कल वे पिकनिक पर गये थे, यहाँ से थोड़ी ही दूर पहाड़ियों
के उस पार नदी के किनारे, पहाड़ियों पर चाय बागान थे, उन्होंने उनके मध्य से होते
हुए चढाई भी की और कुछ लोग नदी पार करके दूसरे किनारे पर भी गये. दिन भर वे बहुत
खुश थे, शाम को एक मित्र परिवार कई दिनों बाद मिलने आया और रात्रि को उसने एक बहुत
दीर्घ स्वप्न देखा, स्वप्न में ही उसका अर्थ जानने का प्रयत्न भी किया. वह शायद
यही जता रहा था कि वह सबकी नजरों में बने रहना चाहती थी ! परसों उन्हें जाना है सो
आज दो सखियों को फोन करके विदा ली. आज सुबह ससुराल से फोन आया, बड़ी ननद आ गयी है,
छोटी की डेट आने वाली है. उस दिन वे ट्रेन में होंगे. असमिया सखी नये घर में जा
रही है, उसने सोचा नये वर्ष में उसका नया घर देखने वे जरूर जायेंगे. शाम को
लाइब्रेरी जाकर किताबें वापस करनी हैं, और यात्रा में साथ ले जाने के लिए कुछ
पत्रिकाएँ भी लानी हैं.
आज की सुबह की शुरुआत बड़े
अजीब ढंग से हुई, जून ने उसे रोज की तरह उठाया और उसने स्वभावतः कहा कि कल उन्हें
जाना है तो सुबह और भी जल्दी उठना पड़ेगा और फिर यह भी कि नन्हे और जून को तो कल
स्कूल व दफ्तर नहीं जाना होगा सो सम्भवतः उतनी
जल्दी भी नहीं होगी, पर जून के अनुसार उनकी छुट्टी कल से शुरू नहीं हो रही है, जिस
दिन जाना हो दफ्तर जाकर यदि sign कर दिए और वापस आकर भी यदि sign कर दिये या फोन
से इन्फॉर्म भी कर दिया तो ड्यूटी ज्वाइन कर ली ऐसा माना जाता है. सब ऐसा ही करते
हैं. कैसा अजीब सिस्टम है यह, उसकी समझ से बाहर. वैसे ही ऑफिस के दिनों में लोग
सीट से गायब रहते हैं और.. इसी बात पर उसने जून को कुछ कहना चाहा पर उनको यह बात
इस कदर नागवार गुजरी कि नाराज हो गये, खैर थोड़ी देर बाद( उनके क्रोध से उसके सिर
से नैतिकता का भूत उतर गया) सब शांत हो गया, इन्सान सिस्टम का शिकार होकर इतना
तटस्थ हो जाता है कि उसे इस बात का अहसास तक नहीं होता कि जो वह कर रहा है गलत है.
वह जो इतनी किताबें पढ़ती है, सच्चाई, ईमानदारी, नैतिकता, और मूल्यों की बात करती
है, क्या वह केवल किताबों तक ही सीमित नहीं है, कदम-कदम पर लोग समझौते करते हैं,
वे सुविधा उठाना चाहते हैं जिन पर उनका अधिकार नहीं है. यह मानसिक उथल-पुथल कहीं
उसे अस्वस्थ न कर दे.
कोलकाता गेस्ट हाउस
It is their first morning
away from. Yesterday at 10.45 they started from home to air port. Air Bus took
one and half hour to reach Calcutta. Flight was good except one thing, their’s
was last seat and two times they suffered foul smell but it was nothing
compared to the smell they felt while coming from Calcutta airport to guest
house in park street. They passed it in few minutes but people who live their
day and night continuous breath in it, in that sense Calcutta is a stinking
city. Here in park street their guest house is on sixth floor but traffic noise
is as much as on first floor in any other city. She could not sleep due to
noise and due to excitement of journey and their meeting with Punjabi didi’s
family. She got three dress materials from a shop near by. Cloth is very
good and of a different texture.
पुरी गेस्ट हाउस
आज सुबह उसकी नींद साढ़े
तीन बजे ही खुल गयी, एक स्वप्न उसे सूर्योदय देखने जाने के लिए जगा रहा था, जून ने
समय देखा और वे कुछ देर और सो गये. पांच बजे उठकर समुद्र तट पर गये, रास्ते में अँधेरा
था, तट सुनसान था, पर सोडियम लाइट के कारण काफी उजाला था, जो दूर तक लगी हुई हैं. आकाश
और पानी का रंग पहले श्याम था, फिर नीला हो गया और बाद में सुरमई, लाल होने की
प्रतीक्षा करते रहे पर धुंध की वजह से सूर्य दिखाई नहीं दिया, सुबह की शुद्ध हवा
में समुद्र की लहरों का उतर-चढ़ाव और दूर पानी में तिरती पाल वाली नावें बहुत अच्छी
लग रही थीं. सवा छह बजे वे वापस आ गये, नहा-धो व नाश्ता करके भ्रमण के लिए निकले.
कोणार्क मन्दिर, धौली, उदयगिरी की गुफाएं, नन्दन कानन और लिंग राज मन्दिर देखे.
चन्द्रभागा तट पर नारियल पानी पिया. ‘पिपली’ से कुछ खरीदारी की, भुवनेश्वर से
बुद्ध की एक मूर्ति खरीदी. पूरा दिन उड़ीसा की नई-पुरानी जगहों को देखने में निकल
गया. नंदन कानन में सफेद बाघ व शेरों को देखना नन्हे के साथ उनके लिए भी एक सुखद
अनुभव था, शेर खुले में घूमते-घूमते सड़क तक आ पहुंचे थे, और आराम फरमा रहे थे. जून
ने कई तस्वीरें उतारीं. कल पुरी में उनका अंतिम दिन है. सुबह समुद्र तट पर नहाने
का कार्यक्रम है, नन्हा इसके लिए तैयारी करके आया है.
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