Saturday, May 31, 2014

अच्छी किताबें


आज सुबह से दो बार असमिया सखी का फोन आ चुका है, अच्छा लगा, मित्रता की बेल मुरझा भले ही जाये पर सूखती नहीं, कभी-कभी खिल उठती है और अब तो उसके मन में सिर्फ उसके लिए ही नहीं सभी के लिए असीम स्नेह और शुभकामनायें हैं, जहाँ आनंद है, प्रेम है वहाँ दुःख और द्वेष रह ही कहाँ सकते हैं. भगवान बुद्ध भी कहते हैं, मन में उठे विकार को यदि कोई ग्रहण करे तभी उसका भागी होगा. यदि साक्षी भाव में रहे तो वह खुदबखुद समुद्र में उठी लहर की तरह नष्ट हो जायेगा. न दुःख के प्रति द्वेष न सुख के प्रति आसक्ति, मध्यम मार्ग का अनुसरण ही किसी को हर पल हल्का रख सकता है. कल बहुत दिनों बाद माँ-पिता का पत्र मिला, पिता ने लिखा है, अच्छी किताबें पढ़ने से मन का विस्तार होता है और विस्तृत मन में सभी कुछ समा सकता है. संकीर्ण मनोवृत्ति और अहम् की तुष्टि ही सारे विकारों की जड़ है. संसार में जहाँ भी दुःख है, अहम् के कारण है और जहाँ भी सुख है वह निस्वार्थ भावना के पोषित होने पर है. जब मानव मन समग्रता को सत्य माने, टुकड़ों में बंटे नहीं, सम्पूर्ण जीवन को और मृत्यु को भी एक अनंत की यात्रा समझे तो कहीं विछोह नहीं, कहीं पीड़ा नहीं, दुःख नहीं, सभी एक ही मंजिल के यात्री हैं. उसने प्रार्थना की यह सद्शिक्षा उसके जीवन को सदा प्रफ्फुलित रखे.

उसने पढ़ा, “हम लोग आत्मसुख रूपी विशाल सागर से निकल कर इन्द्रिय सुख रूपी छोटी-छोटी नदियों में आ जाने वाली मछलियाँ हैं, सागर में हम ज्यादा सुखी व संतुष्ट थीं पर मूढ़तावश उथले-गंदले पानी वाली इन नालियों में तड़प रही हैं, जीवन में प्रत्येक क्षण हमारे पास चुनाव का अवसर आता है, चुनना हमारे हाथ में है पर हर बार हम सागर को छोड़ उथला पानी ही चुनते हैं”. उसे याद आया, बचपन में उसने अध्यापिका की डांट से बचने के लिए अपनी भूगोल की कापी में उनके हस्ताक्षर स्वयं कर दिए थे, जिसका अफ़सोस उसे आज तक है और अभी तक वह स्वयं को क्षमा नहीं कर पायी है. इसके अलावा एक बार किसी का खत पढ़ा था, पर तब वह बड़ी थी सो उसका दुःख ज्यादा नहीं है. सम्भवतः बच्चा जब बड़ा होता है, अपने इर्दगिर्द होते झूठ, बेईमानी और असत्य के कार्य-कलाप को दखकर उसका मन भी उसे ही ठीक मानने लगता है और अबोध अवस्था में वह कोई गलत कार्य कर देता है जिस पर बड़ा होने पर उसे पछतावा होता है.

It is raining cats and dog since last night, every plant, leaf and each flower is quenching her thirst of water. It was so hot yesterday, they all were dry and needed water and lo.. God gave them enough ! similarly God fulfills their wishes all big and small. He takes care of his creation. She is grateful to Him, for giving her shelter, food and clothes, for immense love, for understanding, for desire to know Him, for the search of TRUTH, sky like nature of mind, for the inner sense, for attractions in the world which deviate her from path of truth, but He helps her on keeping on the right path. The one and only aim of life is to attain Him, after knowing the true nature of mind. Ahankar is illusion and to pamper it, is great hindrance on the way of truth. Let going is freedom, freedom from habits of many life and deaths. Freedom from anxious mind, worries and tension. When GOD is always with one in the heart of his heart then who cares about trivialities of life.

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Friday, May 30, 2014

सत्य की खोज


Today she got younger sister’s letter, she was having sour throat and body ache when she wrote this, was feeling low and then she remembered her. Nuna thought, will talk to her and write also. Hoped by now she might have recovered and is again hopeful and happy. She read in tibaten book,” Nature of your mind is always there sky like radiant, blissful, limitless and unchanging.” So why should she think of herself mean. Yes,  there are so many things which  she should do but does not do and many times in the past she has spoken harsh words and in future she may but at present she is ok, trying to find the ultimate truth.

Her student came in the morning, she likes her and talking to her is enjoyable. She asked about coal shell plant, internet, y2k, and books. Nuna could not tell her much about these things because she herself is ignorant. She thought, one does not know much but pretend to know everything. There are so many things around them which need their attention but….last night she was tired slept early, they had went to play after many weeks. In the afternoon she wasted much precious time in idle thinking. Today feeling better, always cherishing self and grasping self, even for a single second she is not free from self then how can she expect to live at ease, content and in peace with herself. She wants to do something better and in this futile search can not do even simple things. Life as such is great so why the urge to make it greater.  

मन प्रश्नों से घिरा है, अंतर्मन से उपजें ऐसे शब्द कहाँ से लाये ?
भाव अर्चना हो जाएँ, हो श्वास सार्थक, सत्य निकट आ जाये, ऐसा हृदय कहाँ से लाये ?
विश्वासी मन हो, विश्वास करे जिसका ऐसे राम कहाँ से लाये ?
खाली-खाली सा जीवन, रहा अधूरा सा हरदम मन, शांति और संतोष खजाना लेकिन कहाँ से पाए?  अंतहीन भटकन यह अंतहीन रस्ते ठौर कहाँ पाए ?
क्यों न ठहरे मन जिससे सुफलित हो जीवन, संशय, असंतोष के दानव, देव हरा दे लेकिन ऐसा देव कहाँ से लाये?
जो है, वह कम है, जो किया वह कम किया, वह  समुचित नहीं, व्यर्थ है यह सब, व्यर्थ है वह  सब, जीना व्यर्थ है, जीने का यह ढंग गलत है पर सही कहाँ से लाये ?
इन प्रश्नों का ऊत्तर मन में, अंतर्मन में डूब सके तो पाए !

उसने सोचा, क्या कभी कोई ऐसी स्थिति आ सकती है जब कोई पूर्णतया स्वार्थ मुक्त हो जाये, अपना सुख दूसरों के सुख में ही ढूँढे, विचार समुचित हों, कार्य, उद्देश्य, आशाएं सभी समुचित हों, जीवन एक शांत नदी की तरह बहता चला जाये नदी जो दूसरों को अमृत सा जल देती है, शीतलता देती है.


Thursday, May 29, 2014

धूल का बादल


आज सुबह उसके घर के दरवाजे पर एक deaf and dumb (उसके हाथ में पकड़े फोल्डर के अनुसार ) सहायता मांगने आया पर अभ्यास वश उसने उसकी पुकार (मूक) सुनी ही नहीं, अनसुनी कर दी. बाद में सोचा, अगर उसकी कुछ सहायता कर दी होती तो उनका क्या घट जाता.
फिर कुछ दिनों का अन्तराल, उस दिन माँ-पिता को जाना था, अगले चार दिन घर की सफाई, स्वेटर्स की धुलाई आदि में व्यस्त रही. धूप भी दिखानी थी गर्म कपड़ों को, पर धूप निकल ही नहीं रही है, अख़बार में आया था कि पूरे असम के ऊपर धूल का एक बड़ा बादल छा गया है., वर्षा पिछले कई हफ्तों से नहीं हुई है. कल शाम वे अपने पड़ोसी के यहाँ गये, साथ-साथ रहते हुए उन्हें वर्षों होने को आये हैं, अच्छे किन्तु औपचारिक ही कहे जाएँ, ऐसे सम्बन्ध हैं उनके मध्य, जो उन दोनों परिवारों को सूट करते हैं. जब मिले तो पूरे मन से नहीं तो किसी के व्यक्तिगत जीवन में कोई झांक-ताक नहीं. उसकी आँखें जाने क्यों आज बंद हो रही हैं, हल्का सा दर्द है, उस दिन पढ़ा था कि डायरी में न ही मौसम का जिक्र होना चाहिए और न ही छोटी-मोटी बीमारियों का, लेकिन लिखने के लिए उसके पास और भी बहुत कुछ है, खुद की शिकायत भी तो करनी है, पिछले तीन-चार दिनों से संगीत का अभ्यास भी नहीं हुआ है. दो दोपहरें सिलाई के काम में गुजर गयीं. मन पर नजर रखने का अभ्यास भी शिथिल हुआ एक दो बार, माँ-पापा के साथ चाहकर भी बहुत खुला व्यवहार नहीं कर पाती वह, निकटता से घबराहट होती है. अपनी आजादी, अपना आप इतना महत्वपूर्ण लगता है कि अपने इर्द-गिर्द एक घेरा सा बना लिया था. उस समय वही ठीक लगता था अब भी वही ठीक लगता है, कम से कम उनकी अपेक्षाएं बढ़ेंगी तो नहीं.

