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Thursday, July 13, 2023

दिवाली के दीपक

दिवाली के दीपक 

रात्रि के पौने नौ बजे हैं। आज मौसम ठंडा है। सुबह वे टहलने गये तो तापमान सत्रह डिग्री था, जैकेट पहनकर नहीं गये थे, शुरू में ठंड लगी फिर तेज चलने से गर्माहट आ गई; साइकिल चलाने से तो ठंड भाग ही गई।आज विज्ञानमय कोष के बारे में सुना। अथाह ज्ञान है शास्त्रों में। मानव शरीर में कितना बल, ज्ञान और शक्ति का भंडार छुपा  है। इसी देह में जन्म लेकर कोई मानव देवता बन जाता है। अवतारी पुरुष, संत, साध्वी स्त्रियाँ सभी के पास तो वही मानव देह तथा मन, बुद्धि है, जिसे साधकर कोई भी चाहे तो अपने जीवन को उन्नत कर सकता है। दोपहर को कपूर तथा सिट्रेनेला की सुवास डालकर पहली बार मोमबत्तियाँ बनायीं। दिवाली पर जलकर वे प्रकाश तथा सुगंध  फैलायेंगी। उत्सव को तीन-चार दिन ही रह गये हैं। उनके पड़ोसी हुसूर जाकर ढेर सारे पटाखे लाए हैं, उन्हें लाने की ज़रूरत ही नहीं है, देख-सुन कर ही काम चल जाएगा। कुछ पिछले वर्ष के बचे हुए हैं। बहुत दिनों बाद छोटी बहन से बात हुई, कुछ उदास थी, पर हर दुख उन्हें आगे ले जाता है। गुरू माँ से ‘गुरु गीता; का पहला भाग सुना। कह रही थीं, यदि रात को स्वप्न आते हैं तो मन अभी भी विचारों से मुक्त नहीं है। उसे स्वप्न तो आते हैं पर कुछ न कुछ सिखाने के लिए, किसी न किसी समाधान के लिए। छोटी भांजी के जन्मदिन पर एक कविता लिखी।


आज धन तेरस है। सुनील इलेक्ट्रीशियन ने छत पर व गैराज में बिजली की झालरें लगा दी हैं। दिवाली के विशेष भोज सूची भी बनाकर वे दिवाली की ख़रीदारी करने गये और इसी एरिया में स्थित वृद्धाश्रम में मिठाई देने भी। फ़ेसबुक पर उसकी कविता की पापा जी ने सुंदर शब्दों में तारीफ़ की है। महादेव में गणेश को गज का सिर लगा दिया गया है, कितनी विचित्र गाथा है गणपति के जन्म की और शिव से उनके प्रथम मिलन की।वैसे शिव से मिलने के लिए सभी को अपना सिर कटवाना ही पड़ता है। 


आज नरक चतुर्दशी है यानि छोटी दिवाली, कल के लिए बैठक में विशेष सजावट की है। विशेष भोज की भी थोड़ी बहुत तैयारी कर ली है।बच्चे सुबह-सुबह आ जाएँगे। अभी फ़ोन किया तो पता चला वे घर से बाहर दिये जला रहे थे। छोटी बहन से बात की, वे लोग भी घर में लाइट लगवा रहे थे। आज वह प्रसन्न थी, इंसान का मन कितना नाज़ुक होता है। आत्मा दृढ़ होती है, जिसे कुछ भी छू नहीं पाता।


सुबह समय पर उठे, वातावरण में जैसे उत्साह फैला हुआ था। नन्हा व सोनू आये तो उन्हें रवा इडली का नाश्ता करवाया। दोपहर को पंजाबी छोले-चावल व आलू-परवल की लटपटी सब्ज़ी। शाम को विधिवत दिवाली की पूजा की, बाहर दीपक जलाये। एक-दूसरे को उपहार दिये। जून के लिए लाल सिल्क का कुर्ता लाए हैं वे और उसके लिए भी सिल्क की एक ड्रेस। वर्षों से इसी तरह उत्सव मानते आ रहे हैं, पर हर बार एसबी कुछ जैसे नया-नया सा लगता है। दीपकों के प्रकाश में सबके चेहरे कैसे किसी अनजानी ख़ुशी से दमकने लगते हैं। रात के भोज में नन्हे के कुछ मित्र आये। वे अपने साथ पटाखे लाये थे, सभी मिलकर बाहर जलाते रहे। उसने पनीर मसाला, सूरन के कोफ़्ते, ग्वारफली व आलू की सब्ज़ी, रायता और पुलाव बनाया, मिठाइयों की पूरी एक क़तार थी, पर सभी की ज़्यादा रुचि आतिशबाजी में थी।कुल मिलकर यादगार दिवाली रही। 


आज गोवर्धन पूजा है, अर्थात गायों की वृद्धि के लिए कामना करने का दिन, प्राचीन  काल में पशु धन से ही किसी की सपन्नता का भान होता था। आज साइकिल के गियर आये, एक्स बॉक्स पर कार रेस का गेम खेला। दोपहर को बच्चे वापस चले गये। शाम को तेज वर्षा हुई थी पर रात होते-होते रुक गई। इस समय पड़ोसी के यहाँ से बम फूटने की आवाज़ें आ रही हैं।संभवत: दिवाली के पटाखे अभी तक समाप्त नहीं हुए हैं और न ही उनका जोश ! 


Wednesday, June 28, 2023

शनि ग्रह का वलय

आज शाम को वे सोसाइटी के छोटे से सुपर मार्केट गये, नारियल, चना मसाला और टमाटर लेने थे। कल यहाँ पहली बार कंजका मनानी है। बच्चे भी आयेंगे। कल ही दशहरा भी है। पीछे वर्ष असम में मनाया था यह उत्सव। आज सुबह वे घर के बाहर थे और दरवाज़ा अंदर से बंद हो गया। जाली वाले दरवाज़े के क़ब्ज़े खोलकर आना पड़ा, बाद में उसे पुन: लगवा दिया, पर उस आधे घंटे में उसे खोलने के कितने सारे उपाय अपनाए। आज जून के केश उसने ख़ुद ही छाँट दिये। सोनू ने जून के लिए मण्डल कला पर एक पुस्तक तथा स्केच पेन का एक सेट भेजा है, जिसमें सुंदर डिजाइन बने हैं, जिनमें रंग भरने हैं। उन्होंने रंग भरना आरंभ भी कर दिया है।  


दशहरे का पर्व सोल्लास मनाया। सुबह पूजा का प्रसाद बनाया। प्राणायाम करते समय मनोमय कोष के बारे में सुना, ज्ञान का कोई अंत नहीं है।रावण की शिव स्तुति सुनी। महादेव का एक अंक देखा, जिसमें देवी काली का रूप धरती हैं, महादेव उनका क्रोध शांत करने के लिए नीचे लेट जाते हैं। एक सखी का साईं बाबा का भजन सुना, उसने आज ही रिलीज़ किया है यू ट्यूब पर। नन्हा और सोनू एक मित्र के साथ आये। दोपहर को महीनों बाद पनीर टिक्का बनाया। शाम को सूर्यास्त की तस्वीरें उतारीं, उससे पूर्व सुडोकू हल किया, अख़बार में पहेलिययाँ हल करना खबरें पढ़ने से भी ज़्यादा अच्छा लगने लगा है। दिन कैसे बीत जाता है, पता है नहीं चलता।  


अक्तूबर समाप्त होने वाला है, पर मौसम आज गर्म है। नीचे के कमरे ठंडे रहते हैं। देवों के देव, में कार्तिकेय का जन्म हो गया है, पर अभी वह अपने माता-पिता के पास नहीं आया है, जो जगत के भी माता-पिता हैं। दीपावली की सफ़ाई के शुभारंभ करने का  समय आ गया है। कुछ देर पूर्व टहलने गये तो बादलों में छिपे चंद्रमा के दर्शन हुए। कल शरद पूर्णिमा है। नन्हे ने टेलीस्कोप से वीनस देखने को कहा था, पर अभी आकाश पूरी तरह निर्मल नहीं हुआ है।कल रात्रि एक अद्भुत स्वप्न देखा, अनाहत चक्र पर कुछ तेज-तेज घूम रहा था, जैसे कोई चक्की चला रहा हो, फिर आज्ञा चक्र पर सुंदर दृश्य दिखने लगे। मानव के भीतर कितने रहस्य छिपे हैं। जे कृष्णामूर्ति को सुनना एक अलग ही अनुभव है। वह चीजों को बहुत गहराई से देखते हैं। दो दिनों से गायत्री परिवार के एक साधक को सुनना आरम्भ किया है, वह बिहारी हैं और उनका बोलने का ढंग बहुत रोचक है। वह प्राणायाम के गूढ़ रहस्यों के बारे में बताते हैं। इस विश्व में अनंत ज्ञान है, हम कुछ भी नहीं जानते, पहले ये वाक्य शब्द मात्र थे, अब प्रत्यक्ष हो रहे हैं। जून ने ‘सूटेबल बॉय’ देखना शुरू किया है, नेटफ़्लिक्स पर। वर्षों पूर्व उसने विक्रम सेठ की यह पुस्तक पढ़ी थी। कुछ पात्र बहुत अच्छे लगे थे। उनके पड़ोस में एक नया घर बनना आरम्भ हुआ है, अब शोर सुनने का अभ्यास भी डालना पड़ेगा।


आज रविवार का दिन अन्य दिनों की अपेक्षा व्यस्त गुजरा। कर्नाटक का राज्योत्सव दिवस है आज, जून ध्वजारोहण के कार्यक्रम में शामिल होने गये। कम ही लोग आये थे। उसने गमलों की देखभाल की, फूलों के नये पौधे लगाये। नैनी से सिट आउट का फ़र्श धुलवाया। दोपहर तक बच्चे भी आ गये। वे आज दिवाली के लिए दिये भी लाये। शाम को नयी गाड़ी की पूजा की। नारियल फोड़कर, धूप दिखाया, कपूर जलाकर आरती की। चॉकलेट का प्रसाद बाँटा। आम के पत्ते से गंगाजल का छिड़काव किया। पूजा के बाद सब टहलने गये, और वापस आकर टेलीस्कोप से शनि ग्रह के दर्शन किए, उसका वलय भी दिख रहा था। महादेव में कार्तिकेय ने युद्ध जीत लिया है, तारकासुर की मृत्यु हो गई। महादेव जब पुत्र को समझाते हैं, तो उनकी भाव मुद्रा में अत्यंत स्नेह भरा होता है।रात्रि भोजन में खीरा, टमाटर, गाजर के सैंडविच बच्चों ने ही बनाये। अब वे घर पहुँचने वाले होंगे। 


