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Friday, May 26, 2017

वेद रहस्य


जुलाई माह का प्रथम दिवस ! पिताजी अब इस दुनिया में नहीं हैं, हैं तो उनकी स्मृतियाँ, किसी और रूप में वे अवश्य कहीं होंगे.

पूर्ण हुई एक जीवन यात्रा
या नवजीवन का आरम्भ
एक आश्रय स्थल होता है पिता
वृक्ष ज्यों विशाल बरगद का
नहीं रह सके माँ के बिना
या रह न सकीं वे  आपके बिना

सो चले गये उसी पथ पर
छोड़ सभी को उनके हाल....
भर गया है शुभ स्मृतियों से
हृदय का प्रांगण
लगाये सभी होड़ आगे आ जायें
लालायित, उपस्थिति निज की जतलायें
उजाला बन कर जो पथ पर
चलेंगी संग-संग वे सब हमारे
बागीचे से फूल चुनते
सर्दियों की धूप में घंटों तक
अख़बार पढ़ते
नैनी के बच्चे को बहलाते
लगन से पूजा की तैयारी करते
जाने कितने पल आपने संवारे....

विदा किया है भरे मन से
काया अशक्त हो चुकी थी
पीड़ा बन गयी थी साथी
सो जाना ही था हंस को
त्याग यह टूटा फूटा बसेरा
नूतन नीड़ की तलाश में
जहाँ मिलेगा इक नया सवेरा...


अब उन्हें अपने जीवन की यात्रा अपने ही भरोसे तय करनी है, परमात्मा के भरोसे भी तय करने का भी तो यही अर्थ है न, वह उनका अपना आप ही तो है ! क्रिया के तीन दिन बाद वे वाराणसी की यात्रा पर निकल गये, पिताजी की अस्थियों का विसर्जन करना था. श्री अरविन्द का वेद रहस्य साथ ले गयी थी. अद्भुत ग्रन्थ है वह, उनके पूर्वजों का इतिहास, उनकी आकांक्षाओं और अभीप्साओं का संग्रह ! वर्षों पूर्व भी पढ़ा था, मन को एक दिव्य लोक में ले जाता है. वर्षा आज भी हो रही है, छत से पानी टपक रहा है, उसका शोर ज्यादा है बनिस्बत वर्षा की बूंदों के शोर के. नाइन ओ क्लॉक के दो गुलाबी फूल बड़े शान से खिले हैं उनके मन व बुद्धि भी इसी तरह खिले रहें, सहज ही आत्मा के गुण उसमें झलकते रहें, कोई आग्रह न रहे, जीवन एक सुमधुर संगीत से आबद्ध रहे, ऐसी ही प्रार्थना, ऐसी ही कामना उसके पोर-पोर से उठ रही है. 

Saturday, July 19, 2014

हिमाचल की वादियाँ



कल शाम दीदी चली गयीं, माँ की अस्वस्थता के कारण वे नहीं गये, आज सुबह उसने फोन पर उन्हें माँ के स्वास्थ्य के बारे में बताया, छोटी बहन भी यहाँ आने के लिए तैयार है पर पिता ने उसी की असुविधा को देखते हुए मना कर दिया. इस समय भाई के साथ जून भी माँ को डाक्टर के पास ले गये हैं. बच्चे यहीं पढ़ाई में लगे हैं, पिता उन्हें फल व खाखरा आदि खिला रहे हैं. आज कई दिनों बाद उसने पिता के हारमोनियम पर रियाज किया, सुबह ‘ओशो’ की एक पुस्तक में से चंद लाइनें पढ़ीं, सभी धर्मगुरू सभी धर्म एक सी बातें कहते हैं. कल रात वह काफी देर तक सो नहीं सकी, उसके बिस्तर से माँ का बिस्तर दिख रहा था वह हर पांच-दस लेटने के बाद उठ जाती थीं, उठ कर बैठतीं फिर बैठ-बैठे ही सोने लगतीं, उन्हें देखकर लगा कि उनकी तबियत काफी खराब है पर दिन में जाहिर नहीं होने देती हैं, उनकी हिम्मत देखकर रश्क होता है.

