Wednesday, January 27, 2021

ताशकन्द फाइल्स

 

दोपहर के तीन बजे हैं. यदि भाई का काम बैंक में जल्दी खत्म हो गया तो उसे वे लोहे के पाइप से बना पुल दिखाने ले जायेंगे. वापस आकर महिला क्लब की मीटिंग में जाना है. जहाँ कम्पनी की भूतपूर्व प्रथम महिला का विदाई समारोह है, जून सुबह ही उनके लिए लिखी कविता को प्रिंट करवा कर ले आये थे. आज संयुक्त राष्ट्र की सभा में मोदी जी का भाषण होना है जिसका सभी देशों को इंतजार है. दोपहर को कुछ देर एक सन्त का उद्बोधन सुना, ज्ञान सूचना के रूप में तो मिलता है पर जीवन में फलित नहीं होता. 


पौने ग्यारह बजे हैं सुबह के. आज ‘मन की बात’ आने वाला है. कल वे अंतिम बार अरुणाचल प्रदेश गए थे. भाई को गोल्डन पगोडा और रोइंग दिखाया. मोदी जी लता मंगेशकर की बात कर रहे हैं, आज उनका जन्मदिन है. आज से नवरात्र आरम्भ हो रहे हैं. वह कह रहे हैं क्या बालिकाओं का सम्मान करके  लक्ष्मी पूजा नहीं की जा सकती ? ‘एग्जाम वारियर’ उनकी पुस्तक पढ़कर अरुणाचल की एक बालिका ने उन्हें पत्र लिखा है. नडाल व डेनियल के मध्य हुए टेनिस मैच का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, हारने के बाद डेनियल ने नडाल की तारीफ़ की, योग्यता और विनम्रता यदि किसी में एक साथ होती है तो लोग उससे प्रभावित होते हैं. प्लागिंग का जिक्र भी उन्होंने किया, इस छोटे से भाषण में वे कितने ही विषयों पर जानकारी भी देते हैं और प्रेरित भी करते हैं.  


प्रधानमंत्री तमिलनाडु गए हैं और तमिल भाषा की तारीफ़ कर रहे हैं. आज सुबह वे देर से उठे, अलार्म नहीं लगाया था. भाई चार बजे से उठकर तैयार था. उसने कहा, जब नींद खुले तब ही उठना चाहिए. वह बहुत शांत स्वभाव का है. सब कुछ स्वीकार कर लेता है. दो दिन पूर्व जून ने कहा, उन्होंने दफ्तर की एक जूनियर सहयोगिनी व उसके पति को खाने पर बुलाया है। उसने  कहा, एक बार उससे पूछ कर बुलाना चाहिए था. तब से वह कुछ चुप से थे, पर आज बादल छंट गए और उनका मन पूर्ववत हल्का हो गया है. गुरूजी कहते हैं, ढाई दिन से अधिक कोई भी भावना मन पर टिक नहीं सकती, इसलिए यदि कोई उदास है तो उसे प्रार्थना में अपना समय बिताना चाहिए, ढाई दिन बाद स्वयं ही मन बदल जाता है. वह बेहद स्नेहिल स्वभाव के, दृढ प्रतिज्ञ व्यक्ति हैं, उनके निर्णय हमेशा अटल होते हैं. उनका मन सरल है तथा सबका सहयोग करने को सदा तत्पर रहता है. इन दिनों उसे लिखने का समय मिल गया और स्वयं को गहराई से परखने का भी, वह कल्पनाओं में ज्यादा विचरण करती है. 


अक्तूबर का महीना आरम्भ हो गया है. भाई बैंक से वापस आया, अल्पाहार करके फिर वह कार्य करने वापस चला गया, जो सर्वर से कनेक्टिविटी न मिल पाने के कारण ही शेष रह गया था. लखनऊ से एक अन्य ऑडिटर ने जब बताया कि कनेक्शन मिल गया है तो बच्चों की तरह खुश हो गया. दोपहर को एक बजे भोजन के लिए आया तो बताया,  भाभी को कल फोन नहीं किया तो वह रो रही थी और बच्चों से इसकी शिकायत की. इंसान का मन कितना नाजुक होता है, जरा सी भी उपेक्षा, चाहे वह काल्पनिक ही क्यों न हो, सहन नहीं कर पाता। कल उसे वापस जाना है. जून आजकल नेटफ्लिक्स पर पाकिस्तानी सीरियल देखते हैं. उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद का खालीपन खलता होगा सम्भवतः। इतने वर्षों तक व्यस्त रहने के बाद एकाएक यह खालीपन अवश्य ही खलने वाला है.  पैकिंग का काम आगे बढ़ रहा है. आज बच्चों के नर्सरी स्कूल में विदाई समारोह था,  कार्यक्रम अच्छा था. अभी एक विदाई कार्यक्रम शेष है।  


