Sunday, December 29, 2013

बच्चों के कमरे के पर्दे


ऐसा क्यों होता है कि कभी-कभी भगवद् गीता के श्लोक और उनका अर्थ उसे पूर्णतया स्पष्ट हो जाता है और कभी-कभी वे बहुत दुरूह लगते हैं. सम्भवतः इसका कारण है उसके मन की ग्राह्य शक्ति, वह एक सी नहीं रहती. कल की मीटिंग अच्छी रही, सुबह उसने इस सिलसिले में कई फोन किये. आज नन्हे का स्कूल जल्दी बंद होगा, माह का अंतिम दिन है. कल एक परिचिता ने बताया, उसे एक जगह काम मिल गया है, ठीक-ठाक पैसे मिलेंगे, लोग हमेशा ही पैसों को महत्व देते हैं. उसने जून को बताया तो वे भी यही बोले, ज्यादा पैसों के कारण थोड़ी तकलीफ सही जा सकती है, उसे आश्चर्य हुआ. उसने पुरानी बात याद दिलाई और बिना बात के ही मन को उदास किया. बाद में सोचा तो लगा, यदि कभी जून ने उसकी स्वतन्त्रता का हनन किया भी तो एक हक के साथ पर उससे उसके अहंकार को चोट पहुँची और ...क्या वाकई इन्सान का अहंकार इतना महत्वपूर्ण होता है कि रिश्तों की भी परवाह नहीं करता, वह उस वक्त भी खुद को समझने की कोशिश कर रही थी. अर्थात उसे भान था कि वह क्या कर रही थी, यह क्रोध में किया हुआ कोई ऐसा काम नहीं था जिसके लिए बाद में पछताना पड़ता है. उसे ठेस पहुँची थी और जून उस बात को समझ नहीं रहे थे. इसी को टेकेन for ग्रांटेड कहते हैं, उसका व्यवहार अनुचित था इसमें दो राय नहीं थी और इसलिय सुबह क्षमा मांगी और अब मन शांत है. आज दोपहर उसे हिंदी की क्लास लेने जाना है सो संगीत का अभ्यास अभी कर लेना होगा.

.... “और बुखार हो गया” कल इतनी धूप में वे तीनों हिम्मत दिखाते हुए तिनसुकिया गये. वापस आकर एक घंटे के अंदर ही उसे तपन सी महसूस हुई, बुखार चढ़ रहा था. पिछले कई हफ्तों से सबके बुखार की बात सुनते-सुनते वह स्वयं पर थोड़ा ज्यादा भरोसा करने लगी थी, स्वयं को ठीक रखने में सक्षम है, कि उसे कुछ नहीं हो सकता. जून कल से उसे कोई काम करने नहीं दे रहे हैं. पर उसने सुबह से अपने नियमित सभी काम किये हैं, पढ़ाना भी और दोपहर को संगीत सीखने भी जाएगी. छोटी बहन से बात की वह भी आराम करने व स्वास्थ्य लाभ के लिए घर आयी हुई है पर माँ-पिताजी छोटी बुआ के पास गये हैं उसकी देखभाल करने, अपने ही अपनों के काम आते हैं.  सुबह नन्हे ने कहा, फिर बुखार है, फिर माथा छूकर कहा, हाँ गर्म तो है. बुखार में लेकिन मन शान्त हो जाता है. ध्यान करने का प्रयास तो नहीं किया पर करे तो अवश्य आसानी होगी.

कल शाम को ही उसका बुखार उतर गया था. यूँ सुबह से ही वह उसे धता बताने का प्रयास कर  रही थी. शाम को अचानक आये मेहमानों का स्वागत भी सामान्य ढंग से किया. जून अलबत्ता कुछ ज्यादा ध्यान रख रहे थे. कल शाम उन्होंने नन्हे के कमरे के लिए नये पर्दे काटे, थोड़े से टेढ़े कट गये और वे घबरा गये पर बाद में पता चला समस्या उतनी गम्भीर नहीं थी जितनी वे समझ रहे थे. आज दोपहर से वह सिलना शुरू करेगी. आज खत भी लिखने हैं, राखियाँ भेजनी हैं. उसे ध्यान आया मंझले चाचा के बच्चों, दोनों भाई-बहन की उम्र हो गयी है पर उनके विवाह की कोई खबर सुनाई नहीं देती, बिन माँ के बच्चे ऐसे ही होते हैं. छोटे चाचा के बच्चे भी कुछ वर्षों में विवाह के योग्य हो जायेंगे. मातापिता के अयोग्य होने की सजा निर्दोष बच्चों को भुगतनी पडती है. आज भी धूप तो है पर गर्मी कम है.

जिन्दगी, कैसे कैसे राज छिपाए हैं तूने
खुल जाये तो फट जाये कलेजा खुदा का भी
जन्नत भी यहीं है और जहन्नुम भी इधर ही
मिल जाये सही राह तो मंजिल का पता भी 

Saturday, December 28, 2013

ए वाक इन द क्लाउड

Once again that same feeling of incompetence, ignorance and foolishness. She felt that her mind was blank for a moment and…could not explain nicely a Hindi poem by . later when knew this, tried to tell but did not get her student on phone. Life is like this. One friend complained that last evening they could not contact them on phone, another thanked for sending maid servant to her house for some days, she took 10-15 minutes to say this. And after doing some simple exercises and studying Gita English translation by Dr Radha Krishnan she has picked up this diary which is the mirror of her soul. Whenever she feels happiness or sadness, it appears on it in even clearer form than in her own mind. Yesterday a very strange thing happened. While playing harmonium she suddenly saw the watch and got up after saying that it was 3.30 pm actually it was only 3 pm, she does not know why she could not see the correct time perhaps her throat was dry and was not able to sing more.

Last evening they watched a beautiful film in the club. “A walk in the clouds” a poem on celluloid. It was really marvelous ! she liked the heroin, hero, her father, mother, grand father and all other relatives and servants. They were  parts of a well behaved traditional family. They were  like some known character, whom any body can love. There grape orchard and grapes picking was unique and unique was the butterfly dance in the night  with fire surrounding them. It was a fairy tale scene. They both enjoyed it to full extent and when they came back their hearts were beating in the same rhythm, they were bound by the love of film and now it is morning and she has to do morning chores.


Since morning she was dreaming of half an hour nap after doing daily work but when time came, she came,  Nanha’s friend’s sister, who lives nearby in their lane. She forgot her name and could not ask. She is talkative and full of energy. And now time to cook lunch. Her eyes are paining and body aches. Last night they came back at 11.30  from a party in jun ‘s boss house.  Party was good, she  met so many ladies and ate heavy rich food. AS usual she was silent most of the time, did not even try to converse. Wednesday is coming closer and she is a bit worried if she would be able to converse with all the ladies in forth coming  meeting. Since last few days she is writing in English, perhaps getting ready to be J.S. of L.C. Naini has taken their table fan for her daughter and grand daughter. Charity begins at home so they are doing it willingly. 

Friday, December 27, 2013

रहीम के दोहे


कल शाम को उसे एक फोन कॉल आया, उसे क्लब की अगली कमेटी में जॉइंट सेक्रेटरी का पद  भार सम्भालना है. ख़ुशी हुई, उसने सेक्रेटरी को धन्यवाद दिया जिसने उसका नाम सुझाया था. उसे बाद में लगा वह ठीक से अपनी बात कह भी पाई या नहीं पर अगले ही पल मन ने कहा, भावना देखी जाती है शब्द नहीं. उसे एक और बात याद आई, God gives in the evening if takes in the morning. उसने सोचा वह पूरी निष्ठा से उस काम को करेगी जो उसे सौंपा जायेगा. तीन वर्ष पूर्व वह इस क्लब की सदस्या बनी थी.

