रात्रि के आठ बजे हैं, जून चले गए
थे साढ़े छह बजे ही. कोलकाता में कल उनका कोई इंटरव्यू है, दो दिन बाद वापस आएंगे. सुबह
वे देर से उठे, सोये ही थे रात दो बजे. सारी शिकायतें सारे शिकवे दूर हो गए और वे
दोनों फिर निकटता का अनुभव करने लगे. यही सच्चाई है कि वे दोनों एक हैं, व एक-दूजे
के लिए है, एक दूसरे के लिए जीते हैं. जब उसे छोडकर ऊपर आई तो रुलाई आ गयी थी. दो
दिन से उसका साथ मिल रहा था, तन-मन पुलक से भरा था और अब रह गयी हैं यादें, वह
पहले से सबल हो गया है, आत्मविश्वास से भरा हुआ.. इधर वह पहले से दुबली हो गयी है.
जून कहते हैं कि असम जाकर वह भी पुष्ट हो जायेगी. वह अपने घर की कल्पना में भर
गयी, पहले तो घर की सफाई करनी होगी, तीन-चार दिन तो लग ही जायेंगे सब ठीक-ठाक करने
में.
जून अभी ट्रेन में होंगे शायद सुबह की चाय पी रहे होंगे. आज सुबह से पानी नहीं
आया सो स्नान भी नहीं हो सकता, जब तक पानी नहीं आता. छह बजे हैं, दिन भर की बातें
अभी से लेकर बैठ गयी है, जाने कैसे बीतेगा दिन आज का. नन्हा सोया है, पिछले तीन
दिन वह जल्दी जग जाता था, आज शायद अपने पुराने वक्त पर उठेगा. जून उसके लिए एक
हवाई जहाज लाए हैं बैटरी से चलने वाला, उसे बहुत पसंद है. उसने उसे ‘एयर
क्राफ्ट’ पुस्तक दी है, कितने उत्साह से वह जहाजों की तस्वीरें देख रहा है,
फिर उसी उत्साह से उसे दिखाता है. पहले से ही उसकी रूचि इस दिशा में थी अब जहाज
मिल जाने से और भी बढ़ गयी है, इस बार की हवाई यात्रा में शायद वह पहले की तरह सोयेगा
भी नहीं.
हो सकता है आज ही वह आ जाएँ. आज मन अपेक्षाकृतशांत है, समझ नहीं आता, जून के
बिना इतना अकेलापन महसूस किया उसने, जैसे अधूरापन, खालीपन मन के पर्याय बन गए हों.
उसका अतिशय प्रेम देखकर ...कभी कभी मन कैसा भीगा –भीगा सा रहता है, ऐसे में वह ही
उसे कुछ कह देती है, अपनी प्रकृति से विवश होकर ही, वह उसके लिए क्या है और उसके
लिए कितना प्रेम है मन में शायद वह खुद भी नहीं जानती उस क्षण. कल दोपहर बाद वह
रोते हुए नन्हे को सुलाने लगी तो उसे रोते और खांसते-खांसते उसके कपड़ों पर ही
उबकाई आ गयी, माँ वहीं लेटी थीं, मगर सहायता करना तो दूर उठकर देखा तक नहीं. उस
वक्त भी जून याद आए. आज उनका एक पुराना खत डाक से मिला, उदासी भरा खत. वह जो कढ़ाई का
काम कर रही थी आज पूरा हो गया. अभी कुछ देर पहले एक धागे की तरह का, गुलाबी रंग का
जीव उसकी बाँह पर गिरा, ननद ने कहा, सांप का बच्चा था, दो दिन पूर्व रसोईघर में भी
वैसा ही एक जीव निकला था, लगता है घर में कहीं सांप हैं जरूर.
जुलाई माह का प्रथम दिवस, यानि आषाढ़ मासे प्रथम दिवस...पर वर्षा का तो नाम
नहीं..कल रात कितनी उमस थी. देर रात तक नींद नहीं आयी, शायद वह आ जाएँ मन में कहीं
दूर आशा थी. वैसे वह जानती थी कि जून शाम की ट्रेन से आएंगे रात को नहीं. सुबह
वक्त नहीं मिला सो अब डायरी निकाली है, एक बहाना है यह उसे याद करने का, हर क्षण
तो वैसे ही उसका ध्यान रहता है.
कल वह आ गए थे, इस समय उसे बिना बताए कहीं गए हैं, आस-पास ही गए होंगे,
क्योंकि कुरता-पजामा पहना है.
दो दिन नहीं लिख सकी, कारण वही, व्यस्तता कम और लापरवाही ज्यादा. आज सभी अभी
तक सो रहे हैं, वह यहाँ बैठी है, कल जून के एक मित्र द्वारा दी गयी पार्टी में वे
लोग एक होटल में गए, अच्छा आयोजन था, सामिष भोजन के कारण भी कोई समस्या नहीं हुई,
वे अलग ही बैठे थे. जून किसी भी तरह माँ-पिता को खुश देखना चाहते हैं, अपनी बातों से
उनको बहलाना चाहते हैं, मगर वह यह भूल जाते हैं कि माँ-बाप बच्चे को बहला सकते
हैं, पर बच्चे माँ-बाप को नहीं.
परसों शाम उन्हें जाना है, उसने सोचा है आज से ही कपड़े समेटने शुरू कर देगी और
भी छोटा-मोटा सामान. कल रात बिजली चली गयी और उन्हें छत पर सोना पड़ा, दिन भर भी
गर्मी बहुत थी बिजली का खेल जारी था. वे लोग कुछ देर के लिए बाहर निकल गए पर जब
लौटे तब भी बिजली नहीं आयी थी. अभी कुछ देर पूर्व ही वह उठकर आयी है. कल जून ने
उसे एक उपहार लेकर दिया सुंदर बटनों वाली आसमानी रंग की एक सुंदर मैक्सी.
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