आज गाँधी जयंती है. टीवी पर ‘ताशकन्द फाइल्स’ दिखाई जा रही है, जिसमें शास्त्री जी की मृत्यु के रहस्य पर प्रकाश डाला गया है. फिल्म के अनुसार उनकी मृत्यु का कारण उन्हें विष देना था न कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा था. वास्तविकता क्या है कोई नहीं जानता, जो जानते थे उन्होंने इसे छुपाया. सुभाषचंद्र बोस की मृत्यु के सही समय को भी कोई नहीं जानता। श्यामाप्रसाद मुखर्जी की मृत्यु भी ऐसे ही जेल में हो गयी थी. राजनीति में जीवन-मरण साजिशों से घिरे होते हैं.  इसी माह के तीसरे सप्ताह में वे यहाँ से चले जायेंगे, शायद ही फिर कभी लौटना हो. चौंतीस वर्षों का यहां का जीवन एक सुखद स्वप्न बनकर कभी-कभी याद तो आएगा पर नयी जगह, नए लोगों के साथ एक नया जीवन भी शुरू हो जायेगा. भविष्य में बहुत कुछ करने को है और बहुत कुछ सीखने को है. परमात्मा शिक्षक बनकर उन्हें सिखाने के लिए नई-नई परिस्थितियों का निर्माण करते हैं. जीवन कितना रहस्यमय है !


वर्षों पूर्व उन दिनों जब स्कूल में नया-नया पढ़ाना आरम्भ किया था, एक दिन लिखा है - सोच समझ कर नहीं भावनाओं में बहकर कह रही है पर यदि सोच-समझकर भी कहती तो भी यही कहती, इतना सुख ! क्या स्वर्ग में भी इससे अधिक सुख मिलता होगा ! क्यों होता है ऐसा, क्यों कोई इतना अपना लगता है, क्यों अपना अस्तित्त्व तक बेमानी लगता है किसी की अनुपस्थिति में. जो बातें किसी को ज्ञात हों, उसे न भी ज्ञात हों तो क्या अंतर पड़ता है , इतना विश्वास .. इतना प्रेम .. यही तो है ! प्रिंसिपल मैडम बहुत अच्छी हैं, वह जितनी कठोर हैं उससे अधिक नम्र। उनका मन उसके जैसा है कुछ-कुछ.. पर वह अनुभवी हैं. शायद स्कूल की प्रिंसिपल ने उस दिन उसकी तारीफ़ की होगी. 


Tuesday, January 19, 2021

कभी अलविदा न कहना

 

आज की दोपहर कितनी अलग थी. बारह बजे के थोड़ी देर बाद ही सभी एक-एक करके आने लगे. पूरी डाइनिंग टेबल खाद्य पदार्थों से भर गयी. सुंदर साड़ी का उपहार दिया सबने मिलकर, अच्छी-अच्छी बातें कीं, परमात्मा की कृपा का अनुभव अब कइयों को होने लगा है. एक साधिका ने अपनी भावनाओं को कविता के माध्यम से व्यक्त किया. एक अन्य ने परमात्मा का स्मरण किया, तीसरी ने आशीष माँगा, परमात्मा के प्रति आत्मा का प्रेम ऐसा ही होता है, आत्मा पर जब परमात्मा के इश्क का रंग चढ़ता है तो वह भावविभोर हो जाती है. एक सखी ने कहा, उसका पुत्र ग्याहरवीं में आ गया है, आजकल पढ़ने में उसका मन नहीं लग रहा है. उसे कहा है, बेटे को लेकर आये एक बार. कुछ वर्ष पूर्व उससे योग सीखने आया करता था, शायद अपने दिल की बात कहे. आज इनमें से चार साधिकाओं के लिए लिखी कविताएं उन्हें भेज दीं. शेष सभी के लिए भी हो सका तो कुछ पंक्तियाँ लिखेगी. 