Monday, May 11, 2020

बाबा रामदेव के वचन


आज छठा नवरात्र है, आज के दिन देवी कात्यायनी की पूजा होती है. कल वे अष्टमी का व्रत रखेंगे और परसों कन्या पूजन करेंगे. आज जून एक विंड चीटर लाये लाचेन की यात्रा के लिए, जहाँ उन्हें गरदुंम झील देखने जाना है. कल रात्रि बहुत दिनों बाद गहरी नींद आयी, रात्रि विश्राम के लिए है और दिवस काम करने के लिए. सुबह बाबा रामदेव के तेजस्वी वचन सुने, उनके मुख से ज्ञान के मोती ऐसे झरते हैं जैसे वृक्षों से फूल झरते हैं हरसिंगार के, सहज ही. उनके जैसा कर्मयोगी युगों-युगों में कोई बिरला ही होता है. ज्ञान, कर्म और भक्ति की महिमा उन्होंने कुछ शब्दों में ही बता दी. बुद्धि ज्ञान से प्रकाशित रहे, हृदय श्रद्धा से पूरित रहे और हाथ कर्म में रत रहें, तभी जीवन एक सहज प्रवाहित धारा की तरह निरन्तर गतिमय रहेगा. इसके लिए उन्हें हर पल सजग रहना होगा, जीवन भी यही है और साधना भी यही है. आज भी मौसम बादलों से भरा है. नन्हे की फ्लाइट छूट गयी उसे महाराष्ट्र जाना था, सोनू पहले से ही वहाँ थी, अपनी भांजी को देखने. नन्हे ने दूसरी टिकट ली और चला गया, धन से अधिक महत्व उसने रिश्तों को दिया, अच्छा लगा उन्हें. कल पिताजी ने उसे फोन किया, वह नए घर के बारे में भी पूछ रहे थे. उन्हें वे गृहप्रवेश के अवसर पर अवश्य ले जायेंगे. ईश्वर उनकी सहायता करेंगे. एक बार इस घर में भी वे आ पाते तो कितना अच्छा होता, उन्हें तकलीफ होगी यह सोचकर कभी इस बारे में ज्यादा सोचा ही नहीं. आज दोपहर को क्लब में होने वाली प्रतियोगिता के संबंध में मीटिंग है. 

सुबह के नौ बजने वाले हैं, आज देवी के कालरात्रि रूप के पूजन के लिए नवरात्रि का सातवाँ दिन है. सुबह साबूदाने की खीर बनाई थी. शाम को वे पूजा के स्थानीय पंडाल देखने जायेंगे. जून ने छोटी ननद के भतीजे के विवाह आ सगन भेज दिया है, पहले भी एक भीतर किसी ने याद दिलाया था, वह जून से कहना भूल गयी, आज भी क्रिया के बाद यह विचार अचानक आया, उसी समय फोन करके कहा. उनके भीतर कोई शुभचिंतक रहता है जो सदा सही राय देता रहता है. कल रात्रि केवल तीन बार नींद में खलल पड़ा, फिटबिट नींद का सारा हाल बता देता है. एक दिन अवश्य ऐसा होगा, जब रात को जिस करवट सोयी, सुबह उसी करवट में उठेगी. नींद में वे परमात्मा के साथ एक हो जाते हैं. ध्यान में उसकी उपस्थिति को अनुभव करते हैं. आज बड़ी भांजी का जन्मदिन है, उसे व दीदी को बधाई दी. कुछ दिन पहले नैनी के ससुर ने उसे कुछ पैसे रखने के लिए दिए थे, अभी तक वापस लेने नहीं आया है.  कल देवदत्त पटनायक को टीवी पर सुना. वह आत्मज्ञान की बात कह रहे थे. जहाँ अहंकार है वहाँ रणभूमि है, जहाँ आत्मज्ञान है वहाँ रंगभूमि है ! 

आज महागौरी की पूजा की अष्टमी तिथि है. दस बजे बच्चों को बुलाया है. जून के दफ्तर में आज सीधी यानि एक ही शिफ्ट है, शायद लंच के बाद उन्हें न जाना पड़े, गए भी तो जल्दी आ जायेंगे. उसने चने बना लिए हैं, पानी सुखाने के लिए गैस पर रखे थे, कुछ ज्यादा ही सूख गए. आजकल वह शुद्ध वर्तमान में रहने लगी है, सो थोड़ी देर पहले का काम भी याद नहीं रहता. बेहद खतरनाक स्थिति है यह. खैर ! इतने भी नहीं सूखे कि खाये ही न जा सकें, अच्छे ही लगेंगे. शाम को सिक्किम के लिए निकलना है, शायद डिब्रूगढ़ की पूजा के पंडाल भी देख पाएं. पैकिंग हो गयी है, हाथ के बैग में कुछ सामान रखना है. किताबें व डायरी तथा पूजा का सामान. आज सुबह उठी तो कोई स्वप्न चल रहा था, उसके बाल पीछे कसकर बंधे हैं तथा शीशे में अपना चेहरा देख रही है. वे अपने विचारों से ही बनते हैं. बचपन से लेकर कहे गए प्रशंसा के शब्द और अपमान के शब्द वही इन विचारों का स्रोत बनते हैं. 

Wednesday, May 6, 2020

बगिया में घोंघे



आज गाँधी जयंती है. कल रात सोने से पहले उनके बारे में कुछ बातें पढ़ीं, सुनीं.  उनके प्रशंसक भी बहुत हैं और विरोधी भी. उनका व्यक्तित्त्व अनोखा था. चट्टान से भी मजबूत हृदय था उनका ! नैनी ने ध्यान कक्ष में जून द्वारा भेजी उनकी मूर्ति को फूलों से सजा दिया है. दोपहर की योग कक्षा में  महिलाओं और बच्चों को भी सुंदर कहानियाँ व गीत सुनाये, सबने गाँधी जी के प्रिय भजन गाये. महिला क्लब की प्रेसीडेंट का फोन आया, कल दस बजे उसे उनके साथ  बालिका विद्यालय जाना है जहाँ किशोरावस्था की समस्याओं पर एक वर्कशॉप है, जिसमें एक महिला डॉक्टर उनका मार्गदर्शन करेंगी. जिसके बाद उसे कक्षा नौ की छात्राओं को योग सिखाना है.

कल स्कूल में कार्यक्रम अच्छा रहा, दो छात्राएं बाद में उससे मिलने आयीं, कहने लगीं कुछ साल पहले वे सन्डे योग क्लास में आया करती थीं. आज मृणाल ज्योति गयी, हिंदी कक्षा में एक बच्चे  की पेन्सिल बार-बार टूट जाती थी, वह लिख नहीं पा रहा था, उसने शिकायत की तो रुआंसा हो गया. इन बच्चों से सामान्य बच्चों की तरह व्यवहार नहीं किया जा सकता, उसे ज्यादा उदार रहना होगा, उनकी अपनी सीमाएं हैं, उसके बावजूद वे पढ़ने आ रहे हैं, सच्चे सिपाहियों की तरह वे डटे हैं. बाद में निदेशक ने कहा तीन दिसम्बर आने वाला है, उस सिलसिले में एक मीटिंग करनी होगी. स्कूल में ही थी, पिताजी का फोन आया, दीदी वहाँ आयी हुईं थीं. उन्हें असम आने का निमन्त्रण एक बार फिर दिया. आज स्टोर की सफाई हो रही है, कल पैंट्री की होगी, दीवाली में एक महीना तीन दिन शेष हैं, देखते-देखते ही बीत जायेंगे. एक सप्ताह यात्रा में ही निकल जायेगा. बगीचे में घोंघे बढ़ गए हैं, जगह-जगह मिट्टी के ढेर लगा दिए हैं. वनस्पति खाकर वे शरीर से मिट्टी निकालते हैं, उनकी प्रकृति भी कितनी विचित्र है. 

आज बैठक की सफाई का कार्य आरम्भ किया है. जून दफ्तर जाने से पूर्व सारे पर्दे उतार गए हैं । मौसम का हाल बताता है कि शनि और रविवार को वर्षा होगी, सो तब तक का इंतजार नहीं किया जा सकता. आज बहुत दिनों बाद असमिया सखी से बात हुई, वे लोग दिसंबर में पोती के अन्नप्राशन के लिए पश्चिम बंगाल आएंगे, वहीं से असम. उनसे मिलना हो सकता था पर दिसम्बर में जून बैंगलोर जाने का कार्यक्रम बना चुके हैं. आज सुबह बगीचे से चौलाई का ढेर सारा साग मिला, जो अपने आप ही उग आया है, गोबर की जो खाद क्यारी में डाली थी शायद उसमें बीज रहे होंगे. डायन्थस के फूलों की पौध लगा दी माली ने आज. दीवाली तक पौधे जड़ पकड़ लेंगे. घर में सिविल का काम होना है, झूले को रंग कराना है. आज दो ठेले गोबर और लिया, अभी कई गमलों और क्यारियों में डालना शेष है. यह अंतिम वर्ष है जब उन्हें बगीचा तैयार करना है, अगले वर्ष इस समय सम्भवतः वे कर्नाटक में होंगे. आज छोटी ननद के विवाह की वर्षगाँठ है कल दीदी के विवाह की, उनके लिए कविता लिखेगी आज दोपहर. विश्व विकलांग दिवस के लिए एक पोस्टर बनाना है इस वर्ष की थीम के अनुसार. हिंदी कहानी प्रतियोगिता  के विजेताओं का चयन भी कर लिया है. निर्णय पब्लिक लाइब्रेरी के लाइब्रेरियन को सौंपना है. कल प्रेसीडेंट ने अपनी अनुपस्थिति में क्लब की जिम्मेदारी उसे सौंपी। वह इलाज के लिए बाहर जा रही हैं. अभी-अभी एक सखी ने कल शाम अपने घर में होने वाली पूजा में बुलाया है. 

