Tuesday, June 10, 2014

पर्दों की धुलाई


Days are passing smoothly, they are learning, enjoying and giving good company one-another. Jun, herself  and Nanha are in harmony these days. Weather is also good, Indian army is winning at border and Indian players are winning at Tennis. Leander paes and Mahesh Bhupati won Wimbledon double grand slam. Today in the morning father rang they are also waiting for Nanha’s birthday, which is falling on Saturday this week.

आज नन्हे का जन्मदिन है, सुबह उठा तो बहुत शांत था, वह किसी भी परिस्थिति में सामान्यतः शांत रहता है, न ज्यादा ख़ुशी जाहिर करता है और न ज्यादा दुःख या गुस्सा, अपनी उम्र के हिसाब से परिपक्व बच्चा, वैसे वह अब बच्चा न रहकर किशोर हो गया है. अपने बैडमिंटन सर के लिए चाय व मित्रों के लिए eclairs chocolates ले गया है. जून भी आज सुबह खुश थे, उन दोनों के लिए ही अपने पुत्र का जन्मदिन ख़ुशी का सबसे बड़ा कारण है. ईश्वर से प्रार्थना है कि वह उनकी इस ख़ुशी को सदा के लिए बरकरार रखे, उसे दीर्घायु दे, सफलता दे और दे समझदारी व विवेक. टीवी पर यह सुंदर भजन आ रहा है-

इतनी शक्ति हमें देना दाता, मन का विश्वास कमजोर हो न
नेक रस्ते पे चलते रहें हम भूल कर भी कोई भूल हो न !

उसने zee टीवी के राजेश आडवानी के लिए भी प्रार्थना की, कि सुबह को पवित्र करने वाली प्रार्थना सुनवाई. बाबाजी ने भी आज मन की एकाग्रता की बात सिखाई, बाधाओं को बादलों के समान मानने की कला भी, जो थोड़ी देर में कहीं उड़ जाते हैं.

पिछले चार दिनों से ही डायरी नहीं खोल पायी, आज समय है क्योंकि जुकाम हो जाने के कारण न ही व्यायाम करने का उत्साह है न संगीत अभ्यास करने का. सो समय अपने आप उपस्थित हो गया है. उसने अक्सर देखा है यदि कोई कार्य वे कुछ दिन न कर पाएँ और मन में उसे करने की अभिलाषा हो तो अपने आप वह हो जाता है. अर्थात परिस्थिति कुछ ऐसी बनने लगती है कि सारे कार्य समय आने पर पूरे होने लगते हैं. परसों शाम देर तक वह शावर में स्नान करती रही, गर्मी बहुत थी, पर नतीजा सर्दी लग गयी. कल सुबह पर्दे धोये, परसों बैठक में रंग हुआ था, सो सारे पर्दे धोकर लगाने का विचार था, अब जून भी कल शाम से जुकाम से परेशान हैं, दफ्तर गये हैं, सुबह उसने उन्हें सत्संग में सुनी ज्ञान की बातें सुनकर उत्साहित किया तो पहले अस्पताल जाने के बजाय दफ्तर ही चले गये. वह एक नन्हे बच्चे की तरह हैं, झट बात मान लेने वाले, हर इन्सान के अंदर एक बालक होता है, निष्पाप, सरल और...

सुबह से वर्षा हो रही है, मौसम भीगा-भीगा होने के साथ ठंडा भी हो गया है शीतल और नम हवा खिड़की के पर्दों को हिलाती उसके बालों और चेहरे को छू रही है. आज छुट्टियों के बाद नन्हे के स्कूल का पहला दिन है, सुबह जून उसे छोड़ने गये. घर में चुप्पी छायी है. अन्यथा नन्हे की आवाजें, टीवी की आवाजें और नहीं तो कम्प्यूटर. आज वह स्कूल की कक्षा में बैठ होगा, घर को याद भी नहीं कर रहा होगा. कल रात एक सखी परिवार के साथ रात एक बजे तिनसुकिया पहुंची, ड्राइवर लेने गये था, दो बजे घर पहुंच गये वे, यहाँ लगभग सभी ड्राइवर और कर्मियों दोनों को ही नशा करने की आदत है, अज्ञान वश अपनी सेहत तो बर्बाद करते ही हैं, अन्यों को भी परेशान करते हैं. कल रात तेज कार चलाने के कारण उन लोगों को डर भी लग रहा था. वृद्ध माता-पिता भी उनके साथ थे, बुढ़ापे में तरह-तरह के रोग घेर लेते हैं. उनके साथ ईश्वर है सो सब ठीक ही होगा. उसे याद आया, घर से पत्र आए कितने दिन हो गये हैं, रक्षा बंधन भी आने वाला होगा, दोनों बहनें तो घर पहुंच जाएँगी, बस वही हर साल डाक से राखियाँ भेजती है. कल टीवी पर ‘मन’ देखी.



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