रात्रि के नौ बजने वाले हैं, आज सुबह से ही टीवी चैनलों पर हाऊडी मोदी के बारे में चर्चा चल रही थी. यह कार्यक्रम अब आरम्भ हो गया है. पहले सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे हैं. भारतीय संस्कृति का सुंदर  चित्रण अमेरिकन इंडियन कर रहे हैं. वे भी वर्षों पूर्व ह्यूस्टन गए थे, जहाँ यह कार्यक्रम हो रहा है. थोड़ी देर में मोदीजी  भाषण देंगे, बाद में ट्रम्प भी आएंगे. आज दोपहर सन्डे योग क्लास में बच्चों को सब सामान बाँट दिया, जो हर हफ्ते वे इस्तेमाल करते आ रहे थे. भविष्य में उन्हें घर पर ही योग करना है, यह बताया पर वह जानती है, कुछ ही दिनों में वे भूल जायेंगे. शाम को एक सखी अपनी बिटिया के साथ आयी, उसे कुछ किताबें दीं. एक अन्य सखी को तीन गमले. नन्हे से बात हुई, सोनू की मौसी व उनकी बेटी उनके  यहाँ कुछ दिनों के लिए आये हैं.


आज स्कूल में विदाई समारोह था, टीचर्स, बच्चों सभी ने गीत गाए, उपहार दिया. प्रिंसिपल ने मानपत्र पढ़ा, अच्छा लगा इतनी भावनाओं को उमड़ते देखकर, आँखों में अश्रु भी छलक आये दो एक बार... पिछले छह वर्षों से वहाँ जा रही थी. स्कूल से वापस आकर कुछ देर कश्मीर पर खबरें सुनीं. पाकिस्तान वहाँ मानवाधिकारों के लिए बेवजह ही इतना शोर मचा रहा है, जबकि उसके अपने देश में कितने राज्यों में लोग पीड़ित हैं. राजनीतिज्ञ जब तक संवेदनशील न हो वह आम जनता का दर्द समझ नहीं पाता और संवेदनशील लोग राजनीति में जाते ही नहीं, जाएँ भी तो टिक नहीं पाते. भारत का सौभाग्य है कि उसे मोदी जी जैसे नेता मिले हैं  आज के दौर में. यदि भारत और अमेरिका मिल जाएँ तो आतंकवाद का मुकाबला किया जा सकता है. कल शाम क्लब में विदाई कार्यक्रम है, आज पैकिंग का कोई भी कार्य नहीं हुआ, एक कमरे को छोड़कर सभी कमरे अभी भी पूर्ववत हैं, लगता ही नहीं कि एक महीने से भी कम समय में घर पूरी तरह खाली हो जायेगा. अगले महीने के तीसरे सप्ताह में वे बैंगलोर में होंगे. 


शाम के सवा चार बजे हैं. परसों शाम भाई पांच बजे के बाद ही आया. ढेर सारी मिठाई लाया है. कल योग साधिकाएं आयीं थीं, उन्हें उसका पटना से लाया ‘खाजा’ खिलाया और पेड़े भी. परसों क्लब में हुआ विदाई कार्यक्रम यादगार रहा. अनेक सदस्याओं ने अपने विचार और भाव प्रस्तुत किये. कविताएं पढ़ीं, कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये. योग ग्रुप की महिलाओं का कार्यक्रम ‘योग नृत्य’ सबसे अनोखा था, अंत में वे सभी भावविभोर हो गयीं, आँखें नम हो गयीं, दर्शकों की भी और कलाकारों की भी. घर लौटने में नौ बज गए थे, कितनी तस्वीरें खींचीं सबके साथ, एक सुखद स्मृति बन गया है वह दिन. कल शाम को सीएमडी की पत्नी का विदाई समारोह है, उनके लिए कविता लिखी है, सुबह पूर्व प्रेसीडेंट का फोन आया,  उन्होंने बतायीं कई बातें, सम्भवतः वह उन्हें कालेज के वक्त से जानती हैं। आज सुबह पिताजी के लिए रॉकिंग चेयर की जानकारी ली, जो वे उनके अठ्ठासीवें जन्मदिन पर भेजना चाहते हैं. फुफेरे भाई से बात हुई, भाभी का अपेंडिक्स का आपरेशन हुआ है कल, फुफेरी बहन के बारे में बताया, एक जगह उसका रिश्ता होते-होते रह गया. जीवन में जो वे चाहते हैं सब तो नहीं होता, पर उसके साथ तो ऐसा ही है. परमात्मा उसके साथ है हर पल, जो भी होता है वही होना होता है., वही होना ठीक भी होता है. जीवन कितना सरल हो जाता है यदि कोई सदगुरू राह दिखाने वाला मिल जाये ! 


