Wednesday, April 28, 2021

ऐनी विद एन इ

 रात्रि के नौ बजकर पांच मिनट हुए हैं. अभी-अभी जून ने दो किताबों का आर्डर दिया है, नए वर्ष के लिए सुंदर उपहार ! कल छोटा भाई यहां आ रहा है, उसने सोचा, शाम को वे उसे आम व अंगूर के बगीचे में ले जायेंगे, हो सका तो गाँव के खेत में भी. आज दोपहर बारह बजे वे असमिया सखी के यहां से लौटे, पूरे चौबीस घण्टे बाद. उन्होंने बहुत गर्मजोशी से स्वागत किया, कल दिन में तथा रात्रि का भोजन व आज सुबह का नाश्ता प्रेम से खिलाया. तस्वीरें खींची, चाइनीस चेकर खेला , पुराने दिनों की बातें कीं, उन दिनों की तस्वीरें देखीं. आज मृणाल ज्योति से एक अध्यापिका का फोन आया, पूछ रही थी वह वहाँ कब आएगी. जून ने कहा है शायद दो वर्ष बाद वे वहाँ दुबारा जा सकें. मैक्स टीवी पर क्वीन का आठवां भाग देखा, शक्ति अब पुन: फिल्मों में काम करने के लिए तैयार है. मौसम आज सुहावन है, कल सखी की सोसाइटी में क्रिसमस पार्टी थी और आज उनके पड़ोसी के यहां क्रिसमस केक की सेल थी. असम में हर वर्ष वे क्रिसमस ट्री सजाते थे और बच्चों को केक खिलाते थे। 


अभी-अभी भाई का फोन आया, वह दोपहर ढाई बजे पुट्टपर्थी पहुंच गया था. वहां के स्टेट बैंक में पूरे आठ दिन उसे ऑडिटिंग करनी है, उसका भाग्य उसे तीर्थ स्थानों के दर्शन करा रहा है. तमिलनाडु व आंध्र के कितने ही मंदिर भी देख चुका है. कल सुबह विजयवाड़ा से बारह बजे तक घर आ गया था, बड़े भाई भी आधे घण्टे बाद पहुंच गए. कल शाम वे उसे एओल आश्रम ले गए थे, विशालाक्षी मंडप रौशनी में बहुत भव्य लग रहा था. सप्ताहांत में चार दिनों के लिए उन्हें काबिनी जाना है. घूमना और लिखना-पढ़ना यही काम होंगे वहां. उनके गैराज में किनारे की पट्टी पर मार्बल लगवा लिया है, जून कह रहे हैं सामने की दीवार पर टाइल्स लगवा लेते हैं, बरसों वे लोग सरकारी घरों में रहते आये हैं जिसमें कभी कोई काम नहीं करवाया, पर अब अपने घर को संवारने का कोई अंत ही नहीं है. सोनू ने उसे दो बंदनवार व दो मोबाइल बैग्स दिए, नन्हा आजकल ज्यादा बात नहीं करता है, अपने काम में ज्यादा व्यस्त रहने लगा है. 


आज बहुत दिनों बाद रेडियो पर रात्रि समाचार सुने. बचपन में हर रात को सोने से पूर्व घर में रेडियो पर समाचार सुने जाते थे. राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर बनाने की प्रक्रिया को मंजूरी दे दी गयी है. सरकार लोगों तक सीएए की जानकारी पहुंचाने की कोशिश कर रही है. शरणार्थियों ने दिल्ली में एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री व गृहमंत्री को धन्यवाद दिया है. पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री व राज्यपाल के मध्य तनाव कम नहीं हो रहा है. सुबह-सुबह कुछ लिखने का प्रयास कर रही है नूना पिछले कुछ दिनों से, दिन भर लिखने का समय नहीं मिल पाता। छत पर काम चल रहा है, दिन भर कोई न कोई आता रहता है. सुबह मन कितना स्पष्ट रहता है खाली और निर्मल .. विचार अपने आप ही आते हैं । आज सुबह जून नए खुले रेस्त्रां से पुट्टू लाये,  साथ में काले चने की सब्जी. नए वर्ष के लिए कुछ संकल्प लेने का समय आ गया है. अगले वर्ष वे  ध्यान, लेखन, सेवा कार्य, पुस्तकें पढ़ना तथा बागवानी नियमित करेंगे. नया वर्ष आने में मात्र सात दिन रह गए हैं. कल क्रिसमस का त्योहार है, देश में शांति बढ़े, विकास हो, आर्थिक प्रगति हो और आपसी मेलजोल बढ़े. यह कामना उन्हें नए वर्ष के लिए करनी चाहिए. जून की पीठ में दर्द हो गया है, योग कक्षा में उन्हें विशेष आसन करने को कहा शिक्षिका ने. अगले महीने वह घर जाने वाली है, ऋषिकेश से यहाँ आयी है, किराये का घर लेकर अकेले ही रहती है। उसने सोचा  है, एक दिन उसे घर बुलाएगी।  


