पिछले दो दिन फिर स्कूल से आकर भी स्कूल का कार्य करती रही. आज ‘असम
बंद’ के कारण सभी स्कूल भी बंद हैं सो हफ्तों बाद वह अपनी पुरानी दिनचर्या का पालन
कर पा रही है. अभी-अभी कपड़े देने आये धोबी ने आकर बताया, बायीं तरफ के पड़ोसी के घर
के सामने एक कार दुर्घटना हुई है, पता चला एक उड़िया साहब के बच्चों ने (जो खुद ही ड्राइविंग
सीख रहे थे) एक पेड़ में टक्कर मार दी. बंद के कारण कोई कार लेकर दफ्तर नहीं गया
था, पैदल या साइकिल पर ही जाना पड़ा. बच्चों को घर में रखी कार व खाली सडकें देखकर
मन में इच्छा हुई होगी. सुबह छोटे भाई का फोन आया, सभी के बारे में ढेर सारे
समाचार मिल गये. कल रात नन्हे ने कहा था सुबह उसे न उठाया जाये, वह स्वयं ही उठा पर
साढ़े नौ बजे. कल एक सखी के यहाँ बेटे के जन्मदिन की पार्टी थी, अच्छी रही, उसने
पनीर व मिक्स्ड वेज अच्छी बनायी थी. कार्ड पर उसने वह कविता लिख दी थी जो वर्षों
पहले छोटी बहन ने नन्हे को उसके जन्मदिन पर लिख भेजी थी. सभी को अच्छी लगी. आज उसे
वे सभी पत्रिकाएँ भी देखनी हैं जो पिछले दिनों व्यस्तता के कारण नहीं पढ़ सकी.
जून के दफ्तर के एक अधिकारी
की अचानक हुई मृत्यु से सारा वातावरण दुखमय हो गया है. मृत्यु एक पल में सबकुछ छीन
कर ले जाती है. उसके फंदे से कोई नहीं बच पाया, जीवन की डोर मृत्यु के हाथ में है.
सारा संसार देखता रह जाता है और प्राणी किसी अज्ञात सफर की ओर चल पड़ता है, कौन
जानता है कब उसकी मृत्यु होगी. कौन सा क्षण ईश्वर ने बनाया है जब वह अंतिम श्वास
लेगा, परिवार जनों को असहाय रोता-बिलखता छोड़कर बंजारा अपना साजो-सामान समेट लेता है. जब सभी जानते हैं, एक दिन बिछड़ना है
तो क्यों इतने बंधन बाँधते हैं. तभी तो सन्त-महात्मा मोह-माया त्यागने की बात कहते
हैं. जो यह सत्य जानता है कि जिसकी मंजिल आ गयी, वह उतर गया, जिसे आगे जाना है वह
स्टेशन पर उतर गये लोगों के लिए आंसू नहीं बहता, दुखी नहीं होता.
अभी कुछ देर पूर्व क्लब से
आते समय देखा उस घर के सामने बहुत भीड़ थी, आज चौथा है, उसने मन ही मन ईश्वर से
प्रार्थना की. टीवी पर आजकल चुनाव परिणामों की चर्चा है, बीजेपी अपने सहयोगी दलों
के साथ सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत जुटा चुकी है. कल से स्कूल में अर्ध
वार्षिक परीक्षाएं शुरू हो गयी हैं.
परीक्षाएं समाप्त हुईं और पूजा
का अवकाश आरम्भ हो गया. पिछले तीन दिन मौसम बादलों के कारण भीगा-भीगा सा था, आज
धूप निकली है. पिछले दिनों वे पूजा पंडाल देखने गये, विशेष व्यंजन बनाये और कुछ
मित्रों के घर भी गये. उसे परीक्षा की कापियां जांचनी हैं, काम करके उसे सदा ही एक
ख़ुशी का अहसास होता है, जीवन को एक अर्थ मिला हो जैसे. उसे पत्र भी लिखने है, और
वे सारे काम जो स्कूल खुलने पर नहीं हो पाएंगे. सम्भवतः बाढ़ के कारण कुछ दिनों के लिए
गौहाटी से डिब्रूगढ़ के लिए रेल चलनी बंद
हो गयी थी, इस कारण माँ-पिता यहाँ नहीं आ पाए.
स्कूल
में फिर से पढ़ाई शुरू हो गयी है और उसने जान लिया है कि पढ़ाना ही उसे पसंद है,
टेस्ट, यूनिट टेस्ट और परीक्षाएं ये सब कतई पसंद नहीं, पर ये सब भी शिक्षण का ही
अंग हैं. आज खेल का पीरियड भी था, क्लास दो के बच्चे खासतौर पर लडकियाँ पीटी बहुत
एन्जॉय करती हैं, लडकों को भागने-दौड़ने वाले खेल ही पसंद हैं. सिलाई का कुछ काम कई
दिनों से टल रहा था उसने आज करने की ठानी. नन्हे के घर आने में अभी आधा घंटा शेष
है. आजकल वह सुबह उठने में बहुत देर करता है. आज जून डिब्रूगढ़ गये थे, दिसम्बर की
उनकी दक्षिण-पश्चिम भारत की यात्रा के लिए टिकट बुक करवाने. आज सुबह उसने जागरण में
एक प्रवचन सुना, जिसमें मन की तुलना झरने से की गयी थी जो निरंतर ताजगी लिए रहता
है. उन्होंने यह भी कहा, “व्यक्ति को जीवन में प्रतिपल उत्साह बनाये रखना चाहिए
ताकि उसमें नीरसता न आ जाये. योगी विचारों से ही पुष्ट होता है और पोषण करता है.
मन में लगातार प्रेरणादायक विचारों का प्रवाह चलता रहे तो जीवन खिला रहता है”.
उड़ीसा में भयंकर बाढ़ आयी है, वहाँ के लोग भूख-प्यास से भले ही
पीड़ित हों, तूफान व बाढ़ ने भले ही उन्हें कितना दुःख दिया हो लेकिन जिजीविषा
उन्हें पुनः समर्थ बनाएगी. वे फिर खड़े होंगे. दीवाली का त्योहार आने वाला है, जून
नन्हे के लिए पटाखे ले आये हैं. उन्होंने सभी को कार्ड्स भी भेज दिए हैं. दीवाली
पर एक भोज का आयोजन करने भी विचार है, ईश्वर उनके साथ है.
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