Monday, June 30, 2014

कन्याकुमारी का स्मारक


आज चेन्नई में उनका तीसरा और अंतिम दिन है. रात स्वप्न में उसे काले ग्रेनाइट की बनी एक इमारत, एक वृक्ष तथा एक विशाल छिपकली दिखे. होटल की खिड़की से बाहर सड़क पर लोग अपने-अपने काम से लौटते हुए दिख रहे हैं, उनमें से कुछ शायद अपने सम्बन्धियों से मिलने जा रहे हों. वे यहाँ घर से इतनी दूर भारत को खोजने निकले हैं, शायद खुद को भी. सुबह आठ बजे उन्होंने टाटा सूमो पर आज का सिटी टूर आरम्भ किया. तेरह किमी लम्बा मरीना बीच तथा उस पर स्थित एमजीआर व अन्ना के समाधि स्थल देखे. कुछ अन्य मन्दिरों में सुंदर प्रतिमाओं के दर्शन  किये. नल्ली तथा कुमारम् नाम की दो प्रसिद्ध वस्त्रों की दुकानों में भी गये. नल्ली इतनी विशाल है कि उसमें अनेकों प्रकार की लाखों साड़ियाँ होंगी. बच्चों को यहाँ की खरीदारी में कोई रूचि नहीं थी, उन्हें मनपसन्द आहार दिलाकर वे एक विशाल, आधुनिक शापिंग काम्प्लेक्स ‘स्पेंसर प्लाजा’ देखने गये. संध्या पौने छह बजे उन्हें चेन्नई से कन्याकुमारी के लिए प्रस्थान करना था.

सूर्योदय हो गया है और स्वर्णिम किरणें उसकी डायरी को छू रही हैं. वे ‘कन्याकुमारी’ पहुंचने वाले हैं. उसने भारत के इस सुंदर स्थान के बारे में कितना कुछ पढ़ व सुन रखा है जहाँ तीन सागर मिलते हैं, जहाँ वह चट्टान है जिस पर बैठ स्वामी विवेकानन्द ने उस  सत्य को प्राप्त किया था जिसे हर एक अपने अपने ढंग से खोज रहा है. यह ट्रेन कितनी साफ-सुथरी है. लोग विनम्र हैं. कल रात रेल कर्मचारी ने भोजन के लिए कूपन दिए. श्वेत प्लास्टिक की ट्रे में करीने से ढका भोजन परोसा गया. समूह के कुछ लोगों ने भोजन नहीं लिया, सम्भवतः दोपहर को उडुपी रेस्तरां में खाए गोभी कोरमा-चपाती, बिरयानी व दही-चावल का स्वाद वे अभी तक भूले नहीं थे. बहुत खोजने के बाद उन्हें शाकाहारी भोजनालय मिला था. कल ट्रेन में बच्चों ने कुछ देर शतरंज खेला. वे रास्ते में पड़ने वाले स्टेशनों के नाम उच्चारित कर बहुत प्रसन्न हो रहे थे, चेंगलपट्टू, मेलमारूवट्टूर तथा डिंडीगुल आदि दक्षिण भारतीय नाम उनके लिए अनोखे थे. अभी वे सो रहे हैं. जून सामने की बर्थ पर बैठे पत्रिका पढ़ रहे हैं. सहयात्री शांत व सुशिक्षित दक्षण भारतीय हैं.

कल सुबह दस बजे उनकी ट्रेन कन्याकुमारी स्टेशन पहुँची, स्टेशन खाली था और स्वच्छ  भी, उन्हें अपना अपना सामान स्वयं उठाकर ऑटो रिक्शा तक ले जाना पड़ा. उन्हें स्टेशन से मात्र डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित विवेकानन्द आश्रम जाना था, जहाँ एक  रात्रि उन्हें ठहरना था. यहाँ का हरा-भरा शांत वातावरण, अनवरत बहती शीतल हवा के झोंके महसूस कर सभी यह एक से अधिक दिन रुकना चाहते हैं पर आज ही उन्हें प्रस्थान करना है. उन्होंने आश्रम के भोजनालय में दोपहर का सात्विक भोजन लिया फिर इसी केंद्र की निशुल्क बस द्वारा ‘विवेकानन्द स्मारक’ देखने गये. एक लांच में बैठकर अन्य कई यात्रियों के साथ वे उस चट्टान तक गये जहाँ लगभग एक शताब्दी पूर्व स्वामी जी ने बैठकर सत्य का साक्षात्कार किया था. वहीं निकट की चट्टान पर तमिल कवि थिरुवल्लुवर की एक सौ तेतीस फीट ऊंची प्रतिमा दर्शनीय है. उन्होंने ‘कुमारी अम्मन मन्दिर’ देखा, जहाँ पार्वती ने शिव के साथ विवाह की इच्छा की पूर्ति के लिए प्रार्थना की थी. संध्या को वे ‘गाँधी मंडपम’ भी देखने गये, जहाँ मरणोपरांत गाँधी जी के अवशेष जनता के दर्शनार्थ रखे थे. वापस आकर वे इसी आश्रम में एक प्रदर्शनी को देखने गये जिसमें भारत के इतिहास तथा स्वामी के जीवन चरित को चित्रों के माध्यम से दिखाया गया है.





Saturday, June 28, 2014

महाबलिपुरम के मन्दिर



वे कल शाम लगभग सात बजे कोलकाता पहुंचे. फ्लाईट दो घंटे लेट थी. डिब्रूगढ़ एयरपोर्ट पर ही उन्हें लंच परोस दिया गया, लोग अटकलें लगाने लगे कि फ्लाईट जाएगी भी या नहीं, चार बजे ही यहाँ अँधेरा होने लगता है, अंततः साढ़े तीन बजे उनकी यात्रा शुरू हुई. उनके साथ दो अन्य मित्र परिवार भी दक्षिण भारत व गोवा की यात्रा पर निकले हैं. सभी प्रसन्न व उत्सुक हैं. समूह के तीनों बच्चे भी यात्रा का पूरा आनन्द उठा रहे हैं. नन्हा खिड़की के पास बैठा आकाश व प्रकृति  के सुंदर दृश्यों को निहार रहा था, उसके लिए जहाज के पंखों को खुलते व बंद होते देखना भी एक अच्छा अनुभव था. कोलकाता एयरपोर्ट से गेस्ट हाउस तक के रस्ते में प्रदूषण, ट्रैफिक जाम तथा लोगों की बेतहाशा भीड़ का सामना करना पड़ा जिसने उन्हें बेहद थका दिया. यह अतिथि गृह नया है, कमरे में टीवी भी है सो वे अपना मनपसन्द धारावाहिक भी देख सके. उसने आते ही पंजाबी दीदी को फोन किया पर शायद वे घर पर नहीं थीं. जून ने कैमरा खरीदने के लिए फोन पर पता किया पर उस स्टोर पर उनकी पसंद का मॉडल ही नहीं था. उन्होंने सोचा निकट ही एक बूथ पर जाकर रेलवे की बैक अप टिकट वापस कर दें, पर किसी कारण वश संभव नहीं हुआ, अब स्टेशन पर ही उन्हें यह काम करना होगा. 