कल रात एक स्वप्न देखा, एक बड़ा हवाई जहाज है, जिसमें नन्हे और जून को कहीं जाना है, एक परिचित व्यक्ति और भी है, वह उन्हें छोड़ने भर आयी है, पता नहीं कैसे जहाज में पहुंच जाती है. तभी वह उड़ने लगता है, उन्हें लगता है, जहाज अभी रुकेगा और वह उतर जाएगी, पर ऐसा नहीं होता. उसके पास टिकट भी नहीं है. अंततः वह अपने लक्ष्य पर उतर जाता है, वे बाहर आते हैं, उनसे आगे तीन जन को निकलने देते हैं चौथे को रोक लेते हैं, वह सुनती है, वह कह रहा है, उसके पास टिकट नहीं है और गलती से वह बैठ गया था, पर उसकी बात वे सुन ही नहीं रहे. तभी नींद खुल जाती है, कितना स्पष्ट अर्थ है इस स्वप्न का, उसे जहाँ जाना नहीं है, जिसकी टिकट यानि क्षमता भी उसके पास नहीं है, वहीं वह जा रही है। सचेत हो जाना चाहिए अब तो ! उसके जीवन का लक्ष्य क्या है यदि वह खुद ही भूल गई तो आस-पास के लोग उसे कैसे याद रख सकते हैं। 

आज फिर दाहिने हाथ की मध्यमा में नख के निकट सूजन दिख रही है। कुछ हफ्ते पहले डॉक्टर को दिखाया था, ठीक भी हो गई थी पर पुन: किसी कारणवश संक्रमण हो गया है। यू ट्यूब पर घरेलू उपाय देखे, पानी में सेब का सिरका मिलाकर  लगाने से यह ठीक हो जाएगा, ऐसा सुना। नेटफलिक्स पर ऐनी विद एन इ धारावाहिक का पहला भाग देखा। उसमें एक तेरह वर्षीय कल्पनाशील बालिका की कहानी है।  आज क्रिसमस है उसके एक ब्लॉग का जिक्र एक वरिष्ठ ब्लॉग  लेखिका ने सम्मान पूर्वक किया है, क्रिसमस का उपहार ! दोपहर को छोटी ननद का फोन आया, पुत्र की बात बता रही थी, सुबह चार बजे सोता है और एक बजे उठता है, मित्रों के साथ ज्यादा समय बिताता है। आज की युवा पीढ़ी अपनी सेहत का भी ध्यान नहीं रखती। 


और अब उस पुरानी डायरी का एक पन्ना - 


मुक्त ! वे एक क्षण तो स्वयं अपने मन पर शासन नहीं कर सकते, यही नहीं, किसी विषय पर उसे स्थिर नहीं कर सकते और अन्य सबसे हटाकर किसी एक बिन्दु पर उसे केंद्रित नहीं कर सकते ! फिर भी वे अपने को मुक्त कहते हैं ! 


यदि वह अपने मन की सारी पीड़ा समेट कर एक वाक्य में कहे और अपने मन की सारी खुशी समेट कर एक वाक्य में कहे तो दोनों बार एक ही वाक्य उसके अधरों से निकलेगा- उसकी कविताओं में झलकता उसके मन का भ्रम  कितना सुंदर है ! लगता है सुख -दुख की चरम स्थिति में मनुष्य समभाव हो जाता है, यह बिल्कुल सही है। 


कई बार लगा है पानी में प्रतिबिंब देखते हुए, अपने अधूरेपन को देख, अपनी आवाज में टूटन देख, बिखरे हुए विचारों को देखकर कि  दुनिया में कोई ऐसी मिट्टी नहीं जो इतनी पक्की हो कि उसे जोड़ सके, कुछ मिट्टियाँ किन्हीं विशेष स्थानों पर ही मिलती हैं और उसके मन के मेल की मिट्टी कहाँ मिलेगी, यह नहीं मालूम ! 