जिन्दगी यूँ ही चली जा रही है, बेमकसद, बेमजा, हर वक्त मन अपने आप से पूछता है ? क्या समाचार है ? और मन अंजान सा बना टप-टप बरसती बूंदों को तकता, धरती से उमड़ती सोंधी गंध को सूँघता ठगा सा खड़ा रहता है. जीवन कुछ और भी तो हो सकता था, कुछ खोज लिए, कोई तलाश लिए, बामकसद और अर्थपूर्ण. सांसें क्यों व्यर्थ सी जाती प्रतीत होती हैं, क्यों लगता है कि हीरा जन्म गंवाया, आकाश भी तो बस है, धरती भी तो बस है, वे भी सिर्फ हों ऐसा क्यों नहीं होता. उनका मन भी बस हो, जैसा है वैसा का वैसा, न एक रत्ती भर इधर न उधर, बस एक पेड़ की तरह सिर्फ होना भर क्या मनुष्य के लिए कभी नहीं, नहीं जी, मनुष्य को तो बड़े-बड़े काम करने हैं, नाम करना है.


मंजिल अभी दूर है, लेकिन रास्ते का पता है सो भय की कोई बात नहीं, पिछले कई वर्षों से वह आध्यात्मिक पुस्तकें पढ़ती आ रही है, अपने मन को समझने लगी है अब. जिस ओर हवा बह रही है उसी ओर मन की नाव नहीं बह जाती बल्कि सोच-समझ कर नियंत्रित कर सकती है, अपने अंदर के विकारों को खूब देख पाती है और मन यदि कोई गलती कर रहा होता है तो बखूबी जानता है, मात्र जानना ही पर्याप्त नहीं है, मानना भी पड़ेगा कि स्वार्थ सिद्धि और आत्म कल्याण य आत्म सुख की प्राप्ति ही जीवन का लक्ष्य न बन जाये. अध्यात्म की साधना में व्यक्ति नितांत अकेला होता है, उसे एकांत चाहिये और सांसारिक बन्धनों से जितना मुक्त हो सके उतना ही श्रेष्ठ है. यदि अपने आप को शांत या मुक्त रखना आ गया तो जीवन में कहीं भी दुःख या रोष तो नहीं व्यापेगा.  

Wednesday, May 28, 2014

द तिबतियन बुक ऑफ़ लिविंग एंड डाइंग


She is waiting for Nanha to vacate the bathroom he is there since last one hour, he has to go his school with jun to bring his new books and dress  for new class. Today in the morning when she saw the capsicum bed, became sad to see its bad condition but then recalled ‘The Gospel of Buddha’ immediately became cheerful again and arranged it to be cleaned. Everything depends upon the mental state ie attitude which one  takes  towards various things. Ma-papa are sitting outside in the sun.
कल शाम माँ ने रास्ते में, जब वे घूम कर आ रहे थे, पिता की कठोरता की शिकायत की. उनका स्वभाव बच्चों जैसा है, मानसिक विकास भी उनका वहीं तक सीमित है, स्कूल कभी गयी नहीं, सीधा-सपाट मन जो प्रेम से भरा है और मीठी बोली, पर घर में सभी उनकी अस्वस्थता व भोलेपन की वजह से उन पर हुकुम चलाना अपना अधिकार समझते हैं. कोई उन्हें गम्भीरता से नहीं लेता. इसका उन्हें दुःख था.

Today is Women’s day ! she is proud to be a woman. Just now read another chapters  in ‘The gospel of Buddha’ and ‘The Tibetan book of living and dying’. Both are full of knowledge and stimulate the mind. They say all are changing with this continuously changing world. Today  weather is cloudy and cold. Her inside is also dull , feeling some fullness in stomach and hips. May be this is due to not doing exercise properly today. Yesterday they had a get together with DPS people. Nanha ‘s  maths teacher praised him very much she was happy to hear all the praise coming from all the sides. It is a great satisfaction to have a son or daughter  who is intelligent and laborious. Today she could not practice music but still there is time.

Last night it rained so weather is pleasant now. Surroundings are green and clean, wind is cool and so is earth, wet and cool. Tibetan master has advised-
Always recognize the dream like qualities of life and reduce attachment and aversion. Practice good-heartedness toward all beings. Be loving and compassionate, no matter what others do to you. What they will do not matters so much when you see it as a dream. The trick is to have positive intention during the dream. This is the essential point. This is true spirituality.
William black said-
He who binds to himself a joy
 Does the winged life destroy
He who kisses the joy as it flies
Lives in eternity’s Sun rise.

Every thing around us is bound to change so it is futile to hope for permanence and security. To let go is to love. When one lose someone he realizes  that he loves him/her.

कल उसने कुछ नहीं लिखा, ऐसा लगा जैसे लिखने को कुछ है ही नहीं. इस वक्त लेकिन मन में कितना कुछ है. सुबह छह बजे से कुछ पहले ही उठी, कल शाम को घर से जनवरी का लिखा खत आया, महीनों बाद लेकिन पूरा नहीं पढ़ा, उसके बाद का खत भी आ चुका है और फोन से बात भी हो चुकी है सो पत्र पढ़ने का उत्साह ही नहीं हुआ. वैसे भी घर पर मेहमान आये हुए हों तो दिमाग एक ही तरफ रहता है. परसों वे लोग यानि माँ-पापा वापस जा रहे हैं सो उसके बाद ही सभी पत्रों का जवाब दे पायेगी. मन की सहज स्वाभाविक स्थिति देर तक नहीं रह पाती, कभी-कभी शिकायती हो जाता है, एक क्षण में कैसे जीया जाता है कल यही पढ़ रही थी पर थोड़ी देर तक ही याद रहता है फिर सुविधाजीवी मन थोड़ी सी असुविधा भी सहन नहीं कर पाता और जाले बुनने लगता है.
वह कल का खत उसने आज पढ़ा, मन आर्द्र हो उठा है, पिता ने उसके उस पहले पत्र में व्यक्त भावों की कितनी अच्छी तरह समझा और जवाब दिया और वह सोचती रही कि उसका पत्र बिना जवाब के रह गया. डाकविभाग की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है लोगों के बीच गलतफहमी पैदा करने में. उसे भी अब एक खत लिखना है जो उम्मीद करती है वक्त से मिल जायेगा.

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Tuesday, May 27, 2014

होली की गुझिया


Her mind is full of worries of all kind. It is not a good sign. Last night when jun asked about application and bio data for forthcoming interview, she was nervous, why is it so ? she has no confidence. She does not believe in herself,  thinks, she is a loser but then she thought, she could do any thing in the world. यह भीरूता यह कायरता उसमें  से आ गयी है, क्या यह उसके विकारों का प्रभाव है, विकार जो राग-द्वेष से उत्पन्न होते हैं, राग-द्वेष जो अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थिति  मिलने पर निर्भर करते हैं. मन को शांत रखने का उस पर नजर रखने का कार्य तो वह हर वक्त करने का प्रयास करती है, पर उसके मानसिक उद्वेगों का सबसे ज्यादा प्रभाव उसके बाद जून को पड़ता है, पर उनका  प्रेम इतना विशाल है कि उसकी सारी कमियों को नजर-अंदाज कर देता है. He is so loving and caring by heart. He is a jewel, a best thing ever happened to her. She loves him so much and respects him as much. उसका विशाल हृदय नूना के क्षुद्र हृदय की कमियों को भी ढांप लेता है, वह उसके जैसा बनने का प्रयास करेगी, मनसा, वाचा, कर्मणा तीनों तरह से.