वे घर से इतनी दूर हैं पर दूरी का अहसास नहीं हो रहा है. बिस्तर पर बैठकर लिखते हुए टीवी देखना यहाँ भी सम्भव है. नन्हे को घर की तरह बार-बार उठने के लिए कहना पड़ रहा है. यहाँ टीवी पर ५४ चैनल आते हैं, महर्षि चैनल भी जो वहाँ नहीं आ रहा था, यहाँ वह देख पा रही है. यह इमारत चारों तरफ से अन्य इमारतों से घिरी हुई है, हरियाली जो असम में खिड़की खोलते ही नजर आती है, यहाँ दिखाई नहीं दे रही है. किसी ने बड़े शहरों को कंक्रीट का जंगल ठीक ही कहा है.
चेन्नई
जब वे होटल पहुंचे तो उन्हें बताया गया उनके नाम की कोई बुकिंग नहीं है, जबकि तीन कमरे पहले से बुक करवाए गये थे, जून और नन्हा एक मित्र के साथ ट्रेवल एजेंट को ढूँढने गये, भाग्य से वह मिल गया और उन्हें तीन एसी कमरे दिए गये हैं. किराया ज्यादा है पर घर से बाहर निकलो तो कितनी ही बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है. रात को डेढ़ बजे वे कोलकाता से चले थे, उनके सहयात्री सुशिक्षित और मिलनसार थे. महिला telco के house journal की editor थीं और पति वहीं काम करते थे. नन्हा इस समय बालकनी में खड़ा आसपास का जायजा ले रहा है, जून कैमरा खरीदने गये हैं. मौसम यहाँ अच्छा है, जब वे स्टेशन पर उतरे ठंडी हवा ने स्वागत किया. ऑटो स्टैंड पर गये, जैसा कि उन्होंने सुना था, यहाँ के ऑटो चालक बहुत रूखे होते हैं, थोड़ी दूरी के बहुत ज्यादा पैसे माँगे, थोड़ी बहुत बहस के बाद वे उन्हें ले जाने को तैयार हो गये.

आज सुबह आठ बजे वे होटल बस द्वारा चेन्नई के आस-पास के पर्यटक स्थल देखने निकले. सर्वप्रथम वी.जी.गोल्डेन बीच देखने गये. सागर की शीतल व उत्ताल लहरें जैसे कोई संदेश दे रही थीं. विस्तृत तट पर बच्चों के लिए कई झूले भी लगे थे. फिल्मों के विशाल सेट्स भी लगे थे. इसके बाद सर्प पार्क में उसका विष निकलते हुए देखा, सर्प की कोमल त्वचा को छूकर देखना एक नया अनुभव था. अगला पड़ाव था महाबलिपुरम के चट्टान काटकर बनाये मन्दिर. सागर की लहरों को छूते विशाल मन्दिर तथा पांच पांडवों की याद में बने रथ दर्शनीय हैं. दोपहर बाद कांचीपुरम की यात्रा के दौरान वरदारजस्वामी तथा एकाम्बरनाथर मन्दिरों के दर्शन किये, जिन्हें विष्णु कांची तथा शिवा कांची भी कहते हैं. शिवा कांची काले पत्थर का बना विशाल, सुंदर, भव्य मन्दिर है जहाँ आम का हजारों साल पुराना एक आम का वृक्ष है. लगभग सभी मन्दिरों की हवा में कपूर व फूलों की गंध बसी थी. बस के कन्डक्टर कम गाइड का व्यवहार शायद प्रतिदिन एक सा काम करते करते कुछ रुखा सा हो गया था, उसका नाम रहमान था और वह मन्दिर के पुजारी के साथ काफी घुलमिलकर बातें कर रहा था. उन्होंने विचार किया कि क्या उन्हें जोड़ने वाला तत्व केवल व्यापर है या कोई ऐसी बात जो भारत को अन्य देशों से अलग करती है. यहाँ होटल में भी किसी कर्मचारी का बर्ताव उतना मधुर नहीं है, पर वे इतने प्रसन्न हैं कि इन छोटी-मोटी बातों से प्रभावित नहीं हो रहे, बल्कि सभी को प्रसन्न देखना चाहते हैं. अभी कुछ देर पूर्व सड़क के उस पार होटल में रात्रि भोजन हेतु गये. अभी मेज पर भोजन आया ही था कि साथ वाली मेज पर बैरे ने भाप निकलता हुआ फिश-सिजलर लाकर रखा, जिसकी तीव्र गंध में खाना तो दूर उसका बैठना भी मुश्किल हो गया. बाहर खुली हवा में आकर चैन की साँस ली. चाकलेट व चीज बाल खाकर गुजारा किया.





Thursday, June 26, 2014

शाकाहारी भोजन



दिसम्बर माह का प्रारम्भ हुए तीन दिन हो गये हैं पर न इन दिनों न ही पिछले कितने दिनों उसे लिखने का समय मिला, उस तरह, जैसे वह चाहती है. इधर-उधर के कार्यों में ही समय गुजरता गया. स्कूल में अभ्यस्त हो गयी है कहना ठीक नहीं होगा क्योंकि अभी भी क्लास वन के बच्चों को पढ़ाने में कुशल नहीं हो पाई है, हरेक बच्चा बोर्ड पर लिखा हुआ अपनी कापी में लिख ले इसकी जाँच करने में कुछ न कुछ छूट जाता है, एक को ज्यादा ध्यान दे तो अन्य ध्यान बंटाते हैं, खास-तौर पर पिछले दो दिनों से गला खराब है, तेज आवाज में बोलना अच्छा नहीं लगता. कुछ बच्चे ज्यादा ही शरारती हैं, कोर्स पूरा करना है, यही सोच कर वह और अन्य अध्यापिकाएं पढ़ाने जाती हैं, पर उन्हें समझाने सुधारने का समय नहीं मिल परता. आज भी घर लायी है स्कूल का काम, क्लास फाइव में सब ठीक चल रहा है. इसी महीने उन्हें दक्षिण-पश्चिम भारत की यात्रा पर भी निकलना है. ऊर्जा संरक्षण पर भी कुछ लिख कर देना है. आज अपेक्षाकृत गला ठीक है सो शाम को वे घूमने जायेंगे, व्यायाम की आदत छूटती जा रही है. इस बार यात्रा में मुम्बई से योगासन करने के लिए विशेष ड्रेस लेगी. पिछले कई दिनों से खत न लिखे न ही कोई पत्र आया. अभी कुछ देर में नन्हा स्कूल से आ जायेगा और फिर जून भी, उनकी शाम का शुभारम्भ हो जायेगा, कुछ देर बागवानी, डिनर की तयारी, अध्ययन और फिर टीवी. कल दो वर्ष पूर्व की डायरी में एक कविता पढ़ी, मन को छू गयी, अपनी ही लिखी एक कविता !

फिर एक अन्तराल, आज शाम उन्हें एक पार्टी में जाना है, जून के दफ्तर के एक उच्च अधिकारी के यहाँ, उसने सुबह से ही तैयारी शुरू कर दी है. उन्होंने पूरे विभाग को बुलाया है. वे भी उनकी तरह शाकाहारी हैं, सो यकीनन उसे वहाँ भोजन पसंद आएगा, वरना तो अक्सर उसे गंध के कारण बहुत जगह दिक्कत होती है. लौटने में जरूर आधी रात हो जाएगी पर ऐसे में नींद कहाँ आती है. उसने आज सुबह भी ‘जागरण’ सुना था, आत्म चिन्तन ही असली दर्पण है जिसमें अपना वास्तविक रूप झलकता है. दूसरा कोई दर्पण दिखलाये तो अहं को चोट लगती है सो स्वयं को दर्पण खुद ही दिखाओ ऐसा सन्त कह रहे थे. मौन रहकर अपनी भावनाओं और विचारों को इतना प्रबल बनाया जा सकता है कि मन प्रसन्न रहे, क्योंकि प्रसन्नता में ही मधुरता है और मधुरता में ही मौन है. मौन में ही आत्म नियन्त्रण आता है. उसने सोचा कितना सही कहा है, आत्म नियन्त्रण रहे तो अहं भी सिर नहीं उठाएगा. मन अपनी हुकुमत चाहता है, अपनी कमियां देखना नहीं चाहता पर इसे समझाने में यदि कोई समर्थ नहीं है तो...क्रोध उपजेगा ही और क्रोधी मन विवेकहीन हो जाता है. छोटा मन स्वयं को ढकने के लिए कितने सरंजाम जुटता है पर बड़ा मन कुछ न कुछ देना चाहता है. देने की स्थिति में ही मन सुखी रह सकता है मांगने की स्थिति में तो सदा शंकित रहेगा. सो मन का मौन बड़ा तप है, मौन ही इन्सान को बनता है, उसकी सुबहों और संध्याओं को सजाता है, इसी सोच-विचार में वह बाहर आई तो लगा दैवीय संगीत चारों ओर बिखरा हुआ है. वर्षा की बूँदों का संगीत, पंछियों और पत्तों का संगीत.. वैसा ही संगीत शायद भीतर भी छिपा हुआ है. मौन में वही संगीत अद्भुत शांति बनकर प्रकट होता है.







