Thursday, June 29, 2023

गणपति की मूर्तियाँ

गणपति की मूर्तियाँ


आज पहली तारीख़ है, सभी को मासिक भत्ता दे दिया। कामवालियाँ, दूधवाला, फूलवाली, पेपरवाला, माली सभी को, पानी का बिल आना अभी शेष है। जून मोबाइल पर दिवाली पर देने के लिए मिठाई देख रहे हैं। ऑन लाइन के जमाने में दुकानें भी मोबाइल पर दिख जाती हैं। ‘देवों के देव’ में महादेव और कार्तिकेय के सुंदर संबंध के दृश्य देखे, बिना आसक्त हुए रिश्तों को निभाना आये तो इससे सुंदर कुछ भी नहीं ! पार्वती  को एक पुत्री की प्राप्ति हुई है, जिसका नाम अशोक सुंदरी है, यह बात पहले उसे ज्ञात नहीं थी। आज छोटी ननद से बात की, उन्होंने योग शिक्षक से योग सीखना आरंभ किया है, शाम को घर पर आकर एक घंटा अभ्यास कराता है। योग को जीवन का अंग बनाये बिना स्वस्थ रहना कठिन है। दोपहर को पिता जी से बात की। उन्हें बीच-बीच में बायें कूल्हे में दर्द होता है। छोटे भाई ने बताया, हफ़्ते में एक बार उन्हें इंजेक्शन लगाने नर्स आएगी। सुबह एक अजीब सा स्वप्न देखा। जिसमें ख़रगोश थे जो अपने बच्चों के पीछे भाग रहे थे और उनका अवशेष भक्षण कर रहे थे। पता नहीं क्या अर्थ है इसका, बाद में पढ़ा, ख़रगोश को स्वप्न में देखना शुभ माना जाता है। मन तो शंका करने में सिद्धहस्त है, नये विचार करने लगा, सो उठने में देर हो गई, जबकि हर स्वप्न जगाने के लिए आता है।  


दोपहर को एक उपहार मिला, सोनू ने भेजा है।जिसमें  गणपति की मूर्तियाँ बनाने के लिए सभी सामग्री दी गई है। प्लास्टर ऑफ़ पेरिस, मोल्ड और रंग ब्रश आदि भी। पहली बार वह गणेश की मूर्ति स्वयं बनाने वाली है। पिता जी का स्वास्थ्य अब बेहतर है, उन्होंने फ़ेसनुक पर उसकी एक कविता पर टिप्पणी की, इसी से पता चलता है। मंझले भाई का तबादला दिल्ली हो गया है, उसे डेढ़ वर्ष और जॉब में रहना है। इसके बाद वह भी सेवानिवृत्ति के विश्राम भरे सरल जीवन का आनंद लेगा, जैसा  वे आजकल ले रहे हैं। जून शाम को गरिष्ठ पराँठे खाना चाहते थे, उसने जरा सा टोका तो वह ख़फ़ा हो गये, बाद में उन्हें खिलाए पर एक बार मूड बिगड़े तो सही होने में थोड़ा समय तो लगता ही है। उसके पास अब मूड रहा ही नहीं, जो है भीतर सदा एकरस है ! 


सुबह नींद जल्दी खुली, जब वे टहलने गये, आकाश में तारे खिले थे, भोर का तारा बहुत चमकीला था और चंद्र दर्शन भी हुए। गुरुजी के प्रति मन कृतज्ञता से भर गया, भीतर समता स्थिर होती जा रही है, सब उन्हीं की कृपा है। शाम को उन्होंने शक्ति ड्राप तथा कबासुर औषधि व धन्य लक्ष्मी तरु के बारे में बताया। यह भी कि हर तरह के भय से मुक्ति ही साधना का परम लक्ष्य है। गायत्री परिवार के किन्हीं लालबिहारी जी से आनन्दमय कोष के बारे में सुना, बहुत अच्छा बोलते हैं। जे कृष्णामूर्ति को भी सुना, किसी ने उनसे पूछा, वह असंतुष्ट है, किसी भी तरह से उसे अपने भीतर की असंतुष्टि का जवाब नहीं मिला। जवाब में जे के ने  कहा, ज़्यादातर लोग असंतोष की इस भावना को पनपने ही नहीं देते, वे किसी न किसी उपाय से इसे दबा देते हैं। हम बहुत थोड़े से ही संतुष्ट हो जाते हैं पर यदि इसे जलती हुई ज्वाला बना लें तो एक दिन इसका उत्तर मिल ही जाता है। अब सवाल यह है कि क्या उसके भीतर की वह आग अब भी जल रही है या शांत हो गई है? वास्तव में एक बार यह आग किसी के भीतर जलती है तो सदा के लिए जलती रहती है। हाँ, इसे एक दिशा मिल जाती है। यह दुख का कारण नहीं रह जाती , एक गहरे संतोष का कारण बन जाती है। पर वह सन्तोष ऐसा नहीं है कि जिसे सदा के लिए अपने पास रख लिया जाये। यह तो फूल की तरह है, या प्रातः समीरण की तरह, यह अपने होने का अहसास भी देता है और सदा अप्राप्य भी बना रहता है। एक यात्रा है जो सदा ही चलती रहती है। 