... और आश्चर्य हुआ कि वर्षों पूर्व भी उसने उस दिन यही लिखा था, “गॉड इज विथ हर ! आज ही हुआ वह जैसा उसने सोचा था... ईश्वर उसका कितना ख्याल रखता है. उसका रखवाला अपनी नन्ही मित्र का कितना ख्याल रखता है ! थैंक गॉड ! रात्रि के ग्यारह बजे हैं, नींद भी आ जाएगी कुछ ही देर में पर सोने से पहले अगर मन में सपने सोच ले जो रात को देख सकेगी तो ... दिन भर ठीक रहा.. कल इतवार है और उसकी परछाई जो बिस्तर पर पड़ रही है अच्छी लग रही है”.


Thursday, January 14, 2021

चंदा और सूरज

 

आज सुबह अपने आप ही नींद खुल गयी पौने चार बजे. हल्की सी वर्षा हो रही थी. जब छाता लेकर वे टहलने निकले, सड़कों पर पानी जमा था पर कुछ ही देर में बारिश थम गयी. उससे पहले एक स्वप्न देखा था. वे सब कहीं बाहर गए हैं, किसी सराय या धर्मशाला में हैं. माँ व भाई एक कार में बैठ जाते हैं, वह सामान लेकर जाती है पर वे उसे वहीं छोड़कर चले जाते हैं. एक अन्य व्यक्ति भी कार में है  पर कौन है पता नहीं . बचपन में झगड़े का कारण किसी जन्म में हुई इस घटना में छिपा लगता है. इस दुनिया में अकारण कुछ भी नहीं होता, उनके जीवन में जो कुछ भी घटता है उसके पीछे कोई न कोई कारण अवश्य होता है. आज छोटे भाई से बात हुई वह माह के अंत में एक सप्ताह के लिए यहाँ आएगा, उसे एक बैंक में ऑडिटिंग करनी है. दोपहर साढ़े बारह बजे उन्हें मृणाल ज्योति जाना था, विदाई भोज के लिए. कार्यक्रम बहुत अच्छा था. हॉस्टल में रहने वाले विद्यार्थी और सभी शिक्षक स्वागत के लिए खड़े थे. उन्हें सुंदर सा पीतल का होराई उपहार में दिया और कृतज्ञता पत्र भी पढ़कर सुनाया. इस संस्था से उनका जो संबंध है वह तो दिल में सदा ही रहेगा, जैसा कि जून ने अपने भाषण में कहा था. शाम को छोटे बच्चों के स्कूल में योग कक्षा की शुरुआत की. उनके जाने के बाद वहीं पर महिलाओं का नियमित योग का सत्र होगा।  कम्पनी की तरफ से विदाई समारोह के लिए जून को अगले हफ्ते की एक डेट देने को कहा गया था, पर दो दिन बाद वह बनारस जा रहे हैं. कल शाम छोटी बहन से बात की, रात अपने एक डॉ मित्र से उन्होंने बात की. आज सुबह ननदोई से, सभी ने कहा उनके एक बचपन के मित्र का स्वास्थ्य ठीक नहीं है. जून ने तय किया कि वह उनसे मिलने जायेंगे.  


आज हफ्तों बाद ब्लॉग्स पर लिखा. अभी भी काफी सामान समेटना शेष है, आज कुछ पेपर्स जला  दिए, और भी निकलेंगे. जून अभी फ्लाइट में होंगे, देर रात वह घर पहुंचेंगे. आज सुबह  व्यर्थ ही उनसे विवाद किया, उनका स्वभाव जानते हुए भी. खुद की बात ही सही है ऐसा सबका विश्वास है. इसलिए हर बात को सिर झुकाकर क़ुबूल कर लेना चाहिए. आर्ट ऑफ़ लिविंग का पहला सूत्र भी यही है, लोगों और परिस्थितियों को जैसे वे हैं वैसे ही स्वीकार करें.  दिल बहुत कोमल भी है और उतना ही कठोर भी. आर्ट ऑफ़ लिविंग का एक और सूत्र है, विपरीत मूल्य एक दूसरे के पूरक हैं. आज मंझली भाभी से बात हुई, उनकी बिटिया मलेशिया गयी है, वहाँ से उसे स्पेन जाना है, उसका होने वाला पति भी उसी के दफ्तर में काम करता है. दो महीने बाद उनके विवाह में उन्हें जाना है. दीदी ने कहा है, वे लोग भी उनके साथ उस यात्रा के दौरान पंजाब व हिमाचल जायेंगे. जून ने उनकी भी टिकट बुक कर दी हैं. आज एक पुरानी साधिका का फोन आया, वह दो-तीन महीने के लिए अपनी बिटिया के पास विदेश जा रही है. कहने लगी, उसके जाने से यहाँ कमी खलेगी, पर इस दुनिया में किसी के आने-जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता. दुनिया को उनकी नहीं उन्हें दुनिया की जरूरत होती है ! 