Month of march ! month of colours, holi, joy and flowers, month of mango baur  and coo coo of koel,month of hope and happiness. Last night she heard her Assamese song and poem with some friends and felt a different feeling of achievement and satisfaction. Now she wants to record some other songs also. she is at ease with herself, Today their AC is being serviced so can  not sing.

कल रात पहले तो तेज वर्षा व तूफान की वजह से नींद में खलल पड़ा फिर स्वप्नों के कारण नींद गहरी नहीं आई शायद यही कारण है आँखें भारी हैं. सुबह-सुबह अपने आप मन में होली के लिए पंक्तियाँ उभरने लगीं और देखते ही देखते उन सभी के लिए दो-दो लाइनें तैयार हैं जो होली के विशेष भोज में सम्मिलित होने आयेंगे. कल शाम उन्होंने गुलाब-जामुन बनाये, आज गुझिया बनानी हैं.  सुबह-सुबह ही दीदी का फोन आया, वह सोच ही रही थी कि घंटी बजी, वहाँ सभी लोग आज होली खेल रहे हैं.

कल होली थी, रंगों का यह उत्सव उन्होंने सोल्लास मनाया. कल ही नन्हे का परीक्षा परिणाम भी मिला, उसे बहुत अच्छे अंक मिले हैं. उसके साथ-साथ नूना की भी मेहनत का नतीजा है सो ख़ुशी स्वाभाविक है, पर यह तो शुरुआत है अगले दो-तीन सालों में उसे और मेहनत करनी होगी, उसे भी ज्यादा समय देना होगा. नन्हा इस वक्त दादा-दादी के साथ टीवी देख रहा है, कुछ दिनों की बात है फिर वे और उनकी वही दिनचर्या रह जाएगी. The Gospel of Buddha उसे सही समय पर मिली है, उसका मन जो छोटी-छोटी बातों से परेशान हो जाता है, परिस्थितियां थोड़ी सी भी प्रतिकूल हुईं की संतुलन बिगड़ने लगता है, सहनशक्ति का इस्तेमाल करना तो दूर की बात है सहन करना चाहिए इसी बात को सिरे से गलत मानने लगता है. क्रोध, द्वेष और नफरत के बीच स्वयं को जलाने लगता है, ऐसे में प्यार, आदर्श और सत्य के महत्व को दर्शाता भगवान बुद्ध का उपदेश मन पर मरहम सा लगता है. कितने सादे-सरल शब्दों में जीवन के रहस्यों को सुलझा कर रख दिया है. मन पर हर वक्त नजर रखते हुए जीवन यात्रा में सुख के रास्तों पर चला जा सकता है वरना काँटों की चुभन से बचने का कोई उपाय नहीं. Mind is the source either of bliss or of corruption.




Monday, May 26, 2014

मसाला दोसे का डिनर


सुबह के आवश्यक कार्य समाप्त कर उसने लिखना शुरू किया है, नन्हा कल की परीक्षा की तयारी कर रहा है. कल शाम पड़ोसिन ने क्लब की मीटिंग में गए जाने वाले गीत के अभ्यास के लिए चलने को कहा तो उसने मना कर दिया. उसके बाद जून और उसके बीच उसके घर से बाहर जाने को लेकर फिर चर्चा हुई हर साल की तरह. उन्हें अपनी बात समझाने में वह सफल हो भी पायी या नहीं पता नहीं, क्योंकि वह समझना ही नहीं चाहते. शनिवार को माँ-पिता आ रहे है और उसके बाद उसे घर से निकलना ही नहीं है सिवाय मीटिंग वाले दिन के यह उनका कहना है पर उसे लगता है शायद ही ऐसा हो. कल रात फिर स्वप्न में सभी को देखा, लडकियाँ बड़ी हो चुकी हैं, यह शुभ संकेत है. अभी कुछ देर पहले किन्हीं महिला का फोन आया, उनका पुत्र दसवीं में जायेगा तो उसके लिए DPS के बारे में जानकारी हासिल कर रही थीं जो बीच-बीच में जाहिर करती जा रही थीं.

पिछले दो दिन वह कुछ नहीं लिख सकी, कल किचन में सफेदी और रंग हुआ परसों कुछ अन्य व्यस्तता रही होगी. इस वक्त आकाश से महीन झींसी झर रही है. चेहरे पर इसकी हल्की छुअन सिहरन उत्पन्न कर रही है. आज नन्हे की संस्कृत की परीक्षा है. इसके बाद दो ही शेष हैं कल शाम किचन व्यवस्थित न होने के कारण खाना घर पर न बनाकर क्लब से लाना पड़ा, खूब मिर्च-मसाले वाला दोसा खाकर पहले से ही नासाज उसके उदर ने जलकर शिकायत दर्ज की है. नन्हा भी सुबह दूध पीकर नहीं गया, जरुर कल रात के भोजन का योगदान रहा होगा इसमें. उसने मीटिंग में पढने के लिए कविताओं का चयन कर लिया है, जून को भी वे पसंद आयीं.

शनि की सुबह छह बजे जून उन्हें लेकर आ गये, वह सुबह पौने चार बजे ही उन्हें लेने चले गये थे. ४८ घंटे की यात्रा के बाद माँ-पापा यहाँ आये हैं, वे तीनों ही प्रयास करेंगे कि उनका यहाँ का निवास सुखद हो. इस समय जून उन्हें लेकर अस्पताल गये हैं. शनि की दोपहर को ही वाजपेयी जी की बस यात्रा का विवरण टीवी पर देखा, कितनी पुरानी स्मृतियाँ सजीव हो उठीं, फिर गाने की रिहर्सल के लिए भी गयी. इतवार की शाम एक पार्टी में जाना था, सोमवार को जून का स्वेटर बनाया और आज मंगल है, उसके मन में आजकल मिली-जुली भावनाएं रहती हैं, दिल खोल के स्वागत-सत्कार करे ऐसा हो नहीं पाता, एक झिझक सी रहती ही है, खैर सम्मानजनक दूरी बनाये रखना ही ठीक है. कल सुबह माँ ने वर्षों पूर्व घटी घटना को याद करके आँसू बहाये, इसी कारण वह अति निकटता नहीं चाहती. वह इतने सालों बाद भी वैसी ही हैं, कुछ लोग शायद ऐसे ही होते हैं, ताउम्र बच्चे ही बने रहते हैं. उसके कल के व्यवहार से जून को तकलीफ जरूर हुई होगी पर उसका मन्तव्य वह भली भांति समझ गये होंगे. अपने घर में अपनी आजादी खोना किसी को नहीं भाता.  

जून कल लंच पर नहीं आए, उन्हें फील्ड जाना था, वहाँ भी काफी देर से उन्हें भोजन मिला, फोन पर जब यह उसे पता चला तो उसका हृदय द्रवित हो उठा. उसे रात की बात याद हो आई, क्लब में उसकी कविताओं की तारीफ हुई थी, सेक्रेटरी ने जब यह पूछा, क्या ये उसने स्वयं लिखी हैं, तो उसे भी यकीन हो गया उन्हें वे अच्छी लगी हैं. वापस आई तो सब भोजन के लिए प्रतीक्षा कर रहे थे. छोटी बहन का पत्र आया है, उसकी तरह नूना अपनी बातें सभी से कह नहीं पाती, पर देखा जाये तो कहने को कुछ है भी नहीं, सारी समस्याएं तो औरों के लिए हैं. वह किसी भी स्तर पर स्वयं को जुड़ा हुआ नहीं पाती इसी लिए शायद अपनी समस्या बताकर सहानुभूति हासिल करना नहीं आता. वह अस्वस्थता को अपना हथियार बनाना नहीं चाहती.