Wednesday, June 28, 2023

शनि ग्रह का वलय

आज शाम को वे सोसाइटी के छोटे से सुपर मार्केट गये, नारियल, चना मसाला और टमाटर लेने थे। कल यहाँ पहली बार कंजका मनानी है। बच्चे भी आयेंगे। कल ही दशहरा भी है। पीछे वर्ष असम में मनाया था यह उत्सव। आज सुबह वे घर के बाहर थे और दरवाज़ा अंदर से बंद हो गया। जाली वाले दरवाज़े के क़ब्ज़े खोलकर आना पड़ा, बाद में उसे पुन: लगवा दिया, पर उस आधे घंटे में उसे खोलने के कितने सारे उपाय अपनाए। आज जून के केश उसने ख़ुद ही छाँट दिये। सोनू ने जून के लिए मण्डल कला पर एक पुस्तक तथा स्केच पेन का एक सेट भेजा है, जिसमें सुंदर डिजाइन बने हैं, जिनमें रंग भरने हैं। उन्होंने रंग भरना आरंभ भी कर दिया है।  


दशहरे का पर्व सोल्लास मनाया। सुबह पूजा का प्रसाद बनाया। प्राणायाम करते समय मनोमय कोष के बारे में सुना, ज्ञान का कोई अंत नहीं है।रावण की शिव स्तुति सुनी। महादेव का एक अंक देखा, जिसमें देवी काली का रूप धरती हैं, महादेव उनका क्रोध शांत करने के लिए नीचे लेट जाते हैं। एक सखी का साईं बाबा का भजन सुना, उसने आज ही रिलीज़ किया है यू ट्यूब पर। नन्हा और सोनू एक मित्र के साथ आये। दोपहर को महीनों बाद पनीर टिक्का बनाया। शाम को सूर्यास्त की तस्वीरें उतारीं, उससे पूर्व सुडोकू हल किया, अख़बार में पहेलिययाँ हल करना खबरें पढ़ने से भी ज़्यादा अच्छा लगने लगा है। दिन कैसे बीत जाता है, पता है नहीं चलता।  


अक्तूबर समाप्त होने वाला है, पर मौसम आज गर्म है। नीचे के कमरे ठंडे रहते हैं। देवों के देव, में कार्तिकेय का जन्म हो गया है, पर अभी वह अपने माता-पिता के पास नहीं आया है, जो जगत के भी माता-पिता हैं। दीपावली की सफ़ाई के शुभारंभ करने का  समय आ गया है। कुछ देर पूर्व टहलने गये तो बादलों में छिपे चंद्रमा के दर्शन हुए। कल शरद पूर्णिमा है। नन्हे ने टेलीस्कोप से वीनस देखने को कहा था, पर अभी आकाश पूरी तरह निर्मल नहीं हुआ है।कल रात्रि एक अद्भुत स्वप्न देखा, अनाहत चक्र पर कुछ तेज-तेज घूम रहा था, जैसे कोई चक्की चला रहा हो, फिर आज्ञा चक्र पर सुंदर दृश्य दिखने लगे। मानव के भीतर कितने रहस्य छिपे हैं। जे कृष्णामूर्ति को सुनना एक अलग ही अनुभव है। वह चीजों को बहुत गहराई से देखते हैं। दो दिनों से गायत्री परिवार के एक साधक को सुनना आरम्भ किया है, वह बिहारी हैं और उनका बोलने का ढंग बहुत रोचक है। वह प्राणायाम के गूढ़ रहस्यों के बारे में बताते हैं। इस विश्व में अनंत ज्ञान है, हम कुछ भी नहीं जानते, पहले ये वाक्य शब्द मात्र थे, अब प्रत्यक्ष हो रहे हैं। जून ने ‘सूटेबल बॉय’ देखना शुरू किया है, नेटफ़्लिक्स पर। वर्षों पूर्व उसने विक्रम सेठ की यह पुस्तक पढ़ी थी। कुछ पात्र बहुत अच्छे लगे थे। उनके पड़ोस में एक नया घर बनना आरम्भ हुआ है, अब शोर सुनने का अभ्यास भी डालना पड़ेगा।