स्कूल की पत्रिका



आज स्कूल में बहुत काम था, एक दो शिक्षिकाओं की अनुपस्थिति के कारण उसे पूरे आठों पीरियड लेने पड़े, इस समय थकान महसूस कर रही है. एक अध्यापिका ने उससे विज्ञान के प्रश्नोत्तर के बारे में पूछा तो वह टाल गयी, बाद में लगा बता देना चाहिए था, कल स्कूल जाकर सबसे पहला काम यही करेगी. आज भी कक्षा में बच्चे बहुत शोर कर रहे थे, एक सीनियर  अध्यापिका की कक्षा के सामने से गुजरी तो देखा बच्चे शांत बैठे थे, उसका भी यह स्वप्न है शायद कल ही ऐसा हो.

आज स्कूल गयी तो मन में शुभेच्छा थी और ढेर सारा कम्पैशन, एक अध्यापिका अनुपस्थित थी उसकी कक्षा में जाकर स्वयं ही उसने कविता प्रतियोगिता के बारे में बच्चों को बताया. स्टाफ रूम में सभी अभी से आने वाले वर्ष की बातें कर रहे थे. नई शताब्दी दस्तक दे रही है. उसके कदमों की आहट दिलों की धड़कन बढ़ा रही है. कैसी होगी नई शताब्दी की प्रथम सुबह, क्या उस दिन गगन ज्यादा नीला होगा, हवा कुछ अधिक शीतल, पक्षी का स्वर मधुरतर, लोगों के दिल मिले हुए. पर इतना तो तय है पवन में आशाओं की खुशबू मिली होगी, करोड़ों लोगों के दिलों की आशाओं की खुशबू ! 

आज दो किताबें वह असावधानी वश स्कूल में ही छोड़ आई है, ध्यान उधर जाता है. संस्कृत में एक अध्यापिका ने कुछ पूछा तो व्यस्ततता के कारण ठीक से बता नहीं पायी, खैर यह जरूरी तो नहीं कि सदा वह सही ही रहे. स्कूल में रोज नई-नई बातें पता चलती हैं, पहले पता चला प्रोबेशन पीरियड लम्बा चलेगा, दूसरी बात यह कि छुट्टियों की पे नहीं मिलेगी. इन सब बातों का असर उस पर तो पड़ता नहीं क्यों कि पैसे के लिए न उसने काम किया है न कभी करेगी. उसे ध्यान आया, आज जून ने जब कहा वे यात्रा में खरीदारी नहीं करंगे तो आग्रह क्यों कर बैठी, नहीं जी, वे कुछ न कुछ तो लेंगे ही. यह आग्रह करने की मनः स्थिति जब तक रहेगी तब तक चैन नहीं है. जो कुछ उसके पास अब है वही सारी उम्र के लिए काफी है फिर और की आशा क्यों ? आशा करनी ही हो तो मन को विशाल बनाने की करनी चाहिए. जिससे सारे बच्चों को इतने स्नेह दे सके कि उन्हें उस पर भरोसा हो. बुद्धि में सामर्थ्य हो और अपने आप से शर्मिंदा न होना पड़े. आदमी क्या है यह उसके कपड़ों से नहीं उसकी आत्मा से पता चलता है, आत्मा बेदाग हो कबीर की चदरिया की तरह, अपने कर्तव्यों के प्रति सजग और अपनी उन्नति के लिए प्रयत्नशील !

कल क्लब से फोन आया, वार्षिक पत्रिका के लिए उसे लिखना भी है और हिंदी के अन्य लेखों की एडिटिंग भी करनी है. स्कूल की पत्रिका के लिए भी एक अधपिका के साथ उसे प्रेस जाना है. यदि सबकुछ ठीक रहा तो अगले बीस-पचीस दिन उसे साहित्यिक गतिविधियों में सलंग्न रखेंगे. आज उन्हें नौ बजे स्कूल जाना है, पहले गुरुद्वारा समिति की ओर से चित्रकला प्रतियोगिता है फिर पेरेंट-टीचर मीटिंग.




Wednesday, June 25, 2014

उड़ीसा की बाढ़



पिछले दो दिन फिर स्कूल से आकर भी स्कूल का कार्य करती रही. आज ‘असम बंद’ के कारण सभी स्कूल भी बंद हैं सो हफ्तों बाद वह अपनी पुरानी दिनचर्या का पालन कर पा रही है. अभी-अभी कपड़े देने आये धोबी ने आकर बताया, बायीं तरफ के पड़ोसी के घर के सामने एक कार दुर्घटना हुई है, पता चला एक उड़िया साहब के बच्चों ने (जो खुद ही ड्राइविंग सीख रहे थे) एक पेड़ में टक्कर मार दी. बंद के कारण कोई कार लेकर दफ्तर नहीं गया था, पैदल या साइकिल पर ही जाना पड़ा. बच्चों को घर में रखी कार व खाली सडकें देखकर मन में इच्छा हुई होगी. सुबह छोटे भाई का फोन आया, सभी के बारे में ढेर सारे समाचार मिल गये. कल रात नन्हे ने कहा था सुबह उसे न उठाया जाये, वह स्वयं ही उठा पर साढ़े नौ बजे. कल एक सखी के यहाँ बेटे के जन्मदिन की पार्टी थी, अच्छी रही, उसने पनीर व मिक्स्ड वेज अच्छी बनायी थी. कार्ड पर उसने वह कविता लिख दी थी जो वर्षों पहले छोटी बहन ने नन्हे को उसके जन्मदिन पर लिख भेजी थी. सभी को अच्छी लगी. आज उसे वे सभी पत्रिकाएँ भी देखनी हैं जो पिछले दिनों व्यस्तता के कारण नहीं पढ़ सकी.  

जून के दफ्तर के एक अधिकारी की अचानक हुई मृत्यु से सारा वातावरण दुखमय हो गया है. मृत्यु एक पल में सबकुछ छीन कर ले जाती है. उसके फंदे से कोई नहीं बच पाया, जीवन की डोर मृत्यु के हाथ में है. सारा संसार देखता रह जाता है और प्राणी किसी अज्ञात सफर की ओर चल पड़ता है, कौन जानता है कब उसकी मृत्यु होगी. कौन सा क्षण ईश्वर ने बनाया है जब वह अंतिम श्वास लेगा, परिवार जनों को असहाय रोता-बिलखता छोड़कर बंजारा अपना साजो-सामान समेट  लेता है. जब सभी जानते हैं, एक दिन बिछड़ना है तो क्यों इतने बंधन बाँधते हैं. तभी तो सन्त-महात्मा मोह-माया त्यागने की बात कहते हैं. जो यह सत्य जानता है कि जिसकी मंजिल आ गयी, वह उतर गया, जिसे आगे जाना है वह स्टेशन पर उतर गये लोगों के लिए आंसू नहीं बहता, दुखी नहीं होता.

