Monday, April 30, 2012

कुशन कवर


वही कल का समय है, अभी कुछ देर पूर्व ही वर्षा होकर समाप्त हुई है. सब कुछ कितना धुला धुला और पवित्र लग रहा है. उसने स्नान करके दूध पीया है और नाश्ता जो जून रख कर गया है सुबह ऑफिस जाने से पहले. उसे बहुत ख्याल है, वह सचमुच देवदूत है नूना के लिये. उसके मन में शुभकामना है जो कितने रूपों में झलकती है जब वे साथ होते हैं या दूर भी होते हैं. कल उनके विवाह को एक वर्ष और दो महीने हो जायेंगे. उसने सोचा कि वह आज उस लाल साड़ी में फाल लगायेगी और कल के उपलक्ष में उसे पहनेगी. जून को कल बाहर जाना है अब वह तो पहले की तरह हर जगह नहीं जा सकती.
जब जून बाहर गया वह एक दक्षिण भारतीय मित्र के पास गयी नारियल की चटनी बनाने, उसके आने पर दोसा बनाया. चटनी वैसी ही बनी थी जैसी दोसे के साथ मिलती है रेस्तरां में. उसने चार कुशन कवर सिले, जून कुशन ले आया था बाजार से और भी बहुत कुछ लाया, ‘सारिका’ भी, जो वह आधी से से अधिक पढ़ चुकी है. बचपन में वह खाना खाते समय भी पत्रिका पढ़ती थी. अब जून के जाने के बाद ही पढ़ती है. शाम को पहली बार निम्बू की शिकंजी बनायी, तेज धूप निकली थी और कोई गुजराती परिवार आया था मिलने.

Sunday, April 29, 2012

नन्ही बिट्टू


आज वसंत पंचमी है, ऋतुओं का राजा वसंत ! उसका आगमन हो और अंतर पुलक से न भरा हो, यह हो ही नहीं सकता. आज मौसम भी सुहावना है, दिन में धूप खिली थी और इस समय चाँद उगा है, तारे भी टिमटिमा रहे हैं. आज उसका खत आया है, लिखा है, वह जल्दी आयेगा और उसे भी नूना की तरह कभी-कभी रात को देर तक नींद नहीं आती. उसने सोचा, क्या पता वह कब आ जाये, और कहे, “चलो, घर चलो”.
और एक दिन वह सुबह सोकर उठी तो देखा कि जून आ गया है. उसी दिन शाम को वे सहारनपुर गए और उसके अगले दिन वाराणसी के लिये रवाना हो गए.  दो दिन वहाँ रहकर कल ही वे अपने घर आ गए हैं. वह बहुत खुश है.
मार्च का आरम्भ हो चुका है, आजकल उसे लिखने का समय कम मिलता है. कितनी व्यस्त रहती है वह अपने छोटे से परिवार में. नया मेहमान आने में चार महीने से भी कम समय रह गया है. जून उसका बहुत ख्याल रखता है बहुत सारी पौष्टिक वस्तुएं लाकर रख दी हैं. दूध भी दिन में तीन-चार बार पीने को कहता है. कल कह रहा था कि वह बहुत दुबली है, खुश रहे तो जल्दी तंदरुस्त हो जायेगी, यूँ वह खुश तो रहती है इतने दिनों के अलगाव के बाद वे साथ हैं. उसने गिना पूरे ४९ दिन वे दूर थे. कल शाम वे पड़ोस के दो परिवारों से मिलने गए. पुनः नन्ही बिट्टू से मिलकर उन्हें बहुत अच्छा लगा.