After many days she is sitting in the lawn on the green grass beside rose bushes, feeling the touch of grass blades on sole / soul. They have just taken breakfast, Nanha is still eating and watching tv. He went second day for jogging and will go for tennis in the afternoon. It is good for him to play and run in the holidays, when school reopens he will have to remain closed in the house and school most of the time. She is feeling his joy of freedom. She also did exercise and is planning to riyaz also for one hour while ma-papa will watch TV. Last night she told jun about her fears and aspirations he solved her all problems by saying that it depends on person to person. He has gone to field today also. Today in the afternoon he has organized a meeting of all DPS going children’s fathers.


Thursday, May 22, 2014

द डायरी ऑफ़ ए यंग गर्ल


It is second month of the year and she welcomed its day first with joy, weather is pleasant, she has just come back from weekly music class. Teacher is a simple Bengali woman, so sometimes her hindi is not good but music has one language all over the world. Today is also first day of the week, Nanha was ready to go to school but could not go due to some band call, which is very common in this part of country. Aasu, Ulfa and sometimes bodo call band and life gets disrupted. Nanha is studying History for exam. Jun talked to father and then to his friend to get ticket for them. They may come during month end and then they may celebrate holi together.


इस वक्त उसके मस्तिष्क में एक से ज्यादा बातें घूम रही हैं, पहली बात तो इस किताब को लेकर है, The meaning of culture काफी कठिन किताब है और कभी-कभी किसी पेज पर कोई सरल बात मिल जाती है, लेखक के नजरिये को वह समझ नहीं पाती पर जब उसकी ही कोई बात लेखक कह देता है तो लगता है इसे वापस न किया जाये. दूसरी बात आज के लंच को लेकर है, उसने सिर्फ ढेर सी सब्जियां और पनीर भी डालकर एक डिश बनाई है, दाल खाने का मूड नहीं है, और अभी-अभी जून का फोन आया वह आज लंच घर पर नहीं करेंगे, तो समस्या का निदान अपने आप ही हो गया. उसने सोचा पहले जून के लंच पर न आने पर उसे असुविधा होती थी और अब..

She is enjoying reading that book, the diary of a young girl, who was in prison for almost two years.  she liked her cheerfulness, her ambition to become a writer and her hobby of reading so many books, collecting family trees and pictures. She is such a charming intelligent courageous and sweet friend. How strange but how true, books affects us more than man-woman of ordinary character.

Last night she finished the book by Anne frank, and when she read about her death with all the members of family except her father, she bitterly wept. She was so sad and dream t of gestation and prison. Why had she face d such misery, such a girl full of life and full of hope. She prayed for her and for all who had to die because they were Jews. This world is such a cruel place but Anne loved this world as it is. One should try to see the positive side always.

She read in the first chapter of The Gospel of Buddha, that selfless is happy. Buddha says about nirvana when one does not take rebirth is blessed permanently but she thinks she likes this world, its beauty, is vastness, its diversity and to be here with sorrow or  joy makes no difference.


कल समाचारों में सुना बिहार में रणवीर सेना ने फिर दलितों की हत्या की है, जीवन कितना सस्ता हो गया है या सदा से ही था. ताकतवर लोग पशु से भी नीचे उतर जाते है, यह दुनिया हमेशा से ऐसी ही थी या अब पतन की ओर बढ़ रही है, इतिहास में झांकें तो लड़ाइयों से भरा पड़ा है, लेकिन सुंदर इमारतें, साहित्य रचना, सुंदर शहर और उपवन ये भी तो उन्हीं राजाओं की देन  है. हर युग में जहाँ रावण होते हैं राम भी होते हैं. कल रात को बहुत लम्बा अजीब सा स्वप्न देखा जिसमें वह स्वयं की मृत देह को पानी में हरे वस्त्र में लिपटे हुए देखती है. वे एक पहाड़ी स्थान पर घूमने गये हैं फिर कुछ पुरानी जगहें और लोगों को देखा, कितना स्पष्ट था सब कुछ. पिता, बड़ी बहन और मंझले भाई को काफी परेशान देखा, और वह उन्हें कुछ समझा रही थी जैसे, दिन में उसने फोन किया सभी ठीक हैं, माँ को कल से बुखार है, उसने सोचा एक-दो दिन बाद फिर फोन करेगी. स्वप्न कोई संकेत देने आते हैं या चेतावनी या आने वाले समय के लिए स्वयं को तैयार करने के लिए. खैर, आज नन्हे का चौथा इम्तहान है, कल-परसों उसे हिंदी पढ़ाती रही, खुद भी कई बातें सीखीं, समास आदि को पढ़े हुए कितने साल हो गये हैं.

Tuesday, May 20, 2014

माटी की महक से उगती कविता



It is a warm pleasant morning, she has done all morning chores and has half an hour to think and write. Life is going on smoothly, all seems to be well and as per planned. Yesterday in the meeting  went to the mike and sang four lines of one Assamese song which she had learned last year for chorus competition. She was testing herself and one friend said it was not bad, enjoyed the rangoli competition also, which was well arranged.  Today while ironing the idea of publishing her book of of poems came to her mind. She has to select, refine and arrange them which are in different diaries. Books are her real friend and to own self written book would be a great thing.  

जीवन की छोटी-छोटी खुशियों, सफलता और आशाओं के हिंडोले में झूलता मन संतुष्ट प्रतीत होता है. करने को इतना कुछ है, खोजने को, देखने को, ढूँढने को, महसूस करने को और सजाने-संवारने को, पढने-लिखने को, गुनने और गुनगुनाने को कि किसी और बात की ओर ध्यान नहीं जाता, राजनीति, अख़बार की सुर्खियाँ व्यर्थ लगती हैं, धर्म के नाम पर जाति के नाम पर हिंसा के अतिरिक्त ये राजनेता समाज को क्या देते आ रहे हैं ?

उस क्षण से वह बात उसके मन में मंडरा रही है, अपनी उस तथाकथित मूर्खता पर मन कभी चिढ़ता है कभी हँसता भी है, लेकिन एक पल के लिय भी भूलता नहीं, हो सकता है कुछ देर और सताये फिर अपने आप ही किसी कोने में थक कर बैठ जाये आखिर कितनी देर उछले-कूदेगी. रह-रह कर जो कचोटता है वह उसकी चेतना है या उसकी भीरुता, कुछ समझ में नहीं आता, क्यों अपनी ही समझ से परे हो गयी है, उसे वह करना उचित था या नहीं स्वयं ही इसका फैसला करने में असमर्थ है, इसे ही विडम्बना कहते हैं सो उसने तय किया इसका फैसला वक्त पर छोडती है. आज भी कल का सा वक्त है, कल शाम कम्प्यूटर पर एक कविता लिखी और एक(वही जिसको लेकर मन में इतनी उथल-पुथल मची है) रिकार्ड की. आज बहुत दिनों बाद टीवी पर एक साहित्यिक कार्यक्रम देखा. हिंदी के समालोचक डा. नामवर सिंह के साथ एक कविताओं की किताब( कवि कुमार अंजुम या ऐसा ही कुछ नाम था) पर एक चर्चा थी, ‘झूठ का संसार’ और ‘हारमोनियम की दुकान से’ दो कविताएँ सुनीं. कवि का मुख्य स्वर मुक्त होने की आकांक्षा है, सीधे सपाट शब्दों में उसने भी मुक्ति की आशा व्यक्त करती एक कविता लिखी थी जो इस बार की क्लब मैगज़ीन में छपी है.

जनवरी विदा लेने को है, नया साल आया और एक महीना सौगात में दे गया. कल रात वर्षा हुई, सुबह उठे तो मिट्टी की सोंधी महक पूरे वातावरण में व्याप्त थी, एक तरफ सूरज भी चमक रहा था वहीं बादल भी गरज रहे थे, पर अब चारों ओर शांति है. हल्की सी धूप है. The meaning of culture में culture and poetry पढ़ रही थी, जीवन में कविता तत्व का होना भी सुसंकृत होने का प्रमाण है. रोजमर्रा के जीवन में कई ऐसे अनुभव होते हैं, ऐसे दृश्य दीखते हैं जिनमें कविता छुपी होती है, पतझड़ के पीले झरे पात, काले बादलों की ओट से झांकता रक्तिम रवि, घास में खिला एक अकेला पुष्प और इन सबसे प्रभावित होता संवेदनशील मन व नयन. कोई नया विचार, विचार भी विचार को जन्म देता है. कल एक परिचिता घर आयीं जो पिछले एक साल से कह रही थीं, उन्हें कुछ हिंदी गाने और गजलें लिखवानी थीं, कैसेट दे गयी हैं. रोचक काम है !

