आज सुबह जून ने कहा, “हैप्पी
सेवेंथ” और तब उसे लगा कि आजकल वह उनका ज्यादा ख्याल नहीं रख रही है, ज्यादातर
वक्त उसके मस्तिष्क में नन्हे की अस्वस्थता का ख्याल रहता है या फिर किताबें. कल
रात से वर्षा लगातार हो रही है. इस साल पूरे देश में ही वर्षा काफी हुई है, फिर भी
इतने बड़े देश का कोई न कोई भाग सूखे की चपेट में आया होगा. बंगाली सखी ने फोन पर
नन्हे का हाल पूछा, बाकी सभी से कई दिनों से कोई बात नहीं हुई है. नन्हे के ठीक
होने पर ही वे कहीं जायेंगे. घर से पत्र भी नहीं आया है, कल स्वप्न में मंझले भाई
को देखा, वे इस बार उनका दिया उपहार नहीं लाये शायद वह.... वरना कभी-कभी उसका
पत्र तो आ जाया करता था. सुबह ‘जागरण’ में सुना इस संसार में सभी रिश्ते स्वार्थ
पर आधारित हैं, स्नेह की धारा लोगों के दिलों में सूख जाती है वक्त के साथ-साथ... एक
उसका मन ही है जो सभी को याद किया करता है, शायद वे लोग भी ऐसा ही सोचते हों. खैर, उसकी आध्यात्मिक यात्रा में कुछ शिथिलता आ
गयी है. इच्छा मुक्त मन की कल्पना कर आज ध्यान में बैठी तो अच्छा लगा था, कोई
प्रार्थना नहीं, कोई आशा, अपेक्षा नहीं निर्विकार, शांत मन !
प्रधानमन्त्री विदेश यात्रा पर गये हैं, देश का हित होगा उनके प्रयासों से.
अस्वस्थता के बावजूद वे अपना कर्त्तव्य निभा रहे हैं. पिछले दिनों UNO में विश्व
शांति सम्मेलन हुआ और आजकल सभी देशों के राष्ट्राध्यक्ष मिलकर चर्चा कर रहे हैं, शांति
की स्थापना ही उसका उद्देश्य है. उनके काश्मीर में भी शांति की स्थापना हो !
आज अभी सुबह के आठ बजे हैं, मौसम सुहाना है, वर्षा होकर थमी है, अभी भी बदली
है, हवा में शीतलता है. नन्हे को अब हाथ में दर्द नहीं है, कल उसने Gladiator देखी,
नई फिल्म है, आज वह भी देखने का विचार रखती है. कल शाम जून उन्हें अपने दफ्तर ले
गये, internet surfing करने पर लाइन नहीं मिली. वे वापसी में इस फिल्म का CD लाये.
रात को स्वप्न में उसने net surfing की तथा पिता को जून से बात करते हुए भी सुना,
स्वप्न में इन्सान की सारी इच्छाएं अपने आप पूर्ण हो जाती हैं.
जैसे-जैसे बुद्धि विवेकशील होती जाएगी, मन कामना से मुक्त होता जायेगा. कर्म
के फल की आसक्ति नहीं रहेगी, कोई अपेक्षा नहीं रहेगी. ध्यानस्थ होना सरल होता
जायेगा. आज उपरोक्त वचन सुने, मन कैसा आश्वस्त हो गया. जो सत्य बाहर दीखता है वही
सत्य भीतर भी घट रहा है, प्रतिपल, प्रतिक्षण ! जो भीतर के सत्य को देखना सीख जाये
वही मुक्त है. धर्म परम मुक्त होना सिखाता है. बात बहुत सीधी है और सरल है पर वे
जानकर भी अनजान बने रहते हैं.
Nanha their
son is eating his lunch. Today he went to hospital, doctor said that plaster would be opened after two
more weeks so they have to wait and watch. Yesterday didi rang her, she could
not tell her about Nanha’s health, neither they have told her parents. That day
she came to know, her cousin sister’s marriage has been fixed on
26 Nov, she has to write at least one congratulation letter.
जून ने आज सुबह तिनसुकिया जाने की बात कही, उनके अनुसार नन्हे को यदि कल से
स्कूल जाना है तो आज का अभ्यास ठीक रहेगा, इससे पता भी चल जायेगा कि सफर में उसे
दर्द या असुविधा तो नहीं होगी. उसे स्कूल गये पन्द्रह दिन हो गये हैं, आज अंतिम
परीक्षा है. सुबह घर से father-in-law का फोन आया वे चिंतित थे, जो स्वभाविक है. इस
समय साढ़े आठ ही हुए हैं पर धूप कल की तरह इतनी तीव्र है कि लगता है दोपहर हो गयी
है. उसके सुबह के कार्य हो चुके हैं. नन्हा अभी तैयार नहीं हुआ है, उसकी बातें
सुनना, उससे फिजिक्स के प्रश्न पूछना और साथ-साथ टीवी पर कोई कार्यक्रम देखना बहुत
अच्छा लगता है. बच्चों का दृष्टिकोण अलग होता है, वे पूर्वाग्रहों से ग्रसित नहीं
होते.
नन्हा के कारण जून का ख़्याल नहीं रखना एक माँ का पत्नी के रूप में संतुलन बिगड़ना जैसा लगता है.. सम्बन्धों के तराज़ू पर तमाम रिश्तों में संतुलन बनाते हुये चलना परमात्मा ने एक स्त्री को ही सिखाया है... हमारे परिवार में एक रिश्तेदार हैं जिनके यहाँ मैं किसी भी समारोह में नहीं जाता हूँ. लेकिन मेरी पत्नी भाग लेती हैं... उनका कहना है कि आपकी पत्नी के रूप में भले न जाऊँ, घर की बड़ी बहु के रूप में तो जाना ही पड़ता है.
ReplyDeleteमाँ, बहन, पत्नी, बेटी और न जाने कितने रिश्तों का निर्वाह करती है एक स्त्री!!
रिश्तों में स्वार्थ भले न हो, अपेक्षाएँ अवश्य होती हैं... अपेक्षाएँ मोह पैदा करती हैं और फिर मोहभंग होने पर क्रोध पैदा होता है. मेरे बचपन के एक अभिन्न मित्र के साथ युवावस्था में जाकर सम्बन्ध केवल इसलिये विच्छेद हो गये कि उसने हिसाब रखना आरम्भ कर दिया था कि वो कितनी दफ़ा मेरे घर आया और मैं कितनी बार उसके घर गया!
नन्हे का प्लास्टर काफ़ी लम्बा हो गया है... बेचारा, न जाने कैसा लगता होगा उसे!!
रिश्तों के संबंध में आपका आकलन सही है..हिसाब किताब शुरू हो जाये तो मित्रता नहीं टिकती..
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