Thursday, October 25, 2012

सिविल डिफेंस- एक जरूरत



आज भी सुबह, दोपहर सब बिता कर समय के तीन बज गए हैं पर उसका पढ़ाई का क्रम  शुरू भी नहीं हो पाया है. जून का पत्र आज भी नहीं आया, अब कल आयंगे दो-तीन पत्र एक साथ..नन्हा अभी तक पूरी तरह ठीक नहीं हो पाया है, बात-बात पर रोता है और सुबह नाश्ता भी ठीक से नहीं किया उसने. अभी उठेगा तो खाना खायेगा. माँ मासी की बेटी के घर गयी हैं जिनकी डेथ हो गयी थी पर घर तो उन्हीं का कहायेगा न. उसने सोचा अब खत लिखना कुछ कम करके अपना ध्यान आने वाले इम्तहान की तरफ लगाना चाहिए. कॉलेज खुलते हैं बंद हो जाते हैं, पढ़ाई कुछ होती नहीं. पर इम्तहान में सिलेबस तो पूरा आयेगा न. पढ़ने को कितना कुछ है और लिखने को भी..आज से ही जुट जायेगी, बहुत आराम हो गया. प्रेक्टिकल का भी काम कुछ शेष है कम से कम वही पूरा कर ले सबसे पहले.

तीसरी छुट्टी भी बीतने को है, मजे-मजे से दिन बीत रहे हैं आज भी पढ़ाई निल, जून को ठीक से पढ़ने के लिए कहती है और खुद कुछ नहीं सोचती. आज उसने उसके लिए तीन रुमाल लिए, उस दिन अपने लिए पाँच लिए थे. जिनमें से चार शेष हैं. बहुत पैसे खर्च हो रहे हैं, हिसाब कभी लिखा नहीं, अब थोड़ा ध्यान रखेगी. अभी फ़ीस भी जमा करनी होगी एक बार शायद जनवरी में ही फार्म भरने से पूर्व. सोनू आज फिर ठीक से खा-पी नहीं रहा है पता नहीं उसे क्या हुआ है, उसे घाट तक घुमाने ले गयी थी, नाव पर बैठने की जिद कर रहा था, जून का खत आया है, उसने एक हाउस प्लान भी भेजा है तीन कमरों का, मकान बनवाना है यह बात उसके जहन में है, कल उनके विवाह की वर्षगाँठ है, एक अच्छा सा खत लिखने का वादा किया है नूना ने.

‘किसी विरोधी का सामना करना पड़े तो उसे प्रेम से जीतिए’
आज उसने बस यह लिखा है.

कल का दिन इसी तरह छाँव-धूप में बीत गया. कभी उदासी तो कभी खुशी...जून को, माँ-पिता को व दीदी को पत्र लिखे. आज उसे स्कूल जाना है, कहीं ऐसा न हो कि वह तीन दिन अनुपस्थित रही हो, अब जो भी हो वहीं जाकर मालूम होगा. उसकी सहपाठिनी सीमा भी नहीं ही गयी होगी वरना आती जरूर. उन्हें यात्रा पर एक वृतांत भी लिखना है, सारनाथ जाने पर ही लिखेगी. नन्हे को लिखने को कहो तो एक ही लाइन लिख कर थक जाता है.

न कल और न आज ही उसका खत आया, सो 
उदासी के बादल छंटे नहीं हैं, आज दिन भर अजीब व्यस्तता में बीते. कालेज में सिर्फ दो पीरियड हुए, शेष समय यूँ ही बिताया, ‘सिविल डिफेन्स’ का कार्यक्रम देखते हुए. कार्यक्रम अच्छा था पर मन में अभी भी एक प्रश्न है कि उसका सिविल डिफेंस का पेपर अच्छा था फिर..? शायद कल सर्टिफिकेट मिल जाये. आज चार लेसन प्लान बनाने आवश्यक थे, दो आज के व दो कल के लिए पर तीन ही बन पाए हैं, उसने सोचा कल कॉलेज देर से जायेगी, तीसरा पीरियड है और छठा. कल जून का पत्र आयेगा...उम्मीद पर दुनिया टिकी है. कल सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले उसे पत्र लिखेगी फिर लेसन प्लान.

आज बहुत दिनों के बाद पत्र आया, पर जैसा उसने चाहा था वैसा नहीं...नहीं तो, बिलकुल वैसा ही है. अंतिम पंक्ति में उसका यह लिखना  truth is only that juun loves nuunaa  सारी बातें कह गया. इतने दिनों से मन पर जो बोझ सा रखा था वह कुछ तो हटा है पर पूरी तरह नहीं...पिताजी का पत्र आया है उन्हें पार्सल मिल गया है.


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