Friday, July 12, 2019

वीरवार की पूजा



शाम के पांच बजने वाले हैं. ''जब वे अपने आप से भी बात करना बंद कर देते हैं तब वास्तविक मौन होता है, ऐसा संत कह रहे हैं. मन पर काम करने का पहला उपाय है अपने आप से बातें करना बंद करना, दूसरा उपाय है दृश्य से हटकर द्रष्टा में टिक जाना. मन में जब विचार आते हैं तब शब्दों के वस्त्र पहन कर ही आते हैं, शब्दों के बिना वे कोई चिन्तन नहीं कर सकते, शब्द निर्माण होते ही मन निर्माण हो जाता है. मन ही दृश्य है, इसे देखने वाला साक्षी जब अपने आप में ठहर जाता है, तो विचार बंद हो जाते हैं. आगे उन्होंने कहा, जगत के विषयों का प्रभाव इन्द्रियों पर नहीं पड़ता. जैसे  शब्द होने या न होने से कानों को कोई लाभ या हानि नहीं होती. इसी तरह इन्द्रियों का प्रभाव मन पर नहीं पड़ता और मन का प्रभाव साक्षी पर नहीं पड़ता. साक्षी सदा अलिप्त रहता है. आत्मा भी अलिप्त है, जिसका संसार से कोई भी संबंध नहीं है. परछाई जैसे दिखती है, उसकी अपनी कोई सत्ता होती नहीं, संबंध भी ऐसे ही होते हैं, जो दीखते तो हैं होते नहीं. कुछ देर पहले जून से बात हुई, आज उनका प्रेजेंटेशन था, ठीक हो गया. कल भी जाना है, वह कह रहे थे कि एक दिन के लिए घर हो आयें, पर उसने मना कर दिया, जिस कार्य के लिए गये हैं, उसे ही पूरा करना ज्यादा ठीक होगा. दोपहर की योग कक्षा में पांच महिलाओं के अलावा बच्चे भी थे, शाम की कक्षा में पता नहीं कौन-कौन आएगा ? आज भी एक कविता लिखी, संगीत सुनते हुए मन में सहज ही कुछ पंक्तियाँ आ रही थीं. सुबह गाँधी जी के चित्र सहित उनके कुछ विचार पोस्ट किये फेसबुक पर, आज उनकी पुण्यतिथि है. सुबह ओशो को सुना, ताओ पर उनका प्रवचन अद्भुत है.

आज सुना, नींद में देहात्म भाव खो जाता है. स्वप्न में कुछ-कुछ बना रहता है और जागृत अवस्था में पूर्ण रूप से बना रहता है. देहात्म भाव से मुक्त होना है और जीव भाव से भी मुक्त होना है. स्थूल शरीर और सूक्ष्म शरीर दोनों से परे जाना है. ध्यान में साधक को कुछ नहीं होना है, जब वे कुछ भी नहीं हैं, उन्हें कुछ भी सिद्ध नहीं करना होता. जब वे स्वयं को कुछ भी देखते हैं, उसी के अनुरूप उन्हें कर्त्तव्य कर्म करने होते हैं. मन वृत्तियों को जगाता है. मन के दो मुख्य कार्य हैं, पहला- देह में होने वाली क्रियाओं को करना तथा दूसरा- देह का आकार ले लेना. जो मन सभी के लिए समान है वह पहला कार्य करता है तथा दूसरे कार्य में व्यक्ति स्वयं को अन्यों से पृथक समझने लगता है. यदि हाथ में कोई वस्तु हो और कोई उसी हाथ से लिखने का प्रयास करे तो लेख अच्छा नहीं होगा. इसी तरह मन जिस देह को धारण करता है, उसी के विषय में विचार करता है, जब देह भाव से मुक्त हो जाता है, तब विचारों से भी मुक्त हो जाता है. इस समय पौने दस बजे हैं रात्रि के. कल जून आ रहे हैं. क्लब में 'पद्मावत' दिखाई जाएगी. गुरूवार का सत्संग वे दोपहर को ही करेंगे. कर्ता भाव से मुक्त होने पर कोई कर्म करना ही है, ऐसा भाव नहीं रहता, जो होता है वही संतुष्टि देता है.

आज फरवरी का प्रथम दिन है. सुबह नींद खुली तो सदा की तरह मन में चिन्तन आरम्भ हो गया. आज का चिन्तन बिलकुल अलग था, लगा जैसे हृदय से कुछ बाहर निकला और सभी कुछ तोड़ता हुआ पूरे विश्व में फ़ैल गया. खुदी को जैसे खुदा का ठिकाना मिल गया. कितने ही सत्य प्रकट होने लगे, जो इतनी बार शास्त्रों में पढ़े थे. सद्गुरु कहते हैं, आत्मा, परमात्मा और गुरू में कोई भेद नहीं है, तीनों एक ही सत्ता से बने हैं. एक ब्रह्म ही विभिन्न रूपों में प्रकट हुआ है. देवी-देवता भी उसी की शक्तियाँ हैं. जीव-जगत के सारे प्राणी भी उसी की शक्ति से प्रकट हुए हैं. देह को आधार देती है आत्मा और आत्मा की गहराई में छिपा है परमात्मा. जिस तरह एक ही व्यक्ति विभिन्न भूमिकाएं निभाता है वैसे ही एक ही चेतना जाग्रत, स्वप्न तथा सुषुप्ति अवस्था को आधार देती है. जीवन उस आधार भूत सत्ता पर ही टिका है. आज स्वयं ही श्वेत वस्त्र पहनने का मन हुआ तथा प्रार्थना भी भीतर स्वयं घटी, पूजा भी स्वयं घटी. गुरूजी कहते हैं, पूर्णता से ही पूजा प्रकट होती है. देवता का स्मरण भी हो आया. बचपन में बड़ी बुआ को वीरवार को पूजा करते देखा करती थी, उसमें की गयी प्रार्थना वर्षों से नहीं सुनी थी. आज मन पंजाबी की उस प्रार्थना को अपने-आप ही गाने लगा. परमात्मा की कृपा निरंतर बरस रही है.


Friday, July 5, 2019

काला जोहा



आज उसने काले चावल बनाये हैं, 'काला जोहा' जो आसाम में ही उगाया जाता है. बनने के बाद भी बिलकुल काले होते हैं. उन्हें पकने में ज्यादा समय लगता है. एक सखी अपनी बिटिया को लेकर लगभग दस-बारह दिनों के लिए बाहर गयी है, उसकी माँ और भाई यहाँ अकेले थे, वह उनके लिए अक्सर दोपहर को एक सब्जी बनाकर भेज देती है. शेष भोजन वे बना लेते हैं. बगीचे में फूल गोभी हुई है, आज पहली बार बनाई है, उन्हें अवश्य पसंद आएगी. उससे पहले ध्यान किया पर मन सात्विक भावदशा में नहीं था. शायद शरीर पूरी तरह से शुद्ध नहीं था या कल रात्रि को नींद पूरी न होने के कारण मन एकाग्र नहीं हो पा रहा था. कल सरस्वती पूजा के कारण शोर बहुत देर तक आ रहा था, यहाँ आजकल पूजा के नाम पर देर रात तक तेज आवाज में संगीत बजाने का अधिकार मिल जाता है. रात को एक बार नींद खुली, कुछ देर ध्यान के लिए बैठी, फिर नींद आयी पर स्वप्न चलने लगे. एक बार लगा, नींद में कुछ शब्द उसके मुख से निकले हैं, और जून पूछ रहे हैं, क्या हुआ ? उस समय लगा था, सचमुच उसी क्षण की बात है. वह आँख बंद किये रही, कुछ जवाब नहीं दिया. कुछ देर बाद लगा कि उसके कंधों में दर्द है पर उसके कहने के बावजूद भी जून सुन नहीं रहे हैं. अचानक स्वप्न टूटा और सारा दर्द गायब हो गया. स्वप्न में दर्द कितना तीव्र था. वे स्वयं ही अपने दर्द के निर्माता हैं. मोह और आसक्ति का त्याग करना होगा. जब स्थूल के प्रति मोह नहीं  त्यागा जा रहा है तो संबंध तो अति सूक्ष्म हैं, कितना सूक्ष्म मोह होगा उनके प्रति. शारीरिक अशुद्धि के कारण ही स्वप्न भी आते हैं. इसीलिए शौच का इतना महत्व है योग में. वे ही अपने भाग्य के निर्माता हैं और हन्ता भी..
आज सुबह अवधेशानंद जी ने एक अच्छा शेर सुनाया-
"वह खुद को बेहतर में शुमार करता है
अजीब है, कितना खुद का शिकार करता है"

अपने ही दुश्मन वे स्वयं बन जाते हैं. अनुभवानंद जी ने कहा कि बाल ही बालक है, नर ही नरक है, नर जब तक देहात्म भाव में है, नर्क में ही है. कामना जब तक है तब तक नर्क में ही हैं वे. अनाहत चक्र से अध्यात्म की यात्रा आरम्भ होती है. उन्हें कितना अच्छा अवसर मिला है कि मानव देह मिली है. सुख-सुविधा मिली है और गुरू का ज्ञान मिला है. श्री श्री कहते हैं, "ध्यान या योग ठहरना सिखाता है, भोग दौड़ना सिखाता है."

कल रात नींद अच्छी आयी. सुबह समय पर उठे वे, इक्का-दुक्का तारे नजर आ रहे थे आसमान पर जो ज्यादातर बादलों से ढका था. इस समय धूप खिली है पर उसमें तेजी नहीं है. गले में हल्की खराश सी लग रही है, देह को स्वस्थ रखने का कितना भी प्रयास करो, कुछ न कुछ लगा ही रहता है. आत्मा निर्लेप है, निरंजन, निर्विकार..कल शाम योग कक्षा में आत्मा के बारे में बताया. 'अष्टावक्र गीता' सुनी, गुरूजी कितने सुंदर ढंग से श्लोकों का अर्थ बता रहे हैं. आज एक राजयोगी के मुख से सुना, दिन में आठ घंटे परमात्मा के साथ योग लगाना चाहिए, सारे कर्म नष्ट हो जाते हैं, शक्ति प्राप्त होती है और ज्ञान में सहज गति होती है. संत तो आठ घंटे क्या चाबीसों घंटे योग में ही स्थित रहते हैं. आज शाम को क्लब में मीटिंग है.

