Wednesday, June 11, 2014

कम्बन रामायण


आज उसने हेयर ड्रेसर से समय लिया है, अब उसके केश सम्भाले नहीं जाते, पिछले साल अक्तूबर में कटवाए थे सो आठ महीने को हैं. आज पड़ोसिन से भी बात हुई, मन हल्का हो गया, कभी-कभी सुबह-सुबह थोड़ी सी इधर-उधर की बातें भी मन को निर्दोष ख़ुशी से भर जाती हैं. ऐसी ख़ुशी जिसका कोई स्पष्ट रूप तो नहीं होता पर होती बहुत हल्की है पंछी के परों सी हल्की. आज भी बदली बनी हुई है. सुबह पिताजी का फोन आया था, उनसे मौसम व सबकी सेहत के बारे में पूछा, उनकी आवाज हमेशा की तरह उत्साह से भरी हुई थी, जून की आवाज भी जब वह उनसे फोन पर बात करते हैं उत्साह से भर जाती है बल्कि ऊर्जा से भर जाती है. छोटी ननद के छोटे बेटे का अन्नप्राशन था, कल वह आठ महीने का हो गया है. नूना ने अभी उसे दखा ही नहीं है, न ही उनमें से किसी और ने. रक्षाबन्धन में अभी काफी दिन हैं पर उससे पूर्व ही एक पत्र तो उसे लिख ही देना चाहिए. कल वह संगीत अध्यापिका के पास यह सोचकर गयी थी कि वर्षा के गीत सुनेगी और जैसे उन्हें उसके मन की इस बात का पहले से ही आभास हो गया, उन्होंने रवीन्द्र संगीत पर आधारित कुछ गीत सुनाये, वर्षा आखिर कल दिन भर नहीं थमी. आज सुबह जब वह उठी तो कोई स्वप्न देख रही थी, जगने के बाद भी कुछ देर मन में वही विचार आते रहे बिना किसी रोक-थाम के, किसी टोक, लगाम के, जीव का मन उसके वश में नहीं रहता जब वह सचेत नहीं रहता, अतः हर पल सचेत रहना ही चाहिए तभी कोई अपने विचारों पर नियन्त्रण रख सकता है.

आज से उसने बाल्मीकि रामायण का पारायण प्राम्भ किया है, सुबह ‘जागरण’ में राम कथा सुनकर भगवान राम के प्रति असीम श्रद्धा का अनुभव होता है. उनका महान, उद्दात चरित्र अनुकरणीय तो है ही, मन-प्राण को विस्मित करने वाला भी है. कल छोटी बहन का फोन आया, वह अपने घर में बच्चों के पास है, खुश थी पर १५ अगस्त के बाद उसे फिर पंजाब के बार्डर पर जाना है, कुछ दिन घर पर रहकर फिर से नई शक्ति और ऊर्जा भरकर वापस जाएगी. कल दोपहर एक सखी आई थी, वह थोड़ी परेशान थी, दवाओं के असर के कारण उसे कई अन्य परेशानियाँ हो रही हैं, पति भी बाहर गये हैं, सो अकेलापन.. और भावुक तो वह है ही. पहले नूना भी ऐसी थी पर अब सद्गुरु की कृपा से मन में ठहराव आ रहा है, इसका अनुभव उसे स्वयं के साथ सहज भाव से रहते देखकर होता है, कहीं कोई उहापोह नहीं, कोई संशय नहीं. ईश्वर जो सबके अंदर है जैसे स्वयं रास्ता दिखाता चलता है. कामनाएं बिना कहे ही पूर्ण कर देता है. कितना सहज मार्ग है पर जब तक ज्ञान नहीं था कितना भटकी थी वह, ईर्ष्या, अहंकार, क्रोध, लोभ, अज्ञान इन कुमार्गों पर खूब चली, पर कहीं ठौर नहीं पाया, प्राणी मात्र को अपने जैसा माना और जाना तो कहीं कोई अंतर ही न रहा, जीवन सरल हो गया, मन मस्तिष्क से सारा बोझा ही उतर गया. हे राम ! तेरी महिमा तू ही जाने.

बाल्मीकि रामायण पढ़ना आरम्भ किया तो क्लब की लाइब्रेरी में कम्बन रामायण मिल गयी और आजकल उसे ही पढ़ रही है. कम्बन रामायण में रावण का, सूर्पनखा के द्वारा सीता के सौन्दर्य का वर्णन सुनकर, जो हाल होता है उसका विवरण बहुत ही रोचक है. रावण ने सभी देवताओं को बंदी बना रखा था और उनसे चाकरी करवाता था, यम उसके द्वारपाल थे, उसका काम हर घंटे पर घंटनाद करना भी था. हवा उसके यहाँ सफाई करती थी, अग्नि देवता प्रकाश का प्रबंध करते थे. मौसम भी उसके इशारों पर आते-जाते थे. जब वह सो जाता था तो उसके राज्य की रक्षा होती रहती थी.  

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