आज आसू ने असम बंद की घोषणा की है. नन्हा और जून घर पर हैं. आज धूप बहुत तेज है और गर्मी भी उतनी ही ज्यादा. कल शाम कक्षा चार के एक बच्चे की हिंदी ट्यूशन के लिए एक फोन आया पर जून के अनुसार उसे छोटी कक्षाओं को नहीं पढ़ाना चाहिए, छोटे बच्चों को सम्भालना व पढ़ाना ज्यादा कठिन है बनिस्बत बड़े बच्चों को. उसकी छात्रा जैसी किसी गम्भीर बालिका को पढ़ाना सरल है. कल घर से फोन पर एक उल्लास भरा समाचार आया अक्तूबर में वे सब यहाँ आएंगे.

आज फिर असम बंद है, गर्मी आज हद से ज्यादा है, वे तीनों एसी कमरों में बैठे हैं और ठंडक का आनन्द ले रहे हैं. नन्हा पढ़ रहा है, जून गाँधी जी की एक किताब जो स्वास्थ्य से सम्बन्धित है, पढ़ रहे हैं, उसने कुछ देर क्रोशिए से काम किया और अब लिखना शुरू किया है. Few minutes ago she was hearing news on TV and was not able to concentrate wandering mind for two consecutive news items. Mind always wanders here and there, it demands attention for every second otherwise it slips away like sand through the palms. Today they vacuumed clean their house, took lunch at 11.30 rested for a while and since then doing all above said work. Life at present is sailing smoothly in cool breeze coming from their new AC in Nanhs’s room. Yesterday by mistake she wrote down on next  page and adjoin g empty page was attracting her to pen some thing new and refreshing like Dohas of Rahim, she read some time before.

जीवन एक पहेली है जो बूझे सो ज्ञानी
सपनों सा संसार है आँख खुले तो फानी

हवा, धूप, माटी, गगन और अनल की मूरत
अंतर में जो झांक ले दिखे उसी की सूरत

चिंता, लालच, डाह, प्रमाद, मन के ये व्यापार
तज कर उस की शरण ले उतरे सागर पार

बीता जो वह न रहा भावी से अनजान
जो पल अपने सामने उसकी कीमत जान

यह जग एक सराय है पक्का नहीं मुकाम
आना-जाना अटल है रहने का नहीं काम

सूरज, धरती से मिला अनगिन कर फैलाये
वसुधा कातर प्रेम से फूल अश्रु बरसाए

After so many days clouds have shown their grace and it rained in the morning. At this moment weather is cool, garden is green after a shower. She got up early, perhaps 6 and ½ hours  sleep was not enough, eyes are yearning/paining to be closed but there are so many works and miles to go before she sleeps. Today she has to go music class also. Nanha went to school in a crowded bus today could not get seat also. After two days of ‘BAND all buses have not come today.
  



Thursday, December 26, 2013

गुलाबी मुसंडा


फिर वर्षा की रिमझिम ! कुछ देर पूर्व एक सखी से बात की उसका बुखार अभी उतरा नहीं है, आज चौथा दिन है, एक और सखी ने बताया कि उसके पति को भी viral fever हो गया था. तन को तोड़ कर रख देता है यह बुखार, चारों ओर फ्लू फैलने की खबर सुनकर कभी-कभी वहम भी होने लगता है. सुबह समय पर उठी, पढ़ाया, पर पाठ करने बैठी तो एक भी श्लोक ठीक से ग्रहण नहीं कर सकी. कुछ देर फिल्म देखी, ‘अंतरीन’ डिम्पल कपाडिया की बंगाली फिल्म, अच्छी थी. कल शाम वे बाजार गये नन्हे को जन्मदिन में मिली एक टीशर्ट का बड़ा साइज़ लेने, छोटा सा ही बाजार है यहाँ सो आसानी से बदल गयी.

इस समय वर्षा थमी है, हल्की धूप, हल्की ठंडी हवा में आज फिर मन ने एक वादा किया है और अब उसे निभाना है. ब्रह्म मुहूर्त में उठ गयी थी गुलमेहंदी के पौधों की लम्बी कतार में वर्षा या ओस की बूंदें मोती सी चमक रही थीं. एक दूसरी छात्रा को आज आना था, पर वह उठ ही नहीं पाई. कुछ देर आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का लेख ‘आत्म निर्भरता’ पढ़ा, फिर ध्यान, पर मन स्थिर नहीं हुआ. अज पत्र लिखने हैं, कितने दिनों से कितने पत्र जवाब की प्रतीक्षा में हैं और उनके पीछे पत्र पाने वाले दिल भी. जून कल शाम अकेले टहलने गये, पर शाम को अकेले रहना उन दोनों को ही पसंद नहीं सो अब केवल सुबह ही पढ़ाएगी.

कल सुबह सिर्फ समय ही लिखा था, याद आया, एक फोन करना है, एक सखी दो-तीन बार फोन कर चुकी थी. उसे नैनी, माली और उस किताब के लिए उसकी सहायता चाहिए थी, अफ़सोस वह  किसी भी मामले में उसकी मदद नहीं कर पाई. सोचा फोन करके इतना तो बता दे कि उसने कोशिश की थी. उसने बताया, ससुर की तबियत ठीक नहीं है, भैया भाभी की बस का एक्सीडेंट हो गया था. समस्याएं कभी कभी एक साथ आकर खड़ी हो जाती हैं. फिर ग्यारह बज गये और उन्होंने फोन रखे. आज सुबह पड़ोसिन के यहाँ हारमोनियम पर अभ्यास करने गयी. कुछ देर बगीचे में काम किया, दोपहर को सिलाई की, पर लगता है लखनवी चिकन का कुरता ज्यादा ही टाइट कर लिया है. जून कल चार पत्रिकाएँ लाये थे, कुछ देर पढ़ीं, अभी सांध्य भ्रमण के लिए जाना है, नन्हे को पढ़ाना है, फिर रात्रि भोजन और एक दिन गुजर जायेगा, भला-भला सा एक दिन, इसी तरह करते-करते इतने साल गुजर गये, नन्हा बड़ा हो गया, वह थोड़ी समझदार हो गयी, जून ने गुस्सा करना छोड़ दिया...उनके पास पहले से ज्यादा सामान हो गया, पर हिसाब लगाने बैठें तो उनकी मुट्ठियों में क्या आयेगा... जिन्दगी एक व्यापर तो नहीं, गाँधी जी कहते हैं और गीता का भी यही उपदेश है. अपनी शक्तिनुसार कर्म करते चलो...फल की कामना मत करो, अंत में अपने पास कुछ भी नहीं रह जाना है.

आज इस वक्त सुबह के छह भी नहीं बजे हैं और उसने अपना मूड या कहें चित्तावस्था बिगाड़ ली है. सुखे-दुखे समेकृत्वा लाभा-लाभौ जया जयौ...यह पढने वाली वह भी छोटी-छोटी बातों से विचलित हो जाती है. कल शाम अपनी की एक गल्ती (सिलाई में) पर तथा नन्हे पर झुंझला उठी थी फिर उसी बातूनी सखी के उस अर्थहीन काम पर भी और आज सुबह-सुबह ही उस नई छात्रा के न आने पर, उसे पढ़ान उसे अच्छा लगा था, वह होशियार है थोड़ी सी लापरवाह है, उसका न आना अच्छा नहीं लगा, पर दुनिया में ऐसी कई बातें हैं जो अच्छी नहीं लगतीं या लगती हैं, सब पर तो किसी का वश नहीं है. फिर बेवजह मस्तिष्क की नसों को क्यों तनावग्रस्त करें. ध्यान करने बैठी तो वही खिंचा-खिंचा सा मस्तिष्क और ऐसे में पीठ में भी हल्का दर्द. शारीरिक लक्षणों का स्रोत तो मन ही है और यदि दिन की शुरुआत ही ऐसी हो तो...गुलाबी फूलों वाला मुसन्डा का पेड़ अभी भी मुरझाया हुआ है. उसको पानी दिया, आधा कप चाय पी, कुछ देर असमिया किताब व health पढ़ी. समाचारों में सुना K R Narayanan नये राष्ट्रपति चुने गये हैं और लालू प्रसाद यादव ने राष्ट्रीय जनता दल को संयुक्त मोर्चा में शामिल न करने का फैसला किया है. and now she is feeling better equipped to face the humdrum of life.