आज छोटी बहन के विवाह की वर्षगांठ है, उसके लिए  कविता रिकार्ड की, भेजी. माली को आलस्य त्याग कर कुछ श्रम करने को कहा, समझाया, उसे किताब दी. 'तू गुलाब होकर महक'. बाबाजी की लिखी किताब. एक नोटबुक तथा एक पेन भी. शायद उसकी बुद्धि में कुछ बात बैठ जाये. आज के ध्यान का समय इसी सेवा में बीत गया. उसकी पत्नी अपने पुत्र को स्कूल ले गयी थी कल. उसने दाखिले के लिए पैसे मांगे हैं, अगले महीने का एडवांस. वह अस्वस्थ है और दुखी भी, पति यदि नाकारा हो तो पत्नी के पास आँसू ही बचते हैं. आज वर्षा के कारण ठंड बढ़ गयी है. रात से ही झड़ी लगी है, पर आश्चर्य प्रातः भ्रमण के समय रुकी हुई थी.

Saturday, June 8, 2019

नवरात्रि की पूजा


साढ़े दस बजे हैं सुबह के. आज टीवी पर 'मन की बात' आने वाला है. प्रधानमन्त्री को सुनना सदा ही अच्छा लगता है. उनके वचन प्रेरणादायक होते हैं. सकारात्मक सोच, इच्छाएं, आशाएं, आकांक्षाएं, अपेक्षाएं तथा शिकायतें साझा करने का मंच है यह. सरकार तक अपनी बात पहुँचने का एक साधन है. देश के सामान्य जन तक पहुंचने का भी. आज वे भी 'स्वच्छता ही सेवा' के तहत दोपहर को दो घंटे श्रमदान करने वाले हैं. अभी कुछ देर पूर्व ही बगीचे से आये. आज सुबह चार कमल के फूल खिले, हरे पत्तों में खिले गुलाबी फूल..उसने तस्वीर उतारी और व्हाट्स एप पर भेजी. नन्हे ने बताया उसकी योग शिक्षिका पिछले इक्कीस वर्षों से अपने घर में नवरात्रि पर पूजा कर रही हैं, इस बार जिसमें उन्होंने पांच सौ मूर्तियाँ सजाई थीं. मोदी जी जनता को प्रेरित कर रहे हैं कि पूरे भारत का भ्रमण करें और अपने राज्य के सात मुख्य स्थानों की सूची बनाएं. खादी को भी बढ़ावा देना चाहिए.

शाम होने को है. कुछ देर पहले नैनी ने बताया, घर के सामने एक कार दुर्घटना हुई दोपहर को. दोनों कारों के शीशे टूट गये तथा यात्रियों को चोट भी आई. थोड़ी सी असावधानी कितने बड़े दुःख का कारण बन जाती है. छोटी बहन ने एक मेल लिखा है ब्लॉग पर उसकी पोस्ट के जवाब में. उसे जॉब के लिए बुलावे की प्रतीक्षा है. भूतकाल में कितनी ही बार उसने जॉब के प्रति अरुचि दिखाई है. शायद वही कर्म सामने आ रहा है. एक तरह से उसने स्वयं ही जॉब नहीं करना चाहा था, मिले हुए काम को बार-बार छोड़ा भी था. शाम को वे बाजार गये. नवरात्रि पर बच्चों को देने के लिए उपहार खरीदे और  मृणाल ज्योति के लिए 'डा. राधाकृष्णन' की तस्वीर, शिक्षक दिवस के लिए. आज क्लब में कई मुख्य अधिकारी आये हैं, नुमालीगढ़ के एमडी का विदाई समारोह है. रात को देर तक चलते हैं ऐसे कार्यक्रम, वे नहीं जा रहे हैं.

आज दुर्गा सप्तमी है. शाम को वे पूजा देखने गये. काली बाड़ी, सेटलमेंट एरिया, बी-टाइप पूजा, नेपाली पूजा सभी देखीं. दो वर्षों बाद ये सब स्मृतियों में ही रह जाएँगी. दोपहर को सर्वेंट लाइन की महिलाओं को योग कराया, एक ने कहा, सब खुश हैं कि पूजा है, पर उसका मन ठीक नहीं है. हो सकता है एक घंटे अभ्यास के बाद बाद में उसे अच्छा लगा हो. आज सुबह जून के दफ्तर में सीएमडी की विजिट थी, सुबह उन्होंने कहा, एक गुलदस्ता चाहिए. उसने बगीचे से फूल तोड़े और गुलदस्ता बना दिया. कम्पनी के लिए इतना सा काम करके ख़ुशी हुई. कल ही तो कम्पनी के हिंदी अनुभाग ने वर्षों तक हिंदी पत्रिका में लिखने के लिए उसे सम्मानित किया था. यात्रा की तैयारी हो गयी है. कल जाना है.

 अक्तूबर का तीसरा दिन. मौसम अभी भी गर्म है. सखी की बिटिया के विवाह का उत्सव निर्विघ्न सुसम्पन्न हो गया. कल सुबह सात बजे वे वापसी के लिए चल पड़े थे. उसने ढेर सारी मिठाई दी थी, दोपहर को बच्चों व महिलाओं को बांटी योग के बाद. सुबह एक हफ्ते बाद तैरने गयी. शाम होने को है. कुछ देर में जून आ जायेंगे, फिर संध्या का कार्यक्रम आरंभ होगा. फल, बगीचे में टहलना, थोड़ी फोटोग्राफी, योग को समर्पित एक घंटा, रात्रि भोजन और अंत में विश्राम. कल 'लक्ष्मी पूजा' का अवकाश है, शाम को नैनी के यहाँ पूजा होगी, इस दिन वे पत्तों, फूलों की माला के साथ सब्जियों और फलों से मालाएं बनाकर मन्दिर को सजाते हैं. उन्हें तिनसुकिया जाना है. विवाह के कार्ड्स के लिए पारदर्शी आवरण लेने. शनिवार और इतवार को सम्भवतः कार्ड्स बांटने जायेंगे. आज ब्लॉग पर कुछ नहीं लिखा, कल भी शायद समय नहीं मिलेगा. दो हफ्ते बाद एक और यात्रा पर निकलना है. आने वाले दो-तीन महीने भिन्न प्रकार की व्यस्तता में बीतेंगे. परमात्मा की कृपा का अनुभव निरंतर करते हुए हर पल को उपहार की तरह स्वीकारना है. परसों महिला क्लब में तीन वरिष्ठ महिलाओं का विदाई कार्यक्रम है, उसने तीनों के लिए कुछ लिखा है.   

Saturday, September 29, 2018

अंतर्दीप का प्रकाश



पिछले दो-तीन दिनों से कम्प्यूटर में कुछ दिक्कत आ रही थी. आज तो कोई भी फाइल खुल नहीं रही है. उसे यदि कम्प्यूटर पर काम करना है तो जून के आने की प्रतीक्षा करनी होगी. कुछ वर्ष पहले यदि ऐसा हुआ होता तो उसकी प्रतिक्रिया होती, भगवान ने ऐसा जानबूझ कर कराया है, ताकि वह अपने समय का और अच्छा उपयोग करने का तरीका सोच सके, किन्तु अब यह ज्ञात है कि भगवान कुछ नहीं कराते, वे ही प्रतिपल अपने भाग्य की रचना करते हैं. भगवान तो हर परिस्थिति का सामना करने की शक्ति देते हैं, ज्ञान देते हैं, वह प्रेम भी देते हैं. कभी आज हल्की बदली छायी है. स्कूल बंद है, अब पूजा के बाद खुलेगा. मृणाल ज्योति में टीचर्स ट्रेनिंग का कार्यक्रम होना वाला है. सम्भवतः तीसरे हफ्ते में होगा. आज एक सखी से इस बारे में बात की. उसे भी एक दिन की वर्कशॉप का आयोजन करना है. अच्छी तरह तैयारी करनी होगी. सबसे आवश्यक है उन सबके मध्य सहयोग की भावना को पैदा करना, वे अपनी कितनी ऊर्जा एक-दूसरे की कमियां बताने में ही खर्च कर देते हैं. अपने विचारों को बदलने से ही उनका जीवन बदल सकता है. सबके भीतर अंधकार व प्रकाश दोनों हैं, कभी-कभी गुणों का प्रकाश अहंकार के अंधकार से ढक जाता है, वे जिनसे भी मिलें उनके गुणों पर दृष्टि रहेगी तो उनका जीवन भी गुणों से भरता जायेगा ! उन्हें यह मानकर चलना होगा कि वे सभी एक ही धरती के वासी हैं, एक ही देश के, एक ही राज्य के, एक ही शहर के वासी हैं. उनकी एक ही पार्टी है, वे विरोधी पक्ष के नहीं हैं, जहाँ एक-दूसरे को बिना किसी कारण के ही गलत सिद्ध करना होता है. उनका एक ही लक्ष्य है, एक ही लक्ष्य के कारण एक-दूसरे के सहयोगी हैं. कल वे देवी दर्शन के लिए जायेंगे, आज शाम को प्राण प्रतिष्ठा होगी. आश्रम में भी नवरात्रि का कार्यक्रम हो रहा है, आज वह यू ट्यूब पर देख सकती है.

पूजा का उत्सव सोल्लास सम्पन्न हो गया. आज जून पुनः दिगबोई गये हैं. तीन दिन पूर्व वे एक रात्रि के लिए वहाँ गये थे, गेस्ट हॉउस में रुके. जिस दिन पहुंचे शाम को एक-एक कर सारे पूजा पंडाल देखे. अगले दिन नाश्ता करके वापस. मौसम आज भी बादलों भरा है. उसका गला परसों से थोड़ा सा खराब है, इतवार तक पूरी तरह ठीक हो जायेगा. अगले हफ्ते काजीरंगा जाना है. स्ट्रेस मैनेजमेंट पर किसी कार्यक्रम में जून को भाग लेना है. अगले माह होने वाली टीचर्स वर्कशॉप में उसे कुछ क्रियाएं करानी हैं, जिससे टीचर्स एक दूसरे को अच्छी तरह जानें, स्वयं को जानें. वे खुद को भी कहाँ जानते हैं. उनकी कमियां और खूबियाँ, दोनों से ही अपरिचित रह जाते हैं. उसने सोचा वह दो अध्यापकों को आमने–सामने बैठकर अपनी पांच-पांच कमियां और खूबियाँ बताने को कहेगी. सभी की पीठ पर एक पेपर पिन से लगा दिया जायेगा, सभी को उसकी खूबियाँ उस पर लिखनी हैं. कार्यक्रम आरम्भ होने पर सबसे पहले वह उन्हें एक कोरा कागज देगी जिस पर उन्हें कुछ भी अंकन करना है, एक चित्र कार्यक्रम की समाप्ति पर भी.  