आज रविवार का दिन अन्य दिनों की अपेक्षा व्यस्त गुजरा। कर्नाटक का राज्योत्सव दिवस है आज, जून ध्वजारोहण के कार्यक्रम में शामिल होने गये। कम ही लोग आये थे। उसने गमलों की देखभाल की, फूलों के नये पौधे लगाये। नैनी से सिट आउट का फ़र्श धुलवाया। दोपहर तक बच्चे भी आ गये। वे आज दिवाली के लिए दिये भी लाये। शाम को नयी गाड़ी की पूजा की। नारियल फोड़कर, धूप दिखाया, कपूर जलाकर आरती की। चॉकलेट का प्रसाद बाँटा। आम के पत्ते से गंगाजल का छिड़काव किया। पूजा के बाद सब टहलने गये, और वापस आकर टेलीस्कोप से शनि ग्रह के दर्शन किए, उसका वलय भी दिख रहा था। महादेव में कार्तिकेय ने युद्ध जीत लिया है, तारकासुर की मृत्यु हो गई। महादेव जब पुत्र को समझाते हैं, तो उनकी भाव मुद्रा में अत्यंत स्नेह भरा होता है।रात्रि भोजन में खीरा, टमाटर, गाजर के सैंडविच बच्चों ने ही बनाये। अब वे घर पहुँचने वाले होंगे। 


Tuesday, June 27, 2023

रंग और ब्रश




रात्रि के नौ बजने वाले हैं। आज मौसम अपेक्षाकृत गर्म है। कहीं से एक बच्चे के रोने की आवाज़ आ रही है, जो सदा ही उसे विचलित कर देती है। शायद वह गिर गया हो, या उसे किसी बात पर डांट पड़ी हो। असम में कितनी बार बाहर जाकर रोते हुए बच्चों को हंसाने की कोशिश करती थी, वहाँ आसपास कई बच्चे थे। यहाँ तो घरों में बहुत ध्यान रखा जाता है पर बच्चे तो आख़िर बच्चे हैं ! अचानक इस समय कैसी हवा चलने लगी है, वातावरण का कितना अधिक प्रभाव मानव के मन पर पड़ता है। सुबह उठे तो बारिश के कारण देर से टहलने जा पाये, ऐसे में सारी दिनचर्या उलट-पलट जाती है। परसों उन्हें रक्त की सामान्य जाँच कराने जाना है। जून को बढ़ती हुई उम्र में होने वाली परेशानियों का भय सताने लगा है, जबकि नूना के मन में तो उम्र का ख़्याल भी नहीं आता।समय भी तो एक भ्रम ही है, जब सब कुछ माया ही है तो फिर डर किस बात का ! शाम को वह छत पर थी, नीचे कामवाली  जा रही थी, उसने बुलाकर कल सुबह जल्दी आने के लिए कहा, पर वह हिन्दी नहीं जानती, पता नहीं क्या समझा होगा। उसी समय सब्ज़ी वाला ट्रक आया था, जून लेने गये, पर कोई भी सब्ज़ी ताज़ी नहीं थी। सुबह वह वर्षों बाद बालों में लगाने वाले दो क्लिप लायी, कोरोना की मेहरबानी से बाल लंबे हो गये हैं। शाम को पिताजी से बात हुई, मंझला भाई मिलने आया था, नया सोफा और नया मैट्रेस मँगवाया है। उनका स्वास्थ्य पूरी तरह ठीक नहीं है फिर भी वह बहुत खुश थे। जून ने पेंटिंग के लिए नये फ़्लैट ब्रश माँगा कर दिये हैं। वह उसका बहुत ध्यान रखते हैं। दोपहर को एक चित्र बनाया, रंगों को कागज पर उड़ेलने में कितना आनंद आता है, इसका पता ही नहीं था। कला कोई भी हो ह्रदय को आनंदित करती है। देवों के देव में लेखा दूसरी पार्वती बनाकर आयी है। कथा अति रोचक हो गई है।  


