Monday, August 11, 2014

हाथ में प्लास्टर



हर रात नींद में जाते वक्त सभी संसार का त्याग करते हैं, सोये हुए व्यक्ति और मृत व्यक्ति में क्या अंतर है ? आज बाबा जी ने पूछा. रोज वह सुनती है कि संसार में सब कुछ अनिशचित है, परिवर्तनशील है, एक पल का भी भरोसा नहीं, कल इस बात का प्रत्यक्ष अनुभव हो गया. नन्हा स्कूल से आया तो उसके दाहिने हाथ में दर्द था, बस स्टॉप पर एक लड़का उसके हाथ पर बैठ गया था, उन्हें उसके स्कूल जाना था सो दवा लगाकर वे चले गये. वापस लौटे तो उसके हाथ में सूजन थी और दर्द भी बहुत था. डाक्टर को फोन किया तो उसने आज सुबह एक्सरे करने की बात कही, एक्सरे में हल्का सा फ्रैक्चर है. सोमवार से उसकी छमाही परीक्षाएं हैं, दर्द में है फिर भी पढ़ रहा है. उसकी सहने की शक्ति नूना से कहीं अधिक है. कल सुबह वह परेशान थी तो सारा रूटीन गड़बड़ा गया था, आज सुबह नन्हे के साथ ही बीती. पिछले दो दिन दोपहर की पढ़ाई सिलाई के कारण नहीं कर पायी थी, पिछले दो दिनों की कविताएँ भी शेष हैं.

नन्हा हाथ के दर्द के बावजूद शांत भाव से पढ़ाई में व्यस्त है. पता नहीं सोमवार तक उसका हाथ ठीक हो भी जायेगा या नहीं, ईश्वर को जो मंजूर होगा वही होगा. वे अपनी अल्प बुद्धि का प्रयोग कहाँ तक करें. आज धूप बहुत तेज है, सुबह ही उनकी नैनी ने किचन खाली कर दिया था कि पुताई करने वाले मजदूर आएंगे. कल शाम को एक मित्र परिवार आया, नन्हे को शुभकामना कार्ड और चाकलेट दी उसे भी अच्छा लगा. उसका संगीत अभ्यास में पूरा मन नहीं लग पा रहा था, शायद गर्मी व उमस की वजह से अथवा ‘राग सोहनी’ के छोटा ख्याल की तानें बहुत कठिन हैं.

जो कुछ वह पढ़ती है, सुनती है उसका लाभ मन को सही-सही देखने के रूप में दीख रहा है. जब मन के विपरीत कोई कुछ कहता है तब कैसा विचलित हो जाता है, नसें तन जाती हैं और दुखद संवेगों का chain reaction शुरू हो जाता है. जैसे ही मन ने द्वेष जताया कि उसके विपरीत एक प्रतिक्रिया हुई और फिर उस के विरुद्ध एक और...अगर सजग नहीं रही तो कुछ ही देर में एक नया संस्कार जड़ पकड़ लेगा यदि सजग होकर देखा तो सब कुछ अपने आप विलीन होता जाता है. मन यदि गतिशील हो तो पानी की तरह है ठोस मन पर लकीर गहरी होगी ही. सभी को अपनी बात कहने का हक है, किसी को पसंद हो या न हो, उदार मन से सभी को स्वीकार करना और सुनना सीखना होगा. जून और नन्हा अस्पताल गये हैं, आज नन्हे को परमानेंट प्लास्टर लगाना पद सकता है, उसका दर्द अभी तक कम नहीं हुआ है. उसने बहादुरी से इस चोट का सामना किया है, किसी भी समय उन्होंने उसे उदास नहीं देखा.


पिछले तीन दिन कुछ नहीं लिखा. आजकल नन्हे के घर रहने के कारण समय कैसे बीत जाता है पता नहीं चलता. कल उसे चोट लगे पूरे आठ दिन हो गये. वे पहले की तरह सुबह जल्दी उठते हैं. जून आज ongc से आए अपने मेहमानों के साथ व्यस्त होंगे. कल शाम नन्हे ने पहली बार कहा कि वह अपने हाथ में लगे प्लास्टर के कारण परेशान हो गया है, सो उसने उसे व्यस्त रखने के लिए कुकिंग में साथ देने के लिए कहा. आज उन्होंने ‘अरबी दम’ बनायी. नन्हे को सारा सामान इक्कठा करने को कहा जो वह पहले भी किया करता था. अभी २-३ हफ्ते उसे और प्लास्टर के साथ रहना होगा. धीरे-धीरे आदत पड़ जाएगी ऐसा नहीं कह सकते, क्योंकि एक हाथ से (वह भी बांया) काम करने पर असुविधा का सामना हर क्षण करना पड़ता है. नन्हा लेकिन अपने सारे काम कर लेता है सिवाय ब्रश पर पेस्ट लगाने के. उन्होंने घर पर किसी को कुछ नहीं बताया है, वे सभी लोग घबरा जायेंगे. एक बार तो फ्रैक्चर हुआ है, सुनकर ही कैसा भय लगता है, पर उन तीनो में से कोई भी भयभीत नहीं है. वे अपनी सामान्य जिन्दगी जी रहे हैं. नन्हा पढ़ाई, टीवी, व कम्प्यूटर में व्यस्त रहता है, शर्लक होम्स के किस्से उसे बहुत अच्छे लग रहे हैं. आज सुबह बड़ी ननद का फोन आया, बाकी कहीं से कोई पत्र या फोन नहीं आया है कई दिनों से. उसका भी अभी कहीं कोई पत्र भेजने का इरादा नहीं है. नन्हे का प्लास्टर खुलने के बाद ही लिखेगी. बाबाजी से रोज सुबह मिलना होता है. उस दिन रात को उसने उन्हें पुकारा था और स्वप्न में आकर उन्होंने जवाब भी दिया था. ध्यान करने का समय सुबह नहीं मिल पाता. नन्हे के स्कूल जाने के बाद ही सम्भवतः सम्भव होगा. शाम को अलबत्ता समय मिल सकता है या निकाला जा सकता है.  

2 comments:

  1. सोये और मृत व्यक्ति में वैसे तो कोई अंतर नहीं है... लेकिन एक अंतर है, बड़ा बारीक सा... एक कमरे में अगर तीन महिलाएँ अपने शिशु के साथ सोई हों और गहरी नींद में सोई उन महिलाओं में से किसी एक का शिशु यदि रोये तो उसकी माँ तुरत नींद से जाग जाती है, जबकि अन्य महिलाएँ "मृत" पड़ी रहती है!!
    अब देखिये ना, नन्हा के साथ जो दुर्घटना हुई, उसके बाद तो वह बाबा जी, संगीत, अपना लेखन, पत्र लिखना सब की ओर से "मृत" हो गई... माँ तो बस माँ होती हैं! और आज उसका सम्पूर्ण मातृत्व दिखाई दिया!
    आज मेरी ओर से भी - माँ तुझे सलाम!! स्पीडी रिकवरी फॉर नन्हा!!

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  2. बहुत सटीक अंतर बताया है आपने..माँ तो बस माँ होती है...वह नींद में हो या जागृत उसके मन का एक अंश सदा सन्तान से जुड़ा ही रहता है...आभार !

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