Thursday, April 26, 2012

गुलाबी सूट


आज वह बाजार गयी थी, घर के लिये कुछ सामान खरीदा, मेहमानों के कमरे के लिए एक चादर, कुशन कवर के लिये कपड़ा और जून के लिये भी. पिताजी अभी तक आये नहीं हैं, वे मुरादाबाद गए थे, शायद रात तक आ जायें. सुबह से ही बादल छाये हैं, कभी कभी बरस भी जाते हैं, उनकी रिमझिम आवाज कानों को भली लगती है. ठंड से बचने के लिये वह दिन भर स्कार्फ, शाल, स्वेटर में लिपटी रही, बिजली भी चली गयी थी. काफ़ी देर नदारद रही, वह सोने चली गयी, कुछ लिखने का विशेष मन भी नहीं होता क्योंकि उसे लगता है कई जो भी लिखेगी उदासी की झलक उसमें आ ही जायेगी. भुलाये रखना चाहती है वह कि जून उससे दूर है. वह भी चाहता है कि जल्द से जल्द वह वहाँ आ जाये.
उसने आकाश की ओर नजर डाली बादल छंट गए थे और तारे नजर आ रहे थे, आज भी दोपहर बाद से वर्षा हो रही थी. पर ये तारे खबर दे रहे हैं कि कल धूप निकलेगी. ऐसे ही एक दिन वह पुनः अपने घर में होगी, यह घर भी उसका है पर न जाने क्या बदल गया है एक वर्ष में कि उसे अपना नया घर ही याद आता है.
कल वह सहारनपुर गयी थी बचपन की कई यादें ताजा हो गयीं. दादा दादी के साथ जब वे उस घर में रहा करते थे, जहाँ उसने प्राइमरी की शिक्षा भी पायी और कॉलेज की शिक्षा भी. चाची मिलीं और छोटी चचेरी बहन भी. गुलाबी रंग का एक सलवार सूट उपहार में मिला, बड़ी बहन ने भी एक सुंदर साड़ी उसे वहाँ जाने पर दी थी.


टीवी का एंटीना


कई दिनों के बाद खत आया है उसका, कुछ इसलिए और कुछ अस्वस्थता के कारण उसने पिछले दिनों कुछ नहीं लिखा. पिछले महीने की उन्नीस तारीख का लिखा खत इस महीने की सत्ताईस तारीख को मिले तो उदासी स्वाभाविक है, पता नहीं डाक विभाग इतना कठोर कैसे हो गया है. उसने लिखा है कि यदि वह जल्दी उसे लेने नहीं आ सकेगा, चाहे तो वह एक परिवार के साथ आ सकती है, जो अगले महीने के तीसरे हफ्ते में मुगलसराय से असम आने वाला है. पर नूना को यह प्रबंध ठीक नहीं लगा. उसने सोचा वह कोलकाता तक भाई के साथ, आगे अकेले ही चली जायेगी. यह भी लिखा है कि घर पर टीवी का एंटीना लगा लिया है, पिछले हफ्ते उसने फिल्म भी देखी. वह बहुत व्यस्त है. तथा खुश रहता है उसे भी ऐसे ही रहने की सलाह दी, उसने सोचा एक वह है कि उसके बिना अपने को अकेला महसूस करती है कितनी पागल है न वह.

एक हफ्ता बड़ी बहन के पास रहकर आयी, वक्त जैसे हवा की तरह उड़ता गया. अपनी दवाएं, ब्रश आदि वहीं भूल आयी. वापसी में जीप खराब हो गयी थी, कितना वक्त लगा उसे ठीक कराने में पर वह पता नहीं किस लोक में खोयी थी.  

Tuesday, April 24, 2012

गन्ने के खेत



आज उसका पत्र आया रजिस्टर्ड पत्र था, उसमें कुछ पैसे भी थे. नूना ने सोचा कि वह उसका इतना ध्यान रखता है कि अपने लिये कम खर्च करके उसके लिये उपहार देना चाहता है. वह मोरान में है सो उसे खत भी देर से मिल पाएंगे. सुबह वह अपने पूर्व समय पर उठी, कोई स्वप्न देख रही थी. शाम को शर्मा आंटी के साथ दूध लेने गयी, उसके आगे भी निकल गए वे लोग, रजवाहे तक, वहाँ से गन्ने के खेत भी नजर आते हैं, अच्छा लगा पर माँ के साथ शाम को टहलना और भी भाता है.
सुबह धूप में बैठकर वह ईख की शहद सी मीठी गनेरियां खा रही थी कि शर्मा आंटी के साथ मिलेट्री कैंटीन जाने के लिये माँ ने कहा और उसने वहाँ से जून के लिये मोज़े खरीदे. दोपहर बाद उसके स्वेटर के बटन लेने गयी, स्वेटर बन गया है, पार्सल भी सिल दिया है, कल भेज देगी.