एक शीतलता से भरा रविवार का दिन.. उसने वही नई ड्रेस पहनी है जो पिछले हफ्ते स्वयं सिली थी. एक नई पुस्तक भी पढ़नी शुरू की है, The diary of a young girl by Anne Frank. बहुत रोचक किताब है. नन्हा अपने इम्तहान की तैयारी में व्यस्त है. जून टीवी पर शबाना आजमी की एक नई फिल्म देख रहे हैं, ‘बड़ा दिन’. बीच-बीच में वह भी देख लेती है.





मैटिल्डा - रोआल्ड डाल का रोचक उपन्यास


जाने कितना बोझ मन पर उठाये वह घूमती रहती है, कभी-कभी बोझ हल्का हो जाता है पर फिर चढ़ जाता है. अपनी असमर्थता का बोझ, आलस्य का, कर्महीनता का, समय के साथ न चल पाने का, अधूरे कामों का और प्रमाद में ड़ूबे रहने का बोझ. हर वक्त कोई सम्भालता रहे, संवारता रहे ऐसा तो सम्भव नहीं, कोई दीये की बाती भर चढ़ा देगा, रास्ता तो खुद ही तय करना होगा कोई नक्शा बना कर दे देगा मंजिल तो खुद ढूँढनी होगी. इस बोझ तले दबे-दबे आत्मविश्वास भी चूर-चूर हो जाता है और जीवन जो कभी अर्थमय हो गया था, अर्थहीन नजर आता है. स्वयं से अपेक्षाएं न रखे ऐसा भी नहीं हो सकता, फिर उन अपेक्षाओं पर खरा न उतरने पर हर वक्त अपनी फटकर सुनना भी अच्छा नहीं लगता तो फिर राह कैसे मिले, अच्छा हो कि हर दिन अपने लिए छोटे-छोटे लक्ष्य तय कर ले जिनको उस दिन पूरा करने का भरसक प्रयत्न करे यदि किसी कारण वश न हो पाए तो अगले दिन के कामों में उनको जोड़ ले.

आज बहुत दिनों बाद लिख रही है. पिछले दिनों व्यस्त थी जून के स्वेटर में, नन्हे को पढ़ाने में, घर के दूसरे कामों में और इसी तरह दिन गुजरते गये. सर्दियों का मौसम जैसे अब जाने को है और वसंत की आमद-आमद है. इस समय टीवी पर हजरत अमीर खुसरो का मेघ मल्हार राग पर आधारित एक सुंदर गीत बज रहा है. आज रात दस बजे अखिल भारतीय कवि सम्मेलन है, असम आने से पूर्व कई वर्षों तक हर साल यह कवि सम्मेलन रेडियो पर सुना करती थी, भारत की सारी भाषाओँ की कविताएँ सुनना बहुत अच्छा लगता था. कल २६ जनवरी है, यहाँ ‘बंद’ होगा पर वे दोपहर को उस भोज में जायेंगे जिसमें सभी मित्र एक-एक डिश बना कर लाते हैं. उन्हें एक जगह रात्रि भोज के लिए भी जाना है. आज कई दिनों बाद पड़ोसिन से भी बात की, साथ वाले घर में है पर फोन का ही सहारा लेना पड़ा, उसका स्वास्थ्य पिछले कुछ दिनों से ठीक नहीं था. उसका बेटा संगीत की प्रथमा परीक्षा देने वाला है. आज नन्हा भी उसी की तरह परीक्षा से भयभीत था, उसकी यह घबराहट स्वाभाविक नहीं है और है भी. परीक्षा को लेकर थोड़ी बहुत चिंता सभी को होती है. कल जून का स्वेटर पूरा हो गया. उसे याद आया, आज छोटी बहन के विवाह की वर्षगाँठ है, डाक्टरी की उसकी ट्रेनिंग का अंतिम चरण है.

मन में बसाया है अपने को वह क्या जाने प्रीत है क्या
एक आवाज सुनी तो जाना गीत है क्या संगीत है क्या ?

परसों रात कविताएँ सुनते-सुनते ही वह सो गयी, कुछ बहुत अच्छी थीं, भाव गहरे थे शब्द भी सुंदर और कुछ साधारण थीं. सुबह जून ने फोन पर बताया ‘ऊर्जा संरक्षण’ पर लिखी उसकी  कविता पर प्रथम पुरस्कार मिला है. योग्यता चाहे वह किसी भी क्षेत्र में क्यों  हो वह कभी व्यर्थ नहीं जाती. एक सखी को फोन किया पर बात नहीं हो सकी सो मन में खलबली सी है. अभी कुछ देर पहले संगीत अध्यापिका ने पुस्तक भिजवाई है जिससे वह प्रश्न पत्र हल कर सके. दोपहर को सिलाई का काम भी शुरू करना है, अभी कपड़ों की अलमारी भी सहेजनी है, फिर कम्प्यूटर पर हिंदी में लिखना भी सीखना है. Matilda ने क्या योजना बनाई है अपनी शिक्षिका को बचाने की यह जानने की उत्सुकता को भी शांत करना है जो किताब खत्म करके ही हो सकती है. शाम को क्लब की मीटिंग भी है. दो चिट्ठियां भी लिखनी हैं, पर सबसे पहले Matilda और शेष सब बाद में. नन्हे को भी यह किताब बहुत अच्छी लग रही है और उसे तो इतनी पसंद आई की कि कल  पार्टी में एक नन्ही बच्ची को देखा तो उसी में ढूंढने लगी, यूँ वह भी काफी समझदार थी.






Monday, May 19, 2014

द स्टुपिडस - एक मजेदार फिल्म


नये वर्ष का शुभारम्भ उनकी देर रात तक चलने वाली पार्टी से हुआ, वे सभी मित्र के यहाँ थे जब घड़ी ने बारह बजाए एक और वर्ष शुरू हुआ. घर लौटते-लौटते पौने एक बज गये थे, सुबह देर से आरम्भ हुई, नाश्ते के बाद चाय बागान में घूमने गये, ठंडी हवा बह रही थी. दोपहर बाद लॉन में बैठकर एक मित्र परिवार के साथ कैरम खेला, थोड़ी देर एक फिल्म देखी. जून के स्वेटर की शुरुआत की. हारमोनियम पर गला साफ किया, शाम होते होते जब ठंड बढ़ गयी थी, मफलर लपेट कर टहलने भी गये. यानि कुल मिला कर नये साल का पहला दिन विभिन्न गतिविधियों से भरपूर रहा.

आज ठंड बहुत बढ़ गयी है, नौ बजने को हैं पर अभी तक कमरे से बाहर निकलने का मन नहीं हो रहा. नन्हे ने star movies पर एक हास्य फिल्म देखी - The Stupids. उसे मगन होकर हँसते हुए देखना अच्छा लगा. परसों से उसका स्कूल भी खुल रहा है. अगले महीने उसकी परीक्षाएं हैं, नूना को उसे ज्यादा समय देना होगा. उसने क्लब की पत्रिका के लिए कविताएँ भेज दी हैं. कल लाइब्रेरी से वह चार नयी किताबें लायी, एक mills and boons भी, जून के दिल्ली जाने के बाद समय थोड़ा ज्यादा मिलेगा, तो किताबें साथ देंगी. उस दिन एक सखी को उनके घर से जाने के बाद सर्दी-जुकाम हो गया तो उसने फोन करके पूछा, एलर्जी वाली कोई वस्तु तो उन्होंने स्प्रे नहीं की थी, उसे अच्छा नहीं लगा, खैर, अस्वस्थ होने वाले को सब माफ़ है.