   


Wednesday, December 25, 2013

चॉकलेट केक वाली पार्टी


Something has to be done, it is the one feeling which is with her since morning. Got up at 4.30, taught Hindi but was not satisfied, asked jun to bring some help book. Could not eat breakfast also, there was some odd feeling in the stomach. Talked to friends. Yesterday finished “ A suitable boy”. It was a great experience of pure bliss and happiness through black and white after so many months. She liked the story, the language, the characters and every thing about it. ! she thought, should note down some good lines from the book. Lata got Haresh and vice verse and she got some beautiful thoughts and memories. Naini’s son asked that he wanted one pair of shoes and one school bag instead of money in return of doing the work in garden, smart boy !

जुलाई आरम्भ हो चुका है, नन्हे के जन्मदिन का महीना..आजकल वह अपने निर्णय खुद लेने लगा है. सुबह जब वे उठे तो मूसलाधार वर्ष हो रही थी, रात को देखा एक अजीब और डरावना सा स्वप्न बार-बार याद आ रहा था. एक बड़ा सा हाथी और शकरकंदी....शायद कल हिंदी कक्षा में भूषण की कविता में तलवार से हाथियों के काटे जाने की बात का असर हो... स्वप्न भयानक भी हो सकते हैं और आनन्द प्रद भी, जैसे कल वह हवा में उड़ रही थी, कहीं पढ़ा था, शरीर में वायु होने से ऐसे स्वप्न आते हैं. नन्हा आज किचन में टीवी पर देखे एक कार्टून प्रोग्राम की कहानी बड़े उत्साह से बता रहा था, उसने न समझते हुए भी हाँ, हाँ किया. इसी तरह कभी-कभी जून के साथ भी करती है. प्यार का यह भी एक रूप है शायद, उन्हें इससे क्या फर्क पड़ता है कि उसे कितना समझ में आया या कितना महसूस किया, पर उन्हें इस बात का अहसास तो हो जाता है कि she cares for them कि वह सुन रही है या महसूस कर रही है.. क्या गाँधी जी के असत्य भाषण में यह भी आता है ? अगर ऐसा है तो जाने कितने झूठ उसने बोले हैं.

अभी-अभी उसने अपने एक स्वप्न को साकार बनाने की दिशा में पहला कदम उठाया, music teacher से music सीखने जाने के लिए दिन व समय तय किया. सोमवार से शुरुआत करनी है, हर तरह से यह दिन शुभ है. कल इसी तरह spoken English के लिए भी मन ही मन कुछ सोचा. She should learn through TV  programs, newspapers, novels and poems and most of all should practice it . she reads but do not tries to remember the new words. She admires thoughts not words ie why she has so poor vocabulary and even poorer pronunciation.

Today in the morning she talked to mother, got so many news of brothers and sisters. Meditation was not successful even sleep was also full of meaningless dreams. Mind does not remain calm for a single moment. Why is this war ? this confrontation?

कल दोपहर आखिर वह संगीत सीखने जा पाई, घर में बढ़ई का काम चल रहा था, समय से पूरा हो भी पायेगा सुबह से यही आशंका थी मन में, पर कारीगर ने समय पर काम निपटाया. जल्दी-जल्दी घर से निकल टीचर के सुंदर घर में दाखिल हुई, बिना यह देखे, जाने कि वह सीख भी सकती है या नहीं, उन्होंने ‘सरगम’ सिखानी शुरू की, शुरू में तो हाथ set नहीं हो पा रहा था हारमोनियम पर अंगुलियाँ क्रम में नहीं बैठ रही थीं पर बाद में हाथ तो बैठ गया, गले से आवाज ही नहीं निकल रही थी, लेकिन रियाज और अभ्यास से वह एक दिन गा सकेगी ऐसा विश्वास है. पिछले दो हफ्तों से खतों के जवाब देने का काम जून कर रहे हैं, शायद धीरे-धीरे उसकी भी खत लिखने की आदत छूट जाएगी.

अभी तक एसी फिट करने वाले नहीं आये हैं, नन्हे का कमरा बिखरा-बिखरा सा है. जून आज फील्ड गये हैं, मौसम वही भीगा-भीगा. कल सुबह से जो वर्षा शुरू हुई है इस समय सुबह के दस बजे तक भी नहीं रुकी है. फोन भी शायद इसी कारण खराब हो गया है. कल क्लब से गांधीजी की लिखी तीन किताबें लायी है, नन्हा उनकी ‘आत्मकथा’ में थोड़ी रूचि ले रहा है अब.

मौसम आज अच्छा है बादल बरस कर थम चुके हैं. आज नन्हे का जन्मदिन है पहले उसने सोचा कि स्कूल नहीं जायेगा फिर नूना से पूछा, उसने खुश रहने को कहा तो बोला, स्कूल में घर से भी ज्यादा खुश और रिलैक्स रहता है सो चला गया. सुबह-सुबह दादाजी का फोन आया, छोटे मामा का कार्ड आ चुका है, शाम को वे एक छोटी सी पार्टी दे रहे हैं. उसने चाकलेट केक बनाया है, दोपहर को एक सखी के साथ मिलकर आइसिंग करेगी. नन्हे को ‘बार्डर’ फिल्म देखनी है, उसे planes, tanks और rifles में बहुत रूचि है जैसी कि उसकी उम्र के हर बच्चे को आमतौर पर होती है.


हरी घास पर पक्षी


गर्मी की लम्बी छुट्टियों के बाद आज नन्हे का स्कूल खुला है. सुबह उसे जल्दी उठा दिया था, हमेशा की तरह थोड़ा सा परेशान था, स्कूल का पहला दिन...क्या होगा ? तरह-तरह के डर उसे सता रहे थे, बेबुनियाद हैं वे डर यह भी उसे पता था, कल से स्वाभाविक हो जायेगा. पड़ोस के बच्चे के साथ भी यही समस्या थी, पहली बस छोड़ दी उसने...ये बच्चे भी उन बड़ों की तरह तनाव का शिकार होते हैं. एक सखी से बात हुई, वह बच्चा भी चिड़चिड़ा हो गया है, पिता की कमी उसे जरुर खलती होगी. कल सुबह उसकी माँ सब कुछ समेट कर दिल्ली जा रही है, वहाँ उसे काम मिल गया है, नया जीवन शुरू करेगी. आज सुबह साढ़े चार बजे अलार्म सुनकर उठ गयी, पांच बजे वह छात्रा पढ़ने आई, हफ्ते में तीन दिन उसी वक्त आया करेगी. छह बजे उसके जाने के बाद जोर से भूख का अहसास हुआ, पर ज्यादा खा नहीं पाई, फिर जून को दफ्तर व नन्हे को स्कूल भेजना और उसके बाद ही फोन पर बात करते करते ही इतना वक्त हो गया है. मौसम बेहद गर्म है, धूप में तेजी है और हवा बंद है. इसी तरह गर्मी के ये उमस भरे दिन बीत जायेंगे और मौसम सुधरेगा..फूलों का मौसम यानि शरद ऋतु आयेगी.