दीवाली आने वाली है, साल भर वे इस उत्सव की प्रतीक्षा करते हैं. दशहरा आते ही दिन गिनने लगते हैं. घर की साफ-सफाई में जुट जाते हैं. पर्दे धुलवाए जाते हैं, पुराने सामान निकले जाते हैं. घर के कोने-कोने को चमकाया जाता है. दीवाली का उत्सव कितने संदेश अपने साथ लेकर आता है.  अहंकार रूपी रावण के मरने पर ही भक्ति रूपी सीता आत्मा रूपी राम को मिलती है, वैराग्य रूपी लक्ष्मण इसमें साथ देता है और प्राणायाम रूपी हनुमान परम सहायक होता है. भक्ति को लेकर आत्मा जब लौटती है तो भीतर प्रकाश ही प्रकाश भर जाता है.

Friday, March 2, 2018

दिगबोई का सौन्दर्य



परसों वे पूजा देखने दिगबोई गये थे, दो रात्रियाँ वहाँ बिताने के बाद आज दोपहर ढाई बजे के करीब  घर लौट आये हैं. इस बार की यात्रा में दिगबोई को करीब से देखने का अवसर मिला है. हॉर्न बिल गेस्टहाउस में एक पुस्तकालय था. जहाँ हिंदी की किताबें रखी थीं. हिंदी के पहले कवि ‘सरहपा’ पर एक किताब थी, थोड़ी सी पढ़ी. उसमें जीवन को सहज भाव से जीने की प्रेरणा दी गयी है. गुरूजी भी कहते हैं, सहज रहो. वे व्यर्थ ही असहज हो जाते हैं और जीवन से दूर चले जाते हैं. प्रकृति और यह विशाल ब्रहमांड प्रतिपल गतिमय हैं. हर क्षण यहाँ कुछ न कुछ घट रहा है और यह इतना विराट है कि छोटी सी बुद्द्धि में समा नहीं सकता, तो इस बुद्द्धि को किनारे रखकर सहज होकर इस सबके साथ स्वयं को जोड़ना ही साधना है. सारी प्रकृति के साथ एकत्व महसूस करना ही तो उनका लक्ष्य है. अहंकार उन्हें असहज बना देता है. दिगबोई में पूजा देखने का अनुभव बहुत अच्छा रहा. आनंद पारा और शांति पारा के पंडाल बहुत सुंदर थे. मिशन व काली बाड़ी की पूजा भी कम नहीं थी. एक मन्दिर में भी भव्य पूजा थी, इसके अलावा एक छोटा सा पंडाल और देखा जिसकी तस्वीर भी उतारी. कार में बैठ-बैठे तो  न जाने कितनी सारी पूजाएँ देखने का मौका मिला. दुर्गा, लक्ष्मी, व सरस्वती की भव्य प्रतिमाएं तथा गणेश व कार्तिकेय की सुंदर प्रतिमाएं सभी मन को एक अनोखे लोक में ले जाती हैं, कितने सारे लोगों के श्रम और कल्पना का परिणाम होता है कोई भी पूजा मंडप ! दुर्गा देवी की आँखों में करुणा की एक धारा बहती हुई प्रतीत होती है, लक्ष्मी व सरस्वती की मूर्तियों से आनंद की. आज सुबह वे दिगबोई का पक्षी विहार देखने भी गये जो तेल क्षेत्र में स्थित है. यहाँ एशिया का प्रथम तेल कूप भी है. १९०१ में ही यहाँ पहली रिफाइनरी ने काम करना आरम्भ कर दिया था. आसाम तेल कम्पनी ब्रिटिश की बनाई हुई थी, आजादी के बाद भी कई वर्षों तक काम करती रही. यह एक साफ-सुथरा व्यवस्थित शहर है और यहाँ की विशेषता है छोटी-छोटी पहाड़ियों पर बने असम टाइप सुंदर बंगले !  कल सुबह वे प्रातः भ्रमण के लिए दिगबोई के गोल्फ मैदान में गये, जो तीन तरफ से दिहिंग फारेस्ट रिजर्व से घिरा हुआ है. यह असम का पहला अठारह होल का गोल्फ कोर्स है और अपर असम का सर्वोत्तम, इसके चौथी तरफ अरुणाचल के पर्वत नजर आते हैं. इस समय रात्रि के साढ़े सात बजे हैं. कुछ देर पहले माली द्वारा बगीचे से ढेर सारे घोंघे (स्नेल) उठवाये और उन्हें सड़क के उस पार छोड़ आने को कहा, लॉन में इतनी हरी घास होने के बावजूद वे नये नन्हे पौधों को खा जाते हैं.  

आज बहुत दिनों बाद सुबह धौति क्रिया की. तन हल्का लग रहा है. सुवचन सुने. जून कल देहली गये थे, परसों लौटेंगे. ‘यूनिवर्स’ संस्था से भेजे मेल में संदेश आया है कि परमात्मा उन्हें  हर पल देख रहे है. उनके ही भावों के अनुरूप उनके भविष्य का निर्माण पल-पल होता रहता है. जैसे गोयनका जी कहते थे, हर अगला क्षण पिछले क्षण की सन्तान है. तो अगर वे इस क्षण परमात्मा के साथ है, अगले क्षण भी होंगे और उसके अगले क्षण भी. फिर एक श्रंखला ही बन जाएगी और उनके भीतर जो भी चाह उठेगी, वह सात्विक ही होगी, क्योंकि साथ जो सत् का होगा. संत कहते हैं, मानव देह परमात्मा का मन्दिर है. इसी में ही परमात्मा का अनुभव सम्भव है. मन मनुष्य निर्मित है, समाज का दिया हुआ है, कृत्रिम है, अशांति का अनुभव मन ही करता है. मृत्यु यदि अभीप्सित है तो मन की ही है. देह नैसर्गिक है, प्रकृति से मिली है, प्राण जो इस देह को चला रहे हैं, परमात्मा से जोड़े ही हुए हैं. देह, जल आदि पंच तत्वों से बनी है, तभी तो जल और वायु का स्पर्श उसे पुलक से भर देता है. कण-कण में परमात्मा की चेतना है, उसी चेतना को उन्हें अपने भीतर जगाना है. मन ही इसमें बाधा बना हुआ है. मन, प्राण और वचन यदि सौम्यता में स्थित  हों तो चेतना प्रखर हो उठती है और देह से प्रकट होने लगती है.

शक्ति और शक्तिमान



पांच दिनों का अन्तराल ! पिछले दिनों घर में रंग-रोगन का कार्य होता रहा. सारा घर अस्त-व्यस्त सा हो गया था. किचन का सामान बैठक में, इस कमरे का सामान उस कमरे में. पेंट का कार्य पूरा गया है. आज बरामदे के फर्श पर पॉलिश का अंतिम कार्य हो रहा है. नैनी किताबों वाली रैक साफ कर रही है. आज भी दिन भर ही व्यस्तता बनी रही. शाम को योग कक्षा में कुछ नये आसन सिखाने हैं, कुछ पुराने दोहराने हैं. क्लब में पूजा का उत्सव भी है. अब अगले दस दिन सात्विक भोजन ही बनेगा, फिर अष्टमी की पूजा है. उसके पहले व्रत. स्कूल भी बंद है सो सुबह का वक्त उसे लेखन के लिए अधिक मिलेगा. कल तिनसुकिया जाना है. सर्दियों की सब्जियों के लिए बीज लाने हैं. कपड़े सिलने दिए थे वे भी. कल शाम क्लब में ‘तलवार’ दिखाई जाएगी, उसे नहीं देखनी है यह उदास करने वाली फिल्म. दो दिन से पेट कुछ नासाज है, शायद दूध वाली चाय पीने से, आज ग्रीन टी पी है, कहते हैं उसके बड़े फायदे हैं. आज बड़ी भांजी का जन्मदिन है. छोटी ने उसके मेल का अच्छा सा जवाब दिया था कल. तीन दिसम्बर को वह एक और पुत्र की माँ बनने वाली है. विदेश में पहले से ही सब पता चल जाता है, लिंग भी. जून ने कहा वह भी अब क्रोध करने वाले पर करुणा करते हैं. वह अपने विभाग में अनुशासन लाना चाहते हैं. वह एक दृढ़ लीडर की भूमिका निभा रहे हैं. कम्पनी की उन्नति ही उनका एकमात्र लक्ष्य है.

आज साप्ताहिक सफाई का दिन था. जून के दफ्तर में आज प्रधानमन्त्री की ‘स्वच्छ भारत’ योजना के अंतर्गत सफाई अभियान का आयोजन किया गया है. वे लोग डेली बाजार में एक क्षेत्र की सफाई करेंगे और कुछ कूड़े दान लगवाएंगे.

रात्रि के आठ बजने को हैं. टीवी पर भारत-दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट मैच आ रहा है. जून भी आज बहुत दिनों बाद लिख रहे हैं. आज शाम उन्होंने सिंधी तरीके से दाल माखनी बनाई, बहुत स्वादिष्ट थी. उसके सिर में हल्का दर्द है, बीच-बीच में बिलकुल गायब हो जाता है, शायद उन क्षणों में उसका साक्षी भाव प्रमुख हो जाता होगा. आज दिन में बगीचे में कुछ देर काम किया. सर्दियों के लिए बगीचा आकार ले रहा है. इस बार वे हैंगिंग गमले भी लाये हैं. उनमें लटकते हुए पिटूनिया के फूल बहुत सुंदर लगेंगे.