अभी कुछ देर पूर्व क्लब से आते समय देखा उस घर के सामने बहुत भीड़ थी, आज चौथा है, उसने मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना की. टीवी पर आजकल चुनाव परिणामों की चर्चा है, बीजेपी अपने सहयोगी दलों के साथ सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत जुटा चुकी है. कल से स्कूल में अर्ध वार्षिक परीक्षाएं शुरू हो गयी हैं.

परीक्षाएं समाप्त हुईं और पूजा का अवकाश आरम्भ हो गया. पिछले तीन दिन मौसम बादलों के कारण भीगा-भीगा सा था, आज धूप निकली है. पिछले दिनों वे पूजा पंडाल देखने गये, विशेष व्यंजन बनाये और कुछ मित्रों के घर भी गये. उसे परीक्षा की कापियां जांचनी हैं, काम करके उसे सदा ही एक ख़ुशी का अहसास होता है, जीवन को एक अर्थ मिला हो जैसे. उसे पत्र भी लिखने है, और वे सारे काम जो स्कूल खुलने पर नहीं हो पाएंगे. सम्भवतः बाढ़ के कारण कुछ दिनों के लिए  गौहाटी से डिब्रूगढ़ के लिए रेल चलनी बंद हो गयी थी, इस कारण माँ-पिता यहाँ नहीं आ पाए.

स्कूल में फिर से पढ़ाई शुरू हो गयी है और उसने जान लिया है कि पढ़ाना ही उसे पसंद है, टेस्ट, यूनिट टेस्ट और परीक्षाएं ये सब कतई पसंद नहीं, पर ये सब भी शिक्षण का ही अंग हैं. आज खेल का पीरियड भी था, क्लास दो के बच्चे खासतौर पर लडकियाँ पीटी बहुत एन्जॉय करती हैं, लडकों को भागने-दौड़ने वाले खेल ही पसंद हैं. सिलाई का कुछ काम कई दिनों से टल रहा था उसने आज करने की ठानी. नन्हे के घर आने में अभी आधा घंटा शेष है. आजकल वह सुबह उठने में बहुत देर करता है. आज जून डिब्रूगढ़ गये थे, दिसम्बर की उनकी दक्षिण-पश्चिम भारत की यात्रा के लिए टिकट बुक करवाने. आज सुबह उसने जागरण में एक प्रवचन सुना, जिसमें मन की तुलना झरने से की गयी थी जो निरंतर ताजगी लिए रहता है. उन्होंने यह भी कहा, “व्यक्ति को जीवन में प्रतिपल उत्साह बनाये रखना चाहिए ताकि उसमें नीरसता न आ जाये. योगी विचारों से ही पुष्ट होता है और पोषण करता है. मन में लगातार प्रेरणादायक विचारों का प्रवाह चलता रहे तो जीवन खिला रहता है”. उड़ीसा में भयंकर बाढ़ आयी है, वहाँ के लोग भूख-प्यास  से  भले ही पीड़ित हों, तूफान व बाढ़ ने भले ही उन्हें कितना दुःख दिया हो लेकिन जिजीविषा उन्हें पुनः समर्थ बनाएगी. वे फिर खड़े होंगे. दीवाली का त्योहार आने वाला है, जून नन्हे के लिए पटाखे ले आये हैं. उन्होंने सभी को कार्ड्स भी भेज दिए हैं. दीवाली पर एक भोज का आयोजन करने भी विचार है, ईश्वर उनके साथ है.



Tuesday, June 24, 2014

धरती पर स्वर्ग


Today school is closed, so she cleaned the wardrobes in the morning. Earlier they talked to father, mother and  bhabhi on phone, they were worried that nuna has to to duty for seven long hours. Jun came around eleven and they took lunch of dal-raice and parval cooked in butter. Jun thinks wishing people on phone and sending them cards is not necessary but she thinks just opposite, anyway, now onward she will not depend for these things, she will be self sufficient. Nanha had drawing exam today, he had to draw and paint one basket of fruits and one design. Life is such an uncertain thing that one keeps wondering what way it will take. She is feeling low may be not physically fit but it may be due to mental state, both are interdependent.

Today she got a letter from middle brother. He wrote about his journey from leh to shri nagar. The letter gives a good description of the way and atmosphere of the place. It is tense and people are scared. They have to pay the price of living in paradise on earth. It is about to  5, they will go out in the  evening. Practiced music and have to cook, feeling well. Jun is also alright today, he was yesterday also and she made him sad. She thinks that happiness of whole house depends more or less on her and her own happiness also depends on her only.

Today they did lot of house jobs. Cleaning the fridge, putting all the mattresses in the sun, arranging  Nanha’a wardrobe. Jun went to market and Nanha went to collect money with one of his friend for helpage asked by his school.

One new teacher came to their school today. Jun has not come yet, he went for a training programme in the morning, came for lunch, prepared ‘Roti’ for himself, she had cooked dal and sabji in the morning.  it is 6.25 in the evening. School was ok, she could not keep her class sober and calm except class five. Checked copies at home, did some riyaz and walked for few minutes after coming  from school. Today in the morning jun talked to father, they are coming in Puja holidays for two weeks. Nanha got his result , he got highest marks in exams in all three sections. They are proud of him but know he can do better.





Monday, June 23, 2014

भीग गये कपड़े


नये महीने का पहला दिन ! आज उसने कक्षा दो के बच्चों को एक कहानी सुनाई, बड़े ध्यान से सुन रहे थे वे. सुबह जून ने उसे उठाया, यूँ वह पहले उठ चुकी थी, आँख बंद करके स्वप्नों को याद कर रही थी. मौसम स्वच्छ था, पर स्कूल में एक वक्त ऐसा आया जब पानी बहुत तेज बरसा. जून जब घर आये तो कपड़े आँगन में भीग रहे थे, उन्हें अकेले रहना व भोजन करना पसंद नहीं है, पर इतना तो त्याग करना ही होगा उन दोनों को, यदि वह चाहते हैं कि नूना अपनी योग्यता का उपयोग कर सके. उसके भी कई प्रिय कार्य छूट जाते  हैं पर बच्चों का साथ और पढ़ाना उसे पसंद है. छोटे बच्चों को पढ़ाना लेकिन टेढ़ी खीर है. कल उसे एक ही कक्षा में दो पीरियड एक साथ लेने हैं, वे बहुत शोर करते हैं, खैर.. नन्हे की फरमाइश पर आज वह नूडल्स बना रही है. कई दिनों से कोई कविता नहीं लिखी, शायद कल ही कोई ख्याल मन को भा जाये. एक सखी से बात हुई उसके पिता के नाम पर उसके शहर की अदालत में एक चेम्बर बनने वाला है.

फिर एक अन्तराल, ऐसी लापरवाही अच्छी तो नहीं कि इन्सान खुद से दूर चला जाये, उस ऊपर वाले से जो नीचे भी है और अपने दिल में ही है मिलने की फुर्सत भी नहीं थी. कल शाम को ‘बॉम्बे’ देखी, मनीषा कोइराला ने अच्छा अभिनय किया है. इस समय पौने नौ बजे हैं, आज उसे स्कूल देर से जाना है पेरेंट-टीचर मीटिंग है. घर पर रहो तो इतने सारे काम निकल आते हैं, कभी कोई आ रहा है कभी फोन की घंटी. मौसम आज भी अच्छा है, ठंडा-ठंडा सा.. मौसम हमेशा उसके बचाव के लिए आ ही जाता है जब कुछ सूझ न रहा हो. 

