबई से वापसी की यात्रा में कुछ पलों के लिए कैसी विवेकहीनता छा गयी थी, जैसे वह वह नहीं थी, कोई अन्य ही था. चाय के प्रति आसक्ति भी इसी छाया शरीर की मांग पर टिकी है, आत्मा को कोई अभाव नहीं है . उसे किसी सुख के लिए किसी वस्तु, व्यक्ति या परिस्थिति पर निर्भर होने की जरा भी आवश्यकता नहीं है. आज मकर संक्रांति है, कल वे पासीघाट जा रहे हैं, अरुणाचल प्रदेश में स्थित यह स्थान सेंटरों के लिए प्रसिद्ध है. कल से कुम्भ भी आरम्भ हो रहा है. 

उसने फिर उस वर्षों पूर्व की डायरी का अगला पन्ना खोला, कुछ कविताएं कालेज की पत्रिका में छपने के लिए दीं थीं उसी दिन. एक कविता तो अवश्य छपेगी उनमें से ऐसा भी लिखा था.  अगले पन्नों पर वे कविताएं थी जो रेडियो पर सुने कवि सम्मेलन से लिखी थीं, 

जिंदगी जैसे शिकन रुमाल की 
एक नन्हीं सी लहर है ताल की 
जिंदगी है एक चिड़िया डाल की  
देखते ही देखते उड़ जाएगी 

बादलों में छिप गयी वह धूप है 
घूँघटों में कैद गोरा रूप है 
एक गिरते फूल का मकरन्द है 
एक झूठे प्यार की सौगन्ध है 
आंसुओं के नीर में बस जाएगी 
कुंवर बेचैन 

जीना  हो तो मरना सीखो गूँज उठे यह नारा
हर आँधी का उत्तर हो तुम, तुमने नहीं विचारा 
.............

सोचो तुमने इतने दिन में कितनी बार हुंकारा 

बाल कवि बैरागी  

है महानगर में शोर शोर में महानगर 
नागरिक नहीं रहती है भीड़ यहाँ, 

ये पंक्तियाँ किसकी हैं, नहीं लिखा है. 


Friday, April 17, 2020

कैटरी-बिल्लियों का घर


सुबह के साढ़े नौ बजे हैं. आज वर्षा नहीं हो रही है, न ही अभी तक धूप तेज हुई है. बाहर का मौसम अच्छा है वैसे ही मन का मौसम भी ! सुबह उठी तो भीतर ध्यान का प्रयास चल रहा था, अर्थात नींद में भी कोई धारा लगातार चलती रही थी. रात को ध्यान करते-करते ही सोयी थी, शिव सूत्र पर प्रवचन चल रहा था, शायद रात भर मोबाइल ऑन ही रह गया, बैटरी खत्म हो गयी. मन में वृत्ति का प्रवाह अब भी चलता है लेकिन उसे देखते ही विलीन हो जाता है और रह जाती है एक अखण्ड शांति ! उन्हें सदा उसी अपने निराकार स्वरूप में रहना सीखना है, व्यर्थ के संकल्प उनकी ऊर्जा को व्यर्थ करते हैं. एकाग्र मन ही शुद्ध मन है. स्थिर बुद्धि ही विवेक है. परमात्मा की शक्ति है चिति शक्ति और उसका विस्तार है आनंद !  जो प्रकृति के रूप में प्रकट हो रहा है. शिव सूत्र में सोलह कला का एक नया सरल अर्थ सुना, तीनों अवस्थाओं के पन्द्रह भेद और सोलहवां मन. उनके भीतर ही सारे प्रश्नों का अर्थ छिपा है, यदि वे अंतर्मुख होकर स्वयं के सारे आयामों से परिचित होना आरंभ कर देते हैं तो परमात्मा की शक्ति सारे रहस्यों को खोलने लगती है. उनका जीवन एक सहज बहती नदी की धारा की तरह है जिसमें समय के अनुसार परिवर्तन स्वाभाविक है, लेकिन इस जीवन का आधार सदा एक रस है, जैसे वह आकाश जिसमें सब कुछ स्थित है. 

सुबह उठी तो सवा पांच हो गए थे. प्रातः कालीन  भ्रमण  पर जाते समय और लौटते समय भी भगवद्गीता का पाठ सुना. अद्भुत वचन हैं कृष्ण के, गीता एक ऐसा ग्रन्थ है जितनी बार भी पढ़ें या सुनें, नया ही लगता है. मन कृष्णमय हो गया है. जून का वीडियो कॉल आया, वह भुवनेश्वर के उस होटल में ठहरे हैं जहाँ लैगून है, जहाँ वे दोनों कुछ समय पहले ही गए थे. कल वह आ रहे हैं. आज एक पुराने मित्र परिवार से मिलने आएंगे. शनिवार की साप्ताहिक सफाई का कार्य चल रहा है. नैनी को बुखार है, उसकी देवरानी आयी है. कल रात आयी थी तो उसकी आवाज बदली हुई थी, कल दोपहर वह बच्चों को लेकर पैदल ही गणेश पूजा देखने गयी थी वह, खिचड़ी खाने का मन था, पर भीड़ बहुत ज्यादा थी, शरारती भतीजे के कारण भी बहुत परेशानी हुई. अभी उसे देखने गयी तो उसके पति ने कहा, नाश्ता बना रही है, यानि बुखार में भी आराम नहीं है. कल मृणाल ज्योति गयी, मूक-बधिर बच्चों को हिंदी भाषा का ज्ञान देना है, उन्हें चित्रों और इशारों के माध्यम से ही पढ़ाया जा सकता है. वहाँ एक अध्यापिका ने बताया, ट्यूबवेल लगाने के लिए स्थान देखने कम्पनी से कुछ लोग आये थे. स्कूल से लौटकर एक कप कॉफी पीने एक सखी के यहाँ गयी, उसका पुत्र लंदन लेस्टर युनिवर्सिटी पढ़ने जा रहा है, तीन साल का कोर्स है. उससे भी मुलाकात हुई, वह खुस था और समझदार भी बहुत है. इंजीनियरिंग कर चुका है, किन्तु पुनः डिग्री कोर्स करने ही जा रहा है. ज्ञान का कोई अंत नहीं है. अभी-अभी नन्हे और सोनू से बात हुई, उन्होंने अपनी बिल्लियों को दो दिन के लिए कैटरी में रखा है, वहां अन्य दस-बारह बिल्लियां रहती हैं और चिड़िया व तोता भी. सोनू एक पजल बना रही थी जो उसके भाई ने जापान से भेजा था. कल वे दोनों नापा वैली जायेंगे, जहाँ उनके भावी नये घर में आंतरिक सज्जा का काम चल रहा है. 