आज शाम से ही पुरानी नोटबुक्स को छाँटने का काम कर रही थी. चार-पांच घण्टे लग गए. जो डायरी साथ रखनी हैं और जो नष्ट कर देनी हैं, उन्हें अलग-अलग किया. किताबों में भी इसी तरह तीन समूह बनाये, एक जो ले जानी हैं, दूसरी जो स्कूल की लाइब्रेरी में देनी हैं , तीसरी जो  महिलाओं को देनी हैं. कुछ देर पहले जून से बात हुई, उनके मित्र अस्पताल में हैं पिछले तीन दिनों से, कल दोपहर तक शायद वापस घर आ जायेंगे. आज वह उन्हें एक अन्य डॉक्टर को दिखाने ले गए. उनके दोनों पुत्र भी आ गए हैं. कल दोपहर गायत्री योग साधिकाओं के समूह ने विदाई भोज रखा है. वे सभी उसके यहाँ आएंगी और अपने साथ भोजन बनाकर लाएंगी. वे भी उनके लिए शिलांग से उपहार लाये हैं. आज दोपहर स्वप्न में कोई सुस्वादु पदार्थ खाया, कैसा जीवन्त अनुभव था. सोने से पूर्व समाधि के बारे में सुना था. पुरानी डायरी में कृष्ण को लिखे पत्र पढ़े ! परमात्मा के लिए प्रेम जैसे उन दिनों पूरे ज्वर पर था, अब भीतर कैसी स्थिरता छा गयी है. दो दिन पूर्व कैसा अनोखा स्वप्न देखा, गुरूजी को देखा, वह सम्भवतः शिष्यों को परख कर रहे हैं, वह उन्हें देखती है और सुध खोकर गिर पड़ती है, फिर देह से निकल कर आकाश में उड़ने लगती है, कितना सजीव था सब कुछ ! जीवन के रहस्य को कोई कैसे समझ सकता है ! 


वर्षों पूर्व ...कालेज खत्म होने बाद उस दिन के पन्ने पर लिखा था - अभी-अभी वह सूरज और चाँद से मिलकर आ रही है. कितना सुख था यह कहना कि वह उनके लिए है ! एक तरफ सूर्य की हल्की लालिमा तथा दूसरी तरफ पूरा गोल चाँद और इतना बड़ा आकाश, कितना सुंदर मैदान, वह पागल थी उस एक क्षण... हँसी उसके होठों से फूट रही थी और शी वाज फुल विद दैट फेमिनिन फीलिंग ... जिस स्कुल में उसने पढाना शुरू किया था, कल वह उसकी प्रिंसिपल से मिलकर अपने ओरिजनल सर्टिफिकेट लेने वाली थी, जो जॉब देने से पहले उन्होंने रख लिए थे. उसे आगे पढ़ाई के लिए अप्लाई करना था. 


Wednesday, January 6, 2021

विदाई समारोह

 

पिछले तीन दिन व्यस्तता में बीते. डायरी लिखने का न समय था न ख्याल ही आया. इस समय रात्रि के नौ बजने वाले हैं जून अमेरिका में रहने वाले अपने कालेज के समय के एक पुराने मित्र से बात कर रहे हैं. जिस कम्पनी में वह रिसर्च का काम करते थे, वहां अनुसंधान विभाग बन्द हो गया है. अब उन्हें दूसरी जगह जाना है. विदाई समारोह में भाग लेने आज जून दफ्तर गए थे. समारोह अच्छा रहा, उन्हें कई उपहार भी मिले हैं, अभी खोलकर नहीं देखे हैं. सभी ने उनके लिए अच्छे शब्द कहे सिवाय एक के, जिन्हें शिकायत है कि जून उन्हें समय पर दफ्तर आने के लिए टोका क्यों करते थे. दुनिया में शत्रुता-मित्रता उसी तरह आती-जाती है जैसे दिन-रात और सर्दी-गर्मी. उन्हें साक्षी भाव से उसका वहन करना है. कल से गणेश पूजा का उत्सव आरम्भ हो गया है. वे तिनसुकिया गए और सभी के लिए पूजा के उपहार लाये. 