बच्चों के माता-पिता से मिलकर अच्छा लगा, उनकी शिकायतें बिलकुल सही थीं. They were right that she should see it, each and every child writes all the classwork from black board. In future she will be more cautious and also more careful in copy checking. This parent-teacher meeting is an eyeopener for her. Head mistress did not say a single word to her, perhaps she was hesitating.  But she will not mind if she says something. She has to learn many things. She has to concentrate more on children than on presentation. Now onward she will give them class one children only two or three sentences to write from the black board.

Today is holiday in their school. It is quarter to eight in the morning, full day ahead of them and so many jobs to do. Today Nanha is having  his science examination and tomorrow will be last ie Hindi. One teacher of their school is going to join college. She will give her a farewell card,  even though theirs was a brief encounter. First day when she heard her talking against Gandhi and Nehru, she thought not much of her but once she talked about absolute and Vedanta then she took notice of her. She is an intelligent girl, gold medalist in BA and MA, her subject is education.

It is 10 minutes to 7, she is feeling good, they went to library, took evening walk, cooked dinner and now she is here with love in her heart and warm feelings in thoughts. So are the ways of life, yesterday that teacher left the school, and all forgot her, they even did not give her a proper farewell.  she felt her absence today, she was very lively and talkative of course. She wished her all the best. Today school was good, she learned that  children should not use colors in bio or science diagrams.




Wednesday, June 18, 2014

बच्चों का शोर


It is afternoon, she has come back from school and waiting for Nanha. He will be on the way from Digboi. He must  have written his chemistry test well this time. Yesterday he prepared for it. Today in the school again she got stuck while talking to one other teacher about the mother of a child, who had come to meet her in the morning. Children are very very energetic and sometimes she wonders what to do to calm them, all of them speak at the same time and make a quite class noisy in one second.  Anyway  she has to face it.

जब से स्कूल जाना शुरू किया है, लिखना छूट ही गया है  किन्तु आज उसने वे सभी कार्य स्कूल से लौट कर किये जो सुबह के वक्त करती थी. पूरे दो हफ्ते बाद व्यायाम किया जो सांध्य भ्रमण तक ही सीमित रह गया था, फिर संगीताभ्यास भी, तन कैसा हल्का-हल्का लग रहा है व्यायाम के बाद और आत्मा संगीत के बाद और स्वाभाविक है मन होगा लिखने के बाद. सुबह-सुबह तैयार होकर स्कूल जाना अच्छा लगता है, बच्चों के बीच रहना और जब टीचर्स रूम में रहो तो इधर-उधर की बातें सुनना, सभी कुछ. आज जून देर से आये, अब उन्हें दोपहर को अकेले भोजन  करने की आदत हो गयी है, नन्हे को भी उसका स्कूल जाना अखरा नहीं बल्कि अच्छा लग रहा है. खतों के जवाब टलते ही जा रहे हैं, फोन पर ही सबको बताया. अभी-अभी एक विद्यार्थी की माँ का फोन आया, उनका बेटा क्लास में कुछ करता नहीं है, उसकी तरफ ध्यान देने की जरूरत है, उसे भी और उसकी माँ को भी. उसका काम सिर्फ पढ़ा देने भर तक ही खत्म नहीं हो जाता बल्कि तब तक चलता है जब तक कि उनका गृहकार्य या कक्षा कार्य पूरा नहीं हो जाता. कल शाम भी एक माँ का फोन आया था उसने ज्यादा गृहकार्य दिए जाने की शिकायत करके जैसे उसे चेता दिया. संस्कृत में present टेंस तथा present continuous टेंस का अंतर एक अध्यापिका ने पूछा. 

Today again she felt helpless among children they were making noise and were very naughty. She felt same chaos in next period also. Class five is much better but some times they are also out of control. Rest of the day was normal, in the morning sweeper did not come. Yesterday she got a letter from younger sister, it was good to know that Nuna’s kargil poem was going to publish in ‘Jat’ magzine. Tomorrow is going to start 4th week of her job. Last three weeks were full of three incidents, one was her speech, 2nd the teaching method for class five and 3rd not giving the test date and portion for class 1. Hopes that 4th week passes without ant untoward incident. Yesterday they had Hindi handwriting competition, she selected the first three entries from each class. Some children write very beautifully.

Today is the last day of the month. They remembered great thinker, poet and saint of Assam Madhav dev, he was disciple of Shanker dev, another great man of Assam. Yesterday she read a story from chicken soup for soul to Nanha and today jun is again reading it. she wished, let tomorrow bring a bright day.





Tuesday, June 17, 2014

बूंदी के लड्डू


Today in the morning when she was doing some work  Nanha said there is a phone call for her from principal mam. She told her in two sentences that she should join the  school on Monday  and that she should bring with herself an application and bio-data. She was happy to get the news, during last few days she was reading about teaching and ideal teacher. She thought God has fulfilled her wish through this opportunity. When she told jun about this he took it nicely and helped her in preparing application and bio data. Yesterday one of her friend’s team stood first in preliminary round of Antakshri competition. Today they will go to see the final.

Today she explained jun, in many ways, why dose  she want to join school and now he is with her wholeheartedly. He was worried of her health problems but she knows active mind and active body produces good health. Yesterday they went to see the 'sur sangm antakshri' by ladies club. It was a superb presentation, a memorable one. Her friend’s team got 3rd prize, from tomorrow a new life awaits her, a life full of work, energy and love.

Yesterday she could not write. Day was hectic and at the end of day she was so tired so was jun. today again she is in school waiting for the bell so that she can go to the class to teach science. Some teachers are sitting here  talking endlessly on various trivial subjects . she is not feeling to participate in their conversations. Today she met other science teacher, she gave her text  book and told how and what to teach the students. tomorrow is total solar eclipse.

Today is jun’s birth day and her holiday. Today in the morning father wished jun , he was very happy, he always becomes very very happy to hear the voice of his parents. She is going to make a b’day card for him. In the evening they will celebrate it with idli sambar and chatni with bundi ke laddu. Tomorrow is 52nd independence day. She thought of telling children about flag hoisting ceremony  in new delhi on lal kila. She will tell them some slogans also.




Friday, June 13, 2014

पब्लिक स्पीकिंग - डेल कार्नेगी की किताब


Just now she read so many useful suggestions on Public speaking. She started reading at 12.30 when jun went back after lunch and small nap. These types of books and articles help those who apply them in life, in her case that may be partially  true. Last evening she tried to write a brief talk on the topic of ‘Teaching’, and now she will add some more points to it. Day by day it will grow. Today she got-up at their usual time around 5. She was dreaming in the early hour of morning. It was a strange dream, but when dreams are not strange. She saw her family in her younger days. Father, mother and all of them were sitting together,suddenly her middle brother says he has seen an angel on mother’s head carrying an image of ma with him. Father asks if there is an angel on his head and on all others head also. He says, yes, it is there and all persons more than 50 years of age have it on their head. She saw one shadow on wall carrying a bag when he goes his bag  and baggage go with him. Whole morning the dream was with her.