शाम के चार बजे हैं. सुबह सामान्य थी. दोपहर को बगीचे में साग के बीज डलवाए. पालक, मेथी, चौलाई, मूली आदि के. दोपहर को कुछ देर सोयी तो स्वप्न में मिट्टी से बनी एक देह को देखा. श्वेत मिटटी की बनी है वह और उसमें चेतना भी है. उठकर ब्लॉग पर बाल्मीकि रामायण की एक छोटी सी पोस्ट लिखी. आज षष्ठी है. दुर्गा माँ की कृपा तो हर पल बनी ही हुई है. प्रकृति ही माँ है. आत्मा की शक्ति ही माँ है. शक्ति और शक्तिमान दो होकर भी एक हैं. भीतर के मौन में जाकर जो शक्ति चेतना में भर जाती है वह माँ की ही शक्ति है. कल दिगबोई जाते समय कम्पनी की एक महिला अधिकारी की मृत्यु हो गयी, दो अन्य घटनाओं में नौ अन्य लोगों की. एक पूरा परिवार तथा उनका एक संबंधी तथा चार एडवोकेट, सभी की मृत्यु सड़क दुर्घटना में हुई. भाग्य कब किस मोड़ पर क्या दिखायेगा, कोई नहीं जानता. कौन सा कर्म कब उदय होगा और कब किस सुख-दुःख का अनुभव होगा, कोई नहीं कह सकता. शुद्ध चेतना सदा सबकी साक्षी रहती है, उसे कुछ भी स्पर्श नहीं करता.  



Friday, February 23, 2018

विघ्नविनाशक हे गणनायक



आज सुबह उसे टीवी पर सद्गुरू के पावन वचन सुनने का मौका मिला है. वह गणेशजी का वन्दन उस स्त्रोत से कर रहे हैं जो आदि शंकराचार्य द्वारा किया गया है. गणेश जी प्रथम मूलाधार चक्र के अधिपति हैं. उन का जागरण ही चैतन्य को जगाता है, भीतर शक्ति को मुक्त करता है. वे अजन्मा, निर्विकार, निराकार, गुणातीत, चिदानन्दरूप हैं, पर उनका साकार रूप भी बहुत अनुपम है. सद्गुरू उनकी वन्दना करते हुए कह रहे हैं, साकार के आलम्बन के साथ-साथ निराकार में पहुँचना है, निरंजन तक पहुंचना है. जो परब्रह्म है, सर्वव्यापी है, जगत का कारण है, सुख प्रदाता है, दुःख हर्ता है. जो ज्ञान, ज्ञाता व ज्ञेय तीनों है, सब के भीतर देखने वाला ही वह चैतन्य है. गणेश पूजा के उत्सव के दौरान भक्त भगवान के साथ खेलना चाहते हैं. उनकी मूर्ति बनाकर प्राण प्रतिष्ठा की जाती है, भीतर की चेतना को ही उसमें स्थापित करते हैं. भगवान जो कुछ भक्त को देते हैं, वे भी उन्हें अर्पण करना चाहते हैं. जैसे सूरज व चाँद भगवान की आरती करते हैं, भक्त कपूर जलाकर आरती करते हैं. पुनः उन्हें अपने हृदय में स्थापित करके साकार मूर्ति को जल में प्रवाहित कर देते हैं. गणपति विद्या के अधिपति भी हैं, सर्व पूजित ब्रह्म तत्व भी वही हैं. उन्हें स्वयं के भीतर अनुभव करना ही सच्ची पूजा है. स्वयं के भीतर विराजमान निराकार शक्ति के साथ खेलना ही पूजा है. चेतना में छिपे गुणों को जागृत करना ही पूजा का लक्ष्य है.

बंगलूरू में दो दिन उन्हें और बिताने हैं. आज गणेश पूजा है. जून यहीं निकट ही कुछ सामान लेने गये हैं. नन्हा भी किसी काम से बाहर गया है. आज उसका अवकाश है. कुछ देर पहले नेट पर उसने एक इंटरव्यू लिया. आज बाई नहीं आई है. सुबह कुक आया था, नाश्ते में पोहा बनाया है. कुछ देर बाद वे तीनों घूमने जायेंगे. पहले चिड़ियाघर, फिर राजधानी में दोपहर का भोजन, जहाँ बड़े भाई की बिटिया भी आ जाएगी, जो यहीं रहकर पढ़ाई करती है. उसके बाद वे आर्ट ऑफ़ लिविंग आश्रम जायेंगे. उसने आज सुबह महाभारत में भगवद गीता का एपिसोड देखा. गीता अब कुछ-कुछ समझ में आने लगी है. पहले कृष्ण ज्ञान योग की बात करते हैं, आत्मा के ज्ञान की बात, पर अर्जुन उसे समझ नहीं पाता. फिर वे निष्काम कर्मयोग की बात करते हैं. कर्म किये बिना कोई रह नहीं सकता, पर कर्म बंधन न बने इसके लिए स्वार्थ के बिना कर्म करना होगा. फल पर उनका अधिकार नहीं है, केवल कर्म पर ही है. यज्ञ रूप में किये गये कर्म उन्हें बांधते नहीं हैं तथा रजोगुण को शांत रखते हैं. अर्जुन जब यहाँ भी संदेह से मुक्त नहीं हो पाया तब कृष्ण ने भक्ति योग की बात कही. परमात्मा को अर्पण हुए कर्म भी मुक्ति का कारण बनते हैं. कृष्ण की महिमा को जानकर अर्जुन के मन में श्रद्धा का जन्म होता है, वह उनकी बात समझ जाता है.


Monday, July 3, 2017

आत्मा की ज्योति


बेहोशी में जो भी बीतता है, वह बेहोशी को मजबूत करता है. होश में जो भी बीतता है वह होश को मजबूत करता है. वे जागकर देखें तो हरेक कृत्य पूजा हो जाता है. उनका हर क्षण सार्थक हो जाता है. आज बहुत दिनों बाद एक सखी से बात हुई, वही जो अपनी परेशानी तो बताती है पर कोई भी सुझाव देने पर उसे न मानने में अपनी मजबूरी भी झट बता देती है, तब उसे लगता है जैसे वह अपनी तकलीफ में भी खुश ही है. नन्हे से बात नहीं हो पायी, शायद वह काफी व्यस्त है. सुबह पिकेटिंग थी, ड्राइवर ड्यूटी पर नहीं आये, वह स्कूल भी नहीं जा पायी. जून इस समय नन्हे की मित्र के घर पर होंगे दिल्ली में.
किसी पक्षी की आवाज आ रही है, जो रात्रि को बोलता है अक्सर. आज सोने में कुछ देर हो गयी है, रात्रि के पौने दस बजे हैं, जून कल आ जायेंगे, फिर सब कुछ समय पर होगा. वैसे तो कल महिला क्लब कमेटी की मीटिंग उनके घर में है, देर हो सकती है. सुबह उठी तो कुछ देर यूँही आँख बंद करके बैठ गयी, एक उपस्थिति का अनुभव इतने करीब होता है कि अब ध्यान करना भी नहीं होता. ओशो को सुना, मन को साक्षी होकर देखना आ जाये तो सारा दुःख समाप्त हो जाता है. मन नहीं रहता तभी साक्षी का अनुभव होता है. आज शाम को भी भीतर कुछ घटा, जब एक सखी ने ‘नारायण हरि ॐ’ भजन गाया, वह बहुत अच्छा गाती है. मीटिंग ठीक से हो गयी, इस महीने अभी तक मृणाल ज्योति नहीं जा पाई है, जब भी जाने में देर हो जाये तो जैसे कोई टोकता है भीतर से.

आत्मा की ज्योति पर पहरे लगे हैं
ख्वाहिशों की सेना के
जो अधूरी हों तो धुआं देती हैं
पूरी हों तो छिपा देती हैं  

इतवार को उनके लॉन में आसपास के सर्वेन्ट्स के लिए ‘आर्ट ऑफ़ लिविंग’ का ‘नव चेतना शिविर’ होने वाला है. एओल की टीचर से बात की तो वह काफी उत्साहित जान पड़ीं. यकीनन वे सभी को सद्गुरू का ज्ञान बता पाएंगी. सद्गुरु कहते हैं, जिससे भौतिक तौर पर कल्याण हो और मोक्ष भी मिले वही धर्म है. भक्ति, युक्ति, मुक्ति और प्राप्ति धर्म के अंग हैं. साधना ही वह चार्जर है जिससे आत्मा की बैटरी परमात्मा से जुड़ी रखनी है, विश्वास रूपी सिम कार्ड लगाना है और रेंज के भीतर रहना कृपा का पात्र बनना है. तब परमात्मा से कनेक्शन बना रहेगा. सरलता, सहजता ही सिद्धावस्था है. संत को कोई पराया नहीं लगता, वह स्वयं पूर्ण है और दूसरों को आशीर्वाद देता है. सुख-दुःख में सम रहना आ जाये और सबके साथ समान भाव से व्यवहार हो तो जानना चाहिए, भीतर प्रेम जगा है. सबको अपना देखने की कला ही ‘जीवन जीने की कला’ है. ध्यान, सेवा और सत्संग तब जीने का अंग बन जाते हैं.
काशी में इसी महीने गुरूजी आ रहे हैं, यहाँ भी आने की बात तो है. परमात्मा ही सदगुरुओं के रूप में धरती पर आते हैं. सुबह रामदेव जी के प्रेरणात्मक वचन सुने तो मन जैसे तृप्त और आनंदित हो गया. उनके जीवन में कितनी खुशियाँ भर गयी हैं ज्ञान के आलोक से जो संतों का दिया हुआ है. नन्हे ने कहा है, दशहरे पर वे सब मैसूर जा सकते हैं, सेलम भी जा सकते हैं एक दिन.   