आज कितना इंतजार किया उसने डाकिये का पर...कल आयेगा यह सोचकर मन को मना लिया. ठंड बढ़ गयी है सुबह सवा छह बजे भी बहुत अँधेरा था और हवा काटती हुई सी चुभ रही थी. कोई श्रीमती गुप्ता आयीं थीं, अपनी दक्षिण भारत की यात्रा के संस्मरण बहुत चटखारे ले लेकर सुना रही थीं.

हर खुशी हो वहाँ...


आज सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविन्द सिंह जी का जन्म दिवस है. जिनका जन्म पटना में माता गूजरी देवी के घर हुआ था. टीवी पर समाचारों में देखा व सुना. दिन में बाजार गयी माँ के साथ, एक किताब खरीदी, बेबी हेल्थ गाइड, किताब हिंदी में है पर नाम अंग्रजी में है, यह दोनों भाषाएँ घुलमिल गयी हैं एक दूसरे में. बाजार से एक रील बॉक्स भी लिया, महरी के लिये धोती व साडी तथा खुद के लिये एक पर्स भी. शाम को गाजर का हलुआ बनाया जैसे बनारस में वे सासु माँ बनाती हैं. बच्चों की एक फिल्म जब वह टीवी पर देख रही थी तो मन कह रहा था शायद जून भी यही फिल्म देख रहा हो.
आज उसका खत आ गया, कोलकाता से लिखा हुआ. उसका स्वेटर बनने वाला है. छोटा भाई कल चला गया, दीदी व बच्चों के लिये उपहार भेजे हैं, अगले महीने मिलने भी जाना है. सुबह पहली बार नींद जल्दी खुल गयी, कितना अँधेरा था, सभी तो इस वक्त रोज ही उठ जाते हैं. कल रात भी नींद नहीं आ रही थी. जून ने खत में लिखा है, “हर हाल में खुश रहना सीखो”, जब उसे यहाँ रहना ही है तो क्यों न खुशी-खुशी रहे, दोपहर को दादी जी ने भी एक उदाहरण देकर समझाया कि खुश रहना सीखो. फिर कितने तो काम हैं करने को. उदास होने का समय ही न बचे ऐसी दिनचर्या बनानी चाहिए. कल अवश्य ही वह गमले ठीक करेगी. किताबें पढ़ना शुरू करेगी. इतने दिन तो बीत ही गए उसने सोचा मात्र तीन-चार हफ्ते ही तो और उसे जून से अलग रहना है. हो सकता है जून फरवरी में ही आ जाये तो कितना अच्छा होगा.  
 

Sunday, April 22, 2012

गणित की परीक्षा


एक दिन और बीत गया. जून को पत्र उसने दोपहर को ही लिख दिया था, जानती थी रात को सोने के लिये जाते-जाते काफ़ी देर हो जायेगी. जनवरी होने के बावजूद ठंड ज्यादा नहीं है, धूप इतनी तेज होती है कि हवा का कोई असर ही नहीं होता. वह आज भी दूध लेने गयी थी. लौटी तो पिताजी भी काम से आ चुके थे कुछ देर बैठकर बहुत अच्छी-अच्छी बातें बताते रहे, वह तो आजकल कुछ विशेष लिखती-पढ़ती नहीं है, कभी कभी अस्वस्थ भी महसूस करती है, पाचन क्रिया ठीक नहीं है. कभी बेचैनी भी लगती है. पता नही कैसा हो गया है उसका मन इन दिनों. सिवाय एक के उसे किसी की सुध नहीं आती. वही रहता है हर पल उसके मन में. कितने स्नेह से देखभाल करता था उसकी. सुबह देर से उठी. स्वप्न देख रही थी कि गणित की परीक्षा में शून्य मिला है, नींद से जगाने के लिये ही तो आते हैं ऐसे स्वप्न, और जागकर कितनी राहत मिलती है.
  