आज सुबह वे उस घर की तरफ गए, जहाँ वर्षों पहले पहली बार रहे थे, मात्र छह महीनों के लिए फिर उस घर की तरफ जहाँ नन्हे का जन्म हुआ था, बाहर से ही उसकी तस्वीर उतारी.इस घर में छह वर्ष रहे. शाम को एक अन्य घर की तस्वीर लेनी है जहाँ तेईस वर्ष रहे, और जिसमें अभी रह रहे हैं वह चौथा घर है. आज कपड़ों की आलमारी खाली की. ढेर सारे ऐसे वस्त्र निकले हैं जिन्हें अब पहनना नहीं है, कुछ गर्म कपड़े जो अब बंगलूरू में नहीं चाहिए. सभी को ठीक से तह करके अलग-अलग जगह बाँट देने हैं. बहुत सारी किताबें भी हैं जिन्हें वितरित करना है. कल शिक्षक दिवस है, मृणाल ज्योति में अंतिम बार इसमें भाग लेने का अवसर मिलेगा. 


शिक्षक दिवस पर सुंदर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. एक दूसरे स्कूल में भी उसे बुलाया था जहां योग सिखाने  जाती थी, उन्होंने दो उपहार दिए  हैं, एक विद्यार्थियों की तरफ से और एक स्कूल की तरफ से. उन्हें भी खोला नहीं है. बैठक में फूलों के ढेर और कई अनखुले उपहारों का ढेर लग गया है. लगता है जैसे अब किसी भी वस्तु की आवश्यकता नहीं रह गयी है. उम्र के इस पड़ाव पर आकर जैसे एक तृप्ति की भावना प्रबल हो जाती है. मन की अपार शांति और सुख के सामने वस्तुएं  खिलौने जैसी ही जान पड़ती हैं. शाम को योग कक्षा में भी साधिकाओं ने शिक्षक दिवस मनाया. फूलों के गुलदस्ते और पीतल का एक सुंदर दीपदान उपहार में दिया. अगले हफ्ते से योग कक्षा स्कूल के हॉल में होगी. 


आज सुबह साढ़े आठ बजे वे मोरान के लिए रवाना हुए. कुछ देर पूर्व ही लौटे हैं. मोरान  अंध विद्यालय में श्री विक्टर बनर्जी और उनकी पत्नी श्रीमती माया बनर्जी से मुलाकात हुई. प्रिंसिपल वार्गीश और प्रशासनिक अधिकारी जोशी जी से भी मुलाकात हुई. हर क्लास में जाकर बच्चों को चॉकलेट दीं, प्रिंसिपल स्वयं ले गए. माहौल बहुत स्वच्छ और अच्छा था. मोरान गेस्ट हाउस में दोपहर का भोजन करने के बाद डिब्रूगढ़ में एक फर्नीचर की दुकान पर गए, बैम्बू का एक झूला  पसन्द आया जो असम की एक कलात्मक स्मृति के रूप में वे बैंगलोर ले जाने वाले हैं. 


रात्रि के सवा आठ बजे हैं. प्रधानमंत्री का अपनी सरकार के सौ दिन पूरे होने पर जोशीला भाषण दिखाया जा रहा  है, जो उन्होंने रोहतक में दोपहर को दिया था. इसरो के प्रमुख सिवान को सांत्वना देता हुआ उनका वीडियो काफी देखा जा रहा है. वह हर स्थिति में अपनी भूमिका सहजता से निभाते हैं. आज सुबह वह एक नई दिशा में गए सूर्योदय की कई तस्वीरें उतारीं। प्रातः भ्रमण अब ज्यादा आनंददायक हो गया है, क्योंकि समय का कोई बंधन नहीं रह गया है. माली से कुछ पौधे प्लास्टिक के गमलों में लगवाये जिन्हें वे अपने साथ ले जायेंगे. दस दिनों तक यात्रा के दौरान उनमें से कितने बचेंगे कहना कठिन है. मात्र सवा महीना रह गया है उन्हें जाने में. अगले सप्ताह शिलांग जाना है. मेघालय में  डौकी नामका एक स्थान है, जहाँ एशिया का सबसे स्वच्छ गाँव है तथा एक जीवित वृक्ष का पुल है, वहां भी जायेंगे. यह उनकी मेघालय की अंतिम यात्रा होगी.  कल शाम मंझले भाई ने बिटिया के विवाह का समाचार दिया जो दो महीने बाद होने वाला है. उन्होंने पिताजी से बात की, यदि उनका स्वास्थ्य ठीक रहा तो वे भी विवाह में आएंगे.


और अब उस पुरानी डायरी का पन्ना - 


तितली के दिन, फूलों के दिन 

गुड़ियों के दिन, झूलों के दिन 

उम्र पा गए, प्रौढ़ हो गए 

आटे सनी हथेली में 

बच्चों के कोलाहल में 

जाने कैसे खोये, छूटे 

चिठ्ठी के दिन, भूलों के दिन 


नंगे पाँव सघन अमराई 

बूंदाबांदी वाले दिन 

रिबन लगाने, उड़ने-फिरने 

झिलमिल सपनों वाले दिन !


