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Friday, April 17, 2020

कैटरी-बिल्लियों का घर


सुबह के साढ़े नौ बजे हैं. आज वर्षा नहीं हो रही है, न ही अभी तक धूप तेज हुई है. बाहर का मौसम अच्छा है वैसे ही मन का मौसम भी ! सुबह उठी तो भीतर ध्यान का प्रयास चल रहा था, अर्थात नींद में भी कोई धारा लगातार चलती रही थी. रात को ध्यान करते-करते ही सोयी थी, शिव सूत्र पर प्रवचन चल रहा था, शायद रात भर मोबाइल ऑन ही रह गया, बैटरी खत्म हो गयी. मन में वृत्ति का प्रवाह अब भी चलता है लेकिन उसे देखते ही विलीन हो जाता है और रह जाती है एक अखण्ड शांति ! उन्हें सदा उसी अपने निराकार स्वरूप में रहना सीखना है, व्यर्थ के संकल्प उनकी ऊर्जा को व्यर्थ करते हैं. एकाग्र मन ही शुद्ध मन है. स्थिर बुद्धि ही विवेक है. परमात्मा की शक्ति है चिति शक्ति और उसका विस्तार है आनंद !  जो प्रकृति के रूप में प्रकट हो रहा है. शिव सूत्र में सोलह कला का एक नया सरल अर्थ सुना, तीनों अवस्थाओं के पन्द्रह भेद और सोलहवां मन. उनके भीतर ही सारे प्रश्नों का अर्थ छिपा है, यदि वे अंतर्मुख होकर स्वयं के सारे आयामों से परिचित होना आरंभ कर देते हैं तो परमात्मा की शक्ति सारे रहस्यों को खोलने लगती है. उनका जीवन एक सहज बहती नदी की धारा की तरह है जिसमें समय के अनुसार परिवर्तन स्वाभाविक है, लेकिन इस जीवन का आधार सदा एक रस है, जैसे वह आकाश जिसमें सब कुछ स्थित है. 

सुबह उठी तो सवा पांच हो गए थे. प्रातः कालीन  भ्रमण  पर जाते समय और लौटते समय भी भगवद्गीता का पाठ सुना. अद्भुत वचन हैं कृष्ण के, गीता एक ऐसा ग्रन्थ है जितनी बार भी पढ़ें या सुनें, नया ही लगता है. मन कृष्णमय हो गया है. जून का वीडियो कॉल आया, वह भुवनेश्वर के उस होटल में ठहरे हैं जहाँ लैगून है, जहाँ वे दोनों कुछ समय पहले ही गए थे. कल वह आ रहे हैं. आज एक पुराने मित्र परिवार से मिलने आएंगे. शनिवार की साप्ताहिक सफाई का कार्य चल रहा है. नैनी को बुखार है, उसकी देवरानी आयी है. कल रात आयी थी तो उसकी आवाज बदली हुई थी, कल दोपहर वह बच्चों को लेकर पैदल ही गणेश पूजा देखने गयी थी वह, खिचड़ी खाने का मन था, पर भीड़ बहुत ज्यादा थी, शरारती भतीजे के कारण भी बहुत परेशानी हुई. अभी उसे देखने गयी तो उसके पति ने कहा, नाश्ता बना रही है, यानि बुखार में भी आराम नहीं है. कल मृणाल ज्योति गयी, मूक-बधिर बच्चों को हिंदी भाषा का ज्ञान देना है, उन्हें चित्रों और इशारों के माध्यम से ही पढ़ाया जा सकता है. वहाँ एक अध्यापिका ने बताया, ट्यूबवेल लगाने के लिए स्थान देखने कम्पनी से कुछ लोग आये थे. स्कूल से लौटकर एक कप कॉफी पीने एक सखी के यहाँ गयी, उसका पुत्र लंदन लेस्टर युनिवर्सिटी पढ़ने जा रहा है, तीन साल का कोर्स है. उससे भी मुलाकात हुई, वह खुस था और समझदार भी बहुत है. इंजीनियरिंग कर चुका है, किन्तु पुनः डिग्री कोर्स करने ही जा रहा है. ज्ञान का कोई अंत नहीं है. अभी-अभी नन्हे और सोनू से बात हुई, उन्होंने अपनी बिल्लियों को दो दिन के लिए कैटरी में रखा है, वहां अन्य दस-बारह बिल्लियां रहती हैं और चिड़िया व तोता भी. सोनू एक पजल बना रही थी जो उसके भाई ने जापान से भेजा था. कल वे दोनों नापा वैली जायेंगे, जहाँ उनके भावी नये घर में आंतरिक सज्जा का काम चल रहा है. 

दोपहर के साढ़े बारह बजने को हैं. इतवार के सारे कार्य हो चुके हैं. पिताजी व बड़ी ननद से फोन पर बात भी हो गयी, छोटी का फोन नहीं लगा. वापसी की यात्रा के लिए जून अब हवाई जहाज में बैठ चुके होंगे. 