दो ही दिन हुए हैं पर लग रहा है बहुत दिनों के बाद लिख रही है. उस दिन सुबह वे हिमाचल प्रदेश के सुंदर शहर सोलन जाने के लिए रवाना हुए तो माँ का स्वास्थ्य पहले जैसा ही था. छोटी बहन वहाँ प्रतीक्षा कर रही थी सो वे चल पड़े, रास्ता आराम से कट गया. तीन बजे वे गंतव्य स्थल पर पहुंच गये. सोलन एक खुबसूरत पहाड़ी जगह है, बहन उन्हें लेने आई थी, उसने बताया, भाई का फोन आया था, माँ को अस्पताल ले जाना पड़ा है. कल ही वह भी उनके साथ घर जाएगी, वह उन्हें घर के पास की पहाड़ी पर ले गयी, दो घंटे वे पहाड़ों पर घूमते रहे, वापस आकर खाना बनाया और सुबह की वापसी की तैयारी करके सो गये.

उनके पूर्व कार्यक्रम के अनुसार आज उनका यात्रा का दिन था, पर इन्सान जो सोचता है वही तो नहीं होता. उन्हें यहाँ आये आज आठवां दिन है. कल मामी जी भी माँ को देखने आयीं, आज वापस चली गयीं. माँ अब काफी ठीक हैं पर पूरी तरह से नहीं, उन्हें अभी बहुत देखभाल की जरूरत है. जून छोटी बहन के साथ अस्पताल गये हैं, जो डाक्टर है सो उसका यहाँ होना लाभदायक है. जून और वह एक बार भी साथ-साथ नहीं गये, शायद यह इस कारण हो कि वह यहाँ आकर अपने पुराने दिनों में लौट आयी है. अपनी उम्र का भी अहसास नहीं होता. नन्हा दीदी के यहाँ गया हुआ है, उसे लेने उन्हें जाना है. शायद आज या कल. मौसम यहाँ बेहद गर्म हो गया है और बिजली चली जाने पर घुटन हो जाती है. रात को वे सोये तो छोटी बहन और उसकी बेटियां भी उनके कमरे में थीं, देर रात तक बातें कीं फिर भांजी सोये-सोये कोई स्वप्न देखने लगी या गर्मी से परेशान होकर रोने लगी. बहन को उसने कहा उसे थोड़ा स्वालम्बी बनाये पर उसने कई और बातें कहीं, जिससे यही सिद्ध हुआ कि वह वैसे ही खुश है, उसे बच्चों के रोने या जिद करने पर खीझ नहीं होती, न झुंझलाहट. वह हिम्मती तो है ही और किसी को judge करने या सलाह देने की भूल करने की सजा तो भुगतनी ही पडती है.

आज उसका जन्मदिन है, किन्तु हर वर्ष जैसी उमंग जो इस दिन स्वतः ही होती थी आज नहीं है, पिछले वर्ष वह असम में थी, सुबह-सुबह सभी ने फोन से मुबारकबाद दी थी, आज यहाँ घर पर है, छोटी बहन, भाभी, पिता और जून बधाई दे चुके हैं, ससुराल से भी फोन आ चुका है. असम में भी उसकी सखियों ने याद किया होगा. कितने दिनों से बाबाजी को सुना नहीं, यहाँ सुबह ही बिजली चली जाती है. माँ कल घर वापस आ गयी हैं, अभी कुछ दिन मंझले भाई के यहाँ रहेंगी. आज बड़े भैया-भाभी वापस जा रहे हैं. पिछले दिनों सभी ने मिलजुल कर माँ-पिता को सहयोग दिया, सभी भाई-बहन एक सूत्र में बंधे हैं. चौबीस घंटों के लिए दीदी के घर भी गयी, उनका घर बहुत बड़ा है, सामान भी तरह-तरह के हैं. दीदी को भी क्रॉस वर्ड भरने का शौक है, अभी भी बच्चों की तरह उत्साह से भर जाती हैं छोटी-छोटी बातों पर, उम्र का कोई असर उनके मन पर नहीं हुआ है. छोटी बहन भी वैसी ही है, उसको डाक्टरी ज्ञान, लेकिन बहुत है, पिछले दस-बारह वर्षों का अनुभव ! जून से उसकी बातचीत बहुत सीमित ही हो पाती है, कल वे मार्केट गये, घरके लिए व स्वयं के लिए कई छोटे-मोटे सामान खरीदे. अभी एक हफ्ता उन्हें यहाँ और रहना है.