अब बारिश में छत पर 

भीगाभागी जैसे कथा हुई 

पाहुन बन बैठे पोखर में 

पाँव भिगोने वाले दिन 

इमली की कच्ची फलियों से 

भरी हुई फ्राकों के दिन 

सीपी, मनकों, कौड़ी 

टूटी चूड़ी की थाकों के दिन !


अम्मा संझा बाती करती 

भौजी बैठक धोती थी 

बाबा की खटिया पर 

मुनुआ राजा की धाकों के दिन 

वो दिन मनुहारों के, झूलों पर 

झूले और चले गए 

वो सोने से मण्डित दुनिया 

ये नक्शों, खाकों के दिन !


Saturday, January 2, 2021

राष्ट्रीय खेल दिवस



सवा ग्यारह बजे हैं, जून आज देर से घर आने वाले हैं. क्लब में एजीएम चल रही है, शायद एक बजे के बाद आएंगे. नन्हा बाहर बगीचे में झूले पर बैठकर पढ़ रहा है. उसे नहाने के लिए कहा तो वह बाहर चला गया. मौसम इतना गर्म है और वह कल भी दोपहर तक नहीं नहाया था. उसे तन की साज-सज्जा का शौक नहीं है. अब इतनी उम्र होने को आयी है, विवाह भी हो गया है, यदि अब  भी रोज सुबह उठकर नहाने का मन नहीं होता तो आगे  खुदा ही मालिक है. सवा ग्यारह बजे हैं, जून आज देर से घर आने वाले हैं. क्लब में एजीएम चल रही है, शायद एक बजे के बाद आएंगे. नन्हा बाहर बगीचे में झूले पर बैठकर पढ़ रहा है. उसे नहाने के लिए कहा तो वह बाहर चला गया. मौसम इतना गर्म है और वह कल भी दोपहर तक नहीं नहाया था. उसे तन की साज-सज्जा का शौक नहीं है. अब इतनी उम्र होने को आयी है, विवाह भी हो गया है, यदि अब  भी रोज सुबह उठकर नहाने का मन नहीं होता तो आगे  खुदा ही मालिक है. 


रात्रि के साढ़े आठ बजे हैं. पिछले चार-पांच दिनों से नन्हे के आने तथा एजीएम के कारण जो व्यस्तता बनी हुई थी, वह समाप्त हो गयी है. उस दिन अचानक आकर उसने चौंका ही दिया था, कहने लगा, असम में अंतिम वर्ष है जब वे स्वतन्त्रता दिवस और जून के जन्मदिन की पार्टी दे रहे होंगे, बंगलौर से ढेर सारी मिठाई और अन्य व्यंजन भी लाया था. आज वापस चला गया, दोपहर को सन्डे क्लास में बच्चों को उसके लाये रसगुल्ले और नमकीन खिलाई, रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया. अभी उसका संदेश आया, पहुँच गया है. आज कई राज्यों में बहुत तेज वर्षा हुई, बाढ़, भू स्खलन आदि के कारण लाखों लोगों को कितने कठिन हालात में रहना पड़ रहा है. जून आजकल जरा जल्दी झुंझला जाते हैं, शायद सेवानिवृत्ति निकट आने की वजह से, वैसे यह उसका वहम भी हो सकता है. 