दोपहर के साढ़े बारह बजने को हैं. इतवार के सारे कार्य हो चुके हैं. पिताजी व बड़ी ननद से फोन पर बात भी हो गयी, छोटी का फोन नहीं लगा. वापसी की यात्रा के लिए जून अब हवाई जहाज में बैठ चुके होंगे. 

Monday, January 27, 2020

आंतरिक मौन


आंतरिक मौन 



समय की कीमत जो जानता है, विचार की कीमत जो जानता है, वह और तरह से जीएगा. परिवार, मित्र, जीवन, प्राण, सभी धन हैं. इतनी संवेदना भीतर जगे कि इस जगत को त्यागपूर्वक भोगें. आजकल नियमित ध्यान नहीं होने के कारण मन चंचल रहता है, अनुशासित होकर कम से कम आधा घन्टा ध्यान करना होगा. ग्यारह बजने वाले हैं, जून आज आयल फील्ड गए हैं, आने में शायद देरी हो सकती है. आज नासिकाग्र पर मीठी सी गन्ध का अनुभव हो रहा है. गन्ध पृथ्वी का गुण है. पहले नाद सुनाई देता था जो आकाश का गुण है, फिर प्रकाश दिखता था, जो अग्नि का गुण है. साधना काल के बहुत आरंभ में पूरे शरीर में प्राणों का प्रवाह होता प्रतीत होता था, जो वायु का गुण है. अब वे भी सब होते रहते हैं पर गन्ध प्रमुख है. इन्हें ही तन्मात्रा कहते हैं शायद. कल शाम को क्लब की कमेटी की मीटिंग है, उसे एक और सदस्या के साथ मिलकर चाय-नाश्ते  का इंतजाम करना है. सुबह से ही तैयारी करनी होगी. 

रात्रि के आठ बजे हैं. टीवी पर इंग्लैण्ड-भारत एक दिवसीय क्रिकेट मैच का प्रसारण हो रहा है. भारत के सामने ३२२ रन का विशाल लक्ष्य रखा है. आज शाम  लर्नर ड्राइविंग लाइसेंस के लिए फार्म जमा कर दिया. घर आने से पूर्व वे नदी तक गए. सूर्यास्त का सुंदर दृश्य कैमरे में कैद किया. नदी में पानी बहुत बढ़ गया है. सर्दियों में लोग जहाँ पिकनिक मनाते हैं, रेत के वे मैदान पानी में डूब गए हैं. आज सुबह ड्राइविंग की थ्योरी क्लास थी, वर्षा बहुत तेज होने लगी, टीचर की आवाज सुनाई देना बंद हो गयी. आधा घन्टा सभी ने प्रतीक्षा की, वर्षा रुकी तो क्लास पुनः आरम्भ हुई. दस क्लासेस के बाद लर्नर लाइसेंस मिलेगा. आज सुबह एक योग साधिका अपने माँ-पिता को लेकर आयी थी. वह उन्हें प्राणायाम के लिए प्रेरित करे, ऐसी उनकी मंशा थी. इसी बीच चाची जी का फोन आया और प्रेसीडेंट का भी. पहला फोन बीच में काटना पड़ा, शायद सामान्य हाल-चाल जानने के लिए ही किया होगा. छोटे भांजे से बात हुई, वह क़ानून की पढ़ाई करने कालेज पहुँच गया है, परिवार में पहला वकील बनेगा. आज बगीचे से चार नारियल तुड़वाये हैं एक वर्ष और उन्हें ताजा नारियल पानी पीने को मिलेगा. कल  मीटिंग ठीक से हो गयी. 

सुबह के साढ़े आठ बजे हैं, ड्राइवर के आने का इंतजार है. प्रतीक्षा के इन पलों को रचनात्मक बना लिया जाये तो समय क्षण भर में कट जाता है. आज सुबह से भीतर के मौन को अनुभव कर पा रही है वह, कितना मधुर है यह सन्नाटा ! आज का गुरूजी का सन्देश भी यही कहता है कि  मन के द्वंद्व को समाप्त करने की कोशिश से वह और बढ़ेगा क्योंकि उसे ऊर्जा मिलेगी, बल्कि उसे आत्मा का आश्रय लेकर समाप्त कर देना चाहिए. आत्मा में परम् विश्राम है. परमात्मा में क्या होगा यह तो वही जानता है ! आत्मा व परमात्मा दो हैं या एक, इसका निश्चय आज तक नहीं हो पाया. वे एक ही होने चाहिए. भीतर जो अनन्त मौन है वह परम् मौन ही कहा जा सकता है. कुछ देर पूर्व क्लब की अध्यक्षा का फोन आया. स्कूल के लिए नयी अकाउंटेंट मिल गयी है, उसका इंटरव्यू लेना है, उसे भी जाना होगा. आज भीतर सन्नाटा है तो बाहर भी मौन छाया है. नैनी व सफाई कर्मचारी चुपचाप अपना काम कर रहे हैं. बाहर उनके घर के पांच बच्चों में से इस समय कोई भी नहीं रो रहा है. 






Friday, August 23, 2019

मेक इन इंडिया



पौने ग्यारह बजे हैं, अभी-अभी वह बाजार से आई है. उस सखी से बात की, सो रही थी. कल यहाँ से जाते समय उसकी आँख में नमी नहीं थी, पता नहीं उसका खुद का क्या हाल होगा. आज सुबह ध्यान के बाद पूरी हनुमान चालीसा पढ़ी बहुत दिनों बाद. बचपन में हर मंगलवार को बारह बजे पढ़ती थी दादी जी को सुनाने के लिए, स्कूल जाने से पहले. उसका स्कूल साढ़े बारह बजे से आरम्भ होता था, घर के बिल्कुल निकट ही था. आज दोपहर की योग कक्षा में महिलाओं को ग्रामीण महिला का योग कराया, आर्ट ऑफ़ लिविंग का सीडी चलाकर. चक्की चलाना, पानी भरना, धान लगाना, काटना और कूटना फिर साफ़ करना, सभी काम गाँव में आज भी किये जाते होंगे. शहर में तो टीवी देखना, स्मार्ट फोन पर संदेश भेजना ही मुख्य कार्य रह गया है, जिसमें जरा भी दैहिक श्रम नहीं होता. आज ग्वारफली की सब्जी बनाई है उसने जो वे डिब्रूगढ़ से लाये थे.