Wednesday, May 28, 2014

द तिबतियन बुक ऑफ़ लिविंग एंड डाइंग


She is waiting for Nanha to vacate the bathroom he is there since last one hour, he has to go his school with jun to bring his new books and dress  for new class. Today in the morning when she saw the capsicum bed, became sad to see its bad condition but then recalled ‘The Gospel of Buddha’ immediately became cheerful again and arranged it to be cleaned. Everything depends upon the mental state ie attitude which one  takes  towards various things. Ma-papa are sitting outside in the sun.
कल शाम माँ ने रास्ते में, जब वे घूम कर आ रहे थे, पिता की कठोरता की शिकायत की. उनका स्वभाव बच्चों जैसा है, मानसिक विकास भी उनका वहीं तक सीमित है, स्कूल कभी गयी नहीं, सीधा-सपाट मन जो प्रेम से भरा है और मीठी बोली, पर घर में सभी उनकी अस्वस्थता व भोलेपन की वजह से उन पर हुकुम चलाना अपना अधिकार समझते हैं. कोई उन्हें गम्भीरता से नहीं लेता. इसका उन्हें दुःख था.

Today is Women’s day ! she is proud to be a woman. Just now read another chapters  in ‘The gospel of Buddha’ and ‘The Tibetan book of living and dying’. Both are full of knowledge and stimulate the mind. They say all are changing with this continuously changing world. Today  weather is cloudy and cold. Her inside is also dull , feeling some fullness in stomach and hips. May be this is due to not doing exercise properly today. Yesterday they had a get together with DPS people. Nanha ‘s  maths teacher praised him very much she was happy to hear all the praise coming from all the sides. It is a great satisfaction to have a son or daughter  who is intelligent and laborious. Today she could not practice music but still there is time.

Last night it rained so weather is pleasant now. Surroundings are green and clean, wind is cool and so is earth, wet and cool. Tibetan master has advised-
Always recognize the dream like qualities of life and reduce attachment and aversion. Practice good-heartedness toward all beings. Be loving and compassionate, no matter what others do to you. What they will do not matters so much when you see it as a dream. The trick is to have positive intention during the dream. This is the essential point. This is true spirituality.
William black said-
He who binds to himself a joy
 Does the winged life destroy
He who kisses the joy as it flies
Lives in eternity’s Sun rise.

Every thing around us is bound to change so it is futile to hope for permanence and security. To let go is to love. When one lose someone he realizes  that he loves him/her.

कल उसने कुछ नहीं लिखा, ऐसा लगा जैसे लिखने को कुछ है ही नहीं. इस वक्त लेकिन मन में कितना कुछ है. सुबह छह बजे से कुछ पहले ही उठी, कल शाम को घर से जनवरी का लिखा खत आया, महीनों बाद लेकिन पूरा नहीं पढ़ा, उसके बाद का खत भी आ चुका है और फोन से बात भी हो चुकी है सो पत्र पढ़ने का उत्साह ही नहीं हुआ. वैसे भी घर पर मेहमान आये हुए हों तो दिमाग एक ही तरफ रहता है. परसों वे लोग यानि माँ-पापा वापस जा रहे हैं सो उसके बाद ही सभी पत्रों का जवाब दे पायेगी. मन की सहज स्वाभाविक स्थिति देर तक नहीं रह पाती, कभी-कभी शिकायती हो जाता है, एक क्षण में कैसे जीया जाता है कल यही पढ़ रही थी पर थोड़ी देर तक ही याद रहता है फिर सुविधाजीवी मन थोड़ी सी असुविधा भी सहन नहीं कर पाता और जाले बुनने लगता है.
वह कल का खत उसने आज पढ़ा, मन आर्द्र हो उठा है, पिता ने उसके उस पहले पत्र में व्यक्त भावों की कितनी अच्छी तरह समझा और जवाब दिया और वह सोचती रही कि उसका पत्र बिना जवाब के रह गया. डाकविभाग की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है लोगों के बीच गलतफहमी पैदा करने में. उसे भी अब एक खत लिखना है जो उम्मीद करती है वक्त से मिल जायेगा.

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Friday, September 27, 2013

हवाई जहाज की दुर्घटना


..और आखिर आज धूप निकल आई है, इतने दिनों के बाद पेड़, पौधे, घास सभी को धूप अच्छी लग रही होगी. पंछियों को भी, जैसे उन्हें इसका स्पर्श कोमल लग रहा है. यहाँ उसके कमरे में खिड़की से आती हल्की तपन भली लग रही है. कल रात आठ बजे वे तीनों आये, थके हुए थे पर स्वस्थ थे. पिता इतना सारा सामान लाये हैं, और माँ उन सबके लिए वस्त्र लायी हैं सदा की तरह, उसे अपनी ड्रेस उतनी अच्छी नहीं लगी, क्यों कि वे बहुत गहरे रंग के रेशमी वस्त्र लाती हैं. वह हल्के और सूती कपड़े पहनना पसंद करती है, पर वह उन पर यह बात जाहिर नहीं करेगी. कल शाम को इंतजार करते समय और आज सुबह भी कुछ देर आचार्य रजनीश की किताब पढ़ी, मन को बांध लेते हैं उनके शब्द, उसे उनकी कुछ बातें अच्छी लगीं कुछ नहीं भी लगीं. कुछ बातें समझ में आती हैं, कुछ बहुत मुश्किल हैं और कुछ पर विश्वास ही नहीं होता.


