Wednesday, October 10, 2012

पड़ोस का सैलून



अगस्त का पहला दिन..मन अजीब दुविधा में पड़ा है, बनारस से उस फोन के अलावा और कोई सूचना भी तो नहीं मिली है. उसका एडमिशन यदि नहीं हो पाया तो..बनारस जाना तो था पर इतनी जल्दी जाना पडेगा यह नहीं सोचा था. गर्म पानी के सिस्टम की पाइप की वेल्डिंग करने के लिए कर्मचारी आए हैं, कितना शोर करती है वेल्डिंग मशीन. नन्हा होता तो शौक से देखता, स्कूल गया है उसे लेने भी जाना होगा स्कूल से, जून को फील्ड से आने में देर हो जायेगी. मौसम आज स्वच्छ है यानि खूब गर्मी पड़ेगी. लगातार वर्षा से रेलें भी तो नहीं चल रही हैं. कल बहुत दिनों बाद मंझले भाई का पत्र आया है. इसी महीने रक्षा बंधन भी है. जून को समय मिले तो बाजार जाकर राखी लायें. उसे दो रेसिपीज और मिली हैं, वह अच्छा खेल था, जब कुछ महिलाओं ने मिलकर आपस में रेसिपीज साझा करने का तरीका निकाला था.

कल बेहद गर्मी थी, दोपहर भर बेचैनी थी. आज सुबह के सवा नौ बजे धूप थोड़ी कम है बादल के एक टुकड़े ने सूरज को ढक लिया है मगर कब तक ? नन्हे को कल सुबह ठंडे पानी से नहला दिया, उसे हल्का सी ठंड लग गयी है, जानबूझ कर हम मुसीबतों को निमंत्रण देते हैं नब्बे प्रतिशत मामलों में. उसे स्कूल लेने आज भी जाना है. जून व्यस्त हैं, कल रात आठ बजे आये. आज उन्होंने किन्हीं परिचित को चाय पर बुलाया है, दोपहर को ही नाश्ता बनाना है और बैठक ठीक-ठाक करनी है.

अभी-अभी जून डिब्रूगढ़ गए हैं अपने एक सहकर्मी के साथ. उनके कान का संक्रमण जो ठीक हो गया सा लगता था अब फिर से हो गया है. बांया कान कभी बंद हो जाता है कभी खुल जाता है. सभी रिपोर्ट लेकर गए हैं. दोपहर बाद तीन-चार बजे तक आयंगे. नन्हे की तबियत आज सुबह भी पूरी तरह ठीक नहीं थी, पता नहीं कैसा होगा, हिम्मती लड़का है मैनेज कर  ही लेगा. आज ट्रांजिस्टर पर कितने मधुर-मधुर गीत आ रहे हैं, प्रेम की चाशनी में पगे हुए, कल रात वे भी ऐसे ही भावों में भर रहे थे. शाम को नाश्ते का आयोजन ठीक रहा, हमारा रात्रि भोजन भी वही नाश्ता ही हो गया. नन्हे को लेने आज भी उसे ही जाना होगा, किसी से लिफ्ट मिल गयी तो ठीक नहीं तो रिक्शा ले लेंगे. बनारस से खत की प्रतीक्षा है पर ट्रेन न चलने की वजह से डाक भी तो समय पर नहीं आ रही है. पूरे देश में बाढ़ ने तबाही मचाई है. हर वर्ष यही होता है, करोड़ों रुपयों का नुकसान, कब हमारा देश सक्षम होगा, इन आपदाओं से निपटने में.

सोनू की खांसी बढ़ गयी है और हल्का बुखार भी है. कल शाम को वह बहुत खुश था, खूब बातें कर रहा था. पर रात वह बेचैन था, साँस तेज चल रही थी. वह उसे गुमसुम देखकर व्यग्र हो गयी, उसका उदास चेहरा देखकर वह भी उदास हो गयी, सुबह वे उसे अस्पताल ले गए थे. छह-सात बोतलें दी हैं डा. ने. बेनाड्रिल दी उसने, पीते ही सो गया, अभी तक उठा नहीं है कि कुछ खाने को दे. उन्हीं की लापरवाही का नतीजा भुगत रहा है यह नन्हा बच्चा. जून कल पांच बजे लौटे, उनका कान ठीक हो गया है, वैक्स जम गया था और कुछ नहीं.

नन्हा आज ठीक है, सुबह स्कूल नहीं गया. कल से भेजेगी. तीन दिन पढ़ाई-लिखाई बंद रही अब उसका गृहकार्य करने में मन ही नहीं लग रहा था. इस समय पापा के साथ अपने मित्र के यहाँ गया है, वही उनके घर के पीछे रहने वाले पड़ोसी. उसे यहाँ आये एक महीना होने को है वे लोग उनके यहाँ नहीं आये, न ही वह गयी. सुबह वह सोनू को यहीं पास में एक पार्लर में ले गयी थी बाल कटवाने के लिए, एक सरदारनी ने खोला है, जो बाल तो अच्छे काटती हैं पर समय बहुत लगाती हैं.

No comments:

Post a Comment