कल शाम को जैसे ही योग कक्षा समाप्त हुई, जून के विभाग की एक महिला अधिकारी का फोन आया, वह अस्पताल में थी, उसे साँस लेने में तकलीफ हो रही थी. वे गये और आठ बजे लौटे. उसे डिब्रूगढ़ ले जाया गया, अवश्य अब वह ठीक होगी. पिछले हफ्ते भी एक दिन उसे श्वास की समस्या हुई थी, पर कल वह मानसिक रूप से भी काफी परेशान लग रही थी. परमात्मा उसे शक्ति दे ताकि वह इस रोग से बाहर निकल सके. फुफेरे भाई से फोन पर बात हुई, बुआ जी अभी भी कोमा में हैं, पानी भी नहीं जा रहा है उनके मुख में, पर निकल रहा है, शायद देह का रक्त व अन्य पदार्थ अवशिष्ट के रूप में निकल रहे हैं. जून को कल गोहाटी जाना है. भारत सरकार के 'मेक इन इंडिया' के अंतर्गत गोहाटी आई आई टी भी उन्हें जाना है.

मौसम का मिजाज बिगड़ा हुआ है आज. आकाश काले मेघों से घिर आया है और गर्जन-तर्जन भी आरम्भ हो गया है. नन्हे से बात हुई, वह पिछले दस दिनों से बहुत व्यस्त है. दफ्तर में बजट का काम चल रहा था, फिर किसी सीनियर मार्केटिंग मैनेजर  ने एक ऐसा विज्ञापन दे दिया, जिससे कुछ लोग नाराज हो गये और कानूनी कार्यवाही की बात करने लगे. कम्पनी का नाम बदनाम हो या उन पर कोई इल्जाम आये, इसे बचाना बहुत जरूरी है. जून का फोन आया, उस महिला अधिकारी को थायराइड की समस्या है. हवाई अड्डे जाने से पहले वे उसे देखने अस्पताल गये थे.

रात्रि के सवा दस बजे हैं. शाम को साढ़े चार बजे वे कोर्स के लिए गये, एक सखी का पुत्र भी यह कोर्स कर रहा है. एओल टीचर का उत्साह देखने लायक है, ऊर्जा और ज्ञान से भरपूर हैं वह. उन्होंने बताया, अधिकतर लोग कुछ नया सुनना नहीं चाहते, वे अपने कम्फर्ट जोन में रहना चाहते हैं और चुनौती को स्वीकार नहीं करते. इसीलिए जीवन में जड़ता है, उन्हें इस सीमित दायरे से बाहर निकलना होगा, लोगों तक पहुंचना होगा और अपनी क्षमताओं को पहचानना होगा. कल सुबह साढ़े पांच बजे तक तैयार हो जाना है. आज 'पद्म साधना' भी करवाई. गृहकार्य में पन्द्रह लोगों से फोन पर बात करने को कहा है. आठ से ही हो पाई, उसने सोचा, सात को संदेश भेज देगी.

रात्रि के साढ़े नौ बजे हैं. आज का दिन कितना अलग है. अभी कुछ देर पहले ही रोटरी क्लब के हॉल से लौटी है, जहाँ डीएसएन कोर्स चल रहा है. आकर दूध-रस्क का भोजन किया. शाम को गुरूजी का ऋषिकेश से विशेष प्रसारण था, उन्होंने बहुत अच्छी बातें बताईं. कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने पर उनका कम्फर्ट जोन बढ़ जाता है. उन्हें अपने मूड्स को चलाना है न कि मूड्स के द्वारा चलाया जाना है. जीवन में प्रतिबद्धता न हो तो जीवन को एक दिशा नहीं मिलती और जीवन एक अधखिले फूल की तरह रह जाता है. उन्होंने कहा कि जीवन में गति के लिए सबसे पहली आवश्यकता है सुख के दायरे से बाहर निकलने की और दूसरी आवश्यकता है उत्साह तथा मन की निर्मलता व स्पष्टता की और तीसरी बात उन्हें विचारनी है, उन्हें ऐसा क्या करना चाहिए कि जीवन गतिमान बना रहे. यदि जीवन में कोई आकस्मिकता आ जाये या कोई विघ्न आ जाये तो वे कम्फर्ट जोन से बाहर निकलते हैं.या मन में बहुत उत्साह हो तो वे कुछ करना चाहते हैं. प्रेम या लोभ से प्रेरित होकर भी वे कुछ करना चाहते हैं. गुरूजी की वार्ता से पहले सत्संग हुआ, उसके पूर्व आसन, प्राणायाम व ध्यान. दो बार सभी लोग बाहर भी गये, एक बार समूह क्रिया में उन्हें लोगों से बेसिक कोर्स के लिए फॉर्म भरवाने थे और दूसरी बार लोगों को ख़ुशी के कार्ड बांटने. कोर्स के दौरान एक प्रक्रिया में उन्हें अभिनय करना था और दूसरी में उन दो घटनाओं का जिक्र करना था जिसमें उन्होंने उत्तरदायित्व निभाया या नहीं निभाया. उनके समूह में आठ लोग हैं. कल सुबह भी छह बजे पहुँचना है. आज सुबह ही छोटे भाई का फोन आ गया था. बुआ जी का कल रात देहांत हो गया, आज अंत्येष्टि क्रिया भी हो गयी. तीन दिन बाद उठाला है. एक जीवन की कहानी समाप्त हो गयी.  