कल दोपहर नन्हा जल्दी आ गया था, आज कल की तरह परेशान नहीं था, पर बहुत खुश भी नहीं था, एक मित्र के आने पर ही उसके चेहरे पर मुस्कान दिखी. कल शाम जून ने भी उसके साथ बगीचे में काम किया. अब पिछला हिस्सा काफी साफ हो गया है. वह जो किताब पढ़ रही है, उसकी तरह उनके बगीचे में भी कई पक्षी आये थे जो शायद कीट खा रहे थे या घास के कोमल पत्ते. विक्रम सेठ की इस पुस्तक में बगीचे का वर्णन इतना रोचक है कि.. काश ! उनके जैसा माली उनके पास भी होता, उनका माली भी अपने आप में एक अनोखा चरित्र है, पूर्वी ऊत्तर प्रदेश की भाषा बोलता, है बूढ़ा, जबकि अपने काम में दक्ष है पर ज्यादा वक्त नहीं है उसके पास, और स्वीपर तो..बुद्धू सा है, इतना बड़ा हो गया है पर बच्चों की तरह बहती नाक लिए घूमता है.

कल क्लब में किसी संगीता ने अपनी मधुर आवाज से सभी को मुग्ध कर दिया, उसके गले से आवाज बिना किसी प्रयास के सहज रूप से निकल रही थी, वह एक ऊंची कलाकार है, वह उससे कहना चाहती थी पर कह नहीं सकी. वह उसी बातूनी सखी के साथ गयी थी, जिसके भीतर कुछ करने का जज्बा है, वह भी गाती है, उसने भी शायद प्रतिद्वंद्वी समझ कर कुछ कहना ठीक न समझा. कल पिता का पत्र आया है, लिखा है वे लोग दिसम्बर में आने का कार्यक्रम बना रहे हैं, पर उसे नहीं लगता यह सम्भव हो पायेगा, पहले भी कई बार उन्होंने कहा है, वह जानती है पिछली बातों को याद करना बुद्धिमानी नहीं है और जिन्दगी का दरिया अगर बहता न रहा तो दूषित हो जायेगा. जो जब जैसा हो उसे स्वीकारना होगा. कल दोपहर उसकी तेलगु पड़ोसिन आई थी, कोलकाता एयर पोर्ट पर मिले किन्हीं तेलगु बैंक मैनेजर से हुई मित्रता की बातें बता रही थी, उन्होंने इसकी थोड़ी तारीफ़ कर दी और यह उन्हें घर आने का निमन्त्रण दे बैठी.

एक आग गमे इश्क की...
वह इश्क जो हमसे रूठ गया अब उसका हाल सुनाएँ क्या
कोई महर नहीं कोई लहर नहीं अब सच्चा शेर सुनाएँ क्या

पीटीवी पर आज बहुत दिनों बाद गजल सुनी. उसके दायें गाल में छाले हो गये हैं, कारण शायद विटामिन बी की कमी या पेट की खराबी ! एक दो दिन में अपने आप ही ठीक हो जायेंगे, जून आज ग्लिसरीन भी लायेंगे जिसे लगाने से आराम मिलता है. नन्हे को कल बाएं हाथ पर चोट लग गयी, sprain हो गया, एक लड़के का घुटना उस पर आ गया, पता नहीं कौन सा खेल खेल रहे होंगे. उसकी सोशल और विज्ञान की टीचर ने अभी तक क्लास में जाना शुरू नहीं किया है. उसका संस्कृत टेस्ट है आज, मगर वह कापी रखना जरूर भूल गया होगा...अगर नहीं भूला हो तो वाकई कुछ बात है ! जून अपना पर्स आज घर पर ही भूल गये हैं. कल शाम वे क्लब में डॉ गांगुली की टॉक सुनने गये थे, अच्छा लगा, जाने की तयारी, वहाँ बैठना और कुछ हद तक सुनना भी. सुबह एक सखी का फोन आया आखिर में कहा आज की present लग गयी न, उसे पसंद नहीं आता उसका यह कहना पर दूसरों को अपनी पसंद, नापसंद बताने का ढंग उसने सीखा ही कहाँ है.



Tuesday, December 24, 2013

ए सूटेबल ब्वॉय


आज फिर मन बादलों के साथ अम्बर में उड़ रहा है, जीवन के प्रति नया विश्वास कायम हो गया है और यह मिला है पौधों के सामीप्य से, नन्हे और बड़े पौधे या पेड़, अगर उन्हें थोड़ा सा प्यार से संवार दें तो कितना कुछ दे जाते हैं. उनका स्पर्श कितना सुकून देता है. पेड़-पौधे मानव के सच्चे साथी हैं जो सिर्फ देना जानते हैं और सिर्फ थोड़े से रखरखाव की मांग करते हैं. आज सुबह नींद एक स्वप्न के कारण खुली, उसके गले की चेन जब फंस जाती है तब कोई चौंकाने वाला स्वप्न आकर जगा देता है. नन्हा आज बहुत दिनों के बाद जल्दी उठ गया, अपने से दुगने वजन के मित्र को साइकिल पर पीछे बैठा कर जब कम्प्यूटर क्लास के लिए जा रहा था, उसे देखकर अच्छा लगा, He has a helping nature. कल उसके बचपन के साथी का जन्मदिन है, उसके लिए जन्मदिन कार्ड बनाएगा, पिछले दिनों उसने एक इंजन बनाया लकड़ी का, जिसे बनाते-बनाते पिछले इतवार को वह बहुत परेशान हो गया था कि रो ही पड़ा था.

इस बार लाइब्रेरी से अच्छी किताबें मिली हैं, एक है विक्रम सेठ की Suitable Boy, बहुत रोचक किताब है, पेज हैं १३४९, काफी दिन लगेंगे इसे पूरा खत्म होने में. इतवार को तो उसने उठते ही पढ़ना शुरू कर दिया था, जब तक जून और नन्हा सो रहे थे. इस किताब ने किसी हद तक उसे बांध लिया है, लता मन के पास रहने लगी है और कबीर पर कभी कभी...खैर. एक किताब किसी मित्र के यहाँ से लाये थे, Cosmic coincidence, कल शाम उन्होंने ‘सपने’ देखी, मन को गहराई तक छू जाने वाली फिल्म..

गालों को सहलाती पलकों को छू जाती
सतरंगी सपने आँखों को दे जाती
नगमे सुनाती, गाती रेशमी हवा

पेड़ों की डालें कभी तो लहराएँ
पीपल के पत्ते धीरे से सरसराएँ
जादू सा जगाये रेशमी हवा..
कुछ ऐसे ही गीत थे फिल्म में.

कल दोपहर को एक छात्रा हिंदी पढ़ने आई, उसे शुरू में थोड़ी सी परेशानी हुई पर धीरे-धीरे शब्द दिमाग में आते गये, अलंकर, छंद आदि का अधिक ज्ञान तो नहीं है, न ही विशेष पढ़ा था, फिर कितने वर्ष हो गये हैं हिंदी साहित्य स्कूल में पढ़े हुए, आज भी वह आएगी, शांत है और लिखाई भी अच्छी है. कल उसने पिछले एक साल से रखे हुए तकिये के गिलाफों पर पेंटिग की, एक फिल्म देखी ‘आस्था’, किसी आस्था टूटी किसकी कायम रही कुछ समझ में नहीं आया, अजीब सी कहानी और अजीब सी फिल्म थी.

आज फिर वर्षा हो रही है, बादल कभी झमझम और कभी रिमझिम बरस रहे हैं, सुमित्रा नन्दन  पन्त ने वह कविता ऐसे ही किसी भीगे दिन में लिखी होगी. चारों ओर हरियाली ही हरियाली और सभी कुछ धुला-धुला सा भीगा-भीगा...गर्मी का नाम भी नहीं, ऐसा मौसम उसे बहुत भाता है. आज भी हल्का दर्द है, यूँ जून ने कल पूछा था कि कल तो वह बिलकुल ठीक हो जाएगी, उन्हें उसका बिखरा-बिखरा सा रहना पसंद नहीं है, कल रात वह ठीक से सो नहीं पाए सुबह उठे तो ठंड की शिकायत की. भाव उनके थे शब्द उसके थे, अनजाने में वे एकदूसरे की भाषा बोलने लगे हैं. नन्हे को आज सुबह जब प्यार से उठा रहे थे तो.. बहुत अच्छा लगा. He has a golden heart !  