Wednesday, April 21, 2021

झींके का खेत

 

कल रात्रि वे वापस लौट आये. घर पहुंचे तो कुछ ही देर में नन्हा व सोनू भी आ गये, वे रात्रि भोजन बनवा कर लाये थे. सुबह नींद थोड़ा देर से खुली, नूना अकेले ही टहलने गयी. सोनू उठ गयी थी जब वह लौटी, नन्हे ने सुबह का नाश्ता ऑर्डर कर दिया था.  दोपहर को बड़े भैया अपनी बिटिया के साथ आये, जो यहीं रहकर जॉब करती है, सबने साथ में भोजन किया. नन्हा और सोनू  ग्वालियर से कुछ उपहार भी लाये हैं, साड़ी, सूट, बेड कवर, गजक और उबली हुई मूंगफली. बड़े भाई को उन्होंने शादी में मिला पर्स दिया, भाई उनके लिए गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां लाये हैं. जीवन इसी लेन-देन  का नाम है. दीदी छोटी बहन के पास विदेश जा रही हैं. वह अपने नए घर में शिफ्ट हो गयी है. उसने बताया अगले हफ्ते बड़ी बिटिया अपने पापा  के साथ भारत आ रही है, वे वैष्णव देवी की यात्रा पर भी जायेंगे.  छोटा भाई  अगले हफ्ते उनके पास आ रहा है, उसे पुट्टपर्थी में ड्यूटी मिली है, एक रात यहाँ रहकर जायेगा.  जीवन इसी तरह आने-जाने, मिलने-जुलने का भी नाम है. मौसम आज ठंडा है, पंखा चलाने की जरूरत नहीं है. दोनों नैनी समय पर आ गयीं, दूध वाला, पेपर वाला, फूलवाली भी, आज तो लॉन की सफाई व घास की कटिंग भी हुई, लॉन अच्छा लग रहा है. रात की रानी में फूल खिलने लगे हैं. शाम को वे टहलने गए तो देखा, क्रिसमस की ख़ुशी में लोगों ने यहां बिजली की झालरें लगा दी हैं. 


रात्रि के नौ बजे हैं, उसने दिन के अंतिम कार्य यानि लिखने के लिए कलम उठायी है. आज एक सप्ताह बाद योग कक्षा में बहुत अच्छा लगा. नए आसन किये शरीर को अपनी पूरी क्षमता का प्रयोग करने का अवसर मिला.  सुबह नाश्ते के वे बाद कुछ देर टहलने गए, शायद धूप के कारण सिर में थोड़ा सा दर्द हो गया. असम में स्थिति अब शांति की ओर बढ़ रही है. दिल्ली तथा देश के कुछ अन्य भागों से हिंसा की खबरें आयी हैं. यह सब कुछ अज्ञान का परिणाम है, नेता अपना लाभ देखते हैं और जनता को मोहरा बनाते हैं. हालात जिस तरह बिगड़ रहे हैं इसका परिणाम किसी के लिए भी अच्छा नहीं होगा. धर्म के नाम पर भेदभाव से कितने जीवन प्रभावित होते हैं, पर लोग जानते हुए भी यह बात समझना नहीं चाहते. तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के जीवन पर आधारित वेब सीरीज ‘क्वीन’ अच्छी  लग रही है, चार एपिसोड देख लिए हैं. आज पिता जी से बात की. उन्होंने बताया, जो किताब वे पढ़ रहे हैं, उसमें लिखा है, मनुष्य को शून्य में स्थित रहना चाहिए अर्थात पूर्ण शांति में. बाहरी शांति तो उन्हें सर्वथा उपलब्ध है पर भीतर की शांति भी चाहिए, मन की शांति, यानि विचारों से पूर्ण मुक्ति ! 