पिछले दो दिन कुछ नहीं लिखा, शाम को लाइब्रेरी से लायी एक पुस्तक पढ़ी, पर जब जीवन ही माया है तो उसमें कल्पना का और समावेश करने की क्या आवश्यकता है, कविता ज्यादा करीब लगती है सत्य के... पिछले दिनों नियमित नहीं लिखा, असजगता का परिणाम था, आश्चर्य भी होता है कि अब भी उहापोह शेष है, पर शायद कोई कर्म उदित हुआ था जिसका भुगतान इसी तरह होना था. बहुत दिनों बाद आज चार पोस्ट प्रकाशित कीं, लेखन और पाठन ही उसके प्रिय कार्य हैं, जिन्हें करते समय समय का भी भान नहीं रहता. नन्हे ने मोबाइल में कई नए ऐप्स इनस्टॉल कर दिए हैं, उसके आने से टेक्नोलॉजी का ज्यादा उपयोग करने लगते हैं वे. समाचारों में सुना कांग्रेस के नेता व पूर्व गृहमंत्री पी चिदम्बरम को तलाश किया जा रहा है, उन्हें सीबीआई की कस्टडी में रखा जायेगा. कुछ दिन पूर्व पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री की हिरासत की बात सुनकर उसे लगा था , भारत में बदले की राजनीति नहीं होती. पर राजनीति में यह उठापटक सामान्य बात है. दुनिया के कई देश कश्मीर पर भारत का साथ दे रहे हैं. कल छोटी बहन से बात हुई, उसने अपनी ड्यूटी के दौरान पैंसठ फोन कॉल्स अटैंड कीं, कितनी श्रमसाध्य होती है एक डाक्टर  की जिंदगी. उसने बताया, मुस्लिम देशों में महिलाओं की स्थिति दयनीय होती है. उसके अस्पताल में कई महिलाएं आती हैं जो काफी दिनों से कितनी दवाएं खा रही हैं, वह भाषा की बाध्यता के कारण उन्हें ज्यादा सलाह नहीं दे पाती. लोग कितना दुःख उठाते हैं गलत दिनचर्या के कारण.  दीदी से बात हुई, उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है, डॉक्टर ने टीआईए बताया है, एक महीना दवा लेनी है, ज्यादा चलना-फिरना है, कोलस्ट्रॉल बढ़ गया है. छोटे भाई के लिए जन्मदिन की कविता लिखी, उसने अपने टूर के दौरान नए बैंक में अपना जन्मदिन मनाया, सभी कर्मचारी शामिल हुए. नई जगह जाकर भी वह सबको अपना मान लेता है. पिताजी को जून की भेजी चाय मिल गयी है, जो सोनू के पिता जी ने दी थी जब वे गोहाटी गए थे, वह चाय बागानों के लिए सलाहकार हैं. 


आज शाम को भजन संध्या थी, नैनी ने लाल फूलों से मन्दिर सजाया था. रात्रि के सवा आठ बजे हैं. टीवी पर पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली के निधन पर शोक संदेश प्रसारित हो रहे हैं. प्रधानमंत्री विदेश यात्रा पर हैं, उनकी तरफ से राजनाथ सिंह जी ने श्रद्धांजलि दी. अमित शाह बहुत गमगीन नजर आ रहे हैं. हाल ही में बीजेपी के कई दिग्गज नेताओं ने अपनी देह त्याग दी. आज शाम वे जून के एक पूर्व सहकर्मी के यहां गए , उनका पुत्र एक संगीत अकादमी चलाता है. उनका घर संगीत के वाद्यों से भरा हुआ था, कई विद्यार्थी भी वहाँ थे. कल सुबह उन्होंने एक परिवार को नाश्ते पर बुलाया है, शाम को वे स्वयं आमन्त्रित हैं. अब उनके शेष दिन इसी तरह लोगों से मिलते विदाई लेते गुजरने वाले हैं. मात्र पाँच दिन शेष हैं जून के कार्यकाल के. शाम को उनके एक पूर्व कर्मचारी की बेटी आयी, वह एलआईसी एजेंट है, पॉलिसी लेने को कह रही थी. उससे पूर्व मृणाल ज्योति से दो लोग आये, उन्हें बगीचे से ढेर सारे पके कटहल तोड़कर ले जाने को कहा था.  


आज खेल दिवस है, हाकी खिलाडी ध्यान चन्द के जन्मदिन को खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. देश व समाज को स्वस्थ रखने के लिए प्रधानमंत्री ने आज ‘फिट इंडिया’ का अभियान भी आरंभ किया.  


उस पुरानी डायरी में पढ़ा, ... “परीक्षाएं समाप्त हो गईं, अभी परिणाम नहीं आया, कुछ  बच्चों को घर पर पढ़ाना शुरू कर दिया है। एक स्कूल में नौकरी के लिए प्रार्थना पत्र लिखा है। सुबह उठी तो मूसलाधार बारिश हो रही थी। फिर मौसम स्वच्छ हो गया. लगभग नौ बजे तक उसने एक झोंपड़ी बनायी। हरा कागज चाहिए और मिट्टी भी, साथ ही हाथी, गाय, कुआँ  और पानी भरती हुई औरत की कटिंग, पेड़  और फूल। फिर रह जाएंगे बल्ब, चाँद और सितारे, उन्हें एक गत्ते पर बनाना होगा कटिंग करके। कल्पना साकार होगी अवश्य। रील मंगवानी है और हरा, सफेद, चमकीला और नारंगी कागज भी।” आज सोचती है तो कुछ भी याद नहीं आता कैसी बनी थी वह झोपड़ी और क्यों बनायी थी ! यहाँ एक ही जन्म की बातें याद नहीं रहतीं और मानव जन्मों की बात करता है !