कल जून मोरान गये थे, शाम को लगभग सव छह बजे लौटे तो बहुत खुश थे, डिब्रूगढ़ से ढेर सारे आम लाये हैं, मीठे और रस भरे आम. दिन में उसने किताब पढ़ी और सखियों से फोन पर बात की, दोस्ती की खुशबू मन को हल्का कर देती है. कल उनकी लेन की एक परिचिता ने अपने बगीचे के आड़ू भिजवाये, उन्हें फोन पर thanks कहा तो वह अपने बेटे द्वारा की गयी तारीफ करने लगीं, बातों से खुश करना कितना आसान है और वह उसी में कंजूसी कर देती है.    








Sunday, December 22, 2013

कड़क चाय और भुट्टे का सूप


Today is D-Day ie her birth day ! since morning she has received so many B’day wishes that she is full of gratitude towards all of them and Almighty ! He is always with her. सुबह-सुबह वे बेड में ही थे कि पिता का फोन आया, कल उन्हें उसका पत्र मिला, पत्र से उन्हें व जून के मित्र जो कल वहीं थे, दोनों को ख़ुशी हुई, छोटे भाई ने भी फोन पर पत्र मिलने की बात कही. पत्रों की महत्ता उसे एक बार फिर महसूस हुई. दीदी का फोन आया, माँ उनके पास गयी हैं, भारत के बाहर से जीजाजी का फोन आया. छोटी भाभी के पिता ने भी फोन किया. यहाँ भी सखियों ने विश किया, उसे यह गीत भी याद आया जो पाकिस्तानी रेडियो पर बचपन में सुना था, मेरी सालगिरह है बोलो.. बोलो..बोलो न हैप्पी बर्थडे टू मी..

कुछ दिन पहले तक बल्कि कल तक ही उसे लग रहा था  कि जन्मदिन पर ख़ुशी के साथ-साथ उदासी भी होगी. एक साल और गुजर जाने की, पर ऐसा नहीं है...केवल ख़ुशी का ही अहसास है जो तन और मन के पोर-पोर में छाया है. जून और नन्हा भी इसमें शामिल हैं.

आज सुबह की खुली धूप के बाद ही अचानक बादल आ गये और लगातार बरस रहे हैं. मन भीगा-भीगा सा उनके साथ एकात्मकता महसूस कर रहा है, असम का यह भी एक अनोखा अनुभव है. आज बहुत दिनों के बाद इत्मीनान से उसने फोन पर दो सखियों से बात की, एक ने कहा, आजकल ब्लाउज में छोटी बांह रखने का फैशन है, पर उसने कहा वह फैशन के अनुसार नहीं अपनी सुविधा के अनुसार कपड़े पहनती है. पड़ोसी कुछ दिन बाहर घूमने के बाद आए हैं, उनका बेटा जो नन्हे का मित्र है, तब से इधर ही है, नन्हा उसके साथ बहुत खुश है, वह इतनी बातें कर सकता है, आमतौर पर उसे देखने पर अहसास नहीं होता.

रिमझिम गान सुनाती बरखा
मन-प्राण हर्षाती बरखा
हौले हौले से बादल के
उर से नेह लुटाती बरखा
स्वप्न सुन्दरी सी अम्बर से
उतर रही लहराती बरखा
मोती सी उज्ज्वल बूंदों का
झिलमिल हार बनाती बरखा

आज इस वक्त सुबह के दस बजने में दस मिनट पर जब छत पर चलता पंखा अचानक बिजली चली जाने से थम गया है, बाहर से छत से टपकती इक्का-दुक्का बूंदों की ध्वनि के सिवा कुछ पंछियों की आवाजें सुनायी दे रही हैं, कोई महीन कोई तीखी आवाज.  बाहर हॉट वाटर सिस्टम में गर्म पानी भाप के साथ उछल-उछल कर थम गया है. वह अपने आप के सम्मुख बैठी है, सुबह ध्यान में २५ मिनट कैसे बीत गये पता ही नहीं चला, गीता पढ़ने बैठी तो –पता नहीं क्यों बार-बार पढ़े शब्द जैसे टकरा कर लौट आये, मन के भीतर तक नहीं गये. एक सखी से बात की, उसका फोन खराब था अन्यथा उसी ने कर लेना था, पर वह उसके साथ हिसाब-किताब वाली मित्रता नहीं रखना चाहती. वह अलेप, निर्लेप या कोई ऐसा ही शब्द जिसका अर्थ हो मुक्त, निर्बाध...किसी भी तरह के मानसिक उहापोह से आजाद रहना चाहती है. जून का गला खराब है, कल शाम वे उसे कमजोर दिखे, शायद उनकी अस्वस्थता का अनुमान वह नहीं लगा पा रही है, उनकी देखभाल ठीक से नहीं कर पा रही है, उन्हें आराम की जरूरत है. उसे अस्वस्थता के नाम से ही चिढ़ है, सम्भवतः स्वस्थ मनुष्य यह भूल ही जाता है कि अस्वस्थ होने पर कैसा लगता है.

कल शाम उसने ‘कॉर्न सूप’ बनाया, घर में उगे ताजे मकई का सूप बहुत स्वादिष्ट बनता है. कल रात सोने से पहले वे किसी बात पर बहुत हँसे और उसने हँसने पर चार पंक्तियाँ भी गढ़ लीं पर रात को सपने में रोना पड़ा, जून को (पर स्वप्न में वह बदले से लग रहे थे) वाशिंग मशीन से करेंट लग जाता है. दादी जी की बात याद आ गयी जब वे कहती थीं, ‘हासे दा विनासा होसी’ ! आउटलुक में मंटों की कुछ दिल-दहलाने वाली कहानियाँ पढ़ीं, १९४७ की याद दिलाना आज की पीढ़ी के लिए आवश्यक है.

अपने आप से बातें करना अच्छा लगता है,
हम भी पागल हो जायेंगे ऐसा लगता है

आज कुछ ऐसी ही कैफियत हो रही है उसके मन की. कल रात को वह बहुत गुस्से में थी, जे कृष्णामूर्ति के अनुसार वह गुस्सा ही थी उस पल, उनका माली ठीक से बगीचे की देखभाल नहीं करता इस बात पर. उपाय यही है कि आज से नियमित एक घंटा वह स्वयं काम करे. आज सुबह  उठी तो लगा जैसे कल रात की बात भूल गयी है, ध्यान के समय भी ज्यादा याद नहीं आई पर बाहर जाकर देखा तो नैनी के बेटे को बुलाये बिना नहीं रह सकी, माली के साथ वह भी सहायता करेगा. कल शाम को एक मित्र परिवार आया उसने चाय कुछ कड़क बना दी, इतने वर्षों से चाय बना रही है पर सही अनुपात का ज्ञान अभी तक नहीं हुआ है. नन्हे को आज क्लास के बाद एक चित्रकला प्रतियोगिता में भी जाना है, जो Assam Science Association की तरफ से विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष में हो रही है. पेड़ों के नाम एक कविता और बगीचे में काम करना पर्यावरण के प्रति उसका उपहार होंगे.