Yesterday in the evening she came to know about her friend’s illness through her phone call. She is having fever so today in the morning she rang her and offered help. She made lunch for them and now wondering if they did like it or not. It is I pm, morning was pleasant but now it has become hot. Last night  she saw her in-laws in her dream. Jun and Nanha both appreciated her small article on ‘Time’ which she wrote yesterday inspired by Dale Carnegie ‘s book. It says all have so many ideas and thoughts in their mind only they have to think deeply. Mind is like a deep sea and thoughts are like pebbles on the bottom. She did not like the split of Arif and shanaj in ‘Tanha. Girl is wrong but she loves Mir, it is very complicated and all are suffering except Ali, he has a spark in himself and it seems that a new love story is about to begin.

Jun had to go back at 12.30 as usual but they over slept and suddenly she woke up hearing the sound of their call bell. She asked jun to wake up, it was already 12.50. when she looked for the person who rang the bell, there was no one and now she is wondering if that sound was heard in her dream. Today sun is hotter than yesterday. Everything is scotching in harsh heat. Grass, plants and even leaves of big trees have become lifeless and withered. Today Nanha has taken with him three dead cockroaches for biology period. Teacher will show them the internal and external parts of them. these  days whatever she reads, hears or learn through books, TV or meditation, she tells jun, he is very cooperative. He is helping her in preparing a talk on teaching. They are growing together, life is going on smoothly only when they hear the news and see the dead bodies of passengers who died in train accident they feel sorry. Railway minister has resigned and some officials have been suspended. They will think twice before travelling by train in future.






सांध्य भ्रमण


आज शनिवार है, दस बजने में कुछ समय शेष है और यही है उसके लिखने का समय. कल शाम को एक सखी के साथ क्लब में ‘करीब’ देखी, आधी फिल्म देखकर जब वे लौट रहे थे तो उसने बताया कि उसे पैदल चलना और रास्ते में दिखने वाले फूल-पौधे, घास, पेड़ सब बहुत अच्छे लगते हैं, वह खुश थी पर घर जाकर उसने फोन किया, एक मित्र की कार का टायर पंक्चर होने से एक्सीडेंट हो गया, वे लम्बी यात्रा करके नई कार ला रहे थे, सभी सुरक्षित हैं पर गाड़ी को काफी क्षति पहुँची है. हर क्षण जीवन में कुछ न कुछ घटित होता रहता है लेकिन स्वप्न मानकर इन सब स्थितियों का सामना करने का माद्दा मानव में तभी आता है जब उसके विवेक का तीसरा नेत्र खुला हो, तब दुःख होता है जरूर पर कम होता है और उसका असर भी देर तक नहीं रहता.. उनके साथ घटी उस घटना को वे भी आज तक नहीं भूल तो नहीं पाए हैं पर उस वक्त भी उन्होंने समझ से काम लिया था और व्यर्थ की चर्चा से बच गये थे.

फिर एक अन्तराल, लिखने का अभ्यास बीच-बीच में छूट जाता है फिर एक दिन प्रेरणा होती है और कोरे पेज भरने लगते हैं. आज सुबह कई कार्यों के बारे में सोच रही थी जो करने हैं, कपड़ों की आलमारी सहेजना, फ्रिज की सफाई, बैठक की साज-सज्जा और रुमाल बनाने हैं जिनके लिए कपड़ा पिछले महीने लाई थी. माह का आज अंतिम दिन है, सुबह-सुबह छोटी बहन को जन्मदिन की बधाई दी. फोन से बात करके लगता है भेंट हो गयी, पत्रों का जमाना अब पीछे छूट गया, न किसी के पास पत्र लिखने का समय है न पढ़ने का. कल घर बात करके पता चला छोटे भाई को वायरल फीवर हो गया है. कल वे जून के जन्मदिन के लिए टीशर्ट खरीदने गये पर उन्हें कोई पसंद ही नहीं आई. आज सुबह जे कृष्णामूर्ति की किताब में पढ़ा, “जैसे-जैसे लोग बड़े होते जाते हैं, उनके मस्तिष्क मृत होते जाते हैं, वे संवेदनहीन बनते जाते हैं जिज्ञासा करना छोड़ देते हैं. शरीर की मृत्यु से पूर्व ही ज्यादातर मस्तिष्क की मृत्यु हो चुकी होती है.. ऐसा मन जो अपनी आदतों का गुलाम है, पलायनवादी है, संकुचित है मृतक के समान है. शब्द भी अपना असर न छोड़ें न ही यह दुनिया और उसके कार्यकलाप, न ही हर दिन को नया दिन मानने की और उत्साह पूर्वक उसका सामना करने की आकांक्षा, तब मानना पड़ेगा कि मन हार मान चुका है. उसे भी लगता है मानव वही है जो वह सोचता है. जो वह आज है वह उसके अतीत के विचारों का परिणम है और जो वह आज सोचती है वैसी ही भविष्य में होगी. परमात्मा ने उसे यह अवसर दिया है और उसे इसका सच्चाई और कृतज्ञता पूर्वक लाभ उठाना चाहिये.

अगस्त महीने का आरम्भ हुए तीन दिन हो गये हैं. But she could not write earlier. Today in the morning when she was reading “Ramayana” by R.K. Narayana based on Tamil Ramayana composed by “Kamban” , one known  lady,who is principal of a school, rang her and asked about joining her school, said that she had told her earlier about her wish to work in school. But Nuna said, no, it was she who had asked her. But now she has made her mind and is interested in teaching. Lady  was not at home, in fact she had not reached home when she rang her to tell her affirmation. She likes doing something more useful than sitting and passing time in this or that. Of course she will not leave music or reading books. Last evening they went to a birthday party, but the main topic of discussion was the train accident occurred on Monday night near Jalpaigudi between Avadh-assam and Brahma putra express. Many people died and many got injured. When she heard the news on TV, she was shocked and could forget it only while practicing music in her teacher’s place.


Wednesday, June 11, 2014

कम्बन रामायण


आज उसने हेयर ड्रेसर से समय लिया है, अब उसके केश सम्भाले नहीं जाते, पिछले साल अक्तूबर में कटवाए थे सो आठ महीने को हैं. आज पड़ोसिन से भी बात हुई, मन हल्का हो गया, कभी-कभी सुबह-सुबह थोड़ी सी इधर-उधर की बातें भी मन को निर्दोष ख़ुशी से भर जाती हैं. ऐसी ख़ुशी जिसका कोई स्पष्ट रूप तो नहीं होता पर होती बहुत हल्की है पंछी के परों सी हल्की. आज भी बदली बनी हुई है. सुबह पिताजी का फोन आया था, उनसे मौसम व सबकी सेहत के बारे में पूछा, उनकी आवाज हमेशा की तरह उत्साह से भरी हुई थी, जून की आवाज भी जब वह उनसे फोन पर बात करते हैं उत्साह से भर जाती है बल्कि ऊर्जा से भर जाती है. छोटी ननद के छोटे बेटे का अन्नप्राशन था, कल वह आठ महीने का हो गया है. नूना ने अभी उसे दखा ही नहीं है, न ही उनमें से किसी और ने. रक्षाबन्धन में अभी काफी दिन हैं पर उससे पूर्व ही एक पत्र तो उसे लिख ही देना चाहिए. कल वह संगीत अध्यापिका के पास यह सोचकर गयी थी कि वर्षा के गीत सुनेगी और जैसे उन्हें उसके मन की इस बात का पहले से ही आभास हो गया, उन्होंने रवीन्द्र संगीत पर आधारित कुछ गीत सुनाये, वर्षा आखिर कल दिन भर नहीं थमी. आज सुबह जब वह उठी तो कोई स्वप्न देख रही थी, जगने के बाद भी कुछ देर मन में वही विचार आते रहे बिना किसी रोक-थाम के, किसी टोक, लगाम के, जीव का मन उसके वश में नहीं रहता जब वह सचेत नहीं रहता, अतः हर पल सचेत रहना ही चाहिए तभी कोई अपने विचारों पर नियन्त्रण रख सकता है.