Friday, April 20, 2012

डाकिया डाक लाया


आज उसके नाम एक पत्र आया जिस पर पता जून के हाथ का लिखा हुआ था, एक पल को तो उसे लगा कि उसका ही पत्र होगा पर खोलकर मालूम हुआ कि लखनऊ से आया है, कोई फार्म मंगवाने के लिये स्वयं का पता लिखा लिफाफा उसी ने तो भेजा था. मकर संक्राति के कारण आज माँ ने उड़द दाल की खिचड़ी बनायी थी, और शाम को नूना ने सेंवई की खीर. देहरादून से बड़ी बहन का पत्र आया है. छोटे भाई के आने पर उसके साथ उसे एक बार वहाँ भी जाना है.
माँ के साथ रसोई की सफाई कर रही थी कि डाकिया वह खत लेकर आया जिसकी उसे प्रतीक्षा थी. शाम को भाई भी आ गया. पहाड़ी स्थान पर रहता है देर तक वहाँ की बातें बताता रहा. वह अपने साथ एक छोटा सा शेरू नामका पपी लाया है, बहुत सुंदर काला पहाड़ी कुत्ता है, उसे मेरठ में किसी के घर पहुंचाना है. 

Thursday, April 19, 2012

ट्रांजिट फ़्लैट


आज लोहड़ी है. शाम को वे बाजार से मकई के फुल्ले, मूंगफली  और रेवड़ी लाए थे. टीवी पर इस त्यौहार की कहानी भी सुनी. सुबह काफ़ी सर्द थी पर बाद में तेज धूप निकल आयी. छोटी बहन के कॉलेज में छुट्टी थी पर लोहड़ी के कारण नहीं, छात्रों की हड़ताल के कारण. उसने जून के लिये स्वेटर बनाना शुरू कर दिया है बिल्कुल वैसा ही जैसा उस किताब में देखकर उसने बनाने को कहा था. आज टीवी पर एक नाटक भी देखा ‘एक और आकाश’ उसने सोचा जून आज ट्रेन में होगा, कल सुबह कलकत्ता में होगा और परसों असम, एक रात उसे कलकत्ता में ट्रांजिट फ़्लैट में रहना होगा. वाराणसी में भी आज दिन भर सब उसकी यात्रा की तैयारी में लगे होंगे, यही बातें करते होंगे. अब उसका खत आने पर ही सब मालूम होगा.

Wednesday, April 18, 2012

राष्ट्रीय युवा दिवस


भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की बीसवीं पुण्य तिथि. दोपहर को नूना ने टीवी पर एक फिल्म में उनकी आवाज सुनी. अमोल पालेकर का एक कार्यक्रम देखा “आ बैल मुझे मार”, शाम को देखा एक नाटक, ‘काठ की गाड़ी’ जो बहुत ही मार्मिक था, उदासी भरा एक गीत हो जैसे. अपने सामने किसी ऐसे रोगी को देखकर क्या वह सामान्य रह पायेगी उसने सोचा. कौन जाने ? फिर भी कई भ्रम तो टूटते हैं ऐसे नाटक देखकर. आज जून ने भी टीवी देखा होगा, वह जरूर उस वक्त उसे याद कर रहा होगा, वह कैसे दिन बिताता होगा, वह उसे एक बार देखना चाहती थी पर कैसे? उसने आज खत लिखा होगा जो अगले हफ्ते किसी दिन मिलेगा. दवा लेनी आज भी शुरू नहीं की, अब कल से अवश्य लेनी है. कल घर में दोसा बनेगा, शकुंतला से दाल-चावल पिसवाये हैं आज. पिता भी आज घर पर थे, नवनीत का दीवाली विशेषांक उन्हें अच्छा लगा.
रविवार को वे दिन भर साथ रहा करते थे, उसने सुबह उठते ही सोचा, दोसे ठीक वैसे ही बनाये जैसे वह सीखकर आयी थी दक्षिण भारतीय मित्र से. सुबह हल्की वर्षा हुई, काफ़ी ठंड थी, वह होता तो कहता शाल लेकर बैठो. आज उसे वापस जाना है. आज राष्ट्रीय युवा दिवस है विवेकानंद का जन्म दिवस...
  