Thursday, April 27, 2017

पीला गुड़हल


आज शाम को क्लब में मीटिंग है. खुद से परिचय जितना गाढ़ा होता जाता है, पता चलता है वे मालिक हैं पर नौकरों की भूमिका निभाते रहते हैं. मन व बुद्धि उनकी सुविधा के लिए ही तो हैं पर वे वही बन जाते हैं. जल जैसे स्वच्छता करने के लिए है, पर जल यदि गंदा हो तो सफाई नहीं कर पाता है, वैसे ही मन तो जगत में प्रेम, शांति व आनन्द बिखेरने के लिए हैं पर जो मन क्रोध बिखेरता है वह तो वतावरण को दूषित कर देता है. परमात्मा की निकटता का यही तो अर्थ है कि उनका मन परमात्मा के गुणों को ही प्रोजेक्ट करे न कि अहंकार के साथियों को जो दुःख, क्रोध, ईर्ष्या आदि हैं. इस समय दोपहर के दो बजे हैं. पिताजी सो रहे हैं, उनकी पीठ में दर्द है. आज सुबह अस्पताल गये थे सेंक लिया व ट्रेक्शन भी. आज बिजली नहीं है. हल्की हवा चल रही है. अब धूप तीखी हो गयी है. उसमें बैठा नहीं जाता. जरबेरा व गुलाब अपनी मस्ती में खिले हैं. कंचन में भी तीन-चार फूल आ गये हैं.

आज जून पिताजी को लेकर तिनसुकिया गये हैं, एकाध घंटे में वापस आएंगे. सुबह एक परिचिता का फोन आया, वह विदेश में रहने वाली अपनी विवाहिता पुत्री को लेकर दोपहर बाद आयेंगी. सुबह वह एक सखी के होनहार पुत्र से मिलने गयी, उसने दो परीक्षाओं में प्रथम स्थान प्राप्त किया है, उसे NASA की तरफ से बुलावा आया है. कल टीवी के कार्यक्रम वाह ! क्या बात है ! में एक कर्नल ने शानदार प्रस्तुति सुनी. लोगों के नामों को लेकर उसने एक लम्बी कविता बनाई और हिन्दू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया. जीवन कितने विभिन्न रंगों से मिलकर बना है.
आज वह पीले गुड़हल का एक पौधा लायी है. शाम को एक शादी में जाना है, नन्हे के बचपन का मित्र. जून के दफ्तर में एक कर्मचारी की माँ का देहांत हो गया था, उनके यहाँ भी जाना है. विरोधी तत्व कैसे जीवन में साथ-साथ चलते हैं. द्वन्द्वों के पार हुए बिना मुक्ति नहीं है. आज हिंदी में शमशेर बहादुर सिंह का लिखा पाठ पढ़ाया, थोडा क्लिष्ट है.

आज वेलेंटाईन डे है. जून कल उसके लिए एक ड्रेस तथा एक जूता लाये हैं, ढेर सारे फल भी, रसभरी, बेर, अनार, अमरूद और सेब...इस समय ग्यारह बजे हैं, पिताजी बाहर माली को कुछ काम बता रहे हैं. अब उनका स्वस्थ्य कुछ ठीक है. उनमें दृढ़ इच्छा शक्ति है, दया है, दूसरों का दुःख समझते हैं, कुछ भावुक हैं, हृदय प्रेम से भरा है, बात-बात पर आंसू निकल आते हैं और वह स्वयं कैसी होना चाहती  है, शुद्ध, बुद्ध, मुक्त चेतना, जो सदा परमात्मा का सान्निध्य चाहती है. निज स्वभाव से जो खुशबू फैलती है, वह शाश्वत है, जो पद, यश या धन के कारण प्रसिद्ध होता है तो कारण हट जाने पर वह स्वयं को दुर्बल मान सकता है, लेकिन स्वभाव में टिका व्यक्ति सदा ही प्रसन्न रहता है और उसके जीवन से ही ऐसी सुगंध निकलती है कि आस-पास का वातावरण सुवासित हो जाता है. कल उसे सरस्वती पूजा के लिए स्कूल जाना है. जून कर भेज देंगे, अब उन्हें  भी कार मिल गयी है. नन्हे ने ‘अनुगूँज’ शब्द का अर्थ दो-तीन पंक्तियों में अंग्रेजी भाषा में लिखकर भेजा है, बहुत अच्छा लिखा है, लेडिज क्लब की पत्रिका का यह नाम नूना ने चुना था. संपादिका को भेज दिया है. आजकल शाम को वह ‘योग वशिष्ठ’ पढ़ती है, शायद इसी का असर हो, पिताजी आस्था देखने लगे हैं.


उसे लगा मृणाल ज्योति में की सरस्वती पूजा उसके जीवन की पहली सच्ची पूजा थी, आज सुबह चढ़ाया प्रसाद भी शायद पहला प्रसाद था जो वास्तव में ईश्वर को अर्पित करके मिला था. दोपहर को बंगाली सखी के यहाँ गयी वहाँ भी पूजा का आयोजन किया गया था. उसका फूलों का बगीचा बहुत सुंदर है. उन्हें भी इस वर्ष बड़ा घर मिल जायेगा फिर वे भी ढेर सारे फूल उगायेंगे. दोपहर बाद रोज गार्डन गयी, अपने आप में डूबने का सबसे अच्छा तरीका है टहलना ! 

Friday, January 20, 2017

पूजा का प्रसाद


आज सुबह उसके जीवन अनोखी सुबह थी, चार बजे अलार्म सुना, बंद किया और फिर आँख लग गयी. स्वप्न में देखा, नन्हा छोटा है, तीन-चार साल का. उसे माथे पर चोट लगी है, वह दवा लगा देती है, नींद नहीं टूटी, स्वप्न आगे बढ़ा. नन्हा भी सोया है, उसके माथे पर बायीं ओर फिर खून निकल रहा है और उसके चेहरे पर अजीब सी मुस्कान है, नन्हा नींद में है और वह चौंक कर उठ गयी. बैठ गयी तो भीतर से कोई आत्मा-परमात्मा के रहस्य समझाने लगा. वह जग चुकी थी पर अचल बैठी थी..परमात्मा की अनंतता..घटाकाश...महाकाश सभी कुछ स्पष्ट होता चला गया..उसका अपना आप भी वही है जो परमात्मा है..मन, बुद्धि के पिंजरे में बद्ध है चेतना..जो न कहीं आता है न कहीं जाता है..सदा एक सा है..देह के आने जाने से वह आता-जाता प्रतीत होता है. जैसे मछली जल में है वैसे ही वे चेतना के महासमुद्र में है, एक लहर उठती है और एक देह में कैद हो जाती है पर वह सदा वैसी ही रहती है. उसकी उपस्थिति से ही देव जीवंत है..देह के कण-कण में वह व्याप्त है बल्कि कहें कि वही हैं और वही देह हो गयी है..फिर भी कुछ नहीं हुआ..अद्भुत है यह ज्ञान. भीतर की सारी दौड़ खत्म हो गयी लगती है. कम्प्यूटर भी खराब हो गया है. आज सुबह मृणाल ज्योति गयी थी. परसों फिर जाना है, उनकी वार्षिक सभा है. उसने एक कविता लिखी है. ब्लॉग पर भी प्रकाशित करेगी. उनके लिए पोस्टर भी बनाना है. एक अध्यापिका ने सुंदर राखियाँ बनायी हैं. कोओपरेटिव में वे बिक्री करेंगे. एक परिचिता ने उसे भी कुछ सामान खरीदवाया, वह भी कुछ राखियाँ बनाएगी. इस वर्ष वह उसके साथ काम कर रही हैं, सो साल भर तो साथ रहेगा ही. वह भी स्कूल के लिए बहुत काम करती हैं.

आज जून घर आ रहे हैं. मौसम अच्छा है. धूप न वर्षा ! कल रूद्र पूजा में गयी थी. प्रसाद में एक रुद्राक्ष मिला है, एक फल और बेलपत्र. भगवान शिव की कृपा का अनुभव भी ध्यान में हुआ..शुद्ध घन चैतन्य का अनुभव करने की प्रेरणा भीतर जगी..एकाध क्षण के लिए हुआ भी होगा. शुद्ध चैतन्य में कोई संवेदना नहीं..भावना भी नहीं..वहाँ सब अचल है स्थिर..घन..ठोस..अहं का संवेदन होता है तब आगे की श्रंखला शुरू हो जाती है. उसे अब यात्रा में भी रूचि नहीं रह गयी है. यात्रा में मन और ज्यादा चंचल हो जाता है. साधक के लिए एक ही स्थान पर रहना ही ठीक है. परमात्मा भी शायद यही चाहते हैं.  

आज सुबह एक स्वप्न ने उठाया, कोई है जो निरंतर उनके साथ है, उनका ख्याल रखनेवाला, वे न हों तो वही रहता है. जून को देखा, वह स्त्री वेश में थे. अगले जन्म में शायद वह स्त्री ही होने वाले हों..कौन जानता है ? आज मौसम अपेक्षाकृत गर्म है. कल उसने जिस पोस्टर बनाने की बात सोची थी, वह अभी तक कल्पना में ही है. मृणाल ज्योति की राखियाँ कितनी बिकीं, यह भी अभी पता नहीं है. आज एकादशी है जून नारियल लाये थे पर वह कच्चा है, निकालने में दिक्कत हो रही है. ननद का फोन आया है, वह माँ-पिता को बेटी की शादी में बुलाना चाहती है पर दोनों की उम्र व स्वास्थ्य को देखकर ऐसा सम्भव नहीं लगता. आज सुबह गुरुमाँ ने कहा वे खुद से मिलना नहीं चाहते, इसलिये फिल्म आदि में समय बिताते हैं. कल्पना की दुनिया में ही वे जीते हैं. आज ध्यान में ठीक एक घंटा हुआ था तो किसी ने सजग किया..उस एक चिद्घन को, परम चैतन्य को उनकी पल-पल की खबर रहती है, वह हर क्षण उनके पास है. अनंत रूप हैं उसके, अनंत नेत्र हैं उसके..अनंत विस्तार है उसका..उसको वे अपनी छोटी सी बुद्धि से समझ नहीं सकते, वह होकर ही समझ में आता है..जब वे उसमें विश्राम करते हैं तो जगत का लोप हो जाता है. फिर मन, बुद्धि में आते हैं तो भी उसकी स्मृति बनी रहती है. मन जब केन्द्रित होता है तब उसी की शक्ति प्रवाहित हो रही होती है. ध्यान जितना अचल होगा मन उतना ही मजबूत होगा.     