Friday, August 9, 2019

काले खट्टे शहतूत



रात्रि के पौने नौ बजे हैं. अभी-अभी जून से बात हुई. वह एयरपोर्ट से सीधे लाजपतनगर गये, सूखे मेवों की दुकान पर, जहाँ से वह पिछले अनेक वर्षों से खरीदारी करते हैं. बात चल रही थी कि कुछ गिरने की आवाज आई, पर सब तरफ देखा, कहीं भी कुछ दिखा नहीं, बाद में बाहर जाकर भी देखा, सब कुछ अपनी जगह व्यवस्थित था. जीवन एक रहस्य है, यह बात मन में कौंध गयी. पिता जी से भी बात हुई, दोपहर को पता चला था, उन्हें ज्वर है, इस समय ठीक थे. आज ही बड़ी बुआ जी से भी बात की, अस्वस्थ हैं, दर्द में थीं. अंत समय में कितना कष्ट होता है किसी-किसी को, और कोई सहज ही देह का त्याग कर देता है. आज दोपहर ब्लॉग पर मृत्यु के बारे में ही लिखा. एक न एक दिन तो देह की मृत्यु होनी ही है. कल सुबह मृणाल ज्योति के किसी काम से अकेले डिब्रूगढ़ जाना है. बहुत पहले सासु माँ जब अस्पताल में थी, कई बार जाया करती थी. दोपहर को बच्चों की संडे क्लास चल रही थी, उड़िया सखी का वीडियो कॉल आया, जो पहले हर इतवार को उसकी मदद किया करती थी, उसने बच्चों से कुछ सवाल पूछे. सभी को बहुत आनंद आया. आज भी पिछले कुछ दिनों की तरह 'मान्डूक्य उपनिषद' की व्याख्या सुनी. जागृत, स्वप्न और सुषुप्ति से भी परे है तुरीया और इन सबमें  है एक ही आत्मा या ब्रह्म, ऊँ इन चारों का प्रतीक है. वैश्वानर, तैजस और प्राज्ञ इन तीन अवस्थाओं के प्रेरक हैं तथा इनका प्रेरक ब्रह्म ही है.  

जून से बात हुई, उन्हें गले में खराश व हरारत महसूस हो रही थी. ईश्वर से प्रार्थना है कि वह शीघ्र स्वस्थ हो जाएँ. परमात्मा उन्हें शक्ति प्रदान करेंगे. वह सफर में हैं और घर का आराम उन्हें नहीं मिल पायेगा, अभी दो दिन और उन्हें बाहर रहना है. कल रात दो बजे उठना होगा, सुबह की फ्लाईट के लिए. दिन भर गोहाटी में भी व्यस्त रहना होगा. घर आकर ही उन्हें पूरा आराम मिलेगा. इतवार को उनका इंटरव्यू भी है. परमात्मा सदा उसके साथ है. वैश्वानर, तैजस और प्राज्ञ के रूप में वह हर घड़ी सबके साथ है. अभी-अभी टीवी पर समाचार देखे. अमिताभ बच्चन को भारी पोशाक की वजह से शरीर में दर्द हो गया था, डाक्टरों की टीम उन्हें देखने गयी. फुफेरे भाई से बात हुई, बुआ जी अस्पताल में हैं, उनेक पैर का आपरेशन हुआ है. दोपहर को उनकी कितनी बातें याद आ रही थीं. आज काश्मीर में गुरूजी के कार्यक्रम के बारे में वीडियो देखे. कोई-कोई मडिया कितनी गलतबयानी करता है. आज वह पूना में है. वह अपने आराम की परवाह किये बिना जगह-जगह घूमकर लोगों में प्रेम व शांति का संदेश दे रहे हैं. सुबह पाकिस्तान में योग के प्रति बढ़ते आकर्षण पर भी वीडियो देखा, गुरूजी को मानने वाले वह भी हैं. आज भागवद् में कृष्ण का ऊद्ध्व को दिया गया उपदेश भी पढ़ा जिसे बहुत सुंदर ढंग से लिखा गया है. टीवी पर रामदेव जी पर जो कार्यक्रम आ रहा है, उसमें रामकिशन का अभिनय करने वाला बालक बहुत अच्छा काम कर रहा है. बचपन से ही कितना संघर्ष किया है उन्होंने. गुरूकुल में रहकर पढ़ाई की, अपने आदर्शों पर डटे रहे. उनके गुरूजी का भी बहुत बड़ा योगदान है उनके जीवन को गढ़ने में. बालकृष्ण भी बहुत अच्छी तरह बात करता है. आज उम्मीद पर एक कविता लिखी, शायद ब्लॉग समूह पर पहुँच गयी हो.

आज योग कक्षा के बाद 'जल नेति' करना सिखाया, पर शायद ही किसी को इसे करने का उत्साह जगे, क्योंकि जब उसने जलनेति पात्र मंगाने के लिए कहा, तो किसी ने भी हामी नहीं भरी. आज गुरूजी के पुराने वीडियो देखे. नारद भक्ति सूत्र पर वे बोल रहे थे. उनके जीवन पर भी फिल्म बन सकती है. दोपहर को लेखन कार्य किया.

जून दोपहर को एक बजे के थोड़ा बाद ही आ गये थे. भोजन करके दो बजे पुनः चले गये, शाम को लौटे तो हल्की हरारत थी. शाम से ही उपचार आरम्भ कर दिया है. जल्दी ही वह ठीक हो जायेंगे. आज सत्संग पूरा होते ही वर्षा होने लगी, उन पांच साधिकाओं ने मिलकर परमात्मा के नाम का कीर्तन जो किया था. बगीचे में शहतूत लगे हैं आजकल. दिन में कई बार बच्चों की टोली उन्हें तोड़ने जाती है. अभी काफ़ी खट्टे हैं काले रंग के शहतूत. आज एक ब्लागर ने टोन-टोटके आदि के बारे में विचार पूछा. कल वाणी कजी का मेल आया था, ईबुक के बारे में. आज एक कविता लिखी जो ध्यान के अनोखे अनुभव के बाद हुई मस्ती से उत्पन्न हुई थी, कितना अनोखा था आज का अनुभव..अनूठा. ध्यान पर जितना कहा जाये कम है, ध्यान की महिमा अपार है. दीदी ने बड़े पुत्र तथा परिवार से वीडियो चैट करवाई, पता चला बुआ जी अब पहले से बेहतर हैं.


