Today when they got up in the morning at 5 am, it was quite cold, put sweaters
first time in this winter but now weather is sunny and warm. Nanha, was not
well so did not go to school, is doing his remaining home work. Last evening he
started writing a ‘story’. Jun asked about his health on phone and told her that
he had 99 fever he had checked it in the morning but did not
tell them to avoid unnecessary tension. Nanha is feeling normal at this moment,
she took breakfast with him, thought they should be very careful in this changing
weather. She did not write letters this week, in fact not felt close enough to
write from dil se… one day pen will automatically write, mind will be
responsive and then she will feel like saying something to someone.
पिछले तीन दिन यूँ ही बीते
गये, घर में पेंटिंग का काम चल रहा था, शनिवार को काम पूरा नहीं हुआ, वे कारीगर का
इंतजार करते रहे. शाम को एक मित्र परिवार आया. इतवार को गमलों की सफाई व रंग रोगन
करवाया. आज सुबह पड़ोसिन से मिलने गयी, उसके पैर में मोच आ गयी थी, जहाँ वे लोग गये
थे, संगमरमर की सीढ़ियों से पैर फिसल गया, अब वह काफी ठीक है. कल उसने आंवले का
मुरब्बा बनाया, जो प्रक्रिया पिछले पांच दिन पहले शुरू की थी, कल पूर्ण हुई. दो
दिन के लिए चने के पानी में रखना, फिर अच्छी तरह धो कर उन्हें कांटे से गोदकर चौबीस
घंटों के लिए फिटकरी के पानी में, फिर उसी पानी में उबालकर चाशनी में डालना. उन
पंजाबी दीदी ने एक किताब दी थी जिसमें पढ़कर उसने यह विधि सीखी थी. उनके लॉन में
लगे दो पेड़ों पर अभी सैकड़ों आंवले लगे हैं. पिछले तीन-चार दिनों से वह स्वयं में
थोड़ा बदलाव महसूस कर रही है, अपने
आप के प्रति जैसे ज्यादा सजग हो गयी है.
पिछले कुछ दिनों से वह
अपने-आप में नहीं है, हर वक्त एक उल्लास सा छाया रहता है, जैसे आँखों के सामने कोई
रेशमी पर्दा झिलमिला रहा हो. अपना अस्त्तित्व अर्थपूर्ण लगने लगा है. ध्यान में मन
नहीं लगता पर हर वक्त गुनगुनाने का सा मूड रहता है, उसने दो गीत अपने आप सीखे,
टीवी पर जब छोटे-छोटे बच्चों को इतने विश्वास से गाते हुए देखती है तो बहुत अच्छा
लगता है. संगीत किसी दूसरी ही दुनिया में ले जाता है. आज भी मौसम खिला-खिला है,
धूप अच्छी लगने लगी है, अब कमरे में ठंड लगती है, यानि सर्दियां आ गयीं. कल जून
मोरान गये थे वापसी में ऊन और कई फल लाये, पैंजी के फूलों के पौधों के लिए खर्च
करना उन्हें थोड़ा ज्यादा लगा जबकि फलों पर खर्च करना नहीं, एक उनके तन को पुष्ट
करेंगे और दूसरे मन को ख़ुशी देंगे. नन्हा कल स्कूल से पेपर रिसाईकलिंग का तरीका
सीख कर आया था, उसके पास शाम को बनाने का समय नहीं था सो सुबह वही बनाती रही, नैनी
के बेटे ने भी सहायता की, पर पेपर बहुत स्टिफ बन गया है, पापड़ जैसा, पता नहीं उसकी
टीचर क्या कहें, शायद हँसे, revive शायद कुछ ज्यादा पड़ गया, नन्हा स्कूल से आकर
प्रतिक्रिया व्यक्त करेगा. उसने स्कूल में होने वाले skit में भाग लिया है, एक कहानी
भी लिख के दी है. इस स्कूल में उसे अच्छा मंच मिला है.
आजकल जब वे उठते हैं, बाहर
अंधकार छाया रहता है, सूर्य उनके जगने के बाद ही आकाश में ऊपर चढ़ता है पर वे भीतर
अपने कामों में व्यस्त रहते हैं सो उसकी लालिमा और आकाश में उसका ऊपर उठना देख
नहीं पाते. सर्दियों में काम की गति भी कुछ कम हो जाती है. जब नन्हा स्कूल चला
जाता है तब जून और वह दस मिनट के लिए गाइडेड मैडिटेशन के लिए बैठते हैं और उगते
हुए सूर्य को कल्पना में देखते हैं. वह हिन्दी पुस्तकालय से एक किताब लायी है, ‘हिंदी
भाषा की समस्या’, हिंदी सारे देश में बोली व समझी जाती है फिर भी इसे राष्ट्र भाषा
तो दूर राज भाषा का दर्जा भी नहीं मिल पाया है, लोग इसे बोलने में अपनी हेठी समझते
हैं. उसने अभी किताब की भूमिका ही पढ़ी है.
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन बाबा का दरबार, उंगलीबाज़ भक्त और ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार !
Deleteबढ़िया है :)
ReplyDeleteस्वागत व आभार !
Deleteदो तीन दिनों से बहुत व्यस्त हूँ. मौसम और ऑफिस की ये सब बेमतलब की फॉलो-अप तंग कर देती है. ख़ैर, दो दिन मैं नहीं आया तो उसने भी घटनाओं को छोटे-छोटे टुकडों में बाँट लिया है. इतनी सारी बातें कहने को कि मैं ख़ुद सोच में हूँ कि किस बात का क्या जवाब दूँ. बस यही कहूँगा कि इतना ज़ोर नहीं डालते दिमाग़ पर, घुटनों में दर्द होने लगता है.
ReplyDeleteमज़ाक से परे, बदलते में मौसम में सबका ख़्याल रखना चाहिये, आँवला किसी भी मौसम में बुरा नहीं होता और अगली बार स्टार्च (रिवाइव) हिसाब से. ज़िन्दगी में ज़्यादा रिवाइव पड़ जाए तो भी वो रिवाइव नहीं होती! हाँ उसपर कुछ लिखना मुश्किल हो जाता है!! कीप राइटिंग!!
स्वागत व बहुत बहुत आभार !
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