Saturday, December 21, 2013

द अवेकनिंग ऑफ़ इंटेलिजेंस- जिद्धू कृष्णामूर्ति


The Nicholas Effect रीडर्स डाइजेस्ट में यह लेख पढकर आँखें भर आई हैं, एक सात साल के बच्चे ने मरकर सात मरते हुए लोगों को अपने अंगदान करके जीवन दिया. अमेरिकन लोग बहुत बहादुर होते हैं, बड़े दिल वाले ! RD सचमुच अनोखी पत्रिका है, दिल को हिलाकर रख देने वाली, मन के कोमल भावों को छूकर मधुर संगीत भर देने वाली. Dear Sunny नामक लेख भी बहुत अच्छा लगा. आज वर्षा थमी है पर बादल अब भी हैं. नन्हा रोज की तरह कम्प्यूटर क्लास गया है, जून के आने में थोड़ा वक्त है. आज सुबह उसने स्वीपर को नाराज कर दिया, नैनी भी कपड़े धोकर फैलाये बिना कहीं चली गयी है, पर इन लोगों को नाराज करना अच्छा नहीं, अपना मन ही परेशान हो जाता है. कल रात को उसे सिर दर्द के कारण नींद नहीं आ रही थी, जून की नींद खुली तो डिस्प्रीन दी, उसके बाद ही नींद आयी. और वह व्यर्थ ही खुश थी कि इस महीने सिर दर्द नहीं हुआ. क्लब में कल अन्ताक्षरी का आयोजन किया गया, नन्हा देखने गया साढ़े नौ बजे लौटा.

इस समय उसके मन की हालत कुछ अजीब सी है, परेशान है, हैरान है और समझ नहीं पा रही है, ऐसा क्यों है ? सुबह से दिन अच्छा खासा ही बीत रहा था. तीन बजे ‘बुनियाद’ देखा, बाद में भुट्टा खाते वक्त भी ठीक थी पर उसके बाद एक के बाद एक ऐसा कुछ न कुछ घटता गया कि...शायद जून की अस्वस्थता की कारण या बोरियत के कारण अथवा बगीचे की बिगड़ती हालत के कारण...हो सकता है हार्मोनल गड़बड़ी के कारण ही ऐसा हो या फिर शारीरिक श्रम न हो पाने के कारण. आज मौसम भी अच्छा है और बहुत दिनों से cycling भी नहीं की है..

पिछले दो दिन लिख नहीं सकी, नन्हे को कविता और फिर स्पीच की तयारी करने में कुछ वक्त गया और कुछ यूँ ही. कल सुबह J Krishnamurti की किताब The Awakening of Intelligence पढने में बीती, पढ़ते-पढ़ते दिमाग इतना ज्यादा confuse/ active हो जाता है , शायद इसे ही awakening of Intelligence कहते हैं. नन्हे को कल दो पुरस्कार मिले, पहले चित्रकला में भी मिला था. उसका नाम पुकारा गया तो उन्हें उस पर बहुत गर्व का अनुभव हो रहा था. कल कविता पाठ में उसने निर्णायिका की भूमिका निभाई. वापस आने में काफी देर हो गयी थी, देर से भोजन करके सोने गये तो नींद भी जल्दी कैसे आती.

“Order is love and order is virtue. Disorder is evil. Conflict brings disorder. Thought is memory and that is past. To live in present is true living.”- J Krishnamurti

Today at 10 am she is trying to live in present. Since morning she made two mistakes- one in not answering the phone other in speaking rudely(unnecessary making conflict) to plumber. Once she scolded Nanha but was not angry. She is observing herself and it makes some sense in routine work. Talked to friends. One friend’s family will come for lunch and yet she has not prepared the sweet dish, but still there is time.

पिछले दो दिन she was totally physical घर की सफाई में लगी रही, घूमना, लोगों से मिलना -जुलना और आज कुछ देर ध्यान किया, मन की ओर झाँका तो खुद-बखुद पेन और डायरी हाथ में आ गये. उस दिन क्लब में किसी ‘मैरी’ की डायरी पढ़ी कई बार लगा अरे, यह तो वह भी सोचती है. पिछले दो दिनों में तीन पत्र भी मिले, एक छोटी बहन का बड़ा सा खत, जिसमें उसने अपने कोर्ट जाने के अनुभव के बारे में लिखा है, दूसरा बड़ी भांजी का खत जो उसने वापस जाकर लिखा है, और एक पत्र माँ-पिता का. आज फिर दो जन लंच पर आएंगे, सुबह उसने निमन्त्रण देने के लिए फोन किया तो उससे पहले दिल की धडकन बढ़ गयी...लेकिन बाद में सामान्य हो गयी, शायद उसका भ्रम ही हो. कल उसका जन्मदिन है, जून इस बार कार्ड और चाकलेट पहले से ही ले आए हैं, ‘सपने’ का कैसेट भी. he is in love with her again ! पिछले दिनों उन्होंने काफी वक्त साथ-साथ गुजरा and they both enjoyed it ! नन्हा अभी-अभी पूछ कर गया है, आज उसे क्या-क्या काम करने हैं, उस दिन पहली बार उसने ‘मैगी’ खुद बनाई और दो बार mango shake भी बना चुका है. उसे अभी कस्टर्ड बनाना है. 


Thursday, December 19, 2013

लिखे जो खत तुझे


आज भी मौसम मेहरबान है, उनके उस महान स्वीपर ने आज कुछ ढंग से सफाई की है, नैनी ने किचन में रैक्स साफ की, उसका काम सुपरविजन का है. आज शाम को एक मित्र परिवार यात्रा पर जा रहा है, जाने से पहले यहाँ आएंगे, भोजन के लिए और फिर जून उन्हें विदा करने बस स्टैंड भी जायेंगे, ऐसी परम्परा सी बन गयी है, जो वे सदा निभाते हैं अन्यों की तरह सुविधा का ख्याल रखकर नहीं. खैर, उसे अपने मन में किसी प्रकार का क्षोभ, झुंझलाहट देखकर आश्चर्य क्यों नहीं होता, इस बात का दुःख है. बेचैन है यह देखकर बेचैनी भी तो होनी चाहिये न, अपनी आदत ही बना ली है परेशान होने की और...फिर इन बातों पर बजाय नाराज होने के मुस्कुराने की, यानि मर्ज हद से आगे बढ़ चुका है.

आज जून का दफ्तर बंद है, अल्फ़ा ने बंद कॉल किया है बारह घंटों का. सुबह न ही कोई पैदल न साइकिल पर जाता दिखाई दिया. आज यहाँ प्रधानमन्त्री आ रहे हैं, उनके स्वागत का यह तरीका अजीब है. डिब्रूगढ़ तक रेलवे लाइन ब्रॉड गेज हो गयी है, उसी का उद्घाटन करेंगे, तथा उत्तर भारत के अन्य प्रदेशों में भी जायेंगे. देवेगौडा जी भी आये थे, ६००० करोड़ रुपयों की योजनायें शुरू करने का आश्वासन देकर गये थे, पता नहीं कितनों में काम शुरू हुआ भी है या नहीं..इन राजनीतिज्ञों पर भरोसा करना बेहद मुश्किल है. कल शाम उसने वर्षों पूर्व मंगनी के बाद दोनों के लिखे कुछ पत्र पढ़े, आनन्द आया, मन फूल सा हल्का हो गया, जिन्दगी के तनाव भरे क्षणों में ऐसे पत्र रहबर का काम करते हैं. प्रेम में सराबोर ऐसे मधुर पत्र...कि पढ़ने के बाद घंटों मन एक खुमारी में डूबा रहा, तब मन कितना विश्वासपूर्ण था भविष्य के प्रति और वे सारी बातें जो उन्होंने तब सोची थीं सच हुई हैं. कल इतवार था, इतवार की तरह ही बिताया, सुबह से दोपहर तक स्नान, सफाई, लंच नन्हे की पसंद का था, जून कस्टर्ड के लिए tinned फ्रूट्स भी लाये थे. नन्हे को रोज पांच नये शब्द सिखाना भी शुरू किया है कल से.