It is a pleasant morning, she has taken bath, washed her hair and feeling good, has prepared lunch also, jun is going today, he will have early lunch. Nanha is busy with his ever going home work. Last evening they played badminton after many weeks, nanha and she have decided to play it regularly. They went for a walk and then to a friend’s house, she is still having some cold. Read some lines from the book, “ The meaning of culture” it is a difficult book but she likes difficult books, they attract her even though she can not understand them.


Yesterday only jun gave her this new dairy, so she decided to fill the empty pages with new poems which she will write from time to time. She got her Bengali friend’s letter after a long gap, who is in London and when one is far from country he remembers it more. Today is Idul-Juha, she will make some sevian as they cooked  in Good Morning India. Got up  at  5 with jun, did exercise had healthy breakfast of grapes(black one which he brought from Delhi with cheeku) and oats. Read few mind stimulating pages from, “The Learning of Culture” written by John Cowper Powys. It tells one should keep some time for intellectual thinking and not always be busy in worldly matters as she was in last few days, even she did not get time for her favorite magazines and news papers. Now onward she will try to make balance in physical,mental, spiritual and intellectual aspects of life. Yesterday evening she got the prize for ‘walkathon’ that was a great walk, she wanted to win and win only. 

Thursday, May 15, 2014

राजधानी में लंच


वे बिहार में प्रवेश कर चुके हैं, राजधानी एक्सप्रेस किसी अज्ञात कारण से अत्यंत धीमी गति से चल रही है. कल रात पांच घंटे देर से ही देहली से चली थी और अब तो ग्यारह घंटे लेट हो चुकी है. कल शाम को वे तिनसुकिया पहुंचेंगे और वहाँ से अपने घर. उन तीनों के जीवन में कई सुखद परिवर्तन लेकर आई, अभी तक संतोष जनक रही इस यात्रा की स्मृतियां उनके साथ रहेंगी. कितने नये स्थान देखे, कितने लोगों से मिले. छोटी बहन की बिटिया को पहली बार देखा वह बहुत सुंदर है. दादी के पास थी, बहन अपनी पढ़ाई के कारण दूसरे शहर में थी. वे बड़े भाई के यहाँ भी गये, उनके छोटे से घर की तुलना में सामान बहुत ज्यादा था, दिल्ली में प्रदूषण भी बहुत है और उसे लगा वे लोग भोजन भी अपेक्षाकृत गरिष्ठ लेते हैं. उसे माँ-पापा की याद हो आई आज वे अकेले बैठे होंगे. उनके सामने वाली सीट पर एक परिवार नवजात शिशु (शायद दो महीने का)  के साथ व्यस्त है. अब लंच का समय हो गया है. कम से कम राजधानी में समय पर गर्मागर्म भोजन मिल जाता है. उन्होंने आइसक्रीम भी खायी, इस यात्रा में पहली बार. इस समय जून खिड़की से बाहर के नजारे देख रहे हैं और नन्हा कोई पत्रिका पढ़ रहा है शायद ‘चिप’, उसने एक कम्प्यूटर गेम भी दिल्ली में खरीदा है. उसके मन में उड़ीसा के हरे-भरे रास्ते, नारियल के वृक्ष, पोखर और समुद्र की छवियाँ आ आकर लौट जाती हैं.

परसों रात वे अपने घर लौट आये, सौभाग्य से मंद गति से चलती ट्रेन उनके शहर में बिना स्टॉप के रुक गयी और वे उतर गये, वरना एक घंटा और लग जाता. एक मित्र के यहाँ भोजन किया. कल जून दफ्तर गये, उन्हें अगले माह होने वाले सेमिनार में जाने के लिए तैयारी करनी है. नन्हे के साथ उसने घर व्यवस्थित किया, पूरा दिन व्यस्तता में बीता. बगीचे में फूल खिल आये हैं किचन गार्डन भी हरा-भरा और साफ-सुथरा लगा, उनकी अनुपस्थिति में भी नैनी और माली ने अपना काम जारी रखा.

आज वर्ष का अंतिम दिन है, मौसम साफ है, धूप भी निकली है, ठंड ज्यादा नहीं है यानि नये साल का स्वागत करने के लिए बिलकुल सही वातावरण ! सुबह उठी तो एक स्वप्न की याद थी जिसमें बाजार जाते समय वह पैसे ले जाना भूल जाती है, वापसी का रास्ता बहुत कठिन है. जून उससे पहले उठ गये थे, कल शाम भर वे अपने काम में व्यस्त थे, नन्हा अपनी छुट्टियों का बचा हुआ गृह कार्य पूरा करने में. कल रात्रि उसने चायनीज भोजन बनाया था, उन दोनों को पसंद आया. आज एक सखी ने नये वर्ष के स्वागत भोज के लिए बुलाया है यानि new year party, कल से नया साल शुरू हो रहा है, यकीनन खुशियों से भरा होगा, न सिर्फ उनके लिए, असम के लिए और पूरे देश के लिए !


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लहरों के पार


Today in the morning they went to golden beach, Nanha went directly to water and after some hesitation she also joined him. Tides came with great force and took them back to the sea shore. She remembered their journey from Calcutta to puri by jagnnnath express, that day in Kolkata the had visited Niko park and science city with one of jun’s friend’s family. In fact they came to see  them off also. Due to train accident some where  their train reached ten hours late. Train journey was boring, it was  sleeper class and their co-passenger one Bengali family was unclean and uncultured, so when train reached puri they were so happy, and guest house is very clean and comfortable. Here sea is very violent,it was amazing to see the waves, which came with great force and then became calm within seconds. Market on the shore is very big and colorful. They strolled for some time and saw typical oriya handicrafts. There are so many hotels. Raj bhavn, All India Radio, Circuit house were also on the way. Puri seems to be a clean and pleasant resort.

समुद्र का ऐसा विकराल रूप, लहरों का शोर और उनमें उठती हुई सफेद झाग, सभी कुछ बेहद मोहक लग रहा था, समुद्र कितना विशाल होता है और कितना आकर्षक. उसके पास जाओ तो लहरें फिर किनारे पर ले आती हैं. वे काफी देर तक नमकीन पानी में भीगते रहे, जून भी आये पर ज्यादा देर नहीं रुके. एक मछुआरे ने (लाइफ गार्ड) उन्हें ट्यूबस दे दी और उनमें बैठकर पानी पर तिरते हुए वे काफी दूर तक निकल गये. उसे वे स्वप्न याद आने वाले लगे जिनमें पूरी दक्षता से वह तैरा करती थी. जीवन में पहली बार इस तरह लहरों पर तिरने का अनुभव किया है जो सदा उसके साथ रहेगा. वहाँ से लौटकर वे चिल्का झील देखने गये, जो उड़ीसा की एक विशाल  झील है, जहां डाल्फिन रहती हैं. डाल्फिन तो ज्यादा नहीं दिखीं पर एक घंटे की नौका यात्रा अच्छी लगी. अचानक मिल गया एक पूर्व परिचित परिवार भी उनके साथ गया था. कल वे भुवनेश्वर जायेंगे, सुबह जल्दी उठना है. इस समय जून और नन्हा नीचे टीवी पर समाचार देखने गये हैं, वह यहाँ कमरे में है, लहरों का शोर इस कमरे तक आ रहा है.

उड़ीसा एक सुंदर प्रदेश है, नारियल के पेड़ों के झुंड, जगह-जगह कमल के श्वेत, नीले और गुलाबी फूलों से भरे कुंड और सीधे-सादे लोग ! आज उनकी यात्रा का अंतिम दिन है. वे भुवनेश्वर आ गये हैं, जो उड़ीसा की राजधानी है. साफ-सुथरा यह शहर योजना बद्ध तरीके से बसाया गया है. वे शहीद नगर में रह रहे हैं. फोटो बनने को दिए थे, जो सुबह मिल भी गये, दोपहर को ‘महाराजा’ पिक्चर हाल में एक फिल्म देखी. थोड़ी बहुत खरीदारी की. कल उन्हें राजधानी से दिल्ली जाना है. जहाँ से घर.