Thursday, August 1, 2019

रसगुल्ले और समोसे



आज 'विश्व महिला दिवस' है, अभी कुछ ही देर में वे इसे मनाने भी वाले हैं. आस-पास की नैनी क्वाटर्स की महिलाओं को बुलाया है उसने एक कप चाय के लिए और कुछ बातें करने के लिए, पर उनके पास उसके लिए भी समय कहाँ है ? परिवार व बच्चे उनकी पहली प्राथमिकता हैं, अपने लिए वक्त बचाना उन्होंने कभी जाना ही नहीं. तीन बजे बुलाया था पर सवा तीन होने वाले हैं, अभी तो कोई नहीं आई हैं. जून के भेजे समोसे ठंडे हो रहे हैं, उन्होंने रसगुल्ले भी भेजे हैं. सुबह उन्होंने व्हाट्स एप पर सौ संदेश भेजे 'महिला दिवस' पर, उनका हृदय विस्तृत हो रहा है, समाज और राष्ट्र की सभी इकाइयां उसमें शामिल हो रही हैं. जीवन को सहजता से जीना है, उसको सम्पूर्णता के साथ अपनाना है. जीवन को स्नेह भरी दृष्टि से देखें तो विष भी अमृत हो जाता है ! वह लिख ही रही थी कि वे सब आ गयीं, उन्होंने कुछ देर भजन गाये फिर कुछ बातचीत की, नैनी ने सबके लिए चाय बना दी फिर हँसते-हँसते वे सब खाने लगीं. बाद में उसने पूछा, आज कौन सा दिन है, उन्हें महिला दिवस के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. लेकिन एक ने जब बताया उसका पति नशा करके आता है और वह डर जाती है, तो बाकी सब उसे समझाने लगीं. डरने की जगह उसे हिम्मत से काम लेना चाहिए. उसने कहा यदि वे नियमित रूप से कुछ देर योग-प्राणायाम करें तो भीतर की शक्ति जगा सकती हैं. पर वह जानती है ऐसा कर पाना उनके लिए सम्भव नहीं है. हफ्ते में दो बार उन्हें वह बुलाती है पर नियम से तो एक या दो ही आती हैं.

रात्रि के साढ़े आठ बजे हैं. टीवी पर हास्य धारावाहिक आ रहा है. अभी कुछ देर पहले वे अस्पताल से आये. उस सखी की बिटिया को इंजेक्शन लगना था, उसे थोड़ा सा आश्चर्य भी हुआ दस-बारह वर्ष की बालिका को इंजेक्शन लगवाने से इतना डर लगता है कि तीन लोग उसे संभालने के लिए चाहिये. बच्चों के प्रति ज्यादा मोह से माता-पिता ही उन्हें कमजोर बना देते हैं. ऐसी सोच जगी ही थी कि स्मरण आ गया उसे दोष दृष्टि रखने के अपने पुराने संस्कार का एक और बार अनुभव हुआ, इसका अर्थ हुआ यदि कोई सचेत न रहे तो मन किसी भी क्षण पुराने रंग-ढंग अपना लेता है.

आज सुबह नींद काफी पहले खुल गयी थी पर योग निद्रा करने लगी और फिर स्वप्न कब आरंभ हो गया पता ही नहीं चला. उठने से पूर्व स्वप्न में अज्ञेय की कोई किताब पढ़ रही थी. सफेद पृष्ठ पर काले अक्षर बिलकुल स्पष्ट थे और किसी-किसी वाक्य को दोहराया भी, ताकि बाद में भी याद रहे, यानि उस समय भी यह अनुभव था कि यह स्वप्न जैसा कुछ है, पर अब कुछ भी याद नहीं है. परमात्मा कितने-कितने ढंग से अपनी उपस्थिति का समाचार देता है. कल रात्रि मन कुछ क्षणों के लिए पुरानी व्यवस्था में लौट गया था, पर आज मन स्वच्छ है. वर्षा के बाद धुले आकश सा निर्मल ! भीतर जो चट्टान जैसी स्थिरता है उसके रहते हुए भी ऐसा होता है, इस पर आश्चर्य ही करना होगा. इसका कारण यही है कि उस क्षण वह परमात्मा को भुला देती है, पर वह इतना कृपालु है और सुहृदयी है कि बिना कोई दोष देखे संदेशे भेजता ही रहता है. वे सर्व शक्तिमान परमात्मा की सन्तान हैं, उनके भीतर ज्ञान, बल और प्रेम का अभाव हो ही कैसे सकता है ? सुख के लिए वे जगत पर निर्भर रहे तो उनमें और देहाभिमानियों में क्या अंतर रहा? उसे उस परम की ध्रुवा स्मृति बनाये रखनी है, सुख व आंनद का स्रोत वह परमात्मा उनका अपना है, वह अनंत है, प्रेम व शांति का सागर है ! वह सहज ही प्राप्य है, उसे अपने संस्कारों पर विजय पानी ही होगी, यह केवल कपोल कल्पना बन कर न रह जाये, हर बार की तरह उसका संकल्प टूट न जाये इसका पूरा ख्याल रखना  है.

Sunday, July 28, 2019

सत्यार्थ प्रकाश



आज मौसम सुहावना है, हल्की सी धूप है और हल्की सी बदली ! आज एक प्रसिद्ध महिला ब्लॉगर ने उसकी एक पुरानी कविता, 'हरसिंगार के फूल झरे' पुनः प्रकाशित की है. कल होली पर एक कविता लिखनी आरम्भ की थी. जून आज गोहाटी जा रहे हैं. कल सुबह वह उन दोनों महिलाओं से उनके घर जाकर अथवा फोन पर बात करेगी जिनके लिए विदाई कविताएँ लिखनी हैं. टीवी पर दीपक भाई 'नई दृष्टि - नई राह' में आ चुके हैं. कहते हैं, वे सभी शुद्धात्मायें हैं, यदि किसी में दोष देखा तो प्रतिक्रमण करना है. किसी को दुःख न हो इसका ध्यान रखना है. आत्मा में रहने पर कर्म नहीं बंधता और जन्म-मरण का चक्र छूटता है. प्रारब्ध कर्म प्रकट होता है, फिर फल देता है और खत्म हो जाता है. जगत किसी को नहीं बांधता, मन के राग-द्वेष ही जगत से उन्हें बांधते हैं. जगत निर्दोष है, वे व्यर्थ ही उसके प्रति अपने भाव बिगाड़ लेते हैं. उनके भाव शुद्ध हों तो मन हल्का रहता है. आत्मा के प्रकाश में जगत जैसा है वैसा ही दिखता है, उन्हें आत्मा में स्थित रहना है. यदि किसी के प्रति राग-द्वेष आदि है तो हिसाब चुकता नहीं हुआ और पुनः उनका सामना होगा. इसीलिए इसी जन्म में सभी आसक्तियों को त्याग कर मुक्तभाव से जीना है.