  

Wednesday, April 20, 2016

भगवद प्रेम अंक -कल्याण


केवल पूजा करना ही काफी नहीं है. गुरूजी कहते हैं जो पूर्णता से उपजती है वही पूजा है, अर्थात पूर्णता से जो प्रकट हो वही भाव युक्त कर्म, वही उन्हें सजग बनाता है. आज जून गोहाटी गये हैं, वह अपने सभी कार्य बिना घड़ी की ओर देखे कर सकती है. कहा जाता है कि कोई सफल तभी हो सकता है जब समय का ध्यान रखे, पर सफलता का मानदंड क्या है, जीवन के किसी भी मोड़ पर भीतर कोई पछतावा न रहे, आत्मग्लानि न रहे. टीवी पर भगवद कथा का प्रसारण हो रहा है. शरद पूर्णिमा की रात्रि को जो रास खेला गया था उसी को आधार बनाकर. वक्ता कह रहे हैं पुरुष कभी भी यह स्वीकार नहीं करेगा कि वह बुद्धि में कम है, इसलिए उसकी बुद्धि पर आक्षेप नहीं करना चाहिए. यदि ऐसा कभी महसूस हो तब भी नहीं, क्योंकि ईश्वर ने पुरुष को बुद्धि प्रधान तथा स्त्री को भावना प्रधान बनाया है. लेकिन साधक के हृदय में दोनों का अद्भुत संतुलन हो जाता है, दोनों परों की सहायता से ही पक्षी की उड़ान सम्भव है, एक से नहीं. आज कुछ लोगों को कल के सत्संग के लिए आमंत्रित किया, कल और भी फोन करने होंगे. जून उसकी किताब ‘मन के पार’ का दूसरा ड्राफ्ट बनाकर ले आये हैं, कुछ गलतियाँ थीं. उसे टाइप करने के काम में शीघ्रता करनी चाहिए, कितना कुछ लिखा हुआ पड़ा है. यूरोप पर लिखी कविताएँ उसकी सखी को अच्छी लगीं, जो अपने परिवार के साथ यूरोप घूमने गयी थी. अभी उन्हें और पढ़ने की चाह है. उसके जन्मदिन पर लिखकर ले जाएगी. परमात्मा ने उसे यह कला सौंपी है, इसका पूरा लाभ उठाना होगा जनहित में ! नन्हे ने कहा, वह सोचकर बतायेगा कि उनके साथ विदेश यात्रा पर जायेगा या नहीं. जून ने आस्ट्रिया पर काफी जानकारी मंगा ली है, वे अप्रैल के बाद कभी भी यूरोप जा सकते हैं. 

आज बड़ी भाभी का जन्मदिन  है, उनके लिए एक कविता लिखनी शुरू की है. अभी-अभी ऐसा लगा, यूँ पहले भी एकाध बार लगा है कि आजकल उसे नयी-नयी किताबें पढ़ने का शौक पहले जैसा नहीं रह गया है. यह भी कि वह सजग भी नहीं रह पाती है. कई काम जैसे असजगता में कर डालती है, ऊपर से तुर्रा यह कि वह कार्य करते समय भी यह याद रहता है कि असजग है, पर सजगता धारण नहीं करती. सद्गुरू कहते हैं कि सजग हुए बिना यह पता चलना कठिन है कि कोई असजग है, पर काम तो तब तक हो चुका होता है या हो रहा होता है. समय जैसे-जैसे बीत रहा है यह लक्षण बढ़ रहा है और वैसे ही बढ़ रहा है भीतर का आनन्द, मस्ती और नाद, प्रकाश सभी कुछ, ईश्वर ही सब कुछ है उसके सिवाय कुछ भी नहीं, यह भाव भी दृढ़तर होता जा रहा है, शायद इसलिए अब जगत फीका लगने लगा है. उपन्यास आदि में कोई रूचि नहीं रह गयी है, पढ़ना भाता है तो केवल अध्यात्म संबंधी कुछ भी. इसी महीने की अंतिम तारीख को उन्हें यात्रा पर जाना है, देव दीवाली देखने, उस पर लेख लिखेगी, आँखों देखा विवरण, फिर क्लब की पत्रिका में छपवाने देगी. कल दीवाली के लिए खरीदारी की, एक दुकान में उसे व्यर्थ क्रोध आ गया, वहाँ का वातावरण विषाक्त था, नकारात्मक ऊर्जा भरी थी, सजगता की कमी थी.

जून ने उसकी किताब ‘मन के पार’ की अंतिम सही पांडुलिपि प्रिंट करके ला दी है. वे इसकी पांच प्रतियाँ अपने साथ ले जाने वाले हैं. कल ‘सरस्वती सुमन’ का दूसरा अंक मिला, जिसमें उसकी कविता ‘तुम्हारे कारण’ भी छपी है. आज शाम को क्लब की पत्रिका के लिए मीटिंग है, उसे हिंदी अनुभाग देखना है, ज्यादा काम नहीं होगा, हिंदी में लिखने वाली चार महिलाएं भी नहीं हैं. कल दोपहर एक सखी की भेजी ब्यूटीशियन घर आयी, उसे काम चाहिए था. परमात्मा हर तरह से उसका ख्याल रखता है. आज सुबह एक सखी से बात हुई, वह keep of the grass पढ़ रही है, बनारस की काफी चर्चा है उसमें. दस दिन बाद उन्हें भी वहीं जाना है, उसके पहले दीवाली - दीवाली की मिठाइयाँ, फुलझड़ियाँ और रोशनियाँ ! शाम को कल्याण का ‘भगवद प्रेम’ अंक पढ़ना शुरू किया है. परमात्मा को प्रेम करना ही मानव होने का सर्वोत्तम आनन्द है. उस रसपूर्ण परमात्मा के रस को पाना सारे सुखों से बढ़कर है, वही अमृत है ! प्रेम ही परमात्मा है !

Tuesday, April 19, 2016

जय जवान जय किसान


अक्तूबर का प्रथम दिवस ! शारदीय नवरात्र कल से आरम्भ हो गये हैं. शुभ तत्वों का चिन्तन, श्रवण तथा स्मरण ही इन दिनों में विशेष करना है. ऐसे तो सभी समय शुभ का चिंतन चले, राम नाम का जप करने के पीछे यही भाव है कि भीतर उस विराट से जुड़े रहें, परमात्मा से जुड़े रहें, पर ब्रह्म से जुड़े रहें ! उसकी बगिया में जैसे कमल के फूल खिले हैं, वैसे ही जरा सी समझ से भीतर क्रांति हो सकती है. कर्ता का भाव छूटना ही वह समझ है, वही अहंकार है, हर वक्त कुछ न कुछ करने की चाह ही वह कर्ताभाव है. जीवन धारा इस अहंकार के कारण ही गंदली हो गयी है. तन स्वस्थ रहे तो मन स्वस्थ रहता है, मन स्वस्थ रहे तो तन स्वस्थ रहता है, पर आत्मा स्वस्थ रहे तो दोनों स्वस्थ रहते हैं, इसलिए आत्मा को ही स्वस्थ रखना परम लक्ष्य होना चाहिए.

बापू का जन्मदिवस, ‘जय जवान जय किसान’ का नारा देने वाले शास्त्रीजी का जन्मदिवस तथा नवरात्रि का तीसरा दिन, ईद भी आज है और आज ही उसे हिंदी काव्य प्रतियोगिता में निर्णायक की हैसियत से जाना था. कई बहुत अच्छी कविताएँ सुनने को मिलीं, नये-नये विषयों पर लिखीं अच्छे-अच्छे कवियों की कविताएँ ! इस समय दोपहर के सवा दो बजे हैं. मौसम खुशगवार है, उसकी छात्रा आ गयी है. ‘अमृता’ पढ़ रही थी कल, प्रेम का अद्भुत चित्रण हुआ है पुस्तक में.

पिछले दिनों पूजा का अवकाश था, जून घर पर थे, दिन कैसे बीत गये पता ही नहीं चला. इसी महीने उन्हें घर जाना है. नन्हा हैदराबाद में है, उससे उसने कहा कि अपने अनुभव लिखे जो उसे चार वर्षों में हुए हैं. जो उसने समय-समय पर उन्हें बताये हैं, उसे याद हैं. उसने उनकी एक सूची बनायी.
आज सभी भाइयों को भाईदूज का टीका भी भेज रही है. किताब का काम भी आगे बढ़ रहा है. कल उसके दायें हाथ में दर्द था, लिखना मुश्किल था. सुबह उठी तो दर्द गायब था. लेकिन इस एक दिन के दर्द ने सिखा दिया कि उनका दाँया हाथ कितना महत्वपूर्ण है, जितना हो सके इसका सदुपयोग उन्हें करना चाहिए. लेडीज क्लब की पत्रिका भी निकलने वाली है, जिसके लिए उसे कविताएँ भेजनी हैं. कल दीदी को भी विवाह की वर्षगांठ पर एक कविता भेजी, पता नहीं उन्हें कैसी लगेगी.

दस बजे हैं, अभी-अभी बिजली चली गयी है. सन्नाटा हो गया है. मन में हर पल कोई न कोई चाह उठती रहती है. मन का नाम ही है चाह, पर यह चाह शुभ हो, मंगलमय हो, दूसरों का हित करने वाली हो, स्वार्थ से भरी न हो, तब चाह उठने पर भी मन मुक्त ही रहता है. वह कम्प्यूटर पर लिख रही थी. आज एक नई फ़ाइल बनाई है, nature जिसमें प्रकृति पर पहले लिखीं कविताएँ टाइप करके डालेगी. सुबह जून ने अपना वजन देखा, बढ़ गया है, दो केजी उसका भी बढ़ा है. पिछले कुछ महीनों से वे ज्यादा जंक फ़ूड खाने लगे हैं, आज से सचेत रहेंगे. माँ का भार कम हो गया है, उनका भोजन बढ़ाना होगा. अभी-अभी कितना जोर का धमाका हुआ शायद कोई प्लेन आकाश में उड़ रहा था. जेट फाइटर या ऐसा ही कुछ. आज भी उठने से पूर्व चाँद दिखा, पूर्णिमा का चाँद, लेकिन जैसे ही विचार उठा यह चाँद है, वह गायब हो गया. एक सखी से बात हुई, उसके बांये हाथ की छोटी अंगुली में फ्रैक्चर हो गया है, प्लास्टर लगा है, तीन हफ्ते बाद खुलेगा.