जून आज बहुत दिनों बाद फील्ड ड्यूटी
पर गये हैं, ‘कतलानी’ नामक एक जगह पर. आज मौसम खुला है, चारों ओर उजले सोने सी
बिखरी धूप अच्छी लग रही है. पूसी आजकल आलसी हो गयी है या कमजोर, मुँह से धीरे से
आवाज निकलती है जो सुनाई नहीं बस दिखाई देती है. आज नन्हे के स्कूल और जून के
दफ्तर जाने के बाद ‘जागरण’ सुना. कल शाम नन्हे को क्विज में प्यारा सा बन्दर वाला
बैग पुरस्कार में मिला है, पर उसे पसंद नहीं आया, जबकि नूना को बहुत सुंदर लग रहा
है, पर पुरस्कार की बात उन्हें आनंद देती है, क्यों कि इसके पीछे उनका प्रयास छिपा
है. इस समय उसका संगीत अभ्यास का वक्त हो चला है.
आज फिर उसका मन चिन्तन में
लगा है. अक्सर न जाने कहाँ से (ऐसा वह सोचती है) जो उसके अंतर में कुछ खोया-खोया
सा लगता है, खालीपन जैसा वह कहीं बाहर से नहीं आता बल्कि अंदर गहरे तक भरा हुआ है
जो जरा मौका मिलते ही सतह पर आ जाता है. जब सतह पर सात्विक विचार कमजोर हो जाते
हैं तब ही. आध्यात्मिकता उन नकारात्मक विचारों से सदा के लिए मुक्त होने का मार्ग
है. सद्विचारों का वेग इतना तीव्र हो कि सारी कमियां ऊपर आकर बह जाएँ और मन का घट
अमृतमय हो जाये. तब जीवन सरल, कोमल, शांत व रसमय बनेगा, अंतर में कविता स्वयंमेव
जन्मेगी. विकार मुक्त, तृप्त मन जिसने सारे नकार पर विजय पा ली हो, जिसका कोई भी
शत्रु न रह गया हो, जिसने स्वयं को साध लिया हो, ऐसा स्वच्छ दर्पण सा मन जिसके पास
हो दुनिया का कोई संकट उसे छू भी नहीं सकता. ऐसा ही मन उसका हो, यही उसके जीवन का
लक्ष्य है.
Today is a hot and humid
day of mid day. It is early morning but not very cool and pleasant like many
mornings in Assam. When they will leave this place to go somewhere else most
probably in UP or Uttaranchal, they will miss the calm and serene atmosphere of
Assam. But that is many years away today at this moment she has to live in the
present.
आज सुबह जून ने रोज की तरह
उठाया, नन्हे और उनके जाने के बाद उसने घर संभाला, कितनी अच्छी-अच्छी बातें रोज ही
सुनती है, पढ़ती है. कभी-कभी वे एकदूसरे का विरोध करती हुई भी प्रतीत होती हैं, कभी
कोई कहता है कि अंतर में डूबकर साधना की जा सकती है, दुनियादारी से जितना दूर रहकर
निर्मुक्त होकर जीयें उतना अच्छा है फिर दूसरा विचार कहता है, स्वयं को गुनना
छोड़कर दूसरों के काम आना सीखो, दोनों में से कौन रास्ता ठीक है ?
Jonathan can learn flying
so can she, he has no limitations of body, time and space. He is free like true self. Jonathan taught her the same
lesson she is trying to learn from Buddha and all other wise men. But now when
she knows and has faith in the highest bliss, she has to find her self. She is
no longer a helpless, weak, poor soul but she is the soul which can not be
crushed. Which can fly higher and higher without any limit.
मानव के लिए असीम
सम्भावनाएं हैं वह चाहे तो स्वर्ग तक पहुंच सकता है, स्वयं अपना स्वर्ग बना सकता
है. उसे रोकती हैं तो उसकी स्वयं की कमियां, हृदय की क्षुद्रता, संकीर्णता और अपनी
शक्ति पर भरोसा न होना. यह दुनिया वैसी ही दिखती है जैसा कोई देखना चाहता है, खुद
के विचारों को ही जैसे आईने में प्रतिबिम्बित किया जा रहा हो, इसलिए जहाँ कहीं भी
दुविधा, दुःख, क्षोभ की अनुभूति हो समझना चाहिए अंतर में कहीं मेल जमा है. वरना तो
प्यार का प्रतिदान प्यार में ही मिलता है. यही दुनिया की रीत है और यही उस परवरदिगार
की तदबीर है. उसने हम सबको बहुत छूट दी है और बहुत शक्ति भी दी है. चाहें तो स्वर्ग
बना लें और चाहे तो अपना व अपनों का जीवन दुखमय कर लें. कल छोटे भाई का कार्ड व
पत्र मिला उसके स्नेह ने नूना के हृदय में स्नेह को उत्पन्न किया. पड़ोसिन को उसने कटहल
दिया तो उसने आम दिए, उन्होंने बातें कीं और लगा कि वे किसी बंधन में बंधे हैं. एक
और सखी को उसने बगीचे के आम भिजवाने का वायदा किया है, उसे भी स्नेह रूप में ही वे
मिलेंगे और यह सिलसिला जारी रहेगा. जीवन एक यात्रा भी है और एक पड़ाव भी जहाँ वे
अन्य यात्रियों से मिलते हैं किन्तु असली मंजिल का पता भी नहीं भूलते, वहाँ अटक
नहीं जाते, असली मंजिल तो रब ही है वही सृजनहार जिसने सबको बनाया तो अपने जैसा ही
है पर वे खुद को कुछ और समझ बैठे, भूल ही गये..कि वे कौन थे.
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