आज सुबह टहलते हुए वे गांव की तरफ गए एक खेत में झींका (तरोई) लगी थी, एक किसान फसल उतार  रहा था, बेचने को भी तैयार था, वे खरीद कर लाये. छत पर सोलर पैनल लग गए हैं. अब उनके घर इस्तेमाल होने वाली बिजली इन्हीं के द्वारा आएगी, जो बिजली बच जाएगी उसके बदले विद्युत विभाग से पैसे वापस मिल जायेंगे. आज असमिया सखी से बात हुई, वे लोग भी बंगलूरू में रहते हैं. उसने बुलाया है, पर उनका घर काफी दूर है, कार से जाने में दो घन्टे लगेंगे, असम में उनके घर जाने में दो मिनट लगते थे. उन्होंने सोचा है, शुक्रवार की सुबह  जायेंगे और एक रात रुककर शनि को नाश्ते के बाद लौट आएंगे. आज मौसम कल की अपेक्षा गर्म है, दिसम्बर में भी गर्मी हो सकती है, इसका अनुभव जीवन में पहली बार हो रहा है. दोपहर वाली नैनी आज अपने पुत्र को लेकर आयी, देखने में बुद्धिमान लग रहा था. आज कई दिनों बाद ब्लॉग पर लिखना आरम्भ किया, कुछ ब्लॉग्स पढ़े. जीवन को मुड़कर देखें तो अपनी ही बातों पर कितनी हँसी आती है, उन बातों पर भी जिनपर कभी हजार आँसू बहाये थे. शाम को नन्हे का फोन आया, ‘डिनर पर आ रहा है, उन्हें लगा, जैसे उसकी पसन्द का खाना ही बना था और उसे खबर लग गयी किसी तरह, साढ़े आठ बजे आया, दो घन्टे रहा. जीवन एक शांत धारा की तरह बहता जा रहा है, अब कोई दौड़ नहीं रही. ज्ञान, क्रिया और इच्छा शक्ति जो भीतर है, अपने आप में स्थिर हो गयी है. हजारों टन भोजन इस देह में जा चुका है, हजारों बोल यह जिव्हा बोल चुकी है, हजारों विचार यह मन सोच चुका है, हजारों गन्ध यह नासापुट ले चुके हैं. अब इस जगत में कुछ देखना, जानना, पाना शेष नहीं रह गया है. जीवन जैसा है वैसा ही श्रेष्ठ है. 


आज वे आश्रम गए थे, दोनों ननदों के लिए उपहार लिए। वैद्य से नाड़ी परीक्षण करवाया। आयुर्वैदिक दवा ली एक माह की। जून के ममेरे भाई की बिटिया का ब्याह है, उसके लिए भगवद्गीता का एक सुंदर प्रति ली और घर के लिए आटे के बिस्किट आदि। गुरुजी की उपनिषद पर टीका और आर्ट ऑफ लिविंग के हिंदी भजनों की एक किताब भी। एक घंटा वे ध्यान के लिए विशालाक्षी मंटप में बैठे। ध्यान करवाया गया पर रिकार्डिंग में गुरु जी की आवाज से अधिक लोगों के खाँसने की आवाजें आ रही थीं। भजन आरंभ हुए तो लोग नाचने और झूमने लगे। रात्रि भोजन भी वहीं कैफे में किया। रागी दोसा खाया। कल दोपहर फिर आना है, समूह में सुदर्शन क्रिया में भाग लेने के लिए। दीदी का फोन आया, दो मिनट से ज्यादा बात नहीं की। जीवन इतना सरल है जिसे लोग जटिल बना लेते हैं। 


आज मोबाइल पर गुरूजी का सत्संग देखा, सुना। वह बहुत दिनों के बाद आश्रम आए हैं। परमात्मा और उनमें जरा भी दूरी नहीं है, वह वहीं है फिर भी वे उससे विरह का अनुभव करते हैं ! कैसी अजब कहानी है यह .... । मौसम आज ठंडा है, शाम को स्वेटर पहनकर वे पड़ोसी के साथ सोसाइटी के पिछले गेट से बाहर निकल कर गाँव की तरफ गए. सँकरी सड़क से गुजरते समय सूर्यास्त के सुंदर दृश्य दिखे, खेतों से कुछ दूर आगे जाकर एक नयी कालोनी दिखी, जिसमें प्लॉट्स काट दिए गए हैं, सड़कें भी बन गयी हैं पर घर बनाने का काम अभी शुरू नहीं हुआ है.  शहर अपनी सीमाएं बढ़ा रहे हैं और खेत बिकते जा रहे हैं. कल वैद्य ने रात्रि भोजन हल्का लेने को कहा था सो आज खिचड़ी बनायी उसने.  और अब उस पुरानी डायरी के पन्नों से कुछ बात।



स्थूल जगत में सेवा कार्य का रूप धारण करती है, आंतरिक सृष्टि में सहानुभूति का स्वरूप लेती यही और मानसिक सृष्टि में बोध रूप में दर्शन देती है। 


तुम्हारा हृदय तुम्हारे सेवा कार्यों की जो कीमत आंकता है, उसके मुकाबले उन्हीं कार्यों की जगत द्वारा ठहराई कीमत कुछ नहीं के बराबर है. 


