गर्मी की लम्बी छुट्टियों के बाद आज नन्हे का स्कूल खुला है. सुबह उसे जल्दी उठा
दिया था, हमेशा की तरह थोड़ा सा परेशान था, स्कूल का पहला दिन...क्या होगा ?
तरह-तरह के डर उसे सता रहे थे, बेबुनियाद हैं वे डर यह भी उसे पता था, कल से
स्वाभाविक हो जायेगा. पड़ोस के बच्चे के साथ भी यही समस्या थी, पहली बस छोड़ दी
उसने...ये बच्चे भी उन बड़ों की तरह तनाव का शिकार होते हैं. एक सखी से बात हुई, वह
बच्चा भी चिड़चिड़ा हो गया है, पिता की कमी उसे जरुर खलती होगी. कल सुबह उसकी माँ सब
कुछ समेट कर दिल्ली जा रही है, वहाँ उसे काम मिल गया है, नया जीवन शुरू करेगी. आज
सुबह साढ़े चार बजे अलार्म सुनकर उठ गयी, पांच बजे वह छात्रा पढ़ने आई, हफ्ते में
तीन दिन उसी वक्त आया करेगी. छह बजे उसके जाने के बाद जोर से भूख का अहसास हुआ, पर
ज्यादा खा नहीं पाई, फिर जून को दफ्तर व नन्हे को स्कूल भेजना और उसके बाद ही फोन
पर बात करते करते ही इतना वक्त हो गया है. मौसम बेहद गर्म है, धूप में तेजी है और
हवा बंद है. इसी तरह गर्मी के ये उमस भरे दिन बीत जायेंगे और मौसम सुधरेगा..फूलों
का मौसम यानि शरद ऋतु आयेगी.
कल दोपहर नन्हा जल्दी आ गया था, आज कल की तरह
परेशान नहीं था, पर बहुत खुश भी नहीं था, एक मित्र के आने पर ही उसके चेहरे पर
मुस्कान दिखी. कल शाम जून ने भी उसके साथ बगीचे में काम किया. अब पिछला हिस्सा काफी
साफ हो गया है. वह जो किताब पढ़ रही है, उसकी तरह उनके बगीचे में भी कई पक्षी आये
थे जो शायद कीट खा रहे थे या घास के कोमल पत्ते. विक्रम सेठ की इस पुस्तक में
बगीचे का वर्णन इतना रोचक है कि.. काश ! उनके जैसा माली उनके पास भी होता, उनका
माली भी अपने आप में एक अनोखा चरित्र है, पूर्वी ऊत्तर प्रदेश की भाषा बोलता, है
बूढ़ा, जबकि अपने काम में दक्ष है पर ज्यादा वक्त नहीं है उसके पास, और स्वीपर
तो..बुद्धू सा है, इतना बड़ा हो गया है पर बच्चों की तरह बहती नाक लिए घूमता है.
कल क्लब में किसी संगीता ने अपनी मधुर आवाज से सभी
को मुग्ध कर दिया, उसके गले से आवाज बिना किसी प्रयास के सहज रूप से निकल रही थी,
वह एक ऊंची कलाकार है, वह उससे कहना चाहती थी पर कह नहीं सकी. वह उसी बातूनी सखी
के साथ गयी थी, जिसके भीतर कुछ करने का जज्बा है, वह भी गाती है, उसने भी शायद प्रतिद्वंद्वी
समझ कर कुछ कहना ठीक न समझा. कल पिता का पत्र आया है, लिखा है वे लोग दिसम्बर में
आने का कार्यक्रम बना रहे हैं, पर उसे नहीं लगता यह सम्भव हो पायेगा, पहले भी कई
बार उन्होंने कहा है, वह जानती है पिछली बातों को याद करना बुद्धिमानी नहीं है और
जिन्दगी का दरिया अगर बहता न रहा तो दूषित हो जायेगा. जो जब जैसा हो उसे स्वीकारना
होगा. कल दोपहर उसकी तेलगु पड़ोसिन आई थी, कोलकाता एयर पोर्ट पर मिले किन्हीं तेलगु
बैंक मैनेजर से हुई मित्रता की बातें बता रही थी, उन्होंने इसकी थोड़ी तारीफ़ कर दी
और यह उन्हें घर आने का निमन्त्रण दे बैठी.
एक आग गमे इश्क की...
वह इश्क जो हमसे रूठ गया अब उसका हाल सुनाएँ क्या
कोई महर नहीं कोई लहर नहीं अब सच्चा शेर सुनाएँ
क्या
पीटीवी पर आज बहुत दिनों बाद गजल सुनी. उसके दायें
गाल में छाले हो गये हैं, कारण शायद विटामिन बी की कमी या पेट की खराबी ! एक दो
दिन में अपने आप ही ठीक हो जायेंगे, जून आज ग्लिसरीन भी लायेंगे जिसे लगाने से
आराम मिलता है. नन्हे को कल बाएं हाथ पर चोट लग गयी, sprain हो गया, एक लड़के का
घुटना उस पर आ गया, पता नहीं कौन सा खेल खेल रहे होंगे. उसकी सोशल और विज्ञान की
टीचर ने अभी तक क्लास में जाना शुरू नहीं किया है. उसका संस्कृत टेस्ट है आज, मगर
वह कापी रखना जरूर भूल गया होगा...अगर नहीं भूला हो तो वाकई कुछ बात है ! जून अपना
पर्स आज घर पर ही भूल गये हैं. कल शाम वे क्लब में डॉ गांगुली की टॉक सुनने गये
थे, अच्छा लगा, जाने की तयारी, वहाँ बैठना और कुछ हद तक सुनना भी. सुबह एक सखी का
फोन आया आखिर में कहा आज की present लग गयी न, उसे पसंद नहीं आता उसका यह कहना पर
दूसरों को अपनी पसंद, नापसंद बताने का ढंग उसने सीखा ही कहाँ है.
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