आज चाचा नेहरू का जन्मदिवस है “बाल
दिवस ! बाबाजी कह रहे हैं, “शरीर स्वस्थ रहे, मन में शांति रहे, हृदय में आनंद
रहे, क्योंकि स्वास्थ्य, शांति और आनंद स्वाभाविक हैं, इनके विपरीत अस्वाभाविक
हैं. इनको पाने की इच्छा शेष सभी तुच्छ इच्छाओं को निगल जाती है और अंततः वह इच्छा
भी स्वयं ही शांत हो जाती है, हृदय शुद्ध हो जाता है और अपने सहज रूप को पा लेता
है. आदि भौतिक कर्म से आदि दैविक फल मिले ऐसा प्रयास करना चाहिए क्योंकि वह कर्म
स्वार्थ पर नहीं टिका होगा”. आज उसने क्लब की पत्रिका के लिए हिदी की रचनाओं हेतु
दो-तीन महिलाओं को फोन किये, उसे भी दो रचनाएँ तैयार रखनी हैं.
आज दोपहर वह असमिया सखी के
यहाँ जा रही है, उसे बुनाई में उसकी आवश्यकता है. कल शाम को क्लब की मीटिंग में
होने वाले कार्यक्रम के लिए गीत का चुनाव हुआ, ‘तीसरी कसम’ के एक गीत को चुना है,
सिखाने वाली हैं एक बंगाली महिला, कल वह पहली बार उनसे मिली, अच्छा स्वभाव है
उनका. कल जून ने seven spiritual laws for success भी प्रिंट कर दिए. परसों शाम
उन्होंने ही टाइप किये थे. आज सुबह उसने दो बातों के लिए उन्हें टोका, पर गलत बात
के लिए टोका न जाये तो.... क्या किया जाये ? परसों नन्हे के स्कूल में वार्षिक
उत्सव मनाया जा रहा है.
“अंतः करण की यमुना में
सहस्र फन वाला कालिया नाग रहता है, आत्मा रूपी कृष्ण यदि जप और पूजन का नृत्य उसके
फनों पर करता रहे तो सदियों की पुरानी आदत शीघ्र नहीं जाएगी, फन टूटेंगे फिर
बनेंगे पर अंततः विजय आत्मा की ही होगी”. हमारे मानस में इच्छाओं, कामनाओं, और
वासनाओं के अनगिनत सर्प फन उठाये बैठे हैं जिन्हें अपने वश में करना है. आज बाबाजी
ने कृष्ण की कथा का सुंदर अर्थ बताया. चित्त जैसा देखता है वैसा होता है, सन्त को
देखते ही ईश्वर का स्मरण होना स्वाभाविक है. आज नन्हे को नहाने के लिए जबरदस्ती
बाथरूम में भेजा तो वह पूरे चालीस मिनट बाद निकला. इस सारे वक्त वह नहा तो नहीं
रहा होगा बल्कि मुँह फुलाकर बैठा रहा होगा.
“रक्तबीज की तरह मन में
विकारों के बीज गिरते हैं तो नये विकार उत्पन्न होते हैं, चंडी माँ की तरह रक्तबीज
को खप्पर में एकत्र करते हैं तो विकार बढ़ते नहीं. मानस की उपजाऊ धरती न मिले तो
बीज नष्ट हो जाते हैं”. बुद्धि के स्तर पर गोयनका जी की कही यह बात उसे समझ में
आने लगी है पर व्यवहार के समय इसे अपना नहीं पाती. होशा जगा रहे तो ही यह सम्भव
है. अनुभूति वाला ज्ञान जगने लगे तभी यह सम्भव है. आज सुबह दीदी का फोन आया,
उन्हें भी गोयनका जी के प्रवचन के बारे में बताया.
दोपहर के एक बजे हैं, आज
मसूर की छिलके वाली दाल बनाई थी जो बहुत गरिष्ठ होती है सो आज एक अलसता सी मन पर
छाई है. धूप निकल आई है, पिछले दिनों वर्षा के कारण मौसम बेहद ठंडा रहा. कल फोन से
सभी के समाचार मिले, वे एक-एक कर सभी को कार्ड भेज रहे हैं जो नन्हे ने बनाये हैं.
कल उसे स्कूल से पुरस्कार में पांच किताबें
मिलीं, सभी उपयोगी हैं. आज शाम को उसे एक सखी के जन्मदिन की पार्टी में
जाना है. उससे पूर्व जून को क्लब में होने वाली मीटिंग में जाना है जो ग्रेटर
नोएडा में बनने वाले फ्लैट्स के सिलसिले
में है. उन्होंने भी एक फ़्लैट बुक किया है. वर्षों बाद जब वे रिटायर होकर यहाँ से
जायेंगे तो उनके रहने के लिए एक घर सुरक्षित स्थान पर होगा जहाँ अपने जीवन के शेष
दिन शांति से गुजार सकेंगे. नन्हा तब पढ़ाई पूर्ण कर नौकरी कर रहा होगा, उसका
परिवार भी होगा. अगले दो दशकों में उनका जीवन कुछ और ही होगा. समय की धारा यूँ ही
बहती चली जाएगी. पूसी के दो छोटे-छोटे बच्चों को आज देखा, बाहर भीगी जमीन पर गर्म
पानी के बर्नर के पास एक के ऊपर एक सिमटे पड़े थे.
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