सच्चे मनन  के फलस्वरूप सेवा करने की शक्ति अधिकाधिक बढ़ती जाती है और फिर अपनी उन्नति के विचार बहुत कम सताते हैं. 


आतुरता से और स्नेह से कोई भी नन्हा सा सेवा का काम सबेरे उठकर करना उस दिन के तुम्हारे सुख के भंडार को खुला रखने का सर्वोत्तम उपाय है. 


मनुष्य जिस हद तक अपने स्वार्थ का कम चिंतन करता है, उस हद तक वह अवश्य ही अपनी आत्मोन्नति की ओर ध्यान लगा सकता है.सेवा के प्रत्येक छोटे से छोटे कार्य का बदला सेवा की बढ़ती हुई शक्ति के रूप में सेवक को मिलता है. 


उसे आश्चर्य होता है विद्यार्थी काल में उसका मन ऐसे विचारों के प्रति आकर्षित होता था, युवा मन कितना आदर्शवादी होता है. कई वर्षों बाद इन आदर्शों पर चलने का मौका भी मिला, जीवन में कोई जो चाहता है अवश्य ही पा लेता है , लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जा सकता है. 


Wednesday, April 14, 2021

लोनावला की पहाड़ियाँ

 

कल सुबह उन्हें एक विवाह में सम्मिलित होने के लिए यात्रा पर निकलना है. अमित शाह ने संसद में नागरिक संशोधन  सुधार बिल प्रस्तुत किया है, कई राज्यों में विशेषतः असम में इसके विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं. आज सुबह नैनी काम पर नहीं आयी, किसी अन्य महिला ने फोन करके बताया, उसे बुखार है. दोपहर को वह आ गयी, कहने लगी पति ने उससे झगड़ा किया, नशा करके आया था. उसे चोट लगी थी. पिछड़ा हुआ राज्य हो या विकसित, महिलाओं की स्थिति सभी जगह एक सी है. बेहोशी में आदमी वहशी हो जाता है. देश भर में महिलाओं के प्रति हिंसा बढ़ रही है. हिंसा की प्रवृत्ति मानव में दबी होती है पर आज के वातावरण में खुली छूट मिल गयी है, हाथ में मोबाइल आ गया है, जिस पर सब कुछ देखा-सुना जा रहा है, जो नहीं देखा जाना चाहिए वह भी. आज कौन सुरक्षित है, भय का वातावरण बन गया है सभी ओर. समाज पतन की ओर जा रहा है. शायद अँधियारा जितना गहरा होगा उजाला तभी प्रकट होगा. 


आज सुबह पांच बजे ही वे एयरपोर्ट के लिए निकले थे. फ्लाइट लेट थी, नाश्ता भी वहीं किया. समाचार सुने, कर्नाटक में बीजेपी ने बारह सीट जीत ली हैं, पंद्रह पर उपचुनाव हुआ था. मुंबई में छत्रपति शिवाजी हवाई अड्डे पर पहुंचे तो तापमान अधिक था. जो ड्राइवर उन्हें लेने आया था उसने कार पांचवें फ्लोर पर पार्क की हुई थी. लिफ्ट से वहां पहुँचे तो देखा अनेकों गाड़ियाँ वहां पार्क की हुई थीं. नवी मुंबई को पार करके वे ‘पूना एक्सप्रेस वे’ पर आ गए, जिसके बारे में कई बार सुना था. पहले गंतव्य  लोनावला पहुँचने से पहले खन्ड़ाला की पहाड़ियां दिखीं, पर वे वहां रुके नहीं. पहला पड़ाव था, वैक्स म्यूजियम, जहां कई और भी आकर्षण थे, सभी एक से बढ़कर एक. उनके लिए नए-नए अनुभव थे सभी. ९-डी में अनुभव भयभीत करने वाला था. 