Wednesday, July 3, 2019

नारियल का वृक्ष



आज सफाई कर्मचारी नहीं आया, नैनी को भी अपना काम खत्म कर बच्चों को स्कूल छोड़ने जाना था, सफाई का काम अधूरा ही पड़ा है. कुछ वर्ष पहले यदि ऐसा हुआ होता तो वह झुंझला जाती फिर खुद ही करने में जुट जाती पर अब मन में एक ख्याल भर आया, उम्मीद पर दुनिया टिकी है, हो ही जायेगा सब जून के आने से पहले. अभी पौन घंटा शेष है न. आज धूप अच्छी निकली है, ठंड पहले से कम है फिर भी काफ़ी है, क्योंकि इनर पहनने के बाद भी स्वेटर तो पहनना ही पड़ा है. आज सुबह आचार्य प्रद्युम्न का प्रवचन सुना. सगुण ईश्वर व निर्गुण ब्रह्म का भेद स्पष्ट हुआ. जीव माया के अधीन है और माया ईश्वर के अधीन है. सतोगुण बढ़ने पर जीव माया के पार जा सकता है और ईश्वर की भक्ति करने से भी. मन को दूषित करते हैं रजोगुण तथा तमोगुण. सतोगुण आत्मा को हल्का बनाता है. समाधि की अवस्था में तमोगुण घटता है, संस्कार मिटते हैं तथा आत्मा को नई ऊर्जा मिलती है.

सुबह टहलने गये तो ठंड अधिक नहीं थी. सूरज का लाल गोला उनके साथ साथ चल रहा था. मौसम अब बदल रहा था. आज बहुत दिनों बाद उसने दोपहर के भोजन में इडली बनाई है. माली ने बगीचे से नारियल लाकर दिया था, उसकी चटनी बनाई. सुबह क्लब की सेक्रेटरी के साथ जाना था, एक पुराने कमरे को देखने जो भविष्य में क्लब का दफ्तर बन सकता है. हालत अच्छी नहीं है, काफ़ी काम करवाना होगा. स्कूल का पुराना फर्नीचर भी एक बड़े हॉल में रखवा दिया गया है, उसने सुझाव दिया, इसे दान कर देना चाहिए. कितने ही पुराने ब्लैक बोर्ड भी थे. आजकल वह योग दर्शन में 'समाधि पाद' के श्लोकों का भाष्य सुन रही है. संस्कार के रूप में ज्ञान उनके भीतर रहता है, जो वृत्तियों के रूप में प्रकट होता है. क्लिष्ट व अक्लिष्ट दोनों तरह की वृत्तियाँ भीतर हैं तथा दोनों से संस्कार भी बनते हैं. वे संस्कार फिर वृत्तियों को जन्म देते हैं. हर वृत्ति एक संस्कार को छोड़ जाती है, चित्त में वृत्ति-संस्कार चक्र अनवरत चलता रहता है. ज्ञान प्राप्त करने के बाद भी क्लिष्ट वृत्तियाँ उठ सकती हैं पर उनमें उतनी तेजी नहीं रहती. जब चित्त शांत हो जाता है तब क्लिष्ट वृत्तियाँ नहीं उठतीं.

पिछले तीन दिन कुछ नहीं लिखा. कारण सोचे तो कुछ भी नहीं है. स्मरण ही नहीं रहा. आज इस समय शाम के सात बजे हैं. अभी-अभी 'अष्टावक्र गीता' पर गुरूजी की व्याख्या सुनी, जिसमें भिन्न-भिन्न आसक्तियों की चर्चा गुरूजी कर रहे थे. जून भी सुन रहे हैं आजकल. उन्हें तरह-तरह के व्यंजन बनाना पसंद है, क्या यह भोजन के प्रति आसक्ति कही जाएगी ? आज दोपहर को बच्चों के साथ 'सरस्वती पूजा' का उत्सव मनाया. जून सुबह वाग्देवी की एक तस्वीर प्रिंट करके लाये थे, घर में फ्रेम मिल गया जो नन्हे को उपहार में मिला था. काले चनों और नारियल का प्रसाद बांटा. दो दिन पहले धोबी ने अपने हाथ से लगाये नारियल के पेड़ से नारियल लाकर दिया था. बच्चों ने तस्वीर देखकर अपने हाथों से उसकी अनुकृति बनाई. आज माली ने गमलों में फूलों के पौधे लगाये. फ्लॉक्स और डायंथस अब खिलने लगे हैं. फरवरी के अंत तक बगीचा फूलों से भर जायेगा. आज सुबह मृणाल ज्योति गयी, बहुत लोग आये थे. पिछले वर्ष लगे एक कैम्प में सौ परिवारों का चयन किया गया था, जिन्हें सरकार की तरफ से दिव्यांग बच्चों एक लिए किट बांटे गये. स्थानीय एम एल ए महोदय भी आये थे. कल वहाँ भी सरस्वती पूजा है, उसने लड्डू मंगाए हैं कल लेकर जाएगी.