वर्षा का एक दिन ! कल रात्रि आये तूफान से बंगलादेश में जान-माल का काफी नुकसान हुआ, उसी का असर है कि यहाँ भी कल से लगातार वर्षा हो रही है. सुबह पौने छह बजे नींद खुली एक स्वप्न से.. जिसमें देर शाम तक वह घर से बाहर है एक ऐसी गली में जहां मार-पिटाई रोज का मंजर है. एक बाबा जी भी कुछ दूर पर रहते हैं, पर लगता है उन्हें अपने शिष्यों से ही फुर्सत नहीं मिलती. नाश्ते में उसने आज परांठे बनाये पर उसका असर अभी तक है, जून को भी शायद ऐसा लग रहा हो. नैनी की शक्ल देखकर लग रहा था, जैसे उसके पेट में दर्द है, और स्वीपर का काम तो वैसे ही माशा अल्लाह ही, न बाहर ड्राइववे पर झाड़ू लगाया है न भीतर कारपेट पर, बाहर तो खैर अब हवा और पानी ही सफाई करेंगे, भीतर वह खुद कर सकती है. नन्हा एक घंटा टीवी देख चुका है, आधा घंटा और देखेगा, जब वे छोटे थे तो ज्यादा वक्त घर के बाहर खेलने में गुजरता था आजकल के बच्चे टीवी के सामने बैठ-बैठे ही बड़े हो जाते हैं. एक परिचिता का फोन आया, उनका बेटा आज दोपहर फिर पढ़ने आएगा, सो ले देकर बात यहाँ पर अटकी है कि इतनी सारी  बातों के बाद बेचारा...दिल जाये तो जाये कहां ?


Wednesday, December 18, 2013

कैंसर का साया


आज का दिन वाकई मनहूस निकला, जून ने दोपहर को दफ्तर जाकर फोन किया कि एक हिला देने वाली खबर है, एक युवा अधिकारी, जो उनके परिचित थे, की मृत्यु हो गयी. सुनकर कैसा अजीब सा लगा और तब से मन में बार-बार वही ख्याल आ रहा है, एक हँसता-खेलता घर उजड़ गया...उनकी पत्नी और छोटा सा पुत्र अकेले हो गये. जीवन का संगीत ही जैसे उनके लिए रूठ गया होगा. उस लड़की का चेहरा याद आते ही मन में एक कचोट सी उठती है, ईश्वर उसे हिम्मत दे..इतनी कम उम्र में इतने लम्बे सफर पर निकल गये हैं जिसके पति जहां से वापस आना कठिन ही नहीं असम्भव है, कैंसर मृत्यु का दूसरा नाम ही है, उस दिन पिछले शनिवार को ही तो किसी मित्र ने कहा कि बीस-पच्चीस दिन पहले मुँह से रक्त आया था, चिकित्सकों ने मद्रास(चेन्नई) जाने के लिए कहा है, इतवार को वे चले गये. तब किसी ने मामले को इतनी गम्भीरता से नहीं लिया अभी शुक्रवार को ही पता चला आपरेशन भी हो गया है, कल शाम ही उन्होंने क्लब में उनके किसी मित्र से पूछा था, वे लोग कब वापस आ रहे हैं..  

कल बहुत दिनों के बाद एक सखी के साथ गेस्ट हाउस तक टहलने गयी, विधवा पत्नी की बातें करके वे दोनों ही उदास थे, वह आगे क्या करेगी, बच्चे पर कितना असर होगा, वापसी में उसने उसे घर आने के लिए कहा पर हमेशा की तरह उसका जवाब था, मन होगा तो आएंगे..और मन कहाँ कभी होता है. खैर.. ईश्वर उनकी भी रक्षा करे जिनका मन अपने वश में है और उनका भी जो मन के वश में हैं.

सुबह के साढ़े आठ बजे हैं, आज धूप तेज है, नया स्वीपर सफाई तो कर रहा है पर इसे ढंग से झाड़ू लगाना भी नहीं आता है, क्या किया जा सकता है सिवाय इसके कि खुद ही थोड़ी बहुत सफाई कर ली जाये, यह इतनी निराशा भरी बातें क्यों कर रही है वह आज, जबकि सुबह जल्दी उठी थी, जून की पसंद का नाश्ता बनाया, ध्यान नहीं हुआ क्यों की एकांत नहीं है अभी. कल रात्रि रसोईघर की खिड़की खुली रह गयी, बिल्ली मौसी दही जूठा कर गयी, अब जून को फिर से जा मन के लिए दही लानी होगी, दही पुल्लिंग है या स्त्रीलिंग ? कल शाम नैनी की बड़ी बेटी को देखा, जिसे भगा कर पिछले साल ही तो विवाह किया था एक व्यक्ति ने, उसकी गोद में स्वस्थ व सुंदर बच्ची थी, कुछ देने का मन हुआ पर..उसकी सखी की छोटी बहन की शादी में भी कुछ देना चाहिए लेकिन...यह पर और लेकिन ही तो....

एक बार किसी पत्रिका में पढ़ा था कि आपके इर्द-गिर्द कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनका असर आपके मूड आपके विचारों पर पड़ता है और वह किसी हद तक खतरनाक होता है, वे लोग आपको सम्मोहित कर देते हैं और ज्यादा वक्त आपका उनके बारे में सोचते या उनके कामों में ही गुजरता है, शायद उसके साथ ऐसा ही होता है, दिल पर एक शख्सियत इतनी हावी हो जाती है कि... लिखना शुरू करते ही पहला ख्याल उसी का होता है. it is not a good sign. आज मौसम कल की तुलना में काफी अच्छा है, बदली है, नन्हा कम्प्यूटर क्लास गया है, आज भी ध्यान में मन के उस स्तर तक नहीं पहुंच पाई जहां सब कुछ शांत हो जाता हैं उन पहले दिनों में सहज ही कर  पाती थी और उसका अच्छा असर भी पड़ता था दिन भर के कामों पर. लेकिन पुस्तक में स्पष्ट कहा है किसी अपेक्षा को लेकर ध्यान करने से लाभ नहीं होगा. आज ज्ञान योग पर अध्याय पढ़ा, ‘मैं कौन हूँ’ इस की मीमांसा करने को कहा है, वह क्या मात्र एक शरीर है, या एक मन, या बुद्धि, या उससे भी परे कुछ... उसका व्यक्त्तित्व बचपन से आजतक कितनी सच्ची-झूठी परतों से ढका हुआ है, बचपन में अपने को शेली की नजरों में ऊंचा उठाने के लिए बोला झूठ, लेकिन मासूमियत इतनी की घर में आकर सबको बता दिया पर वे हँसे और मन ने मान लिया कि दूसरों की नजरों में खुद को उठाने के लिये झूठ बोलना गलत नहीं है.






Tuesday, December 17, 2013

ईरान में भूकम्प


कल सुबह जब जून और नन्हा सो रहे थे, बाहर भी कोई शोर नहीं था, वह ध्यान में बैठी, आधा घंटा कैसे बीत गया पता ही नहीं चला, आज भी वही हुआ, इस पुस्तक ने वाकई उसकी बड़ी सहायता की है. मौसम आज भी ठंडा है, वर्षा पिछले शनिवार को जो शुरू हुई है तो आज तक नहीं थमी है. २३ मई को उसे ‘हिंदी कविता पाठ’  के लिए जाना है, पढ़ने के लिए नहीं सिर्फ सुनने के लिए, और विजेताओं का फैसला करने में सहायता के लिए भी. उस दिन जालोनी क्लब की ओर से एक सदस्य आये और कविताएँ चुनने के लिए कहा, जो कक्षा १ से १२ तक के छात्र-छात्राएं पढ़ेंगे. कल शाम छोटी बहन का फोन आया, उसने आर्मी में डाक्टर की नौकरी के लिए योग्यता प्राप्त कर ली है, छह महीनों बाद ज्वाइन करेगी, उसे कैप्टन का रैंक मिला है. कल शाम को जून ने घर पर फोन किया, छोटा भाई स्टेशन पर नहीं  आ पाया था, सबकी अपनी-अपनी मजबूरियां हैं, इसलिए ऐसा मौका ही नहीं आने देना चाहिए कि किसी से सहायता लेनी पड़े.