अभी-अभी वे क्लब हाउस से रात्रि भोजन करके आये हैं, ‘देराजो’ नाम था उस रेस्तरां का. उससे पहले लाइब्रेरी में एक किताब पढ़ी, ‘द विज़डम ऑफ़ लाओत्से बाय लिन युतांग’. किताब बहुत अच्छी है, पढ़ने के लिए वह कमरे में ले आयी है. हिल्टन का यह रिजॉर्ट काफी बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है, दूर-दूर तक छोटे-छोटे विला बने हैं. नन्हे को जब उनकी मुंबई यात्रा का पता चला था तो उसने एक दिन लोनावला में बिताने के लिए इसे बुक कर दिया था। वे रिसेप्शन से छोटी कैब में बैठकर कमरे तक आये, हाथ-मुँह धोकर ‘योग साधना’ के लिए क्लब हाउस गए. पूल के किनारे एक तरफ एक रेस्तरां है दूसरी तरफ एक बड़े चबूतरे जैसा  स्थान. तीन अतिथि और बैठे थे वहां होटल के, योग टीचर प्राणायाम करवा रहे थे. सूर्यास्त का सुंदर दृश्य निहारा, सामने पहाड़ था जिसकी परछाई पूल के पानी में पड़ रही थी. 


आज सुबह भी वे जल्दी उठ गए थे, रिज़ॉर्ट की तरफ से ट्रैकिंग पर गए. जंगल के बीच से चढ़ाई करते हुए ऊँचाई पर स्थित एक पुराने मंदिर तक जाना एक नया अनुभव था. लगभग साढ़े दस बजे वे वहाँ से रवाना हुए. रास्ते में नारायणी धाम में रुके जो अति विशाल एक नया मंदिर है, कई गुलाब के फूलों के बगीचों से सजा यह स्थान बेहद आकर्षक है, वहाँ कोई विवाह समारोह चल रहा था, इसलिए और भी सजाया गया था. उसके बाद खंडाला में कुछ मिनट रुके, जहाँ से नीचे पहाड़ों पर बना एक्सप्रेस वे दिखाई देता है. लगभग ढाई बजे विवाह स्थल पर पहुँचे। मेहँदी का कार्यक्रम चल रहा था, संगीत का शोर बहुत था और हृदय पर आघात कर रहा था. भोजन के बाद वे एक घन्टा पार्टी में रहे, फिर कमरे में आ गए. 



अभी कुछ देर पहले वे निकट स्थित राजीव गाँधी उद्यान में टहलकर आये हैं, नीचे सड़क पर कूड़े का ढेर लगा था. शादियों का सीजन है, कल ही दो विवाह हुए, उसके बाद जो भी कचरा इकठ्ठा हुआ होगा शाद वही था. पार्क की हालत भी खस्ता थी, लोग काफी थी, कहीं योग साधना चल रही थी, कहीं जिम, दो लोग पेड़ से उलटे लटके थे, शायद कोई साधना रही होगी।  कहीं महिलाएं आपस में बातें कर रही थीं. वृद्ध बेंच पर बैठ कर आराम फरमा रहे थे. घास बेतरतीब थी, जो भी सरंचना पहले सुंदर रही होगी, टूटी-फूटी थी. प्लास्टिक की बोतलें, कागज जहां-तहाँ बिखरे थे. जो पार्क बेहद आकर्षक बन सकता था, उदासीन व अपने में ही गुम लोगों के कारण उदास लग रहा था. उल्हासनगर जरा भी नहीं बदला है. बीस वर्ष पहले वे यहाँ आए थे, तब भी हालात ऐसे ही थे. जून नीचे से अख़बार लेकर आये हैं, जिसमें असम में हुई हिंसा की खबरें हैं. नागरिक संशोधन बिल संसद में पास हो गया है, उसी के खिलाफ आंदोलन हो रहे हैं. सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है, लोगों को समझना होगा, वे व्यर्थ ही इतनी तीव्र प्रतिक्रिया दे रहे हैं.  कल रात साढ़े बारह बजे होटल लौट आये थे. अंगूठी पहनाने का कार्यक्रम अभी हुआ ही नहीं था, डांस आदि हो रहे थे. उन्होंने जल्दी खाना खाया, साढ़े ग्यारह बजे जल्दी नहीं कहा जायेगा, पर यहाँ पर शादी में होने वाली पार्टियाँ रात भर चलती हैं. सुबह तीन-चार बजे  तक चली होगी यह पार्टी भी. 