आज शाम वे नन्हे के घर आ गये हैं, कल  सुबह यहाँ से जाँच के लिए रक्त का नमूना ले जाने के लिए लैब से कोई व्यक्ति आएगा। रात्रि भोजन जल्दी कर लिया ताकि बारह घंटों से कुछ अधिक का उपवास हो जाये। सोनू अपनी एक सखी के लिए केक बना रही है। शाम को छोटी बहन से बात हुई, वे लोग नवरात्रि की पूजा की तैयारी के लिए बाज़ार जाने वाले थे। विदेश में रहकर भी वे सभी उत्सव बहुत विधि से मनाते हैं। सुबह उठे तो आज भी वर्षा हो रही थी, समाचारों में सुना हैदराबाद में अति भीषण वर्षा हुई है, सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। 

सुबह एक विचित्र स्वप्न देखा, जो बहुत कुछ सिखा रहा है। घर का पिछवाड़ा देखा, वहाँ एक माली भी काम कर रहा है। दीदी को देखा, उन्हें सचेत किया, पीछे गंदगी है। जिसमें सड़ी और कटी हुई सब्ज़ियाँ हैं, जिन्हें पानी से भरे एक टब में डाल दिया, पता नहीं क्या अर्थ था इस स्वप्न का, फिर गूगल पर स्वप्न फल में पढ़ा तो पता चला कि अपने किसी कृत्य को स्वीकारा, जिस पर पछतावा था। मन कुछ हल्का हुआ, उसके पूर्व मन आत्मग्लानि से भर गया था। सपने तो सपने ही हैं पर वे प्रतीकों के रूप में कितना  कुछ कह देते हैं। सुबह उठी तो नन्हे ने पूछा, आप योग अभ्यास करेंगी, उसके टीचर ने बहुत अच्छी तरह आसन कराये, एक घंटा कैसे बीत गया, पता ही नहीं चला। उसके बाद पैथोलॉजिकल लैब के एक कर्मचारी ने आकर रक्त लिया। उसके बाद नाश्ता किया, नन्हे ने लंच भी पैक करवा दिया था। वापस घर आकर सफ़ाई करवायी, स्नान, पूजा, ध्यान  के बाद भोजन किया, अच्छा बना था। 


उनकी जाँच की रिपोर्ट आ गई है, सब कुछ सामान्य है। आज अष्टमी तिथि है, सुबह सरस्वती देवी को समर्पित कुछ पंक्तियाँ लिखीं। भीतर भाव उमड़ रहे थे सो दो कविताएँ और लिखीं। यदि अतीत मार्ग में न आये और भविष्य की कोई कल्पना मन न कर रहा हो  तो वर्तमान के गर्भ से ही कर्म का जन्म स्वतः होता है। जब मन पूरी तरह से जगा हो, तभी कला का जन्म हो सकता है। जे कृष्णामूर्ति को कहते हुए सुना था, मृत्यु के क्षण में सारे अतीत की मृत्यु हो जाती है, और ध्यान भी वही है। हर पल यदि ध्यान में रहना है तो अतीत की स्मृति नहीं रहनी चाहिए, जो वर्तमान में बाधा बने। वर्तमान से आँख मिलानी हो तो अतीत का पर्दा आँख पर नहीं रहना चाहिए।  मँझली भांजी ने दिवाली के लिए तोरण और कलात्मक  दिये भेजे हैं, वह ऐसी कई वस्तुएँ बनाती है।  


Monday, June 26, 2023

जे कृष्णामूर्ति की बातें

रात्रि के दस बजने वाले हैं। आज सोनू का जन्मदिन है, नन्हा और वह  शाम को आ गये थे। सोनू बटर स्कॉच केक, सेवईं और चाकलेट्स लायी थी। उसने कोफ़्ते और शाही पनीर बनाया। कुछ देर के लिए वे सब टहलने गये, हवा शीतल थी और वातावरण शांत था। आज वे यहीं रहेंगे, अभी तक किसी कार्य में लगे हैं। नूना ने दोपहर को एक छोटे से सुडौल, अंडाकार पत्थर पर रंगों से चित्रांकन किया, अन्य उपहारों के साथ सोनू को दिया। नन्हे ने अपनी एक पुरानी मोटर साइकिल यात्रा के बारे में रोचक और रोमांचकारी संस्मरण सुनाया। जब वह एक मित्र के साथ उसकी पुरानी बाइक पर चेन्नई से बैंगलुरु आ रहा था,  जिसकी हेडलाइट ने काम करना बंद कर दिया था । किस तरह एक ऑटो की लाइट के सहारे वे लोग अपनी यात्रा पूरी कर पाये थे। जून ने आज एक सलाहकार से बात की, उसने कुछ सुझाव दिये हैं। पिछले कुछ दिनों से वह कुछ परेशान रहने लगे हैं। वर्षों तक इतना व्यस्त रहने के बाद आराम का यह जीवन उन्हें रास न आये, यह स्वाभाविक भी है। रात को नींद नहीं आती। उन्हें अधिक व्यस्त रहना होगा। संभवत: उन्हें अपनी पसंद का कोई काम मिल जाये तो ही उनकी समस्या  का हल हो सकता है। 


