कल सुबह जब जून और
नन्हा सो रहे थे, बाहर भी कोई शोर नहीं था, वह ध्यान में बैठी, आधा घंटा कैसे बीत
गया पता ही नहीं चला, आज भी वही हुआ, इस पुस्तक ने वाकई उसकी बड़ी सहायता की है.
मौसम आज भी ठंडा है, वर्षा पिछले शनिवार को जो शुरू हुई है तो आज तक नहीं थमी है.
२३ मई को उसे ‘हिंदी कविता पाठ’ के लिए
जाना है, पढ़ने के लिए नहीं सिर्फ सुनने के लिए, और विजेताओं का फैसला करने में
सहायता के लिए भी. उस दिन जालोनी क्लब की ओर से एक सदस्य आये और कविताएँ चुनने के
लिए कहा, जो कक्षा १ से १२ तक के छात्र-छात्राएं पढ़ेंगे. कल शाम छोटी बहन का फोन
आया, उसने आर्मी में डाक्टर की नौकरी के लिए योग्यता प्राप्त कर ली है, छह महीनों
बाद ज्वाइन करेगी, उसे कैप्टन का रैंक मिला है. कल शाम को जून ने घर पर फोन किया,
छोटा भाई स्टेशन पर नहीं आ पाया था, सबकी
अपनी-अपनी मजबूरियां हैं, इसलिए ऐसा मौका ही नहीं आने देना चाहिए कि किसी से
सहायता लेनी पड़े.
आज छोटी भांजी का जन्मदिन है, सुबह दीदी को फोन
किया, हर बार की तरह समझ में नहीं आया और क्या कहे, सभी की कुशलता पूछने व
शुभकामनायें देने के बाद ही फोन रख देना चाहिए था पर इतने दिनों बाद किसी अपने की
आवाज देर तक सुनने का मन करता है. रात को ठंड बढ़ गयी थी और वे कम्बल लेकर नहीं
सोये थे,. नन्हा आजकल देर से उठता है सो सुबह-सुबह ही उसे डांट पड़ जाती है, फिर
उसका मन भी ठीक नहीं रहता, कल से उसे जल्दी उठने की आदत डालनी है, थोड़ा अनुशासन ही
उसे अच्छी आदतें सिखाएगा.. आज सुबह भी ध्यान किया, अनोखे अनुभव होते हैं, कब कौन
सा पुराना विचार उभर कर सतह पर आएगा पता ही नहीं चलता. आज पिता के नामों को बिगड़
कर बोलने की बात याद आई, जो उसे कभी पसंद नहीं थी. आज स्वीपर जल्दी आ गया है, सो
स्नान भी नहीं हो पाया है अभी तक, थोड़ी सी परेशान है पर जानती है एक क्षण में ही
खुद को संयत कैसे किया जा सकता है. जून ने कल नये एसी के लिए ड्राफ्ट बनवा लिया,
आज जमा करने जा रहे हैं. तिनसुकिया से वह मेज भी लायेंगे जो उन्हें कम्प्यूटर के
लिए चाहिए. घर में सामान बढ़ता ही जा रहा है, वे विकास की ओर अग्रसर हैं या..
नन्हा स्वीमिंग पूल जाने के लिए तैयार बैठा है, जून
के आने में भी चंद मिनट हैं, आज धूप तेज है, मौसम गर्म हो गया है, पहले नन्हे को
गृह कार्य में सहायता की फिर कुछ कपड़े ठीकठाक किये. आज सुबह ध्यान सफल नहीं हो पाया,
शायद कल की घटना का असर अब भी मन पर है, कुछ तो ऐसे होंगे जिनपर यह असर बरसों बरस
रहेगा, शायद जीवन भर ही. सुबह असमिया सखी का फोन आया, वह ‘सपने’ देख रही है, कुछ
देर पहले टीवी पर इसका रिव्यू देखा, शायद अगले हफ्ते जब जून की छुट्टी होगी, वे भी
देखें, शाम को क्लब जायेंगे, जीवन तो चलता ही रहेगा. सब कुछ पूर्ववत नहीं रहेगा
फिर भी, जो नुकसान होना था वह तो हो गया जो बचा है उसी के साथ जीवन, यह धरती, यह
आकाश सब अपना-अपना काम करते रहेंगे, ईरान में भूकम्प में हजारों मर गये, रोज ही
मरते हैं, मगर यह दुनिया ज्यो की त्यों है.
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