आज होली है और उनकी
यात्रा में आराम का दिन, कल सुबह नौ बजे वे होटल से निकले, आटो ड्राइवर एक खुशदिल
आदमी था, वह समय पर दर्शनीय स्थलों पर जाने के लिए आ गया. सबसे पहले एक कैफे में
ले गया, कॉफी के एक बढ़िया कप के बाद तन व मन दोनों यात्रा के लिए तैयार थे. फिर वे ‘राज मन्दिर’
पिक्चर हॉल गये जो एशिया का दूसरा सबसे अच्छा हॉल है जहाँ वे एक फिल्म भी देखने
वाले हैं. इसके बाद पिंक सिटी में प्रवेश किया और सर्वप्रथम ‘हवा महल’ की
अद्भुत वास्तुकला का अनुभव लिया. वहाँ दुनिया की विशालतम धूप घड़ी भी देखी. अगला
पड़ाव था, सिटी पैलेस जहाँ वस्त्रालय, शस्त्रालय तथा कला दीर्घा दखने योग्य
हैं. हाथी द्वार तथा मयूर द्वार बेहद आकर्षक हैं. भोजन के लिए ड्राइवर उन्हें
खंडेलवाल होटल ले गया, स्वादिष्ट भोजन मिला वह भी बिना मिर्च का.
आम्बेर महल के रास्ते में जल महल देखा जो चारों ओर से
पहाड़ों से घिरी झील में स्थित है., अब वहाँ जाना मना है. यह महल जमीन से ५०० फीट
की ऊँचाई पर एक पहाड़ पर स्थित है, वहाँ शीशमहल देखा जहाँ दिन में भी तारे दिखाई
दिए. महल कला का अनूठा नमूना है, छतों पर सुंदर नक्काशी की गयी है. राजस्थान
पर्यटक विभाग के हस्त कला केंद्र में ब्लॉक प्रिंटिंग देखी. वापसी में राजस्थान कॉटेज
उद्योग भी गये जहाँ से कानों के बुँदे तथा दो ऊंट लिए जो पंच धातु के बने हुए हैं.
वहाँ जाने से पूर्व गोविन्द मन्दिर तथा नटवर मन्दिर देखने गये जहाँ
एक सुंदर कनक उद्यान देखा, कनक उद्यान में अनेकों फौवारे तथा छतरियां थीं, वहाँ कई
फिल्मों की शूटिंग हुई है. किसी ने कहा, जूही चावला और आमिर खान का गीत घूँघट की
ओट से.... वहीं फिल्माया गया था. जयपुर चिड़ियाघर तथा केन्द्रीय अजायबघर
भी देखा. चिड़ियाघर में घुसते ही बाघ दिखा, तथा अनेकों मगरमच्छ एक साथ देखे. जयपुर
एक साफ-सुथरी अच्छी जगह है. यहाँ के लोग भी काफी अच्छे हैं, शांत व सहयोग करने
वाले, उन्हें वहाँ घूमते समय कोई परेशानी नहीं हुई. कल सुबह उन्हें जोधपुर के लिए
निकलना है.
जोधपुर गेस्ट हाउस - कल सुबह वे जयपुर से साढ़े सात
बजे की डीलक्स बस से रवाना हुए और यहाँ दोपहर सवा तीन बजे पहुंच गये. रास्ते में
कैक्टस के बड़े-बड़े वृक्षों पर लाल रंग के फूल खिले थे, चारों ओर थी धूल और सूखे पहाड़
व चट्टानें, जोधपुर शहर किन्तु स्वच्छ, आकर्षक और हरा-भरा भी है. यात्रा आरामदेह
थी पर Midway का भोजन उतना अच्छा नहीं था. मार्ग में एक वैन-ट्रक दुर्घटना देखी, गाड़ी
की हालत बहुत बुरी थी पर वह गैराज में जाकर ठीक कराई जा सकती है पर दुनिया में कोई
ऐसा गैराज नहीं जो उस व्यक्ति को ठीक कर सके जो सड़क किनारे अपनों से दूर धूल में लिटाया
हुआ था.
यहाँ इस गेस्ट हाउस में जो लोग इन कमरों में रह रहे
थे वे बाहर गये हैं सो एक रात्रि के लिए
उन्हें यहाँ स्थान मिल गया है. शाम को वे बाजार भी गये, जहाँ से राजस्थानी चादरें,
रजाई व एक सूती साड़ी भी ली, जिन पर अनेक रंगों से कलात्मक चित्र बने हुए हैं. वापस
आकर वे टीवी पर ‘सैलाब’ देख रहे थे कि एक पुराने परिचित मिलने आ गये, बातचीत से
जाहिर हुआ, उनकी शिकायतें करने की आदत अभी तक वैसी ही है. दुनिया जहाँ से उनको
शिकायते हैं, मगर बहुत अनुग्रह से उन्होंने अपने घर बुलाया है, आज वे जायेंगे. आज
दस बजे उन्हें भ्रमण के लिए निकलना है, उमेद पैलेस, मन्दौर गार्डन और जोधपुर किला
आदि देखने हैं. आज ही रात्रि ग्यारह बजे की ट्रेन से वे जैसलमेर जा रहे हैं, जब तक
वे वहाँ पहुंचेगे प्रातः की लालिमा आकाश में बिखर चुकी होगी.
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