आज सुबह उठे तो वर्षा हो रही थी, टीवी के सामने कार्पेट पर बाबा रामदेव को देखकर योग-प्राणायाम का नियमित अभ्यास किया, बाद में वर्षा थमी तो टहलने गये। पेड़ों और पौधों पर पानी की बूँदें अति मनहर लग रही थीं, मोबाइल से कुछ चित्र उतारे। दिन में ‘डाक्टर डूलिटिल’ फ़िल्म देखी, जो नन्हे ने दो दिनों के लिए किराए पर ली थी। बड़ी मज़ेदार फ़िल्म है, जिसमें एक दिन डाक्टर को जानवरों की भाषा समझ में आने लगती है। चूहा, उल्लू, कुत्ता, गिलहरी और न जाने कौन-कौन से प्राणी उससे बात करने  लगते हैं। शाम को वर्षों बाद एक बार फिर टाल्सटाय की ‘पुनरूत्थान; पढ़नी आरंभ की, कितना दुख व कितनी निर्धनता थी उस काल में, आज भी है पर आज लोगों को हर तरह की सूचना मिल रही है, जिससे वे अपने जीवन में बदलाव ला सकते हैं। जून ने सलाहकार की बात मानी तो रात को उन्हें अच्छी नींद आयी, दिन भर वे काफ़ी ऊर्जावान बने रहे। उन्होंने पिता जी को डॉ ऑर्थो तेल भेजा है, जोड़ों के दर्द के लिए लाभकारी है। नन्हे ने दो कैनवास बुक भिजवायीं हैं, कल से वे चित्रकला का अभ्यास करना भी आरंभ करेंगे। उसने फोटोग्राफी के लिए कुछ टिप्स वाले वीडियोज़ भी भेजे हैं। 


वे रात्रि भ्रमण से लौटे तो संध्या काल से आसमान में छितराये बादल अचानक बरसने लगे। शरद ऋतु आरम्भ हो चुकी है, पर  सावन अभी भी टिकने के मूड में है। मनमौजी मन की तरह मौसम कब क्या रुख़ लेगा, कहना मुश्किल है। शाम को नवरात्र के अवसर आश्रम से प्रसारित होने वाला  कार्यक्रम सुना, देखा, ‘त्रिपुरा रहस्य’ पर चर्चा सुनी और फिर गुरु जी का प्रभावशाली उद्बोधन। बाद में भजन भी हुए और शास्त्रीय कलाओं का प्रदर्शन भी। आर्ट ऑफ़ लिविंग कितने क्षेत्रों में कितनी तरह से अपना योगदान दे रहा है। जून के एक मित्र के पुत्र का विवाह अगले वर्ष अप्रैल में होना तय हुआ है, आज ही फ़ोन पर निमंत्रण मिला, ताकि समय रहते वे टिकट करवा लें। आज उसने नीले फूलों की एक पेंटिंग बनायी। दोपहर को जे कृष्णामूर्ति को सुना, वह कहते हैं, देखने वाला ही देखा जाता है। यानी मन ही मन को देखता है और मन ही मन के ख़िलाफ़ हो जाता है। मन ही जगत को देखता है, जो मन का ही हिस्सा है और जगत के ख़िलाफ़ हो जाता है, यानि अपने ही ख़िलाफ़ ! उनका हर विरोध अंततः अपने ही विरुद्ध होता है। इस जगत की दुर्दशा वास्तव में उनकी ही दुर्दशा है यानि उस मन की जो वास्तव में वे नहीं हैं। वे जो वास्तव में हैं उसे यह जगत छू भी नहीं सकता। वह सदा निर्विकार है। वे उसी में टिके रहें तो आनंदित हैं। उनकी सारी तुलना व्यर्थ है, उनकी सारी पीड़ा व्यर्थ है, क्योंकि उनके सिवा वहाँ कोई दूसरा है ही नहीं, एक खेल चल रहा है और अज्ञान वश उन्हें इसका भान ही नहीं होता !