जून उनकी डाइनिंग टेबल लाने तिनसुकिया गये हैं और कार की बैटरी भी जो परसों गोहाटी से वापस आने पर उन्हें खराब मिली. नन्हा आज देर से आयेगा उसकी असमिया कक्षा होगी. सारी सुबह आजकल कैसे बीत जाती है पता ही नहीं चलता, इस समय पिता टीवी पर क्रिकेट मैच देख रहे और माँ ने स्वेटर बनाना शुरू किया है. घर में चुप्पी है, सिवाय टीवी की हल्की आवाज के या किचन में नैनी के बर्तनों की आवाज के. कल शाम उनके एक मित्र स्वयं ही आ गये, उसने देखा है, यदि लोगों के पीछे भागो तो दूर भागते हैं उन्हें छोड़ दो तो स्वयं ही निकट आते हैं.  और आचार्य के शब्दों में मित्रता सिर्फ प्रसन्नता का आभास मात्र देती है वह भी प्रारम्भ में, बाद में उससे उदासी ही ज्यादा मिलती है. सो जैसा मार्ग में आता जाये वैसा ही लेकर चलते रहना चाहिए. किसी से बंधने की कोशिश करना व्यर्थ है. इन्सान जब स्वयं अपने आप का मित्र नहीं रह पाता है कई अवसरों पर, तो वह दूसरों से हर वक्त ऐसी उम्मीद कैसे कर सकता है ? लेकिन पहले कई बार उसे ऐसा लगा है और आगे भी लगता रहेगा कि दोस्ती भी एक सच्चाई है और वे उससे मुंह नहीं मोड़ सकते, they need friends and they matter for them. आज भी मौसम अच्छा है, यानि बगीचे में काम किया जा सकता है. आज सभी को भाईदूज की चिट्ठियां लिख दीं.

आज बहुत दिनों के बाद लिख रही है, सुबह उसकी लापरवाही से बाएं हाथ की छोटी ऊँगली जल गयी, हल्की जलन है पर उसे सावधान रहना चाहिए था. शाम को मार्किट जाना है, दीवाली की पूजा का सामान लाना है तथा उसके अगले दिन होने वाले विशेष भोज के लिए भी. मौसम आजकल सुहाना है, न ठंड न गर्मी, दीवाली के लिए आदर्श मौसम.

दीवाली आई और चली भी गयी और उन्होंने दीवाली की ख़ुशी में पार्टी का आयोजन भी सफलता पूर्वक किया, और आज घर पहले की तरह व्यवस्थित हो चुका है. पिछले दिनों लिख नहीं सकी और इसी का परिणाम है शायद उसका विचलित मन, पता नहीं कहाँ से आते हैं, छोटे, नाटे, व्यर्थ विचार जो मन को हिला देते हैं और यकीनन चेहरे पर उनकी झलक पडती ही होगी. पर अब जैसे धुंध छंटने लगी है और सूरज निकलने लगा है.

अभी कुछ देर पूर्व पिछले साल का इसी दिन का पन्ना पढ़ा, अच्छा लगा, आज भी सब कुछ ठीक है, वे तीनो स्वस्थ हैं, कोई उलझन नहीं और न किसी प्रकार की प्रतीक्षा, किसी वस्तु, घटना या किसी प्राणी की. दोपहर का वक्त है, धूप जो सुबह बहुत तेज थी, अब गायब हो गयी है. थोड़ी देर में जून माँ को अस्पताल ले जाने के लिए आने वाले हैं, नन्हे के लिए चार्ट पेपर्स पर उसे बाउंड्री लाइन्स खीचनी हैं. आज पिछले दो दिन का अख़बार पढ़ा, दोनों पर मुख्य समाचार हवाई जहाज की दुर्घटना का है. दिल्ली हवाई अड्डे से उड़ान भरना सुरक्षित नहीं है, black listed है हमारा सबसे बड़ा हवाई अड्डा, कमी हर चीज में है फिर भी हम भारतीय सन्तोषी जीव हैं, काम चलाना जानते हैं. पर कभी-कभी ऐसी भयंकर दुर्घटनाओं का सामना करना ही पड़ता है. परसों नन्हे के लिए नानी का बनाया सुंदर सा स्वेटर मिला. कल वे पड़ोस के बच्चे के जन्मदिन की पार्टी में गये, नन्हे ने उसकी सहायता की, दोपहर को गुब्बारे लगाने में और बाद में बच्चों के लिए गेम करवाने में, और उसे इस बात पर कोई अभिमान नहीं था, he was just a helping friend. कभी-कभी बड़े बच्चों से बहुत कुछ सीख सकते हैं.