आज छोटी भांजी का जन्मदिन है, सुबह दीदी को फोन किया, हर बार की तरह समझ में नहीं आया और क्या कहे, सभी की कुशलता पूछने व शुभकामनायें देने के बाद ही फोन रख देना चाहिए था पर इतने दिनों बाद किसी अपने की आवाज देर तक सुनने का मन करता है. रात को ठंड बढ़ गयी थी और वे कम्बल लेकर नहीं सोये थे,. नन्हा आजकल देर से उठता है सो सुबह-सुबह ही उसे डांट पड़ जाती है, फिर उसका मन भी ठीक नहीं रहता, कल से उसे जल्दी उठने की आदत डालनी है, थोड़ा अनुशासन ही उसे अच्छी आदतें सिखाएगा.. आज सुबह भी ध्यान किया, अनोखे अनुभव होते हैं, कब कौन सा पुराना विचार उभर कर सतह पर आएगा पता ही नहीं चलता. आज पिता के नामों को बिगड़ कर बोलने की बात याद आई, जो उसे कभी पसंद नहीं थी. आज स्वीपर जल्दी आ गया है, सो स्नान भी नहीं हो पाया है अभी तक, थोड़ी सी परेशान है पर जानती है एक क्षण में ही खुद को संयत कैसे किया जा सकता है. जून ने कल नये एसी के लिए ड्राफ्ट बनवा लिया, आज जमा करने जा रहे हैं. तिनसुकिया से वह मेज भी लायेंगे जो उन्हें कम्प्यूटर के लिए चाहिए. घर में सामान बढ़ता ही जा रहा है, वे विकास की ओर अग्रसर हैं या..

नन्हा स्वीमिंग पूल जाने के लिए तैयार बैठा है, जून के आने में भी चंद मिनट हैं, आज धूप तेज है, मौसम गर्म हो गया है, पहले नन्हे को गृह कार्य में सहायता की फिर कुछ कपड़े ठीकठाक किये. आज सुबह ध्यान सफल नहीं हो पाया, शायद कल की घटना का असर अब भी मन पर है, कुछ तो ऐसे होंगे जिनपर यह असर बरसों बरस रहेगा, शायद जीवन भर ही. सुबह असमिया सखी का फोन आया, वह ‘सपने’ देख रही है, कुछ देर पहले टीवी पर इसका रिव्यू देखा, शायद अगले हफ्ते जब जून की छुट्टी होगी, वे भी देखें, शाम को क्लब जायेंगे, जीवन तो चलता ही रहेगा. सब कुछ पूर्ववत नहीं रहेगा फिर भी, जो नुकसान होना था वह तो हो गया जो बचा है उसी के साथ जीवन, यह धरती, यह आकाश सब अपना-अपना काम करते रहेंगे, ईरान में भूकम्प में हजारों मर गये, रोज ही मरते हैं, मगर यह दुनिया ज्यो की त्यों है.






Monday, December 16, 2013

मैं आजाद हूँ


इस वक्त वह चाहे और कुछ भी करे पर डायरी तो कम से कम नहीं लिखनी चाहिए, फिर अशांत  मन क्योंकि जगदीश को, वही उनके स्वीपर को इतनी बार सिखाने पर भी बाथरूम धोना नहीं  आया है और आज उसे फिर से सिखाना पड़ा है, शायद वह उसे सनकी समझता होगा. आज सुबह जल्दी उठ गये थे वे, जून को शिवसागर जाना था. शाम को आएंगे. आजकल वह योग पर एक किताब पढ़ रही है, जो किसी अंग्रेज लिखक ने पश्चिमी पाठकों के लिए लिखी है पर भारतीयों के लिए भी बहुत उपयोगी है. ध्यान किस तरह किया जाये इसे विस्तार से समझाया गया है. कल शाम को उसकी भविष्यवाणी ठीक निकली और मित्र परिवार आखिर नहीं आया. अभी-अभी नैनी को कपड़े धोते हुए देखा, आजकल किसी से काम करवाना हो और स्वयं को शांत रखना हो तो आँखें बंद ही रखनी चाहिए. इतना सर्फ बर्बाद करती है, इसलिए आजकल उसका मन भी उनके प्रति उदासीन हो गया है, वे उसके स्नेह के योग्य ही नहीं है ऐसा लगता है. कल रात मूसलाधार वर्षा हुई, मौसम ठंडा है, उसके जन्मदिन का महीना सदा ही वर्षा का उपहार लाता रहा है.

आज भी मौसम सुहाना है, बादल, हवा और हरियाली खिड़की से झांक रहे हैं और फ़िलहाल तो मन अपनी जगह ठिकाने पर है. कल से ध्यान में प्रगति हुई है. इस पुस्तक से बहुत सहायता मिली है पर जैसे साईं बाबा ने कहा था पुस्तकें तो सिर्फ गाइड बुक या नक्शे का काम ही करती हैं, रास्तों पर तो हमें खुद ही चलना होता है. जून कल शाम पौने छह आ गये थे, उनकी यात्रा सफल रही पर थकन भरी थी. कल उसने छोटी भांजी को एक कार्ड स्वयं बनाकर भेजा, दीदी की द्दी हुई साड़ी पर फाल लगाने का काम भी पूरा हो गया. नन्हा आज से कम्प्यूटर क्लास के लिए जायेगा, कल दिन भर उसके साथ बिताया, BON VOYAGE खेला, पढ़ाया. वह छुट्टियों का पूरा आनंद ले रहा है. टेनिस खेलना भी शुरू किया है, जीटीवी पर डिजनी ऑवर उसका मनपसन्द कार्यक्रम है. आजकल जून का वह ज्यादा ख्याल नहीं रख रही है, वह शिकायत नहीं करते but she will certainly do...क्योंकि उनका प्यार ही तो है जो उनके घर को सचमुच का घर बनाये हुए है, एक सुंदर आदर्श घर..जैसी कि उन्होंने वर्षों पहले कल्पना की थी. आजकल माली भी रोज अ रहा है, यानि कि “सब कुछ ठीकठाक है, हालचाल ठीकठाक है” खुश रहना और किसी से कोई अपेक्षा न रखना ये दो बातें ही मन को शांत रखने के लिए काफी हैं. and where there is inner peace there is every thing.

आज जून के कुछ मित्रों को खाने पर बुलाया था, उन तीनों के परिवार आजकल यहाँ नहीं हैं, पड़ोसिन भी उसी दौरान मिलने आ गयी, वे लोग इतवार को घर जा रहे हैं. अंततः वह परिवार भी मिलने आया जो उस दिन नहीं आ सका था, वे कुछ देर बैठे, यात्रा के फोटो देखे. उसने एक अच्छा सा स्वप्न कल रात्रि देखा, एक साधू बाबा, बालकृष्ण की तस्वीर उनकी हथेली पर और विष्णु भगवान का चित्र भी, एक अद्भुत अनुभूति भी, जो आज ध्यान करते समय भी महसूस हुई.

आज एक अच्छी फिल्म देखी, “मैं आजाद हूँ” अमिताभ बच्चन और शबाना आजमी का जानदार अभिनय, कहानी भी अच्छी थी, मन को छूने वाली. असमिया सखी अपने परिवार के साथ आई पुरे पांच महीनों के बाद, लेकिन वे उतना ही निकट महसूस कर रहे थे जितना पहले करते थे, उनके दिलों के तार कहीं से जुड़े हुए हैं.