आज उन्हें यहाँ आए तीसरा दिन है, परसों रात वे यहाँ पहुंचे, उनकी ट्रेन कई कारणों से लेट होती हुई साढ़े पांच घंटे देर से पहुँची थी, अगली ट्रेन स्टेशन पर लग चुकी थी, उनके पास टिकट खरीदने का समय भी नहीं था, टीटी से बात करके वे ट्रेन में बैठ गये यात्रा मात्र कुछ घंटो की थी.  टीटी ने रूपये तो लिये पर टिकट नहीं बनाई, शायद उन रुपयों से वह अपने परिवार के लिए कोई सामान ले जायेगा. मंझला भाई स्टेशन पर लेने आया था. ट्रेन में एक चार साल की बच्ची मिली जो बेहद शरारती थी बल्कि बिगड़ी हुई थी, पर बहुत सुंदर थी और उसकी आवाज भी बहुत मीठी थी. यहाँ ठंड काफी है पर बहुत ज्यदा भी नहीं. माँ-पापा तथा सभी लोग अपने-अपने तरीके से जिन्दगी को पूरी तरह जी रहे हैं. घर में सभी को मिलजुल कर रहते देखकर बहुत अच्छा लगता है, कहीं तनाव नहीं, कहीं कोई उलझन नहीं. सभी माँ-पिता का बहुत ख्याल रखते हैं. मंझला भाई मकान बनाने में व्यस्त है. छोटे को अक्सर घूमना पड़ता है, अलग-अलग शहरों में. बच्चे पढ़ाई और खेलकूद में व्यस्त हैं. कल उन्हें यहाँ निकट के गाँव में पिकनिक पर जाना है, खाना घर से बनाकर ले जायेंगे.

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Tuesday, May 13, 2014

नंदन कानन के शेर


कल वे पिकनिक पर गये थे, यहाँ से थोड़ी ही दूर पहाड़ियों के उस पार नदी के किनारे, पहाड़ियों पर चाय बागान थे, उन्होंने उनके मध्य से होते हुए चढाई भी की और कुछ लोग नदी पार करके दूसरे किनारे पर भी गये. दिन भर वे बहुत खुश थे, शाम को एक मित्र परिवार कई दिनों बाद मिलने आया और रात्रि को उसने एक बहुत दीर्घ स्वप्न देखा, स्वप्न में ही उसका अर्थ जानने का प्रयत्न भी किया. वह शायद यही जता रहा था कि वह सबकी नजरों में बने रहना चाहती थी ! परसों उन्हें जाना है सो आज दो सखियों को फोन करके विदा ली. आज सुबह ससुराल से फोन आया, बड़ी ननद आ गयी है, छोटी की डेट आने वाली है. उस दिन वे ट्रेन में होंगे. असमिया सखी नये घर में जा रही है, उसने सोचा नये वर्ष में उसका नया घर देखने वे जरूर जायेंगे. शाम को लाइब्रेरी जाकर किताबें वापस करनी हैं, और यात्रा में साथ ले जाने के लिए कुछ पत्रिकाएँ भी लानी हैं.

आज की सुबह की शुरुआत बड़े अजीब ढंग से हुई, जून ने उसे रोज की तरह उठाया और उसने स्वभावतः कहा कि कल उन्हें जाना है तो सुबह और भी जल्दी उठना पड़ेगा और फिर यह भी कि नन्हे और जून को तो कल स्कूल व दफ्तर  नहीं जाना होगा सो सम्भवतः उतनी जल्दी भी नहीं होगी, पर जून के अनुसार उनकी छुट्टी कल से शुरू नहीं हो रही है, जिस दिन जाना हो दफ्तर जाकर यदि sign कर दिए और वापस आकर भी यदि sign कर दिये या फोन से इन्फॉर्म भी कर दिया तो ड्यूटी ज्वाइन कर ली ऐसा माना जाता है. सब ऐसा ही करते हैं. कैसा अजीब सिस्टम है यह, उसकी समझ से बाहर. वैसे ही ऑफिस के दिनों में लोग सीट से गायब रहते हैं और.. इसी बात पर उसने जून को कुछ कहना चाहा पर उनको यह बात इस कदर नागवार गुजरी कि नाराज हो गये, खैर थोड़ी देर बाद( उनके क्रोध से उसके सिर से नैतिकता का भूत उतर गया) सब शांत हो गया, इन्सान सिस्टम का शिकार होकर इतना तटस्थ हो जाता है कि उसे इस बात का अहसास तक नहीं होता कि जो वह कर रहा है गलत है. वह जो इतनी किताबें पढ़ती है, सच्चाई, ईमानदारी, नैतिकता, और मूल्यों की बात करती है, क्या वह केवल किताबों तक ही सीमित नहीं है, कदम-कदम पर लोग समझौते करते हैं, वे सुविधा उठाना चाहते हैं जिन पर उनका अधिकार नहीं है. यह मानसिक उथल-पुथल कहीं उसे अस्वस्थ न कर दे.

कोलकाता गेस्ट हाउस
It is their first morning away from. Yesterday at 10.45 they started from home to air port. Air Bus took one and half hour to reach Calcutta. Flight was good except one thing, their’s was last seat and two times they suffered foul smell but it was nothing compared to the smell they felt while coming from Calcutta airport to guest house in park street. They passed it in few minutes but people who live their day and night continuous breath in it, in that sense Calcutta is a stinking city. Here in park street their guest house is on sixth floor but traffic noise is as much as on first floor in any other city. She could not sleep due to noise and due to excitement of journey and their meeting with Punjabi didi’s family. She got three dress materials from a shop near by. Cloth is very good and of a different texture.

पुरी गेस्ट हाउस
आज सुबह उसकी नींद साढ़े तीन बजे ही खुल गयी, एक स्वप्न उसे सूर्योदय देखने जाने के लिए जगा रहा था, जून ने समय देखा और वे कुछ देर और सो गये. पांच बजे उठकर समुद्र तट पर गये, रास्ते में अँधेरा था, तट सुनसान था, पर सोडियम लाइट के कारण काफी उजाला था, जो दूर तक लगी हुई हैं. आकाश और पानी का रंग पहले श्याम था, फिर नीला हो गया और बाद में सुरमई, लाल होने की प्रतीक्षा करते रहे पर धुंध की वजह से सूर्य दिखाई नहीं दिया, सुबह की शुद्ध हवा में समुद्र की लहरों का उतर-चढ़ाव और दूर पानी में तिरती पाल वाली नावें बहुत अच्छी लग रही थीं. सवा छह बजे वे वापस आ गये, नहा-धो व नाश्ता करके भ्रमण के लिए निकले. कोणार्क मन्दिर, धौली, उदयगिरी की गुफाएं, नन्दन कानन और लिंग राज मन्दिर देखे. चन्द्रभागा तट पर नारियल पानी पिया. ‘पिपली’ से कुछ खरीदारी की, भुवनेश्वर से बुद्ध की एक मूर्ति खरीदी. पूरा दिन उड़ीसा की नई-पुरानी जगहों को देखने में निकल गया. नंदन कानन में सफेद बाघ व शेरों को देखना नन्हे के साथ उनके लिए भी एक सुखद अनुभव था, शेर खुले में घूमते-घूमते सड़क तक आ पहुंचे थे, और आराम फरमा रहे थे. जून ने कई तस्वीरें उतारीं. कल पुरी में उनका अंतिम दिन है. सुबह समुद्र तट पर नहाने का कार्यक्रम है, नन्हा इसके लिए तैयारी करके आया है.





Monday, May 12, 2014

ग्रीक पौराणिक कथाएं


इन सर्दियों में आज पहली बार धूप में बैठकर लिख रही है, पंछियों के कलरव, गुलाब, गेंदे, गुलदाउदी के पौधों के मध्य. कभी ऐसा होता है कि चलते-चलते अचानक बैठकर सुस्ताने का मन हो, पीछे मुड़कर देखने का भी, कितना रस्ता तय कर आये, कितना अभी बाकी है. सो आज उसके साथ यही हो रहा है, पिछले दिनों थककर बैठने का सुस्ताने का वक्त ही नहीं था, हर वक्त कोई न कोई व्यस्तता लगी ही रही, अब लम्बे सफर पर जाने से पूर्व थोड़ा थम कर सोचने का वक्त मिला है. नन्हा स्कूल गया तो कुछ सुस्त लग रहा था, पर उसे लगता है, स्थान परिवर्तन का उसपर अच्छा असर होगा लौटकर आएगा तो उत्साह से परिपूर्ण होगा.

