Wednesday, August 20, 2014

खिली धूप में सफाई


आज सुबह उसने चित्त की विभिन्न अवस्थाओं के बारे में सुना, पहली है उदार अवस्था, इसमें चित्त जो भी देखता है, सुनता है, ग्रहण करता जाता है, चाहे वह लाभप्रद हो अथवा हानिप्रद. दूसरी विछिन्न अवस्था जिसमें मन राग-द्वेष से युक्त रहता है, कभी हताश तो कभी प्रसन्न. ज्यादातर चित्त की यही अवस्था होती है.  इस वक्त उसका चित्त थोड़ा ‘पशेमन’ है, (उर्दू के इस शब्द का सही अर्थ कुछ और भी हो सकता है) नैनी को कुछ ज्यादा ही कपड़े धोने को दे दिए हैं, जबकि मशीन घर में है, धोबी भी आता है, इसे आलस्य ही कहा जायेगा न, वह चुपचाप धो रही है, कर भी क्या सकती है. कल शाम जून ने भाईदूज के कार्ड बनाकर दिए, आज उसे खत लिखने हैं. दोपहर को संगीत अध्यापिका व उनके गोद लिए शिशु से मिलने भी जाना है, उसके मन में उस बच्चे के प्रति जो स्नेह उमड़ रहा है वह इसलिए है कि वह पहले अनाथ था या इसलिए कि वह बहुत प्यारा है. उसे देखे बिना ही तो उसके मन ने उसे अपना मान लिया था. उसकी टीचर भी तो बहुत अच्छी हैं, शांत व धैर्यवती, उसे संगीत के सुरों का ज्ञान उन्होंने ही तो कराया है, उसका मन सदा उनका ऋणी रहेगा. फूलों के जो बीज उस दिन माली ने बोये थे, सभी में अंकुर निकल आए हैं, टमाटर व गोभी की पौध नहीं बन पायी है, इन सर्दियों में उनका बगीचा फूलों से भर उठेगा. गुलदाउदी में लेकिन अभी तक कलियाँ नहीं आई हैं. कल शाम को ही उन्होंने उन्हें याद किया और बड़े भाई का फोन भी आ गया. चचेरे भाई की शादी किसी वजह से रुक गयी है, वह उदास होगा लेकिन समझदार तो है ही, संभल जायेगा.

मन रूपी मार्ग पर दिन भर विचारों के यात्री आते-जाते रहते हैं, उन्हें उन पर प्रतिबन्ध लगाना है, यात्री कम होंगे तो मार्ग स्वच्छ रहेगा और धीरे-धीरे उन यात्रियों का आना-जाना इतना कम हो जाये कि मन दर्पण की भांति चमकने लगे. इसमें सन्त उनके मार्गदर्शक हैं, उनके सद्वचनों के द्वारा ही उनमें ईश्वर के प्रति श्रद्धा भाव उत्पन्न होता है. जिससे माधुर्य, सहजता, कोमलता. सहानुभूति और करुणा अपने आप प्रगट होते हैं. वह कहते हैं, श्रद्धाहीन व्यक्ति रसहीन होता है, वह चतुर या ज्ञानी तो हो सकता है पर उसे सहज सुख नहीं मिलता ऐसा आनंद जो मात्र ईश्वर के नाम स्मरण से ही सम्भव है. आज सुबह दीदी को उनके विवाह की रजत जयंती पर बधाई दी. कल शाम को एक पत्र भी लिखा था पर बाद में वह भावुकतापूर्ण व बचकाना लगा, सो नहीं भेजा. आज नन्हे का स्कूल “लक्ष्मी पूजा” के लिए बंद है, वह पढ़ाई कर रहा है. जून का दफ्तर कल बंद है. कल शाम उसने व जून ने पर्दों के पीछे अस्तर लगाने का काम कर दिया.  

Jun is at home today. They ate Alu Paratha in breakfast with tea and now he is reading some magazine. It is raining since morning, Nanha has his last maths test today. Today ‘kartik’ has begun the month of diwali. Last evening they saw many Deepaks and candles lit in front of some houses due to Laxmi Puja. Here in Assam, Bengal and Orrisa also deepavali is the day for Kali puja and they worship Ma Laxmi on purnima. She could not listen ‘jagaran’ today, bur read ‘bhagvad gita’. They should do work for the sake of work, as their duty without any attachment to its result. Last evening she read some more experiments which bapu performed in his Ashram. He seems to be a simple as well as a very complex personality.

At this moment her mind is full of things about Deepawali celebration, whole house has to be properly cleaned and arranged. Somethings are to be purchased. She has to sew cushion covers. Diwali is festival of joy and prosperity and they are eagerly waiting for it. इस इतवार को यानि कल भी यदि मौसम आज सा रहा, जब धूप खिली हो और आकाश नीला हो तो वे सारे गद्दे, तकिये आदि धूप में रख सकते हैं, पुराना सामान घर से निकल कर उसे spacious बना सकते हैं. घर के दरवाजे खिड़कियाँ, रोशनदार सभी कुछ सलीके से पूरी तरह साफ करने हैं, शीशे चमकाने हैं. पीतल के सामान पर पॉलिश करनी है. कम से कम तीन दिन लगेंगे उन्हें, और उन्हें दीवाली आने में अभी दस-बारह दिन शेष हैं पर बगीचे में भी काफी काम शेष है.




2 comments:

  1. जून ने कार्ड बनाए??? बहुत ही अच्छा लगा जानकर. उस गोद लिये शिशु को मात्र इसलिये प्यार करना कि वह गोद लिया गया एक अनाथ बालक है, सही नहीं है. (फ़िल्म स्पर्श में नसीर ने एक अन्धे व्यक्ति की भूमिका की थी जिसमें उन्हें एक व्यक्ति रास्ता 'दिखाने' के बजाय सहानुभूति दिखाता है तो वो खीझकर कहते हैं कि आपने मुझे अन्धा समझ रखा है क्या - एक बहुत ही सशक्त सम्वाद है). नैनी को इतना काम करता देख मुझे भी सहानुभूति हो रही है उससे!
    बगिया भरी-पूरी होने की बधाई!!

    "मन रूपी मार्ग पर दिन भर विचारों के यात्री आते-जाते रहते हैं, उन्हें उन पर प्रतिबन्ध लगाना है, यात्री कम होंगे तो मार्ग स्वच्छ रहेगा और धीरे-धीरे उन यात्रियों का आना-जाना इतना कम हो जाये कि मन दर्पण की भांति चमकने लगे." ये पंक्तियाँ घर कर गईं दिल में!!

    लक्ष्मी के आगमन की तैयारी का अच्छा कार्यक्रम बना डाला (दिमाग़ में)!!

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  2. स्वागत व आभार !

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