पौने दस बजे हैं रात्रि के, जून कल आ रहे हैं. आज गोहाटी में उनका कार्यक्रम अच्छा रहा, तस्वीरें बहुत अच्छी आई हैं. कम्पनी ने 'स्टार्ट अप इंडिया' के लिए काफ़ी बजट रखा है. आज 'जीत चैनल' पर स्वामी रामदेव पर आधारित कार्यक्रम देखा. वह बालक जिसे इतने अत्याचार सहने पड़े, पर जो असीम शक्ति का मालिक है, उसे सत्यार्थ प्रकाश पढने को मिली आज. वर्षों पहले उसने भी पढ़ी थी एक बार, पूरी नहीं पढ़ पायी, बहुत कठिन लगी थी. शायद वह एमएससी कर चकी थी, एक विद्यार्थी ने दी थी या फिर पुस्तकालय से ली थी, याद नहीं है. उस विद्यार्थी ने कहा था कि जैसे कोई जन उपन्यास पढ़कर आनंद का अनुभव करता है वैसी ही ख़ुशी उसे यह पुस्तक पढ़कर होती है. कमरे में न जाने कहाँ से एक छोटा सा पतंगा आ गया है, शायद कोई संदेश लाया हो परमात्मा का..नासिकाग्र पर मनमोहक गंध आ रही है, कभी मीठी कभी किसी पकवान की गंध..पता नहीं कहाँ से आती है ये गंधे, और कैसे ? अस्तित्त्व के लिए मन अपार प्रेम का अनुभव करता है, उसकी उपस्थिति अब एक क्षण के लिए भी नहीं हटती. उस अदृश्य से मुलाकात करनी हो तो ध्यान ही माध्यम है. आज शाम को पिताजी से बात की. छोटी बहन का वीडियो कॉल भी आया, वह बाल बांधकर बहुत प्यारी लग रही थी, काले रंग की सुंदर वेस्टर्न ड्रेस पहनी थी. उसे पार्टी में जाना था दुबई, वह समय के साथ-साथ और युवा दिखने लगी है, मोह-माया से छूटकर मुक्त आत्मा... शाम की योग कक्षा में एक सदस्या ने बताया, उनका तबादला हो गया है, दिल्ली जाना होगा, उसने एक मैथिली गीत सुनाया, जिसे नूना ने रिकार्ड कर लिया, उसकी स्मृति उन सबके साथ रहेगी. उसने बताया, छोटा पुत्र आ रहा है, उसे कम उम्र में कई रोग लग गये हैं. उससे कहा, एक दिन उसे लेकर आये, प्राणायाम या योग का महत्व बताकर शायद उसे प्रेरित कर सके. उन्होंने एक भजन पर नृत्य किया, एक अन्य सदस्या ने रिकार्ड कर लिया. डिनर में 'पत्ता गोभी और पालक' बनाया, दीदी ने यह रेसिपी बतायी थी. आज ब्लॉग पर कोई पोस्ट नहीं डाली. आलमारी ठीक की, ड्रेसिंग टेबल की दराजें भी सहेजीं. 'मातृत्व' पर स्वामी अनुभवानंद जी के सुंदर व्याख्यान सुने, संत के भीतर माँ का हृदय होता है. कितना सुंदर गीत भी सुना अभी वात्सल्य पर आधारित जो व्हाट्स एप पर आया है. सुबह गुरूजी का सुंदर प्रवचन सुना, शुद्ध चेतना में अपार क्षमताएं हैं, वह देह को स्वस्थ कर सकती है यदि कोई उससे जुड़ा रहे. नन्हा और सोनू उनके नये घर के लिए इंटीरियर डेकोरेटर ढूँढ़ रहे हैं.


Monday, July 15, 2019

साईं भजन



जून शाम को आये तो उन्होंने टीवी पर एक फिल्म का कुछ अंश देखा, फिर आमिर खान की 'सीक्रेट सुपर स्टार' का भी. सोने गयी तो नींद का दूर-दूर तक पता नहीं था, पता नहीं चला बाद में कब नींद आई, सुबह फिर कोई देवदूत जगाने आया. आज इतवार है सो जून ने नया नाश्ता बनाया, 'पनिअप्पम तथा फिल्टर कॉफ़ी'. बाद में सभी से फोन पर बात की, हर इतवार को वे एक-डेढ़ घंटा इसी में बिताते हैं, हफ्ते भर के समाचार मिल जाते हैं. बगीचे में ढेर सारे फूल खिले हैं, फूलों का ही मौसम है यह फाल्गुन का महीना. दो दिन बाद शिवरात्रि है. उस दिन बीहुताली में ब्रह्माकुमारी का कोई कार्यक्रम भी होने वाला है. वह इस बार रात्रि जागरण करेगी, वैसे भी देर तक नींद कहाँ आती है. भीतर सुमिरन चलता रहता है चाहे आँख खुली रहे या बंद. कभी रूप बनकर, कभी गंध बनकर आस-पास ही कोई डोलता रहता है. अब वह जगाता भी है, पढ़ाता भी है. जून ने एक नयी डायरी दी है, उसमें विशेष अध्यात्मिक अनुभव लिख रही है आजकल. सुना है, कबीर पहले भगवान को पुकारते थे और फिर एक दिन भगवान उनके पीछे कबीर-कबीर कहकर पीछा करने लगे. कैसा अनोखा है प्रेम का यह आदान-प्रदान ! दोपहर को नन्हे और सोनू से बात हुई, वे दोनों भी प्रेम के एक बंधन में बंधे हैं, जहाँ अभिमान की गंध भी नहीं. प्रेम और अभिमान का साथ हो ही नहीं सकता, प्रेम तो समर्पण का ही दूसरा नाम है. जून बाहर टहलते हुए फोन पर अपने मित्र से बात कर रहे हैं. दोपहर को तीन छोटी लडकियाँ आयीं जिन्हें गणित पढ़ाया, फिर कुछ देर बैडमिंटन खेला. अब समय है 'अष्टावक्र गीता' पर गुरूजी की व्याख्या सुनकर ध्यान करने का. ध्यान मन के पार होकर ही किया जा सकता है, बल्कि मन के कारण ही ध्यान उपलब्ध नहीं होता. अमन अवस्था ही ध्यान है. ध्यान कार्य-कारण में नहीं आता. कार्य-कारण के कारण ईश्वर को नहीं पाया जा सकता है. कार्य-कारण का सिद्धांत जहाँ लागू होता है वहाँ नियति है, पर परमात्मा भाग्य से नहीं मिलता, अर्थात उनके कुछ करने से नहीं मिलता. परमात्मा कृपा से मिलता है. बल्कि परमात्मा सदा ही है, सब जगह है, उसे देखने की दृष्टि हमें जगानी है. परमात्मा सब सीमाओं के पार है. ध्यान उन्हें वह अवसर देता है कि वह दृष्टि अपने भीतर जागृत कर लें.  