Tuesday, April 17, 2012

भुनी मूंगफली व शकरकंदी


आज जून को वाराणसी के लिये रवाना होना था, इस समय वह दिल्ली रेलवे स्टेशन पर होगा या ट्रेन में,  उसने सोचा. कल शाम को वह बहुत उदास थी, एक दिन मिलकर सब कह देगी. वह भी तो ऐसा ही अनुभव करता होगा. दिन में कुछ देर वह स्वेटर बुना जो माँ बना रही हैं. कुछ देर को सोयी स्वप्न में उसे देखा, कल रात भी देखा था और अब रोज ही देखेगी. नाईट सूट सिलने दे दिया, घर पर ठीक नहीं भी सिल सकता था. आज से आयरन टेबलेट लेनी थीं, पर नहीं लीं. अब कल से शुरू करनी हैं. बड़ी बहन व छोटे भाई को पत्र लिखे. उसे भी पत्र लिखना है जो इन महीनों में, जब वे दूर हैं, उसका सबसे प्रिय कार्य होगा. दूर तो मात्र भौतिक रूप से होंगे, मन से तो पहले से भी निकट होंगे.
एक दिन और बीत गया, वह सुबह ही घर पहुँच गया होगा. इस समय वह भी टीवी पर ‘यह जो है जिंदगी’ देख रहा होगा. सुबह वह सात बजे उठ गयी थी पर उसके पूर्व तीन बजे से ही वह जाग रही थी. स्वप्न देखा, उसे भी देखा, पर वे उदास थे. आज फिर वह उसे देखेगी. आज देवर का भेजा सुंदर कार्ड मिला. माँ के साथ बाजार भी गयी, दर्जी को एक लाल सूट सिलने को दिया. भुनी हुई मूंगफली व शकरकंदी खरीदी. उसने सोचा कि जून ने उसे खत लिखा होगा, और वह भी लिखने बैठ गयी.
 

Sunday, April 15, 2012

मैक्रामे की डोरी


जून को गए सात घंटे हो चुके हैं, इतनी देर में उसने सत्तर बार तो उसे याद किया होगा और नूना ने ...हर क्षण उसे याद किया है. बस स्टैंड पर उसके विदा लेते समय कैसे जड़ सी हो गयी थी वह. पता नहीं कैसे बीतेंगे ये दो-ढाई महीने. हो सकता है वह जल्दी आ जाये. मुज्जफरनगर आये उसे सातंवा दिन है. बहुत अच्छा लगा था इतने दिनों बाद सबसे मिलकर पर अब लगता है जैसे वह यहाँ से गयी ही नहीं ऐसे ही उसकी प्रतीक्षा कर रही है. आज कितने दिनों बाद उसने डायरी खोली है. पिछले माह वे बनारस पहुँचे थे वहाँ भी दिन बहुत अच्छे बीते पर बाद में वह अस्वस्थ हो गयी और पूर्व कार्यक्रम के अनुसार वे यात्रा नहीं कर सके, न विवाह में सम्मिलित हो सके. यहाँ आकर वह घर पर ही है. जबकि जून सहारनपुर गया था भाई का स्कूटर छोड़ने. आज वह दिल्ली गया है कल वहाँ से बनारस जायेगा और वहाँ से असम. वह उसे बारह को खत लिखेगी, खत व जून दोनों साथ साथ असम पहुंचेंगे. सुबह से वह मैक्रामे की डोरी से फूलदान बनाने में व्यस्त थी. कल नाईट सूट सिलेगी.
 



Thursday, April 12, 2012

अदरक की चटनी


आज सुबह कुछ देर के लिये और फिर शाम को उसे घबराहट हो रही थी, पर कुल मिलाकर दिन ठीकठाक ही रहा. सुबह वह इसी कारण देर से उठी, जून पहले ही उठकर चला गया था. दोपहर को फिर सो गयी एक स्वप्न भी देखा, उठकर शाम के नाश्ते के लिये बेसन का हलवा बनाया जो स्वप्न के कारण ही बनाया था. शाम को वे बाजार गए, उसे आजकल बाइक पर बैठना भी रास नहीं आता या हो सकता है यह उसका वहम हो, उसने सोचा. वे कई दुकानों पर गए, उसने ऊन खरीदी और अ पने लिये एक आधी बाँह का स्वेटर बनाना भी शुरू कर दिया है. कल उसी बंगाली मित्र की शादी की पहली सालगिरह थी, उन्होंने उसे एक छोटा सा उपहार भी दिया, वह जरूर खुश होगी. जून ने उसे समझा ही दिया है कि उसका यहाँ अकेला रहना ठीक नहीं है, बल्कि उसे ससुराल या मायके में रहना चाहिए जब वह मोरान में रहेगा, जैसे ही उसका काम खत्म होगा वह उसे लेने आ जायेगा. वह उसका बहुत ख्याल रखता है. नूना ने अदरक, टमाटर और प्याज की चटनी नुमा सब्जी बनायी उसे अच्छी नहीं लगी फिर भी उसने पूरा खाना उसी से खाया.