आज से उसने बाल्मीकि रामायण का पारायण प्राम्भ किया है, सुबह ‘जागरण’ में राम कथा सुनकर भगवान राम के प्रति असीम श्रद्धा का अनुभव होता है. उनका महान, उद्दात चरित्र अनुकरणीय तो है ही, मन-प्राण को विस्मित करने वाला भी है. कल छोटी बहन का फोन आया, वह अपने घर में बच्चों के पास है, खुश थी पर १५ अगस्त के बाद उसे फिर पंजाब के बार्डर पर जाना है, कुछ दिन घर पर रहकर फिर से नई शक्ति और ऊर्जा भरकर वापस जाएगी. कल दोपहर एक सखी आई थी, वह थोड़ी परेशान थी, दवाओं के असर के कारण उसे कई अन्य परेशानियाँ हो रही हैं, पति भी बाहर गये हैं, सो अकेलापन.. और भावुक तो वह है ही. पहले नूना भी ऐसी थी पर अब सद्गुरु की कृपा से मन में ठहराव आ रहा है, इसका अनुभव उसे स्वयं के साथ सहज भाव से रहते देखकर होता है, कहीं कोई उहापोह नहीं, कोई संशय नहीं. ईश्वर जो सबके अंदर है जैसे स्वयं रास्ता दिखाता चलता है. कामनाएं बिना कहे ही पूर्ण कर देता है. कितना सहज मार्ग है पर जब तक ज्ञान नहीं था कितना भटकी थी वह, ईर्ष्या, अहंकार, क्रोध, लोभ, अज्ञान इन कुमार्गों पर खूब चली, पर कहीं ठौर नहीं पाया, प्राणी मात्र को अपने जैसा माना और जाना तो कहीं कोई अंतर ही न रहा, जीवन सरल हो गया, मन मस्तिष्क से सारा बोझा ही उतर गया. हे राम ! तेरी महिमा तू ही जाने.

बाल्मीकि रामायण पढ़ना आरम्भ किया तो क्लब की लाइब्रेरी में कम्बन रामायण मिल गयी और आजकल उसे ही पढ़ रही है. कम्बन रामायण में रावण का, सूर्पनखा के द्वारा सीता के सौन्दर्य का वर्णन सुनकर, जो हाल होता है उसका विवरण बहुत ही रोचक है. रावण ने सभी देवताओं को बंदी बना रखा था और उनसे चाकरी करवाता था, यम उसके द्वारपाल थे, उसका काम हर घंटे पर घंटनाद करना भी था. हवा उसके यहाँ सफाई करती थी, अग्नि देवता प्रकाश का प्रबंध करते थे. मौसम भी उसके इशारों पर आते-जाते थे. जब वह सो जाता था तो उसके राज्य की रक्षा होती रहती थी.  

Tuesday, June 10, 2014

पर्दों की धुलाई


Days are passing smoothly, they are learning, enjoying and giving good company one-another. Jun, herself  and Nanha are in harmony these days. Weather is also good, Indian army is winning at border and Indian players are winning at Tennis. Leander paes and Mahesh Bhupati won Wimbledon double grand slam. Today in the morning father rang they are also waiting for Nanha’s birthday, which is falling on Saturday this week.

आज नन्हे का जन्मदिन है, सुबह उठा तो बहुत शांत था, वह किसी भी परिस्थिति में सामान्यतः शांत रहता है, न ज्यादा ख़ुशी जाहिर करता है और न ज्यादा दुःख या गुस्सा, अपनी उम्र के हिसाब से परिपक्व बच्चा, वैसे वह अब बच्चा न रहकर किशोर हो गया है. अपने बैडमिंटन सर के लिए चाय व मित्रों के लिए eclairs chocolates ले गया है. जून भी आज सुबह खुश थे, उन दोनों के लिए ही अपने पुत्र का जन्मदिन ख़ुशी का सबसे बड़ा कारण है. ईश्वर से प्रार्थना है कि वह उनकी इस ख़ुशी को सदा के लिए बरकरार रखे, उसे दीर्घायु दे, सफलता दे और दे समझदारी व विवेक. टीवी पर यह सुंदर भजन आ रहा है-

इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमजोर हो न
नेक रस्ते पे चलते रहें हम भूल कर भी कोई भूल हो न !

उसने zee टीवी के राजेश आडवानी के लिए भी प्रार्थना की, कि सुबह को पवित्र करने वाली प्रार्थना सुनवाई. बाबाजी ने भी आज मन की एकाग्रता की बात सिखाई, बाधाओं को बादलों के समान मानने की कला भी, जो थोड़ी देर में कहीं उड़ जाते हैं.

पिछले चार दिनों से ही डायरी नहीं खोल पायी, आज समय है क्योंकि जुकाम हो जाने के कारण न ही व्यायाम करने का उत्साह है न संगीत अभ्यास करने का. सो समय अपने आप उपस्थित हो गया है. उसने अक्सर देखा है यदि कोई कार्य वे कुछ दिन न कर पाएँ और मन में उसे करने की अभिलाषा हो तो अपने आप वह हो जाता है. अर्थात परिस्थिति कुछ ऐसी बनने लगती है कि सारे कार्य समय आने पर पूरे होने लगते हैं. परसों शाम देर तक वह शावर में स्नान करती रही, गर्मी बहुत थी, पर नतीजा सर्दी लग गयी. कल सुबह पर्दे धोये, परसों बैठक में रंग हुआ था, सो सारे पर्दे धोकर लगाने का विचार था, अब जून भी कल शाम से जुकाम से परेशान हैं, दफ्तर गये हैं, सुबह उसने उन्हें सत्संग में सुनी ज्ञान की बातें सुनकर उत्साहित किया तो पहले अस्पताल जाने के बजाय दफ्तर ही चले गये. वह एक नन्हे बच्चे की तरह हैं, झट बात मान लेने वाले, हर इन्सान के अंदर एक बालक होता है, निष्पाप, सरल और...

सुबह से वर्षा हो रही है, मौसम भीगा-भीगा होने के साथ ठंडा भी हो गया है शीतल और नम हवा खिड़की के पर्दों को हिलाती उसके बालों और चेहरे को छू रही है. आज छुट्टियों के बाद नन्हे के स्कूल का पहला दिन है, सुबह जून उसे छोड़ने गये. घर में चुप्पी छायी है. अन्यथा नन्हे की आवाजें, टीवी की आवाजें और नहीं तो कम्प्यूटर. आज वह स्कूल की कक्षा में बैठ होगा, घर को याद भी नहीं कर रहा होगा. कल रात एक सखी परिवार के साथ रात एक बजे तिनसुकिया पहुंची, ड्राइवर लेने गये था, दो बजे घर पहुंच गये वे, यहाँ लगभग सभी ड्राइवर और कर्मियों दोनों को ही नशा करने की आदत है, अज्ञान वश अपनी सेहत तो बर्बाद करते ही हैं, अन्यों को भी परेशान करते हैं. कल रात तेज कार चलाने के कारण उन लोगों को डर भी लग रहा था. वृद्ध माता-पिता भी उनके साथ थे, बुढ़ापे में तरह-तरह के रोग घेर लेते हैं. उनके साथ ईश्वर है सो सब ठीक ही होगा. उसे याद आया, घर से पत्र आए कितने दिन हो गये हैं, रक्षा बंधन भी आने वाला होगा, दोनों बहनें तो घर पहुंच जाएँगी, बस वही हर साल डाक से राखियाँ भेजती है. कल टीवी पर ‘मन’ देखी.