राष्ट्रपति ने नागरिकता संशोधन बिल को पास कर दिया है, अब यह कानून बन गया है. गोहाटी व डिब्रूगढ़ में कर्फ्यू लगा हुआ है, हिंसा की वारदातों के बाद यह जरूरी हो गया था. महिलाओं पर हिंसा की सबसे भयानक वारदात जो कुछ वर्ष पहले हुई थी, उसका फैसला आने वाला है. इस समय साढ़े आठ बजे हैं, वे नहा-धोकर तैयार हैं। सुबह पाँच बजे अपने आप ही नींद खुल गई, उसके पूर्व स्वप्न में स्वयं को राम का एक भजन गाते सुना, फिर एक अन्य भजन और एक ज्योति दिखी। सबके भीतर एक ज्योति है जो बिन बाती और बिन तेल के जल रही है। मन कितने सुंदर रूप धर लेता है, जब क्षण होता है। साक्षी भाव में टिका मन ही मुक्त है। विवाह दिन में होना है, शाम को रिसेप्शन पार्टी है। कल उन्हें वापस घर जाना है। 


Wednesday, April 7, 2021

वृक्ष और हवा

 

आज से दो वर्ष पूर्व बड़ी भतीजी का ब्याह हुआ था, पर उसने उसे ‘प्रथम वर्षगांठ पर बधाई’ का संदेश लिख दिया। मन अपने आप में नहीं रहता है जब, तब ऐसी गलतियाँ होती हैं। जिस मन में कोई उलझन न हो, लोभ न हो, चाह न हो, वह मन  ही स्थिर रह सकता है। आज सुबह वे बारी-बारी से घूमने गए क्योंकि उठने में देर हुई. नैनी समय पर  आ गयी, कल उसने छुट्टी ली है, विधान सभा का उपचुनाव है, कह  रही थी बीजेपी को वोट देगी। देश आर्थिक संकट से जूझ रहा है, सरकार प्रयास कर रही है पर हालात सुधर नहीं रहे हैं। आजकल समाचार सुनने का ज्यादा समय नहीं मिलता। वे टीवी कम ही खोलते हैं। दोपहर को थोड़ी देर एक फिल्म देखी ‘जोया फैक्टर’ अच्छी लगी। जून ज्यादातर समय मोबाइल पर कुछ देखते हैं। शाम को योग सत्र में टीचर ने हास्य आसन कराया, गरुड़ व वृक्ष आसन भी। एक घंटे के अभ्यास के बाद शरीर काफी हल्का हो जाता  है, और लचीला भी हो रहा है. कभी कभी वे बेल्ट, लकड़ी की ईंट और बड़ी सी गेंद का उपयोग करके कठिन आसन भी करते हैं। आज एक पूर्व परिचिता से बात की, उसने बहुत कोशिश करके अपना तबादला अपने गृह शहर में करवाया है। कह रही थी जिम जाने लगी है, वर्तमान पीढ़ी को योग की बजाय जिम अधिक रास आता है। आज भी छत पर सोलर पैनल लगाने का काम आगे बढ़ा. पूरा होने में लगभग दो महीने लगेंगे। 