...पूसी लौट आई है, कहानियों में सुना था कि मीलों दूर जाकर भी पालतू पशु अपने घर लौट आते हैं, कल वह बगीचे पीछे वाले भाग में गयी, तो देखा लीची के पेड़ के नीचे वह बैठी थी, आश्चर्य और ख़ुशी से उसने जून और नन्हे को बताया, उसके पास जाते ही पैरों से लिपटने लगी, थोड़ी मोटी हो गयी है, जैसे कुनमुना कर कुछ कहने का प्रयत्न कर रही थी.

आज उसकी बंगाली सखी के विवाह की वर्षगाँठ है, आजकल वे लोग भारत से बहुत दूर हैं, किसी पश्चिमी देश में, लोग अपना घर-परिवार देश छोड़कर दूर निकल जाते हैं और नये-नये आयाम तलाश लेते हैं. आज भी वही कल का सा वक्त है, धूप है, पूसी है, हरी घास है, कितने अचरज की बात है चिड़ियाँ हर वक्त बोलती हैं, पर मानव अपने कान उनकी तरफ से बंद किये रहते हैं. परसों की पिकनिक पर वे देर से जाकर जल्दी आने की बात सोच रहे हैं. सभी से मेल-मुलाकात भी हो जाएगी और बुधवार को उनकी यात्रा के लिए एक छोटी सी रिहर्सल भी. नदी किनारे रेत पर बैठकर महल बनाना और स्वादिष्ट भोजन, पिकनिक का इस साल यही अर्थ होगा, पानी में पैर डालकर बैठना भीगना-भिगोना और दूर तक जंगल में घूमने जाना सम्भव नहीं होगा. उसने ऊपर देखा, चारों ओर की हरियाली को छोड़कर जाना, जिसके पीछे से आकाश की नीलिमा झांक रही है कितना मुश्किल है. आज सुबह बहुत दिनों बाद जागरण में ‘गोयनका जी’ को सुना, श्वास का आना-जाना देखते-देखते विकारों से मुक्ति की बात सिखा रहे थे. मनुष्य के पास सुधरने के के लिए हर वक्त गुंजाइश रहती है, हर कृत्य में सुधार किया जा सकता है.

आज उनके लॉन में एक नन्ही बच्ची की आवाजें भी हैं, नैनी की बेटी की बेटी की तुतलाहट भरी आवाज, पीढ़ी दर पीढ़ी इसी तरह परिवार बढ़ते हैं अपने विचार रीति-रिवाज, परंपरायें एक दूसरे को सौंपते हुए हर नई पीढ़ी उसमें कुछ और जोड़ती चली जाती है. उनके बाएं तरफ की पड़ोसिन ने कल भी ठीक इसी वक्त अपने ड्राइंग रूम की खिड़की खोली थी, उससे मिले भी कई दिन हो गये हैं. वह धूप में बैठी है, स्वेटर भी पहना है, पर धूप का अहसास नहीं हो रहा है, वहीं दूसरी ओर वह नन्ही बच्ची एक सूती फ्राक पहने छाया में दौड़ रही है. आजकल वह ग्रीक कथाओं की एक पुस्तक पढ़ रही है. ये कथाएं भी भारतीय पौराणिक कथाओं की तरह बहुत रोचक हैं, she finds herself near to Hestia, the Goddess of the earth and fire, she remains in back ground and is content in herself.






Thursday, May 8, 2014

नार्मन विंसेट पील - एक प्रेरक व्यक्तित्व


पिछले दस दिनों से उसने डायरी नहीं खोली, भई, ऐसी भी क्या बेरुखी अपने आप से, दिल परेशान तो होगा ही न, दुःख भी मनायेगा जब उसे पता चलेगा कि उसकी बात सुनने वाला कोई नहीं था पिछले दिनों. क्यों नहीं लिख सकी, इसका कारण व्यस्तता ही है या कुछ और भी, स्वेटर बनाना इतना बोझिल काम बन जायेगा सोचा नहीं था, हर काम अपनी कीमत वसूलता है, हर वक्त अपनी कद्र करवाना जानता है. उसने पिछले दिनों बहुत सी किताबें पढ़ी हों ऐसा भी नहीं हुआ. दो-तीन फ़िल्में जरूर देखीं, जून के दो दाँतों का RCT भी हुआ. उन्हें पांच दिनों तक इंजेक्शन भी लेने होंगे. पत्र लिखे, कार्ड भेजे, और आज सुबह घर से फोन आया, ननद के पति ने पास वाले शहर में ज्वाइन कर लिया है, अब जाकर उनका परिवार एक साथ हुआ है. आज भी कल की तरह बादल तो हैं पर बरस नहीं रहे हैं, पिछले दो-तीन दिन तो वह घर से बाहर ही नहीं निकल पायी, हर वक्त आसमान टपकता रहा.

उसने जून को एक पत्र लिखा, उसका दिल प्रेम से भरा था, प्रेम नन्हे के लिए, जून के लिए और सारे ब्रह्मांड के लिए, हर इन्सान की जरूरत है प्रेम और हर एक के दिल की गहराइयों में असीम प्रेम है. उसके भीतर का यह प्रेम जगाने का काम किया था एक किताब ने, उसे लगा, किताबें इन्सान के लिए कितनी जरूरी हैं भोजन से भी ज्यादा जरूरी. कितने तरीकों से वे मानव को प्रेरित करती हैं, वे हृदय के भीतर छिपी नरमी, गर्मी और करुणा को जगा देती हैं. The book written by “Norman Vincent Peale” has got filled her heart with a tender feeling. Yesterday she decided to go Ladies club meeting after reading a line in it and enjoyed there very much. To talk and to listen is very encouraging and self stimulating. Today is sunny day, she has to finish mother’s sweater.
सुबह का काम खत्म होते ही वह बाहर गयी, मौसम सुहाना है, बगीचे में खिले ढेर सारे फूल धूप में मुस्करा रहे था, सर्दियों में धूप कितनी भली लगती है, यही धूप गर्मियों में सताती है तो चिढ़ होती है. उसने कुछ पालक और फ्रेंच बीन्स तोड़ीं, शाम को सूप बनाएगी. और एक सखी से फोन पर बात की. कल शाम वे दूर तक टहलने गये, दुनिया में कितनी सुंदर और कितनी आश्चर्यजनक वस्तुएं हैं, जिन्हें देखकर इन्सान खुद को ही भूल जाता है. कल समाचारों में एक रेल दुर्घटना की दुखद खबर सुनी, अगले माह उन्हें भी तो रेल यात्रा पर जाना है, यही जीवन है. ईश्वर ही उन्हें सुरक्षित रखेगा और वापस घर सुरक्षित पहुंचाएगा.

नवम्बर का अंतिम दिन, आज जाकर वे स्वेटर पूरे हुए जो उसने दीवाली के बाद से शुरू किये थे. आज वह पार्सल बनाकर जून को देगी. लिखना–पढ़ना कितना कम हुआ इन दिनों. कल वे तिनसुकिया गये थे, सभी के लिए उपहार खरीदे इस उम्मीद पर कि उन्हें पसंद आयेंगे, नहीं भी आये तो कोई चारा नहीं. नन्हे के स्कूल में आज Elocution था, उसने भाग लिया. आज सुबह  एक परिचित टीचर ने स्कूल से फोन किया कुछ हिंदी शब्दों के अर्थ जानने के लिए, और कल ही क्लब की पत्रिका में लिखने के लिए बुलेटिन आया है, पर अभी उसमें कुछ लिखने का उत्साह नहीं है, वापस आकर यात्रा विवरण लिख सकती है. इसी हफ्ते जून के विभाग की पिकनिक भी होने वाली है, वे तीनों  यदि पूरी तरह स्वस्थ रहे तो जायेंगे, वे अस्वस्थ क्यों होते हैं, that is a big question ?