क्रिकेट का फाइनल


कल भारत की तरह दक्षिण अफ्रीका की टीम अपनी गलतियों की वजह से सेमी फाइनल में आस्ट्रेलिया से हार गयी. दोनों टीमों ने बराबर के रन बनाये पर क्योंकि पहले वे आस्ट्रेलिया से हार चुकी थी, इसलिए उन्हें इस बार भी हारना पड़ा. नैनी आज फिर बिना बताये चली गयी है जैसे कि बोलकर जाने से उसका अपमान होता हो, या फिर यह नूना का वहम् ही हो, खैर, इन छोटी-छोटी बातों से खुद को ऊपर रखना चाहिए. प्रेम, दया, सहानुभति जैसे शब्दों और विचारों से वे अपरिचित ही हैं और रहेंगे, शायद अगले किसी जन्म में उन्हें भी आभार व कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर मिले, इस जन्म में तो उन्हें ही कृतज्ञ होना है कि अपना समय निकल कर वे उनके लिए काम करते हैं. कल रात अजीब-अजीब स्वप्न देखती रही, सुबह प्रातः भ्रमण के लिए वे उठे तो वर्षा हो रही थी, फिर सो गये, ये स्वप्न शायद तभी देखे होंगे. अभी भी बदली का सा मौसम है.

वे ज्ञान व भक्ति द्वारा परमात्मा का अनुभव कर सकते हैं, जो सदा रहता तो उनके साथ है, पर वे उसे देख नहीं पते. जब सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा हो जीवन की गाड़ी पटरी पर दौड़ रही हो तो उन्हें उसकी याद भी नहीं आती किन्तु जहाँ पहिया पटरी से उतरी नहीं कि वे उस परमपिता को पुकारने लगते हैं, किन्तु ईश्वर यदि सारे काम संवार भी दे तो वे खुद को शाबाशी देने लगते हैं, गर्व से फूल उठते हैं, कृतज्ञ होने की तो बात दूर है वे यह स्वीकारना भी नहीं चाहते कि उनकी उपलब्धियों का श्रेय उनकी बल-बुद्धि के सिवा किसी को जा भी सकता है. ईश्वर ने उन्हें बहुमूल्य खजाने दिए हैं, प्रकृति के नाना-रूपों में, दिल में उठने वाली कोमल भावनाओं में, मानवीय प्रेम और भाईचारे के सिद्धातों में. वही उनके देश को बचाएगा.

The woods are lovely…these lines inspire her and straighten her thoughts which are wandering most of the time. Today again due to rain they could not go for morning walk. Yesterday due to cricket world final  they could not go in the evening also. Australia beat the rival team ie Pakistan badly, it was painful to see the Pakistani players sad and frustrated but it happens sometime. It is life and it is game.

कल से जुलाई महीने का आरम्भ हो गया, छोटी बहन के जन्मदिन का महीना. उस दिन उसका पत्र पाकर मन भर आया, वह परिवार दूर पंजाब के बार्डर पर एक कैम्प में रह रही है. पिछले कई दिनों से वह लिख नहीं पाई, बस कुछ व्यस्तता सी रही, इधर-उधर की, संगीत उसकी जिन्दगी का हिस्सा बनता जा रहा है, गला अब थोड़ा बहुत सुरों पर टिकने लगा है, चाहे कितने ही साल क्यों न लग जाएँ, यह अभ्यास अब छूटने वाला नहीं है. उस दिन यानि परसों क्लब में कविता पाठ ठीक ही रहा. गला उतना स्पष्ट नहीं था क्यों कि पिछले कुछ दिनों से दांत में दर्द था...खैर, परेशान गला था, वह नहीं सो ऐसी विशेष बात भी नहीं है. परसों क्लब से एक सखी के यहाँ गयी और कल उसके उनके घर से जाने के बाद क्लब गयी. जून को उसके मैराथन में भाग लेने और पुरस्कार मिलने पर ख़ुशी है, जबकि पहले वह इन सबसे दूर रहने को ही कहते थे, उम्र के साथ इन्सान के कई पूर्वाग्रह अपने आप छूटते चले जाते हैं. एक सखी को फोन किया उसका बुखार अभी भी उतरा नहीं है, उसकी किसी बात का गलत अर्थ एक दूसरी सखी ने लगा लिया और परेशान हो गयी. इन्सान इतना संकीर्ण क्यों होता जा रहा है, बड़े दिल वाले लोग बनाने क्या भगवान ने बंद ही कर दिए हैं.

   

Monday, June 9, 2014

अमलतास की गंध



There was a doctor, oh no ! there is a doctor, who can see the mind of patients, who believes that bodily ailments are only shadows  of mental condition. If one is sad then red cells in his blood will diminish and then he  will be exerted without sufficient  oxygen and then he will be more sad. Blood pressure will decrease and consequently spirit will be low and so on… yesterday she met a doctor which said similar things, and lo.. all her weakness, fatigue, timidness have vanished like they were not there at all. Thank you doctor.

Today is hottest day of this summer, they went for morning walk at 5-10 am, it was pleasant but not cool even at that hour. She has switched on AC and cool air is calming her down. All went well except when she scolded Nanha for doing work slowly. Now she will do her music practice and Nanha will go to his friend’s place to fetch a CD.

अभी सुबह के साढ़े आठ ही हुए हैं और तापमान ३२ डिग्री हो गया है, सुबह साढ़े चार बजे जब वे घूमने गये, तब भी धूप तेज थी. आज दोपहर को एक सखी महीनों बाद उनके यहाँ आ रही है. वे लंच साथ करेंगे और वह उसे सूट की कटिंग में मदद करेगी, उसने सोचा, इस बात के लिए उसे उसका शुक्रगुजार रहना चाहिए, पर वे कितनी जल्दी सब भुला देते हैं. ईश्वर ने उन्हें इतना कुछ बख्शा है, हर कदम पर उनका साथ देता है पर उसके प्रति भी अभिमानी मन कृतज्ञ होना नहीं चाहता, कुतर्क करता है, जीवन शांत चल रहा है, कल शाम जून ने फिर उससे शिकायत की, मगर शिकायती लहजे में नहीं, वह वैसे भी उसका बहुत ख्याल रखते हैं, कल दोपहर दफ्तर से फोन करके याद दिलाया कि उसे आयरन कैप्सूल ले लेना चाहिए. आज वे नन्हे के स्कूल गये हैं, हेड मिस्ट्रेस से मिलना है, स्कूल को कम्पनी की तरफ से सहायता दी जा सकती है या नहीं इस सिलसिले में बातचीत करनी है, यानि पूरी समाज सेवा. जून को इस तरह के कामों में बहुत आनन्द आता है. उसने पडोस की लड़की को पढ़ाना शुरू किया था, पर अब नन्हे का स्कूल भी बंद है, उसके पास समय की कमी है, सो उसकी समाज सेवा सुविधा जीवी है.

Today, it is cloudy, but not cool, stuffy and closed weather, went for morning walk, air was fresh with fragrance of amaltas and gulmohar. Yesterday  her friend came and they spent good time together. Since last one week one lady katha vachak is reciting ‘Bhagvad puran’ in her sweet voice and delightful manner, she is so energetic and full of zeal. She and one other babaji is her morning companions. They teach her to live at ease with herself, to be good to others at any cost, not give much importance to worldly things. Every thing in this world is perishable, only truth is eternal, and to know this is everyone’s goal. Jun was busy whole day yesterday but he was fresh in the morning reading computer at home. Nanha is watching TV since last one hour, enjoying his holidays.