Wednesday, April 11, 2012

यह कैसी मजबूरी


आज फिर वह मोरान गया है, शाम को लौट आयेगा. कल ही जाना था पर नूना के कारण उसे मना कर देना पड़ा. उसने कहा कि जनवरी में एक महीने के लिये उसे फील्ड में रहना पड़ सकता है तो नूना को वाराणसी में छोड़कर आयेगा. कहने में यह बात जितनी सीधी और आसान लगती है उतनी है नहीं, नूना ने कह तो दिया कि ठीक है वह रह जायेगी, पर किस तरह रह पायेगी और वह भी तो उसे अपने से दूर नहीं रखना चाहता. देखें क्या होता है उसने सोचा. यदि वह हर हफ्ते आकर उससे मिल जाये तो वह यहाँ अकेले रह सकती है. वह उसे फोन तो करेगा ही, दिन में दो चार बार न सही एकबार ही सही. पर वाराणसी और असम के मध्य तो काफ़ी दूरी है.
दोपहर को उसकी एक बंगाली मित्र मिलने आयी थी, वे दो घंटे साथ रहे. कुछ ही दिनों में वह यहाँ से जाने वाली है. फिर वह अकेली रह जायेगी ऐसे दिनों में जब जून घर पर नहीं रहता है. रात आठ बजे तक वह आयेगा, उसकी तबीयत आज ठीक है दवा लेना भूल गयी थी याद आया तो उसने दवा ली और खाना बनाने में व्यस्त हो गयी.
 

Tuesday, April 10, 2012

नव जीवन


दिसम्बर का आरम्भ हो गया है. पिछले कई दिनों से उसने डायरी नहीं लिखी. कितनी ही बातें हो गयी है इस मध्य. पिछले हफ्ते वह अस्वस्थ रही कारण वही, अब ठीक है, डाक्टर की बताई दवाएं ले रही है. इसी माह उन्हें घर जाना है. वे दोनों बहुत खुश हैं. जुलाई के प्रथम दस दिनों में से कोई भी दिन हो सकता है जब वह मेहमान उनके सम्मुख होगा जीता जागता, उनके सपनों का केन्द्र, जो अब उनके भीतर है. अभी उन्होंने किसी को नहीं बताया है पर एक न एक दिन तो पता चल ही जायेगा. जून को अपने बॉस को बताना पड़ा था क्योंकि वह उसे बाहर भेज रहे थे. पिछ्ले दिनों वह कितनी अस्वस्थ थी, जून उसे छोड़ कर नहीं जाना चाहता था. वह भी चाहती है कि अब उन्हें हर पल एक साथ ही रहना चाहिए, ताकि वे हर परिवर्तन को साथ-साथ महसूस कर सकें.

Monday, April 9, 2012

गुलदान में फूल


वह बहुत खुश है, फोन पर जून ने कहा है कि वह आ रहा है. पर जिस कार्य के लिये वे लोग गए थे वह तो अधूरा ही रह गया है, फिर भी वह खुश है क्यों कि इतने दिन बाद वे साथ होंगे. उसने सोचा, कोई अच्छा सा नाश्ता बनाये अगले ही पल विचार आया अभी पांच भी नहीं बजे हैं और उसे आने में दो घंटे से भी ज्यादा लगेंगे सो खाना ही बनाएगी. पुलक भरे मन से उसने फटाफट काम करना शुरू किया और दो सब्जियां बना डालीं. आज कई पत्र भी आये हैं पर उसने एक भी नहीं पढ़ा है अब दोनों साथ-साथ पढेंगे. खाना बन गया तो समय काटना कठिन हो गया तो उसने गुलदान में फूल सजाये, फिर स्वेटर बुनने बैठ गयी.