जगत से सुख और प्रेम की आशा करना पानी को मथकर मक्खन निकालने जैसा ही है। यहाँ हृदय की बात सुनने का किसी के पास न ही धैर्य है न ही समय। स्वकेंद्रित मानव अपनी इच्छाओं की पूर्ति चाहता है और यदि कोई उसमें बाधक बनता है तो वह उस पर क्रोधित होता है। क्रोध का प्रभाव खुद पर ही होने वाला है वह यह भूल ही जाता है। आज सुबह टहलते समय भीतर कविता फूट रही थी। सारा अस्तित्व जैसे उसके भीतर सिमट आया हो। फेफड़ों के भीतर ताजी हवा वही तो थी जो चारों ओर बह रही थी।  सिर के ऊपर विस्तीर्ण आकाश था, अभी आकाश में चाँद था और तारे भी, भीतर का आकाश उसके साथ एक हो गया था। सुबह का समय कितना पावन होता है, मन भी खाली स्लेट की तरह, जिस पर जो चाहे लिखा जा सकता है। उसका प्रिय द्वादश मंत्र सुबह-सुबह हर श्वास-प्रश्वास में  स्वत: ही चलता है।  छत पर चल रहे काम के कारण काफी शोर था दोपहर को, गुरुनानक की कथा सुनते-सुनते सोयी। एक विचित्र स्वप्न देखा, एक बड़ा सा आदमी छोटा हो जाता है, कीट जितना छोटा। छोटे भाई के विवाह की वर्षगांठ है आज, बधाई दी। ननद से बात हुई, बिटिया के विवाह की बात चल रही है, पर वे लोग शाकाहारी नहीं हैं, और चाहते हैं, विवाह से पूर्व लड़की सब कुछ खाना व बनाना सीख जाए। भांजी ‘हाँ’ कहने से डर रही है। एक ब्लॉगर  की पुस्तक आयी है, उसने जून से कहा है अमेजन से खरीदने के लिए। कई दिनों से दीदी से बात नहीं हुई है, उसने व्हाट्सएप पर संदेश भेजा और  भगवान से दुआ मांगी, एक न एक दिन सब पूर्ववत हो ही जाएगा। 


रात्रि के नौ बजने वाले हैं। सोने से पूर्व का उसका डायरी लेखन का कार्य अब नियमित होता जा रहा है। कुछ देर पहले वे टहल कर आए, रात की रानी के पौधों की खुशबू अभी नासिका में भरी ही हुई थी कि मोड़ पर एक मीठी सी जानी-पहचानी खुशबू आयी, चम्पा की सुवास, और वाकई वहाँ तीन-चार पेड़ थे। चम्पा के फूल अभी ज्यादा नहीं थे, पर एक खिला फूल तोड़ा जो शायद कल  झरने ही वाला था, उसके सामने पड़ा है, श्वेत पंखुड़ियों वाला सुंदर पुष्प ! शाम को मृणाल ज्योति के डायरेक्टर का फोन आया, जो स्कूल की तरक्की की बातें बता रहे थे, अच्छा लगा सुनकर। अगले हफ्ते वे महाराष्ट्र की एक छोटी सी यात्रा के लिए जाने वाले हैं, दोपहर को पैकिंग की. आज सुबह गांव की तरफ टहलने गए थे वे, मन्दिर के पास वाला इमली का पेड़ फलों से भरा हुआ है, पर उन्हें तोड़ना नहीं आता. एलोवेरा का एक स्वस्थ पौधा रास्ते के किनारे पड़ा था, शायद किसी ने गमले से निकाल कर उसी समय वहां रखा था, वे उसे उठाकर लाये और घर के पीछे वाली क्यारी में लगा दिया है. आज छोटे भाई ने बताया शायद वह क्रिसमस पर यहाँ आये. 


उस कालेज की डायरी में एक कविता उसे दिखी, शायद हवा के बारे में किसी अंग्रेजी कविता को पढ़कर लिखी थीं ये पंक्तियाँ -


क्यों चाहे वह मुझ संग होना 

मेरे संग मेरे कमरे में 

उसके लिये संसार उपस्थित 

कितनी गलियां कितने गाँव 

लेकिन वह फिर-फिर आ जाये 

खोल के मेरी खिड़की के पट 

संग ले आये कुछ बौछारें 

मेरा दरवाजा खटकाये

बंद देख एक पल चुप हो 

क्षण बीते न फिर आ जाये 

पट खड़काये

नंगे पैर फर्श है ठंडा 

मैं घबरा कर द्वार खोलती 

वह तेजी से अंदर आये 

इक पल ठहरे फिर मुड़ जाये 

खुश हो जब दीपक बुझ जाये !


‘एक वृक्ष -एक गवाही नाम से’ अगले पन्ने पर लिखा था 


मैं गवाह हूँ 

मैं गवाह…

उस क्षण से लेकर आज तक 

जब प्रथम बार मेरे पत्तों ने आँखें खोली थीं 

और फिर जब मेरी डालियाँ भर गयी थीं फूलों से 

हर वर्ष, वर्षा, तूफान, भीषण शीत को सहते 

मेरे तन पर कुल्हाड़ी की धार सहते क्षण का भी 

परन्तु हर बार बसन्त की प्रतीक्षा में 

मेरे अंदर का साहस मृत नहीं हुआ..