कुछ देर पहले कम्पनी के आई टी विभाग से एक मकैनिक आया माउस बदलने, उसके पिता का कुछ समय पहले देहांत हो गया था, कहने लगा, माँ को योग सिखने के लिए लायेगा किसी दिन. कल सुबह स्कूल में बच्चों को योग के बाद ध्यान कराया, एक अध्यापिका ने धन्यवाद कहा, वह आजकल पहले की तरह क्रोध नहीं करती हैं. कल शाम क्लब में 'पैडमैन' थी, अच्छी फिल्म है, सामाजिक विषय को लेकर बनायी गयी. उसके बाद महिला क्लब की एक सदस्या का विदाई समारोह था. आज आसू ने 'बंद' का आवाहन किया है, कम्पनी के वाहन नहीं चल रहे हैं, जून अपनी गाड़ी लेकर दफ्तर गये हैं. ऐसे में थोडा सा डर तो बना ही रहता है, फ़ील्ड जाने वाली गाड़ियों को पत्थर मारने की घटनाएँ भी कभी-कभी हो जाती हैं. एक सखी ने अपने घर पर 'साईं भजन' रखा है, साईं बाबा को मानने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. उसने देखा है सभी भजनों में थोडा सा परिवर्तन करके साईं के नाम से गाते हैं. उसने मना कर दिया, क्योंकि वही समय शाम की योग कक्षा का होता है.


Friday, July 12, 2019

वीरवार की पूजा



शाम के पांच बजने वाले हैं. ''जब वे अपने आप से भी बात करना बंद कर देते हैं तब वास्तविक मौन होता है, ऐसा संत कह रहे हैं. मन पर काम करने का पहला उपाय है अपने आप से बातें करना बंद करना, दूसरा उपाय है दृश्य से हटकर द्रष्टा में टिक जाना. मन में जब विचार आते हैं तब शब्दों के वस्त्र पहन कर ही आते हैं, शब्दों के बिना वे कोई चिन्तन नहीं कर सकते, शब्द निर्माण होते ही मन निर्माण हो जाता है. मन ही दृश्य है, इसे देखने वाला साक्षी जब अपने आप में ठहर जाता है, तो विचार बंद हो जाते हैं. आगे उन्होंने कहा, जगत के विषयों का प्रभाव इन्द्रियों पर नहीं पड़ता. जैसे  शब्द होने या न होने से कानों को कोई लाभ या हानि नहीं होती. इसी तरह इन्द्रियों का प्रभाव मन पर नहीं पड़ता और मन का प्रभाव साक्षी पर नहीं पड़ता. साक्षी सदा अलिप्त रहता है. आत्मा भी अलिप्त है, जिसका संसार से कोई भी संबंध नहीं है. परछाई जैसे दिखती है, उसकी अपनी कोई सत्ता होती नहीं, संबंध भी ऐसे ही होते हैं, जो दीखते तो हैं होते नहीं. कुछ देर पहले जून से बात हुई, आज उनका प्रेजेंटेशन था, ठीक हो गया. कल भी जाना है, वह कह रहे थे कि एक दिन के लिए घर हो आयें, पर उसने मना कर दिया, जिस कार्य के लिए गये हैं, उसे ही पूरा करना ज्यादा ठीक होगा. दोपहर की योग कक्षा में पांच महिलाओं के अलावा बच्चे भी थे, शाम की कक्षा में पता नहीं कौन-कौन आएगा ? आज भी एक कविता लिखी, संगीत सुनते हुए मन में सहज ही कुछ पंक्तियाँ आ रही थीं. सुबह गाँधी जी के चित्र सहित उनके कुछ विचार पोस्ट किये फेसबुक पर, आज उनकी पुण्यतिथि है. सुबह ओशो को सुना, ताओ पर उनका प्रवचन अद्भुत है.

आज सुना, नींद में देहात्म भाव खो जाता है. स्वप्न में कुछ-कुछ बना रहता है और जागृत अवस्था में पूर्ण रूप से बना रहता है. देहात्म भाव से मुक्त होना है और जीव भाव से भी मुक्त होना है. स्थूल शरीर और सूक्ष्म शरीर दोनों से परे जाना है. ध्यान में साधक को कुछ नहीं होना है, जब वे कुछ भी नहीं हैं, उन्हें कुछ भी सिद्ध नहीं करना होता. जब वे स्वयं को कुछ भी देखते हैं, उसी के अनुरूप उन्हें कर्त्तव्य कर्म करने होते हैं. मन वृत्तियों को जगाता है. मन के दो मुख्य कार्य हैं, पहला- देह में होने वाली क्रियाओं को करना तथा दूसरा- देह का आकार ले लेना. जो मन सभी के लिए समान है वह पहला कार्य करता है तथा दूसरे कार्य में व्यक्ति स्वयं को अन्यों से पृथक समझने लगता है. यदि हाथ में कोई वस्तु हो और कोई उसी हाथ से लिखने का प्रयास करे तो लेख अच्छा नहीं होगा. इसी तरह मन जिस देह को धारण करता है, उसी के विषय में विचार करता है, जब देह भाव से मुक्त हो जाता है, तब विचारों से भी मुक्त हो जाता है. इस समय पौने दस बजे हैं रात्रि के. कल जून आ रहे हैं. क्लब में 'पद्मावत' दिखाई जाएगी. गुरूवार का सत्संग वे दोपहर को ही करेंगे. कर्ता भाव से मुक्त होने पर कोई कर्म करना ही है, ऐसा भाव नहीं रहता, जो होता है वही संतुष्टि देता है.

