जून ने एक अधिकारी के साथ घटी
दुर्घटना के बारे में बताया. डिब्रूगढ़ से ही एक चोर उनके साथ लग गया. नशीली फ्रूटी
पिला कर बेहोश किया, सब कुछ ले लिया और रास्ते में खुद उतर गया. शिवसागर में बस का
कन्डक्टर उन्हें पुलिस स्टेशन ले गया, जहाँ दो दिन बाद उन्हें होश आया पर उस समय वह
भूल चुके थे कि उनके साथ क्या हुआ था. यह दुनिया चोरों को भी जन्म देती है और लुटेरों
को भी पर साथ ही पुलिस व रक्षकों को भी.
कल रात उसने अपनी मृत्यु की भविष्यवाणी दो पंडितों द्वारा पढ़ी गयी देखी,
स्वप्न में ही मृत्यु पूर्व की अवस्था का अनुभव किया, पहले पहल तो घुटन थी पर बाद
में विवेक जाग्रत हुआ और मृत्यु पूर्व जितना समय मिला था सदुपयोग करने की प्रेरणा
हुई, अन्य किसी पर कोई असर नहीं पड़ रहा था. कई बार यह स्वप्न भी देखा कि सुबह हो
गयी है अब जगना चाहिए. प्रतीक रूप से ये स्वप्न उसे अज्ञान की नींद से जगाने के
लिए थे. एक महिला पत्रकार को भी देखा जिसने नूना के बारे में सुना था, उसे उसने
सुबह के नाश्ते के लिए बुलाया है कि पता चलता है मात्र अट्ठाईस वर्ष की उम्र में
उसकी मृत्यु तय है.
कल रात फिर उसने अजीब स्वप्न देखा, सुबह उठी तो याद था पर लिखने का समय नहीं
मिला अब शाम के पांच बजे जरा भी याद नहीं आ रहा है. आज गर्मी काफी है, पिछले कई
दिनों के बाद मौसम में बदलाव आया है. कल शाम भाई का फोन आया, वे सांध्य भ्रमण के
लिए गये थे, नन्हे ने बात की. राखियाँ उन्हें मिल गयी हैं. बाद में वे एक मित्र के
यहाँ गये पर वहाँ की बातचीत में किसी अन्य की चर्चा हुई जो वहाँ उपस्थित नहीं थे,
उसे अच्छा नहीं लगा. साधना का प्रथम सोपान है आत्म निरीक्षण.
तीसरी रात फिर एक स्वप्न जिसमें उनके सामने एक ट्रक का एक्सीडेंट होता है, वह उनके
ऊपर से गुजर गया वे बच गये पर सामने की दीवार से टकरा गया. ड्राइवर व कन्डक्टर घायल
हो गये, खून व चीखें...यह शायद कल शाम क्लब में देखी फिल्म का नतीजा था. फिल्म
शार्क मछलियों के मस्तिष्क से निकाले गये द्रव से बनने वाली एक दवाई की रिसर्च पर
आधारित थी, जिसमें शार्क प्रयोग के दौरान खुद पर हुए अत्याचार का बदला लेती है और
एक-एक करके कई व्यक्तियों की जान लेती है. आज सुबह उठे तो उमस बहुत थी, इस वक्त भी
गर्मी से ज्यादा घुटन है, बादल बने हैं पर हवा स्थिर है. जैसे स्थिर पानी गन्दला
हो जाता है गतिशील पानी स्वयं को साफ बनाये रहता है वैसे ही हवा के साथ भी है,
चलती हुई हवा शीतलता प्रदान करती है. आज उसके पास सिलाई का कुछ काम है सो बाकी
कार्यों में से थोड़ा-थोड़ा वक्त बचाया है. सुबह टीवी पर सुना मन में आसक्ति की जड़ें
जितनी गहरी होती हैं, ‘मैं’, ‘मेरा’ का भाव उतना प्रबल और यही बांधता है, बुद्धि
के स्तर पर तो ये बातें बहुत समझ में आती हैं. कल दोपहर प्रमाद वश देर तक सोयी सो
कल की कविता का खाली पन्ना चिढ़ा रहा है. आज नन्हे का science टेस्ट है, कल दिन भर
वह तैयारी करता रहा है. कल ‘रिश्ते’ में मरते हुए प्राणी का अजीब चित्रण देखा, मृत्यु
के समय कैसी अद्भुत शांति....!
पुलिसवालों का भी मानना है कि चोरों के दिमाग़ का पार कोई नहीं पा सकता.. जब तक हम ताला बनाते हैं, वे चाभी बना चुके होते हैं.
ReplyDeleteजान बची लाखों पाए...!!
मृत्यु... मृत्यु का आभास और मृत्यु की भविष्यवाणी... कहते हैं हमारे दीर्घायु होने का पूर्वाभास हैं.. एक बात पर हमेशा भरोसा किया है मैंने..
फलानि ग्रहचारेण, सूचयंति मनीषिण:।
को वक्ता तारतम्यस्य, तमेकम वेधसम विना॥
जिन्हें ज्योतिष का ज्ञान है वे सिर्फ इतनी सूचना दे सकते हैं कि घटनाओं का स्वरूप किस प्रकार होगा... रचयिता अर्थात ब्रह्मा के अतिरिक्त कौन है जो पूर्णत: घटनाओं की जानकारी आपको दे!!
सपनों के बारे में जितना लिखा/पढा/कहा/सुना गया, उससे कहीं अधिक रहस्यमय ही है!
सही कहा है आपने..ब्रह्मा के अलावा कोई नहीं जानता अगले पल क्या होने वाला है..सचमुच सपनों की दुनिया रहस्यों से भरी है..
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