वे बिहार में प्रवेश कर चुके हैं, राजधानी एक्सप्रेस किसी
अज्ञात कारण से अत्यंत धीमी गति से चल रही है. कल रात पांच घंटे देर से ही देहली से चली थी और अब तो ग्यारह घंटे लेट हो चुकी है. कल शाम को वे तिनसुकिया पहुंचेंगे
और वहाँ से अपने घर. उन तीनों के जीवन में कई सुखद परिवर्तन लेकर आई, अभी तक संतोष
जनक रही इस यात्रा की स्मृतियां उनके साथ रहेंगी. कितने नये स्थान देखे, कितने
लोगों से मिले. छोटी बहन की बिटिया को पहली बार देखा वह बहुत सुंदर है. दादी के
पास थी, बहन अपनी पढ़ाई के कारण दूसरे शहर में थी. वे बड़े भाई के यहाँ भी गये, उनके
छोटे से घर की तुलना में सामान बहुत ज्यादा था, दिल्ली में प्रदूषण भी बहुत है और उसे
लगा वे लोग भोजन भी अपेक्षाकृत गरिष्ठ लेते हैं. उसे माँ-पापा की याद हो आई आज वे
अकेले बैठे होंगे. उनके सामने वाली सीट पर एक परिवार नवजात शिशु (शायद दो महीने
का) के साथ व्यस्त है. अब लंच का समय हो
गया है. कम से कम राजधानी में समय पर गर्मागर्म भोजन मिल जाता है. उन्होंने
आइसक्रीम भी खायी, इस यात्रा में पहली बार. इस समय जून खिड़की से बाहर के नजारे देख
रहे हैं और नन्हा कोई पत्रिका पढ़ रहा है शायद ‘चिप’, उसने एक कम्प्यूटर गेम भी
दिल्ली में खरीदा है. उसके मन में उड़ीसा के हरे-भरे रास्ते, नारियल के वृक्ष, पोखर
और समुद्र की छवियाँ आ आकर लौट जाती हैं.
परसों रात वे अपने घर लौट
आये, सौभाग्य से मंद गति से चलती ट्रेन उनके शहर में बिना स्टॉप के रुक गयी और वे
उतर गये, वरना एक घंटा और लग जाता. एक मित्र के यहाँ भोजन किया. कल जून दफ्तर गये,
उन्हें अगले माह होने वाले सेमिनार में जाने के लिए तैयारी करनी है. नन्हे के साथ
उसने घर व्यवस्थित किया, पूरा दिन व्यस्तता में बीता. बगीचे में फूल खिल आये हैं
किचन गार्डन भी हरा-भरा और साफ-सुथरा लगा, उनकी अनुपस्थिति में भी नैनी और माली ने
अपना काम जारी रखा.
आज वर्ष का अंतिम दिन है,
मौसम साफ है, धूप भी निकली है, ठंड ज्यादा नहीं है यानि नये साल का स्वागत करने के
लिए बिलकुल सही वातावरण ! सुबह उठी तो एक स्वप्न की याद थी जिसमें बाजार जाते समय
वह पैसे ले जाना भूल जाती है, वापसी का रास्ता बहुत कठिन है. जून उससे पहले उठ गये
थे, कल शाम भर वे अपने काम में व्यस्त थे, नन्हा अपनी छुट्टियों का बचा हुआ गृह
कार्य पूरा करने में. कल रात्रि उसने चायनीज भोजन बनाया था, उन दोनों को पसंद आया.
आज एक सखी ने नये वर्ष के स्वागत भोज के लिए बुलाया है यानि new year party, कल से
नया साल शुरू हो रहा है, यकीनन खुशियों से भरा होगा, न सिर्फ उनके लिए, असम के लिए
और पूरे देश के लिए !
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अरे ये क्या! आज तो बस ट्रेन की रफ़्तार से चलता दिख रहा है सबकुछ. या फिर एक सपने की तरह इनकॉनसिस्टेण्ट... बिहार से सीधा दिली और फिर बीच में ओडिशा की यादें (कितना मुश्किल कर दिया है राजनीति ने - कलकत्ता और उड़ीसा ज़ुबान पर चढा हुआ था. कोलकाता और ओडिशा सुनकर लगता है किसी दूसरे प्रांत की बातें हो रही हैं)... घर लौटकर आना हमेशा सुखद होता है.
ReplyDeleteनये साल की तैयारी और जलसा!! बधाई उसे मेरी ओर से उस समय के लिये!!
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन यक लोकतंत्र है, वोट हमारा मंत्र है... मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteकल से नया साल शुरू हो रहा है, यकीनन खुशियों से भरा होगा, न सिर्फ उनके लिए, असम के लिए और पूरे देश के लिए !
ReplyDeleteआमीन।
सलिल जी, शिवम जी तथा आशा जी आप सभी का स्वागत व आभार !
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