आज फरवरी का प्रथम दिन है. सुबह नींद खुली तो सदा की तरह मन में चिन्तन आरम्भ हो गया. आज का चिन्तन बिलकुल अलग था, लगा जैसे हृदय से कुछ बाहर निकला और सभी कुछ तोड़ता हुआ पूरे विश्व में फ़ैल गया. खुदी को जैसे खुदा का ठिकाना मिल गया. कितने ही सत्य प्रकट होने लगे, जो इतनी बार शास्त्रों में पढ़े थे. सद्गुरु कहते हैं, आत्मा, परमात्मा और गुरू में कोई भेद नहीं है, तीनों एक ही सत्ता से बने हैं. एक ब्रह्म ही विभिन्न रूपों में प्रकट हुआ है. देवी-देवता भी उसी की शक्तियाँ हैं. जीव-जगत के सारे प्राणी भी उसी की शक्ति से प्रकट हुए हैं. देह को आधार देती है आत्मा और आत्मा की गहराई में छिपा है परमात्मा. जिस तरह एक ही व्यक्ति विभिन्न भूमिकाएं निभाता है वैसे ही एक ही चेतना जाग्रत, स्वप्न तथा सुषुप्ति अवस्था को आधार देती है. जीवन उस आधार भूत सत्ता पर ही टिका है. आज स्वयं ही श्वेत वस्त्र पहनने का मन हुआ तथा प्रार्थना भी भीतर स्वयं घटी, पूजा भी स्वयं घटी. गुरूजी कहते हैं, पूर्णता से ही पूजा प्रकट होती है. देवता का स्मरण भी हो आया. बचपन में बड़ी बुआ को वीरवार को पूजा करते देखा करती थी, उसमें की गयी प्रार्थना वर्षों से नहीं सुनी थी. आज मन पंजाबी की उस प्रार्थना को अपने-आप ही गाने लगा. परमात्मा की कृपा निरंतर बरस रही है.


Monday, July 8, 2019

मानव श्रृंखला



कल गणतन्त्र दिवस का अवकाश था, लिखने का भी अवकाश हो गया. सुबह समय से उठे वे, आठ बजे नेहरू मैदान में ध्वजारोहण के लिए गये. दस बजे के बाद लौटे, विभिन्न स्थानीय स्कूलों के बच्चों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया. वापस आकर घर में झंडा लगाया, सर्वेंट लाइन से बच्चे व उनकी माएं, कुछ के पिता भी आ गये थे. सबको लड्डू बांटे, जो ड्राइवर पहले ही आर्डर करके ले आता है. उसके बाद टीवी पर परेड देखी. दोपहर का भोजन उच्च अधिकारी के यहाँ था, जहाँ हर वर्ष की तरह काफी लोग आये थे. दोपहर बाद उस सखी के यहाँ गये जिनकी माँ अकेले रह रही हैं. देशभक्ति के गीत सुनते-सुनते गौरव का भाव दिन भर भीतर सहज ही बना रहा. रात्रि को वर्षा और गर्जन-तर्जन के कारण एक बार नींद खुल गयी, फिर आई तो स्वप्नों की दुनिया में ले गयी. चाचीजी को देखा, छोटी ननद व ननदोई को, फिर सोनू को भी. सूक्ष्म शरीर कितनी देहें धर लेता है स्वप्नों में. आज इस समय धूप खिली है. दोपहर बाद तिनसुकिया जाना है. नन्हा व सोनू दीदी के यहाँ गये हैं, उनसे बात हुई, वे कल समय पर पहुँच गये थे. लखनऊ में भी उन्हें कुछ समय मिल गया, इमामबाड़ा आदि देखा. मौसेरे भाई की कार ठीक कराकर उसी में वह नाना जी से मिलने जा रहे हैं. वापस आकर बुआ दादी से मिलेगा. उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है. वृद्धावस्था का असर ही होगा, जीवन जब लक्ष्यहीन नजर आता है, मनुष्य विवश हो जाता है. जून आज देर से आने वाले हैं. उन्हें डेंटिस्ट के पास जाना है.

आज माह का अंतिम रविवार है यानि 'मन की बात' वाला इतवार. नये वर्ष की पहली 'मन की बात'. मोदी जी महिलाओं के योगदान की सराहना कर रहे हैं. दहेज व बाल विवाह जैसी कुरीतियों को दूर करने के लिए तेरह हजार किमी लम्बी मानव श्रंखला का जिक्र भी उन्होंने किया, आत्म सुधार करने का प्रयास करना भारतीय समाज की विशेषता रही है. जन औषधि का जिक्र किया जिससे आम  आदमी का खर्च कम हो रहा है. वह कह रहे हैं और यह सराहनीय कदम है कि पद्म भूषण आदि पुरस्कार के लिए व्यक्ति अब सामान्य लोगों के मध्य से चुने जाते हैं. अब दोपहर के साढ़े बारह बज चुके हैं. बगीचे में काम चल रहा है. जून ने इतवार का विशेष लंच बना दिया है. बादलों को धकेलकर धूप खिल गयी है और मोदी जी के भाषण के बाद जनता की सराहना के शब्द भी सुनाये जा चुके हैं. उनके जैसा नेता हजारों वर्षों में कभी-कभार ही पैदा होता है. भारत ही नहीं पूरे विश्व के नेतृत्व की क्षमता है उनमें. परमात्मा की शक्ति से जुड़कर ही वह यह महती कार्य कर पा रहे हैं. उसने आज सुबह से कोई विशेष कार्य नहीं किया है, गुरूजी को सुना, ध्यान-साधना की, परमात्मा को सुमिरन किया, ये सारे सामान्य कार्य ही हैं जिन्हें करना उतना ही जरूरी है जितना श्वास लेना. फोन पर बातचीत की, संदेशों का आदान-प्रदान किया. अभी दोपहर को बच्चों को कुछ समय देना है. शाम को अध्ययन करना है. जून कल देहली जा रहे हैं, उन्हें पैकिंग में मदद करनी है और मन को साक्षी भाव में रखना है.

शाम हो गयी है. अगले दो दिन उसे अकेले रहना है. कुछ देर पहले योग कक्षा समाप्त हुई. उससे पहले 'बीटिंग रिट्रीट' देखा, परेड की वापसी की यह सुंदर प्रथा हर वर्ष गणतन्त्र दिवस के दो दिन बाद मनाई जाती है. सुबह स्कूल गयी थी, इस वर्ष बच्चों को पहली बार योग कराया. सुबह वे टहलने गये तो तापमान १२ डिग्री था, अब इतनी ठंड में आराम से वे भ्रमण के लिए जाते हैं, कुछ वर्ष पूर्व ऐसा नहीं कर पाते थे. ढेर सारे वस्त्र पहनने पड़ते थे, योग से सहन शक्ति का विकास होता है. उसे आज तीन वर्ष पूर्व आज के दिन एक सखी द्वारा पनीर की सब्जी भिजवाये जाने की बात याद आ रही है, उस समय उनके संबंध अच्छे थे, फिर समय ने करवट ली और अब वह ही कभी-कभार फोन पर हाल-चाल ले लेती है, उन्होंने दूरियां बना ली हैं. लेकिन मन अब इन बातों को उतना ही सामान्य मानता है, जितना तब मानता था जब सब कुछ ठीक था. जीवन इसी धूप-छाँव का ही तो नाम है.