सप्ताह का चौथा दिन है, पत्र नहीं आया
है, शायद एक साथ मिलें. बड़ी ननद का पत्र आया है वह एक सप्ताह बाद आ रही है, उसी
दिन उसका कालेज भी खुल रहा है. कहीं से रेडियो पर बजती पंक्तियाँ उसके कान में
पडीं-
फिर दबे पाँव तेरी याद चली
आई है
खुदबखुद आने लगा फिर उसी
महफिल का ख्याल
जिंदगी मुझको कहाँ आज फिर
ले आई है...
परसों रात उसे नींद नहीं आ
रही थी, किन्तु बाद में उसकी स्मृति ही सुला पायी. एक बार बहुत वर्ष पहले एक बार
ऐसे ही उसकी याद सताई थी, लगा था कि इस क्षण उन्हें निकट होना चाहिए था दुनिया में
कुछ हो न हो..दूरियां कम होनी ही चाहिए थीं उस एक क्षण. यह क्या मानसिक दुर्बलता
है ? नहीं, यह मानसिक शक्ति है, क्योंकि यही तो प्रेम है, प्रेम में शक्ति है
मीलों दूर बैठा प्रिय भी निकट महसूस होता है.
आज कई दिन बाद, एक सप्ताह
बाद पत्र मिला है, पढ़कर.. अच्छा लगा ही और मन जैसे उत्साह से भर गया है. जून ने
बड़ा सा खत लिखा है, उसे भी लिखना है आज तो मुश्किल लगता है. आठ बजे खाना बनाने
जायेगी, नन्हा भी अक्सर उसके साथ किचन में जाता है, फिर तो साढ़े नौ कैसे हो जायेंगे
पता ही नहीं चलेगा. उसके बाद उसे ब्रश कराने, सुलाने में भी कम समय नहीं लगता,
उसका बीएस चले तो खेलता ही रहे. आज वह बीएड की दो किताबें भी लायी है, उसे आठ गतिविधि
फाइलें भी बनानी हैं. धीरे-धीरे सब हो जायेगा,उसने मुस्कुरा कर खुद से कहा.
आज फिर उसके सिर में दर्द
है, शरीर में जैसे एक घड़ी लगी है, नियमित हर महीने उसे ऐसा दर्द होता है. सुबह आठ
बजे से एक बजे तक कालेज में थी, लौट कर सोने गयी तब से हो रहा है. मन कैसा बोझिल
है. पिछले कुछ दिनों से तनाव से घिरी रहती है, कारण क्या है समझ नहीं पाती, कालेज
में जितने समय रहती है सब ठीक रहता है, घर आते ही एक अजीब सी घुटन महसूस होती है,
जून के खत पहले जल्दी जल्दी आते थे अब देर से आते हैं शायद यही कारण हो या फिर...दो
तारीख से अध्यापन आरम्भ हो रहा है, काम इतना ज्यादा है और लेसन प्लान अभी एक भी
चेक नहीं हुआ है. दो को उसके तीन पीरियड होंगे. कल गोपीराधा स्कूल भी गयी थी, जहाँ
उसे पढ़ाने जाना है. अच्छा लगा, लडकियां भी अनुशासित लगीं. माँ-पिता का पत्र भी कई
दिनों से नहीं आ रहा है, वहाँ का कोई समाचार नहीं मिला है, पता नहीं क्यों सब चुप
बैठे हैं.
आज सुबह जून को खत लिखा, उसकी
याद बहुत आती है इन दिनों. उसे कितने तो पत्र लिखे हैं उसने, पर ज्यादा उदासी भरे
ही, क्यों होता है ऐसा यह वह भी जानता है और वह भी... वह भी उसे सब कुछ लिख देता
है. पास होने पर वे कभी भले ही दूर हो जाएँ पर दूर होने पर...बिलकुल पास होते हैं.
अब जब तक छुट्टियाँ हैं ऐसा ही रहेगा,फिर अध्यापन में व्यस्त होने पर मन शांत
रहेगा, एकाग्र रहेगा कालेज की ओर. तभी अचानक यह गीत बज उठा-
तुम मेरे पास होते हो, कोई
दूसरा नहीं होता..
आज श्रीमती गाँधी की
पाँचवीं पुण्यतिथि है, जब उनका देहांत हुआ था लगता था कि देश का क्या होगा, पर
धीरे-धीरे समय के साथ लोग और देश उनके बिना भी रहना सीख गए हैं. इसी तरह घर
मेंहोगा, सभी लोग जाने वाले के बिना भी रहना सीख जायेंगे, सीख गए हैं. कल उसे
कालेज जाकर तीसरा लेसन प्लान चेक करवाने जाना है और परसों से टीचिंग शुरू है, नवम्बर
तो फिर जल्दी बीत जायेगा, दिसम्बर में जून आएंगे.
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