Tuesday, May 6, 2014

एक रोमांचक फिल्म- एयर फ़ोर्स


Roof repairing work is going on since morning and creating loud noises. There telephone is still ie out of order. Weather is sunny and she has done most of the morning jobs. Got up early in the morning, first thing was jun‘s lovely good morning and then she saw a pitch black bird perhaps koel in their backyard, she was sitting on the cloth line, she flew after few moments, beautiful it was ! today she heard Mirza Galib CD but due to Nanha’s screen saver could not continue till end. Yesterday evening she again spoke harshly with jun and nanha but after that felt her mistake, today she will be aware every moment what, whom and why she is speaking. Now she has some time to solve the crossword in English magazine.

Today is Assam bandh for 24 hours called by All Assam Student Union, it means they have to sit at home whole time, of course they can go for a walk in the evening. Jun said, he will make sindhi curry today. Nanha is bit upset because he could not see “Disney Hour”

उनकी वापसी की टिकट भी रिजर्व हो गयी है. कल जून ने घर फोन करके पता किया. उसने सोचा, अब वहाँ सभी को उनके आने का इंतजार होगा. एक महीना दस दिन बाद उनकी उड़ीसा यात्रा का शुभारम्भ होगा. कल शाम एक मित्र परिवार डिनर के लिए आया, उन्होंने नये सोफे की तारीफ बहुत संयत तरीके से की. अगले बुधवार को उसकी एक सखी का जन्मदिन है, जिसे अब स्कूल में परेशानी नहीं होती, उसका आत्मविश्वास देखकर उसे भी काम करने का मन होता है, एक थोड़ी सी झिझक ही तो उसे रोक रही है. उसे नये साल में निर्णय ले लेना चाहिए नई जिन्दगी का. अभी भी बहुत से काम करने शेष हैं. हिंदी का कार्य अधूरा रह गया है, उसे भी पूरा करना है. नई कविताएँ लिखनी हैं और एक सतत प्रयास भी स्वयं को एक सार्थक जिन्दगी देने का !

सुबह किसी छोटी सी लडकी ने फोन पर उसे happy birth day कहा और फोन कट गया, आज न तो उसका जन्मदिन है और न ही पहले किसी नन्ही लडकी ने उसे विश ही किया है, जरूर वह फोन किसी और के लिए होगा पर उस वक्त तो उसके होठों पर मुस्कराहट दे ही गया. नन्हे को सुबह जब देर हो रही थी तो स्वयं ही कहने लगा कल से जल्दी उठेगा. कल उसको कुछ बातें जिन्दगी के बारे में समझायीं, जो उसके बचपन में किसी ने कहीं हों उसे याद नहीं पड़ता. कहकर गया है उसके स्कूल में फिजिक्स प्रोजेक्ट वर्क कराया जा सकता है शायद वह देर से आये. बरामदे में रखी रॉकिंग चेयर पर बैठकर लिखना अच्छा अनुभव है, हवा ताजी मिलती है और हरियाली आँखों को सुकूं देती है, कानों में न जाने कितने पंछियों की आवाजें सुनाई देती हैं, फूलों की सुगंध भी नासापुटों को..उसे याद आया पॉट प्लांट्स को वार्षिक खुराक देने के लिए माली से कहना है. कल वह गुलाबी स्वेटर पूरा हो गया जो वह ननद के होने वाले बच्चे के लिए बना रही थी.

पिछले दो दिन कुछ नहीं लिखा, शनिवार को जून के एक मित्र दोपहर के भोजन पर आने वाले थे, सारी सुबह उसी की तैयारी में बीती, दोपहर को टीवी पर क्रिकेट मैच और शाम को क्लब में ‘असमिया’ फिल्म Adajaya, आजकल क्लब में साल में एक बार होने वाला ‘फिल्म समारोह’ चल रहा है. इतवार की शाम भी मेहमान आये, सुबह तो साप्ताहिक सफाई में निकल जाती है. गोभी के पौधों के लिए कागज की टोपियाँ भी बनायीं.

कल शाम क्लब में AIR FORCE देखी, it was a fantastic फिल्म. आज वहाँ ‘चाची चार सौ बीस’ दिखाई जाएगी. आज सुबह भी जून के ‘शुभ प्रभात’ ने उसे उठाया, नन्हे को भी वही उठाते हैं और आजकल दोनों कमरों की नेट उतारना, रजाई रखना भी उन्होंने अपने जिम्मे ले लिया है. उसे नन्हे के लिए टिफिन और सबके लिए नाश्ता बनाने के अलावा कोई काम नहीं होता, यहाँ तक कि सुबह की चाय भी अक्सर वही बना लेते हैं.

कल गुरुनानक जयंती के उपलक्ष में अवकाश था, जून के दफ्तर में भी और नन्हे के स्कूल में भी. दोपहर को वे दोनों कम्प्यूटर की reformatting करवाने में व्यस्त थे, उसने वह टोपी व मोजा पूरा किया, आज नया set शुरू करना है, उस दिन पिता ने फोन पर बताया  कि सासुमा के लिए भी हाफ स्वेटर बनाना है, जिसके लिए ऊन उन्हें तिनसुकिया से मंगवानी होगी. शाम को एक जन्मदिन में गये, एक सखी की बातों से उसका एक नया ही पक्ष देखने को मिला, she is rather bold but..इस तरह की बातें अपने तक ही रखना ठीक है. खैर, आज नैनी के हाथ में चोट के कारण डस्टिंग व सब्जी काटने के काम भी उसके जिम्मे आ गये, काम निपटाकर उसे कुछ भूख का अहसास हुआ तो ख्याल आया, ओवन में मूंगफली भूननी है, नहीं तो जैसा यहाँ का मौसम है कुछ ही दिनों में खराब हो जाएगी. सुबह वे उठे तो काफी ठंड थी, जून ने सभी के लिए स्वेटर निकाल दिए, लगता है सर्दियों के कपड़े निकालने का वक्त आ ही गया है. पिछले हफ्ते कोई पत्र नहीं आया, उसे ख्याल आया,  उनके घर जाने की बात सुनकर किसी ने पत्र द्वारा कुछ नहीं कहा, फिर सोचा, कि दुनिया में सब, सब कुछ अपने ही लिए तो करते हैं न, याज्ञवल्क्य ने मैत्रेयी को हजारों साल पूर्व ही यह बता दिया था, वे भी तो अपनी ख़ुशी से जा रहे हैं न !




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