Sunday, September 16, 2012

छत पर बंदर



कल जून को पत्र लिखा, कहीं वह नाराज न हो गए हों कि उसने उन्हें मेस ज्वाइन करने को कहा, अब यह तो उनका पत्र आने पर ही मालूम होगा. उसे पूरी आशा है आज उसका पत्र भी आयेगा. सुबह पांच बजे से पहले ही उसकी नींद खुल गयी उमस और गर्मी के कारण. उसने सोचा आज रात से यहीं छत पर सोयेगी जब सुबह छत पर टहलने गयी, हवा बहुत ठंडी थी, तन-मन को सहलाने वाली. उसे कालेज के जमाने में घर के सामने वाले बगीचे में गुलाबों की झाड़ी से निकलने वाली खुशबू और सुबह की शीतल पवन याद आ गयी. अगले महीने पिता रिटायर हो रहे हैं अब वह कभी उस मकान में नहीं रह सकेगी. कल देवर के मित्र अपने एक मित्र की पत्नी को लेकर आए, उसकी बातें और स्टाइल देखकर उसे भाभी व उनकी बहन की याद आ रही थी. पर उसकी कुछ बातें सुनने में कानों को चुभने वाली थीं, सो वह उठकर चली गयी.

कल उसका पेन फिर कहीं खो गया, सो सुबह डायरी नहीं लिख पायी थी. इस समय सुबह के साढ़े छह बजे हैं पर कमरे में गर्मी बहुत है. कल रात वे सभी छत पर सोये. कितने वर्षों बाद उसे छत पर सोने का मौका मिला है, खुले आसमान के नीचे. बचपन में वे सभी किस्से कहानी कहते हुए छत पर सोया करते थे गर्मियों में. आरम्भ में इतने लोगों के कारण नींद ही नहीं आ रही थी, पर बाद में, कब सो गयी पता ही नहीं चला. सुबह पौने पांच बजे के लगभग नींद खुली, कानों में मंदिर से आती मंत्र ध्वनि व स्तुति सुनाई दी जो प्रातःकालीन मंद शीतल हवा में भली लग रही थी तो बनारस की सुबह के प्रसिद्ध होने का अर्थ समझ में आया. नन्हा अभी तक सोया है. छत पर से आकर यहाँ इस कमरे में. सुबह-सुबह मकानों की छतों पर यहाँ कितने बंदर भी घूमते दिखाई देते हैं. कल महावीर जयंती का अवकाश था सो पोस्टमैन नहीं आया. जून को खत भेजने का दिन आज है, पर वह उसका पत्र आने पर ही लिखेगी.
कल जून का पत्र मिला एक नहीं दो पत्र एक साथ. वह भी उसकी तरह परेशान था पत्र न मिलने से. विवाह से पूर्व जिस तरह लम्बे पत्र लिखता था वैसा ही स्नेह भरा पत्र पाकर उसकी ऑंखें भर आयीं, ऐसा तो उसे उसका पत्र पाकर कितनी ही बार हुआ है पर इसको सामान्य ढंग से न लेकर माँ-पिताजी यह सोचने और फिर कहने लगे कि यहाँ उसका मन नहीं लगता. एक महीना हो गया है उसे यहाँ रहते याद नहीं कि कभी ऐसा उन्हें महसूस होने दिया हो. नन्हा अस्वस्थ होने के कारण या उसका पूरा ध्यान न मिलने के कारण परेशान कर रहा था, उसका मन पहले से ही भरा था. उसने तय किया है आज से सोनू का पूरा ध्यान रखेगी, चाहे पढ़ाई हो या न हो. घड़ी देखी, साढ़े पांच बजने को थे वह दिन का कार्य आरम्भ करने के लिए उठी.